बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

पोप से लें भारतीय नेता प्रेरणा


पोप से लें भारतीय नेता प्रेरणा

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य में सेवानिवृति की आयु सरकारी तौर पर निर्धारित है पर हुक्मरानों के लिए यह आयु सीमा मायने नहीं रखती है। सरकारी तंत्र में पहले 58 फिर 60 और कई स्थानों पर 62 वर्ष की आयु सीमा सेवानिवृति के लिए निर्धारित है। राजनीति में यह आयुसीमा अंतिम समय तक ही मानी जाती है। राजनीति में युवा का तातपर्य 45 से 65 ही माना जाता है। सरकारी नियमों के हिसाब से ना जाने कितने सांसद विधायक आज सेवानिवृति के उपरांत का जीवन जी रहे हैं। इनमें मंत्री भी शामिल हैं। ईसाई धर्मगुरू पोप बेनडिक्ट सोलहवें ने जो किया है वह निश्चित तौर पर अनुकरणीय है, भारतीय राजनेताओं को पदलिप्सा छोड़कर पोप से सबक लेकर युवाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

मसीही समाज के धर्मगुरू जोसफ एलोयसियस वाकई में एक सादगी पसंद, विनम्र और नेकदिल इंसान हैं। उनकी सादगी और साफगोई पर कौन ना मर मिटे। पोप बेनडिक्ट सोलहवें बनने के उपरांत भी उन्होने कमोबेश साफगोई का प्रदर्शन किया है। याद पड़ता है कि एक मर्तबा उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि उनमें संगठन और एडमिनिस्ट्रेश की आवश्यक क्षमताओं का अभावा है। कोई अपना आंकलन इस तरह करे तो उसे क्या कहा जाएगा! निश्चित तौर पर लोगों के दिलों में उनके प्रति श्रृद्धा कई गुना बढ़ गई होगी जब उन्होंने इस तरह की बात कही थी।
धर्मगुरूओं का काम समाज को दिशा देना है। 2005 में पोप बनने के उपरांत 2013 में 28 फरवरी को अपना पद छोड़ने की घोषणा कर उन्होंने दुनिया भर के लोगों को एक संदेश दिया है कि आने वाली पीढ़ी को मौका दिया जाना अत्यावश्यक है। स्वेच्छा से पद त्याग करने वाले वे पहले कैथलिक धर्मगुरू होंगे, वरना यह पद तो जीवन पर्यंत ही रहता है। इसके पहले 1415 के उपरांत देह त्याग के साथ ही पोप का पद छूटा है।
खबरों के अनुसार पोप बेनडिक्ट सोहलवें ने आत्म मंथन किया और पाया कि वे अब इस पद को संभालने की शक्तियों से खुद को विरत पा रहे थे अतः उन्होंने यह कदम उठाया। इस पद को छोड़ना वैसे पोप के लिए कोई मजबूरी कतई नहीं था। इतिहास इस बात का साक्षी है कि पोप का पद आजीवन के लिए ही होता है।
भारत गणराज्य में भी मसीही धर्मावलंबियों की तादाद कम नहीं है। हर धर्म को मानने वाला अपने धर्म गुरू से सदा ही दिशा की उम्मीद रखता है। पोप ने पद त्याग की घोषणा के साथ यह संदेश भी दिया है कि अगर मस्तिष्क और शरीर साथ ना दे तो पद से चिपके रहना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
वैसे धर्मगुरू चाहे वह किसी भी धर्म या पंथ का हो, वह निर्विकार, निस्वार्थ भाव से देश दुनिया को अपने चाल चलन, आचार विचार, व्यवहार आदि से संदेश देते रहता है। कमोबेश इसी आधार पर भारत गणराज्य में प्रजातंत्र या गणतंत्र की स्थापना की गई थी। जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए की अवधारणा पर बना था भारत गणराज्य।
इस देश के लोकतंत्र में केंद्रीय स्तर पर संसद सदस्य और सूबाई स्तर पर विधानसभा सदस्यों का काम जनता की सेवा करना ही निर्धारित किया गया था। सरकारी मुलाजिम और जनप्रतिनिध दोनों ही को जनसेवक का दर्जा दिया गया था, जिनका काम रियाया की सेवा करना ही प्रमुख था।
आज भारत गणराज्य में स्थितियां पूरी तरह उलट गई हैं। आज भारत में जनता के सेवक हुक्मरान की भूमिका में हैं और रियाया बेबस कराह रही है। आज देश में राजनेताओं की औसत आयु सत्तर साल के लगभग है। देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री डॉ।मनमोहन सिंह अस्सी के पेटे में हैं। एल।के।आड़वाणी भी इसी दौर के हैं और आज भी प्रधानमंत्री बनने की लालसा रखते हैं।
एक बार कांग्रेस के एक सम्मेेलन में कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अब समय आ गया है कि साठ से उपर वाले राजनेता सेवानिवृत्ति ले लें। उस समय मीडिया में यह बात काफी हद तक उछली भी थी, पर नेताओं की कथनी और करनी का साफ अंतर दिख ही जाता है। आज केंद्रीय मंत्रीमण्डल के सदस्यों में साठ से ज्यादा आयु के नेताओं की तादाद ज्यादा ही है।
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी भी मसीही धर्मावलंबी हैं। उन्हें चाहिए कि पोप बेनडिक्ट सोलहवें की इस नायाब पेशकश में छिपे संदेश को पहचानें और सबसे पहले खुद उमरदराज होने के कारण कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ें और कांग्रेस के नेताओं को यह आदेश दें कि साठ या पेंसठ साल से अधिक के नेता चुनाव ना लड़ें।
अगर सोनिया गांधी इस तरह की नजीर पेश करती हैं तो मजबूरी में अन्य दलों के नेताओं को इस बात को अपनाना ही होगा, और तब बनेगा नेहरू गांधी के सपनों का असली युवा और सशक्त भारत। बहरहाल पोप बेनडिक्ट सोलहवें ने जो नजीर पेश की है उसे देखकर सुनकर हर इंसान चाहे वह किसी भी मजहब, जात, पंथ आदि का हो यही कहेगा - पोप वी मस्ट सैल्यूट यू! (साई फीचर्स)

प्रिंट मीडिया की कार्यप्रणाली से वाकिफ नहीं हैं पीआरओ!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 53

प्रिंट मीडिया की कार्यप्रणाली से वाकिफ नहीं हैं पीआरओ!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में जनसंपर्क विभाग की कमान संभवतः एसे अधिकारी के हाथों में है जिन्हें प्रिंट मीडिया की कार्यप्रणाली के बारे में ज्यादा माहिती नहीं है। यही कारण है कि सिवनी में 7 फरवरी की रात्रि लगाए गए कर्फ्यू के उपरांत प्रिंट मीडिया और जनसंपर्क विभाग में बार बार तकरार चलती ही रही।
बताया जाता है कि 7 फरवरी को जिला मुख्यालय में तनाव फैलने के चलते अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी द्वारा जिला मुख्यालय की सीमा में कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई थी। इसके उपरांत अगले दिन 8 फरवरी को ना तो पत्रकार ही घरों से निकल पाए और ना ही समाचार पत्रों का वितरण हो पाया।
आठ फरवरी को दोपहर बाद प्रशासन ने कर्फ्यू के दरम्यान पत्रकारों को पास देने की पहल की किन्तु वह पास महज शाम पांच बजे तक ही वैध था। इस पर मीडिया में रोष और असंतोष का वातावरण बन गया, क्योंकि अगर पांच बजे के बाद कोई घटना घटती तो उसकी रिर्पोटिंग कैसे हो पाती।
इतना ही नहीं प्रिंट मीडिया के लिए संपादक, रिर्पोटर, कंपोजिटर, कंप्यूटर आपरेटर, प्रूफ रीडर, विज्ञापन विभाग, प्रसार विभाग, मशीन विभाग, प्लेट मेकिंग विभाग आदि अनेक प्रभाग होते हैं जिनमें कर्मचारियों के सहयोग के बिना समाचार पत्र का प्रकाशन संभव ही नहीं है।
प्रशासन संभवतः सिवनी से बाहर के समाचार पत्रों को अधार बनाकर एक एक संस्थान के लिए महज दो तीन पास ही जारी करने पर रजामंद दिख रहा था। बिना पूरी टीम के सिवनी से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों का प्रकाशन संभव नजर नहीं आ रहा था। वहीं दूसरी ओर साप्ताहिक और दैनिक के अलावा अन्य आवधिक समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों के बारे में जनसंपर्क विभाग पूरी तरह मौन ही नजर आया। कहा जा रहा है कि अगर जिला जनसंपर्क अधिकारी को दैनिक समाचार पत्रों के पूरे सेटअप के बारे में मालुमात होती तो वे जिला प्रशासन को इस बारे में आवगत कराकर मीडिया के हितों का संवर्धन अवश्य करवाते, वस्तुतः एसा हुआ नहीं!

आदिवासी गरीब को लकड़ी के अभाव में जलाया टायर पर


आदिवासी गरीब को लकड़ी के अभाव में जलाया टायर पर

(अशोक वर्मा)

टीकमगढ़ (साई)। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान लाख दावे करें कि उनके राज में सूबे में सुशासन आ गया है पर जमीनी हकीकतें इससे उलट ही बयां हो रही हैं। प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के पृथ्वीपुर विकासखण्ड मुख्यालय के करीब ही एक आदिवासी का अंतिम संस्कार लकड़ी के अभाव में टायरों पर किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।
भारतीय संस्कृति में भले ही अंतिम सस्कार को सबसे बड़ा सस्कार माना गया हो परन्तु 12 फरवरी को पृथ्वीपुर जनपद पंचायत के अन्तर्गत सत्ती-सत्ता गॉव में घन्सू आदिवासी का लम्बी बीमारी के चलते निधिन हो गया जिसका अंतिम सस्कार मोहल्ला वासियों ने टायरो पर किया गया। वैसे तो म।प्र। सरकार आदिवासीयो के लिए काभी योजनाए चला है। परन्तु न तो सरकार के नुमाईन्दो के द्वारा और न ही ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव के द्वारा उस आदिवासी को 2 कुंटल लकड़ी भी नसीब नहीं करा सका जिससे उसको टायरो पर जलाया गया।
हालाकि इस संबंध में पृथ्वीपुर जनपद पंचायत के सी।ई।ओ। एल।एल। विश्वकर्मा ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ग्राम पंचायत में  इस प्रकार की कोई सुविधा नहीं होती जिसके फण्ड से उसकी मदद की जा सके हालाकि उन्होने मानवीय आधार पर कुछ सहायता राशिा दिलाये जाने की वात कही।
वही किसाान कॉग्रेस संघ के प्रदेश महामंत्री प्रकाश सिंह दॉगी ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान आरोप लगाया है कि म।प्र। की भाजपा सरकार आदिवासी विरोधी है, जो एक आदिवासी की अंत्येष्टी में 2 क्वंटल लकड़ी भी नसीब नहीं करा सका वो आदिवासी के हितेषी नहीं है।
ज्ञातव्य है कि भलेे ही भाजपा सरकार के द्वारा भले ही आदिवासीयो के लिए लुभावने वादेे किये जाते हो परन्तु हकीकत यह है। कि आज एक आदिवासी को अंतिम सरकार के लिए आर्थिक तंगी के चलते  लकड़ी नसीब नही हो सकी और उसको टायरो पर जलाना पड़ा। इस संबंध में जब जिला प्रशासन का पक्ष जानने के लिए जिला दण्डािधकारी से मोबाईल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन उठाने की जहमत ही नहीं उठाई।

पुलिस प्रशासन जिन्दाबाद . . .


कर्र्फ्यू में फंसे दो भुक्तभोगियों की आप बीती

पुलिस प्रशासन जिन्दाबाद . . .

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। 7 फरवरी को सिवनी जिले में तनाव की स्थिति में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इस दौरान ए।पवन नामक एक भुक्तभोगी ने अपनी पीड़ा का बयान किया है। स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित उसकी पीड़ा भरे पत्र के मुताबिक मैं अपने एक दोस्त के साथ बस स्टेंड से वापस आ रहा था। हम दोनो दोस्तों को शहर के माहौल के बारे में कुछ भी पता नहीं था, मतलब कर्फ्यू के बारे में। हम दोनो मिले और बात हुई की चल भाई चाय पी कर आते हैं और हम दोनो इसकी तालाश में बस स्टेंड पहुँचे।
 वहां पहुँचने के बाद हमने देखा की वहाँ तो स्थिति बहुत ही खराब है। पूरे के पूरे स्टेंड में चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट हमें एक भी इंसान नज़र नहीं आया। जहाँ दूर तक देखो वहां सन्नाटा ही नजर आ रहा था इतने में मैंने अपने दोस्त से कहा यार भाई यहां तो पूरा स्टेंड ही बंद है चल वापस चलते हैं कोई लफड़ा न हो जाये उसने भी मेरे साथ हामी भरी- हां चल चलते हैं। जैसे ही हम प्राइवेट बस स्टेंड से एनएच-7 पर आये तो दूर एक नज़र पड़ी वहाँ तीन पुलिस वाले अपने हाथ में एक-एक लम्बा सा डंडा लिए खड़े हुए थे और जो भी उन्हें नज़र आ रहा था उन्हें बे-रेहमी से मार रहे थे जैसे ही मैने ये नज़ारा देखा मैं एकदम से सकपका गया मुझे लगा शायद यहां लाठी चार्ज हुआ हैं। मैने दूर से ऐसा देखते ही अपनी गाड़ी पलटा ली। गाड़ी पलटा कर हम मिशन कॉम्पलेक्स वाली रोड से नेहरू रोड आना चाहते थे पर मन में एक डर भी था कि यार मुस्लिमों के एरिये में तो कोई नाटक नहीं हुआ।
हमने छोटी मस्जिद वाली रोड में गाड़ी डालने से पहले सोचा चल पुलिस वालों से ही बात करते हैं। हमने अपनी गाड़ी पलटायी और कोतवाली पहुँचे। अचानक ही वो पुलिस वाले अपने डंडे के साथ फिर से नज़र आये। मैनें उनमें से एक से कहा- सर हम घर जा रहें हैं प्लीज़ सर जाने दीजिये। अचानक ही उस पुलिस वाले ने कहा- घर जा रहे हो जाओ ये सुनते ही मेरी जान में जान आयी और मैनें अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी। जैसे ही मेरी गाड़ी आगे बढ़ी। मुझे अचानक एक आवाज़ आयी। वो आवाज़ सुनते ही मैं समझ गया की मेरे पीछे बैठे मेरे दोस्त को कस कर एक डंडा पड़ा। मैने वो आवा़ज आते ही अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी लेकिन तब तक मेरे दोस्त को तीन डंडे पड़ चुके थे। मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन मैं जानता था कि मैं सनी देओल तो हूँ नहीं, जो पुलिस वालों को ही मार दूं। मैनें  सटाक से अपनी गाड़ी आगे बढ़ाई। जैसे ही मेरी गाड़ी आगे बढ़ी। मैंने अपने दोस्त से पूछा - भाई लगी तो नहीं इतने में उसने कहा - भाई पहले भाग। उतने में हमारी गाड़ी नगरपालिका पहुँची वहां देखा तो 12-15 पुलिस वाले हमारी तरफ ही भागते हुए चले आ रहे थे हमें जाना तो महावीर मढ़िया था लेकिन डर के मारे हमने गाड़ी नेहरू रोड में डाल दी। मैने सोचा चलो पहले दोस्त को छोड़ देता हूँ जैसे ही हमारी गाड़ी आगे बढ़ी तो हमने देखा की नायक क्लाथ स्टोर वाली गली से लगभग 10-12 पुलिस वाले और 6-7 पुलिस वाले शिवानी होटल के सामने से आ रहे थे। जैसे ही मैने ये नज़ारा देखा मेरी तो जान गले में आ गयी। मुझे समझ आ गया कि कर्फ्यू लगा
हुआ है। पर मरता क्या न करता डर के मारे हमने अपनी गाड़ी मालू ज्वेलर्स के समाने लगायी और पैदल ही भागने लगे हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या न करें तब तक वो पुलिस वाले हमारे बहुत करीब आ चुके थे पीछे मैं और आगे मेरा दोस्त। जैसे ही एक पुलिस वाला मेरे करीब आया मैं जोर से चिल्लाया - ङ्गपुलिस प्रशासन जिन्दाबादङ्घ जैसे ही मैने ये शब्द कहे तो मेरे करीब वाले पुलिस वाले ने कहा - ङ्गपुलिस प्रशासन जिन्दाबाद।।।?ङ्घ और कस कर मेरे पीछे एक डंडा घुमाया। मैने सोचा यार।।। यहाँ तो तरीफ करने पर भी डंडे पड़ रहे हैं। इतने में मेरे आगे चल रहे मेरे दोस्त की आवाज़ सुनाई पड़ी मुझे उसने कहा ङ्गपुलिस प्रशासन मुर्दाबाद।।।ङ्घ । उसे दो डंडे पड़ गये। मैनें मन ही मन सोचा यार।।। ये कैसे इंसान हैं तारीफ करो तो भी डंडा खाओ नहीं करो तो एक डंडा ज्यादा खाओ। लेकिन हमारा पूरा ध्यान भागने पर था जैसे-तैसे हम अपने एक करीबी के घर के  बाहर पहुँचे और हमें दो तरफ से पुलिस वालों ने घेर लिया था। और वे अपने डंडे घुमा रहे थे। डंडों से बचने के लिए चीनी और जापानी जितनी भी मूवी देखी थी उनमे दिखाये सारे पैंतरे अपनाये । और अपने उस करीबी के घर के अंदर जाने की कोशिशें करने लगे। लेकिन हमारी किसी भी तरकीब ने कोई काम नहीं किया और फिर मुझे दो डंडे पड़ ही गये। और मैं करीबी के घर में दाखिल हो गया और मेरा दोस्त तो माशा अल्लाह था उसने वहां भी मुझसे एक डंडा ज्यादा खा लिया जैसे ही मैं पलटा एक पुलिस वाले ने एक डंडा और घुमाया और मैने अपने दोस्त से कहा भाई और कितना पिटेगा अंदर आ जा तब तक उसे एक डंडा और पड़ चुका था। मैने अपने दोस्त का हाथ पकड़ा और उसे अंदर खींच लिया और उसने अंदर आते ही कहा - भाई बाल-बाल बचे। मैं ये सोच रहा था कि इतने डंडे खाने के बाद भी ये ऐसा क्यों कह रहा है कि बाल-बाल बचे। खैर जो भी हो सच तो यह है कि हमे खुशी इस बात की थी कि अब हमे और डंडे नहीं पड़ने वाले। मैं ये नहीं जानता था कि वो एक कप चाय मुझे और मेरे दोस्त को इतनी मार पड़वाने वाली है। मैं शुक्रगुज़ार हूं उन पुलिस वालों का क्योंकि जो काम मैं कभी नहीं कर पाया (अपने दोस्त की पिटाई ) वो काम पुलिस वालों ने फ्री में कर दिया।
जब आपको मार पड़ती है तो आपको बहुत बुरा लगता है और जिल्लत महसूस होती है। लेकिन वही मार जब अपने दोस्त को पड़ती है तो ये तसल्ली हो जाती है कि ये अब मुझ पर हँसेगा नहीं।  मुझे इस बात का दुख कम था कि मुझे डंडे पड़े बल्की इसकी खुशी ज्यादा थी कि मेरे दोस्त को मुझसे भी ज्यादा पीटाई पड़ी। इस समय मेरे दर्द के लिए मेरी तसल्ली का यही एक सहारा था। मैं ये वाक्या कभी नहीं भूल पाऊंगा। साथ ही यह?भी कहना चाहुँगा कि भाई किसी को मारना है तो हिसाब से मारो अगर मेरे दोस्त को कुछ हो जाता तो मैं कभी खुद को मांफ नहीं कर पाता। अंत  में मैं यही लिखना चाहूँँगा - ङ्गपुलिस प्रशासन जिन्दाबाद।।ङ्घ भाई इसे पढ़ने के बाद अब मत मारना वैसे ही तीन दिन से शरीर बहुत दुख रहा है।
जय हिंद

शासन व प्रशासन के कृत्य गैर संवैधानिक: हेडाऊ


शासन व प्रशासन के कृत्य गैर संवैधानिक: हेडाऊ

(अखिलेश)

सिवनी (साई)। छपारा की घटित निंदनीय घटना को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ पार्टी के अनुशांगिक संगठनों द्वारा 06 फरवरी को प्रशासन को सूचना दिये बगैर बंद कराने का गैर संवैधानिक कदम उठाया गया। इसी माध्यम से बंद के दौरान नगर के साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का प्रयास किया गया तथा सार्वजनिक शांति को भंग कर भययुक्त वातावरण नगरवासियों के बीच कायम किया गया।
उक्ताशय की बात भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव हजारी लाल हेडाऊ के द्वारा आज जारी एक विज्ञप्ति में कही जाकर उल्लेख किया गया है कि जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 द.प्र.सं. का उपयोग मात्र किया गया। इसे लगाने के बाद भी पुलिस एवं जिला प्रशासन द्वारा न तो स्थिति को भांपा गया और न ही इस दंड प्रक्रिया संहिता का प्रशासनिक तौर पर पूर्णतः पालन ही नहीं कराया गया। इसके विपरीत उपद्रवी, साम्प्रदायिक स्थिति पैदा करने वाले एवं शांति व्यवस्था भंग करने वालों के विरूद्ध प्रशासन ने त्वरित ठोस कार्यवाही भी नहीं की जिससे उनके हौंसले बुलंद होते गये और नगर में तरह-तरह की अफवाहों का दौर जारी रहा जिसने आग में घी डालने का काम किया।
श्री हेडाऊ ने कहा कि जब छपारा पुलिस ने अपराधियों को हिरासत में लेकर उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया था फिर इस तरह की कार्यवाही करने का औचित्य क्या था?
विज्ञप्ति में कहा गया कि इस वर्ष प्रदेश विधान सभा चुनाव होना है और राज्य में सत्तारूढ दल के अनुसांगिक संगठन इन चुनावों के मद्देनजर वोट बैंक के खाते साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने हेतु किये गये कृत्य निंदनीय हैं। प्रशासन द्वारा भी उनके विरूद्ध त्वरित कोई कार्यवाही नहीं किया जाना यह चरितार्थ करता है कि सैया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का।
कम्युनिष्ट पार्टी के जिला सचिव हजारी लाल हेडाऊ ने यह भी कहा है कि सिवनी की निजी जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है और नगर में कर्फ्यू घोषित कर बेकसूर नगरवासियों को उनके ही घरों में जेल जैसी स्थिति में रहने को बाध्य किया गया है। वैसे भी आम आदमी मंहगाई की मार झेल रहा है, उनके सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है, बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल रहा है, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है पर इन साम्प्रदायिक दंगाईयों को इनसे क्या लेना-देना। वास्तविक समस्याओं से आम जनों का ध्यान हटाने के लिए असंवैधानिक साम्प्रदायिकता का रंग देना ही दंगाईयों का मकसद होता है।
काम। हेडाउ ने जिला प्रशासन पर उंगली उठाते हुए कहा है कि समय रहते यदि प्रशासन इन दंगा फसादियों एवं साम्प्रदायिक रंग देने वाले लोगों के विरूद्ध ठोस व कठोर कार्यवाही करने में सक्षम होता तो कर्फ्यू जैसे हथियार को घोषित करने की उसे कतई आवश्यकता नहीं होती।
श्री हेडाऊ ने कहा कि कर्फ्यू से आज तक किसका भला हुआ है? आम आदमी भय के वातावरण में अपने ही घर में कैद था। जिला प्रशासन द्वारा राजनैतिक दलों के साथ बैठकर स्थिति एवं कार्यवाही करने का विचार विमर्श करना भी उचित नहीं समझा गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उक्त घटित घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए जिला प्रशासन से अपेक्षा करती है कि साम्प्रदायिक तत्वों से सख्ती एवं निष्पक्षता से निपटा जाये और कम्यु। पार्टी सभी जिलेवासियों से शांति बनाने की अपील भी करती है।

पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है भारत: पीएम


पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है भारत: पीएम

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है, लेकिन नियंत्रण रेखा पर दो सैनिकों की क्रूर हत्या जैसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी खतरे से कारगर ढंग से निपटने में सक्षम है। कल नई दिल्ली में राज्यपालों के ४४वें सम्मेलन में डॉ. मनमोहन सिंह ने कई मुद्दों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, पूर्वाेत्तर क्षेत्र और नक्सल प्रभावित इलाकों में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में पिछले वर्ष सुधार हुआ है, लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने सुरक्षा एजेंसियों के बीच और अधिक ताल-मेल का सुझाव दिया है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए।
डॉ सिंह ने बताया कि सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में विकास और प्रशासन की कमियों को दूर करने के प्रयास किये हैं और ८२ पिछड़े जिलों में एकीकृत कार्ययोजना शुरू की है। इन प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम आने लगे हैें। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयासों से उग्रवाद का खतरा अन्य इलाकों में नहीं फैल रहा है और पिछले वर्ष नक्सलवादी घटनाओं में कमी आई है।
पिछले वर्ष १६ दिसंबर को हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन से महिलाओं की स्थिति में कारगर परिवर्तन आ सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की आवश्यकता को समझती है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में संसद में लोकपाल विधेयक पारित हो जाएगा।

जेतली में किसको है दिलचस्पी


जेतली में किसको है दिलचस्पी

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। सत्ता के गलियारों में इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि आखिर वह कौन है जिसे राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरूण जेतली में दिलचस्पी है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और नामी वकील अरुण जेतली के मोबाइल फोन का कॉल रिकॉर्ड किसने मांगा था, यह जानने के लिए कई लोगों के फोन रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। साइबर एक्सपर्ट्स भी जांच में जुटे हुए हैं। मामला संवेदनशील है, इसलिए सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर छानबीन की जा रही है।
पुलिस विभाग को शक है कि इस कांड में विभाग के ही किसी व्यक्ति का हाथ हो सकता है। किसी शख्स ने चाणक्यपुरी और नई दिल्ली जिले में ऑपरेशंस के एसीपी भूप सिंह की ईमेल आईडी से एयरटेल कंपनी को जेतली की कॉल डीटेल देने के लिए लिखा था। एयरटेल कंपनी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चूंकि जेतली एक वीवीआईपी और राज्य सभा में विपक्ष के नेता हैं, कंपनी ने पुलिस विभाग से क्रॉस चेक करना सही समझा। तब कहीं जाकर यह राज खुला। भूप सिंह या किसी अफसर ने इस तरह की डीटेल देने के लिए नहीं लिखा था। यह साफ हो जाने पर मामले की जांच स्पेशल सेल को सौंप दी गई।
जेतली अब वकालत की प्रैक्टिस नहीं करते हैं। लेकिन फोन कॉल डीटेल जानने की कोशिश के पीछे कारण कुछ भी हो सकता है। देश, उनकी पार्टी और पार्टी से बाहर के मामलों की जानकारी भी जेतली को होती है। इसलिए कारण कुछ भी हो सकता है। जांच की जा रही है कि एयरटेल को लिखने के लिए एसीपी भूप सिंह का ईमेल हैक किया गया या किसी जरिए से पासवर्ड जानकर उसे यूज किया गया, या सिर्फ नाम ही यूज किया? सूत्रों के मुताबिक पुलिस के लोग भी शक के घेरे में हैं। कुछ अन्य सर्कल के लोगों पर भी शक है। लेकिन फिलहाल पुलिस विभाग जांच की रिपोर्ट आने तक कुछ भी न कहने के पक्ष में हैं।

भोजशाला के लिए मुस्तैद है प्रशासन


भोजशाला के लिए मुस्तैद है प्रशासन

(सुजीत कुमार)

धार (साई)। मध्य प्रदेश के भोजशाला में शुक्रवार के दिन किसी तरह के विवाद से बचने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए अलग-अलग वक्त तय कर दिया है। गौरतलब है कि 15 फरवरी को वसंत पंचमी है और उसी दिन जुमा भी है। भोजशाला कैंपस में सरस्वती मंदिर और कमाल मौला मस्जिद भी है। इसे लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है।
एएसआई के महानिदेशक प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन एक बजे से तीन बजे के बीच नमाज अदा कर सकेंगे। आदेश के मुताबिक, हिंदू 14 फरवरी यानी गुरुवार को दिन भर अपने पारंपरिक तरीके से सरस्वती की पूजा कर सकेंगे और 15 फरवरी को 12 बजे से साढे़ तीन बजे तक भोजशाला में नहीं जा सकेंगे। यह विशेष परिस्थितियों में जारी किया गया आदेश है जो सिर्फ 14 और 15 फरवरी को लागू होगा।
 उधर, भोजशाला मामले में सरकार अचानक सख्त हो गई है। भोजशाला मुक्ति यज्ञ समिति के संयोजक और संघ के पूर्व प्रचारक नवलकिशोर शर्मा को पुलिस ने सोमवार सुबह गिरफ्त में ले लिया। पुलिस का दावा है कि उन्होंने शर्मा को इंदौर के लसूड़िया क्षेत्र से हिरासत में लिया गया। उनके पास से एक पिस्टल और एक जिंदा कारतूस बरामद हुआ।
इधर, धार के एडिशनल एसपी बिट्टू  सहगल ने बताया सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश के आरोप में शर्मा को हिरासत में लिया है। तबीयत खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। पुलिस ने 13 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। शर्मा को इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया जबकि शेष सभी आरोपियों को धार जेल भेजा गया। वहीं, हिंदू संगठनों को गले नहीं उतर रही कहानी- नवल किशोर शर्मा को इंदौर पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की कहानी धार के हिंदूवादी संगठनों के गले नहीं उतर रही है।
धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में हिंदूवादी संगठन से जुड़े  योगेंद्र शर्मा, दिनेश देवड़ा, मुरली राजपूत, मोतीलाल रत्नाकर, राजेश नायक, सुनील, हर्ष शर्मा निवासी प्रकाश नगर इंदौर, मदन राजपूत, प्रहलाद पंवार, संजय विश्वकर्मा, संजय देवड़ा को जेल भेजा गया है। धार में हर्ष शर्मा ने हंगामा भी किया। 

कलेक्‍टर नरहरि और त्रिपाठी को मिला सम्‍मान


कलेक्‍टर नरहरि और त्रिपाठी को मिला सम्‍मान

(राजीव सक्सेना)

ग्वालियर (साई)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल दिल्ली में एक गरिमामय समारोह में इंदौर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी और ग्वालियर कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि को देश के प्रतिष्ठित ‘‘सोशल इम्पेक्ट अवार्ड’’ से सम्मानित किया। यह अवार्ड टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप द्वारा वर्ष 2012 के लिये दिया गया है। आकाश त्रिपाठी को उनके द्वारा कलेक्टर ग्वालियर के रूप में वर्ष 2009 में ग्वालियर जिले में शुरू की गयी जनमित्र समाधान केन्द्रयोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के फलस्वरूप प्राप्त हुआ है।
उल्लेखनीय है कि आकाश त्रिपाठी ने कलेक्टर ग्वालियर के पद पर रहते हुए 25 सितम्बर 2009 से ‘‘ जनमित्र समाधान केन्द्र’’ नामक अभिनव योजना शुरू की थी। योजना का वर्तमान में ग्वालियर जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि के द्वारा प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है।
योजना में ग्वालियर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 48 तथा शहर में 18 केन्द्र स्थापित किये गये हैं। इन केन्द्र के माध्यम से 13 विभाग की 80 सेवा नागरिकों को समय-सीमा में दी जा रही हैं। इन केन्द्रों के माध्यम से विभिन्न विभाग के मैदानी अमले की नियमित उपस्थिति भी सुनिश्चित की जा रही है। ग्वालियर जिले में अभी तक योजना में 7 लाख से अधिक नागरिक चयनित सेवाओं का लाभ ले चुके हैं। इसमें प्राप्त होने वाले आवेदनों के निराकरण का औसत प्रतिशत 95 से अधिक है।
जनमित्र समाधान केन्द्र योजना को अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। इनमें 2010 में स्कॉच, सी।एस।आई। निहिलैण्ट अवार्ड तथा वर्ष 2011 में नेशनल ई-गवर्नेंस पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। योजना को मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2012 के लिये टाइम्स ऑफ इंडिया के सोशल इम्पेक्ट अवार्ड के लिये इस योजना को चुना गया।

गौर मिले नाथ से पांच सौ करोड़ की सौगात ली


गौर मिले नाथ से पांच सौ करोड़ की सौगात ली

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश को केन्द्र सरकार द्वारा जे.एन.यू.आर.आर.एम. के प्रथम चरण में पांच सौ करोड़ की राशि जारी की जायेगी। राज्य सरकार इसके लिए 25 परियोजनाओं की डी.पी.आर. केन्द्र सरकार को शीघ्र ही भेजेगा। यह जानकारी आज यहां मध्यप्रदेश के नगरीय कल्याण मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री कमलनाथ से उनके निवास स्थान पर मुलाकात करने के बाद दी। श्री गौर ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार जे.एन.यू.आर.आर.एम. के तहत आने वाली परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट केन्द्र सरकार को एक सप्ताह के अंदर भेज देगी जिससे कि यह राशि इसी वित्तीय वर्ष में जारी हो सके और राज्य सरकार को विभिन्न परियोजनाओं का शीघ्र लाभ मिल सके। श्री गौर ने बताया कि केन्द्र द्वारा जारी राशि में राज्य सरकार के नगरीय कल्याण विभाग की लंबित परियोजनाओं को भी शामिल किया गया है।
श्री गौर ने बताया कि जे.एन.यू.आर.आर.एम. के तहत लगभग 60 प्रस्तावों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट केन्द्र के पास भेजी जानी है। इसमें से 25 प्रस्तावों को शीघ्र ही भेजा जायेगा। इन प्रस्तावों में मुख्यतः 121 करोड़ की भोपाल की बी.आर.टी.एस. परियोजना, बड़े तालाब के विकास (लेक फ्रंट डेवलपमेंट) योजना, कोलार पेयजल योजना, रीवा की जल-मल परियोजना, राष्ट्रीय अभिशासन एवं प्रशिक्षण संस्थान भोपाल और सिंहस्थ 2016 के लिए अनुदान आदि शामिल हैं।
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री कमलनाथ ने श्री गौर को प्रदेश के विकास में केन्द्र सरकार के सहयोग का आश्वासन दिया। इस अवसर पर राज्य सरकार के नगरीय कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री एस.पी.एस. परिहार और केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

चालाक कंपनियों की चाल है वेलेंटाइन डे


चालाक कंपनियों की चाल है वेलेंटाइन डे 

(बी.पी.गौतम)

नई दिल्ली (साई)। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-उत्तर कोरिया, चीन आदि देशों की नजर में भारत एक सर्वश्रेष्ठ बाजार है और उनकी नजर में यहां रहने वाले लोग सिर्फ एक ग्राहक। विदेशी कंपनियां भारतीयों को सबसे भोला ग्राहक समझती हैं, क्योंकि थोड़ी सी भूमिका बनाने के बाद ही भारतीय आसानी से चंगुल में फंस जाते हैं। भारत में लगातार बढ़ रही वेलेंटाइन डे की लोकप्रियता के पीछे भी विदेशी कंपनियों का ही एक षड्यंत्र है, जिसमें भारतीय युवा पूरी तरह फंस गये हैं। विदेशी कंपनियों के झांसे में आ चुके भारतीय युवा प्यार का अर्थ भी पूरी तरह भूलते जा रहे हैं। धरती पर भारत ही एक ऐसा देश है, जहां आपस में ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों तक से प्यार करने की शिक्षा दी जाती है। भारतीय संस्कृति में दिन की शुरुआत प्यार से ही होती है। यही एक ऐसा देश है, जहां रहने वाले लोगों के तन, मन और कर्म में हर क्षण प्यार ही रहता है। यह भारत की भूमि, वातावरण, संस्कृति, परंपरा और धर्म की देन है। भारत परंपराओं को मानने वाला देश है। विभिन्न वर्गों, भाषाओं, धर्मों और विशाल भू-भाग में रहने के बाद भी सभी परंपरा व धर्म के नाम पर अपने त्योहार मिलजुल कर और पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ मनाते हैं, जिसका मतलब प्रेम को बढ़ावा देना ही होता है, फिर भारतीय वेलेंटाइन डे क्यों मनायें? यह बात युवाओं को कोई नहीं समझा पा रहा है, इसके अलावा प्यार जोडऩा सिखाता है, प्यार समर्पण के भाव जागृत करता है, प्यार त्याग करने के लिए प्रेरित करता है, प्यार ईमानदारी और सच्चाई की राह पर चलना सिखाता है, पर वेलेंटाइन डे के नाम पर युवा जिस प्यार को लेकर दीवाने नजर आते हैं, वह प्यार नहीं, बल्कि शारीरिक आसक्ति है, हवस है। प्यार का मतलब हवस कभी नहीं हो सकता। सेक्स संबंध स्थापित करने की प्रेरणा देने वाला वेलेंटाइन डे प्यार का संदेश कभी नहीं दे सकता। न ही प्यार का मतलब कभी समझा सकता है। वेलेंटाइन डे के मौके पर एक-दूसरे को प्यार जताने वाले युवाओं में भी कभी आत्मीयता का संचार नहीं हो सकता। वेलेंटाइन डे हवस की पूर्ति के लिए सिर्फ एक समझौता करा सकता है, जिसका मतलब जीवन भर पछताना ही होता है। वेलेंटाइन डे को लेकर युवाओं में बढ़ती जा रही दीवानगी का भी महत्वपूर्ण कारण यही है कि धर्म की सही परिभाषा बताने वाले लोग अब कम ही रह गये हैं, इसलिए धर्म की सही जानकारी के अभाव में युवा धर्म को सिर्फ पाखंड करार देने लगे हैं, तभी पाश्चात्य संस्कृति युवाओं को रास आ रही है। उन्हें यह कोई समझा ही नहीं पा रहा है कि वह जिसके पीछे भाग रहे हैं, उसका अंत दुरूख और हताशा है। हालांकि वेलेंटाइन डे का देश भर में विरोध भी होता है, पर विरोध करने वालों के तरीके ने युवाओं को वेलेंटाइन डे को लेकर और प्रेरित करने का काम किया है। धर्म और राजनीति को साथ में जोड़ कर कुछ लोग वेलेंटाइन डे का विरोध तो करते हैं, पर सही बात नहीं बता पाते, जिससे पक्ष में दोगुने लोग खड़े हो जाते हैं। युवाओं को वेलेंटाइन डे न मनाने को लेकर जो सच्चाई बतानी चाहिए, वह कोई नहीं बता पा रहा है। महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे भारतीय युवाओं को यह बताना ही होगा कि यह सब विदेशी कंपनियों की चाल है, जिसमें वह फंसते जा रहे हैं। युवाओं को समझना ही होगा कि विदेशी कंपनियां उन्हें प्यार में फंसा कर अपनी जेबें भर रही हैं। यह मान लिया जाये कि वेलेंटाइन डे मनाना धर्म की नजर में पाप नहीं है। न ही परंपरा की नजर में अपराध है, लेकिन विदेशी कंपनियों के प्रचार की धूम में वह वेलेंटाइन डे के नाम पर जो खर्च कर रहे हैं, उससे देश व देशवासियों का अहित हो रहा है, उनका खुद का भी अहित हो रहा है, इसलिए युवाओं को यह समझना ही होगा कि भारतीयों की खून, पसीने की गाड़ी कमाई विदेशों में जा रही है। देश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाये रखने के लिए विदेशी कपंनियों के वेलेंटाइन डे जैसे षड्यंत्रों से उन्हें दूर रहना ही होगा। विदेशी कंपनियों का जादू इस कदर सवार हो चुका है कि पढ़ा-लिखा हाई-प्रोफाइल तबका या शहरी युवा ही नहीं, बल्कि अनपढ़ व दूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवा भी वेलेंटाइन डे के चंगुल में फंस चुके हैं। विदेशी कंपनियों ने वेलेंटाइन डे से पहले बड़े शहरों के साथ छोटे-छोटे कस्बों व गांवों तक अपने ब्रांड पहुंचा दिये हैं। विदेशी कंपनियों द्वारा तैयार किये गये उपहारों पर अगर एक नजर डालें तो हार्ट्स टेडीवियर सौ रुपये से लेकर तीन हजार तक, ओम शांति ओम डेढ़ सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक, पियर स्टेचू डेढ़ सौ रुपये से लेकर आठ सौ रुपये तक और मिरर ताज डेढ़ सौ रुपये से लेकर आठ सौ रुपये तक छोटे-छोटे शहरों व कस्बों में भी जमकर बिक रहे हैं, जबकि बड़े शहरों में पांच हजार से लेकर लाखों तक के उपहार तैयार हैं। कंपनियां बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही हैं कि अगर आपने अपने साथी को उपहार नहीं दिया तो वेलेंटाइन डे भी नहीं मनाया। कंपनियां कह रही हैं कि अगर आपके साथी ने उपहार नहीं दिया तो इसका मतलब है कि वह आपको प्यार ही नहीं करता है। क्या यही है वेलेंटाइन का अर्थ? विदेशी यह अच्छी तरह जान गये हैं कि भारतीयों से धर्म, परंपरा, आस्था और प्यार के नाम पर कुछ भी कराया जा सकता है। युवाओं को यह बात अच्छी तरह समझनी ही होगी कि वह प्यार के नाम पर ठगे जा रहे हैं। विदेशी कंपनियों की नजर में वह सिर्फ एक बेबकूफ ग्राहक ही हैं। हां, यह सब करना अगर बेहद जरुरी है तो युवा विदेशी कंपनियों के तरीके से वेलेंटाइन डे मनाने की बजाये भारतीय संस्कृति में जैसे प्यार का इजहार किया जाता है या प्यार किया जाता है, वैसे भी कर सकते हैं। तोहफे देने अगर बेहद जरुरी हैं तो खरीदते समय यह ध्यान रखें कि वह जिस वस्तु को खरीद रहे हैं, वह विदेशी तो नहीं है। तोहफे में सिर्फ और सिर्फ भारतीयकंपनियों की बनाई वस्तु ही दें। इससे कई लाभ होंगे। एक तो यही कि विदेशी कंपनियों की चाल बेकार हो जायेगी। देशवासियों की गाड़ी कमाई विदेशी हाथों में जाने से रुक जायेगी। दूसरे अश्लीलता को भी बढ़ावा नहीं मिलेगा और तीसरा सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि साथी के साथ आत्मीय संबंध बनेंगे, जो जीवन में प्यार का संचार करेंगे और सही दिशा दिखा कर सुखद जीवन की ओर ले जायेंगे।

कैथल : सन सीटी द्वारा करोड़ों रुपए का फायदा


सन सीटी द्वारा करोड़ों रुपए का फायदा

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। गरीब जनता को प्लाट देने का लालच देकर सन सीटी द्वारा जहां करोड़ों रुपए का फायदा हो रहा है। वहीं गरीब जनता को करोड़ों रुपए का नुकसान भी हो रहा है। यदि बैंक में पड़े इस पैसे का बैंक ब्याज भी न दे परन्तु गरीब जनता को तो नुकसान हो रही रहा है। इतना ही नहीं जिन गरीब परिवार से संबंधित लोगों के प्लाट निकल गए। उनको छोड़कर बाकी के जिनके पैसे वापिस होने है। उनकी सिक्योरिटी के रूप में जमा राशि लगभग ब्याज के रूप में खत्म हो गई है। जबकि जिला प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। गत जुलाई 2012 में  इस बात का खुलासा आरटीआई के तहत जिला नगर योजनाकार कैथल से मिली सूचना के अनुसार हुआ था कि सन सिटी द्वारा कैथल शहर में ई।डब्ल्यू एस। के तहत 82 प्लाट दिए जाने है। प्रत्येक प्लाट की कीमत 30 हजार रुपए रखी गई है। जिसके लिए वर्ष 2011 में फरवरी माह में बीपीएल परिवारों से रियायती दामों 10 प्रतिशत के हिसाब से आवेदन के साथ देने को कहा गया था। इस पर गरीब जनता ने किसी न किसी तरह ब्याज पर लेकर पैसे का इंतजाम किया और कम्पनी में 3 हजार रुपए सिक्योरिटी के साथ आवेदन किया। मिली सूचना के अनुसार कम्पनी को 3801 आवेदन आए है। जिससे कम्पनी के पास 1 करोड़ 14 लाख 3 हजार रुपए इक-े हो गए। जिसमें से सिर्फ 82 लोगों के प्लाट निकलने है। उस समय जिला नगर योजना जन सूचना अधिकारी ने बताया था कि ड्रा की तारीख जल्दी ही निश्चित की जाएगी। परन्तु इसके बाद भी लगभग 7 माह का समय बीत गया परन्तु अभी तक इसकी कोई भी तारीख निश्चित नहीं की गई। यदि अब भी इस ओर ध्यान दिया जाए तो एक दो महीना तो तारीख निश्वित करने में लग जाएगा और जिन लोगों के ड्रा नहीं निकलते उनकी धनराशि वापिस करने में भी कई माह लग जाएंगे क्योंकि 3801 में से मात्र 82 लोगों के प्लाट निकलने है और 3719 की धनराशि वापिस करनी है। इस वापिस धनराशि पर कम्पनी द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। इन 3719 व्यक्तियों में प्रति व्यक्ति यदि 2 प्रतिशत छमाही की ब्याज दर पर पैसा लिया गया होगा तो इससे उनको यह धनराशि जब तक वापिस मिलेगी उस समय तक लगभग ढ़ाई साल बीत चुके होंगे। ऐसे में उनको ब्याज के रूप में 3 हजार के पीछे 2288 रुपए यानि अभी व्यक्तियों को 85 लाख के लगभग ब्याज के रूप में देने देंगे।  जिससे जिन लोगों ने ब्याज पर लेकर आवेदन किया हुआ है। उनको काफी नुकसान ब्याज के रूप में हो जाएगा। जबकि कम्पनी को गरीब जनता की इस खून पसीने की कमाई से फायदा ही फायदा। यह सूचना उस समय मांगी गई थी जब क्षेत्र के रमेश, विनय, रामकुमार, रामफल आदि कई गरीब लोगों ने अपने दुखड़े सुनाए थे और उन्होंने बताया था कि कम्पनी ने उनसे 3-3 हजार रुपए तो ले लिए और लक्की ड्रा निकालने का आश्वासन छह महीने का दिया था। परन्तु अब दो वर्ष तक ऐसी कोई तारीख निश्चित नहीं की गई थी जिसके तहत यह ड्रा निकाला जाएगा और उनको डर था कि कहीं उनके द्वारा दी गई यह धन राशि खत्म न हो जाएं। उस समय 19 जून 2012 को जब सूचना मांगी गई थी तो नगर योजना अधिकारी ने सूचना क्रमांक 1388 20 जुलाई 2012 को यह बताया था कि आवेदन अधिक होने के कारण छंटाई में समय अधिक लग गया। अब इनकी छटाई ई डब्लयू एस के माध्यम से करके चंडीगढ़ मुख्यालय को भेज दी गई है। अब इस मुख्यालय को गए भी 7 माह का समय बीत चुका है। परन्तु इस सूचना को शायद मुख्यालय ने अब रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया होगा। जिससे लोगों को अपनी ब्याज सहित भरी हुई सारी राशि जो लगभग 2 करोड़ बैठती है, समाप्त होती नजर आ रही है।
योजना आयोग की तरफ से हो रही है देर: सहायक मैनेजर
इस बारे में सन सीटी के सहायक मैनेजर ईश्वर सिंह ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ड्रा निकालने की तारीख योजना आयोग न करनी है न कि सन सीटी ने। यह ड्रा भी जिला उपायुक्त के माध्यम से निकाला जाएगा। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते।