शुक्रवार, 3 मई 2013

डायवर्शन हुआ नहीं और प्लाट बिक रहे कैलाश वाटिका में!


डायवर्शन हुआ नहीं और प्लाट बिक रहे कैलाश वाटिका में!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। शहर के उपनगरीय क्षेत्र डूंडा सिवनी में प्राईम लोकेशन पर बस स्टेंड से महज पांच मिनिट की दूरी पर कवर्ड केंपस में सर्वसुविधायुक्त पालट बेचने का दावा करने वाले साई बिल्डर्स एण्ड डवलपर्स द्वारा उपभोक्ताओं को सब्ज बाग दिखाकर ठगा जा रहा है। प्लाट की बुकिंग जारी है पर अहर्ताएं पूरी ना हो पाने के कारण इन प्लाट्स की रजिस्ट्री दो तीन माह बाद करवाने का आश्वासन दिया जा रहा है। भोपाल में इसके रजिस्टर्ड आफिस से महेंद्र ने बताया कि अभी जमीन का डायवर्शन नहीं हुआ है जब डायवर्शन होगा तब प्लाट की रजिस्ट्री की जाएगी।
हिन्द गजट के ब्यूरो ने जब एक ग्राहक बनकर 9407014702 पर संपर्क साधा गया तो वहां किसी कटरे द्वारा फोन उठाया गया। उन्होंने बताया कि उनका साईट आफिस बरघाट रोड़ पर एफसीआई के गोदाम के साथ ही लगा हुआ है। उनके अनुसार एक एकड़ के भूखण्ड में 44000 स्कैवयर फिट होते हैं और इसमें उन्होंने 22 प्लाट काटे हैं जिनमें से 14 प्लाट्स की बुकिंग और अग्रिम उन्हें प्राप्त हो गया है। अब वहां आठ प्लाट शेष बचे हैं।
श्री कटरे ने आगे कहा कि उनके द्वारा अभी साईट को डवलप करवाना आरंभ नहीं किया गया है, शीघ्र ही साईट डव्हलप की जाएगी। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या साईट देखी जा सकती है तो उन्होंने कहा कि अभी तो साईट खेत के रूप में है देखा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि राजधानी भोपाल की गुलमोहर कालोनी के प्लाट नंबर 6 में कैलाश बिल्डर्स का रजिस्टर्ड आफिस है, और उनका भान्जा इसका सर्वे सर्वा है। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या साईट पर 20 फिट की आरसीसी रोड़ का निर्माण हो चुका है? इस पर उन्होंने कहा कि अभी यह नहीं किया गया है।
जब उनसे यह पूछा गया कि कलश वाटिका में कैलाश बिल्डर्स और डेवलपर्स ने दावा किया है कि वहां परफेक्ट सीवेज ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाएगा, तो क्या यह पूरा हो गया है। उन्होंने इसके जवाब में सीधे सीधे कहा कि अभी कोई भी काम नहीं हुआ है। इसी तरह बिजली की व्यवस्था भरपूर पानी और गार्डन तथा मिनी शापिंग माल के सवाल के जवाब में भी कोई संतोषजन उत्तर नहीं दे पाए।
हमारे प्रतिनिधि ने जब आगे गहराई तक पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि पहले तो कच्ची रजिस्ट्र हो जाया करती थी किन्तु अब हाई कोर्ट के सख्त आदेश के बाद दस हजार फिट से ज्यादा की रजस्ट्री सारी अनुमतियों के उपरांत ही की जा सकती हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि पूर्व में बुक कराए गए प्लाट्स पर कितना पैसा खरीददार को ज्यादा लगेगा? इस पर उन्होंने कहा कि लगभग 15 प्रतिशत तो सीधे सीधे सरकार को जाएगा और फिर रजिस्टार आफिस में लगने वाला खर्च पांच प्रतिशत अलग से वसूला जाएगा खरीददार से।
जब उनसे पूछा गया कि रजिस्टार कार्यालय का खर्च से क्या तातपर्य है, तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि रजिस्टार आफिस नहीं गए हैं क्या कभी? अरे भई रजिस्टार आफिस में बिना चढ़ोत्री के कोई रजिस्ट्री पास नहीं होती है और यह खर्च कुल राशि का पांच प्रतिशत तक बैठता है।
ज्ञातव्य है कि रजिस्टार का कार्यालय जिला कलेक्टर की नाक के नीचे कलेक्टरेट प्रांगण में ही है जहां दलालों के जाल और बाहरी व्यक्तियों द्वारा सरकारी काम किए जाने की शिकायतें जब तब मिला करती हैं। बाहरी व्यक्तियों द्वारा रजिस्ट्री को चेक करना, सील लगाने आदि का काम किया जाता है। कहा जाता है कि लेन देन का काम भी इन्हीं बाहरी व्यक्तियों के द्वारा किया जाता है ताकि कभी छापा पड़ने की स्थित में इस कार्यालय के लोग अपनी खाल बचा सकें।
बहरहाल, गहरी पूछताछ पर संभवतः कटरे को कुछ शक हुआ होगा, इसके कुछ देर बाद हिन्द गजट के कार्यालय में कैलाश बिल्डर्स और डव्हलपर्स के एक विज्ञापन में उल्लेखित 9039782344 से किसी महेंद्र का फोन आया और धमकाने वाले अंदाज में उन्होंने कहा कि वे दैनिक भास्कर भोपाल से बोल रहे हैं कैलाश बिल्डर का क्या मसला है?
जब उनसे कटरे के साथ हुए संवाद के बारे में बताया गया और पैसा देने पर तत्काल रजिस्ट्री क्यों नहीं की जा रही है की बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी जमीन का डायवर्शन ही नहीं हुआ है तो भला रजिस्ट्री कैसे की जा सकती है? जमीन का डायवर्शन करने के उपरांत ही रजिस्ट्री की जाएगी अभी तो महज बुकिंग ही चालू है।
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेशरिया ने बताया कि अगर किसी प्लाट का डायवर्शन नहीं हुआ है तो उसे कैसे बैचा जा सकता है? अगर उस भूखण्ड को बेचने का प्रपोगंडा भी किया जाता है तो वह भी असंवैधानिक ही माना जाएगा।

शराब के पैसे से विधायक बनने की चाह!


शराब के पैसे से विधायक बनने की चाह!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी में अप्रेल माह में लगातार दो एसी घटनाएं घटीं जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया। एक सिवनी की गुड़िया के साथ और दूसरी एक बछिया के साथ दुष्कर्म की। दोनों ही घटनाएं घंसौर और धनोरा क्षेत्र में घटित हुई हैं। इस तरह की वहशियाना हरकतों के पीछे शराब को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
ज्ञातव्य है कि इंसान से हैवान बनाने वाली शराब ही होती है। शराब वह चीज है जो महज चंद मिनिट में ही आदमी को शैतान बना देती है। शराब पीने के उपरांत व्यक्ति का अपने दिमाग पर काबू नहीं रह पाता है। शराब के दाम कितने भी बढ़ा दिए जों पर अवैध रूप से बिकने वाली शराब आज भी ठेके से सस्ती ही मिल रही है।
लखनादौन, घंसौर और धनोरा क्षेत्र में आबकारी और पुलिस विभाग की मिली भगत से अवैध शराब का कारोबार फल फूल रहा है। शराब आसवानियों से अवैध रूप से निकलने वाली शराब कम कीमत पर मिल जाया करती है क्योंकि इस पर आबकारी और वेट शुल्क का प्रावधान ही नहीं होता है।
बताया जाता है कि क्षेत्र के एक युवा और उर्जावान नेता के इशारों पर लखनादौन, घंसौर और धनोरा क्षेत्र में शराब का व्यवसाय किया जा रहा है। चंद सिक्कों की खनक के बूते सिवनी में मीडिया को अपने कब्जे में करने का दावा करने वाले उक्त नेता द्वारा यूं तो जिले के वरिष्ठ नेताओं, पत्रकारों और गणमान्य लोगों के सबके सामने पैर पड़े जाते हैं पर पीठ फिरते ही उनको अश्लील गालियां देने से गुरेज नहीं करते हैं ये उर्जावान नेता।
पैसों के दम पर दिल्ली सिवनी की दूरी को चंद मिनिटों में तय करने वाले उर्जावान नेता द्वारा कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के दलाल नुमा नेताओं को साधकर अपनी पहुंच कांग्रेस और भाजपा दरबार में बनाने की जुगत लगाई जाती है। कभी कांग्रेस के नेताओं के जरिए राहुल गांधी की दरबार तो कभी भाजपा की सीढ़ी के सहारे तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गड़करी की देहरी चूमने का असफल प्रयास उक्त नेता द्वारा लंबे समय तक किया गया है।
कहा जा रहा है कि उक्त उर्जावान नेता के संरक्षण में ही लखनादौन, घंसौर और धनोरा क्षेत्र में अवैध शराब की बिकावली चरम पर है। अवैध शराब चूंकि सस्ती होती है अतः इसे ज्यादा मात्रा में पीकर लोग अपने होश खो बैठते हैं, और घंसौर में सिवनी की गुडिया अथवा धनोरा में पशु के साथ अमानवीय घटनाओं को अंजाम दे दिया जाता है।
आरोपित है कि सिवनी जिले के शराब ठेकेदारों द्वारा भी ऑफ द रिकार्ड मीडिया को अक्सर विदेशी मदिरा की वो बोतलें दिखाई जाती हैं जो लखनादौन, घंसौर, धनोरा, धूमा, आदेगांव क्षेत्र में बिक रही हैं। इन बोतलों पर साफ लिखा होताा है कि फार सेल इन दमन एण्ड द्वीव ओनली। अर्थात वह शराब दमन और द्वीव में बेचने के लिए ही है।
चूंकि दमन और द्वीव में किसी भी प्रकार का कर पर्यटन विकास की दृष्टि से शराब पर नहीं लगाया गया है अतः वहां शराब सस्ती होती है। इस बिना कर वाली सस्ती शराब को सिवनी लाकर शराब के कथित ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से बेचकर मुनाफा कमाया जा रहा है।
एक शराब ठेकेदार ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दवा खरीदते समय तो उपभोक्ता द्वारा बाकयदा कीमत, मेनीफेक्चरिंग, एक्सपाईरी आदि देखी जाती है पर रात के अंधेरे में शराब खरीदने और उसे वापरने के समय शराब की बोतल पर कहां की बनी कहां बिकेगी, कितनी कीमत आदि देखना वह मुनासिब नहीं समझता है।
चूंकि भारत के सभ्य समाज में शराब को आज भी अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता है अतः शराब के ठेके पर जाकर शराब क्रय कर उपभोक्ता बिना हुज्जत वहां से भागने में ही भलाई समझता है। यही कारण है कि सिवनी में आबकारी विभाग और पुलिस की सांठगांठ से शासन के राजस्व को क्षति पहुंचाकर कथित ठेकेदार द्वारा सिवनी जिले में जहर खुलेआम बेचा जा रहा है।
कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि इस जहर को बेचकर संचित धन का उपयोग जल्द ही मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में उक्त ठेकेदार द्वारा अपनी उम्मीदवारी को किसी राजनैतिक दल से संबद्ध करने नहीं मिलने पर निर्दलीय रूप में ही मैदान में ताल ठोंककर मतदाताओं को रिझाने के लिए किया जाने वाला है। अब देखना यह है कि शराब के पैसों से विधायक बनने का सपना मन में संजोए उक्त कथित ठेकेदार का यह हलाल या हराम का पैसा हिन्दु, मुस्लिम, सिख्ख, ईसाई सहित सारे धर्म के लोग स्वीकार कर पाएंगे या फिर . . .।

चंद लान्स पर प्रतिबंध!


चंद लान्स पर प्रतिबंध!

(शरद खरे)

सिवनी शहर की सीमा के अंदर एक के बाद एक कुकुरमुत्ते के मानिंद लान उभरकर आए थे। इनमें से अनेक लान या तो अस्पताल के पास संचालित हो रहे थे, या फिर आबादी वाले क्षेत्रों में। इनमें होने वाले प्रोग्राम्स के दौरान कानफाडू डीजे से मरीज और आसपास के रहवासियों का बुरा हाल था। लंबे समय तक इन लान्स को बंद कराने के लिए समाजसेवी अधिवक्ता बाबा पाण्डे ने पहल की। लंबे समय बाद जिला प्रशासन चेता और इन लान्स में से कुछ लान्स को नेस्तनाबूत कर दिया गया। शहर के अंदर आज भी कुछ लान धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इन लान्स के पास ना तो पार्किंग है और ना ही अन्य जरूरी अर्हताएं ही ये पूरी कर रहे हैं जो इनके संचालन के लिए आवश्यक हैं।
नगर पालिका परिषद सिवनी द्वारा अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह कर देयवाली कहावत को चरितार्थ करते हुए लान्स संचालकों को पालिका प्रशासन ने नोटिस जारी कर कहा कि वे अर्हताएं पूरी करें। अर्हताएं कहां से किस सक्षम अधिकारी से पूरी करवाई जाएं यह बताना भी नगर पालिका प्रशासन की ही जवाबदेही है। विडम्बना ही कही जाएगी कि पालिका प्रशासन द्वारा इस संबंध में लान संचालकों को अंधेरे में रखा गया कि वे फायर संबंधी अनुज्ञा या अनुमति किससे प्राप्त करें।
जिला प्रशासन द्वारा लान्स संचालकों को अल्टीमेटम देकर लान को नेस्तनाबूत कर दिया। कुछ संचालकों को समय देकर लान तुड़वा दिए गए। बाकी के लान्स मुंह उठाए धड़ल्ले से संचालित होकर इन्हें मुंह चिढ़ा रहे हैं। आज शहर में लान का किराया लगभग तीन गुना तक बढ़ चुका है। लान का किराया कितना हो यह कौन तय करेगा! लान की संख्या कम होने के कारण संचालकों की मनमानी चरम पर है। संचालक लान को किराए पर देने के साथ ही साथ खाने पीने का प्रबंध उन्हीं को देने की बाध्यता रख रहे हैं जिससे आम आदमी बुरी तरह लुट रहा है।
लान की सीमित संख्या के चलते एक बार फिर शहर के अंदर सड़कों पर शादी ब्याह के पंडाल दिखने आम हो गए हैं। इससे आवागमन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। साथ ही साथ नगर पालिका परिषद द्वारा शहर के अंदर बनाई गई सीमेंट की सड़कों पर गड्ढ़े हो रहे हैं। इन गड्ढ़ों को भरने के लिए नगर पालिका एक बार फिर टेंडर निकालेगी और इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाईश से इंकार नहीं किया जा सकता है। सड़कों पर खड़े शादी ब्याह के पंडाल से मोहल्ले के निवासियों के साथ वहां से होकर गुजरने वाले बुरी तरह हलाकान हो जाते हैं। साथ ही साथ बचा गंदा बासा खाना कर्इ्र दिनों तक नालियों में पड़ा रहता है जिससे नालियां दुर्गन्ध से बजबजाती रहती हैं। पंडाल के पास खड़े पानी के टेंकर भी आसपास कीचड़ करते नजर आते हैं।
बीते कुछ सालों से शहर में लान संस्कृति के आने से कम से कम लोगों को सड़क पर जाम लगने की दुविधा से मुक्ति अवश्य मिली थी, पर कुछ लान्स के पास पार्किंग ना होने से वहां सड़क पर जाम लगने की शिकायतें बहुतायत में आ रही हैं। शादी ब्याह के अवसर पर पंडाल या लान में सजावट के लिए कपड़ों का इस्तेमाल बहुतायत में किया जाता है। इन पंडाल में आग लगने का खतरा बना रहता है। देखा जाए तो पंडाल या लान्स में आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी ही कहे जा सकते हैं। नगर पालिका परिषद के पास दो दमकल हैं, जो गर्मी के मौसम में चौबीसों घंटे व्हीव्हीआईपीज के घरों की टंकियों को भरकर अपनी सांसें फुलाती रहती है। यही आलम पानी के टेंकर्स का होता है। कहने को पालिका के पास फायर फायटर्स टेंकर्स हैं पर इन टेंकर्स में लगी मशीन शोभा की सुपारी बनी हुई है। फायर ब्रिगेड के पास पर्याप्त दूरी का लंबा पाईप ना होने से कभी भी समस्या से दो चार होना पड़ सकता है। यह सब कुछ अदूरदर्शिता का ही परिणाम कहा जाएगा। ज्ञातव्य है कि पूर्व में सांसद और विधायक रहते हुए श्रीमति नीता पटेरिया ने नगर पालिका परिषद को टेंकर्स प्रदाय किए थे। वे किस गुणवत्ता के और कितनी कीमत के थे यह बात किसी से छिपी नहीं हैं। श्रीमति पटेरिया भाजपा की विधायक हैं पर कांग्रेस ने इस भ्रष्टाचार पर अपना मुंह सिले रखा।
सिवनी की लान की समस्या पर भी राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर भाजपा को कोसने वाले कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने मौन ही साधे रखा। लगता है कि सियासी दलों के नेताओं और प्रवक्ताओं को जिले से ज्यादा चिंता देश और प्रदेश की है। वे भूल जाते हैं कि प्रदेश और देश में कांग्रेस संगठन ने अपने पदाधिकारी और प्रवक्ताओं को पाबंद किया है जो अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन बखूबी कर रहे हैं। लगता है तू मेरी ढांक मैं तेरी ढांकू की तर्ज पर जानबूझकर या किसी नेता विशेष के इशारे पर सिवनी में कांग्रेस और भाजपा समन्वय बनाकर चल रही है।
देखा जाए तो लान पर प्रतिबंध के मामले में जिला प्रशासन को एक सी नीति को ही अपनाया जाना चाहिए था। क्या कारण है कि बारापत्थर क्षेत्र के आधा दर्जन लान पर प्रशासन का कहर बरपा पर बाकी के लान आज भी बेखौफ ही संचालित हो रहे हैं। लान पर प्रशासनिक कार्यवाही को लंबा समय बीत चुका है, बाकी के लान संचालित हैं इससे लगता है मानो टूटे लान के संचालकों के प्रति प्रशासन का दुराग्रह वाला रवैया था, वरना क्या कारण था कि बाकी के लान्स पर आंच तक नहीं आई। आज आलम यह है कि छोटे मोटे लाज, रेस्तरां भी शादी ब्याह करवाने का दावा करने लगे हैं। इसके लिए बहुत अधिक मात्रा में शुल्क वसूला जा रहा है। सक्षम लोग तो इनका भोगमान भोग सकते हैं पर वे बेचारे गरीब क्या करें जो महज तीस चालीस हजार में ही लान बुक करा लिया करते थे? किसी भी विधायक ने इस मामले को विधानसभा की दहलीज तक ले जाने की जुर्रत नहीं की। जब जिला मुख्यालय की इस तरह की ज्वलंत समस्या में यह स्थिति है तो सुदूर ग्रामीण अंचलों की समस्याओं के बारे में सोचकर ही रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा हो जाती है।