शुक्रवार, 31 मई 2013

गौशाला में गौमाताओं का रूदन. . .

गौशाला में गौमाताओं का रूदन. . .

(लिमटी खरे)

मातृशक्ति संगठन द्वारा गत दिवस किए गए गौशाला के निरीक्षण में जो स्थितियां उभरकर सामने आई हैं वे निश्चित तौर पर मानवीयता को तार तार करने के लिए पर्याप्त कही जा सकती है। गाय जिसे सनातन पंथी अपनी माता से ज्यादा मानते हैं वे जमीन पर पड़ी तड़प रहीं हैं। भले ही अब इस बात का खण्डन, मुण्डन या प्र्रतिकार में जो भी विज्ञप्तियां आएं पर मातृशक्ति संगठन द्वारा गौशाला में गौमाताओं की जिस तरह की फोटो जारी की हैं वे मानवता को शर्मसार किए बिना नहीं हैं।
गौशाला में कत्लखाने जा रही गायों को छुड़ाकर रखा गया है। वैसे भी दूध ना देने वाली गायों को गौशालाओं में भेजने का रिवाज आदि अनादिकाल से चला आ रहा है। पहले ऋषि मुनियों के आश्रम में इन गायों की सेवा की जाती थी। इन गायों के गोबर और गौमूत्र का उपयोग अनेक तरह से किया जाता रहा है। आज भी गायत्री परिवार के द्वारा संचालित गौशालाओं में गौमूत्र को बाकायदा बेचा जाता है पर बेहद ही कम कीमत पर। गौमूत्र का उपयोग स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है इस बात से सभी भली भांति परिचित हैं। एक समय था जब गौमूत्र से ऋषि मुनि स्नान किया करते थे।
गाय की महिमा अपरंपार है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। गौवंश को बचान के लिए देश भर में अनेक राज्यों की सरकारों, संगठनों द्वारा समय समय पर मुहिम चलाई जाती है। हिन्दुवादी विचारधारा के लोगों द्वारा गौवंश को गौकशी से बचाने के लिए ना जाने कितने प्रयास किए जाते हैं।
मध्य प्रदेश में जबसे भाजपा सरकार आई है तबसे गौवंश को बचाने की मुहिम बहुत तेज हो गई है। गौवंश को बचाने में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की महती भूमिका रही है। इसके बाद सीएम बने बाबू लाल गौर ने भी काफी हद तक प्रयास किए अब शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के निजाम हैं।
भाजपा सरकार ने गौवंश का परिवहन ही प्रतिबंधित कर कानून बना दिया है। सिवनी जिला मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर अवस्थित है। इस जिले में पिछले कई सालों से लगभग हर सप्ताह गौवंश का परिवहन पकड़ाया जाता है। सिवनी में पदस्थ रहे पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार ने गौवंश के परिवहन पर सख्त रवैया अपनाया था। उस समय गौवंश का परिवहन काफी हद तक रूक गया था।
बताते हैं कि उस वक्त रमन सिंह सिकरवार ने अनेक पुलिस कर्मियों को सख्त हिदायत दी थी कि गाय की गाड़ी का पैसा अगर खाया तो नर्क में जाओगे। इसके बाद पुलिस ने ईमानदारी के साथ गौवंश का परिवहन रोकना आरंभ कर दिया था। विडम्बना ही कही जाएगी कि रमन सिंह सिकरवार के स्थानांतरित होते ही गौकशी के ठेकेदार एक बार फिर सक्रिय हो गए।
एक बात समझ से परे है कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में गौवंश का  परिवहन आखिर किस कारण से किया जाता है। निश्चित तौर पर यह गौकशी से जुड़ा हुआ ही है। जब पुलिस गौवंश की तस्करी को पकड़ती है तो आखिर वह गौवंश जाता कहां है? आए दिन मीडिया में गौवंश के पकड़े जाने की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। पकड़ा गया गौवंश कहां रखा जाता है यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी हैं
इस साल ही जनवरी से अब तक अगर गौवंश की तस्करी के मामले को देखा जाए तो पुलिस ने हजारों की तादाद में गौवंश को पकड़ा गया है। यह गौवंश कहां रखा गया है? इनके खान पान की क्या व्यवस्था है? इस बारे में पुलिस भी मौन ही है। पुलिस का काम अवैध तौर पर हो रहे गौवंश के परिवहन को पकड़ना अवश्य है। पर वह मीडिया को यह भी बताए कि आखिर वह गौवंश कहां रखा गया है?
देश भर में गौशालाओं का संचालन हो रहा है। इन गौशालाओं में से अधिकांश का संचालन गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी किया जा रहा है। इन एनजीओ को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भारी मात्रा में आर्थिक सहायता भी प्रदाय की जाती है। इस तरह के एनजीओ आम जनता से भी सहयोग लेते हैं।
याद पड़ता है कि राजधानी भोपाल में लगभग एक दशक पूर्व जब गायत्री परिवार के एक सदस्य से चर्चा हुई तो उन्होंने बताया कि एमपी नगर के गायत्री मंदिर की गौशाला में गायों के लिए भोजन की व्यवस्था उन्होंने कुछ अनूठे तरीके से की थी। वे लगभग हर खाने की होटल में एक प्लास्टिक का ड्रम रख दिया करते थे, जिसमें बचा हुआ, जूठन, फेंकने वाला अन्न डाल दिया जाता था। शाम को एक छोटे चौपहिया में खाली ड्रम ले जाया जाकार बाजार से भरे जूठन के ड्रम ले आए जाते थे। यह जूठन गायों के लिए भोजन होता। इस तरह दुकानदार भी जूठन को फेंकने की समस्या से मुक्त रहता और गायों के भोजन की व्यवस्था भी बिना किसी दाम के हो जाती। इसी तरह न्यूमार्केट सहित अनेक बड़े जूस सेंटर्स में भी जूस निकालने के बाद बचा छिलका और गूदा एकत्र किया जाता और गायों को खिलाया जाता।
सिवनी में संचालित गौशालाओं के संचालकों को भी यही तरकीब लगाना चाहिए। वे होटलों में एक एक बड़ा बर्तन रखवा दें। जूस सेंटर्स में भी छिलके और गूदे के लिए इसी तरह की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए तो वाकई इसके अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।
बहरहाल मातृशक्ति संगठन ने मीडिया के माध्यम से गौशाला का जो दृश्य दिखाया है वह रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा करने के लिए पर्याप्त है। हो सकता है कि इसके उपरांत गौशाला प्रबंधन अपनी खाल बचाने के लिए चाहे जो कहे। कुछ समाचार पत्रों (हिन्द गजट नहीं) में गौशाला के संचालकों के हवाले से छपी विज्ञप्ति के अनुसार नगर पालिका के पास गौमाताओं को पानी पिलाने टेंकर्स नहीं थे, अतः निजी स्तर पर टेंकर की व्यवस्था कर गौवंश की प्यास बुझाई गई।
अगर गौशाला संचालक सही हैं तो मातृशक्ति संगठन गलत है? गोशाला भी एक गैर सरकारी संगठन है और मातृशक्ति संगठन भी। इस विवाद को दो एनजीओ के बीच वर्चस्व की जंग के रूप में भी देखा जा सकता है। दो संगठन पता नहीं किस उद्देश्य से आपस में गौमाताओं को लेकर भिड़ पड़े हैं।
गौशाला के संचालकों ने नगर पालिका प्रशासन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है, भारतीय जनता पार्टी की सत्ता नगर पालिका पर काबिज है। भाजपा की वरिष्ठ नेता उमाश्री भारती द्वारा गाय को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती है। गौवंश के अवैध परिवहन और गौकशी रोकने भाजपा ने कानून बनाए हैं, फिर नगर पालिका परिषद में सत्तारूढ़ भाजपा अगर पानी देने को मना कर रही है तो पालिका प्रशासन भाजपा की नीतियों का ही विरोध कर रही है।

इस मामले में दोनों पक्षों में से एक पक्ष तो सही है! पर जेहन में यह सवाल कौंध रहा है कि अगर गौशाला के प्रबंधक अपनी जगह सही हैं, और गौमाताएं गर्मी में पानी के अभाव में तड़प नहीं रही हैं, तो आखिर मातृशक्ति संगठन को जमीन पर पड़ी तड़पती गायों के चित्र मिले कहां से! यह वाकई शोध का विषय है पर इस मामले में ना तो सांसद और ना ही विधायक ही कोई कदम उठाने की जहमत उठाएंगे।

बुधवार, 29 मई 2013

गौशाला में पानी के अभाव में तड़प रही गौमाताएं!

गौशाला में पानी के अभाव में तड़प रही गौमाताएं!

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। सिवनी में गौशाल में पानी के अभाव में गौमाताएं बुरी तरह तड़प रही हैं। यह बात मातृशक्ति संगठन के गौशालाओं के निरीक्षण के दौरान सामने आई है।
मातृशक्ति संगठन के सदस्य नगर से कुछ दूरी पर स्थित गौशाला के भ्रमण पर पिछले एक माह से जा रहे है। संगठन को यकीन ही नही हो पा रहा था कि कत्ल खाने ले जाने वाली इन गायों को छुडवाकर गौशाला मे जीवन देने के लिए लाया जाता है या तड़पा तड़पा कर मारने के लिए ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी जानकारियों को पुख्ता कर लेने के बाद संगठन ने गौशाला समिति के साथ एक मीटिंग रखने का और उन्हें कुछ सुझाव देने का निश्चय किया, ताकि हम सब मिलकर इन मूक जानवरो के हित मे कुछ कर पाऐं। किन्तु अत्यंत दुख की बात है कि गौशाला समिति ने मिटिंग मे उपस्थित होने से साफ इंकार कर दिया। नगर के कुछ जागरूक प्रबुद्धजनो ने मीटिंग मे अपनी उपस्थिती दी और गौशाला की बदहाली पर दुख भी प्रकट किया। कुछ ठोस कदम उठाने की अपील भी की।
संगठन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भीषण गर्मी मे गर्म फर्श पर खुले मे पड़ी हुई तड़पती हुई गायें संगठन ने अपनी ऑखो से देखा। हृदय बिदारक इस दृश्य को देखकर संगठन के कुछ सदस्य तो बाहर निकल गए, कुछ ने हिम्मत की और कर्मचारीयों से बात की। कर्मचारियों ने संगठन की महिलाओं से बदशलूकी भी की और गलत जबाव भी दिए।
कर्मचारियों का कहना था कि ये सब गायें अंतिम सांसे ले रही है हम कुछ नही कर सकते। पर संगठन ने दौड़ दौड़ कर गायों को पानी पिलाया और वे सभी गाये उठकर खड़ी हो गई। तब संगठन एवं कर्मचारियों के बीच माहोल और भी गरमाया। क्या इन्हे पानी पिलाने वाला भी कोई नही ? गौशाला के सभी कर्मचारी गौशाला ट्रस्ट के पदाधिकारियों के घरो मे काम करते है। गौशाला मे कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति की उपस्थित होती ही नही।
डॉ. ज्योति बाला जैन जिनकी हफ्ते मे दो बार गौशाला जाने की ड्यूटी है वो वहॉ जाती ही नही। दूसरे डॉ. चौकसे जो अपनी ड्यूटी के वक्त वहॉ जाते तो है पर गौशाला मे कोई कर्मचारी नही होने से इलाज किन गायो का होना है डॉ। को पता ही नही चलता। खून से लथपथ गायो के संबंध में जब संगठन ने डॉ। से बात की तो उन्होने बताया कि डॉक्टर को इस विषय मे किसी ने खबर नही दी, अन्ततः वो गाये मर गई। धूप मे तड़पती बीमार गायो को शेड मे रखने के लिए आज तक किसी ने कहा ही नही ऐसा गौशाला के कर्मचारी खुद कहते है।
संगठन ने खुद वहॉ खड़े रहकर बीमार गायो को शेड मे रखवाया है। बिजली खराब होने की स्थिति में जानवर दो दिन तक प्यासे रहे, समिति के सदस्यगण वहॉ देखने जाते ही नही। वो अपने आपको व्यवसाय मे व्यस्त बताते है। उनकी व्यस्तता का परिणाम है कि आज से तीन साल पहले की स्वर्ग के समान गौशाला आज नरक मे बदल गई है।

संगठन ने गौशाला परिसर में वहॉ के कर्मचारियों को अनैतिक और अमर्यादित क्रिया कलापों मे लिप्त भी देखा है जो इस पावन स्थल पर अत्यंत निदंनीय है। संगठन इस रिपोर्ट को माननीय मुख्य मंत्री शिवराज सिंह जी चौहान और श्रीमति मेनका गांधी जो कि पशु सुरक्षा हेतु कटिबद्ध है, को सौपने जा रहा है। मूक पशुओ की करूणामयी ऑखे न्याय की प्रतिक्षा मे है, निरीह गायों को तत्काल न्याय मिले, हम सभी सिवनी के भावुक हृदय प्रबुद्ध नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा करते है।  

हरवंश के जाते ही कांग्रेस के क्षत्रपों ने मोड़ा सिवनी से मुंह!

हरवंश के जाते ही कांग्रेस के क्षत्रपों ने मोड़ा सिवनी से मुंह!

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। कांग्रेस के क्षत्रप और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के साथ ही अब कांग्रेस में सिवनी जिले में एक शून्यता आ गई है जिसका सीधा प्रभाव हाल ही में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में किए गए फेरबदल में देखने को मिला। इस फेरबदल में सिवनी को अछूता ही रखा गया है।
पीसीसी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति से राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने मप्र कांग्रेस कमेटी की प्रदेश कार्यकारिणी, मीडिया विभाग एवं अल्पसंख्यक विभाग का पुर्नगठन कर दिया है।
नवीन कार्यकारिणी में मीडिया विभाग का अध्यक्ष, प्रभारी के पद को समाप्त कर दिया है। उपाध्यक्ष के पद 11 से बढ़ाकर 25 कर दिए हैं। महामंत्री के पद 26 कर दिए हैं, जो पहले 16 थे। पीसीसी के कोषाध्यक्ष पद से गोविंद गोयल की छुट्टी कर उन्हें महामंत्री बनाया गया है। जबकि कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी पूर्व विधायक नरेश जैन को दी गई है। वहीं मो सलीम को अल्पसंख्यक विभाग का अध्यक्ष बनाया है।
0 उपाध्यक्ष
रामेश्वर नीखरा नरसिंहपुर, बिसाहुलाल सिंह अनुपपुर, महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा रतलाम, सज्जन वर्मा देवास, प्रेमचंद्र गुड्डू उज्जैन, इंद्रजीत पटेल सिंगरौली, लक्ष्मीण सिंह राजगढ़, गोविंद राजपूत सागर, राजेन्द्र भारती उज्जैन, अरुणोदय चौबे सागर, लखन घनघोरिया जबलपुर, श्रीमती पुष्पा बिसने वालाघाट, मानक अग्रवाल भोपाल, आरिफ अकील भोपाल, गोविदं सिंह भिण्ड, सुंदरलाल तिवारी रीवा, खुर्शीद अनवर रतलाम, विजय दुबे होशंगाबाद, राजीव सिंह भोपाल, श्रीमती आभा सिंह भोपाल, हुकुम सिंह कराड़ा शाजापुर, रामेश्वर पटेल इंदौर, मो अबरार छिंदवाड़ा, तुलसी सिलावट इंदौर और प्रताप भानु शर्मा विदिशा को अध्यक्ष बनाया गया है।
0 महामंत्री
बाला बच्चन बड़वानी, सुखदेव पांसे बैतूल, संजय पाठक कटनी, अशोक सिंह ग्वालियर, राजेन्द्र मिश्रा रीवा, शांतिलाल पडिय़ार झाबुआ, महेन्द्र सिंह चौहान भोपाल, सुनील सूद भोपाल, साजिद अली भोपाल, चंद्रभान लोधी दमोह, गोविंद गोयल भोपाल, शशि कथूरिया सागर, बैजनाथ सिंह यादव शिवपुरी, संजय ठाकुर उज्जैन, मनोज राजानी देवास, वीरेन्द्र खोंगल बालाघाट, नरेश सर्राफ जबलपुर, देवेन्द्र टेकाम मंडला, बटनलाल साहू छिंदवाड़ा, तनिमा दत्ता भोपाल, कल्याणी पांडे जबलपुर, सुनील जायसवाल नरसिंहपुर, मुजीब कुरैशी धार, रवि जोशी खरगोन, रमेश अग्रवाल ग्वालियर, रघुवीर सिंह सूर्यवंशी विदिशा को महामंत्री की जिम्मेदारी दी है।
0 प्रवक्ता
मुकेश नायक दमोह, प्रमोद गुगालिया रतलाम, जेपी धनोपिया भोपाल, नरेन्द्र सलूजा इंदौर, नूरी खान उज्जैन, अभय दुबे इंदौर, लक्ष्मण ढोली इंदौर, रवि सक्सेना भोपाल, विनीत गोधी भोपाल, चंद्रशेखर रायकवार इंदौर को प्रवक्ता बनाया है।
0 इनकी छुट्टी
पीसीसी के पुनर्गठन में घनश्याम पाटीदार, विश्वनाथ दुबे, चंद्रभान किराड़े को उपाध्यक्ष पद से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जबकि 17 नए पदाधिकारयों को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह प्रभूराम चौधरी, निशिथ पटेल, सत्यदेव कटारे, शशि राजपूत, पीडी अग्रवाल, मनीष गुप्ता, जेएम राइन, गीता सिंह की महामंत्री पद से छुट्टी कर दी गई है। प्रवक्ताओं में पांच नए लोगों को शामिल किया है। रवि सक्सेना को सचिव से प्रवक्ता बनाया है
केवलारी विधायक हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत कांग्रेस के खेमे में यह चर्चा तेज हो गई है कि सिवनी में कांग्रेस में अब कद्दावर नेता का टोटा हो गया है। अब सिवनी जिला मण्डला, डिंडोरी जैसे जिलों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है जहां के नेता दूसरे जिलों के क्षत्रपों पर ही निर्भर हैं।
यहां उल्लेखनीय होगा कि कांग्रेस को संबल देने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा अब सक्रिय राजनीति से किनारा कर चुकी हैं। उनके उपरांत हरवंश सिंह ने सिवनी कांग्रेस को दिशा प्रदान की थी। हरवंश के अवसान के उपरांत कांग्रेस में एक वेक्यूम महसूस किया जा रहा है।
इसके साथ ही साथ इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि सिवनी लोकसभा सीट का अवसान भी बिना प्रस्ताव के हो गया है, जिससे अब सिवनी की बात केंद्र में रखने वाला भी कोई नहीं बचा है।

सिपाही सिपाही में अंतर!

सिपाही सिपाही में अंतर!

(लिमटी खरे)

छत्तीसगढ़ की हरकत से देश दहला हुआ है। मध्य प्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री लिखीराम कांवरे की जघन्य हत्या के अलावा बड़े नेताओं की माओवादियों, नक्सलवादियों ने हत्या की हो यह उदहारण देखने को नहीं मिलता। अब लगता है पानी सर के उपर से गुजरने लगा है। वैसे तो सहनशीलता का तकाजा है कि जब तक पानी नाक तक पहुंचे वैसे ही कार्यवाही करना आरंभ कर देना चाहिए, पर देश और छत्तीसगढ़ की नपुंसक सरकार द्वारा पानी सर के उपर आ जाने के बाद भी अब तक नहीं जागना दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जाएगा।
इस हमले में चूंकि कांग्रेस के सिपाही मारे गए हैं इसलिए प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी सहित ना जाने कितने नेता छत्तीगढ़ पहुंचे और अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने बंद का आव्हान किया। देशवासी यह शायद ही भूले हों कि तीन साल पहले छत्तीगढ़ में ही वामपंथी नक्सलवादियों ने अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के सत्तर सिपाहियों को शहीद किया था।
देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली लगभग सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस क्या सिपाही सिपाही में अंतर करने लगी है। देश की रक्षा के कुर्बान होने वाले सिपाही क्या कांग्रेस के सिपाहियों से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं? देश के सिपाहियों के मारे जाने पर ना तो सोनिया ना ही मनमोहन सिंह छत्तीगढ़ पहुंचे! आखिर क्यों? क्या कांग्रेस के सिपाही का मारा जाना देश के सिपाही के मारे जाने से ज्यादा वजनदारी रख रहा है मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के लिए।
हमारे कहने का तात्पर्य यह कतई नहीं है कि कांग्रेस के नेताओं के इस तरह निधन होने पर देश को शोक नहीं मनाना चाहिए, अथवा रोष प्रकट नहीं करना चाहिए। हम महज यह कहना चाह रहे हैं कि कांग्रेस को सिपाही सिपाही मेें भेद करना छोड़ना ही होगा। देश की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सिपाही के लिए हर देश वासी दिल से सैल्यूट करता है इस बात में संदेह नहीं है।
एक बात समझ से परे है कि अगर कांग्रेस के नेता पर हमला हो तो वह लोकतंत्र पर हमला कहलाता है और देश की रक्षा में जुटे जवान पर हमला हो तो वह लोकतंत्र पर हमला नहीं है। साफ है कि वह आम बात है हमारे हुक्मरानों के लिए।
बहरहाल, माओवादी, नक्सलवादियों द्वारा भारत की संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दी है, जिसे अगर केंद्र में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार और छत्तीगढ़ की भाजपा सरकार ने बर्दाश्त किया तो उन्हें आने वाली पीढ़ी शायद ही कभी माफ कर पाए। नक्सलवादियों ने हैवानियत की सारी हदें लांघ दी हैं। सियासी दल के नेता रायपुर पहुुंचकर अब घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
इसके बाद आरंभ होगा आरोप प्रत्यारोप का कभी ना रूकने वाला सिलसिला। भाजपा प्रदेश पर काबिज है वह केंद्र सरकार पर तोहमत लगाएगी, तो कांग्रेस जो केंद्र में सत्तारूढ़ है वह भाजपा को आड़े हाथों लेगी। सवाल यही है कि जब भाजपा की रमन सरकार नक्सलवाद प्रभावित इलाकों पर हुकूमत कायम करने का दावा करती है तो आखिर यह घटना किस तरह अंजाम तक पहुंच सकी? रमन सरकार का यह दावा भारत विशेषकर छत्तीगढ़ के लोगों के लिए छल प्रपंच और धोखे से कम नहीं है। वहीं मानवाधिकार का शोर मचाने वाले भी अभी बनते बिगड़ते समीकरण देख ही रहे हैं। वे भी दो एक दिन में तवा गर्म होने पर अपने गुंथे आटे से रोटियां सेंकते नजर आएंगे।
नक्सलवादी जो कुछ कर रहे हैं उसे निश्चित तौर पर भारत के संविधान में किसी भी कीमत पर सही नहीं ठहराया जा सकता है। नक्सलवादी आतंक बरपाने का काम सिर्फ और सिर्फ दहशत फैलाने की गरज से कर रहे हैं। आतंक का कोई मजहब नहीं होता है। आतंक की हर चुनौतियों से निपटने का दावा केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समय समय पर रटे रटाए जवाब की तरह दिया जाता है।
आतंक से निपटने के लिए उन्हें उन्हीं की जुबान में उत्तर देना आवश्यक है। भारत की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार और जवाबदार फौज को तत्काल आदेश दिया जाए और इनके सफाए की माकूल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। आज सियासी बियावान में नैतिकता पूरी तरह मर चुकी है। वरना क्या कारण है कि आज के कांग्रेस भाजपा के आलंबरदार पश्चिम बंगाल के नक्सलवाद का सफाया करने वाले तत्कालीन कांग्रेस के निजाम सिद्धार्थ शंकर रे को भूलते जा रहे हैं।
प्रौढ़ हो रही पीढ़ी के दिमाग से यह बात कतई विस्मृत नहीं हुई होगी कि स्व.सिद्धार्थ शंकर रे ने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा में रहते हुए सत्ता की ताकत का सही दिशा में प्रयोग किया। इसका नतीजा यह हुआ कि नक्सलवादी निहत्थे हो गए और निहत्थे नक्सलवादियों के सामने भारत के संविधान के प्रति आस्था प्रकट करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा।
आज देश भर में कांग्रेस के नेताओं का गुस्सा पूरे उबाल पर है। कांग्रेस के नेताओं को अपनों को खोने का जबर्दस्त गम है। अगर नेता इसी बात को समझते और देश के हर नागरिक को अपना मानते तो आज हालात कुछ और होते। नेता चाहे कांग्रेस का हो भाजपा का अथवा अन्य किसी सियासी दल का उसे अपना पराया का भेद छोड़ना ही होगा।
कितनी अजीब बात है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में वहां के निजाम राज्य की कानून व्यवस्था उसका विशेषाधिकार है को लेकर केंद्र सरकार के साथ सदा ही बैर रखता आया हो, और उसी सूबे में नक्सलवादी, माओवादी जब चाहे तब शासन प्रशासन की कालर पकड़कर झंझकोर रहे हों।
वस्तुतः भारत की संवैधानिक व्यवस्थाओं की मंशा के अनुसार किसी राज्य में निजाम का कर्तव्य और दायित्व यह है कि वह अपने सूबे में संविधान का पालन सुनिश्चित करवाए। संविधान के पालन के लिए परिस्थितियां पैदा करे। संविधान का अनादर करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए वह यह संदेश देने का प्रयास करे कि भारत के संविधान का उल्लंघन चाहे बंदूक के दम पर हो या किसी और जरिए से, उसे बर्दाश्त कतई नहींे किया जा सकता है।
यहां एक बात और स्पष्ट है कि आतंकवादियों का कोई सियासी मंसूबा नहीं होता है, वे राजनैतिक रूप से विचार शून्य ही होते हैं, पर जहां तक माओवाद और नक्सलवाद की बात है तो माओवाद और नक्सलवाद में सियासी पुट होता है। इनका उद्देश्य अपने अधिकार और प्रभाव क्षेत्र में समानांतर सत्ता चलाने का होता है।
आज भी देश में कई हिस्सों में भारत का संविधान कराह रहा है। जगह जगह इंसाफ के लिए इनकी अलग कचहरियां हैं। इनकी बात ना मानने पर ये वहशीपन पर उतर आते हैं। इतना खौफ पैदा कर देते हैं कि क्षेत्र के लोग संविधान के बजाए इनकी सत्ता को मानने पर मजबूर हो जाते हैं।
जब भी बगावत होती है तब इसके शमन के लिए शासकों को ताकत का इस्तेमाल करना ही होता है। भारत का इतिहास इस बात का गवाह है कि गदर को रोकने हुकूमत ने कड़ा रवैया अपनाया है। देश भर में आज अराजकता की स्थिति है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश में हुक्मरानों की अस्पष्ट नीतियों से जंगल राज स्थापित हो चुका है।
क्या भारत गणराज्य में जंगलराज की स्थापना की आजादी है। यह बताएं कि आखिर इन आताताईयों के पास असलहा कहां से आता है। कौन हैं जो इनकी मदद कर रहे हैं। इनके पास से चीन और पाकिस्तान की मुहर लगे हथियार मिलते हैं ये क्या साबित करते हैं?
मध्य प्रदेश में भी नक्सलवाद की आहट कम नहीं है। बालाघाट, मण्डला, डिंडोरी जिलों में इनकी पदचाप सुनी जा सकती है। प्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री को नक्सलवादियों द्वारा ही उनके बालाघाट जिले के गृह ग्राम गला रेतकर मार डाला था। सिवनी जिले में नब्बे के दशक के आरंभ में नक्सलवाद की पदचाप सुनाई दे गई थी।
पिछले दिनों नक्सल प्रभावित जिलों की फेहरिस्त में सिवनी को शामिल किया गया है। सिवनी में नक्सलवाद से निपटने अर्धसैनिक बल का एक दस्ता आकर सर्वेक्षण कर चला गया है। नक्सलवाद से निपटने के लिए लाखों रूपयों के आवंटन के आने की भी खबर है। सिवनी का केवलारी से बरघाट की ओर का इलाका इसकी जद में बताया जाता है।

1992 में कफर््यू के दरम्यान तत्कालीन जिलाधिकारी पंडित जयनारायण शर्मा का कथन याद आता है। वे सदा ही कहा करते थे कि प्रीकाशन इज बेटर देन क्योर! अर्थात अगर सावधानी बरत ली जाए तो बाद में उपचार की आवश्यक्ता नहीं होती है। छत्तीसगढ़ की घटना से जिला प्रशासन सिवनी को भी सबक लेना चाहिए और सिवनी जिले में नक्सलवादी गतिविधि ना पनपें इसका पुख्ता इंतजाम करना चाहिए।

मंगलवार, 28 मई 2013

मुख्यमंत्री अन्नपूर्णां योजना का करें व्यापक प्रचार प्रसार- कलेक्टर

मुख्यमंत्री अन्नपूर्णां योजना का करें व्यापक प्रचार प्रसार- कलेक्टर

(श्रीकांत बर्वे)

सिवनी (साई)। कलेक्टर भरत यादव ने आज साप्ताहिक समीक्षा बैठक में जिले के सभी अधिकारियों को निर्देषित किया है कि वे अन्त्योदय अन्न योजना और बी.पी.एल कार्डधारियों (वृद्धजनों सहित) को एक दिन की मनरेगा मजदूरी से भी कम राषि में एक महीने का राषन उपलब्ध कराने वाली मुख्यमंत्री अन्नपूर्णां योजना का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करें।
उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी अपने मैदानी अमले के माध्यम से इस योजना के प्रचार में सहयोग कर,ें ताकि बिना किसी बाधा के पूरी निष्पक्षता और पारदर्षिता के साथ लक्षित वर्ग को इस योजना भरपूर लाभ दिलाया जा सके। कलेक्टर यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री अन्नपूर्णां योजना के तहत एक रूपये किलो गेहूॅं, 2 रूपये किलो चावल और एक रूपये किलो आयोडीनयुक्त नमक दिया जायेगा।
इसमें बी.पी.एल. कार्डधारियों को कुल 20 किलो खाद्यान्न (जिसमें 18 किलो गेहॅूं, 02 किलो चावल और एक किलो नमक) तथा अन्त्योदय अन्न योजना के कार्डधारियों (वृद्धजनों सहित) को कुल 35 किलो खाद्यान्न (जिसमें 17 किलो गेहॅूं, 18 किलो चावल और एक किलो नमक) दिया जायेगा। कलेक्टर यादव ने बताया कि 3 जून को मुख्यमत्री षिवराज सिंह चौहान सिवनी प्रवास के दौरान जिले में अटल ज्योति अभियान के साथ-साथ इस योजना की भी शुरूआत करेंगे। बैठक में सी.ई.ओ. जिला पंचायत श्रीमती प्रियंका दास के अलावा सभी जिला प्रमुख भी मौजूद थे।
0 जिले के सभी मालगुजारी तालाब संबंधित ग्राम पंचायतों को हैण्ड ओवर होंगें
बैठक में कलेक्टर ने कहा कि राज्य षासन के निर्देषानुसार जिले में मौजूद सभी मालगुजारी तालाब संबंधित ग्राम पंचायतों को हैण्ड ओवर कर दिये जायेगें। कलेक्टर ने जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री को निर्देषित किया वे इस संबंध में कार्यवाही प्रारंभ कर दे। बताया गया कि जिले में करीब 38 मालगुजारी तालाब मौजूद हैं।
0 बीज एवं दुग्ध समितियों का पंजीयन फौरन करें
बैठक में कलेक्टर यादव ने सहकारिता विभाग को निर्देषित किया कि वे कृषि और पषुपालन विभाग के अधीन कोदो-कुटकी और दुग्ध व्यवसाय करने वाली सभी बीज एवं दुग्ध समितियों का पंजीयन तत्परता से करंे। कलेक्टर ने सहकारिता विभाग को यह कार्यवाही 10 जून तक हर-हाल में कर लेने को कहा।
0 सभी जिलाधिकारियों को दिया जायेगा कम्प्यूटर का प्रषिक्षण
बैठक में कलेक्टर यादव ने जिला ई-गर्वनेन्स समिती के जिला प्रबंधक को निर्देषित किया कि वे जिले के सभी विभाग प्रमुखों व अन्य अधिकारियोें को कम्प्यूटर संचालन का बेसिक प्रषिक्षण दें और सभी की ई-मेल आई डी तैयार कर उन्हें ई-मेल चेक करना और नेट र्सिर्फंग करना भी सिखायें।
0 किसानों को बीमा योजना का लाभ दिलाने के लिए करें गंभीर प्रयास
बैठक में कलेक्टर ने उपसंचालक कृषि विभाग और अधीक्षक भू-अभिलेख को निर्देषित किया कि वे जिले के सभी ओला पीड़ित किसानों को राष्टीय कृषि बीमा योजना का लाभ दिलाने के लिये जनरल इंष्योरेंस कंपनी से समन्वय स्थापित कर पीड़ित किसानों को यथाशीघ्र इसका लाभ दिलायें।
- 17 जून को करें शाला प्रवेषोत्सव
बैठक में कलेक्टर ने सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, जिला षिक्षाधिकारी और जिला परियोजना समन्वयक सर्वषिक्षा अभियान को विषेष रूप से निर्देषित किया की वे आगामी 17 जून को जिले के सभी अंचलों में नये शाला भवन, अतिरिक्त भवन या अतिरिक्त कक्षों में शाला प्रवेषोत्सव का कार्यक्रम आयोजित करें।
- आषा कार्यकर्ताओं को प्रषिक्षण दें
बैठक में कलेक्टर ने सी.एम.एच.ओ. को निर्देषित किया कि वे जिले की सभी आषा कार्यकर्ताओं का विकासखण्ड स्तर पर प्रषिक्षण आयोजित करें और उन्हें यह सिखायें कि वे उन्हें शासन द्वारा प्रद्त्त मोबाईल में कलेक्टर, सी.ई.ओ. जिला पंचायत, सी.एम.एच.ओ., बी.एम.ओ., एस.डी.एम., तहसीलदार, जनपद सी.ई.ओ., सी.डी.पी.ओ. और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम और नम्बर्स सेव कर सकें और शासन से आने वाले एस.एम.एस अलर्ट को पढ़ सकें। उन्होंने कहा कि आषा कार्यकर्ताओं को दवा वितरण रजिस्टर और अन्य रिकार्ड रखने के लिये प्रषिक्षित करेें।
0 बीज और उर्वरकों का अग्रिंम उठाव कर लें
बैठक में कलेक्टर ने बताया कि जिले में पर्याप्त मात्रा में बीज और उर्वरक उपलब्ध हैं। उन्होंनंे जिले के सभी किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपनी आवष्यतानुसार बीज और उर्वरक का अग्रिम उठाव कर लें। कलेक्टर ने उपसचंालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग को निर्देषित किया कि वे अमानक स्तर का बीज, उर्वरक या कीटनाषक बेचने वाले विक्रेताओं पर सख्त से सख्त कार्यवाही करें।
0 पंचायत प्रोटोकाल का पालन करायें
बैठक में कलेक्टर जिलाधिकारियों से कहा कि अपने फील्ड भ्रमण के दौरान ग्राम पंचायत भवन में जाकर यह अवष्य देखें कि पंचायत के सारे रिकार्डस/रजिस्टर पंचायत भवन में रखें है या नहीं। अधिकारी ग्राम पंचायत भवन में जाकर वहां रखी गई निरीक्षण पुस्तिका में हस्ताक्षर अवष्य करें और पंचायत प्रोटोकाल का पालन होने या न होने संबंधी टीप अवष्य लिख्ेां। ध्यातव्य है कि जिलाधिकारियों को फील्ड भ्रमण के दौरान पाई गई व्यवस्थाओं या अव्यवस्थाओं के अभिलेखन के लिये जिला पंचायत द्वारा फील्ड भ्रमण रिपोर्ट अंकित करने के लिये प्रयास कार्ड उपलब्ध कराये गये हैं। कलेक्टर ने अधिकारियों को ग्राम भ्रमण कर प्रयास कार्ड भरकर देने के निर्देेष भी दिये हैं।
0 धूम्रपान निषेध कानून का पालन करायें
बैठक में कलेक्टर ने जिलाधिकारियों को निर्देषित किया कि वे जिले में धूम्रपान निषेध कानून का पालन कराने में अपनी भूमिका का बेहतर तरीके से निर्वहन करें। इस कानून के अधीन धारा 4 के तहत किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा किसी भी सार्वजनिक स्थल जैसे बसस्टेण्ड, ऑडिटोरियम, अस्पताल परिसर, स्वास्थ्य संस्थायें, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टोरेंट, होटल, सार्वजनिक कार्यालय, न्यायालय परिसर, शैक्षणिक संस्थायें, पुस्तकालय एवं वाचनालय, जनसुविधा केन्द्र, खुले ऑडिटारियम, स्टेडियम, रेलवे स्टेषन, कार्यस्थल, शॉपिंग मॉल, सिनेमाघर, गार्डन, कॉफी हाउस, पब, बार, क्लब, एयरपोर्ट लाउन्ज या अन्य स्थान (जिसमें खुले स्थान शामिल नहीं है) में धूम्रपान कर्ता पाये जाने पर 200 रू. प्रति व्यक्ति जुर्माना लगाया जायेगा। इस कानून के तहत सभी राजपत्रित अधिकारियों, प्रषासनिक अधिकारियों और कार्यपालक दण्डाधिकारियों को जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है। बैठक दौरान ही कलेक्टर ने सभी अधिकारियों को सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करने वाले व्यक्त्यिों पर दण्ड लगाने के लिये दण्ड पर्ची रसीद बुक भी आवंटित कर कहा कि अधिकाधिक मामलों में ऐसे लोगों को दण्डित किया जाये।
0 जनप्रतिनिधियों के प्रष्नों का लिखित उत्तर अवष्य दें
बैठक में कलेक्टर ने सभी जिलाधिकारियों से कहा कि वे जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उन्हें प्राप्त प्रष्नों, सुझावों, मार्गदर्षन, मांगों या अन्य श्रेणी के पत्रादि का लिखित उत्तर देकर उन्हें अवगत अवष्य करायें।
0 अपराधों की करें रोकथाम
कलेक्टर ने जिलाधिकारियों से कहा कि वे जिले में महिला एवं बाल अपराधांे की रोकथाम के लिये अपने स्तर पर महती प्रयास करें। उन्होंनें कहा कि जिला प्रमुख अपने विकासखण्डस्तरीय व मैदानी अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ बैठक कर उनसे इन बिंदुओं पर स्वस्थ चर्चा करें और इस मुद्दे पर महिला अधिकारी या कर्मचारी को विषेष रूप से बोलने का मौका दे। उन्होंने कहा कि हम सबके समन्वित प्रयासों से ही इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम हो सकती है। जिलाधिकारी अपने मैदानी अमले को इस विषय पर संवेदनषील रहने और ऐसी किसी भी घटना या ऐसी आषंका की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को अवष्य देने की हिदायत दें।

बारह माह ही हो रही है आंशिक जलापूर्ति

बारह माह ही हो रही है आंशिक जलापूर्ति

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। महीने में कई बार आंशिक जलापूर्ति के समाचार सुर्खियां बन रहे हैं, किन्तु देखा जाए तो बारहों माह जिला मुख्यालय में आंशिक जलापूर्ति ही हो रही है। कम दबाव के चलते पानी की टंकियां भर नहीं पा रही हैं और लोगों को पानी की समस्या से रोजाना ही दो चार होना पड़ रहा है।
शहर का शायद ही कोई ऐसा वार्ड हो जहां पानी की समस्या से नागरिक रूबरू ना हो रहे हों। जबसे सुआखेड़ा स्थित भीमगढ़ जलावर्धन योजना आरंभ हुई है, तबसे सिवनी में लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसके पहले बबरिया और लखनवाड़ा से शहर में पानी की सप्लाई की जाती रही है।
बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि भीमगढ़ जलावर्धन योजना के आगाज के पहले सुबह और शाम दोनों समय लगभग एक से डेढ़ घंटा जलापूर्ति की जाती रही है। इसके उपरांत जबसे भीमगढ़ जलावर्धन योजना आरंभ हुई तबसे यह सिवनी के लोगों के लिए वरदान के बजाए अभिषाप बनकर रह गई है।
शहर भर में नलों से सीधे टुल्लू पंप लगाकर पानी खींचा जा रहा है। इतना ही नहीं नगर पालिका के जलकार्य से जुड़े जनसेवकों और कर्मचारियों से जब टुल्लू पंप लगाने की शिकायत की जाती है तो वे भी नागरिकों को टुल्लू पंप लगाकर पानी खींचने की सलाह ही देते नजर आते हैं।
शहर भर में टुल्लू पंप का जमकर जोर चल रहा है, जिससे अनेक सरकारी और निजी नलों से तो एक बूंद पानी भी नहीं टपक पाता है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि टुल्लू पंप को अघोषित संरक्षण देकर नगर पालिका परिषद द्वारा पानी का बेहतरीन खेल खेला जा रहा है।
कहा जा रहा है कि पानी की किल्लत से जूझते लोगों के लिए नगर पालिका परिषद में विधायक श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा प्रदाय किए गए गुणवत्ता विहीन टेंकर्स या निजी तौर पर पानी सप्लाई करने वालों की इसके चलते चांदी है। चर्चा है कि पानी के टेंकर्स इन दिनों उंची दरों पर बिक रहे हैं।

इस सबके चलते मरण उन लोगों की है जो ईमानदारी से नलों से बिना टुल्लू पंप के पानी भरते हैं। इन लोगों के घरों में गंदा बदबूदार पानी महज पांच से पंद्रह मिनिट तक ही आ पाता है। पालिका में भाजपा का राज है, नगर में भाजपा की पालिका परिषद अगर लोगों को पानी के लिए तरसा रही है तो निश्चित तौर पर इसके प्रतिकूल परिणाम आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को भोगने पड़ सकते हैं।

5 महानगरों से जुड़े हैं सटोरियों के तार

5 महानगरों से जुड़े हैं सटोरियों के तार

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। रोमांचकारी क्रिकेट मैच को सटोरियों ने सट्टा बाजार बनाकर रख दिया है। इसी के चलते शहर में रोजाना तकरीबन 8-10 करोड़ रूपये क्रिकेट के सट्टे दांव पर लगते हैं।
खास बात यह है कि 15 बड़े आसामी इस खेल को संचालित कर रहे हैं। मिली जानकारी अनुसार इन दिनों रोमांचकारी क्रिकेट मैच मनोरंजन से ज्यादा सट्टे का बाजार बन गया है। शहर में यह क्रिकेट का सट्टा बहुत जोरों पर चल रहा है, जिसमें खिलाडिय़ों की माने तो 12 से 15 शहर के बड़े आसामियों ने महानगरों के बुकी से लाइने ले रखी हैं, जिसमें हर रोज एक सटोरिये के पास एक करोड़ से अधिक का दांव लगाया जाता है।
इस तरह तो यह आंकड़ा 15 करोड़ के भी पार हो सकता है। ऑनलाईन चल रहे इस क्रिकेट सट्टे का गोरखधंधा शहर में जगह- जगह से संचालित हो रहा है। वहीं शहर के  सटोरियों के तार महानगरों के बुकीयों से जुड़े हैं।  गत दिवस पुलिस ने टुरिया के जंगल होम रिसोर्ट एवं एक चलती कार में क्रिकेट का हाईटेक सट्टा पकड़ा था। 
0 महानगरों से जुड़े तार

सूत्रों की माने तो शहर में क्रिकेट सट्टे का संचालन करने वालों ने दिल्ली, इंदौर, नागपुर, ग्वालियर एवं जबलपुर जैसे महानगरों से लाइने खरीद रखी है। दरअसल ऑनलाईन चलने वाले इस सट्टे में बड़े बुकी के पास 50 हजार से 10 लाख रू. तक सिक्योरिटी डिपाजिट कर लाइन लेनी होती है, उसके बाद फिर स्थानीय स्तर पर सट्टा खिलाया जाता है। 

हो सकता है राय पेट्रोलियम से हमें मिल रही हो पगार! : वाणी

हो सकता है राय पेट्रोलियम से हमें मिल रही हो पगार! : वाणी

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। ‘‘लखनादौन से सिवनी मार्ग पर अवस्थित ‘‘राय पेट्रोलियम‘‘ ने कोई काम नियम विरूद्ध किया है इस बात की जानकारी हमें नहीं हैं। हो सकता है हमें राय पेट्रोलियम से पगार मिल रही हो, अगर आपको कोई बात करनी है तो हमारे पीडी साहेब से करें।‘‘ उक्ताशय की बात नरसिंहपुर में एनएचएआई में पदस्थ सहायक परियोजना डायरेक्टर महेंद्र वाणी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही।
ज्ञातव्य है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी जानबूझकर राय पेट्रोलियम के खिलाफ कार्यवाही से कतरा रहे हैं। राय पेट्रोलियम के संचालक, पूर्व में शराब व्यवसाई रहे और लखनादौन मस्जिद के सरपरस्त दिनेश राय उर्फ मुनमुन द्वारा राजमार्ग पर नियम विरूद्ध काम करवाए जा रहे हैं पर एनएचएआई के आला अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनादौन से सिवनी वाले खण्ड में राय पेट्रोलियम के समीप ही लगे साईन बोर्ड में सिवनी से लखनादौन की ओर जाने पर तो साईन बोर्ड पर लखनादौन और नरसिंहपुर आदि की दूरी प्रदर्शित होती है पर जब लखनादौन से सिवनी तरफ आया जाता है तो इस बोर्ड के पीछे राय पेट्रोलियम का बोर्ड पुता नजर आता है।
एनएचएआई के आला अधिकारियों के संज्ञान में बात लाए जाने पर भी कोई कार्यवाही ना किया जाना इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि सरकारी कर्मचारी नियम कायदों को बलाए ताक पर रखने के लिए राय पेट्रोलियम का साथ दे रहे हैं।
कहा जा रहा है कि या तो विभागीय अधिकारी इस सड़क का निरीक्षण नहीं कर रहे हैं, और अगर कर रहे हैं तो उन्हें यह अब तक दिखाई क्यों नहीं दिया कि राय पेट्रोलियम के संचालक ने एनएचएआई के सरकारी दिशासूचक बोर्ड के पीछे की तरफ अपना विज्ञापन कर रखा है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में हिन्द गजट द्वारा शराब व्यवसाई रहे और लखनादौन मस्जिद के सरपरस्त दिनेश राय उर्फ मुनमुन से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी भी भयाक्रांत नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि लखनादौन से सिवनी आते समय सड़क को भेदता एनएचएआई के बोर्ड के पीछे की ओर लगा एक बड़ा सा राय पेट्रोलियम का बोर्ड भी एनएचएआई के अधिकारियों को आते जाते अब तक नहीं दिख पाया है।
इस संबंध में जब सिवनी में पदस्थ सहायक परियोजना दिलीप पुरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वे एक विवाह समारोह में शामिल होने शहर से बाहर हैं अतः इस बारे में वे ठीक ठीक नहीं बता सकते। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने सूत्रों से इस बात की तहकीकात करवाई थी, तो ज्ञात हुआ कि यह नरसिंहपुर वाले स्ट्रेच में है।
जब नरसिंहपुर के सहायक परियोजना डायरेक्टर से इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि पता नहीं यह हमारे क्षेत्र में तो नहीं है, यह एमपी टू में आती है जिसे दिलीप पुरी देख रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर एक बात कही कि आखिर आप चाहते क्या हैं? इस पर जब साई न्यूज ने उनसे कहा कि राय पेट्रोलियम के संचालक द्वारा केंद्र सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय के अधीन आने वाले इस मार्ग पर लगे साईन बोर्ड को पीछे से पुतवा दिया गया है, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, इसका क्या कारण है? के जवाब में महेंद्र वाणी ने छूटते ही कहा कि संभव है कि उन्हें राय पेट्रोलियम से पगार मिल रही हो!

उन्होंने कहा कि यह मार्ग अभी महालक्ष्मी यानी मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी के मेंटीनेंस में है अतः इस संबंध में वे कोई भी कार्यवाही करने में सक्षम नहीं हैं।