भूरिया से नाराज हैं युवराज
पोल खोल अभियान की असफलता से खफा हैं राहुल
आला नेताओं के क्षेत्रों ही फ्लाप शो बना अभियान
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभालने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया के कदम तालों से कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी बुरी तरह खफा नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश में 14 से 19 नवंबर तक चलने वाले पोल खोल अभियान की असफलता के बारे में राहुल को जब विस्तार से जानकारी दी गई तो उनकी भवें तन गईं। राहुल को यह भी बताया गया कि मध्य प्रदेश के क्षत्रपों के अपने इलाकों में ही यह अभियान परवान नहीं चढ़ पाया।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन 14 नवंबर से 19 नवंबर तक केंद्र सरकार की जन लोककल्याणकारी नीतियों और योजनाओं की जानकारी ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस को अभियान चलाने के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान कांग्रेस द्वारा मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा केंद्र पोषित योजनाओं को अपनी बताए जाने की पोल भी खोली जानी थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छः दिवसीय अभियान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार, सर्व शिक्षा अभियान, मध्यान भोजन, राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन, इंदिरा आवास योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राजीव गांधी आवास योजना, समनवित बाल विकास योजना (आईसीडीएस), समग्र स्वच्छता अभियान, सिंचाई लाभ अभियान, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, उर्जा विकास और सुधार जैसे जनता से जुड़े अभियानों के बारे में जन जन तक केंद्र और कांग्रेस की रीति नीति पहुंचाया जाना था।
मध्य प्रदेश में कांति लाल भूरिया की पकड़ संगठन पर इस कदर कमजोर है कि केंद्र की योजनाओं और भाजपा को घेरने में कांग्रेस पूरी तरह से असफल ही रही है। कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी को यह भी बताया गया है कि मध्य प्रदेश के क्षत्रपों राजा दिग्विजय सिंह, कमल नाथ, ज्यातिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी, अरूण यादव आदि के क्षेत्रों में यह अभियान टॉय टॉय फिस्स ही रहा।
इतना ही नहीं मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर, खुद कांति लाल भूरिया, मीनाक्षी नटराजन, राहुल सिंह, श्रीनिवास तिवारी, जैसे प्रदेश के दिग्गजों के क्षेत्र में भी पोल खोल अभियान परवान नहीं चढ़ सका। सूत्रों ने बताया कि राहुल के दरबार में हाजिरी भरने को आतुर मध्य प्रदेश के क्षत्रपों के इलाकों में जिला और ब्लाक कांग्रेस कमेटियों द्वारा इसका प्रचार प्रसार नहीं करवाया गया, जिससे कांग्रेस के सदस्योें को ही इसकी जानकरी नहीं मिल सकी। सारी जमीनी हकीकत से रूबरू होने के बाद राहुल गांधी का पारा सातवें आसमान पर पहुंचना लाजिमी ही था।