सोमवार, 28 दिसंबर 2009

कांग्रेस में सफाई की दरकार


कांग्रेस में सफाई की दरकार

खानदानी परचून की दुकान बन गई है कांग्रेस

(लिमटी खरे)


सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस संभवत: अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी के बाद सोनिया गांधी ने भी दस साल तक निष्कंटक कांग्रेस पर राज कर लिया है। अब सत्ता के हस्तांतरण की तैयारियां गुपचुप और खुले दोनों ही तौर पर जारी हैं। खानदानी परचून की दुकान की तरह ही अब कांग्रेस की बागडोर राहुल गांधी के हाथ में कभी भी सौंपी जा सकती है।


इटली मूल की भारतीय बहू श्रीमति सोनिया गांधी जिन्हें हिन्दी बोलने में काफी तकलीफ होती थी, आज भी साफ सुथरी हिन्दी नहीं बोल पातीं हैं। वैसे भी सत्ता की उचाईयों पर बैठे लोग हिन्दी भाषा को कम समझते और कम ही इसका प्रयोग करते हैं। कहने को हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा जरूर है पर हिन्दी का उपयोग जमीनी लोग ही ज्यादा किया करते हैं।


कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष और ताकतवर केंद्र 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) की किचिन केबनेट ही पिछले दस सालों में कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी के रथ के सारथी रहे हैं। इन नेताओं के निहित स्वार्थों के चलते कांग्रेस की लोकप्रियता का ग्राफ दिनों दिन नीचे ही आता गया है।


अगर कांग्रेस को बचाना है तो अपने आप को महिमा मण्डित करने में माहिर पदाधिकारियों को अब अंतिम पंक्ति में ढकेलने की महती आवश्यक्ता है। इसके साथ ही साथ मणिशंकर अय्यर, माखनलाल फौतेदार, कुंवर अर्जुन सिंह, गिरिजा व्यास, सत्यवृत चतुर्वेदी आदि के जहर बुझे तीरों को रोकने के लिए मजबूत ढाल की जरूरत है। उधर सोनिया गांधी की राजनैतिक सचिव रह चुकीं सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी को सीढी बनाकर उद्योगपति राजनेता कमल नाथ, आस्कर फर्नाडिस जैसे दिग्गज दस जनपथ के मजबूत दरवाजों में सेंध लगाने की जुगत लगा रहे हैं।

पिछले एक साल में देश में विभिन्न प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों, उपचुनावों पर गौर फरमाना बहुत आवश्यक है। इस आलोच्य अवधि में कांग्रेस ने महज दिल्ली और आंध्र प्रदेश में ही पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है। इसमें से आंध्र प्रदेश एक बार फिर तेलंगाना और नारायण दत्त तिवारी के सेक्स स्केंडल में उलझकर रह गया है।


कांग्रेस ने मजबूरी में अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर महाराष्ट्र और जम्मू काश्मीर मे अपनी सरकार बनाई है। राजस्थान, हरियाणा और असम में कांग्रेस ने तलवार की धार पर सरकार का गठन किया है। उडीसा में तीसरी बार कांग्रेस ने मुंह की खाई है। उधर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता से दूर ही रही है। कर्नाटक में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन भी विचारणीय कहा जा सकता है।

हाल ही में संपन्न हुए झारखण्ड के चुनावों में 81 में से महज 14 सीटें अपनी झोली में डालकर कांग्रेस ने अपनी भद्द ही पिटवाई है। कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होने वाले युवराज राहुल गांधी का करिश्मा उत्तर प्रदेश में भी कोई खास असर नहीं दिखा सका।

कांग्रेस के रणनीतिकारों में अनुभवहीन लोगों की फौज के चलते कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को कई बार अप्रिय स्थिति का सामना करना पडा है। हाल ही में रणनीतिकारों ने तेलंगाना राज्य की नींव रखने का दुस्साहसिक कदम बिना सोचे समझे ही उठा दिया। परिणाम स्वरूप आंध्र प्रदेश बुरी तरह सुलग उठा है। इतना ही नहीं देश में अब नए 21 राज्यों के गठन की मांग जोर पकडने लगी है।

कांग्रेस आज भी विभिन्न खेमों में बंटी हुई हैं। एक दूसरे की टांग खिचाई के चलते कांग्रेस के नेता अपनी विपक्षी दलों के बजाए अपनों से ही सावधान रहने में अपनी पूरी उर्जा नष्ट कर देते हैं। कांग्रेस के अलग अलग खेमों के सूबेदार चूंकि सरकार में मलाईदार पदों पर रह चुके हैं अत: मीडिया के बीच अपने विपक्षी धडे के बारे में ``छुर्रा`` छोडने में उन्हें मास्टरी हासिल है।

वन एवं पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण महकमे की जवाबदारी संभालने वाले जयराम रमेश ने सरकार को कई दफा मुश्किल में डाला है। जयराम रमेश ने वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में हाल ही में एक बयान देकर कहा था कि वे मध्य प्रदेश के पेंच और कान्हा के बीच के कारीडोर में से सडक नहीं गुजरने देंगे, जिसका काफी विरोध हुआ था। दरअसल शेरशाह सूरी के जमाने की सडक को जो उत्तर और दक्षिण भारत के बीच ``जीवन रेखा`` मानी जाती है, को अगर बंद कर दिया गया तो उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच सडक संपर्क में कई गुना अधिक किलोमीटर जुड जाएंगे।

इतना ही नहीं जयराम रमेश पर राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आडवणी से साठगांठ, भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा भाजपा के घोषणा पत्र के बनवाने के आरोपों के साथ ही साथ सबसे बडा आरोप यह लगा था कि उन्होंने कहा था कि विदेशी मूल की श्रीमति सोनिया गांधी के रहते कांग्रेस पचास साल सत्ता में नहीं आ सकती जैसे संगीन आरोप भी लगे थे, बावजूद इसके कांग्रेस द्वारा उन्हें महत्वपूर्ण मंत्री पद दिया हुआ है।


कांग्रेस सुप्रीमो की कोटरी में जहां अहमद पटेल, विसेंट जार्ज, श्रीमति शीला दीक्षित, डॉ.अर्जुन सेनगुप्ता, गुलाम नवी आजाद, आदि हैं वहीं कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह के अलावा उनकी किचिन केबनेट में कनिष्का सिंह, विश्वजीत सिंह, सांसद मीनाक्षी नटराजन, सांसद जितेंद्र सिंह, मंत्री जतिन प्रसाद, सचिन पायलट, डॉ.सी.पी.जोशी, पवन जैन, आर.पी.एन.सिंह का शुमार है। कांग्रेस अध्यक्ष के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल की ब्रांच के तौर पर मुकुल वासनिक, विलासराव देशमुख, पवन बंसल, वीरप्पा माईली, मुरली देवडा, तुषार अहमद अलग ताल ठोक रहे हैं।

कुछ दिनों पूर्व लगा था कि कांग्रेस द्वारा सही कदम उठाया जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री डॉ.मन मोहन सिंह द्वारा अपनी सरकार के मंत्रियों से उन सभी की परफारर्मेंस रिपोर्ट 30 सितंबर तक मांगी थी। प्रधानमंत्री के इस कदम को उनके ही सहयोगियों ने हवा में उडा दिया। जिस मंत्रीमण्डल में प्रधानमंत्री की बात को ही हवा में उडाया जा रहा हो, उसमें उच्चश्रंखलता की हदों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।


कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के लिए अब गहन मंथन का समय आ गया है। कांग्रेस में चापलूसों ने नेतृत्व को इस कदर घेर रखा है कि आलाकमान दूर की जमीनी हरकतें देखने में अपने आप को अक्षम ही पा रहा है। आदि अनादि काल से होता आया है कि रियाया के दुख दर्द को देखने के लिए निजामों ने भेष बदलकर अपने सूबे के जमीनी हालातों का जायजा लिया है।

राहुल गांधी भारत दर्शन पर अवश्य हैं किन्तु उनकी सलाहकार मण्डली ने भी उनकी आंखों पर पट्टी बांध रखी है। भाजपा के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के काम की प्रशंसा इसलिए नहीं कर रहे हैं कि वे राहुल गांधी के काम से दिली तौर पर खुश हैं। भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी जानते हैं कि राहुल गांधी के दलित प्रेम के प्रहसन पर जल्द ही पर्दा गिर जाएगा, इसलिए वे राहुल गांधी का हौसला बढाकर इस स्वांग को जारी रखने का प्रयास कर रहे हैं।

अब सोचना सिर्फ और सिर्फ सोनिया गांधी को ही है कि इन दस सालों में उनके नेतृत्व में कांग्रेस कहां पहुंची है और कांग्रेस के चाटुकार, रणनीतिकार और मंत्री कहां। वे जब अपना राजपाट अपने पुत्र राहुल गांधी को सौंपेंगी तो उसमें कितने प्रदेशों की रियासतें और कितने आलंबरदार, झंडाबरदार राहुल गांधी के नेतृत्व में सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के झंडे को उठाने को तत्पर होंगे।

घर में ही विद्रोह का समाना करना पडा युवराज को!

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

घर में ही विद्रोह का समाना करना पडा युवराज को!

कांग्रेस में राहुल गांधी एक एसा नाम है जिस पर समूचे देश के कांग्रेसी अपनी सियासत की रोटियां सेंक रहे हैं, मगर राहुल गांधी की अपने संसदीय क्षेत्र में क्या इज्जत है यह बात कुछ दिनों पहले ही सामने आई है। उत्तर प्रदेश के विधानपरिषद के चुनावों में उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी के सुल्तानपुर क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार का नाम तय करने में कांंग्रेस महासचिव राहुल गांधी को पसीना आ गया। अनुशासन का पाठ सिखाने और युवाओं को अपने साथ लेने के लिए मिशन 2012 पर निकले राहुल गांधी के सामने उनके संसदीय क्षेत्र में ही अनुशासन तार तार हो गया। पार्टी ने जैसे ही जगदीश सिंह का नाम सामने किया वैसे ही असंतोष का लावा बह गया। नाराज कांग्रेसियों ने जगन्नाथ यादव को अपना प्रत्याशी घोषित कर गाजे बाजे के साथ उनका पर्चा दाखिल करवा दिया। राहुल गांधी अमेठी दौरे पर गए और सभी गुटों के साथ सर जोडकर बैठे। नतीजा सिफर रहा। इस विधानपरिषद के कुल वोटर 2860 हैं और अमेठी संसदीय क्षेत्र में 1034 मतदाता हैं। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पशोपेश में हैं कि वे इस विवाद को कैसे शांत करें, नहीं तो अगर यह चिंगारी अमेठी से निकलकर देश में फैली तो उनकी सब जगह आसानी से स्वीकार्यता पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।

हाईटेक हो रहा है संघ

समय की मांग को देखते हुए अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी आधुनिक जमाने से कदम से कदम मिलाने आरंभ कर दिए हैं। कम्पयूटर इंटरनेट के तेज जमाने में बाबा आदम के तौर तरीकों को अपनाने वाले संघ के आला नेताओं को मशविरा दिया गया है कि वे समय के साथ नहीं चले तो पिछड जाएंगे। फिर क्या था संघ ने भी अपना चोला बदलने की तैयारी कर ली है। संध की शाखाओं में कम हाजिरी से आजिज संघ के आला नेताओं ने साप्ताहिक मिलन समारोह चलाया पर कामयाब नहीं रहा। संघ ने अब इसका इलाज खोज लिया है। संघ अब इंटरनेट पर शाखाएं लगाने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है। प्रयोग के तोर पर इसको आरंभ कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है जल्द ही समय निर्धारित कर संघ के प्रचारक नेट पर उपलब्ध होंगे। स्वयंसेवकों को शारीरिक तौर पर भले ही न हिला सकें पर संघ के प्रचारक उन्हें बौद्धिक तौर पर तो हिला ही देंगे। संघ ने इंफरमेशन टेक्नालाजी से जुडे लोगों पर केंद्रित कार्ययोजना को अंजाम देने का मानस बना लिया है।

मंत्री के बंगले में पेडों की अवैध कटाई

यूं तो जंगल विभाग की शह पर लकडी माफिया ने देश के जंगलों का सफाया कर दिया है, किन्तु जब बात देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में पेडों की कटाई की हो तो वन विभाग के कान खडे होना स्वाभाविक ही है, और खासकर जब मामला केंदीय मंत्री से जुडा हो तब तो विभागीय अधिकारियों की चुप्पी देखते ही बनती है। दरअसल केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्यमंत्री हरीश रावत को तीन मूर्ति रोड स्थित 9 नंबर की कोठी आवंटित की गई है। इस कोठी में मंत्री महोदय अभी शिफ्ट नहीं हुए हैं। इसकी साफ सफाई और रंग रोगन का काम अभी जारी है। दरअसल मंत्री की कोठी के बाजू में रहने वाले एक जज की नजर मंत्री की कोठी पर गलत तरीके से कांटे छांटे गए पेडों पर पडी। उन्होने वनाधिकारियों को तलब कर मामला बताया। चूंकि जज साहेब ने वनाधिकारियों को बुलाया था, सो जांच आना पाई से की गई। पाया गया कि पेडों की छटाई गलत तरीके से की गई है। फिर क्या था, आनन फानन सीपीडब्लूडी के हॉर्टिकल्चर विभाग के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।

गडकरी भी वसुंधरा के आगे बौने
भाजपा के नए निजाम के सामने भी राजस्थान में तलवार पजा रहीं वसुंधरा राजे ने अपने तवर नहीं बदले हैं। नेतृत्व पशोपेश में है कि आखिर वसुंधरा प्रकरण से निजात कैसे पाई जाए। केंद्रीय नेतृत्व को सीधी टक्कर दे रहीं वसुंधरा के आगे झुककर केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान भाजपा के चुनाव फिलहाल टाल दिए हैं। यद्यपि आधिकारिक तौर पर चुनावों को टालने का कारण पंचायत के प्रदेश में होने वाले चुनाव बताए जा रहे हैं किन्तु अंदरखाने से जो खबरें छन छन कर बाहर आ रहीं हैं, उनके अनुसार भाजपा के अंदर अंदरूनी मतभेद के चलते चुनाव टाले गए हैं। 24 दिसंबर को हाने वाले चुनावों को आम सहमति की मुहर के साथ टाल दिया गया है। वसुंधरा दिल्ली यात्रा पर आईं और आला नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने प्रदेश में संगठनात्मक चुनाव में हो रही धांधलियों का कच्चा चिट्ठा रखा। पूछे जाने पर हौले से मुस्कुराकर वे इशारे ही इशारे में यह बोल गईं कि वे तो महज नए अध्यक्ष को हैलो बोलने आईं हैं। भाजपाई हल्कों में खबर है कि वे भाजपा के नए निजाम को हैलो बोलने नहीं अपनी ताकत दिखाकर हिलाने आईं थीं।


अब अहमद पटेल की बारी

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के विश्वस्त अहमद पटेल को कई बार शिकस्त दे चुके कांग्रेस के ताकतवर महासचिव और राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह और कांग्रेसाध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के बीच इन दिनों उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कुछ तनातनी चल रही है। दरअसल दिग्गी राजा चाहते हैं कि यूपी में रीता बहुगुणा को हटाकर विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी को काबिज करवा दिया जाए। यूपी में कांग्रेस की साख सुधरने से तिवारी के मन में मुख्यमंत्री बनने की चाहत जागना स्वाभाविक ही है। उधर राजमाता को तिवारी की छवि और उनके मुलायम तथा मायावती से रिश्तों के बारे में भी आवगत करवा दिया गया है। कुछ दिन पहले राहुल गांधी के हेलीकाप्टर प्रकरण में रीता बहुगुणा का बडबोलापन राजा को नागवार गुजरा था, तब से राजा इसी जुगत में हैं कि रीता को कैसे भी करके हटाया जाए। रीता भी शायद राजा की मंशा जान चुकी हैं, सो उन्होंने भी अब अपना मुंह सिल लिया है। अब बाजी अहमद पटेल के हाथ में हैं। कहते हैं कि अहमद अब दिग्गी और यूपी के बारे में जैसी भी चाभी भरेंगे सोनिया वैसा ही कदम उठाएंगी।

कमल नाथ ने मारी बाजी
कमल नाथ के पास चाहे वस्त्र मंत्रालय रहा हो या वन एवं पर्यावरण अथवा वाणिज्य एवं उद्योग हर बार उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली के चलते विभाग को चर्चित बनाया है। वन एवं पर्यावरण रहते हुए पृथ्वी सम्मेलन में भारत की जोरदार उपस्थिति के चलते वे चर्चाओं में रहे तो वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहते हुए विदेशों के लगातार दौरे ने उन्हें चर्चा में रखा। अब भूतल परिवहन मंत्री बनने के बाद स्विर्णम चतुभुZज के उत्तर दक्षिण गलियारे को अपने संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाडा से होकर गुजारने के मामले में वे सुर्खियों में हैं। अपनी कार्यप्रणाली के कारण चर्चाओं में रहने वाले भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने अंतत: एक मामले में बाजी मार ही ली। उन्होंने हाल ही में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को परास्त करते हुए निविदा नियमों को बहुत सरल बनवाने में सफलता हासिल कर ली है। योजना आयोग के एक सदस्य और पूर्व कैबनेट सचिव बी.के.चतुर्वेदी ने नियमों के सरलीकरण के मामले में कमल नाथ के पक्ष में रिपोर्ट दे दी है।

चोर पर पडे मोर
पुरानी कहावत चोर पर पडे मोर रूपहले पर्दे के थ्री खान्स में से एक आमिर खान के साथ चरितार्थ हो ही गई। अपनी नई फिल्म थ्री ईडियट्स के प्रमोशन के लिए वे तरह तरह के स्वांग कर देश भर में घूम रहे थे। लंबे समय से फिल्मी दुनिया में पहचाना चेहरा रहे खान को गुमान भी न होगा कि भारत देश में एसा कोई है जो उन्हें ही पहचानने से इंकार कर देगा। देश भर में घूमने के बाद जब आमिर महाबलीपुरम पहुचे तो वहां एक टूरिस्ट गाईड से उनकी मुलाकात हुई। काफी गुफ्तगू के बाद आमिर ने उस गाईड को बताया कि वे आमिर खान हैं, फिल्मी जगत के माने हुए अभिनेता। छूटते ही गाईड ने आमिर से ही पूछ लिया कि यह आमिर खान कौन है। आमिर भी कहां हार मानने वाले थे, उन्होने अपनी किरकरी होती देख उससे पूछा कि क्या वे शाहरूख खान को जानते हैं, उसने नकारात्मक ही सर हिलाया। हारकर आमिर ने आखिरी प्रश्न दागा कि वह हिन्दी फिल्म देखता है कि नहीं। उसने बडी ही शालीनता से जवाब दिया कि उसने शालीमार देखी थी और फििल्मस्तान में वह सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र को ही जानता है। फिर क्या था आमिर अपना सा मुंह लिए लौट गए।

फिर हाई अलर्ट में राजधानी
देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली साल में दस महीने हाई अलर्ट पर ही रहा करती है। जब चाहे तब केंद्रीय गृह विभाग दिल्ली में हाई अलर्ट जारी कर देता है। 15 अगस्त, 26 जनवरी, नया साल, ईद, बकरीद, दीपावली, दशहरा, क्रिसमस आदि न जाने कितने पर्व हैं जबकि दिल्ली में आतंकी वारदात होने की आशंका बनी ही रहती है। दरअसल इन त्योहारों के दौरान बाजारों में भीडभाड चरम पर ही रहा करती है, इसलिए वारदात की आशंका ज्यादा ही हुआ करती है। हर बार हाई अलर्ट पर पुलिस द्वारा सडकों पर महज रस्मअदायगी के लिए चेकिंग की जाती है, पर इस बार नजारा कुछ और ही नजर आ रहा है। इस बार शराब पीकर गाडी चलाने वालों के खिलाफ पुलिस ने कुछ ज्यादा ही सख्ती अपना रखी है। साल के आखिरी पखवाडे में जगह जगह मयखाने बनाने वालों की शामत आ गई है। इस बार पुलिस किसी की कोई दलील सुनती नहीं दिखाई दे रही है। क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टीज पर भी पुलिस की चौकस निगाहें हैं।

गडकरी का राहुल पे्रम
लगता है भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी आरंभ से ही कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के फैन हो गए हैं। भाजपाध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली ही प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि वे राहुल गांधी के काम से संतुष्ट हैं। राहुल गांधी के दलित प्रेम पर गडकरी ने राहुल की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि राहुल गांधी अच्छा काम कर रहे हैं। भाजपा का एक धडा गडकरी के इस कथन से खफा नजर आ रहा है, क्योंकि गडकरी ने प्रत्यक्ष तौर पर अपने विरोधी के उन क्रिया कलापों की तारीफ कर दी जिसे भाजपा अब तक ढोंग बता रही थी। भाजपा के नेताओं का कहना है कि जहां तक राहुल गांधी को शुभकामना देने की बात है तो वह तो औपचारिकतावश समझ में आता है किन्तु किसी दूसरे के काम की सराहना करने का क्या मतलब निकाला जाए। गौरतलब होगा कि मध्य प्रदेश के टीकमगढ जिले में एक महिला की बच्ची के विवाह के लिए राहुल गांधी ने 20 हजार रूपए देने का आश्वासन दिया था, राहुल तो भूल गए किन्तु सूबे के भाजपाई निजाम शिवराज सिंह चौहान ने उसे बीस हजार की मदद पहुचाकर राहुल के पांखंड के मुंह पर करारा तमाचा मारा था।

पूर्व गृहमंत्री के दामाद को बचा रही है पुलिस!
मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री के दामाद को ढूंढने में मध्य प्रदेश पुलिस पूरी तरह सुस्त ही नजर आ रही है। गृहमंत्री के दामाद अतुल सिंह के खिलाफ राजधानी भोपाल के कमला नगर में प्रकरण पंजीबद्ध है। बताते हैं कि कोतवाली थाने में पदस्थ आरक्षक मुकेश पाठक जब अपने घर लौट रहा था तभी उसकी मोटर साईकिल अतुल सिंह की कार से टकरा गई। इससे नाराज होकर अतुल सिंह ने अपने साथियों सोनू सिंह और विजय कुमार श्रीवास्तव के साथ मिलकर मुकेश का अपहरण कर लिया। इसके बाद टीटी नगर थाना प्रभारी उमेश तिवारी ने आरक्षक को माता मंदिर के पास मुक्त करवाया, जहां विजय तो पुलिस की पकड में आ गया, बाकी फरार हो गए। इसका प्रकरण कमला नेहरू नगर थाने में पंजीबद्ध है। पुलिस ने अब तक पुलिस के ही आरक्षक के अपहरणकर्ताओं को नहीं पकडा है, जिससे सियासी हल्कों में यह बात तैर गई है कि कांग्रेस के शासन काल में पूर्व गृह मंत्री के दामाद होने के बावजूद भी भाजपा के शासनकाल में उसे पकडा नहीं जा सका है।
शहीदों के परिजनों को बेघर करने की तैयारी
मुंबई में अब तक के सबसे बडे आतंकी हमले के उपरांत शहीदों के परिजनों के साथ सरकार कैसा रवैया अपना रही है, इस बात को नेशनल मीडिया ने बखूबी उठा दिया है, किन्तु सूबों में छोटी छोटी घटनाओं में शहीद हुए कर्मचारियों के परिजनों को क्या भोगना पडता है इस बात से सरकार और मीडिया दोनों ही इत्तेफाक नहीं रखते हैं। महाराश्ट्र सूबे के ही गढचिरोली में नक्सलवादियों के साथ लोहा लेते हुए शहीद हुए पुलिस कर्मियों के परिजनों को सरकारी आवास से बेघर करने का मामला प्रकाश में आया है। चंद्रपुर में हुए विदर्भ साहित्य सत्कार सम्मेलन में जब शहीद उपनिरीक्षक चंद्रशेखर की बेवा हेमलता को बोलने बुलाया गया तो उसका गुस्सा फट पडा। हेमलता का आरोप था कि मुंबई में तो शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को सरकार सर आंखों पर बिठाती है पर गढचिरोली में अब तक शहीद हुए 152 पुलिस कर्मियों के परिवारों की ओर सरकार ने नजर उठाकर भी नहीं देखा है। सच ही है गढचिरोली में अगर सरकार इन शहीदों के परिजनों के लिए कुछ कर भी दे तो भला प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर की खबर थोडे बनेगी और पब्लिसिटी के भूखे नेता फिर भूखे ही रह जाएंगे।

अबूझ पहेली बना करकरे का जैकेट
मुंबई में हुए अब तक के सबसे बडे आतंकी हमले में शहीद एटीएस चीफ हेमंत करकरे की बुलेट प्रूफ जैकेट की गुत्थी सुलझती नहीं दिखती। जेजे अस्पताल के वार्ड ब्वाय के बयान ने मामले को और अधिक उलझा दिया है कि उसने जैकेट कूडे में फेंक दी थी। यहां पुलिसिया कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है। एक ओर जहां पुलिस किसी भी घायल या शव के आसपास के हर साक्ष्य को सहेजकर रखती है, वहीं दूसरी ओर उसे कूडे में फेंकने से अनेक प्रश्न आज भी अनुत्तरित ही हैंं। मजे की बात तो यह है कि करकरे के बुलेट प्रूफ जैकेट से संबंधित फाईल तो मिल गई है पर उससे जरूरी कागज गायब हैं। क्या जैकेट बुलेट प्रूफ नहीं थी, क्या करकरे के खिलाफ यह किसी के इशारे पर यह कोई सुनियोजित षणयंत्र था, जैसे प्रश्नों के उत्तर उनके परिजनों और देशवासियों को कब मिलेंगे, मिलेंगे भी या नहीं यह नहीं कहा जा सकता है।

अब राजमाता के नाम पर फरेब
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के नाम से रकम एंठने का एक मामला प्रकाश में आने से कांग्रेसी हल्कों में सनसनी मचना स्वाभाविक ही है। दिल्ली में एक व्यक्ति ने राज्यसभा में मनोनयन के नाम पर दस करोड रूपए की राशि बतौर रिश्वत लेने का मामला पुलिस में पंजीबद्ध करवाया है। अब तक सियासी दलों पर लोकसभा और विधानसभाओं में पैसे देकर टिकिट मिलने के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। यह पहला मौका है जबकि किसी ने राज्यसभा में मनोनयन के नाम पर रिश्वत मांगने और देने की बात कही हो। इस मामले में किसी मध्यस्थ ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सचिव अहमद पटेल के नाम पर उक्त राशि वसूली है। वैसे कहा जाता है कि राज्यसभा यानी पिछले दरवाजे से संसद में प्रवेश करने के लिए लोगों की अंटी में माल होना बहुत जरूरी है। हालत देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अब योग्यता के बजाए पैसा ही पैमाना बन चुका है।


पुच्छल तारा

इस बार पुच्छल तारा कुछ अलग ही है। हमारे ब्लाग पर जब हमने महामहिम के सुखोई में यात्रा करने और महिलाओं को एयर फोर्स में फाईटर पायलट न बनने के निर्देशोें के सबंध में टिप्पणी की तो मुंबई की मनीषा नारायण ने उस पर टिप्पणी की। जब हमने मनीषा का ब्लाग देखा तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। मनीषा किन्नर है। इस देश में हमें पहली बार किसी किन्नर का ब्लाग पढने को मिला। मनीषा का ब्लाग पढकर सुखद आश्चर्य हुआ कि मनीषा को लेखन का शौक है। वह अपने बारे में लिखतीं हैं ``मैं ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना मनुष्य हूं, और स्त्री पुरूष दायरे से मुक्त, मेरे भीतर गुण दोनों के हैं, लेकिन अवगुण एक के भी नहीं, मुझे बस प्यार चाहिए और आपको देना भी है प्यार . . . . ।`` मनीषा ने अपने ब्लाग का नाम हिज(डा) हाईनेस मनीषा रखा हुआ है। मनीषा के ब्लाग में राहुल गांधी की कारसेवा करने वाली तस्वीर को भी बेहद करीने से चित्रित किया है, जिसमें महिला चप्पल पहने लोहे के तसले में मिट्टी फेंक रही है तो युवराज राहुल गांधी श्वेत धवल मंहगे जूते पहनकर साफ सुथरी प्लास्टिक के तसले में।