बुधवार, 7 नवंबर 2012

अंग्रेजी मीडिया के भरोसे छवि निर्माण की कोशिश का मन!


फेरबदल से क्या अलीबाबा . . . . 3

अंग्रेजी मीडिया के भरोसे छवि निर्माण की कोशिश का मन!

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के मनमोहनी कार्यकाल में देश की जनता को भ्रम में रखकर जिस कदर लूटा और भ्रमित किया गया है उतना इसके पहले कभी नहीं किया गया था। यह सच है कि देश की राजनीति की दशा और दिशा दिल्ली से ही निर्धारित होती है। दिल्ली में माहौल बनाने का काम मूलतः अंग्रेजी मीडिया ही किया करता है। इसका सबसे अहम कारण यह है कि देश के नीति निर्धारकों को देश की मातृ भाषा हिन्दी के बजाए ब्रितानी हुकूमत की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी से ज्यादा मोह है।
एक आंकलन के अनुसार देश के शीर्ष राजनेता (कुछ खालिस देशी नेताओं को छोड़कर) अंग्रेजी में ही सारी बातें समझा करते हैं। देश को हांकने वाली कांग्रेस की राजमाता (बकौल एमपीसीसी चीफ कांति लाल भूरिया - राष्ट्रमाता) सोनिया गांधी को भी हिन्दी नहीं आती। वे इतालवी या अंग्रेजी में लिखा लिखाया भाषण पढती हैं उदहारण के लिए काम के उच्चारण के लिए के ए एम लिखा होता है।
इसी तरह देश के अन्य शीर्ष नेताओं को हिन्दी बोलना तो आसान है पर हिन्दी पढ़ना या लिखने में उनकी नानी याद आ जाती है। यही कारण है कि दिल्ली में अंग्रेजी मीडिया का बोलबाला है। कंप्यूटर भी हिन्दी नहीं समझता। कंप्यूटर के सारे कमांड आज भी अंग्रेजी में ही देने होते हैं। ब्लाग के इंटरनेट पर आ जाने और यूनीकोड फान्ट ने हिन्दी को इंटरनेट पर काफी हद तक समृद्ध कर दिया है, वरना हिन्दी का तो नामलेवा ही नहीं था इंटरनेट पर।
भारत गणराज्य के वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम भले ही अपने आप को महान अर्थशास्त्री प्रचारित करवाते रहे हों पर सच्चाई इससे एकदम उलट ही है। अंग्रेजी मीडिया के कुछ तबकों में अपनी मजबूत पकड़ का उपयोग कर दोनों ही महानुभाव अपने आपको कार्यकुशल और महान अर्थशास्त्री के बतौर महिमा मण्डित करवाने से नहीं चूकते हैं।
जहां तक रहा मंहगाई का सवाल तो रूपहले पर्दे की दामनीचलचित्र की तरह तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख से ही देश की जनता का मन बहलाते आए हैं मनमोहन सिंह। कभी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए थर्ड ग्रेड हिन्दी फिल्म के डायलाग की तरह बोल देते हैं -‘‘पैसा पेड़ों पर नहीं उगता।‘‘ तो कभी -‘‘मेरे हाथ में जादू की छड़ी नहीं है।‘‘
दरअसल मनमोहन सिंह खुद को ईमानदार बताने के चक्कर में बेईमानों की फौज के सेनापति बन बैठे हैं। वे अब भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक बनकर रह गए हैं। रीढ़ विहीन व्यक्तित्व आखिर कर भी क्या सकता है। आज तक मनमोहन सिंह ने एक भी चुनाव नहीं जीता है और कांग्रेस की राष्ट्रमाता श्रीमति सोनिया गांधी के हाथ के चलते वे प्रधानमंत्री बने बैठे हैं। इन परिस्थितियों में उनका सोनिया का रबर स्टेंप बनना स्वाभाविक ही है।
रही बात सोनिया गांधी की तो सोनिया गांधी को देश की जनता से कोई लेना देना ही प्रतीत नहीं होता है। कांग्रेस का काम भी देश की सेवा के बजाए अब बस सोनिया राहुल की सेवा तक ही सीमित बचा है। कांग्रेस की आधिकारिक वेब साईट पर भी सिर्फ सोनिया और राहुल के गुणगान हो रहे हैं। पंडित नेहरू से लेकर नरसिंहराव तक इस वेब साईट से नदारत हैं।
एक प्रश्न आम भारतीय के दिमाग में घूमना स्वाभाविक ही है कि आखिर कौन है राहुल? क्यों किया जा रहा है इन्हें महिमा मण्डित? कांग्रेस के महासचिव और सांसद बस यही योग्यता है राहुल की। रही बात चमत्कारिक व्यक्तित्व की तो राहुल और सोनिया अपना घर उत्तर प्रदेश और अपने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली और अमेठी ही नहीं बचा पा रहे विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों तो इस देश को क्या खाक बचाएंगे।
बहरहाल, इस सत्र में गेंहू के समर्थन मूल्य को ना बढ़ाकर कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने बहुत ही बड़ा आत्मघाती कदम उठाया है। सरकार ने रसूख वाली किसान लाबी को सिरे से नाराज कर दिया है। किसान लाबी के बीच असंतोष पनप रहा है। किसान लाबी का रोष और असंतोष इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि जब पिछले एक दशक से गेंहू का समर्थन मूल्य बढ़ता रहा हो और चुनाव के 14 माह पहले ही इसे ना बढ़ाया जाए तो इसे क्या कहा जाएगा?
अदूरदर्शी सरकार और इन कथित अर्थशास्त्रियों के नए नए प्रयोगों के चलते इस तरह के हालात निर्मित हुए हैं। सरकार ने भले ही खुदरा स्तर पर गेंहू और रोटी के आटे के दामों को ना बढ़ने देने के लिए गेंहूं का समर्थन मूल्य ना बढ़ाया हो पर जिस तरह से मंहगाई अपने पैर पसार रही है उसे देखकर लगता नहीं कि घरों में पहुंचने वाला आटा मंहगाई के इस कैंसर से अछूता रह पाएगा। सरकार की सोच इस मसले पर भले ही आम उपभोक्ताओं को राहत देने की रही हो पर सरकार के इस कदम से ना तो किसानों का ही हित सधेगा और ना ही आम आदमी की रोटी सस्ती हो सकेगी।
दरअसल, सरकार को कार्यकाल आरंभ करते ही अर्थव्यवथा में ढांचागत सुधार की कवायद करनी चाहिए थे, वस्तुतः उस समय सरकार में बैठी कांग्रेस सत्ता के मद में चूर थी। अब जबकि देश चुनाव के मुहाने पर खड़ा हो तब इस तरह की सोच या कवायद आत्मघाती ही साबित हो सकती है। जिस किसी ने भी कांग्रेस को इस तरह की सोच पर काम करने का मशविरा दिया है वह निश्चित तौर पर यह चाह रहा होगा कि आने वाले समय में देश से कांग्रेस का नामोनिशान उसी तरह मिट जाए जिस तरह उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश से मिट चुका है। (साई फीचर्स)
(क्रमशः जारी)

राहुल के लिए सज रहा 24 अकबर रोड़


राहुल के लिए सज रहा 24 अकबर रोड़

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार दीप पर्व हेतु अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में साफ सफाई की जा रही है। दरअसल, यह तैयारी है कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के आगमन की। कांग्रेसी अंदर ही अंदर नाच गा रहे हैं कि अब युवा तरूणाई के प्रतीक राहुल गांधी घोषित तौर पर उनका नेतृत्व करने वाले हैं। राहुल गांधी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे या सरकार में शामिल होंगे के कयास मीडिया में लंबे समय से लगते आए हैं। मनमोहन सरकार के संभवतः अंतिम फेरबदल के उपरांत यह तो साफ हो गया कि राहुल सरकार में अभी शामिल नहीं होने वाले हैं।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस का बहुप्रतीक्षित संगठनात्मक फेरबदल दीप पर्व के बाद हो सकता है, जिसमें पार्टी महासचिव राहुल गांधी को अधिक महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, यदि फेरबदल 22 नवंबर से पहले नहीं होता है, तो यह संसद के शीतकालीन सत्र के बाद हो सकता है। संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
कांग्रेस के एक आला नेता ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। कांग्रेस हालांकि नौ नवंबर को दिल्ली से सटे हरियाणा के सूरजकुंड में समीक्षा व रणनीति बैठक की तैयारियों में जुटी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसका पार्टी में संगठनात्मक फेरबदल से कोई लेनादेना नहीं है।
वैसे सूत्रों ने यह भी संकेत दिए कि सोनिया गांधी की ढलती उम्र, बीमारी और कमजोर होती पार्टी पर पकड़ को देखकर अब उन पर यह दबाव बनने लगा है कि उन्हें जल्द से जल्द राहुल या प्रियंका की बैसाखी लेकर पार्टी को चलाना चाहिए, अन्यथा आने वाले समय में पार्टी की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है। संभवतः यही कारण है कि राहुल गांधी ने बजाए सरकार के संगठन का दामन थामने का फैसला लिया है।
पार्टी के नेताओं के अनुसार, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में फेरबदल की तैयारी कर ली गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यह तय करेंगी कि इसकी घोषणा किस वक्त की जानी है। कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया गांधी ने इस बार किसी पर एतबार नहीं किया है। इस बार फेरबदल का सारा मसौदा एक त्रिफला ने ही तैयार किया है।
सूत्रों की मानें तो इस त्रिफला में नेहरू गांधी परिवार के दो सदस्य और तीसरा कांग्रेस का ताकतवर नेता है। इस संगठनात्मक फेरबदल की बुनियाद सोनिया गांधी ने अवश्य रखी है पर सोनिया की सहमति से इसे अंतिम स्वरूप सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका वढ़ेरा, उत्तर प्रदेश के अमेठी (जिस सूबे में कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचा है) से सांसद पुत्र राहुल गांधी और गुजरात (जिस सूबे में कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचा है) से आने वाले अहमद पटेल द्वारा दिया जा रहा है।

मध्य प्रदेश का जनसंपर्क मंत्री कौन! लक्ष्मीकांश शर्मा या गौरी शंकर बिसेन


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 7

मध्य प्रदेश का जनसंपर्क मंत्री कौन! लक्ष्मीकांश शर्मा या गौरी शंकर बिसेन

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश में मीडिया बिरादरी में आजकल यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर प्रदेश का जनसंपर्क मंत्री कौन है? सरकारी सूची के अनुसार तो जनसंपर्क का दायित्व लक्ष्मीकांत शर्मा के पास है पर अगर किसी अखबारनवीस को विज्ञापन चाहिए या विज्ञापन सूची में शामिल होना हो तो उसे सहकारिता मंत्री गोरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
जनसंपर्क महकमे के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश सरकार की योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने के लिए पाबंद इस महकमे के एक आला अधिकारी द्वारा किए गए काम से साफ जाहिर हो रहा है कि मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा अपने विभागीय मंत्री लक्ष्मी कांत शर्मा से ज्यादा तवज्जो सहकारिता मंत्री गोरी शंकर बिसेन को दे रहा है।
जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि प्रदेश के एक समाचार पत्र को विज्ञापन संबंधी कोई अघोषित रोक लगा दी गई। इस पर उक्त समाचार पत्र के मालिक संपादक द्वारा जनसंपर्क के आला अधिकारियों से इस बारे में गुहार लगाई। काफी दिनों तक जब इसका निकाल नहीं निकला तो वह हताश हो गया, और एक अधिकारी से व्यक्तिगत तौर पर संपर्क करने जा पहुंचा। चर्चा में आश्वासनों के अलावा और कुछ भी उस मालिक संपादक को नही मिला।
उक्त अधिकारी ने कहा कि उक्त मालिक संपादक उस वक्त हैरान रह गया जब उसके मोबाईल पर जनसंपर्क विभाग के एक उच्चाधिकारी का एसएमएस गया। बताते हैं कि उक्त एसएमएस की इबारत थी कि वी केन नाट इग्नोर ओनरेबल मिनिस्टर, प्लीज कांटेक्ट श्री गोरी शंकर बिसेन एण्ड . . .। कहा जा रहा है कि उक्त संपादक मालिक के समाचार पत्र से गौरी शंकर बिसेन बुरी तरह खफा चल रहे हैं।
जैसे जैसे यह बात मीडिया के बंदों के पास पहुंची सभी हत्प्रभ रह गए कि जनसंपर्क मिनिस्टर तो लक्ष्मी कांत शर्मा हैं, फिर जनसंपर्क विभाग के आला अधिकारी आखिर विज्ञापन के लिए शर्मा को छोड़कर गौरी शंकर बिसेन की नाराजगी दूर करने की बात क्यों कर रहे हैं। पत्रकारों को अचानक लगा कि कहीं हाल ही के मंत्रीमण्डल विस्तार में लक्ष्मीकांश शर्मा की जगह गौरी शंकर बिसेन को तो जनसंपर्क की जवाबदारी नहीं सौंप दी गई?

मंदिर का धन विज्ञापन के लिए नहीं


मंदिर का धन विज्ञापन के लिए नहीं

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। मंदिरों का धन वाकई भगवन का धन होता है। इस धन का उपयोग निजी हित में या विज्ञापनों के लिए नहीं किया जा सकता है। देखा जा रहा है कि देश भर में मंदिरों को दुकान के बतौर खोल दिया गया है और इससे होने वाली आय का कोई हिसाब किताब ही नहीं रखा जा रहा है। लोगों ने मंदिरों को अपने वर्चस्व जतलाने का साधन भी बना लिया है।
उच्चतम न्यायालय ने केरल के प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के खजाने की कोठरियों को मजबूत बनाने की अनुमति दे दी है। इनमें डेढ़ लाख करोड़ रुपए की संपत्ति बताई जा रही है। न्यायमूर्ति आर। एम। लोढा और ए। के। पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि खजाने की कोठरियों को पुख्ता करने का खर्च राज्य सरकार और मंदिर की प्रबंधन समिति मिलकर वहन करेंगे।
इस पर ८० लाख रुपए की लागत आने का अनुमान है। इस बीच, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि मंदिर की संपत्ति को उजागर करने और उसका मूल्य तय करने की समूची प्रक्रिया अगले वर्ष जून तक पूरी हो पाएगी। मंदिर के खजाने की ६ कोठरियां हैं, जिनमें से अधिकांश भूमिगत हैं और उनमें बेशकीमती वस्तुएं रखी गई हैं।
उधर, शिमला से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से स्वाति नाडकर्णी ने खबर दी है कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा विज्ञापन में धन खर्च करने पर कड़ा रुख अपनाया और राज्य सरकार को इस तरह की गतिविधियों को रोकने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ एवं न्यायमूर्ति डी.सी. चौधरी की खंडपीठ ने सोमवार को आदेश में कहा कि मंदिर का ट्रस्ट अपने किसी भी प्रायोजन के विज्ञापन के लिए किसी भी तरीके से धन खर्च नहीं कर सकता। रजनीश खोसला द्वारा हाई कोर्ट को लिखित पत्र पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया। खोसला ने पत्र में कहा था कि बाबा बालकनाथ मंदिर के ट्रस्ट ने 2009 में 100000 रुपये विज्ञापन में खर्च किए थे।
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव एवं मुख्य आयुक्त (मंदिर) को यह निर्देश जारी करने के लिए कहा कि भगवान का धन मंदिर के ट्रस्ट द्वारा विज्ञापन में खर्च नहीं किया जा सकता।

असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हुई चर्चा


असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हुई चर्चा

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। भारत और कैनडा ने कल असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को लागू करने के बारे में बातचीत पूरी की। इस समझौते पर २०१० में हस्ताक्षर किए गए थे। यह घोषणा, प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह और कैनडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हॉर्पर ने नई दिल्ली में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में की। बातचीत के बाद, तीन और समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इनमें एक समझौता और दो सहमति ज्ञापन हैं जो सामाजिक सुरक्षा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तथा रक्षा अनुसंधान और विकास में  सहयोग के बारे में हैं।  वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टोरन्टो में हुए असैन्य परमाणु समझौते को लागू करने के तौर तरीके तय करने की दिशा में हुई प्रगति की सराहना की।
उन्होने कहा कि हम टोरंटो में २०१० में हुए असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते को प्रभावी रूप से लागू करने के तरीके तय करने में हुई प्रगति का स्वागत करते हैं। कैनडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हॉर्पर ने भी कैनडा की कंपनियों की तरफ से भारत को परमाणु तकनीक निर्यात करने की इच्छा जाहिर की।

बुनियादी सुविधाओं के लिए दस खरब अमरीकी डालर होंगे खर्च


बुनियादी सुविधाओं के लिए दस खरब अमरीकी डालर होंगे खर्च

(अभिलाषा जैन)

लंदन (साई)। मंदी की मार झेल रहे भारत गणराज्य में आजादी के साढ़े छः दशकों बाद भी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इस देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस ने ना जाने कितनी पंचवर्षीय योजनओं के माध्यम से देश में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने का असफल प्रयास किया है।
अब भारत अगले ५ साल में देश में बुनियादी ढ़ांचागत सुविधाओं के विकास के लिए १० खरब अमरीकी डॉलर खर्च करेगा इसमें से ४० प्रतिशत राशि निजी क्षेत्र से आएगी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने कल लंदन में इंडिया हाउस में भारतीय पत्रकार  संघ के सदस्यों को यह जानकारी दी।
लंदन प्रवास पर आए शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि भारत ने २० लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में मेट्रो ट्रेन चलाने का फैसला किया है। एफडीआई के बारे में एक सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि हमारी सरकार इस मसले पर सर्वसम्मति बनाने का प्रयास कर रही है।

गड़करी के बचाव में उतरी भाजपा


गड़करी के बचाव में उतरी भाजपा


(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी ने अपने अध्यक्ष नितिन गडकरी पर लगे आरोपों के मामले में उनका बचाव किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि श्री गडकरी ने कुछ भी गैर कानूनी और अनैतिक नहीं किया है। कल रात नई दिल्ली में हुई कोर ग्रुप की बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने वरिष्ठ नेताओं सुषमा स्वराज और अरूण जेटली की ओर से बयान जारी किया।
बयान में का गया है कि नितिन गड़करी के बारे में जो पूर्ति कंपनी के निवेश के बारे में चर्चा हुई है और पार्टी इस बात को महसूस करती है कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं वह उचित नहीं है। उनका किसी भी प्रकार से वैधानिक अथवा नैतिक रूप से उन १८ कंपनियों में कोई इंवॉलवमेंट नहीं है जिनके इन्वेस्टमेंट की बात सामने में आई है। पार्टी पूरी प्रामाणिकता से श्री गडकरी के साथ खड़ी है। उन्होंने स्वयं किसी भी खुले इक्वायरी के लिए अपने को पेश किया।
कोरग्रुप की बैठक पूर्ति समूह के संचालन में श्री गडकरी पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर विचार करने के लिए हुई थी। यह दूसरा अवसर है जब पार्टी ने सार्वजनिक रूप से श्री गडकरी का समर्थन किया है। कल पार्टी के वरिष्ठ नेता और जानेमाने वकील राम जेठमलानी ने इस मुद्दे पर गडकरी के इस्तीफे की मांग की थी।
वैसे गड़करी की राह इतनी आसान नहीं दिख रही है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ पार्टी में बागी सुर बढ़ते जा रहे हैं। महेश जेठमलानी के बाद अब राम जेठमलानी भी गडकरी के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए हैं। उन्होंने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि लंदन में उन्हें  गुरूमूर्ति ने शांत रहने के लिए कहा था, लेकिन जब वह दिल्ली लौटे तो गुरूमूर्ति से उनकी मुलाकात ही नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा कि उन्हें लगा था कि गडकरी अपने आप इस्तीफा दे देंगे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं। जेठमलानी ने दावा किया कि जसवंत सिंह, यशवंत सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा भी गडकरी के इस्तीफे की मांग में उनके साथ हैं। राम जेठमलानी का कहना है कि गडकरी कभी भी कोई वादा नहीं निभाते हैं।
उनके मुताबिक, बहुत पहले उन्होंने मुझसे मिलने का वादा किया था लेकिन आज तक नहीं मिले। जेठमलानी का कहना है विवेकानंद पर गडकरी के दिए गए बयान के बाद हम उनसे कोई संबंध नहीं रखना चाहते हैं। उनके बेटे महेश जेठमलानी ने भी सोमवार को गडकरी के खिलाफ खुले आम बगावत की थी।
उधर भाजपा के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा की संघ विचारक गुरूमूर्ति से दो घंटे लंबी बातचीत हुई है। बातचीत ऐसे वक्त में हुई, जब कुछ वक्त पहले ही एक चौनल को दिए साक्षात्कार में राम जेठमलानी ने इस बात का खुलासा किया था कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता गडकरी को हटाना चाहते हैं।

नाथ तिवारी कुमार जीओएम में


नाथ तिवारी कुमार जीओएम में

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री ने मीडिया से संबंधित मंत्रिसमूह का पुनर्गठन किया है। इसमें नवनियुक्त सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, कानून मंत्री अश्विनी कुमार और संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ को शामिल किया गया है। सूचना और प्रसारण मंत्री के पद से श्रीमती अंबिका सोनी के इस्तीफे और श्री पवन कुमार बंसल को संसदीय कार्यमंत्री के बजाए रेलमंत्री बनाए जाने के बाद इस मंत्रिसमूह का पुनर्गठन जरूरी हो गया था।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, जो पहले कानून और न्याय मंत्री थे, इस मंत्रिसमूह के सदस्य रहेंगे। वित्तमंत्री पी० चिदम्बरम इस मंत्रिसमूह के अध्यक्ष हैं। स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी० नारायणसामी भी मीडिया मंत्रिसमूह के अन्य सदस्य हैं।

नीलम प्रभावित क्षेत्र में राहत बचाव कार्य तेज


नीलम प्रभावित क्षेत्र में राहत बचाव कार्य तेज

(प्रीति सक्सेना)

हैदराबाद (साई)। आंध्र प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार वर्षा से बुरी तरह प्रभावित उत्तरी तटवर्ती इलाकों में राज्य सरकार ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं। बारिश अब थम गई है लेकिन सैकड़ों रिहाइशी इलाकों में अब भी पानी भरा है, जिसके कारण निचले इलाकों के लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में चले गए हैं। लगभग ७० हजार लोगों ने १८० राहत शिविरों में शरण ली हुई है। स्थानीय प्रशासन बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करने के सभी उपाय कर रहा है। प्रभावित इलाकों में सड़क और रेल यातायात पूरी तरह बहाल करने की कोशिशें जारी है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य सरकार ने बाढ़ पीड़ित लोगों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया है। मुख्य मंत्री किरण कुमार रेड्डी ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया और किसानों को आश्वासन दिया कि सरकारी एजेंसियां बदरंग हो चुके धान और क्षतिग्रस्त कपास खरीदेंगी।प्रशासन ने मौसम विभाग के हवाले से अगले २४ घंटों में तेलंगाना और कुछ उत्तरी तटवर्ती जिलों में तेज वर्षा की चेतावनी जारी की है। तेज वर्षा और चक्रवाती तूफान नीलम के प्रभाव से राज्य के १५ जिले प्रभावित हुए हैं।
वहीं, दिल्ली से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के केंद्रीय कक्ष से मणिका सोनल ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान करने की पेशकश की। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को निर्देश दिया कि वह लगातार स्थिति पर निगरानी रखें और राहत तथा पुनर्वास के लिए हरसंभव सहायता मुहैया कराएं। प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट की जिन्होंने श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम, पूर्व गोदावरी, पश्चिम गोदावरी और कृष्णा जिलों में अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया।
ज्ञातव्य है कि राज्य में मूसलाधार बारिश, उत्तर-पूर्वी मानसून और चक्रवाती तूफान नीलम की वजह से व्यापक नुकसान हुआ है और डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों ग्रामीण बह गए, सड़क और रेल यायातात बुरी तरफ प्रभावित हो गया तथा फसलें क्षतिग्रस्त हो गईं।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि मूसलाधार बारिश से आंध्र प्रदेश के आठ जिलों में 480 घर पूरी तरह और 766 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। 250,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में खड़ी फसलें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। सभी नदी-नालों, तालाबों व अन्य जलाशयों में आए उछाल के कारण जिले के कई गांव डूब गए हैं। इस तटीय जिले में कम से कम 72 तलाबों के तटबंध टूट गए, दर्जनों गांव डूब गए। इन गांवों में बिजली नहीं है। बाढ़ से पूर्वी गोदावरी जिला बुरी तरह प्रभावित हुआ है और लगभग 30,000 लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।

कुहरा छटा, अब बढ़ेगी गलन


कुहरा छटा, अब बढ़ेगी गलन

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली में छाई कुहासे की धुंध बुधवार की सुबह काफी हद तक कम दिखाई दी। आसमान सुबह से ही काफी हद तक साफ दिखा। मौसम विभाग के सूत्रों का कहना है कि कुहरा हटने के साथ ही दिल्ली में अब गलन तेज होने की संभावनाएं बलवती होती जा रही हैं।
मौसम विभाग के सूत्रों ने सामाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दरअसल वातावरण में धुंध और प्रदूषण के चलते नमी का असर पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहा है। मौसम जैसे ही साफ होगा नमी के चलते पारे में तेजी से गिरावट दर्ज की जाएगी। मंगलवार को हवा में नमी की अधिकतम मात्रा 94 फीसद रिकॉर्ड की गई।
सूत्रों ने यह भी कहा कि अगले कुछ दिनों में पूरब की हवा का असर दिखाई देगा, जिसमें नमी ज्यादा होती है। इसके बाद कोहरे का प्रकोप दिखने लगेगा। वहीं दिल्ली के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में पिछले दिनों अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।

अब एशियन टाईगर का कहर!



अब एशियन टाईगर का कहर!


(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी में एक के बाद एक किसी ना किसी का आंतक छाया हुआ है। त्योहारों के पास आते ही आतंकी हमले का डर तो कभी स्वाईन       फ्लू तो कभी दिमागी बुखार, कभी डेंगू तो कभी किसी का। अब दिल्ली के लोग एशियन टाईगर की दहशत के साए में जी रहे हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली में इन दिनों डेंगू की संख्या में विस्फोटक इजाफा दर्ज किया गया है। दिल्ली ही क्या समूचे देश में अब डेंगू के मच्छरों का प्रवाह तेज हो गया है। अब डेंगू के साथ ही एडीस मच्छर की एक नई प्रजाति का भी पता चला है। एडीस मच्छरों की नई प्रजाति एल्बोपिक्ट्रस का राजधानी में दस्तक देना मुख्य वजह है। इसे एशियन टाइगर नाम से भी जाना जाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अभी तक इस प्रजाति का मच्छर दक्षिण भारत में पाया जाता था, लेकिन इस बार इसने राजधानी को भी चपेट में ले लिया है। यही वजह है कि डेंगू का प्रकोप पिछले 20 दिनों में ही दोगुना हो गया है।
महानगर पालिका निगम के सूत्रों का कहना है कि पिछले साल तक राजधानी में डेंगू के लिए इजिप्टा प्रजाति के मच्छरों को जिम्मेदार माना जा रहा था लेकिन एमसीडी के सर्वे के दौरान इस साल एशियन टाइगर मच्छरों की कई स्थानों पर पुष्टि हुई है। वहीं मौसम में आई ठंड के बावजूद डेंगू के मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। रोजाना करीब 35-40 मरीज इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। हालात यह हैं कि इस साल अब तक कुल 1238 मरीज इसकी चपेट में आ चुके हैं। ठंड की शुरुआत में डॉक्टरों का कहना था कि अब मरीजों की संख्या में गिरावट आएगी, लेकिन तापमान में कमी के बावजूद नए मरीजों की संख्या जस की तस बनी हुई है।
इस साल जनवरी से 15 अक्टूबर के बीच डेंगू के मरीजों की संख्या जहां 534 थी, वहीं 6 नवंबर तक इनकी संख्या 1238 पहुंच गई। जानकारी के मुताबिक डेंगू का मच्छर 15 और 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच तेजी से पनपते हैं लेकिन फिलहाल राजधानी का न्यूनतम तापमान 13।8 डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में एडीस मच्छरों की ब्रिडिंग में कमी आनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इस एशिन टाईगर के मामले में सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि एशियन टाइगर के आगे एमसीडी की सभी दवाएं और डेंगू से निपटने की पूरी कवायद फेल हो रही है। अगर वर्ष 2010 को छोड़ दिया जाय तो पिछले पांच वर्षाे में इस साल डेंगू के सबसे अधिक मरीज सामने आए हैं।
एमसीडी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एशियन टाईगर की विशेषता यह है कि यह शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में घरों के अंदर और बाहर अस्तित्व में रह सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह मच्छर घर और बाहर दोनों ही जगह पनपता है और इजिप्टा मच्छर के मुकाबले ज्यादा खतरनाक है।

टाईम बम के साथ माओवादी!


टाईम बम के साथ माओवादी!

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। छत्तीसगढ़ में कहर बरपाने वाले नक्सलवादी और माओवादियों की हरकतें एक बार फिर तेज हो गई हैं। पुलिस के हत्थे चढ़े कुछ सामान ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस को संदेह है कि इस तरह की गैर कानूनी और गैर सामाजिक हरकतों में लगी ताकतें अब टाईम बम का भी निर्माण करने में लग चुकी हैं।
राजनांदगांव से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने बताया कि आधुनिक हथियार बनाने की फैक्ट्री चलाने वाले माओवादी टाइम बम भी तैयार कर रहे हैं। अंबागढ़ चौकी क्षेत्र के खुनेरा-नाडेकल व छुरिया के झाड़ीखैरी में बरामद हुए डंप में कुछ घ्से आइटम भी पुलिस के हाथ लगे हैं, जिसका उपयोग टाइम बम बनाने में किया जाता है।
पत्रवार्ता में आईजी आरके विज ने बताया कि विशेष सूचना पर दोनों स्थानों से जिला पुलिस, आईटीबीपी व एसटीएफ की टीम ने टाइम बम बनाने का सामान, डेटोनेटर, एसएलआर एवं एके-47 राउंड, अल्टीमीटर, लीड, कम्युनिकेशन एंटीना, बैटरी चार्जर एवं माओवादी साहित्य, आईईडी बनाने में काम आने वाले 15 व 30 किलो के 2 स्टील कंटेनर बरामद किए गए।
इसी तरह माओवादी पार्टी का झंडा, 9 नग इलेक्ट्रॉनिक डेटानेटर, 6 नग एसएलआर राउंड, 1 नग एके 47 राउंड , 1 नग पिदू, पिटू बनाने का रैग्जिन, अल्टीमीटर, लीड , बैटरी स्माल, कम्युनिकेशन सेट एरियल आदि मिले। आईजी ने बताया कि जनमिलिशिया सदस्य ने सरेंडर किया है। लेकिन, सरेंडर माओवादी के नाम का खुलासा नहीं किया।
आईजी ने जानकारी दी कि उक्त सदस्य के नाम पर आईजी रायपुर रेंज ने 15 हजार रूपए व नांदगांव एसपी ने 5 हजार का इनाम घोषित किया था। उक्त सदस्य ने गांव में रहकर ही जीवकोपार्जन की इच्छा जताई है। इसके चलते ही नाम का खुलासा नहीं करने की बात कही गई। आईजी ने बताया कि बरामद किए गए साहित्य से पता चलता है कि माओवादी इन दिनों किस तरीके से काम कर रहे हैं। 

एसओ सहित पांच के खिलाफ हत्या का मामला


एसओ सहित पांच के खिलाफ हत्या का मामला

(शैलेन्द्र)

जयपुर (साई)। राजस्थान के अलवर के टपूकड़ा थाने के हैड कांस्टेबल उदयसिंह की मौत के मामले में दिनभर परिजनों और ग्रामीणों के हंगामे के बाद पुलिस ने थानाप्रभारी सरदार सिंह सहित एएसआई कंवर सिंह, एएसआई रामस्वरूप, कांस्टेबल वेदप्रकाश और निजी वाहन के चालक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया। सोमवार को पुलिस ने हैडकांस्टेबल की मौत का कारण उसके स्वयं के द्वारा पिस्टल लोड करते वक्त गोली चलना बताया था।
भिवाड़ी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल कयाल ने बताया कि मृतक हैडकांस्टेबल उदयसिंह के परिजन और कुछ लोग मंगलवार को टपूकड़ा अस्पताल पहंुचे। लोगों ने उदयसिंह के साथ मौजूद पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की। इसे लेकर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया तथा शव स्वीकार नहीं किया। उनका आरोप था कि मृतक की हत्या की गई है और इसमें साथ रहे पुलिसकर्मी दोषी हैं। दोपहर करीब तीन बजे थानाप्रभारी को लाइन हाजिर करने तथा आरोपितों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करने तथा मृतक के परिजन को सरकारी नौकरी की सिफारिश के आश्वासन के बाद परिजन पोस्टमार्टम कराने और शव लेने को तैयार हुए।
हैडकांस्टेबल की मौत किस हथियार की गोली से हुई है इस बारे में पुलिस की तहकीकात अभी अधूरी है। कयाल ने बताया कि घटना के दौरान मौजूद सभी पुलिसकर्मियों के हथियारों को जब्त कर लिया गया है। विशेष जांच के लिए एफएसएल जयपुर की विस्फोट विशेषज्ञ टीम को बुलाया गया है जो घटना से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है। 

प्रणव ने किया नए सचिवालय का उदघाटन


प्रणव ने किया नए सचिवालय का उदघाटन

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर का दौरा किया और सचिवालय परिसर का उद्घाटन किया। नया रायपुर राज्य की प्रशासनिक राजधानी होगा। सचिवालय परिसर में सरकार के सभी विभागों के कार्यालय होंगे। नया रायपुर एक नवंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी बना। यह रायपुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है।
राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा, कि नया रायपुर पुनरुत्थानशील छत्तीसगढ़ का ध्वज-वाहक होगा। यह राज्य की समृद्ध विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य को प्रतिबिम्बित करेगा। यह भारत का सुनियोजित एवं आधुनिक शहर बनने की ओर अग्रसर है। आधुनिक शहर विकसित करने की यादगार परियोजना नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) ने तैयार की है। यह नया शहर 80।13 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें वर्ष 2031 तक 560,000 निवासियों को बसाने का लक्ष्य है।
राष्ट्रपति मुखर्जी मंगलवार की शाम छत्तीसगढ़ पहुंचे। दो दिवसीय दौरे पर आए मुखर्जी बुधवार को नक्सलवाद प्रभावित नारायणपुर जिले का दौरा करेंगे और रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाईअड्डे पर नए इंटीग्रेटेड पैसेंजर टर्मिनल कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण करेंगे।

त्योहार पर जांचे मिलावट को!


त्योहार पर जांचे मिलावट को!

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। नकली दूध, घी और मावा बनानेवाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं। नकली मिठाई और सिंथेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। आखिर कैसे बनता है मिलावटी मावा और दूध। कैसे करें असली-नकली की पहचान।
0 कैसे बनता है नकली मावा?
एक किलो दूध से सिर्फ दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता है। लिहाजा बनाया जाता है मिलावटी मावा। इसे बनाने में अक्सर शकरकंदी, सिंघाडे़ का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है। नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े। वजन बढ़ाने के लिए मावा में आटा भी मिलाया जाता है। नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाया जाता है। कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।
0 कैसे बनता है सिंथेटिक दूध?
सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है। इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है। मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध पीने से आपको फूड पॉयजनिंग हो सकती है। उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। किडनी और लिवर पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है। स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाइ खाने से लीवर को भी नुकसान पहुंच सकता है। इससे कैंसर तक हो सकता है। कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर डॉ। प्रवीण मिश्र के मुताबिक जो खाने की चीजों में मिलावट से फ़ूड पॉइजनिंग से लेकर कैंसर तक बीमारियां हो सकती हैं। स्किन डिसीस स्टमक डिसीस हो सकता है। लगातार मिलावटी खाना खाने से कैसर भी हो सकता।घ्
नकली मावा तो मिठाई में इस्तेमाल होता है। असली और नकली मिठाई में पहचान करना मुश्किल है। लिहाजा आप अच्छी और भरोसेमंद दुकान से ही मिठाई खरीदें। हमेशा बिल के साथ मिठाई लें ताकि किसी किस्म की खराबी होने पर दुकानदार को पकड़ सकें। जहां तक दूध का सवाल है तो आप थोड़ा सजग रहकर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते है।
सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती। असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है। असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है। अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है, वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है।
अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है। असली दूध को हाथों के बीच रग़ड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। दूसरी ओर, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।