ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
नए अवतार में ताई!
देश की पहली महिला महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इन दिनों अलग ही रूप में नजर आ रहीं हैं। कल तक शांत रहने वाली प्रतिभा ताई ने अब अपनी भाव भंगिमाएं बदल लीं हैं। इस साल जुलाई में वे सेवानिवृत होने वाली हैं। इस साल गणतंत्र दिवस परेड पर प्रतिभा पाटिल ने पूर्व राष्ट्रपति कलाम के मानिंद ही बच्चों के साथ खूब समय बिताया। कहा तो यह भी जा रहा है कि कलाम की तरह लोकप्रिय होने की जुगत में प्रतिभा ताई ने यह कदम उठाया है, ताकि वे अगली मर्तबा इस पद पर अपनी दावेदारी पुख्ता कर सकें। रायसीना हिल्स से रूखसती के पहले प्रतिभा ताई ने अपनी प्राथमिकताएं भी तय कर लीं हैं। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों का दावा है कि प्रतिभा ताई मई माह में देश के हर सूबे में जाकर विधायकों से रूबरू होंगी। वे सर्वोच्च न्यायायल के न्यायधीशों, मीडिया कर्मियों कुछ गैर सरकारी संगठनों से मिलने वाली हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में वे केंद्रीय मंत्रीमण्डल के सदस्यों से रूबरू होंगीं।
पचौरी ने आरंभ किया अपना काम
भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह के नए मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने अपनी जवाबदारी लेने के बाद काम युद्ध स्तर पर आरंभ कर दिया है। एक तरफ तो मनमोहन के गण (मंत्री) कपिल सिब्बल द्वारा फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर नकेल कसने की मंशा जाहिर की जाती है वहीं दूसरी ओर पीएम के मीडिया एडवाईजर पचौरी ने प्रधानमंत्री का ट्विटर पर एकाउंट बनवा दिया है। ‘पीएमओ इंडिया‘ नामक यह एकाउंट चर्चा में आ चुका है। इसकी खासियत यह है कि इस एकाउंट से किसी को फालो नहीं किया गया है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि कपिल सिब्बल अब मनमोहन के मनमाफिक नहीं रहे, तभी तो सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स के उनके घोर विरोध के बावजूद भी पीएम ने अपना एकाउंट इस वेब साईट पर बनाने की सहमति दे दी। गौरतलब है कि इसके पहले पूर्व मंत्री शशि थरूर ने ट्विटर को सरकारी कामकाज का जरिया बनवा दिया था।
कुलकर्णी ने थामा गड़करी का हाथ
एक समय एल.के.आड़वाणी के खसुलखास रहे सुधींद्र कुलकर्णी ने अब नया आशियाना ढूंढ लिया है। कुलकर्णी अब भाजपा के निजाम नितिन गड़करी के सलाहकार के रूप में सामने आए हैं। ‘नोट फॉर वोट‘ मामले में जेल की हवा खा चुके कुलकर्णी के दिमाग की दाद देते हुए भाजपा ने उनका पुनर्वास किया है। 2009 में आड़वाणी के विजन दस्तावेज को तैयार करने वाले कुलकर्णी को भाजपा मुख्यालय 11, अशोक रोड़ में एक कमरा भी आवंटित हो गया है। बताते हैं कि कुलकर्णी इस समय गड़करी के लिए उत्तर प्रदेश में सत्ता वापसी का रोड़ मेप तैयार कर रहे हैं। जानकार इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि वेस्ट बंगाल की निज़ाम ममता बनर्जी के कथित तौर पर करीबी रहे कुलकर्णी जो रेल्वे की विशेषज्ञ समिति में भी थे को भाजपा इतनी महती जवाबदारी कैसे दे सकती है। ममता के रायटर बिल्डिंग पर कब्जे में भी कुलकर्णी की महती भूमिका बताई जा रही है।
पुर्ननियुक्ति की चाहत में द्विवेदी!
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के दिल्ली स्थित सूचना केंद्र के अपर संचालक पद से 31 जनवरी को सेवानिवृत हुए सुरेंद्र कुमार द्विवेदी पर भाजपा संगठन मेहरबान दिख रहा है। चर्चा है कि मध्य प्रदेश भाजपाध्यक्ष प्रभात झा के करीबी रहे द्विवेदी को पहले भोपाल स्थित माखन लाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पुर्ननियुक्ति देने की कवायद की गई थी। जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में यह बात लाई गई कि द्विवेदी द्वारा सरकार के बजाए संगठन की छवि बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया गया तो मामला खटाई में पड़ गया था। भाजपा मानसिकता वाले पत्रकारों पर मेहरबान रहने के आरोप द्विवेदी पर अनेक बार लगे। बताते हैं कि अब द्विवेदी की पुर्ननियुक्ति के लिए एमपी गर्वमेंट द्वारा दिल्ली में एक संसदीय सेल का गठन किया जा रहा है, जो सांसदों का सहयोग करेगा, और इस सेल के प्रभारी के बतौर सुरेंद्र द्विवेदी का नाम चलाया जा रहा है।
राजमाता से मिलने बैचेन खरे
देश के मीडिया को सरकार के लिए मैनेज करने वाले पीएम के मीडिया एडवाईजर रहे हरीश खरे का शनी लगता है काफी भारी चल रहा है। पीएमओ से हटने के बाद अब हरीश खरे के साथ सबसे बड़ा संकट उनकी पीठ पर लगा पीएम के मीडिया एडवाईजर का है। अब उन्हें इस पद पर रहने के बाद इसके समकक्ष या इससे उपर का ओहदा ही चाहिए होगा। अगर वे कहीं ज्वाईन करते हैं और वह पद इससे नीचे का हुआ तो यह उनकी अवनति माना जाएगा। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे इस वक्त कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी से मिलने को बेहद बेताब हैं। इसलिए उन्होंने सोनिया गांधी के पारिवारिक मित्र और पत्रकारी सुमन दुबे से मदद की गुहार लगाई है। उधर, खरे के घुर विरोधी पुलक चटर्जी ने अपना पूरा जोर लगा दिया है कि खरे और सोनिया गांधी की मुलाकात न हो पाए।
पगार सरकारी, गुणगान थापर के!
मध्य प्रदेश सरकार के अधीन काम करने वाले प्रदूषण नियंत्रण मण्डल का एक नया कारनामा सामने आया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि एमपीपीसीबी के जबलपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय और भोपल स्थित मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा पगार तो शिवराज सिंह चौहान सरकार से ली जा रही है, किन्तु गुणगान हो रहा है मशहूर उद्योगपति गौतम थापर का। दरअसल, थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले के छटवीं अनुसूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में कोल आधारित पावर प्लांट लगाया जा रहा है। पर्यावरण संतुलन हेतु इसे 2008 से वृक्षारोपण कराना था। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि उसने दिसंबर 2011 से वृक्षारोपण कराया है। उधर, पीसीबी के अधिकारियों ने कागजों पर ही वृक्षारोपण कर उनकी तसदीक भी कर ली। कहते हैं कि कंपनी ने इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वृक्षारोपण किया ही नहीं। पता नहीं क्यों एमपीपीसीबी द्वारा थापर की जुबान बोली जा रही है?
परेशान हैं दिनेश त्रिवेदी!
देश के रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई पड़ रही हैं। वे काफी टेंशन में दिखाई पड़ रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि त्रणमूल कोटे से मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी और त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के बीच सब कुछ सामान्य नहीं हैं। उधर, पश्चिम बंगाल की निजाम ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस की कालर पकड़कर उसे हड़काना आरंभ कर दिया है। त्रिवेदी के करीबी सूत्रों का कहना है कि मंत्री महोदय को लग रहा है कि पता नहीं वे अपने जीवन का पहला रेल बजट पेश भी कर पाएंगे अथवा नहीं। वैसे उनकी मुश्किल यह भी है कि ममता रेल किराया नहीं बढ़ाने की पक्षधर हैं, पर अगर रेल भाड़ा नहीं बढ़ा तो घाटे में चलने वाली भारतीय रेल के हालात इंडियन एयरलाईंस और एयर इंडिया के ‘महराजा‘ की तरह ही हो जाएंगे, जो दर दर भटककर मदद की गुहार लगा रहे हैं।
कांग्रेसियों के ‘रडार‘ पर मीनाक्षी
टीम राहुल की सदस्य और हृदय प्रदेश के मंदसौर की युवा सांसद मीनाक्षी नटराजन इन दिनों कांग्रेस के आला नेताओं के निशाने पर हैं। मीनाक्षी पर आरोप है कि उन्होंने आखिल भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) में राहुल गांधी के द्वारा तय किए गए नियम चुनाव के कायदों का सरेआम माखौल उड़ाया है। मीनाक्षी अपने पसंदीदा उम्मीदवार को एनएसयूआई का अध्यक्ष मनोनीत करवा दिया है। रोहित चौधरी पर आरोप है कि वे संगठन के लिए निर्धारित 30 वर्ष की आयु सीमा को पार कर चुके हैं। एक तरफ तो देश भर में एनएसयूआई क चुनाव चल रहे हैं, इन चुने हुए प्रतिनिधियों को नया अध्यक्ष चुनना है, पर कांग्रेस की बोरा बंद संस्कृति के चलते चौधरी को पद पर बिठा दिया गया है। इस बात को लेकर एनएसयूआई सहित कांग्रेस के आला नेताओं में रोष और असंतोष पनप रहा है। मीनाक्षी की शिकायत अनेक आला नेताओं ने सोनिया और राहुल से भी कर दी है।
चम्बल में होगा भाजपा का प्रभात!
सिंधिया घराने के वर्चस्व वाले ग्वालियर चंबल संभाग पर इन दिनों मध्य प्रदेश भाजपा संगठन काफी मेहरबान दिख रहा है। मध्य प्रदेश में सत्ता और संगठन का समन्वय बन चुका है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं तो संगठन के प्रदेश प्रमुख प्रभात झा को काम करने फ्री हेण्ड मिला हुआ है। प्रभात झा अभी राज्य सभा से सांसद हैं। वे बरास्ता लोकसभा संसदीय सौंध में जाने के इच्छुक बताए जा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के एक पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि प्रभात झा की इच्छा है कि वे ग्वालियर से लोकसभा चुनाव लड़ें। इस बात की भनक वहां की सांसद यशोधरा राजे सिंधिया को लग चुकी है। यशोधरा की रातों की नींद उड़ना स्वाभाविक ही है। यशोधरा के करीबी अब प्रभात झा के बिहार मूल के होने की बात को जोर शोर से उठा रही है। पार्टी नेताओं को डर है कि कहीं प्रभात यशोधरा के इस शीत युद्ध में चंबल में भाजपा का खिलता सूर्य अस्ताचल की ओर न अग्रसर हो जाए।
अपनी पीठ ठोंकते वर्मा और जायस्वाल!
उत्तर प्रदेश के आसन्न चुनावों में सूबे के कोटे से केंद्र में मंत्री श्रीप्रकाश जायस्वाल और बेनी वर्मा के बीच ही अनबन जगजाहिर होने लगी है। सूबे में दोनों ही नेताओं ने अपनी पीठ ठोंकते हुए बेनर, पोस्टर, फलेक्स का युद्ध छेड़ दिया है। दरअसल, दोनों ही नेता यूपी में सीएम के दावेदार बताए जा रहे हैं। जायस्वाल ने एक सर्वे कराया कि यूपी में किसका जनाधार सबसे ज्यादा है। इसके पोस्टर चस्पा हुए तो बेनी वर्मा कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने अपने कामों की फेहरिस्त के साथ कानपुर, बाराबंकी, लखनऊ सहित समूचे सूबे में पोस्टर लगवा दिए। जायस्वाल समर्थकों ने बेनी के पोस्टर हटाकर अपने आका के पोस्टर लगा दिए। फिर क्या था, बेनी समर्थकों ने उन्हें हटाकर अपने पोस्टर लगा दिए। उत्तर प्रदेश की जनता अब कांग्रेस बनाम अन्य राजनैतिक दल के स्थान पर कांग्रेस बनाम कांग्रेस का ही मजा ले रही है।
कांग्रेस को झटका देने ममता का नया पेंतरा
ममता की त्रणमूल और सोनिया की कांग्रेस के बीच खींचतान अब चरम पर पहुंच चुकी है। अपनी बातें मनवाने के लिए ममता बनर्जी द्वारा प्रेशर टेक्टिस का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कांग्रेस बुरी तरह आहत ही नजर आ रही है। कांग्रेस अब त्रणमूल को छोड़कर सायकल (समाजवादी पार्टी) की सवारी गांठने पर विचार कर ही है। ममता को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली उसने कांग्रेस विरोधी ताकतों से हाथ मिलाना आरंभ कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि ममता को मशविरा दिया गया है कि वे दिल्ली में देश भर की पार्टियों के क्षत्रपों को एकजुट कर उनका एक ‘‘दबाव समूह‘‘ बना लें। ममता वैसे भी नवीन पटनायक, प्रकाश सिंह बादल और नितीश कुमार के जीवंत संपर्क में बताई जाती हैं। ममता अपने विश्वस्त साथियों के साथ जयललिता को साधने की जुगत में भी दिख रही हैं। वैसे ममता बनर्जी के संबंध राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के साथ बेहतरीन ही हैं। यह सब कुछ कांग्रेस का रक्तचाप बढ़ाने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है।
पुच्छल तारा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन कुछ सक्रिय होता दिख रहा है। इसके पीछे राहुल सिंह और माणक अग्रवाल की मेहनत ही सामने आ रही है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर प्रवास पर थे। उन्होंने एमपी के सिवनी जिले का प्रोग्राम बना लिया। वे नेशनल हाईवे नंबर सात से गए। इस मार्ग की जर्जर हालत के लिए वे ही दोषी हैं, क्योंकि रमेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते ही इस सड़क के निर्माण में पेंच का फच्चर फसा था। सिवनी में नेशनल हाईवे के साथ ही साथ शहर के अंदर की सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। इसी बात पर वहां से अखिलेश ने एक एसएमएस भेजा है। अखिलेश लिखते हैं कि इस सड़क को इसलिए नहीं बनाया जा रहा है ताकि लोग इसके बजाए छिंदवाड़ा के रास्ते नागपुर जाएं, पर कांग्रेस के नेताओं से गुजारिश है कि सिवनी शहर के अंदर से गुजरने वाले हाईवे को तो दुरूस्त करवा दो कम से यहां के लोग शहर में तो ठीक तरीके से विचरण कर सकें।