शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

जट यमला पगला दीवाना. . .


जट यमला पगला दीवाना. . .

जाटों के लिए आरक्षण लाने पर हो रहा विचार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। आने वाले समय में अनारक्षित वर्ग में महज चंद जातियां ही बच पाएंगी, क्योंकि कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर जाटों को भी आरक्षण देने पर विचार कर रही है। जाटों को लुभाने के लिए कांग्रेस इस अभिनव योजना को 2014 के आम चुनाव के एन पहले ही परवान चढ़ाने जा रही है।
कांग्रेस के अखिल भातरीय स्तर के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम पहचान उजागर ना किए जाने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया गया है कि जाटों का मोह कांग्रेस से भंग होता जा रहा है। साथ ही साथ घपले, घोटाले, अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार, अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार के खिलाफ माहौल बनने लगा है।
सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर भी सोनिया, राहुल, मनमोहन, दिग्विजय, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, पलनिअप्पम चिदम्बरम और कांग्रेस को बुरी तरह कोसा जा रहा है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स के उपभोगकर्ताओं की खासी तादाद है। इसके साथ ही साथ दिल्ली के इर्द गिर्द जाट मतदाताओं की तादाद बेहद ज्यादा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ्स सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में लाने की कवायद पहले से ही चल रही है, अब सोनिया दरबार द्वारा ओबीसी आयोग को निर्देशित किया गया है कि आयोग इसका कोई रास्ता निकाले।
उधर, ओबीसी आयोग के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि 1997 में आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसला देकर जाटों को ओबीसी में शामिल करने से दो टूक इंकार कर दिया था। सोनिया ने आयोग से कहा है कि 1997 के फैसले पर पुर्नविचार अवश्य करे। आयोग भला सोनिया का कहा कैसे टाल सकता है।
संभवतः यही कारण है कि इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साईंस एण्ड रिसर्च (आईसीएसएसआर) को ओबीसी आयोग ने सर्वेक्षण के लिए पाबंद किया है। पुरानी कहावत कलेक्टर के नौकर, नौकर के चाकर, चाकर के पेशकारकी तर्ज पर आईसीएसएसआर ने सर्वे का काम दूसरों को बांट दिया है।
आईसीएसएसआर के सूत्रों ने साई को बताया कि यूपी में इस काम को जीआईडीआर, राजस्थान में आईडीएफ, गुजरात में सीएसएस को सौंप दिया है। अब नई कंपनियां कितनी ईमानदारी से इस सर्वेक्षण को करती हैं यह तो भविष्य के गर्भ में है पर कहा जा रहा है कि इस तरह काम बांटने के पीछे कांग्रेस के एक आला नेता का आर्थिक स्वार्थ सामने आ रहा है।
कांग्रेस आलाकमान की इस योजना के रास्ते में शूल ही शूल नजर आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि जाट बाहुल्य हरियाणा ने अब तक जाटों को आरक्षण की सूची में शामिल ही नहीं किया है। इसी तरह गुजरात में भी आरक्षित जातियों में जाट नहीं है। वहीं दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में जब जाटों को आरक्षित वर्ग में शामिल किया तो कहा जा रहा है कि कांग्रेस के इशारे पर ही जाट विरोधियों ने मामला कोर्ट में जाकर पटक दिया जो आज तक लंबित है।
इन परिस्थितियों में जाटों को 2014 के पहले आरक्षण की केंद्रीय सूची में लाना दुष्कर ही साबित हो रहा है। माना जा रहा है कि सोनिया के रणनीतिकार जल्द ही उन्हें यह मशविरा दे सकते हैं कि भले ही जाटों को अरक्षण ना दिया जाए पर महिला आरक्षण की ही तरह जाटों को आरक्षण का लालीपाप तो दिया ही जा सकता है।

सिवनी में लगने लगा डेंगूं का डंक!


सिवनी में लगने लगा डेंगूं का डंक!

दो की मौत! नहीं टूट रही प्रशासन की तंद्रा

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में अपना कहर बरपाने के उपरांत अब मच्छर जनित डेंगू रोग ने सिवनी जिले को अपने कब्जे में ले लिया है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के साथ ही साथ नगर पालिका प्रशासन सिवनी, और अन्य स्थानीय निकाय हाथ पर हाथ रखे ही बैठे हैं। डेंगू से अब तक दो लोगों की मौत की खबर है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बरघाट विधानसभा क्षेत्र के कुरई विकासखण्ड में दो बच्चों की डेंगू से मौत हो गई। इनमें हाल ही में सात वर्षीय एक बच्ची की मौत के उपरांत प्रशासन हल्का सा हरकत में आता दिख रहा है। मृतक बालिका की बहन भी डेंगू की चपेट में बताई जा रही है।
आदिवासी बाहुल्य कुरई विकासखण्ड में डेंगू की स्थिति काफी हद तक दयनीय बताई जा रही है। स्थानीय विधायक कमल मस्कोले भी इस मामले में निष्क्रिय ही बैठे हुए हैं। बताया जाता है कि उनका ध्यान कुरई विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाली खवासा की अंतरप्रांतीय जांच चौकी की ओर ज्यादा है।
दिल्ली सहित अनेक शहरों में जानलेवा डेंगू के बचाव हेतु स्थानीय निकायों द्वारा एहतियातन कदम उठाए जाते हैं। विडम्बना ही कही जाएगी कि जिला मुख्यालय की नगर पालिका सिवनी द्वारा आज तक एक भी बार जमा पानी का ना तो निरीक्षण ही कराया गया है और ना ही पानी में मच्छरों के लार्वा का सेंपल ही लिया गया है।
पालिका प्रशासन के पास फागिंग मशीन है जो शोभा की सुपारी बनी हुई है। इस फागिंग मशीन का उपयोग जिला प्रशासन के व्हीव्हीआईपीज और जनसेवकों, रसूखदारों के आवासों के इर्द गिर्द घुमाकर रस्म अदायगी कर ली जाती है। सूचना के अधिकार में अगर इस फागिंग मशीन पर हुए व्यय की जानकारी एकत्र की जाए तो लोग हैरत में पड़ जाएंगे कि आखिर इतनी राशि व्यय हो गई है और लोगों को फागिंग मशीन अंत तक दिखाई ही नहीं पड़ी है।
मच्छर जनित रोगों के लिए बारिश के उपरांत का मौसम काफी हद तक उपजाउ माना जा सकता है। बावजूद इसके मलेरिया, डेंगू आदि के लिए संवेदनशील इस मौसम में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह ही निष्क्रिय है। यहां उल्लेखनीय बात यह है कि जिला मलेरिया अधिकारी के पद पर परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद, सिवनी विधानसभा की विधायक एवं मध्य प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया के पति डॉ.पटेरिया पदस्थ हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर लखनादौन की भाजपा विधायक श्रीमति शशि ठाकुर के पति डॉ.वाय.एस.ठाकुर पदस्थ हैं।
डेंगू से दौ मोत होने के बाद भी स्थानीय विधायक कमल मस्कोले की बेरूखी समझ से परे है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने भी अपना मुंह इस मसले में सिल रखा है। नगर पालिका प्रशासन द्वारा घरों घर जाकर खुले में जमा पानी जो मच्छर पैदा करने के लिए उपजाउ माहौल तैयार करता है की जांच भी नहीं किया जाना पालिका प्रशासन की अकर्मण्यता ही दर्शाता है। अन्य शहरों में जमा पानी के लिए समझाईश दी जाकर बाद में चालान भी बनाए जाते हैं।
ज्ञातव्य है कि डेंगू का लार्वा साफ पानी में ही पैदा होता है। नवरात्र के चलते ही पालिका प्रशासन द्वारा साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कहने को तो पालिका के कारिंदों द्वारा हाथ में पाईप लेकर साफ सफाई की फोटो छपवाकर प्रोपोगंडा अवश्य ही करवाया जाता है पर सच्चाई यह है कि कचरे के ढेर और गंदगी से नालियां बुरी तरह बजबजा रही हैं।

मोबाईल शुल्क से 3000 करोड़ रूपए की उम्मीद

मोबाईल शुल्क से 3000 करोड़ रूपए की उम्मीद

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। दूरसंचार पर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने छह दशमलव दो मेगा हर्ट्ज से अधिक स्पैक्ट्रम रखने वाले मोबाइल ऑपरेटरों पर एकमुश्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। इस निर्णय से सरकारी खजाने को तीन हजार करोड़ रुपए की राशि से अधिक आमदनी होने की उम्मीद है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि यह धनराशि अधिभार के रूप में मिलने वाली २७ हजार करोड़ रुपए से अलग होगी। मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने पिछले सप्ताह चार दशमलव चार मेगा हर्ट्ज से अधिक स्पैक्ट्रम वाले जी.एस.एम ऑपरेटरों और दो दशमलव पांच मेगाहर्ट्ज स्पैक्ट्रम वाले सी.डी.एम.ए. ऑपरेटरों पर यह अधिभार लगाने का निर्णय लिया था। अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह की इन संशोधित सिफारिशों को अगर मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है तो इन कंपनियों को तीस हजार करोड़ रुपए देने होंगे।
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह ने पर्याप्त समय न होने की वजह से स्पैक्ट्रम की प्रणाली नए सिरे से निर्धारित करने के मुद्दे पर फैसला टाल दिया है। सिब्बल ने बताया कि अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह की दो घंटे से ऊपर बैठक चली और उन सभी मुद्दों पर चर्चा हुई जिन पर फैसले किए जाने थे। लेकिन समय की कमी के कारण रिफार्मिंग के मुद्दे पर फैसला नहीं हो पाया। हम चाहते हैं कि नीलामी शुरू होने से पहले इस मुद्दे पर फैसला लिया जाए।
उधर, उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र से टाटा समूह की दो कंपनियों को आवंटित स्पैक्ट्रम को भी टू जी स्पैक्ट्रम की नए सिरे से नीलामी में शामिल करने संबंधी याचिका पर जवाब मांगा है। इस बारे में सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुये न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायालय का यह आदेश अगले महीने की १२ तारीख से २-जी स्पैक्ट्रम के १२२ निरस्त लाइसेंसों की नए सिरे से नीलामी में बाधा नहीं डालेगा।
न्यायालय ने दूरसंचार विभाग से भी  नीलामी किए जाने वाले स्पैक्ट्रम की बिक्री सीमित करने के उसके फैसले पर उठाये गये सवालों का जवाब मांगा है। सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने न्यायालय से सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उच्चतम न्यायालय के दो फरवरी के फैसले के बाद खाली हुए सभी स्पैक्ट्रम बेचे जाएं। न्यायालय के आदेश से पूरे भारत में पांच सौ चौदह दशमलव आठ मेगा हर्ट्ज स्पैक्ट्रम खाली हुआ है, लेकिन सरकार ने इसकी बिक्री तीन सौ दो दशमलव पांच मेगा हर्ट्ज तक सीमित करने का निर्णय लिया है।

यूरिया की रैक समय पर उपलब्ध कराने की मॉग

यूरिया की रैक समय पर उपलब्ध कराने की मॉग

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ0 रामकृष्ण कुसमरिया ने आज यहां केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री श्री श्रीकान्त जैना से मुलाकात कर एन.एफ.एल. कम्पनी द्वारा आगामी एक सप्ताह में उत्पादित यूरिया प्रदेश को उपलब्ध कराने की मॉंग की। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि कम्पनी वार निम्नलिखित स्थानों पर रैक पॉइन्ट पर यूरिया की रैक उपलब्ध करायी जाय। इफको द्वारा यूरिया की रैक कटनी, हरपालपुर, बनापुरा और कछपुरा में । आई.पी.एल. द्वारा यूरिया की रैक शाजापुर, शिवपुरी, विदिशा, देवास, दमोह, रीवा और सागर के लिए । नागार्जुन द्वारा सतना, ग्वालियर, शिवपुरी, विदिशा, सिहोर में और कृभको द्वारा रैक विदिशा, शाजापुर और कछपुरा में उपलब्ध करायी जाय।
डॉ0 कुसमरिया ने बताया कि 16 अक्टूबर 2012 की स्थिति में प्रोरेटा बेसिस पर 1.29 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्रदेश को प्राप्त होना था जिसके विरूद्ध केवल 1.05 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के ग्वालियर-चम्बल संभाग में सरसों, जबलपुर संभाग के अंतर्गत जबलपुर, नरसिंगपुर जिले में अर्कल, मटर तथा इंदौर संभाग के अंतर्गत इंदौर, धार एवं उज्जैन संभाग के अंतर्गत उज्जैन, शाजापुर, देवास रतलाम जिलों में आलू की बुवाई प्रारम्भ होने से यूरिया की मांग बढ़ गयी है।
डॉ0 कुसमरिया ने प्रदेश के समस्त किसानों की ओर से केन्द्र सरकार को खरीफ (वर्ष 2012) तथा आगमी रबी (वर्ष 2012-13) के लिए आवश्यकतानुसार डीएपी, काम्पलेक्स, यूरिया और एम ओ पी उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद दिया। केन्द्रीय मंत्री रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जैना ने धन्यवाद स्वीकार करते हुए मध्यप्रदेश को समय पर यूरिया की रैक उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया।

रेल कर्मियों की इस बार मनेगी बेहतर दीवाली


रेल कर्मियों की इस बार मनेगी बेहतर दीवाली

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष २०११-१२ के लिए रेलवे के सभी गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को ७८ दिनों के वेतन के बराबर उत्पादकता से जुड़ा बोनस देने के प्रस्ताव को कल मंजूरी दे दी। इस पर एक हजार इक्कीस करोड़ ५६ लाख रूपये खर्च होने का अनुमान है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस फैसले से रेलवे के करीब १२ लाख ३७ हजार गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। मंत्रिमंडल ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजनाओं के तहत विधवाओं और विकलांगों की मासिक पेंशन दो सौ रूपए से बढ़ा कर तीन सौ रूपए करने की मंजूरी दी है।
जापानी दिमागी बुखार-इन्सेफलाइटिस की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए मंत्रिमंडल ने चार हजार करोड़ रूपये की कार्ययोजना को मंजूरी दे दी। यह कार्ययोजना देश के साठ जिलों में पांच वर्षों के लिए लागू की जायेगी। इसकी शुरूआत इस साल से होगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केन्द्र और राज्यों के बीच करों से प्राप्त राशि के बंटवारे के लिए फार्मूला सुझाने के वास्ते १४वां वित्त आयोग बनाने की मंजूरी दे दी है।
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ऑटोमोटिव बोर्ड के गठन की भी मंजूरी दी है। ये बोर्ड सरकार और उद्योग के बीच समन्वय स्थापित करने और ऑटो क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों को बढ़ावा देगा। मंत्रिमंडलीय सुरक्षा समिति ने सेना के टी-९० टैंकों के लिए रूस से दस हजार इनवार मिसाइल और भारतीय वायुसेना के लिए हवा से छोड़े जाने वाली २०० से अधिक ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने के लिए आठ हजार करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है।
इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने त्सुनामी से प्रभावित ३७० मछुआरों के बकाया ऋण और ब्याज माफ करने को मंजूरी दे दी है। सरकार संबंधित बैंकों को यह धनराशि खुद अदा करेगी। इससे जनजातीय और आर्थिक रूप से कमजोर मछुआरों को फायदा पहुंचेगा।

केजरीवाल की जांच करेगा लोकपाल!


केजरीवाल की जांच करेगा लोकपाल!

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ताओं पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल ने सफाई दी है। शुक्रवार को केजरीवाल ने कहा कि हम करप्शन के खिलाफ लगातार लड़ रहे हैं। कुछ लोग हमारे साथियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। हम सरकार से समय-समय पर मांग करते रहे हैं कि वह स्वतंत्र जांच करवाए और अगर दोषी पाए जाते हैं तो हमें दोगुनी सजा दी जाए। दुर्भाग्य से सरकार स्वतंत्र जांच करवाने के बजाय कीचड़ उछालने में लगी हुई है। इसलिए हमने खुद ही एक स्वतंत्र लोकपाल से जांच कराने का निर्णय लिया है। इस लोकपाल में 3 रिटार्यड जज शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि इस लोकपाल में शामिल तीनों रिटायर्ड जजों के नाम हैं। इनमें जस्टिस ए.पी. सिंह, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस, जस्टिस बी.एच. मारलापल्ले, बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस जसपाल सिंह, दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज शामिल हैं।
केजरीवाल ने कहा कि ये जज हमारी पार्टी पर के कार्यकर्ताओं पर लगे आरोपों की जांच करेंगे। अगर जांच में कोई भी कार्यकर्ता किसी भी तरह से दोषी पाया गया तो उसे हमारी संस्था से इस्तीफा देना होगा। हम इस लोकपाल से मांग करेंगे कि वह ज्यादा से ज्यादा 3 महीने में हमारे साथियों पर लगे आरोपों की जांच करे।
केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जैसा कि आप सबको मालूम है हमारे 3 कार्यकर्ताओं अंजिल दमानिया, प्रशांत भूषण और मयंक गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। इनकी जांच के लिए हम लोकपाल से कहेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में भी अगर हमारे किसी कार्यकर्ता पर आरोप लगते हैं तो हम इस लोकपाल से जांच के लिए कहेंगे।
गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर किसानों की जमीन हड़पने का खुलासा करने वालीं अंजलि दमानिया खुद भी इसी तरह के विवाद में घिर गई हैं। दमानिया पर आरोप लगा है कि उन्होंने खेती की जमीन खरीदने के लिए खुद को गलत तरीके से किसान साबित किया और बाद में जमीन का लैंड यूज बदलवाकर उसे प्लॉट में तब्दील कर बेच दिया। रायगढ़ प्रशासन ने जांच में पाया कि अंजलि दमानिया का किसान होने का दाव गलत है।
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील और टीम केजरीवाल के अहम मेंबर प्रशांत भूषण पर भी हिमाचल गलत तरीके से जमीन हासिल करने के आरोप लगाए गए हैं। मयंक गांधी पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने करप्शन के आरोप लगाए हैं।

गुलाबी फार्म से होगा तत्काल आरक्षण


गुलाबी फार्म से होगा तत्काल आरक्षण

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर रेलवे के पैसेंजरों को तत्कालटिकट रिजर्व कराने के लिए अलग फॉर्म भरना होगा। यह पिंक कलर का होगा। यह मौजूदा रिजर्वेशन फॉर्म से कुछ अलग होगा। नया फॉर्म शनिवार से कुछ स्टेशनों पर मिलना शुरू हो जाएगा जबकि उत्तर रेलवे के सभी स्टेशनों पर अगले हफ्ते तक लागू कर दिया जाएगा। इससे तत्काल फॉर्म दूर से ही अलग नजर आएंगे और दूसरा फायदा यह होगा कि इसे भरने में पैसेंजरों को दिक्कत नहीं होगी। अब तक जो फॉर्म भरना होता था, उसमें कई तरह की दिक्कतें थीं।
अमूमन सामान्य टिकटों के लिए भरे जाने वाले फॉर्म में आईडी प्रूफ का नंबर देना जरूरी नहीं होता लेकिन तत्काल के लिए छोटे फॉर्म में ही आईडी प्रूफ का जिक्र करने के लिए पैसेंजरों को दिक्कत होती थी। अब सामान्य टिकटों के लिए पैसेंजर को सफेद रंग वाला पहले जैसा फॉर्म ही भरना होगा।
इस फॉर्म में ट्रेन नंबर और कहां से कहां जाना है, उसके बारे में भी पुराने फॉर्म की तरह ही जगह बनाई गई है। लेकिन नए फॉर्म में एक ही टिकट के लिए अधिकतम चार लोगों का नाम भरने की व्यवस्था है। सामान्य टिकट के लिए एक फॉर्म पर छह पैसेंजरों का नाम होता है। तत्काल में एक रिजर्वेशन फॉर्म पर चार पैसेंजरों को ही टिकट दिया जा सकता है।
इस फॉर्म में अब पैसेंजर के लिए पहचान पत्र के प्रकार और उसका नंबर भी लिखने की व्यवस्था है। मौजूदा फॉर्म में आईडी के प्रकार और नंबर का जिक्र नहीं है। पिंक फार्म में बाकायदा निर्देश और चेतावनी भी लिखी हैं।
 इस फॉर्म के निर्देश में ही लिखा गया है कि रिजर्वेशन के लिए पहचान पत्र की खुद सर्टिफाइड की हुई आईडी प्रूफ की कॉपी लगाने, सफर के दौरान इस आईडी प्रूफ को साथ रखने की अनिवार्यता के बारे में भी निर्देश हैं। यह चेतावनी भी छापी गई है कि अगर फार्म में पैसेंजर की ओर से दिया गया मोबाइल नंबर गलत पाया जाता है तो न सिर्फ टिकट रद्द होगा बल्कि पैसेंजर को रास्ते में ही भारी जुर्माना लेकर ट्रेन से उतारा जा सकता है।

गौर की केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा से मुलाकात

गौर की केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा से मुलाकात

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर ने यहां केन्द्रीय आवास,ं शहरी गरीबी उन्मूलन एवं संस्कृति मंत्री कुमारी शैलजा से मुलाकात की। श्री गौर ने हडको द्वारा मुख्यमंत्री अधोसंरचरा विकास योजना के अंतर्गत 1000 करोड़ रूपये की योजना को शीघ्र स्वीकृति देने का अनुरोध किया। योजना के अंतर्गत प्रदेश में सड़क निर्माण अन्य प्रकार के निर्माण और शहरों में विकाय कार्य प्रदेश के 16 जिलों में किये जायेंगे। इस योजना में पहले 14 जिले शामिल थे। अब इनको बढ़ाकर 16 कर दिया गया है। इसमें छिंदवाड़ा और मंदसौर जिले को भी शामिल किया गया है। श्री गौर ने केन्द्रीय मंत्री को मुख्यमंत्री पेयजल मिशन योजना के अंतर्गत 1000 करोड़ रूपये आवंटित करने पर धन्यवाद भी दिया।
केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने प्रदेश में संग्रहालय बनाने पर जोर दिया और कहा कि संस्कृति मंत्रालय इस कार्य के लिए अनुदान देगा। श्री गौर ने केन्द्रीय मंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इस सम्बन्ध में वह शीघ्र ही संग्रहालय बनाने के प्रस्ताव पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाकर केन्द्र सरकार को सौंपेंगे।

थांवरझोड़ी सरपंच के विरूद्ध पारित अविश्वास प्रस्ताव झमेले में


थांवरझोड़ी सरपंच के विरूद्ध पारित अविश्वास प्रस्ताव झमेले में

(रूपेश कोहरू)

सिवनी (साई)। आदिवासी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत थांवरझोड़ी की आदिवासी महिला सरपंच एवं उपसरपंच के विरूद्ध पंचों द्वारा रखा गया अविश्वास प्रस्ताव और आज उस पर हुआ मतदान तथा निर्वाचन अधिकारी का निर्णय खटाई में पड़ गया है।  यद्यपि पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त कुरइ्र तहसीलदार यादोराव तुमराम ने आज संपन्न की गयी प्रक्रिया को यदि लिपिबद्ध कर दिया है तो मामला अब हाईकोर्ट का बन जावेगा।
उल्लेखनीय होगा कि कुल 10 पंचों की थांवरझोड़ी ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव पंचायत क्षेत्र के लोगों द्वारा सीधा किया गया था। जबकि उपसरपंच की नियुक्ति 10 पंचों के द्वारा बहुमत के आधार पर की गयी थी। पिछले दिनों इस ग्राम पंचायत के निर्वाचित 10 पंचों में से 08 पंचगणों द्वारा एकमतेन होकर सरपंच एवं उपसरपंच के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव रखने का निर्णय लिया जाकर इस आशय की जानकारी जनपद पंचायत कुरई के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और प्रशासन को भी दी थी।
चूंकि निर्वाचित 10 पंचों में से 08 पंचों द्वारा एकमत होकर अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था अतः जनपद पंचायत अधिकारी द्वारा इस अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया जाकर इस हेतु ग्राम पंचायत की विशेष सभा का आयोजन किया जाकर आम सहमति से मामले को सुलझाने और ऐसा न होने की स्थिति में मतदान की प्रक्रिया अपनाये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी थी।
इस हेतु कुरई तहसीलदार श्री तुमराम को पीठासीन अधिकारी भी नियुक्त किया गया था और मामले को सुलझाने अथवा मतदान की प्रक्रिया संपन्न करने हेतु गुरूवार 18 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर की गयी थी तथा इसकी सूचना अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले सभी पंचों सहित सरपंच व उपसरपंच को भी दे दी गयी थी।
गुरूवार 18 अक्टूबर को नियत समय में तहसीलदार श्री तुमराम पुलिस कर्मी को लेकर ग्राम पंचायत मुख्यालय थांवरझोड़ी पहुंचे और उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में कार्यवाही प्रारंभ की। सर्वप्रथम तहसीलदार ने अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले सभी पंचों को समझाईश देकर इसे वापस लेने का आग्रह किया और जब वे लोग नहीं माने तो फिर मतदान का सहारा लिया गया।
पीठासीन अधिकारी द्वारा जब अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले पंचों को प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में वोट डालने को कहा गया तो सभी ने अपने-अपने वोट डाल दिये। मजे की बात यह है कि अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले जिन 08 पंचों ने अविश्वास प्रस्ताव रखा था उन्होंने उसके पक्ष में ही वोट डाला।
इस स्थिति को देखते हुए पीठासीन अधिकारी द्वारा सरपंच को भी वोट डालने का अधिकार दे दिया गया और जैसे ही सरपंच का वोट प्रस्ताव के विरोध में गया तो पीठासीन अधिकारी ने इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
बाद में जब पीठासीन अधिकारी परिणामों की घोषणा की तो असंतुष्ट पंच इस निर्णय से सहमत नहीं हुए और वे तत्काल सिवनी आ गये। जहाँ उन्होंने अनुविभागीय दंडाधिकारी के न्यायालय में अपने अधिवक्ता श्री पंकज शर्मा के माध्यम से पीठासीन अधिकारी द्वारा दिये गये निर्णय को रोके जाने की मांग की।
अनुविभागीय दंडाधिकारी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले 08 पंचों के अधिवक्ता द्वारा बतायी गयी स्थिति को सुनने के बाद वे स्वंय भी असमंजस्य में पड़ गये और उन्होंने मामले को अपर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जिन्होंने भी मामले की खोजपोच भरी स्थिति को देखते हुए एसडीएम को ही उचित निर्णय लेने के निर्देश दे दिये।
अब अनुविभगीय दंडाधिकारी ने इस पूरे प्रकरण पर अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले 08 पंचों को अपने समक्ष उपस्थित होने का निर्णय लेते हुए अग्रिम कार्यवाही किये जाने का फैसला किया। अब देखना यह है कि शुक्रवार 19 अक्टूबर को उपस्थित पंचों का पक्ष सुनने के बाद एसडीएम स्वंय कोई निर्णय लेते हैं या मामले को हाईकोर्ट की राह दिखाते हैं।

तारा का सूर्य अस्ताचल की ओर

तारा का सूर्य अस्ताचल की ओर

(अनिल दामडे)

सिवनी (साई)। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में सरकारी कर्मचारी अधिकारी ही करोड़ों अरबों उगल रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी के मंत्री और विधायकों के दुलारे जिला शिक्षा अधिकारी तारा चंद पटले के पास से भी अनुपातहीन संपत्ति मिलती ही जा रही है। मंत्री विधायक और कलेक्टर तक को पैसे देने की बात कहने वाले रिश्वत के आरोपी शिक्षा विभाग के मुलाजिम की बातें रिकार्ड होने के बाद भी रिश्वत के आरोपी पटले ठसक के साथ ही डीईओ की कुर्सी पर विराजमान हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी श्री टी.सी. पटले  की पत्नी श्रीमती वंदना पटले के विरूद्ध भी लोकायुक्त ने आय से अधिक संपŸिा का मामला कायम कर लिया है। बालाघाट में हाउसिंग बोर्ड की कालोनी में इनके एमआईजी क्वार्टर को भी ट्रेस कर लिया है। इसके अलावा भी लोकायुक्त की टीम अब टी.सी.पटले पटले के कागजात डायरियाँ और फोन रिकार्ड आदि देख रही है जिससे और भी खुलासे हा सकते हैं। लोकायुक्त के पास जो काल रिकार्ड है उनमें जिला कलेक्टर को पैसे पहुँचाये जाने की बात का भी जिक्र है।
विदित हो कि लोकायुक्त की श्री टी.सी. पटले की पूरी संपŸिा की जाँच कर रही है। लोकायुक्त पुलिस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जाँच में टीम ने बालाघाट में इनके एमआईजी क्वार्टर को भी ट्रेस कर लिया है जिसे श्री पटले ने डबल स्टोरी बना लिया था। इसके साथ ही टीम ने श्री पटले की पत्नी वंदना पटले पर भी आय से अधिक संपŸिा का मामला कायम कर लिया है। अब श्री पटले पर दो दो मामले कायम हो  गये हैं वहीं उनकी पत्नी पर मात्र एक।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि ताराचंद पटले की पत्नी श्रीमती वंदना पटले जब छिंदवाड़ा से स्थानांतरण होकर सिवनी आयी थी तब इनका पदांकन मठ कन्या शाला में किया गया था किन्तु श्रीमती पटले एक माह तक मठ कन्या शाला गयी ही नहीं घर में बैठे रही। इस दौरान श्री पटले ने इन्हें आँफिस में अटैच बताया और घर बैठे इन्हें वेतन देते रहे।
लोकायुक्त पुलिस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लोकायुक्त की टीम के पास जो काल रिकार्ड है उनमें कलेक्टर को भी पैसे पहुँचाये जाने की बात का जिक्र है। हालाकि लोकायुक्त इस मामले को अभी गंभीरता से नहीं ले रहा है। लोकायुक्त की टीम का मानना है कि पैसे मांगने वाला तो कलेक्टर विधायक, मंत्री आदि सभी के नाम से मांग सकता है किन्तु अगर दस्तावेजों से ये बात साबित होती है कि अन्य कोई भी आरोपी के सहयोगी थे या आरोपी को संरक्षण प्रदान किये हुए थे तो मामला सामान्य नहीं रहेगा।
यहाँ यह बात भी विशेष उल्लेखनीय है कि लोकायुक्त की टीम ने गत दिवस दोपहर 2 बजे टी।सी। पटले को रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। यह खबर पूरे प्रदेश में तत्काल ही ब्रेक हो गयी। सुबह सारे अखबार में भी आ गयी उसके बाद भी टी।सी। पटले को अब तक निलंबित नहीं किया गया है जबकि लोकायुक्त के छापे के बाद तो अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर दिया जाता है। श्री पटले आज भी ठाठ के साथ अपने पद में बने हैं।

नमस्ते कहिए, हाथ न मिलाएं


नमस्ते कहिए, हाथ न मिलाएं

ग्रामीण अंचल में डीएफपी ने दिया स्वास्थ्य् जागरूकता का संदेश

(एम.के.देशमुख)

मण्डला (साई)।यदि आप किसी से मिलते हैं, तो उसका अभिवादन करने के लिए नमस्ते कहिये न कि हाथ मिलाएं। नमस्ते करना हमारी भारतीय संस्कृति का सूचक तो है ही, बल्कि ऐसा करना हमारी सेहत के लिए भी अच्छा है। यह संदेश सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय, डीएफपी द्वारा जिले के ग्रामीण अंचल में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य् मिशन (एनआरएचएम) तहत् चलाये जा रहे विशेष प्रचार अभियान कार्यक्रम के दौरान विषय विशेषज्ञों ने दिया।
जिले के ग्राम घाघा के शासकीय हाईस्कूल में डीएफपी द्वारा आयोजित विशेष प्रचार अभियान में विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं को बताया कि पश्चात्य संस्कृति के प्रति आकर्षित होकर हम अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं जो हमारे सामाजिक जीवन के लिए घातक है। लोग अब नमस्ते कहने की बजाए हाय-हैलो और हाथ मिलाने में गर्व महसूस करते हैं, जबकि ऐसा करना हमारी सेहत के लिए खतरनाक है। डीएफपी मण्डला के एफपीए अशोक विश्वकर्मा ने बताया कि एक-दूसरे से हाथ मिलाने से हमारे शरीर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होने के साथ-साथ कीटाणु भी पहुंच जाते हैं जो किसी भी बीमारी के रूप में हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि जब भी किसी से हाथ मिलाएं तो बाद में हाथ साबुन से अवश्य धोएं। कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी समीर वर्मा ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य् मिशन के तहत् आमजन को दी जाने वाली स्वास्थ्य् सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए जागरूक होना जरूरी है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता पुहुप सिंह भारत ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य् मिशन कार्यक्रम शुरू होने के बाद से ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य् सुविधाओं में सुधार हुआ है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि बेहतर स्वास्थ्य् के लिए जो जानकारी दी जा रही है उसे अपने परिवार वालों और आसपास के लोगों को भी दें, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें। कार्यक्रम को विद्यालय की शिक्षिका पार्वती सुदेश्वर ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए प्रश्नोŸारी कार्यक्रम एवं संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें टीकाकरण, जननी सुरक्षा योजना, स्तनपान, गर्भवती मां एवं नवजात शिशु की देखभाल और कुपोषण तथा सामान्य ज्ञान पर आधारित प्रश्न पूछे गये। जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विद्यालय के विद्यार्थी मनोज कुमार मरावी, सुकमती आर्मो, ज्ञानवती बरकड़े, अनिल कुमार बरमैया, राजेश कुमार यादव, सोनसिंह आयाम और धीरेन्द्र कुमार नंदा को सही जवाब देने पर पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में अशोक कुमार विश्वकर्मा ने आभार व्यक्त किया।
गौरतलब है कि जिले के ग्रामीण अंचल में डीएफपी की मण्डला द्वारा विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस क्रम में ग्राम घाघा, भैंसादाह, वनग्राम सुरजपुरा, साल्हेडंडा, पौड़ी और ठोड़ा में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य् मिशन पर आधारित प्रचार प्रसार किया गया। आमजन को फिल्म शो और प्रचार सामग्री के माध्यम से जानकारी दी गई।

आमंत्रण पत्र से मंत्रियों के नाम गायब


अव्यवस्थाओं के बीच मुख्यमंत्री का कार्यक्रम सम्पन्न

बूंद-बूंद पानी को तरसती रही जनता

आमंत्रण पत्र से मंत्रियों के नाम गायब

जिला बनाने की घोषणा अधूरी रह गई

जनमानस को नहीं लुभा पाए मुख्यमंत्री

(रहीम खान)

बालाघाट (साई)। मध्यप्रदेश की जनता के बीच हर जगह के जाकर नई नई घोषणा करते घोषणावीर मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहचान निर्मित करने वाले शिवराज सिंह चौहान का जिले के मलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट परिसर के प्रगति मैदान में आयोजित बांस बोनस वितरण कार्यक्रम पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार होकर रह गया। वन विभाग के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अनेक प्रकार की त्रुटियां स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हुए। वहीं अध्यापक संघ के द्वारा अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के भाषण के बाद किये गये प्रदर्शन से कार्यक्रम की शोभा पर कालिक पुत गई। आन्दोलनकारी शिक्षक-शिक्षिका ने शिक्षा मंत्री एवं प्रभारी मंत्री नानाभाऊ मोहाड की एक नहीं सुनी और जब तक मुख्यमंत्री स्वयं उनसे मिलने नहीं आये और ज्ञापन नहीं तब तक शोर जारी रखा। इतने बड़े आयोजन के लिये कवरेज हेतु मीडिया कर्मी के लिये भी कोई व्यवस्था नहीं रखी गई उन्हें भी इस विषमता का शिकार होना पड़ा। अपनी आदत के अनुरूप मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में ढेरो घोषणाएं करके आदिवासी जनता को सब्जबाग दिखा कर चले गये।
पानी को तरसती जनता:-
बोनस वितरण कार्यक्रम के इस भव्य आयोजन में दूर दराज से वन समितियों के लोगों को एवं तेदूपत्ता मजदूरी की भीड यहां पर वन विभाग व जिला प्रशासन द्वारा एकत्रित की गई पर उनके लिये कोई उचित व्यवस्था यहां नहीं थी। तपती धूप में मजदूर वर्ग बूंद बूंद पानी को तरसते रहे और इधर उधर भटकते रहे परन्तु उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। पूर्व की तरह इस कार्यक्रम में भी भीड बढ़ाने के लिये वन समिति, सिंचाई विभाग समिति, आंगनवाडी कार्यकर्ता इत्यादि को यहां पर उत्साह के साथ लाया गया पर उन्हे कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई। 100 किलोमीटर दूर से रास्ता पार कर आयोजन में पहुंच छोटू मरकाम नामक मजदूर ने कहा कि यहां पर हमकों लाकर आवारा छोड़ दिया गया। पीने के लिये पानी की व्यवस्था और ना ही कोई नाश्ते पानी की व्यवस्था की गई हम भूख के मारे परेशान है ऐसी ही व्यथा अनेक मजदूरों ने बताई।
मंत्रियों के नाम गायब:-
बांस बोनस वितरण कार्यक्रम में जिला प्रशासन बालाघाट की ओर से जो आमंत्रण पत्र वितरित किया गया इसमें पहली बार कार्यक्रम में उपस्थित मंत्रियों के नाम आमंत्रण पत्र से गायब पाये गये। जो पत्र दिया गया उसमें केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिह का नाम भर शामिल था, जबकि कार्यक्रम में मध्यप्रदेश शासन के वन मंत्री सरताज सिंह, सहकारिता एवं पीएचई विभाग के मंत्री गौरीशंकर बिसेन, स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री नाना भाऊ मोहाड एवं अन्य राज्य मंत्री देवी सिंह सैयाम, जिले के सांसद के।डी। देशमुख एवं भाजपा के विधायक रामकिशोर कावडे परसवाडा, विधायक भगत नेताम बैहर, विधायक रमेश भटेरे लांजी, का नाम आमंत्रण पत्र से गायब होने को लेकर सभी आश्चर्यचकित थे। आम तौर पर देखा गया है कि जब भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है उसमें मुख्यमंत्री के अतिरिक्त अन्य जो मंत्री उपस्थित रहते है उनके नाम अवश्य दिये जाते है। परन्तु यहां ऐसा कुछ नहीं हो पाया जिसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं चलती रही। किसी ने कहा कि भाजपा के मंत्री विधायक के साथ भीतरी तौर पर कलेक्टर विवेक पोरवाल की पटरी नहीं बैठ रही है इस कारण ऐसा किया गया तो किसी ने कहा कि भाजपा में आमंत्रण पत्र में नाम लिखने का जहां तक सवाल है मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक सांसद के साथ यह अपने मंडल स्तर के पदाधिकारियों का भी नाम उसमें लिखा देते है जिसके कारण आमंत्रण पत्र की शोभा समाप्त हो जाती है। इसलिए केवल प्रदेश के मुखिया का नाम डालकर नाराजी वाली बात को समाप्त कर दिया गया। परन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि कलेक्टर विवेक पोरवाल निर्भिक होकर सरकारी बैठकों में यह कहने से नहीं चुकते कि आपको मेरा काम पसंद नहीं तो आप मेरा तबादला करा दीजिये।
हवा बन गया बैहर जिला बनाने का नारा:- 
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गत वर्ष जब आदिवासी तहसील बैहर के भ्रम में आये थे तब उन्होने बैहर को जिला बनाने हेतु सकारात्मक दृष्टिकोण का सकेत दिया था और ऐसा लगने लगा था कि शीघ्र ही बैहर को जिला बनाने की घोषणा की जायेगी। परन्तु 15 अक्टूबर के भ्रमण पर इस विषय पर मुख्यमंत्री ने कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा। दुर्भाग्य की बात है कि धीरे धीरे भाजपा सरकार का कार्यकाल का समय अपनी समाप्ति की तरफ बढ रहा है परन्तु जिला बनाने के क्षेत्र में सरकारी स्तर पर क्या प्रयास हुए जनता को नहीं मालुम। आदिवासी तहसील बैहर में लोक निर्माण विभाग, आर।ई।एस। विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग, आदिवासी विकास विभाग के शत प्रतिशत कार्य भ्रष्टाचार के घिनौने खेले में उलझे हुए है। आदिवासी बैगा समाज के हित में चलाई जाने वाली अधिकतर योजनाएं भ्रष्टाचार के खेल में उलझी हुई है जिनके कारण इन क्षेत्रों में नक्सलवाद की समस्या पैदा हो गई। दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के दो विभाग के मंत्री गौरीशंकर बिसेन बालाघाट जिले को विकास के पथ पर ले जाने का कागजी दावा करते है जबकि हकीकत यह है कि वे स्वयं भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर धिरे हुए है। जिसके कारण जिले के विकास की गति मंद पड़ गई। क्योंकि वह स्वयं ही अपनी कार्यप्रणाली से इतने विवाद उत्पन्न कर चुके है कि उससे निपटते निपटते समय निकाल जायेगा और प्रदेश तो दूर बालाधाट को स्वर्णीम जिला बनाने का सपना निकल जायेगा।
जनमानस को प्रभावित नहीं कर पाये मुख्यमंत्री:-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस महत्वपूर्ण भ्रमण में आदिवासी क्षेत्र की जनता को उम्मीदें थी कि वह मिशन 2013 को ध्यान में रखते हुए कुछ नई घोषणाएं करेगें पर ऐसा कुछ हो नहीं पाया और अपनी पुरानी चिरपरिचित शैली में एक से बढ़कर एक घोषणाओं का अंबार खड़ा करके चले गये। जनता के बीच में मुख्यमंत्री का जो प्रभाव आम तौर पर होना चाहिये वह दूर दूर तक देखने नहीं मिला। लोग यह कहते हुए सुना गये कि यह भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की तरह घोषणा वीर बन गये है आते है घोषणा करके चले जाते है उस पर कितना अमल हुआ यह बात की सुध लेना भूल जाते है। इस भ्रमण में उनके भाषण समाप्त होने के बाद शिक्षा कर्मियों के द्वारा जिस तरह से जनता के बीच से उठकर विरोध प्रदर्शन कर अपनी ओर ध्यान आकर्षित किया गया उसको देख कुछ समय के लिये मुख्यमंत्री भी आश्चर्यचकित रह गये क्योंकि शिक्षाकर्मी भी सामान्य नागरिक की तरह भीड में जाकर बैठ गये थे योजनाबद्ध तरीके से सब अपने हाथों में समस्याओं की तख्ती लेकर शोर करने लगे। इसे देखकर जनता से ज्यादा पुलिस महकमें में अफरा तफरी मच गई। इतना ही नहीं कवरेज करने के लिये पत्रकारों के बैठने के लिये भी यहां पर कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण उन्हें अव्यवस्थाओं और कष्टों के बीच अपने कार्य का संचालन करना पड़ा। पुलिस अधिकारियों द्वारा हेलीपेड में पत्रकारों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी।

राबर्ट वाड्रा की ग्रेट रॉबरी (पार्ट-2)


राबर्ट वाड्रा की ग्रेट रॉबरी (पार्ट-2)

(प्रेम शुक्ला)

मुंबई (साई)। रॉबर्ट वाड्रा की जब तक प्रियंका गांधी से शादी नहीं हुई थी तब तक उनका परिवार मध्यमवर्गीय जीवन बिता रहा था। शादी के बाद १९९७ में रॉबर्ट ने आरटेक्सनामक कंपनी का गठन किया जो हैंडिक्राफ्ट और फैशन के सामानों का व्यापार करती थी। कुछ वर्षों के भीतर रॉबर्ट वड्रा ने कई कंपनियां गठित कर लीं। प्रियंका गांधी ने ब्लू ब्रीज ट्रेडिंगके अलावा सारी कंपनियों से दूरी बनाए रखी।
ब्लू ब्रीज ट्रेडिंगकंपनी उड्डयन कारोबार का दावा करती आई है। २००८ में प्रियंका ने ब्लू ब्रीज ट्रेडिंगकंपनी से भी खुद को अलग कर लिया। रॉबर्ट की कंपनियों के कारोबार में आसमानी उछाल २००७-०८ से २०१०-११ के बीच आया। इसी अवधि में उसने २९ महंगी परिसंपत्तियों का अधिग्रहण कर लिया। इन संपत्तियों को खरीदने की पूंजी पूरी तरह से अनसिक्योर्ड लोनके बूते आई है। ८० करोड़ रुपए की अग्रिम राशि रॉबर्ट की कंपनियों को अकेले डीएलएफ से मिली है। बेदरवाल्स इंफ्रा प्रोजेक्ट्स, निखिल इंटरनेशनल और वीआरएस इंफ्रास्ट्रक्चर्स से भी रॉबर्ट की कंपनियों को कर्ज मिले हैं। कर्ज के बूते रॉबर्ट की कंपनियों ने जो संपत्तियां खरीदी हैं वह चौंकानेवाली हैं। ३१.७ करोड़ रुपयों के भुगतान से रॉबर्ट ने साकेत कोर्टयार्ड हॉस्पिटैलिटी के ५० फीसदी शेयर खरीद लिए। साकेत हॉस्पिटैलिटी नई दिल्ली में ११४ कमरों वाले हिल्टन गार्डेन होटल की मालिक है। इसी कर्ज की पूंजी से डीएलएफ अरालियास का बी११५ नंबर का १० हजार वर्गफुट का पेंटहाउस खरीदा गया। ५.२ करोड़ रुपयों का भुगतान कर रॉबर्ट ने डीएलएफ मैग्नोलिया में ७ अपार्टमेंट्स खरीदे। डीएलएफ ग्रीन्स में रॉबर्ट ने ५.०६ करोड़ रुपयों का भुगतान कर अपार्टमेंट्स लिए। दिल्ली का ग्रेटर कैलाश फेज-२ हाईक्लास कॉलोनी मानी जाती है। वहां रॉबर्ट ने १.२१ करोड़ रुपयों में एक भूखंड खरीदा।
आयकर विभाग के जानकार इस सौदे को भी संदेह की निगाह से देखते हैं। बैलेंस शीट में उक्त भूखंड का आकार नहीं दर्शाया गया है, फिर भी जिस ग्रेटर कैलाश में करोड़ों रुपए में एक फ्लैट मिलता हो वहां सिर्पहृ १.२ करोड़ रुपयों में तेजी की बाजार में भूखंड मिलना आश्चर्यजनक है। वर्ष २०१० के अंत में रॉबर्ट की कंपनियों ने ग्रामीण इलाकों में कृषि योग्य भूमि की खरीददारी शुरू कर दी। अमिताभ बच्चन के परिवार ने बीच के दिनों में पुणे के मावल जिले में खेती योग्य भूखंड की खरीददारी की थी तो किसान खाता पेश करने पर कांग्रेस नेतृत्ववाली सरकार ने बच्चन परिवार की जांच शुरू कर दी थी। सनद रहे कि हिंदुस्थान में सिर्पहृ किसान या किसान परिवार के लोग ही कृषि योग्य भूमि खरीद सकते हैं। रॉबर्ट  और मौरीन वड्रा जिन कंपनियों की निदेशक हैं उन्हें कृषि योग्य भूमि खरीदने की अनुमति कैसे मिली? रॉबर्ट के पिता का परिवार बीती कई पीढ़ियों से कारोबार में है। बीते शतक भर से उनका परिवार कृषि कार्य नहीं कर रहा है। उनकी मां मौरीन वड्रा स्कॉटिश हैं सो उनका भी किसानी का कोई इतिहास नहीं। फिर भी वड्रा की कंपनी राजस्थान के बीकानेर में १६०.६२ एकड़ कृषि योग्य भूमि खरीदती है। यह सौदा भी संदिग्ध है क्योंकि इतनी बड़ी जमीन की कीमत केवल १.०२ करोड़ रुपए दर्शाई गई है। २.४३ करोड़ रुपयों के भुगतान से ५ अन्य स्थानों पर जमीन खरीदी गई है। कंपनियों की बैलेंस शीट में इन जमीनों का आकार नहीं बताया गया है। पलवल में ४२ लाख रुपयों की, हयातपुर (गुड़गांव) में ४ करोड़ रुपयों की, हसनपुर में ७६.०७  लाख रुपयों, मेवात में ९५.४२ लाख रुपयों तथा ६९.०९ लाख रुपए एवं ९ लाख रुपयों का भुगतान कर अज्ञात स्थान पर रॉबर्ट की कंपनियों ने जमीनों की खरीददारी की है। २००८ में रॉबर्ट की कंपनियों के पास कुल ५० लाख रुपयों का पेडअप शेयर कैपिटल था। यदि उनके कॉरपोरेशन बैंक के तथाकथित ओवरड्रॉफ्ट दावे को स्वीकार भी लिया जाए तो उनके पास ७.९५ करोड़ रुपयों की कर्ज की पूंजी है। वित्त वर्ष २००९ में  रॉबर्ट की कंपनियां १७.१८ करोड़ रुपयों का निवेश दर्शाती हैं।
वर्ष २०१० में उनके निवेश में ३५० फीसदी का इजाफा हो जाता है और ये कंपनियां ६०.५३ करोड़ रुपयों का भू अधिग्रहण में निवेश कर देती हैं। सिर्फ ५० लाख रुपयों की पूंजी वाली कंपनियों को इन जमीनों की खरीददारी के अलावा किसी अन्य कारोबार से आवक दिखाई नहीं देती फिर भी ये कंपनियां २५५.४६ लाख रुपए ब्याज के तौर पर कमाने का दावा करती हैं। वित्त वर्ष २०१० के अंत में वड्रा की कंपनियों का इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो संपत्तियों के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि के बावजूद सिर्फ ७१ करोड़ रुपयों का नजर आता है। इन कंपनियों की बैलेंसशीट में ३ करोड़ रुपयों का घाटा दर्शाया गया है। सारी कंपनियां स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी, स्काईलाइट रियलिटी, ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग, आरटेक्स, रियल अर्थ इस्टे्स और नॉर्थ इंडिया आईटी पार्क्स का पता रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के रिकॉर्ड में २६८, सुखदेव विहार, नई दिल्ली दिखाया गया है। मौरीन और रॉबर्ट भले ही सारी कंपनियों के निदेशक हों, पर उसमें से अपनी सेवाओं के लिए भुगतान यह परिवार केवल एक कंपनी स्काईलाइट रियलिटी से लेता है वह भी अकेले रॉबर्ट। स्काईलाइट रियलिटी से रॉबर्ट ६० लाख रुपए सालाना की निदेशक फीस ली। कंपनी के ऑडिटर कहते हैं कि कंपनी अधिनियम, १९५६ के कर्मचारी नियम, १९७५ के अनुसार रॉबर्ट की यह फीस सीमा से ज्यादा है। कंपनी के बैंलेसशीट में रॉबर्ट की मौरीन समेत किसी अन्य कर्मचारी या अधिकारी को किसी प्रकार के वेतन या भुगतान का जिक्र नहीं है। क्या रॉबर्ट की कंपनियां बिना किसी कर्मचारी या अधिकारी के संचालित हो रही हैं? रॉबर्ट के पास ऐसा कौन सा अलादीन का चिराग है या बोतल बंद जिन्न है जो उन्हें कर्ज की पूंजी पर करोड़ों-अरबों रुपए की कमाई करा रहा है?
यह सवाल रॉबर्ट वड्रा की कंपनियों के ऑडिटर खुराना एंड खुराना ने क्यों नहीं उठाए? रॉबर्ट की कंपनी स्काईलाइट मानेसर का भूखंड १५.३८ करोड़ में खरीद उसे ५८ करोड़ रुपयों में डीएलएफ को बेचती है फिर भी स्काईलाइट की बैलेंसशीट में डीएलएफ के ५० करोड़ रुपयों का एडवांस पेमेंट’ ‘लायबिलिटीबताया गया है। रियल अर्थ इस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड की बैलेंसशीट ऑडिट करने के बाद खुराना एंड खुराना घोषित करते हैं कंपनी द्वारा दी गई सूचना एवं सफाई के आधार और बैलेंसशीट के निरीक्षण के बाद हम पाते हैं कि कंपनी ने कम अवधि के लिए पंहृड एकत्र कर किसी लंबी अवधि का निवेश नहीं किया है।जिस वर्ष के लिए खुराना एंड खुराना यह प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं उसी वर्ष (२०१०) की रियल अर्थ की बैलेंसशीट में २.८९ करोड़ की अग्रिम भुगतान की राशि नजर आ रही है। सारी कंपनियों की चालू वर्ष की लायबिलिटी ७२ करोड़ की है और हर कंपनी ने भूमि में निवेश किया है जिसे दीर्घकालिक निवेश वर्गीकृत किया जाता है। इसलिए ये ऑडिट रिपोर्ट कंपनी अधिनियम, १९५६ की धारा ३१ के तहत माना जाना चाहिए और इनकी जांच होनी चाहिए। अकेले स्काईलाइट रियलिटी का लाभ वित्त वर्ष २००७-०८ तक शून्य था, जो २००८-०९ में २०.९४ लाख रुपए तथा २००९-१० में २५५.४६ लाख रुपए दर्शा दिया गया। ये मुनाफा किसी व्यावसायिक उपक्रम की बजाय २३ सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) पर प्राप्त ब्याज से है।
इन कंपनियों ने लगभग ५ करोड़ रुपयों के कुल २३ एफडी किए हैं। रॉबर्ट की स्काईलाइट रियलिटी कर्ज लेकर एफडी करती है और ब्याज को मुनाफा करार देती है जबकि उसकी शेष पांचों कंपनियों को कुल ३ करोड़ रुपयों का घाटा दर्शाया जाता है। रॉबर्ट की कंपनियों के सौदे कई कोणों से संदिग्ध हैं, इसकी पड़ताल हम आगे भी करेंगे। (जारी)
(लेखक मुंबई से प्रकाशित सामना के कार्यकारी संपादक हैं)