सोमवार, 2 नवंबर 2009

माया मेम साहिब की नई टकसाल!



ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

माया मेम साहिब की नई टकसाल!


मुगल शासक मोहम्मद बिन तुगलक के पास जब अकूत धन संपदा एकत्र हो गई थी तब उन्हें भूत सवार हुआ था कुछ नया करने का, सो उन्होंने चमडे के सिक्के चलवा दिए थे। उत्तर प्रदेश में भी कुछ एसा ही होने के आसार नजर आ रहे हैं। भारतीय मुद्रा पर तीन शेर बाकायदा दिखाई पड़ते हैं। दरअसल ये चार शेर हैं, जिन्हें किसी भी कोण से देखने पर तीन ही दिखाई पड़ते हैं। यूपी की मुखिया मायावती भी कुछ कुछ समय बाद चमत्कार दिखाती रहीं हैं। कभी ताज कारीडोर में चर्चित होती हैं, तो कभी करोडों रूपए की मूर्तियां लगवाने में। हाल ही में एक नया ही मामला दिखाई पड़ रहा है। यूपी के बाग बगीचों, चौराहों पर लगाई गई गजराज (हाथी) की मर्तियां देखते ही बनती हैं। दरअसल हाथी मायावती की बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है, सो मायावती इसका जमकर उपयोग कर रहीं हैं। इन हाथियों की विशेषता यह है कि इन्हें भी चार शेरों की ही तरह एक दूसरे से सटाकर खड़ा किया गया है किसी भी कोण से देखने पर तीन हाथी ही दिखाई पडते हैं। हर पल कुछ नया करने की चाहत रखने वाली माया मेम साहब अगर उत्तर प्रदेश में चलने वाली मुद्रा पर शेर के बजाए हाथी का ठप्पा लगवा दें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।







द्रोपदी स्वयंवर के समय तेल के कडाहे में अर्जुन को घूमती मछली की केवल आंख ही नजर आ रही थी, और उनका निशाना नहीं चूका। उसी तर्ज पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी चल रहे हैं। नरेंद्र मोदी की नजर क्रिकेट की खास कुर्सी पर टिकी हुई है। मोदी वैसे भी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) के अध्यक्ष बन चुके हैं। भाजपा के एक नगीने अरूण जेटली इस वक्त भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष पद पर काबिज हैं। गुजरात में वर्तमान में तीन क्रिकेट एसोसिएशन अस्तित्व में हैं। मोदी एक पर काबिज हैं शेष दो को वे अपने प्रभाव में लाने को आतुर हैं। बीसीसीआई के चुनाव जल्द होने वाले हैं। नरेंद्र मोदी के इस आपरेशन में कुछ अडंगा आ गया है, इसका कारण है उन्हें स्वाईल फ्लू होना। कुछ दिन तक वे न तो किसी से मिल पाएंगे, और न ही राजनैतिक तौर पर कुछ कदम उठा सकेंगे। माना जा रहा है कि जैसे ही वे ठीक होंगे वैसे ही वे राजनैतिक तौर से तो सक्रिय होंगे ही, क्रिकेट में शरद पंवार के वर्चस्व को समाप्त करने के लिए जुगत लगाएंगे। आने वाले समय में नरेंद्र मोदी अगर बीसीसीआई के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो सकते हैं।




फस्र्ट डे, फस्र्ट शो, हाउस फुल




पायरेसी के चलते अब सिनेमाघरों की हालत पतली हो चली है। अनेक टाकीज अब तेंदूपत्ते के गोदामों और व्यवसायिक काम्पलेक्सों मेें तब्दील हो चुके हैं। छोटे मझोले शहरों में टाकीज अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। एक समय था जब ``ज़य संतोषी मां`` जैसे चलचित्र 108 सप्ताह चले थे तो शोले ``फस्र्ट डे फस्र्ट शो में गजब की हाउस फु ल रही। सुरक्षा और संगीनों का हिसाब किताब रखने वाले केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय में लगाई गई कंडोेम मशीन के साथ भी कुछ इसी तरह का घटनाक्रम हुआ। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाईजेशन (नाको) द्वारा मंत्रालय के पुरूष और महिला शौचालयों में लगाई गई 6 कंडोम मशीनों के परिणाम आश्चर्यजनक रहे। नाको के सूत्रों की मानें तो पहले ही दिन ये मशीनें पूरी तरह खाली हो गईं। आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि कंडोम मुुफत में नहीं वरन पांच रूपए में मुहैया करवाए गए थे। वैसे देश में एड्स के प्रति जागरूकता का अभियान अगर ईमानदारी से चलाया जाए तो न केवल एड्स बल्कि जनसंख्या पर नियंत्रण भी कारगर तरीके से पाया जा सकता है।




लालफीताशाही का कसता शिकंजा




सरकारी तंत्र में बेलगाम अफसरशाही की घोडे किस रफ्तार से दौड रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशवासियों को अब तक विशिष्ट पहचान पत्र मिलना तो दूर इसके लिए बनाई गई परियोजना को कार्यालय तक नहीं मिल सका है। इंफोसिस के पूर्व प्रमुख नंदन नीलकनी के नेतृत्व में बडे ही जोर शोर से आरंभ की गई केंद्र सरकार की यह महात्वाकांक्षी परियोजना अभी भी कार्यालय और मुलाजिमों जैसी बुनियादी जरूरत से जूझ रही है। लालफीताशाही का आलम यह है कि प्रधानमंत्री डॉ.एम.एम.सिंह को इसके लिए खुद आगे आना पडा और खुद अपनी अध्यक्षता में एक मंत्रीमण्डलीय समिति का गठन करना पडा। यक्ष प्रश्न आज यह है कि प्रधानमंत्री खुद आखिर कहां कहां दखल देंगे। पीएम को चाहिए कि वे हर मामले में दखल देने के बजाए प्रशासनिक सुधारों की ओर तवज्जों दें ताकि अफसरशाही के बिगडेल घोडों पर नकेल कसी जा सके।


 मपो सबसे भ्रष्ट




कभी स्काटलेंड पुलिस के बाद विश्व में सबसे बेहतर मानी जाने वाली मुंबई पुलिस का अघोषित खिताब पाने वाली महाराष्ट्र पुलिस (मपो) रिश्वत लेने के मामले में सबसे आगे है। किसी ओर ने नहीं वरन भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एबीसी ने यह बात कही है। (एबीसी) के केलेंडर में मपो के बाद दूसरी पायदान पर राजस्व विभाग और उसके बाद तीसरे नंबर पर बिजली बोर्ड को स्थान दिया गया है। आजादी के बाद आधी से ज्यादा सदी तक देश और प्रदेश पर राज करने वाली कांग्रेस के शासनकाल में पुलिस ही अगर निरंकुश और भ्रष्ट हो जाए तो फिर सूबे की रियाया किससे और कैसी उम्मीद रखे। वैसे भी भ्रष्टाचार के मामले में अब तक बिहार और उत्तर प्रदेश ने बाजी मारी है। हाल ही में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में हुआ भूमि घोटाला भी बहुत बडा माना जा रहा है। जनसेवकों और अफसरान के आपस में बने रिश्तों के चलते गरीब जनता की परवाह किसी को भी नहीं है।


जयराम ``जय जय राम``




अपने बयानों से चर्चाओं में आने वाले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश अब सत्ता का उपयोग और दुरूपयोग दोनों ही बेहतर तरीके से सीख चुके हैं। उर्जा विभाग में राज्यमंत्री रहते हुए जयराम रमेश ने अपने वाहन चालक दामोदर को ही अपना एपीएस बना लिया था। वर्तमान में कांग्रेस वार रूम के सहयोगी रहे वरद पांडे और मो.अली खान पर ज्यादा मेहरबान नजर आ रहे हैं। बताते हैं कि वरद को उन्होंने अपनी जान पहचान वाली एक बहुराष्ट्री़़़य कंपनी में सीईओ तो अली को सलाहकार बना लिया है। ला ग्रेजुएट अली को मंत्रालय में सलाहकार बनाने के लिए मंत्रालय ने बाकायदा विज्ञापन जारी किया। हजारों की तादाद में आवेदन आने के बाद भी किसी को भी साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया, बस अली को नियुक्त कर दिया गया है। मजे की बात तो यह है कि दोनों ही के पास कांग्रेस का कोई बेकग्राउंड नहीं है।


क्या सुधर सकेगी तस्वीर




अगले साल होने वाले तेरह दिनी राष्ट्र मण्डल खेलों में विदेशों से आने वाले मेहमानों के सामने देश और दिल्ली की बेहतरीन तस्वीर पेश करने की गरज से सरकार द्वारा तरह तरह के जतन किए जा रहे हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा दिल्ली के हर तबके के सर्विस प्रोवाईडर को शिक्षित करने का बीडा उठाया गया है, ताकि देश और दिल्ली की तस्वीर बदल सके। मंत्रालय द्वारा पूसा इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मेनेजमेंट से सहयोग लिया जा रहा है। टेक्सी और आटो चालकों को भी पंजीकृत कर प्रशक्षित किया जा रहा है। विदेशी पर्यटकों का खासा ध्यान आटो टेक्सी के बजाए भारतीय रिक्शों पर ज्यादा होता है, जिस ओर पर्यटन मंत्रालय का ध्यान नहीं है। रेल्वे स्टेशन पर उतरते ही ``होटल लॉज`` के नाम से त्रस्त करने वाले आटो टेक्सी और रिक्शेवालों को पर्यटन मंत्रालय क्या नसीहत दे पाएगा यह तो समय ही बताएगा किन्तु गैर पंजीकृत टेक्सी चालक कामन वेल्थ गेम्स के दौरान भारत की छवि बिगाडने में खासी भूमिका निभाएंगे इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।


जेतली के जलवे




भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरूण जेतली के जलवे भारत ही नहीं विदेशों में भी बरकरार हैं। आश्चर्य मत कीजिए, भले ही अरूण जेतली लोकसभा या विधानसभा चुनाव लडकर सीधे सीधे जनादेश पाने से कतराते रहे हों पर इंटरनेट के अथाह समुंदर में उनके नाम की पूछ परख ज्यादा है। बताते हैं कि अरूण जेतली ने जब अपने नाम के डोमिन नेम के लिए आवेदन दिया तो उन्हें पता चला कि यह डोमिन नेम तो पहले से ही न केवल रजिस्र्ड है, बल्कि इसके लिए बोलियां भी लगाई जा रही हैं। जेतली को पता चला कि उनके नाम से पंजीबद्ध डोमिन नेम 14445 अमेरिकी डालर अर्थात लगभग सात लाख रूपयों में उपलब्ध है। यह जानकर जेतली हतप्रभ रह गए। जेतली ने यह नाम उन्हें देने की पेशकश की तो उन्हें भी नीलामी में हिस्सा लेने को कहा गया। हारकर जेतली ने दिल्ली हाईकोर्ट की शरण ली है। न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर ने फिलहाल जेतली के इस डोमिन नेम के प्रचार और नीलामी पर पाबंदी लगा दी है। अब देखना यह है कि जेतली को उनके नाम का हक मिल पाता है या फिर उन्हें भी नीलामी की कतार में खडे होकर अपना नाम वापस लेना पडेगा।






कहां गए गुरूकुल!


गुरूकुल, इस शब्द के उच्चारण के साथ ही जेहन में वन में विचरण करते हिरण, खरगोश आदि के साथ बच्चों को अध्ययन कराते आदि अनादि काल के ऋषियों की तस्वीर जीवंत हो उठती है। आज के समय में शिक्षा को व्यवसाय बना दिया गया है। आज शिक्षित करने के एवज में धन संग्रह महत्वपूर्ण विधा बनकर रह गई है। जहां तहां कुकुरमुत्ते की भांति स्कूल और कालेज खुल गए हैं, जहां उपाधियां बिक रहीं हैं। व्यवहारिक ज्ञान के नाम पर शैक्षणिक संस्थाएं चुप्पी साधे हुए हैं। राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी के नाम से पुकारा जाता है। बापू को महात्मा की उपाधि एक गुरूकुल में ही मिली थी। बापू जब कस्तूरबा गांधी के साथ 1915 में हरिद्वार गए थे तक उन्होंने वहां एक गुरूकुल के संस्थापक महात्मा मुंशीराम जिन्हें कालांतर में स्वामी श्रृद्धानन्द के नाम से जाना जाता था। 8 अप्रेल को वहां आयोजित एक समारोह में गुरूकुल के ब्रम्हचारियों ने बापू का सम्मान किया और पहली बार वहां बापू को महात्मा नाम से संबोधित किया गया था, बाद में यह उनके नाम का अभिन्न अंग बन गया था। अब जबकि गुरूकुल ही नहीं रहे तो बापू के आदशोZं पर चलने वालों के साथ ही साथ किसी नए महात्मा के पैदा होने पर संदेह ही होने लगता है।






कहां गई मितव्ययता की सीख!


कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी ने विमान की इकानामी क्लास की बीस सीटें खाली रखकर, तो युवराज राहुल गांधी ने शताब्दी की एक पूरी बोगी बुक करवाकर यात्रा कर मितव्ययता की एक अच्छी किन्तु मंहगी सीख देशवासियों को दी है। कांग्रेस की सत्ता की धुरी सोनिया और राहुल की तर्ज पर ही केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री कमल नाथ चल रहे हैं। अक्टूबर माह में दो बार वे अपने संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाडा के प्रवास पर गए। इस दौरान उन्होंने देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से छिंदवाडा की दूरी विशेष विमान ``चार्टर्ड प्लेन`` से तय की। विशेष विमान के लिए प्रतिघंटा लगभग एक लाख रूपए से अधिक की राशि का भुगतान करना होता है। दिल्ली से छिंदवाडा की दूरी हवाई जहाज से लगभग पोने दो घंटे में तय की जाती है। इस लिहाज से एक बार की यात्रा का खर्च लगभग दस लाख रूपए के उपर ही बैठता है। मंदी के दौर में एक ओर मां बेटे अर्थात सोनिया और राहुल मितव्ययता का प्रहसन कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनकी ही सरकार के एक मंत्री द्वारा चार्टर्ड प्लेन का उपयोग किया जा रहा हो तो आम आदमी तो कहेगा ही ``कांग्रेस की मितव्ययता की नौटंकी जिंदाबाद``!






सब पर भारी गणपति की सवारी


भगवान गणेश ने चूहे पर बैठकर ही धरती की परिक्रमा कर ली थी। भगवान गणेश के वाहन से सभी भयाक्रांत रहते हैं। कंप्यूटर में भी चूहे अर्थात माउस का खासा महत्व है। हाल ही मेें एक चूहे के कारण हवाई जहाज उडान नहीं भर सका। साउदी अरब में रियाद के लिए जाने वाली एयर इंडिया के एक विमान को उडान भरने से रोक दिया गया। बताते हैं कि उस विमान में मूषक ने आमद दे दी थी। कर्मचारी चूहे को खोजने में असफल रहे। बाद में दूसरा विमान मुहैया करवाकर यात्रियों को गंतव्य के लिए प्रस्थित किया गया। यह पहला मौका नहीं है जबकि चूहे के कारण विमान उडान न भर सका हो। कुछ दिनों पहले अमृतसर से लंदन जाने वाले एक विमान में चूहा घुस गया था, जिसके कारण विमान नियमित समय पर उड़ान नहीं भर सका था। वैसे भारतीय रेल में तीन शिक्सयतें ही मुफ्त में यात्रा कर सकतीं हैं, जिनमें से सांसद, पूर्व सांसद और स्वतंत्रता संग्राम सैनानी घोषित तौर पर तो चूहे अघोषित तौर पर बिना दाम चुकाए यात्रा कर सकते हैं। सरकार चाहे किसी की भी हो रेल मंत्री चाहे जो भी हो पर भगवान गणेश की सवारी निशुल्क ही यात्रा करती है।






पुच्छल तारा


कांग्रेस और नेशनल कांग्रेस का गढ माने जाने वाले जम्मू एवं काश्मीर में पिछले दिनों सरकारी
मछली की आंख पर निगाहें हैं नरेंद्र मोदी की