0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 5
शिक्षा की दृष्टि से समृद्ध होगा महाकौशल प्रांत
तीन विश्वविद्यालय हैं महाकौशल में
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। छोटे राज्यों से विकास के मार्ग प्रशस्त होते हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। भौगोलिक दृष्टिकोण से संयुक्त मध्य प्रदेश के विशाल भू भाग को जब छत्तीसगढ़ में बांटकर अलग किया गया था तब छत्तीसगढ़ के विकास के मार्ग तेजी से प्रशस्त हुए। उस वक्त प्रथक महाकौशल की मांग भी उठी थी, किन्तु नपुंसक राजनैतिक नेतृत्व के चलते यह मांग ठण्डे बस्ते में ही चली गई थी।
महाकौशल प्रांत का गठन अगर कर दिया जाता है तो शिक्षा की दृष्टि से महाकौशल प्रांत पूरी तरह से समृद्ध ही होगा। महाकौशल प्रांत में तीन विश्वविद्यालय होंगे। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय सालों से उत्कृष्ठ शिक्षा के लिए पहचान बनाए हुए है, इसके साथ ही साथ जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय और अब प्रस्तावित आर्युविज्ञान विश्विद्यालय भी यहां की अलग पहचान बनेगा। आध्यात्मिक गुरू महर्षि महेश योगी द्वारा करोंदी में भी एक विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया गया था।
महाकौशल में न जाने कितने आयुर्विज्ञान, इंजीनियरिंग, तकनीकि एवं अन्य क्षेत्र के महाविद्यालय सरकारी और निजी तौर पर संचालित हो रही हैं। पिछले सात सालों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाले मोगली महोत्सव में समूचे प्रदेश के चुने हुए स्कूली बच्चे सिवनी जिले के मोगली लेण्ड में एकत्र होते हैं। सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि भेडिया बालक मोगली की कर्मभूमि भी महाकौशल के सिवनी जिले में ही है।
महाकौशल प्रांत में आने वाले लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के जनसेवक अगर ईमानदारी से प्रयास करें तो प्रथक महाकौशल के मार्ग प्रशस्त होने में देर नहीं लगने वाली। इसके साथ ही साथ केंद्र सरकार से महाकौशल प्रांत के लिए एक सैनिक स्कूल की मांग भी की जा सकती है। इतना ही नहीं महाकौशल में डिफेंस का अच्छा खासा बेस है, इसी आधार पर केंद्र सरकार से एक डिफेंस यूनिवर्सिटी की स्थापना भी महाकौशल की प्रस्तावित राजधानी जबलपुर के आसपास ही करवाई जा सकती है। सब कुछ संभव है बशर्ते यहां से जनादेश पाने वाले नुमाईंदे उन्हें मिले जनादेश का सम्मान करना चाहें।
(क्रमशः जारी)