गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

एफडीआई ने किया मन के मन को बेचेन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 48

एफडीआई ने किया मन के मन को बेचेन

रणनीतिकारों ने जानबूझकर हावी होने दिया विपक्ष को


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके एफडीआई मामले में सरकार का यू टर्न मनमोहन को बुरी तरह अखर रहा है। प्रधानमंत्री को लगने लगा है कि उन्हें कमजोर करने और उनकी साख पर धब्बा लगाने के लिए उनके सहयोगी मंत्री ही माहौल बनाने पर आमदा हैं। मनमोहन के खिलाफ वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने परोक्ष तौर पर मोर्चा खोल लिया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि एफडीआई मामले में वजीरे आजम की पेशानी पर पसीने की बूंदे साफ इशारा कर रही हैं कि वे इस मामले में बुरी तरह परेशान और आहत हैं। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री को लग रहा है कि कांग्रेस के ट्रबल शूटर्स इन दिनों उनके लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। एफडीआई मामले में कांग्रेस के रणनीतिकारों ने जानबूझकर सरकार को यू टर्न लेने पर मजबूर किया है।

सूत्रों की मानें तो वजीरे आजम खुद अर्थशास्त्री हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नफा नुकसान से वे अच्छी तरह वाकिफ हैं। मनमोहन परेशान इसलिए भी हैं क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर भारत और उनकी छवि पर गहरा आघात लगेगा। अभी परमाणु करार भी रार का ही विषय बना हुआ है। सरकार के सहयोगी दलों की जुबानें भी इस मामले में अब खुलना आरंभ हो गई हैं। सरकार में शामिल त्रणमूल कांग्रेस कोटे से रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी ने तो साफ साफ कह दिया कि सरकार अगर इस मामले में पहले ही वार्ता कर लेती तो यह नौबत नहीं आती।

(क्रमशः जारी)

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