रविवार, 13 अक्टूबर 2013

जमकर चर्चे हैं लालाजी के जुएं की फड़ के

जमकर चर्चे हैं लालाजी के जुएं की फड़ के

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। कटंगी रोड पर बाम्हनदेही के आसपास के जंगलों में लालाजी के जुएं की फड़ इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है। कहा जा रहा है कि इस जुएं के अड्डे में खाना, पीना, जुआं और मनोरंजन के हर स्तर के साधन मौजूद हैं। अरी पुलिस थानांतर्गत आने वाले जंगलों में चलने वाली जुएं की फड़ पर हाथ डालने से अरी पुलिस भी अपने आप को सक्षम नहीं पा रही है।
बताया जाता है कि बाम्हनदेही के जंगलांे में बकायदा तिरपाल लगाकर टेंट के अंदर जुएं की फड़ जमकर जम रही है। वहीं वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि वन विभाग के उड़न दस्तों को इन जुएं के अड्डों की पूरी खबर है, किन्तु समय पर चौथ पहुंच जाने से वे भी इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझते हैं।

कटंगी रोड के जंगलों में हो रहे जमकर जुएं से अरी पुलिस और वन विभाग के गश्ती दल की कार्यप्रणाली और कथित तौर पर की जाने वाली नाकेबंदी पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। कहा जाता है कि पांच से दस परसेंट मासिक ब्याज पर यहां स्पाट फाईनेंस की सुविधा भी उपलब्ध है। ब्याज वसूली करने का काम लालाजी के हरकारे करीने से कर लेते हैं।

हरवंश युग का अवसान, विमला वर्मा आज भी हैं प्रासंगिक

हरवंश युग का अवसान, विमला वर्मा आज भी हैं प्रासंगिक

(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। सिवनी की राजनीति पिछले चार दशकों में दो बार करवट ले चुकी है। सिवनी की सियासत में कांग्रेस का बोलबाला रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। सिवनी में कांग्रेस के प्रभावशाली क्षत्रपों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा और विधानसभा के तत्कालीन उपाध्यक्ष रहे हरवंश सिंह ठाकुर का ही बोलबाला रहा है। सिवनी में सियासत की धुरी इन्हीं दोनों के इर्द गिर्द ही घूमती रही है। विमला वर्मा आज आसक्त हैं, तो हरवंश सिंह का अवसान हो गया है।
कांग्रेस की कमान हरवंश सिंह के थामते ही सुश्री विमला वर्मा को सियासी बियावान से किनारे करने के षणयंत्र का ताना बाना बुना जाने लगा था। विमला वर्मा के विश्वस्त पर मौका परस्त लोगों को हरवंश सिंह ने बखूबी साधा और विमला वर्मा को लगभग एकाकी कर दिया। मूल्य आधारित राजनीति करने वालीं विमला वर्मा द्वारा इस मामले में मौन ही साधे रखा गया है। जब भी चुनाव आए, कांग्रेस के सिवनी विधानसभा या नगर पालिका सिवनी के प्रत्याशियों ने उन्हें शोभा की सुपारी बनाकर लोगों के सामने रैली के रूप में अवश्य ही प्रस्तुत किया, किन्तु जीत हार के बाद उनकी सुध लेने की जुर्रत किसी भी कांग्रेस के प्रत्याशी द्वारा न किया जाना कांग्रेस के नेताओं का उनके प्रति समर्पण, आदर को न केवल दर्शाता रहा है वरन् हरवंश सिंह के डर को भी इस बात ने रेखांकित किया है कि अगर विमला वर्मा से नजदीकियां बढ़ाईं तो उनका भविष्य उज्जवल तो कतई नहीं रहने वाला।

बैंक के कर्जदार से अरबपति बनने का सफर
हरवंश सिंह ठाकुर ने जब सियासत की सीढ़ियां चढ़ना आरंभ किया तब वे डॉ.रमन लाल शाह के आवास में किराए से ही रहा करते थे। उस वक्त उनके पास इतनी मात्रा में व्यवस्थाएं भी नहीं होती थीं कि वे खुद के खर्चे पर भोपाल या अन्य स्थानों पर जा सकें। कांग्रेस के ही लोग बताते हैं कि हरवंश सिंह ठाकुर ने लोगों की मदद से, यहां तक कि बैंक के कर्ज से एक मोटर सायकल खरीदी थी। यह कर्ज वे पटा नहीं सके। आज हरवंश सिंह के पास अकूत दौलत बताई जाती है। हरवंश सिंह ठाकुर जिस वाहन में घूमा करते थे, वही वाहन कम से कम बीस से पच्चीस लाख रूपए का बताया जाता है।

अर्जुन सिंह से रही नजदीकी
मध्य प्रदेश में सत्ता के बनते बिगड़ते समीकरणों में उस वक्त प्रदेश की सत्ता की धुरी विमला वर्मा के इर्द गिर्द भी घूमने लगी। उस वक्त चुरहट लाटरी कांड में दागी होने के चलते कुंवर अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। इस समय हरवंश सिंह चार इमली में रहा करते थे और राज्य वस्त्र निगम के अध्यक्ष थे। वे तत्कालीन गृह मंत्री भारत सिंह के सामने वाले आवास में रहते थे। जब सीएम के चयन की बारी आई तो उन्होंने चतुराई के साथ अर्जुन सिंह समर्थकों को अपने आवास पर एकत्र किया और कांग्रेस आलाकमान पर जमकर दबाव बनाया। यहीं से हरवंश सिंह की अर्जुन सिंह से नजदीकियां बढ़ीं।

दूरंदेशी आई बहुत काम
इसके उपरांत लंबे समय तक वनवास भोगने के बाद एक बार फिर हरवंश सिंह की किस्मत का सितारा बुलंद हुआ। पटवा सरकार के पतन के बाद हुए चुनावों में जब भाजपा धाराशाई हुई, तब हरवंश सिंह ने एक बार फिर पलटी मारी और अर्जुन सिंह के साथ ही साथ उन्होंने कमल नाथ का दामन भी थाम लिया। पहली बार विधायक बनते ही उन्हें मंत्री पद भी मिल गया। इसके बाद हरवंश सिंह ने पीछे पलटकर नहीं देखा।

दिग्गी सरकार में रहे दिग्गी के खास
यह हरवंश सिंह की विशेषता थी कि वे एक साथ अर्जुन सिंह, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को साधते रहे। दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए, उन्होंने दिग्विजय सिंह से खासी पटरी बिठा ली थी। वहीं कमल नाथ और अर्जुन सिंह भी उनसे दूर नहीं हो पाए। इसी बीच कांग्रेस में चंदे के गंदे धंधे के आरोप उन पर लगे और उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। बताते हैं कि उस वक्त कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी के निज सचिव विसेंट जॉर्ज की नजरें उन पर तिरछी हो गई थीं। बाद में अपनी मनराखनलालकी छवि से उन्होंने सब कुछ सामान्य कर लिया।

भाजपा सरकार के आते ही बन गए विधानसभा उपाध्यक्ष
कांग्रेस की सत्ता पतन के बाद सुविधाओं के आदि हो चुके हरवंश सिंह ने एक बार फिर दूरंदेशी का फायदा उठाया और एक संवैधानिक पद झटक लिया। विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के कारण वे पार्टी के धरना प्रदर्शन आदि में संवैधानिक मर्यादाओं का हवाला देकर बचते रहे किन्तु अपने मनमाफिक कार्यक्रमों में उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं को तिलांजली भी दी। इसके अनेक उदाहरण भी हैं।

सिवनी को नहीं दी कोई सौगात!
हरवंश सिंह ठाकुर ने लगभग तीन दशकों की सक्रिय राजनीति में सिवनी जिले को कुछ भी उपलब्धि प्रदान नहीं की है। जानकारों का मानना है कि सिवनी जिले में सुश्री विमला वर्मा द्वारा दी गई उपलब्धियों की फेहरिस्त बेहद लंबी है, जिसे गिनाते गिनाते लोगों के कण्ठ सूख जाएं पर हरवंश सिंह के खाते में सिर्फ एक ही उपलब्धि है, वह भी कुंवर अर्जुन सिंह के संचार मंत्री रहते हुए सिवनी को मिली एसटीडी की सुविधा। उस समय टेलीफोन में एसटीडी की सुविधा कम ही शहरों में थी किन्तु सिवनी में यह सुविधा हरवंश सिंह के प्रयासों से ही आ पाई।

कुचला गया कार्यकर्ताओं का स्वाभिमान!
भले ही विमला वर्मा के खासुलखास रहे उनके लग्गुओं भग्गुओं द्वारा हरवंश सिंह के इशारे पर अपने स्वर्णिम भविष्य के लालीपाप के मद्देनजर कांग्रेस के कार्यालय को विमला वर्मा के आवास गिरधर भवन से उठाकर ले जाया गया हो, किन्तु जल्द ही उन्हें समझ में आने लगा था कि हरवंश सिंह की बाजीगरी में वे फंस चुके हैं और उनके स्वाभिमान और आत्म सम्मान को बुरी तरह कुचला जाने लगा था।

अनुभवी अधिकारियों की तैनाती से रहा गुरेज
कहा जाता है कि हरवंश ंिसंह प्रदेश में कद्दावर मंत्री रहे हैं। उनके कार्यकाल में सिवनी जिले को भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की नर्सरी या प्रशिक्षण स्थल बना दिया गया था। हरवंश सिंह भले ही युवा अधिकारियों को सिवनी लाने के हिमायती बताते रहे हों पर यह चर्चा भी उस वक्त जमकर होती रही कि अनुभवी अधिकारी उनकी सुनते नहीं थे अतः नए नवेले अधिकारियों की सिवनी में तैनाती करवाकर वे अपना उल्लू सीधा करते रहे।

पांच माह में ही भूल गए कांग्रेसी हरवंश सिंह को

हरवंश सिंह का अवसान महज पांच माह पूर्व ही 14 मई को हुआ था। इसके बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उन्हें लगभग भुला ही दिया। 13 जून को हुई कमल नाथ की सभा में तो कुछ बेनर पोस्टर्स पर हरवंश सिंह के चित्र अवश्य दिखे, किन्तु 10 अक्टूबर को संपन्न परिवर्तन यात्रा में हरवंश सिंह के चित्र पोस्टर्स बेनर्स नदारत ही थे। वहीं, दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा के फोटो मंच पर भी दिखे। लोगों का कहना था कि अब हरवंश युग का अवसान हो चुका है, किन्तु अच्छे कर्म और मूल्य आधारित राजनीति करने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा आज भी प्रासंगिक बनी हुई हैं। 10 अक्टूबर की सभा में भी एकाध वक्ता ने सुश्री विमला वर्मा और हरवंश सिंह का नाम अपने उद्बोधन में लिया बाकी सभी ने लोगों की स्मृति से विस्मृत हरवंश सिंह की यादें लोगों के जेहन में ताजा करना मुनासिब ही नहीं समझा।