शिव के राज में कराह रही शिव की नगरी!
(लिमटी खरे)
20 मार्च को दिल्ली में हुई वाईल्ड लाईफ
बोर्ड की बैठक के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के समय की
महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में 2008 से लगातार आ रहे मध्य प्रदेश के सिवनी
जिले के हिस्से में व्यवधान अब चर्चाओं में एक बार फिर आ गया है। इस संबंध में अलग
अलग स्त्रोतों से अलग अलग तरह की प्रतिक्रियाएं और समाचार आ रहे हैं जिससे स्थिति
स्पष्ट होने के बजाए उलझती ही दिख रही है।
ज्ञातव्य है कि एक दर्जन से अधिक
राज्यों के पांच दर्जन से अधिक शहरों से प्रकाशित होने वाले एक समाचार पत्र ने 21 मार्च को अपने एक संस्करण में इस आशय
का समाचार प्रकाशित किया है कि पेंच के हिस्से में फंसा वन और पर्यावरण का फच्चर
हट गया है। जैसे ही यह समाचार सोशल नेटवर्किंग वेब साईट के माध्यम से आम हुआ वैसे
ही इस मामले में वास्तविकता का पता लगाने के लिए मोबाईल घनघनाने लगे। इस समाचार
में वन्य जीव मामलों के प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ.पी.के.शुक्ला के हवाले से कहा
गया है कि एनबीडब्ल्यूएल ने सशर्त मंजूरी दी है कि एनटीसीए के दिशा-निर्देशों का
एनएचएआई पालन करने को तैयार है तो कॉरिडोर का निर्माण शुरू हो सकता है।
इस संबंध में जब डॉ.शुक्ला से संपर्क
साधने का प्रयास किया गया तो इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उनके कार्यालय के
दूरभाष नंबर 07552674206 पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को लगातार यही बताया
गया कि वे दिल्ली की बैठक से लौटकर कार्यालय अवश्य ही आए थे, पर दिल्ली में हुई कार्यवाही की जानकारी
देने डॉ.शुक्ला सुबह ही राज्य सचिवालय वल्लभभ्ज्ञावन मेें प्रमुख सचिव के पास गए
हैं।
वहीं जब साई न्यूज द्वारा वल्लभभ्ज्ञावन
में वन विभाग के प्रमुख सचिव बी.के.सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो
उनके दूरभाष नंबर 07552554909 पर पीएस फारेस्ट के निज सचिव द्वारा समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को यही बताया गया कि साहब पीसीसीएफ वाईल्ड लाईफ के साथ चर्चा में
व्यस्त हैं और दोपहर एक बजे के बाद ही चर्चा हो पाएगी।
अपरान्ह लगभग एक बजकर पंद्रह मिनिट पर
जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने प्रमुख सचिव वन से संपर्क किया गया तो उन्होंने
बताया कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। 20 मार्च को दिल्ली में हुई मीटिंग के
बारे में उन्होंने कहा कि वे खुद प्रधान मुख्य वन संरक्षण वन्य प्राणी डॉ.शुक्ला
का इंतजार कर रहे हैं, जबकि उनके निज सचिव द्वारा पूर्व में पीसीसीएफ वाईल्ड लाईफ के साथ बैठक
में होने की बात कही गई थी।
जब उनके संज्ञान में इस बात को लाया गया
तो उन्होंने कहा कि वे पीसीसीएफ श्री नेगी के साथ बैठक में थे अतः हो सकता है कोई
कंफयूजन हो गया हो। जब उनसे इस बैठक के एजेंडे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने
कहा कि मीटिंग के एजेंडे के बारे में तो डॉ.शुक्ला ही बता सकते हैं रही बात
मिनिट्स की तो मिनिट्स के आते आते छः महीने का समय लग जाता है।
ज्ञातव्य है कि एक समाचार पत्र
द्वाराभ्ज्ञाोपाल डेट लाईन से समाचार प्रकाशित किया था कि नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर की
अड़चन दूर होने के आसार बन गए हैं। मप्र के
पेंच टाइगर रिजर्व से होकर गुजर रहे इस कॉरिडोर के 8.7 किमी हिस्से पर फोरलेन बनाने के लिए
राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) ने बुधवार को सशर्त मंजूरी दे दी है।
गत पांच साल से इस हिस्से पर सड़क निर्माण को
लेकर विवाद था। बोर्ड के इस निर्णय से केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ के उस
प्रयास को झटका लगा है, जिसमें उन्होंने यह विकल्प दिया था कि कॉरिडोर सिवनी की बजाए छिंदवाड़ा
से होकर ले जाया जाए।
बोर्ड ने कहा है कि राष्ट्रीय बाघ
संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) पेंच-कान्हा टाइगर रिजर्व के बीच से होकर गुजर रहे इस
हिस्से का अध्ययन करे और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को बताए कि
कहां-कहां अंडर पास और कहां फ्लाई ओवर की जरूरत है।
एनएचएआई यदि एनटीसीए के निर्देश पर
कार्य करने के लिए तैयार हो तो ही काम प्रारंभ किया जाए। गौरतलब है कि जब इस
कॉरिडोर के पेंच टाइगर रिजर्व से होकर गुजर रहे हिस्से को लेकर विवाद उठा और
कमलनाथ ने इसे छिंदवाड़ा से होकर बनाने की सलाह दी तब सिवनी की जनमंच संस्था ने
इसका विरोध किया था। संस्था के संजय तिवारी सुप्रीम कोर्ट तक गए।
0 पांच सालों तक का सफर
वर्ष 2007-08 के दौरान कॉरिडोर का निर्माण पेंच
टाइगर रिजर्व का हिस्सा आने के कारण रुक गया। वर्ष 2008 में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया नामक
संस्था न्यायालय चली गई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब सितंबर 2009 में जनमंचभ्ज्ञाी इसमें शामिल हो गया।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय व एनएचएआई मिलकर कंपोजिट प्लान बनाएं। बाद में कोर्ट ने
एनएचएआई और राज्य वन्य प्राणी बोर्ड को रिवाइज प्लान तैयार करने के लिए कहा। कुछ
माह पूर्व राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की मीटिंग हुई, जिसमें तय हुआ कि प्रकरण एनबीडब्ल्यूएल
कोभ्ज्ञोजा जाए।
एनबीडब्ल्यूएल ने सशर्त मंजूरी दी है कि एनटीसीए
के दिशा-निर्देशों का एनएचएआई पालन करने को तैयार है तो कॉरिडोर का निर्माण शुरू
हो सकता है।
0 डॉ. पीके शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), मप्र
वहीं दूसरी ओर अब केंद्र की कांग्रेसनीत
संप्रग सरकार और मध्य प्रदेश कीभ्ज्ञााजपा सरकार की नूरा कुश्तीभ्ज्ञाी उजागर होती
नजर आ रही है। इस बैठक के मामले मेंभ्ज्ञााजपा सरकार के अफसरभ्ज्ञाी आधिकारिक तौर
पर कहने से बचने लगे हैं। मध्य प्रदेश में शिव का राज है और सिवनी जिले
कोभ्ज्ञागवान शिव की नगरी कहा जाता है। विडम्बना ही कही जाएगी कि शिव के राज में
शिव की नगरी ही कराह रही है।
इस संबंध में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दरअसल पिछली बैठक में यह मामला काफी नीचे के
नंबरों पर था अतः इस पर चर्चा नहीं हो सकी थी, इस बार इस मामले में आरंभ में ही चर्चा
होना चाहिए था। वहीं बैठक में उपस्थित एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर
संकेत दिए कि इस मसले पर बैठक में चर्चा तो हुई है पर ‘‘भारी उपरी दबाव‘‘ के चलते कोईभ्ज्ञाी मुंह खोलने का साहस
नहीं कर पा रहा है।
उक्त अधिकारी ने कहा कि चूंकि अनजाने
में पत्ते उल्टे पड़ चुके हैं अतः अब इसे सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। यही
कारण है कि बैठक में उपस्थित कोईभ्ज्ञाी अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछभ्ज्ञाी कहने
से बच रहा है। मामला चूंकि केंद्रीय शहरी विकास के साथ साथ ही साथ संसदीय कार्य
मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा और उनके प्रभाव वाले महाकौशल अंचल से
जुड़ा है इसलिए अति संवेदनशील की श्रेणी में अपने आप ही आ जाता है।
उक्त अधिकारी ने यहभ्ज्ञाी कहा कि हर
विभाग के मंत्री को सदन के चलते किसीभ्ज्ञाी तरह के संकट के समय फ्लोर प्रबंधन के
लिए संसदीय कार्य मंत्री पर ही पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता है अतः कोईभ्ज्ञाी उनके
खिलाफ नहीं जा सकता है। कहा तो यहां तकभ्ज्ञाी जा रहा है कि गत दिवस हुई बैठक के
मिनिट्स की इबारत को मिटाकर नई पटकथाभ्ज्ञाी लिखी जा चुकी है। (साई फीचर्स)