मेक्रो इकोनॉमिक्स में सर्वश्रेष्ठ राज्य एमपी - चौहान
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश को अग्रणी श्रेणी के राज्यों में शीघ्र आ जायेगा तथा गरीब आदमी का कल्याण ही विकास के पैमाने का सही मूल मंत्र होगा। श्री चौहान इंडिया टुडे द्वारा आयोजित स्टेट ऑफ द स्टेट्स कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में ’व्यापक अर्थव्यवस्था’’ (मेक्रो इकोनॉमी) की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मध्यप्रदेश को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम हर वर्ष विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए राज्यांे को पुरस्कृत करता है। इस कार्यक्रम का यह 10वां वर्ष था। उत्कृष्ट कार्यों का चयन केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराये विभिन्न आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
पुरस्कार ग्रहण करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कहा कि मध्यप्रदेश पहले बीमारू राज्यों की श्रेणी आता था संसाधनों से परिपूर्ण होने के बावजूद भी मध्यप्रदेश का विकास उस गति से नहीं हो पाया जितना होना चाहिए था। यह उस समय के नेतृत्व की विफलता है। श्री चौहान ने बताया कि 8 साल पहले प्रदेश में बिजली, सड़क और पानी की स्थिति बहुत खराब थी, प्रदेश की अधोसंरचना जर्जर हालत में थी, उस समय प्रदेश की विकास दर 5 प्रतिशत के अंदर ही थी लेकिन अब प्रदेश में हुए चहुमुखी विकास और संसाधनों के बेहतर दोहन, जनोन्मुखी कल्याणकारी योजनाओं से मध्यप्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आ गया है। श्री चौहान ने बताया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश की औसत विकास दर 10.20 प्रतिशत रही और 12वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य 12 प्रतिशत रखा गया है। श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश भर में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। लगभग 80 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है जो कि आने वाले समय में हर गॉव को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। ऊर्जा के क्षेत्र में सन् 2013 तक हर गॉव में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार सिंचाई के क्षेत्र में सिंचित भूमि के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाये गये हैं। इस वर्ष कृषि क्षेत्र में विकास दर 18.68 प्रतिशत रही जो कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। कृषि से जुड़े मुद्दांें पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए अलग से कृषि केबिनेट का गठन किया गया है। किसानों को शून्य दर पर ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा किसानों को क्रेडिट कार्ड भी दिये जा रहे हैं। श्री चौहान ने बताया कि पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में 85 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया तथा किसानों को रूपये 100 प्रति क्विंटल बोनस भी दिया गया। औद्योगिक क्षेत्र के विकास के बारे में श्री चौहान ने बताया कि अभी हाल ही में सम्पन्न ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में लगभग 4 लाख 31 हजार करोड़ रूपये के निवेश के लिए करारनामों पर हस्ताक्षर किये गये हैं। श्री चौहान ने प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए निविदाओं में ई-टेंडरिंग की शुरूआत की है। साथ ही लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत निश्चित समय सीमा में कार्य करने की बाध्यता रखी है। विशेष न्यायालयों का गठन भी किया गया है जिससे कि निश्चित समय सीमा में प्रकरणों का निपटारा किया जा सके। इसके साथ ही भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की सम्पत्ति को राजसात करने का भी प्रावधान रखा गया है।
पुरस्कार ग्रहण करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कहा कि मध्यप्रदेश पहले बीमारू राज्यों की श्रेणी आता था संसाधनों से परिपूर्ण होने के बावजूद भी मध्यप्रदेश का विकास उस गति से नहीं हो पाया जितना होना चाहिए था। यह उस समय के नेतृत्व की विफलता है। श्री चौहान ने बताया कि 8 साल पहले प्रदेश में बिजली, सड़क और पानी की स्थिति बहुत खराब थी, प्रदेश की अधोसंरचना जर्जर हालत में थी, उस समय प्रदेश की विकास दर 5 प्रतिशत के अंदर ही थी लेकिन अब प्रदेश में हुए चहुमुखी विकास और संसाधनों के बेहतर दोहन, जनोन्मुखी कल्याणकारी योजनाओं से मध्यप्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आ गया है। श्री चौहान ने बताया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश की औसत विकास दर 10.20 प्रतिशत रही और 12वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य 12 प्रतिशत रखा गया है। श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश भर में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। लगभग 80 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है जो कि आने वाले समय में हर गॉव को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। ऊर्जा के क्षेत्र में सन् 2013 तक हर गॉव में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार सिंचाई के क्षेत्र में सिंचित भूमि के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाये गये हैं। इस वर्ष कृषि क्षेत्र में विकास दर 18.68 प्रतिशत रही जो कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। कृषि से जुड़े मुद्दांें पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए अलग से कृषि केबिनेट का गठन किया गया है। किसानों को शून्य दर पर ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा किसानों को क्रेडिट कार्ड भी दिये जा रहे हैं। श्री चौहान ने बताया कि पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में 85 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया तथा किसानों को रूपये 100 प्रति क्विंटल बोनस भी दिया गया। औद्योगिक क्षेत्र के विकास के बारे में श्री चौहान ने बताया कि अभी हाल ही में सम्पन्न ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में लगभग 4 लाख 31 हजार करोड़ रूपये के निवेश के लिए करारनामों पर हस्ताक्षर किये गये हैं। श्री चौहान ने प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए निविदाओं में ई-टेंडरिंग की शुरूआत की है। साथ ही लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत निश्चित समय सीमा में कार्य करने की बाध्यता रखी है। विशेष न्यायालयों का गठन भी किया गया है जिससे कि निश्चित समय सीमा में प्रकरणों का निपटारा किया जा सके। इसके साथ ही भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की सम्पत्ति को राजसात करने का भी प्रावधान रखा गया है।