देश की नब्ज
टटोलेगी टीम मनमोहन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
देश भर में कांग्रेस के संगठनात्मक चरमराते ढांचे को मजबूत करने के लिए कांग्रेस
के नीति निर्धारकों द्वारा मनमोहन सिंह के मंत्रीमण्डल विस्तार में अनेक संभावनाओं
और समीकरणों को ध्यान में रख कमोबेश हर राज्य का एक भावी चीफ मिनिस्टर भी तैयार कर
रखा है। मनमोहन सिंह के मंत्रीमण्डल के सदस्य अब सोनिया गांधी की हरी झंडी मिलते
ही देश की नब्ज टटोलने दौड़ पडेंगे।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित
सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राहुल
गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए यह आवश्यक है कि देश भर में युवा तरूणाई को
जगाया जाए।
मनमोहन सिंह ने
युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय माकन सचिन पायलट और जितेंद्र सिंह को
पदोन्नति दी है। मनीष तिवारी को लाल बत्ती से नवाजा गया है। फ्लोर मैनेजमेंट में
असफल साबित हुए राजीव शुक्ला के उपर कमल नाथ को बिठाकर कांग्रेस ने संकेत दे दिया
है कि अब राजीव शुक्ला का कद कम किया जा रहा है।
विधानसभा चुनावों
में सिंधिया को मध्य प्रदेश में बतौर सीएम प्रोजेक्ट किया जा सकता है। जितेंद्र
सिंह को राजस्थान में मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जा सकता है। इसके साथ ही साथ
अहमद पटेल के हनुमान अजय माकन को दिल्ली में शीला दीक्षित के स्थान पर सीएम बनाया
जा सकता है। इसी तरह चिरंजीवी को आंध्र में जगन मोहन रेड्डी की काट बनाकर लाया गया
है। चिरंजीवी को वहां सीएम प्रोजेक्ट किया जा सकता है।
मनीष तिवारी के
मंत्री बनाए जाने से एक बार फिर साफ हो गया है कि मूलतः पत्रकार राजीव शुक्ल जो
केंद्र में सत्ता की मलाई चख रहे हैं और अपना मूल काम मीडिया मैनेजमेंट भूल चुके
हैं के पर अब कतरे जाएंगे। वैसे भी केंद्र सरकार में चाहे हरीश खरे रहे हों या फिर
पंकज पचौरी, दोनों ही
सरकार पर मीडिया के हमले रोकने में नाकामयाब रहे हैं, और सूचना प्रसारण
मंत्री अंबिका सोनी का मीडिया मैनेजमेंट भी फ्लाप ही रहा है, के बाद अब मनीष
तिवारी पर कांग्रेस की नजरें टिकी हैं।
मनीष तिवारी अगर
सरकार के बचाव में सफल रहे तो आने वाले समय में वे पंजाब में अमरिंदर सिंह के
विकल्प के बतौर सामने आ सकते हैं। मनीष तिवारी के पिता खालिस्तान के आतंकवाद का
निशाना बने थे। अगर कांग्रेस पंजाब में सत्ता में आई और उसने मनीष तिवारी को कमान
सौंपी तो निश्चित रूप से यह कांग्रेस का नया प्रयोग होगा क्योंकि पंजाब में अब तक
सिख्ख या जाट ही सीएम रहे हैं।
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