रविवार, 4 नवंबर 2012

करोड़ों उगल रहे शिव के गण!


करोड़ों उगल रहे शिव के गण!

(नन्द किशोर)

नई दिल्ली (साई)। देश का हृदय प्रदेश अब भ्रष्टाचार प्रदेश बन गया है। यहां के सरकारी कर्मचारियों चाहे वे अफसर हों या चपरासी की तिजोरियां करोड़ों अरबों रूपए उगल रही हैं। अब तक मध्य प्रदेश के नौकरशाहों की उजागर हुई संपत्ति को अगर एक साथ जोड़ा जाए तो देश विदेश में मध्य प्रदेश अव्वल स्थान पा सकता है।
जेल डीआईजी उमेश गांधी ने 25 सालों में 425 रूपए महीने के वेतन से 25 करोड़ रूपए की संपत्ति का रास्ता तय किया है। इसके लिए उन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम से जेल में विभिन्न सप्लाई के ठेके लिए। इसमें उन्होंने अपने बड़े भाई- भतीजे और साले के नाम से कई फर्म रजिस्टर्ड करवाई और इन सब रास्तों से उन्होंने अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की।
सागर जिले के बंडा निवासी गांधी 1987 बैच के जेल अधिकारी हैं। उनकी पहली पदस्थापना आलीराजपुर के जेल अधीक्षक के रूप में हुई थी। उस वक्त उनका मासिक वेतन 425 रूपए था, जो अब बढ़कर करीब 60 हजार रूपए हो गया है। इसके बाद वे शाजापुर, बिलासपुर, ग्वालियर, भोपाल, रीवा, सतना, जबलपुर और इंदौर में पदस्थ रहे। उन्हें पहली पदोन्नति 1993 में मिली। इसके बाद वे 2010 में डीआईजी जेल बने।
गांधी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गांधी ने पिछले पांच सालों में ही संपत्ति अर्जित की है। इस दौरान उन्होंने अपने भाई रामगोपाल गांधी और भतीजे के नाम से रवि ट्रेडर्स और श्रीराम ट्रेडर्स के नाम से फर्म रजिस्टर्ड कराई। इन फर्म से उन्होंने कटनी, टीकमगढ़, सागर, भोपाल, शुजालपुर, इंदौर, ग्वालियर, छतरपुर समेत कई जेलों में सप्लाई के ठेके लिए। उन्होंने अपने साले महेश गुप्ता के नाम से भी जेल में सप्लाई के ठेके लिए। महेश की सागर के विष्णु चौराहा पर गुप्ता पोल्ट्री फीड के नाम से प्लोर मिल है।
गांधी ने अपने छोटे भाई अजय को 1997 में जेल पहरी बनवाया। अजय की अस्थाई पहरी के रूप में भर्ती हुई थी। उस वक्त उन्हें पांच हजार रूपए महीना वेतन मिलता था। इसके कुछ वर्षाे बाद वे नियमित हो गए। अजय इन दिनों सीहोर जेल में पहरी हैं, वहीं गांधी ने अपनी बहन को भी जेल पहरी बनवाया।
अजय की पत्नी मनीषा अभिरूचि स्थित घर से ब्यूटी पार्लर और बुटिक संचालित करती हैं। ब्यूटी पार्लर की कमाई इतनी बताई जाती है कि उससे अजय और उनके परिवार ने आठ लाख रूपए की एफडी करा ली। जबकि अजय का वेतन अब 15 हजार रूपए ही है। उनके यहां से करीब सवा तीन लाख रूपए के जेवर बरामद किए गए हैं। अजय के सात बैंक खातों की भी जानकारी मिली है, जिसमें लाखों रूपए जमा होने की संभावना जताई जा रही है। अजय का एक बैंक लॉकर भी है, जिसे जल्द ही खोला जाएगा। यह मकान उमेश और अजय के नाम पर नहीं है। बताया जाता है कि यह मकान दोनों की भाभी के नाम पर है। ऊपर का मकान लड़कियों को किराए पर दिया है। इसका किराया अजय ही वसूल करते हैं।
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार पिछले आठ महीनों में जेल विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज हो चुके हैं। एक मार्च 2012 को लोकायुक्त पुलिस ने पुरूषोत्तम सोमकुंवर के घर पर छापा डाला था। उनके यहां से 4 करोड़ 66 लाख रूपए की संपत्ति का खुलासा हुआ था। 12 अक्टूबर को ईओडब्ल्यू ने लालजी मिश्रा के खिलाफ राशन घोटाला में प्रकरण दर्ज किया था। मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने 2.5 करोड़ रूपए का राशन घोटाला किया है।

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