मूर्ति टाटा की
बेटरी से चमक रहा केजरीवाल का लट्टू
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)।
अरविंद केजरीवाल का आंदोलन किसके पैसे से चल रहा है इस बात पर अब शोध आरंभ हो गया
है। इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति सहित अन्य उद्योगपतियों के पैसे से चल रहा
है। नारायण मूर्ति ने साल 2010-11 में केजरीवाल के पब्लिक कॉज रिसर्च
फाउंडेशन को 12 लाख रूपए
दान दिए थे। एक समाचार पत्र ने यह जानकारी दी है। समाचार पत्र के मुताबिक मुंबई की
स्टॉक ब्रोकिंग फर्म एनम सिक्योरिटी ने 2 लाख रूपए दान दिए थे। इस कंपनी के मालिक
हैं वल्लभ भंसाली।
रतन टाटा के सोशल
वेलफेयर ने 25 लाख का
चेक दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक विक्रम लाल की ष्एकरष्ने एकर गुडवर्थ ट्रस्ट के
नाम से 3 लाख का
चेक दिया था। नीमेश कंपानी के जेएम फाइनेंशियल फाउंडेशन ने पचास हजार का चेक दिया
था। अन्य सहयोग देने वालों में इंडसंड इंक बैंक के बॉस और बैंकर रोमेश सोबती शामिल
है।
अरविंद केजरीवाल के
सहयोगी और पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन के ट्रस्टी मनीष सिसोदिया का कहना है कि
नारायणमूर्ति सहित अन्य लोग सक्रिय रूप से हमारा सहयोग कर रहे हैं। मूर्ति के पास
अच्छे विचार हैं। वित्तीय योगदान के अलावा वे खुद सक्रिय हैं। हमारे आरटीआई अवॉर्ड
के वे जूरी सदस्य हैं। समाचार पत्र के मुताबिक पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन को 96 लाख पांच हजार
रूपए का दान मिला है।
दान देने वालों की
सूची में नौकरी डॉट कॉम के संजीव भिखचंदानी शामिल है। बेंगलुरू के कस्तूरी ट्रस्ट
ने भी 25 लाख रूपए
दान में दिए थे। मैनेजमेंट संस्थान चलाने वाले जगन नाथ मैमोरियल एजुकेशन सोसायटी
ने 13 लाख का
दान दिया था। टॉप कूरियर कंपनी सेफ एक्सप्रेस ने 3 लाख और टॉप लॉ
फर्म लूथरा एंड लूथरा ने पचास हजार का दान दिया है।
पब्लिक कॉज रिसर्च
फाउंडेशन की स्थापना 19 दिसंबर 2006 में हुई थी। मनीष सिसोदिया और टीवी
प्रोडयूसर व लेखक अभिनंदन शेखरी ने इसकी स्थापना की थी। केजरीवाल,प्रशांत भूषण और
किरण बेदी इसके ट्रस्टी हैं। पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन को मिली फंडिंग से ही
जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन चलाया गया था। 2012 में संगठन को 31 लाख का दान मिला
था। एनजीओ की 2012 की ऑडिट
रिपोर्ट में दान देने वालों का जिक्र नहीं है। केजरीवाल के सहयोगियों का कहना है
कि जिन्होंने चेक दिए थे उनमें से कुछ बाउंस हो गए थे।
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