शनिवार, 5 मार्च 2011

अंतिम समय में अकेले ही रहे कुंवर अर्जुन सिंह

अनेक प्रश्न अनुत्तरित छोड़ गया अर्जुन सिंह का अवसान! 
प्रधानमंत्री नहीं निकाल सके अर्जुन से मिलने का समय
 
चिकित्सकों की लापरवाही चर्चित
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के स्थापित क्षत्रप कुंवर अर्जुन सिंह के निधन के उपरांत अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) में उनकी तीमारदारी पर प्रश्नचिन्ह लगने आरंभ हो गए हैं। सियासी हल्कों में चल रही चर्चाओं के अनुसार अतिविशिष्ट व्यक्ति की श्रेणी वाले अर्जुन सिंह की बीमारी और चिंताजनक स्थिति के बावजूद भी एम्स प्रशासन, वरिष्ठ अधिकारियों और योग्य चिकित्सकों ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
 
बताया जाता है कि एम्स में भर्ती अर्जुन सिंह को देखने के लिए चिकित्सक अलग अलग समय में अकेले ही जाया करते थे, चिकित्सकों का एकराय न होना भी आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। लोगों की चिंता है कि अर्जुन सिंह के इलाज में लापरवाही बरती गई है, यह किस कारण से या किसके कहने पर हुई यह अलहदा मामला है किन्तु एम्स में दिनचर्या को देखकर लगने लगा है कि उनकी तीमारदारी में घोर अनियमितता बरती गई है।
 
एम्स सूत्रों का कहना है कि अर्जुन सिंह की किडनी काम करना लगभग बंद कर चुकी थीं, जिससे उनके शरीर का खून विषाक्त होने लगा था। सूत्रों की मानें तो अर्जुन सिंह की तबियत दो मार्च की शाम से ही बिगड़ना आरंभ हो गई थी। जानकारी होने के बाद भी चिकित्सकों की टीम ने बैठकर कोई निर्णय नहीं लिया।
 
उधर अर्जुन सिंह के करीबी सूत्रों का दावा है कि इसी शाम कुंवर अर्जुन सिंह के निज सचिव यूनुस ने फोन पर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी एवं केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नवी आजाद को इस बारे मंे इत्तला दे दी थी। बावजूद इसके अगले दिन तक चिकित्सकों ने कोई कदम नहीं उठाया। बताते हैं कि तीन मार्च को शाम जब गुलाम नवी आजाद ने एम्स प्रबंधन को फोन पर इस मामले को देखने को कहा तब जाकर शाम होते होते डॉक्टर महाजन, डॉ.शर्मा, डॉ.डेका, डॉ.पदमा, डॉ.गुलेरिया आदि सर जोड़कर बैठे।
 
चिकित्सकों की इस अनदेखी के चलते कुंवर अर्जुन सिंह की तबियत लगातार बिगड़ती गई और अगले दिन चार मार्च को प्रातः उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में वेंटीलेटर पर रखा गया। अर्जुन सिंह की बिगड़ती हालत को देखकर चिकित्सकों के हाथ पांव फूलने लगे और फिर चिकित्सकों द्वारा यह कहना आरंभ कर दिया गया कि उनके लिए अगले चोबीस घंटे बहुत ही नाजुक क्षण हैं।
देश के हृदय प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री, पंजाब में नाजुक हालातों को संभालने का सफल काम करने वाले एवं लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रहे कुंवर अर्जुन सिंह की बीमारी के बाद भी एम्स प्रशासन द्वारा नियमित स्वास्थ्य बुलेटिन जारी न करना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
 
सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार नेहरू गांधी परिवार के अंत तक वफादार रहे कुंवर अर्जुन सिंह के बारे में उनके विरोधियों ने सोनिया गांधी के कान जमकर भर दिए थे। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि अब वो दिन हवा हुए जब कांग्रेस के अध्यक्ष द्वारा जमीनी हकीकत को तवज्जो दी जाती थी। सोशलिस्ट अर्जुन सिंह को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेसी बनया था। अब तो सोनिया गांधी कान की कच्ची हो गई हैं और वे वही देखती हैं जिस रंग का चश्मा उन्हें लगाकर दिखाया जाता है, वही करती हैं जो उन्हें करने को कहा जाता है, वही कहतीं हैं जितने शब्द उनके मुंह में डाले जाते हैं। सालों साल कांग्रेस और सोनिया के परिवार के लिए वफादार रहने वाले अर्जुन सिंह को दूध में से मख्खी की तरह निकालकर फेंक दिया गया था। जिस दिन उनका निधन हुआ उसी दिन अर्जुन सिंह को सोनिया गांधी ने अपनी टीम से निकाल बाहर कर दिया था।

एक के बाद एक मसालेदार बयानों से बने हुए हैं चर्चाओं में दिग्गी राजा


कांग्रेस के असली प्रवक्ता बनकर उभरे हैं दिग्विजय सिंह
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। कांग्रेस के इक्कीसवीं सदी के चाणक्य राजा दिग्विजय सिंह का कद भले ही कांग्रेस में ज्यादा उपर न चढ़ पाया हो पर उनकी वजनदारी अब काफी हद तक बढ़ चुकी है। एक के बाद एक सधे हुए कदमों के चलते उन्होंने कांग्रेस के सारे पदाधिकारियों को हाशिए में ही ढकेल दिया है, यहां तक कि कांग्रेस के प्रवक्ता भी उनके आगे बौने नजर आने लगे हैं। दिग्गी राजा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कांग्रेस महासचिव रहते हुए उन्होंने जितनी भी पत्रकार वार्ताएं आयोजित की हैं, वे सब कांग्रेस मुख्यालय से परे ही की हैं।
 
वर्ष 2003 में सत्ता से उतरे राजा दिग्विजय सिंह ने दस सालों तक सक्रिय राजनीति से तौबा अवश्य कर ली थी, किन्तु वे राजनैतिक परिदृश्य से गायब नहीं हुए। एक के बाद एक विवादस्पद बयान देकर उन्होंने खुद को चर्चा में बनाए रखा है, जबकि अन्य कांग्रेस के क्षत्रप उनके सामने बौने ही प्रतीत हो रहे हैं।
 
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पर दस साल शासन के दौरान उन्होंने संयुक्त मध्य प्रदेश के ताकतवर क्षत्रपों विद्याचरण शुक्ल, श्यामाचरण शुक्ल, अजीत जोगी को हाशिए पर डाला। फिर तिवारी कांग्रेस के जन्मदाता कुंवर अर्जुन सिंह को होशंगाबाद से चुनाव लड़ने पर मजबूर किया और कुंवर साहेब जब औंधे मुंह गिरे तब उन्हें बरास्ता राज्यसभा संसदीय सौंध में जाना पड़ा। स्व.महाराजा माधवराव सिंधिया ने भी अपना संसदीय क्षेत्र बदला, और तो और दिग्गी राजा को ताज पहनाने वाले उनके बड़े भाई कमल नाथ को भी 1997 में उपचुनावों में कड़ी पराजय का मुंह देखना पड़ा।
 
बाद में सन्यास की अपनी पारी में पहले बटाला मुटभेड़ को फर्जी निरूपित कर उन्होंने आजमगढ़ की सियासत में अपनी जबर्दस्त दखल दर्ज करवाई। इसके बाद नक्सल समस्या पर सरकार के दावों पर विरोधाभासी बयान देकर दिग्गीराजा ने चिदम्बरम को उनकी औकात बता दी। फिर भगवा आतंकवाद में संघ को कटघरे में खड़ा करने वाले दिग्विजय सिंह ने मंुबई आतंकी हमले की आरएसएस वाली पुस्तक को भी हवा देना आरंभ कर दिया। महाराष्ट्र एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ बातचीत को भी राजा दिग्विजय सिंह ने लोगों के कोतुहल का विषय बना ही दिया।

हाल ही में इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव जिन्होने 2003 में छोटे से मंच से अपना करोबार आरंभ किया और जो अब 2011 में एक लाख करोड़ रूपए से अधिक का हो चुका है, को भी सार्वजनिक रूप से ललकार दिया है। जबकि बाबा योग के अलावा काले धन को वापस लाने की वकालत भर कर रहे हैं। कांग्रेस के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी का भरोसा जीत लिया है, इसलिए अब वे अपने हिडन एजेंडे पर काम कर रहे हैं। वे बाबा पर तीखे प्रहार इसलिए कर रहे हैं, ताकि बाबा रामदेव भी कांग्रेस के नेताओं के चुन चुन कर नाम लेकर उनसे हिसाब मांगे और फिर आधुनिक राजनीति के चाणक्य राजा दिग्विजय सिंह उन सबको आसानी के साथ अपने प्रधानमंत्री बनने के मार्ग से उखाड़कर अलग कर सकें।

जल्द समाप्त होगी मैला ढोने की कुप्रथा: राजूखेड़ी


जल्द समाप्त होगी मैला ढोने की कुप्रथा: राजूखेड़ी
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली।। कांग्रेस सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने कहा है कि सर पर मैला ढोने की कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने की दिशा में कांग्रेस पार्टी का कदम सराहनीय है। उन्होंने बताया कि 28 फरवरी 2011 को पेष किए गए बजट में देष में गैर कानूनी रूप से चल रही अमानवीय प्रथा मेला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के लिए 98 करोड़ रूपए आवंटित किए गए है।
श्री राजूखेडी ने आगे कहा कि इतनी बड़ी राषि आवंटित करके वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए की चेयरमेन सोनिया गांधी की इस इच्छा को क्रियांवित करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया है कि एक साल के भीतर इस कुप्रथा को खत्म कर दिया जाए।
मध्यप्रदेश के कांग्रेस सांसद एवं प्रदेश संसदीय दल संयोजक गजेन्द्रसिंह राजूखेड़ी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में इतनी बड़ी राषि आवंटित करवाकर राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस कुप्रथा को खत्म करने का प्रयास किया है जो सर्वहारा वर्ग हितैषी है एवं निष्चित रूप से गरीबी उन्मूलन के सार्थक परिणाम आयेंगे।