गुरुवार, 1 अगस्त 2013

केवलारी में एटीएम बने शोभा की सुपारी

केवलारी में एटीएम बने शोभा की सुपारी

(अरूण चंद्रोल)

केवलारी (साई)। केवलारी में भारतीय स्टेट बैंक और सैंट्रल बैंक के एटीएम अब शोभा की सुपारी बन चुके हैं। इन एटीएम से पैसा निकालने जाने वालों को सदा ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन एटीएम में सदा ही सर्वर प्राब्लम का रोना रोया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार केवलारी शहर में दो एटीएम मशीने कार्य कर रही हैं। एक एसबीआई तो दूसरी सेंट्रल बैंक की है। इन एटीएम में जाकर पैसा निकालने वालों को कमोबेश हर समय ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोगों से एटीएम के सालाना चार्ज में बैंक द्वारा कोई कोताही नहीं बरती जाती है, पर जब सेवा देने की बारी आती है तो बैंक अपने कदम पीछे खींच लेता है।

स्थिति बेकाबू हो सकती है डेंगू, मलेरिया की!

स्थिति बेकाबू हो सकती है डेंगू, मलेरिया की!

समय रहते निकम्मी नगर पालिका ने उठाए होते कदम तो आज नागरिक नहीं होते हलाकान

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी शहर में मलेरिया और डेंगू की स्थिति को बेकाबू होने में समय नहीं लगेगा। अभी डेंगू के चार मरीजों की पुष्टि प्रशासन ने की है तो एक मलेरिया के मरीज की मौत की खबर आ गई है। निकम्मी नगर पालिका प्रशासन के अड़ियल रवैए के चलते शहर पूरी तरह महामारी की जद में आ चुका है। साफ सफाई के अभाव में मच्छरों के प्रजनन के लिए बेहद अनुकूल वातावरण तैयार होता जा रहा है।

कहां थी फागिंग मशीन!
नगर पालिका परिषद के पास दो फागिंग मशीन हैं। ये दोनों ही मशीनें शोभा की सुपारी बनी हुई हैं। पार्षद तो इन मशीनों को सफेद हाथी ही आंकते हैं। इसका कारण यह है कि साल में गर्मी के मौसम में बमुश्किल पंद्रह से बीस दिन तक ये फागिंग मशीन बिना दवाई के धुआं उड़ाती दिख जाती है, वह भी व्हीव्हीआईपी एरियाज में। बाकी पूरा शहर मच्छरों से हलाकान ही रहता है। साल भर यह मशीन पालिका के स्टोर की शोभा बढ़ाती है।
मजे की बात तो यह है कि इस मशीन की खुराक के लिए साल भर का तेल और दवा की स्वीकृति पालिका के बजट में की जाती है। आश्चर्य तो इस बात पर है कि कांग्रेस के पार्षदों के वार्ड में यह मशीन नहीं घूमती पर जब इसके लिए राशि के आहरण का बजट प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है तो कांग्रेस के पार्षद भी मेजें थपथपाकर उसे पारित करवा देते हैं। कुल मिलाकर सभी की सहमति से नगर पालिका परिषद् में पैसों का बंदरबांट किया जाता है।

मलेरिया ने ली एक की जान
मुस्लिम धर्मावालंबियों के मुकद्दस रमजान माह और हिन्दुओं के पवित्र श्रावण मास में भी नगर पालिका प्रशासन द्वारा शहर की सुध नहीं ली गई है। समूचा शहर गंदगी से बजबजा रहा है। जगह जगह पानी जमा है जो मच्छरों के प्रजनन के लिए बेहद मुफीद माहौल को तैयार कर रहा है। शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं होगा जहां मच्छरों की फौज लोगों को हलाकान ना कर रही हो। प्राप्त जानकारी के अनुसार छोटी मस्जिद चौक निवासी मुन्ना भाईजान के बीस साल के साहेबजादे बंटी को बुखार आया। बताया जाता है कि बंटी का मलेरिया पाजेटिव निकला। इलाज के दौरान ही बंटी का निधन हो गया।

विधायक पति हैं मलेरिया अधिकारी!
सिवनी में मशहूर काटूर्निस्ट रिप्लेका मानो ना मानोसीरियल जिसमें अजब गजब सच्ची चीजों का बखान होता था, एकदम सही बैठता है। जिला मलेरिया अधिकारी की कमान जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ.एच.पी.पटेरिया के हाथों में है। अपनी लगभग समूची सरकारी सेवा एकमात्र सिवनी जिले में ही पूरी करने वाले डॉ.पटेरिया पूर्व सांसद एवं सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया के पति हैं।
श्रीमति पटेरिया द्वारा जनसेवा का दंभ सदा ही भरा जाता रहा है, उनके बारे में उनके परिचित और समर्थक यह कहते नहीं थकते कि वे संवेदनशील हैं। अब सवाल यह है कि अगर डॉ.पटेरिया के रहते सिवनी में मलेरिया से एक मौत हो जाए, और डेंगू जैसे खतरनाक रोग के चार मरीज मिलें तब क्या बतौर भाजपा विधायक श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा अपने ही पति डॉ.पटेरिया और भाजपा के नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के खिलाफ कठोर कार्यवाही का पत्र मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को लिखकर कार्यवाही कराने का साहस किया जा सकेगा?

डेंगू का मच्छर नहीं पहचानता सीमा!
वहीं, दूसरी ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर भी इसके लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं। डॉ.ठाकुर की पत्नि श्रीमति शशि ठाकुर लखनादौन की विधायक हैं। डॉ.ठाकुर के हस्ताक्षरों से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि विवेकानन्द वार्ड में डेंगू के दो मरीज मिले हैं। डेंगू प्रभावित वार्ड में टेमीफॉस नामक दवा, पानी के भराव वाले क्षेत्र में डाली जा रही है, ताकि मच्छरों के लार्वा को नष्ट किया जा सके। डॉ.ठाकुर शायद यह भूल रहे हैं कि मच्छर इंसान नहीं है कि वह भारत पाकिस्तान सीमा को पार नहीं करेंगे। मच्छर तो स्वच्छंद है और उसे किस वार्ड की सीमा क्या है, इस बारे में भान नहीं होता है।

का वर्षा जब कृषि सुखानी
बहुत पुरानी कहावत है का वर्षा जब कृषि सुखानीअर्थात जब खेती ही सूख चुकी है तब बारिश होने का क्या फायदा! इसी तरह नगर पालिका प्रशासन द्वारा अब तक मच्छरों से निपटने के उपाय नहीं किए गए अब जब हालात् बेकाबू होने को हैं तब फागिंग मशीन और दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। जिला कलेक्टर भरत यादव से अपेक्षा है कि डेंगू और मलेरिया के लिए नगर पालिका प्रशासन की जिम्मेदारी तय करते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करें।

कलेक्टर लें बैठक, दें कड़े निर्देश
जिला कलेक्टर भरत यादव के हुक्मों की तामील में सरकारी नुमाईंदे कितने संजीदा है यह बात शनैः शनैः उभरकर सामने आती जा रही है। इसलिए जिला कलेक्टर भरत यादव को चाहिए कि वे तुरंत स्वास्थ्य विभाग, पालिका प्रशासन की एक बैठक लेकर शहर की साफ सफाई, आवारा मवेशियों और जानवरों विशेषकर सुअर और कुत्तों की धरपकड़ के अभियान, बरसात के पानी के एकत्रीकरण को रोकने आदि के अभियान हेतु कड़े निर्देश जारी करें।

तय करना होगा समय सीमा
जिला कलेक्टर भरत यादव के निर्देशों की हुक्मउदूली की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। जिला कलेक्टर को चाहिए कि वे इस तरह के संगीन मामलों में अपने निर्देशों को निश्चित समय सीमा (टाईम फ्रेम) तय करें। समय सीमा बीतने पर हुक्म उदूली करने वाले कारिंदे के खिलाफ कठोर कार्यवाही कर नजीर पेश करें ताकि प्रशासन का भय कर्मचारी, अधिकारियों में बन सके।

जिम्मेदारी से ना भागें सियासी दल

शहर में विपदा आन पड़ी है और सियासी दलों के प्रवक्ता शांत हैं। केंद्र और प्रदेश की सियासी हलचलों पर तबियत से गोले दागने वाले भाजपा और कांग्रेस के प्रवक्ता यह भूल जाते हैं कि भोपाल और दिल्ली में उन्ही के दलों के प्रवक्ता नियुक्त हैं जिनके कामों में हस्ताक्षेप जिला प्रवक्ताओं को नहीं करना चाहिए। शहर की इस नाजुक और गंभीर हालत में कांग्रेस और भाजपा सहित समस्त सियासी दलों से यही अपेक्षा है कि वे चुने हुए जनप्रतिनिधियों से रिश्तेदारी निभाना छोड़कर जनता के प्रति अपना दायित्व निभाएं ना कि जिम्मेदारियों से भागें।

जल जनित रोगों का कहर और निष्ठुर प्रशासन

जल जनित रोगों का कहर और निष्ठुर प्रशासन

(शरद खरे)

शिव की नगरी सिवनी का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं ही मुहैया नहीं है। विधायक सांसद चाहे कांग्रेस के हों या भाजपा के किसी को भी शिव की नगरी के लोगों से लेना देना ही नहीं रह गया है। सिवनी के लोग नारकीय पीड़ा भोग रहे हैं और नगर पालिका के पार्षद, उपाध्यक्ष, अध्यक्ष द्वारा लोगों की मजबूरी पर अट्टहास लगाया जा रहा है। सांसद विधायकों सहित विपक्ष में बैठी कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा संगठन नागरिकों की बेबसी पर ताली पीट रहा है। जब तब विज्ञप्ति जारी कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, सिवनी नगर विकास मंच आदि भी इस मामले में मौन रहकर नगर पालिका परिषद को अपना समर्थन दे रहा है।
वैसे तो साल के 365 दिनों में सिवनी के लोगों को आंत्रशोध, अमीबाईसिस, अपच, खट्टी डकार, ऐसीडिटी, पीलिया, उल्टी दस्त, डिहाईड्रेशन जैसे जल जनित रोगों की जद में रहते हैं, पर बारिश के मौसम में इनका प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। बारिश के मौसम में जिला चिकित्सालय जल जनित रोगों के मरीजों से अटा पड़ा है। निजी चिकित्सालयों, चिकित्सकों के पास मरीजों की भीड़ देखकर इसकी भयावहता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। लोग चिकित्सकों की मंहगी फीस और मंहगी दवाओं से लुट रहे हैं।
कहने को तो जिला कलेक्टर भरत यादव और प्रभारी कलेक्टर प्रियंका दास अनेक बार बैठकों में सरकारी नुमाईंदों को ताकीद कर चुके हैं कि जल जनित रोगों के प्रति संवेदनशील रहें, कोताही ना बरतें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर भी जनसंपर्क विभाग के माध्यम से विज्ञप्ति पर विज्ञप्ति जारी कर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से अपील कर चुके हैं कि जल की गुणवत्ता की रिपोर्ट उन्हें प्रतिदिन दी जाए।
हालात देखकर लगने लगा है मानो जिला कलेक्टर या प्रभारी कलेक्टर के निर्देशों का वजन अब शायद नहीं रह गया है। वरना क्या कारण है कि जिला मुख्यालय में गर्मी के मौसम में जो नल एक बूंद पानी नहीं उगलते थे, वे आज चौबीसोें घंटे मोटी धारा बहा रहे हैं। मतलब स्पष्ट है कि इन नलों में नालियों और गटर का ही गंदा और बदबूदार पानी आ रहा है। नलों मेें अगर पानी का छन्ना लगाकर पानी भरा जाए तो छन्ने में बाल, केंचुए, सर्प के बच्चे, झींगुर एवं अन्य कीड़ों के शव, जिन्दा कीड़े, मट्टी, रेत आदि तैरते दिखाई दे जाएंगे।
एक बाल्टी पानी में अगर फिटकरी का टुकड़ा कुछ देर घुमाकर पानी को स्थिर छोड़ दिया जाए तो कुछ समय के अंतराल के बाद बाल्टी की तलहटी में कचरा बैठा हुआ साफ दिखाई दे जाएगा। इस बात से नगर पालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या पार्षद सहित प्रशासन के आला अफसरान् इसलिए वाकिफ नहीं होंगे क्योंकि उन्हें घरों में ना पीने का पानी भरना होता है और ना ही निस्तार का। इनके मातहत ही यह काम करते होंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने भी बरास्ता जनसंपर्क मीडिया के माध्यम से आम जनता को यह बात नहीं बताई कि पीएचई विभाग उन्हें जल की गुणवत्ता के बारे में क्या प्रतिवेदन भेज रहा है।
पीएचई विभाग के पास पानी के कीटाणु मारने के लिए रायसेन जिले के औद्योगिक क्षेत्र मण्डीदीप के रामश्री केमीकल्स प्राईवेट लिमिटेड का उत्पाद जर्मेक्स जिसमेें सोडियम हाईड्रोक्लोराईड सॉल्यूशन होता है और जो पानी को कीटाणु रहित करता है की सौ मिलीलीटर की असंख्य बाटल्स उपलब्ध हैं। यह जर्मेक्स जनता को निःशुल्क बांटने के लिए है। यह कितनी तादाद में बांटा जा रहा है इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता है। कहा जा रहा है कि इस लिक्विड को किसानों को बेचा तक जा रहा है, ताकि वे अपने अपने कुंओं का पानी साफ कर सकें। चर्चा है कि पीएचई के आला अफसरान् नहाने के पानी में भी इसका प्रयोग कर रहे हैं।
विडम्बना ही कही जाएगी कि इस जर्मेक्स के बारे में शहर के प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी को भी पता नहीं है। गत दिवस हिन्द गजट के कार्यालय में जब वे आए तो उन्हें इसके बारे में बताया गया। राजेश त्रिवेदी भी अपने घर में पानी के शोधन के लिए एक बॉटल हिन्द गजट कार्यालय से लेकर गए। यह हाल है नगर पालिका का। नगर पालिका करोड़ों अरबों रूपए खर्च कर शहरवासियों को साफ पानी पिलाने का काम कर रही है। देखा जाए तो पालिका द्वारा जनता के गाढ़े पसीने की कमाई के करोड़ों अरबों रूपए पानी साफ करने के बजाए पानी में ही बहाए जा रहे हैं।

सिवनी शहर जल जनित रोगों की जद में है। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के सख्त निर्देश और प्रशासन के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। जनता कराह रही है, उल्टी दस्त के मरीजों से अस्पताल हाऊस फुल हो रहा है। चिकित्सालय के संडास में मल उपर तक भर चुका है। लोग गटर का गंदा पानी पीने पर मजबूर हैं। नगर पालिका प्रशासन के चुने हुए नुमाईंदे आम जनता को साफ पानी देने के बाजाए कमीशन के गंदे धंधेऔर विधान सभा चुनावों की टिकिट की जुगाड़ में घूम रहे हैं। चर्चा है कि भाजपा से पूरी तरह उपकृत कांग्रेस के विज्ञप्तिवीर अपनी कलम रेत में गड़ा चुके हैं। भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर भी अपने एक कार्यकर्ता, भले ही वह नगर का प्रथम नागरिक हो की मश्कें कसने में अपने आप को बौना ही पा रहे हैं। कथित मीडिया मुगल भी विज्ञापन लेकर अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ रहे हैं। स्थिति परिस्थित देखकर हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि अगर रियाया को साफ पानी नहीं पिला सकते तो नगर पालिका के चुने हुए प्रतिनिधियों को पदों पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है भले ही वे हमारे अनुज राजेश त्रिवेदी क्यों ना हों।