जल जनित रोगों का
कहर और निष्ठुर प्रशासन
(शरद खरे)
शिव की नगरी सिवनी
का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं ही मुहैया नहीं
है। विधायक सांसद चाहे कांग्रेस के हों या भाजपा के किसी को भी शिव की नगरी के
लोगों से लेना देना ही नहीं रह गया है। सिवनी के लोग नारकीय पीड़ा भोग रहे हैं और
नगर पालिका के पार्षद, उपाध्यक्ष, अध्यक्ष द्वारा लोगों की मजबूरी पर अट्टहास
लगाया जा रहा है। सांसद विधायकों सहित विपक्ष में बैठी कांग्रेस और सत्ताधारी
भाजपा संगठन नागरिकों की बेबसी पर ताली पीट रहा है। जब तब विज्ञप्ति जारी कर अपनी
उपस्थिति दर्ज कराने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, सिवनी नगर विकास
मंच आदि भी इस मामले में मौन रहकर नगर पालिका परिषद को अपना समर्थन दे रहा है।
वैसे तो साल के 365
दिनों में सिवनी के लोगों को आंत्रशोध, अमीबाईसिस, अपच, खट्टी डकार, ऐसीडिटी, पीलिया, उल्टी दस्त, डिहाईड्रेशन जैसे
जल जनित रोगों की जद में रहते हैं, पर बारिश के मौसम में इनका प्रकोप तेजी से
बढ़ जाता है। बारिश के मौसम में जिला चिकित्सालय जल जनित रोगों के मरीजों से अटा
पड़ा है। निजी चिकित्सालयों, चिकित्सकों के पास मरीजों की भीड़ देखकर इसकी
भयावहता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। लोग चिकित्सकों की मंहगी फीस और मंहगी
दवाओं से लुट रहे हैं।
कहने को तो जिला
कलेक्टर भरत यादव और प्रभारी कलेक्टर प्रियंका दास अनेक बार बैठकों में सरकारी नुमाईंदों
को ताकीद कर चुके हैं कि जल जनित रोगों के प्रति संवेदनशील रहें, कोताही ना बरतें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर भी जनसंपर्क विभाग के माध्यम से विज्ञप्ति
पर विज्ञप्ति जारी कर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से अपील कर चुके हैं कि जल की
गुणवत्ता की रिपोर्ट उन्हें प्रतिदिन दी जाए।
हालात देखकर लगने
लगा है मानो जिला कलेक्टर या प्रभारी कलेक्टर के निर्देशों का वजन अब शायद नहीं रह
गया है। वरना क्या कारण है कि जिला मुख्यालय में गर्मी के मौसम में जो नल एक बूंद
पानी नहीं उगलते थे,
वे आज चौबीसोें घंटे मोटी धारा बहा रहे हैं। मतलब स्पष्ट है
कि इन नलों में नालियों और गटर का ही गंदा और बदबूदार पानी आ रहा है। नलों मेें
अगर पानी का छन्ना लगाकर पानी भरा जाए तो छन्ने में बाल, केंचुए, सर्प के बच्चे, झींगुर एवं अन्य
कीड़ों के शव, जिन्दा
कीड़े, मट्टी, रेत आदि तैरते दिखाई
दे जाएंगे।
एक बाल्टी पानी में
अगर फिटकरी का टुकड़ा कुछ देर घुमाकर पानी को स्थिर छोड़ दिया जाए तो कुछ समय के
अंतराल के बाद बाल्टी की तलहटी में कचरा बैठा हुआ साफ दिखाई दे जाएगा। इस बात से
नगर पालिका अध्यक्ष,
उपाध्यक्ष या पार्षद सहित प्रशासन के आला अफसरान् इसलिए वाकिफ
नहीं होंगे क्योंकि उन्हें घरों में ना पीने का पानी भरना होता है और ना ही
निस्तार का। इनके मातहत ही यह काम करते होंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने भी
बरास्ता जनसंपर्क मीडिया के माध्यम से आम जनता को यह बात नहीं बताई कि पीएचई विभाग
उन्हें जल की गुणवत्ता के बारे में क्या प्रतिवेदन भेज रहा है।
पीएचई विभाग के पास
पानी के कीटाणु मारने के लिए रायसेन जिले के औद्योगिक क्षेत्र मण्डीदीप के रामश्री
केमीकल्स प्राईवेट लिमिटेड का उत्पाद जर्मेक्स जिसमेें सोडियम हाईड्रोक्लोराईड
सॉल्यूशन होता है और जो पानी को कीटाणु रहित करता है की सौ मिलीलीटर की असंख्य
बाटल्स उपलब्ध हैं। यह जर्मेक्स जनता को निःशुल्क बांटने के लिए है। यह कितनी
तादाद में बांटा जा रहा है इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता है। कहा जा रहा है
कि इस लिक्विड को किसानों को बेचा तक जा रहा है, ताकि वे अपने अपने
कुंओं का पानी साफ कर सकें। चर्चा है कि पीएचई के आला अफसरान् नहाने के पानी में
भी इसका प्रयोग कर रहे हैं।
विडम्बना ही कही
जाएगी कि इस जर्मेक्स के बारे में शहर के प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी को भी पता
नहीं है। गत दिवस हिन्द गजट के कार्यालय में जब वे आए तो उन्हें इसके बारे में
बताया गया। राजेश त्रिवेदी भी अपने घर में पानी के शोधन के लिए एक बॉटल हिन्द गजट
कार्यालय से लेकर गए। यह हाल है नगर पालिका का। नगर पालिका करोड़ों अरबों रूपए खर्च
कर शहरवासियों को साफ पानी पिलाने का काम कर रही है। देखा जाए तो पालिका द्वारा
जनता के गाढ़े पसीने की कमाई के करोड़ों अरबों रूपए पानी साफ करने के बजाए पानी में
ही बहाए जा रहे हैं।
सिवनी शहर जल जनित
रोगों की जद में है। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के सख्त निर्देश और प्रशासन
के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। जनता कराह रही है, उल्टी दस्त के
मरीजों से अस्पताल हाऊस फुल हो रहा है। चिकित्सालय के संडास में मल उपर तक भर चुका
है। लोग गटर का गंदा पानी पीने पर मजबूर हैं। नगर पालिका प्रशासन के चुने हुए
नुमाईंदे आम जनता को साफ पानी देने के बाजाए ‘कमीशन के गंदे धंधे‘ और विधान सभा
चुनावों की टिकिट की जुगाड़ में घूम रहे हैं। चर्चा है कि भाजपा से पूरी तरह उपकृत
कांग्रेस के विज्ञप्तिवीर अपनी कलम रेत में गड़ा चुके हैं। भाजपा के जिलाध्यक्ष
नरेश दिवाकर भी अपने एक कार्यकर्ता, भले ही वह नगर का प्रथम नागरिक हो की मश्कें
कसने में अपने आप को बौना ही पा रहे हैं। कथित मीडिया मुगल भी विज्ञापन लेकर अपने
कर्तव्यों से मुंह मोड़ रहे हैं। स्थिति परिस्थित देखकर हमें यह कहने में कोई संकोच
नहीं है कि अगर रियाया को साफ पानी नहीं पिला सकते तो नगर पालिका के चुने हुए
प्रतिनिधियों को पदों पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है भले ही वे
हमारे अनुज राजेश त्रिवेदी क्यों ना हों।
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