सोमवार, 3 अक्टूबर 2011
लालू से मिलने का भी नहीं हुआ कोई फायदा
0 सिवनी से चलेगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 9
फरवरी 2006 में कांग्रेस का प्रतिनिधिमण्डल मिला था लालू से
हरवंश सिंह के नेतृत्व में दो मर्तबा रेल मंत्री से मिलने का भी नहीं हुआ कोई लाभ
कांग्रेस के क्षत्रपों ने भी बनाई सिवनी के विकास से पर्याप्त दूरी
पेंच के लिए कमल नाथ से लगाई थी गुहार
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। सिवनी में रेल संघर्ष समिति का अभ्युदय हुआ और मामला कुछ हद तक इस समिति के पक्ष में आता दिखा। श्रेय की राजनीति के चलते कांग्रेस और भाजपा के लंबरदारों ने इस मामले को किसी ओर के हाथ चले जाने के भय से अब सक्रिय होना आरंभ कर दिया। फरवरी 2006 में कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल दिल्ली आया और अनेक मांगें जिनमें छिंदवाड़ा नैनपुर का अमान परिवर्तन भी शामिल था को लेकर तत्कालीन मंत्रियों से मुलाकात की।
लालू से चर्चा के दौरान प्रतिनिधिमण्डल ने छिंदवाड़ा से नैनपुर (मण्डला फोर्ट तक नहीं) के रेल खण्ड के अमान परिवर्तन की मांग की। इसके बाद जब लालू यादव केंद्रीय मंत्री कमल नाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा आए और छिंदवाड़ा नागपुर के अमान परिवर्तन की आधार शिला रखी तब भी सिवनी के कांग्रेसी नेताओं ने लालू यादव से इसकी मांग दुहराई। लालू प्रसाद यादव ने अपने चिर परिचित अंदाज में फिर से इसे मुस्कुराकर टाल दिया।
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, सिवनी के क्षत्रप हरवंश सिंह ठाकुर की उपस्थिति में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का यह आश्वासन कितना कोरा था इसका पता जल्द ही लग गया। कुछ दिनों बाद छिंदवाड़ा दौरे पर आए मण्डल रेल प्रबंधक नागपुर से जब मीडिया ने लालू यादव के आश्वासन की चर्चा की थी,, तो ठेठ देसी अंदाज में उन्होंने कहा था कि मंत्री का आश्वासन नहीं वे रेल्वे बोर्ड के रूक्के (आदेश) पर काम करते हैं। जाहिर था रेल मंत्री ने आश्वासन दिया था इसके लिए विभाग से कोई आदेश जारी ही नहीं हुआ था तो डीआरएम कैसे काम आरंभ करवाते।
हालात देखकर सिवनी वासियों के मन में एक ही बात उठ रही थी कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही यह नहीं चाह रहे थे कि सिवनी में छोटी लाईन पर चलने वाली नेरो गेज रेल की न तो गति बढ़े और न ही सिवनी वासियों को ब्राडगेज की सुविधा मिले। सिवनी के सांसदों ने अमान परिवर्तन के लिए उपयुक्त मंच जिसे संसद के नाम से जाना जाता है में छिंदवाड़ा से नैनपुर के बीच के खण्ड के अमान परिवर्तन की बात न रखना अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं माना जा सकता है।
सिवनी लोकसभा विलोपन के पूर्व में सांसदों ने इस मांग को लोकसभा में क्यों नहीं उठाया इसका जवाब तो वे ही बेहतर तरीके से दे सकते हैं। उन्होंने जनता के विश्वास और प्यार के साथ क्या विश्वास घात किया है इसका जवाब भी उन्हें ही देना है। वर्तमान में बालाघाट संसदीय क्षेत्र जिसमें सिवनी और बरघाट विधानसभा का समावेश है के सांसद के.डी.देशमुख और मण्डला संसदीय क्षेत्र जिसमें लखनादौन और केवलारी विधानसभा का समावेश है के सांसद बसोरी सिंह मसराम ने लोकसभा में प्रश्न क्यों नहीं उठाया है इसका जवाब जनता अवश्य जानना चाह रही है। साथ ही साथ जनता को यह जानने का भी हक है कि क्या दोनों ही सांसद महोदय आने वाले लोकसभा सत्र में इस प्रश्न को लोकसभा में गुंजायमान करने की जहमत उठाएंगे या फिर इसके लिए भी उन्हें जगाने के लिए जनता को ही आगे आकर आंदोलन जैसे तरीकों को अपनाना होगा?
(क्रमशः जारी)
रामदेव के बाद अब सियासी मैदान की ओर अण्णा
रामदेव के बाद अब सियासी मैदान की ओर अण्णा
ईमानदार प्रत्याशी का समर्थन करेंगे अण्णा
अण्णा की ईमानदारी की क्या होगी परिभाषा
कौन मापेगा प्रत्याशी को इस पैमाने पर
अण्णा के आंदोलन में सेंध लगाने में कामयाब हो रहे हैं सियासी कारिंदे
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव की तरह ही गैर राजनैतिक आंदोलन का आगाज कर सरकार को हिलाने वाले अण्णा के मन में अब सियासी महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मारने लगी हैं। अण्णा हजारे आने वाले चुनावों में सियासी नजर आएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अण्णा के मन में सियासत के बीज प्रस्फुटित करने में कुटिल राजनैतिक प्रबंधक पूरी तरह सफल ही नजर आ रहे हैं।
एक निजी समाचार चेनल को दिए साक्षात्कार में अण्णा हजारे ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव में वो भी मैदान में होंगे। हालांकि अन्ना स्वयं की कोई पार्टी नहीं बनाएंगे और न ही खुद चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वे दो तीन साल बाद ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे जो ईमानदार होंगे। उन्होंने कहा कि वे ऐसे उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करने भी जाएंगे।
गौरतलब है कि अपने अनशन से सरकार को हिला देने वाले अन्ना हजारे हमेशा राजनीति से दूर रहने की बात करते रहे हैं, लेकिन अब उनका नजरिया बदल रहा है। अण्णा ने आगे कहा कि वह चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े ईमानदार युवाओं का समर्थन करेंगे। अण्णा के इस नजरिए से अब राजनैतिक दलों के नुमाईंदो के चेहरों पर मुस्कुराहट झलकने लगी है। अब लगने लगा है कि अण्णा का हश्र भी बाबा रामदेव जैसे किया जा सकता है।
उल्लेखनीय होगा कि इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव द्वारा भी काले धन के अलावा चुनाव सुधार और साफ छवि के उम्मीदवारों के समर्थन की बात से अपना सफर आरंभ किया गया था, जो बाद में भारत स्वाभिमान के सियासी इरादों में तब्दील हो गया था।
दाल के बाद सब्जी भी गायब हुई गरीब की थाली से
कांग्रेस के कहर से डरा आम आदमी
दाल के बाद अब थाली से गायब हुई सब्जी
योजना आयोग कर रहा गरीबों के साथ मजाक
राज्य और केंद्र के सामंजस्य के अभाव की भेंट चढ़े तीन अरब रूपए
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार चाहे जो कर ले उसका हर कदम भारत गणराज्य के आम आदमी की गरदन को रेतने का ही काम कर रहा है। केंद्र सरकार की तीन सौ करोड़ की लोगों की थाली में सब्जी पहुंचाने की योजना में भी पलीता लग गया है। आधी राशि डकारने के बाद भी सूबों ने इस मामले में डकार भी नहीं ली है। मंहगाई से वैसे भी लोगों के मुंह का जायका खराब ही हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि शहरी आबादी के लिए सस्ती सब्जी मुहैया करवाने की घोषणा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने बजट भाषण में की थी। इसके तहत दस लाख की आबादी या अधिक वाले हर शहर को उत्तम गुणवत्ता वाली सब्जियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सब्जियों के समूह को विकसित करने पर विचार विमर्श किया गया। इसके उपरांत आए नतीजों से उत्साहित केंद्र सरकार ने कृषि विभाग के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत इस योजना का आगाज किया था।
पिछले माह तक केंद्र सरकार द्वारा इस मद में राज्यों को 137 करोड़ 94 लाख रूपए की राशि जारी की जा चुकी है। राज्य और केंद्र सरकार के बीच सामंजस्य के अभाव के चलते यह योजना परवान ही नहीं चढ़ पा रही है। दस लाख की आबादी से अधिक वाले शहरों में आज भी मंहगी और गुणवत्ता विहीन सब्जी ही मिल रही है। कहा जा रहा है कि अंबानीज के रिलायंस फ्रेश के दबाव में सरकारों द्वारा नीतियों पर अमल नहीं किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्रियों से मोहभंग हुआ युवाओं का
केंद्रीय मंत्रियों से मोहभंग हुआ युवाओं का
युवा मतदाता दूर हैं मतदान से
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। आने वाला भारत कहलाने वाला देश का युवा अब मतदान से अपने आप को दूर ही रखे हुए है। चुनाव आयोग के आंकड़े ही यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि देश के हृदय प्रदेश में युवाओं का किस कदर चुनाव से मोह भंग हो रहा है। केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में युवाओं का रूझान मतदान की ओर न होना इनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। युवाओं द्वारा अब तक मतदाता सूची में अपने नाम भी दर्ज न कराया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
भारत सरकार के दो विभागों के आंकड़ों का ही अगर अध्ययन किया जाए तो विसंगति सामने आती है। इसमें जनगणना के आंकड़ें कुछ कहते हैं तो भारत सरकार के निर्वाचन आयोग का कहना कुछ और ही है। दोनों ही आंकड़ों का अंतर मन में भ्रम भी पैदा करता है कि कौन से आंकड़े सच्चे हैं। साथ ही साथ दोनों ही आंकड़े अगर सच्चे हैं तो फिर निश्चित तौर पर युवाओं का मन चुनावी प्रणाली से भर चुका ही माना जा सकता है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 18 से 19 साल की आयु वाले युवाओं की तादाद 94 हजार 566 है इसके एवज में इस आयु वर्ग के वोटर्स की संख्या महज 15 हजार 77 ही है। इसी तरह ग्वालियर में 88 हजार 481 के मुकाबले 7828, भोपाल में 94 हजार 271 की जगह 10 हजार 763, जबलपुर में एक लाख दस हजार 5 के स्थान पर ग्यारह हजार 334 का आंकड़ा सामने आया है जो साबित करता है कि युवाओं का केंद्रीय मंत्रियों सहित पूरी व्यवस्था से ही मोह भंग हो गया है। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक दशमलव 68 प्रतिशत का अंतर छिंदवाड़ा में ही देखने को मिला है।
आड़वाणी की रथयात्रा को तलाश है फायनेंसर की
ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
आड़वाणी की रथयात्रा को तलाश है फायनेंसर की
भाजपा के पीएम इन वेटिंग की दौड़ से अपने आप को बाहर करने वाले एल.के.आड़वाणी की रथयात्रा होगी या नहीं अभी यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद भी कुहासा छट नहीं सका है। आड़वाणी जुंडाली परेशान है। उनकी परेशानी का कारण है कि आखिर वो कौन होगा जो इस रथ यात्रा के लिए फंड जुटाएगा। इस रथयात्रा के खर्च का अनुमान लगाकर ही लोगों के हाथों के तोते उड़ गए हैं। इसमें करोड़ों रूपए खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछली मर्तबा तो प्रमोद महाजन ने इस काम को बखूबी अंजाम दे दिया था। इस बार कौन इसका झंडा थामेगा। वैसे भी आड़वाणी जब से पीएम इन वेटिंग की दौड़ से बाहर हुए हैं तबसे उनके आसपास समर्थकों की भीड़ जबर्दस्त तरीके से छट चुकी है।
आखिर कौन सी बीमारी है राजमाता को!
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की बीमारी क्या है, इस बारे में गांधी परिवार के निकट होने का दावा करने वालों के साथ ही साथ कांग्रेस के आलंबरदार मौन साधे हुए हैं। कांग्रेस और गांधी परिवार के चाहने वालों की चुप्पी से अब उनकी बीमारी को लेकर अफवाहों का बाजार गर्मा गया है। जितने मुंह उतनी बात की तर्ज पर अब लोगों के मुंह खुलने आरंभ हो गए हैं। निश्चित तौर पर सोनिया की बीमारी या उनकी शल्य क्रिया उनका निजी मामला है, किन्तु वे नेशनल फिगर हैं इसलिए उनके हर निजी या सार्वजनिक मामलों का सरोकार जनता से है। वैसे भी सोनिया गांधी के हर कदम की जानकारी उनके मीडिया प्रबंधकों द्वारा पब्लिसिटी के लिए तो मुहैया करवा दी जाती है किन्तु इस मामले में इन सभी की चुप्पी आश्चर्य को ही जन्म दे रही है।
संदीप शिव की जुगलबंदी!
मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान की मित्र मण्डली में इन दिनों एक नया चेहरा दिख रहा है। इस नए चेहरे को लेकर सब ओर चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है। शिवराज के नए मित्र हैं संदीप नावलेकर। ये साहेबजादे हैं मध्य प्रदेश के लोकायुक्त के। संदीप को साथ लेकर शिवराज पिछले दिनों चीन यात्रा पर गए थे। संदीप शिव की दोस्ती को लोग अब शिवराज के डंपर कांड से जोड़कर देख रहे हैं। नावलेकर ने लोकायुक्त बनते ही पहली फुर्सत में शिवराज को डंपर मामले में क्लीन चिट प्रदाय कर दी थी। इसमें शिवराज द्वारा जमुना देवी को भी साधा गया बताया जा रहा है। कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी मीडिया में इस बात का प्रचार प्रसार कर भी रहे हैं कि जमुना देवी का कर्ज उतारने उनकी पुण्य तिथि पर शिवराज खुद चलकर पीसीसी गए और वहां श्रृद्धासुमन अर्पित किए।
अनजान चेहरा बने हुए हैं भूरिया
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को मध्य प्रदेश के कांग्रेसी नेता ही ठीक से नहीं पहचानते हैं। अनेक जिलों में लोग आज भी सुभाष यादव या दिग्विजय सिंह को ही कांग्रेस का अध्यक्ष मान रहे हैं। इसका कारण यह है कि यादव के बाद निजाम बने पचौरी ने मध्य प्रदेश का दौरा नहीं किया। अब कांतिलाल भूरिया इसी तर्ज पर मालवा के तीन जिलों में ही अपने आप को साधे हुए हैं। मध्य प्रदेश में उनकी बिरादरी के 22 विधायक हैं पर उनका भी समर्थन भूरिया को नहीं है। हाल ही में संस्कारधानी जबलपुर के एक कार्यक्रम की चर्चाएं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में हो रही हैं। कहा जा रहा है कि इस प्रोग्राम में कांतिलाल भूरिया को प्रोटोकाल के हिसाब से दिग्विजय सिंह के बाद बोलना था। जैसे ही राजा दिग्विजय सिंह का भाषण समाप्त हुआ वहां उपस्थित हजारों की भीड़ में से महज गिनती में ही लोग बचे जो भूरिया को सनुना चाह रहे थे।
सम्मान पाना है तो कांग्रेस को कोसो
कांग्रेस के राजनैतिक प्रबंधकों को पता नहीं क्या हो गया है। वे कांग्रेस को गरियाने वालों को ही गोद में बिठाए घूम रहे हैं। पिछले दिनों वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के पुत्र अभिजीत जो विधायक हैं को दिल्ली में मीडिया सर्किल में लांच किया गया। इनकी लांचिग भी आड़वाणी के एक बेहद करीबी ने की। इतना ही नहीं 2004 में संप्रग के आते ही दूरदर्शन से एक पत्रकार को यह कहकर निकाल दिया गया था कि वह भाजपा मानसिकता का है। आज वही पत्रकार कांग्रेस की नाक का बाल बना हुआ है। अंबिका सोनी ने तो उस पत्रकार को अधिमान्यता समिति में स्थान भी दे दिया है। और तो और एक दिन जब कांग्रेस बीट कव्हर करने वाले पत्रकार जनार्दन द्विवेदी से मिलने घंटों कमरे के बाहर बैठे रहे तब अंदर द्विवेदी और उन्हीं भाजपा मानसिकता वाले पत्रकार के बीच हंसी ठठ्ठों के दौर भी चलते रहे।
तिहाड़ बन सकता है प्रफुल्ल का आशियाना
महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट पर अगर अमल हुआ और सरकार ने ‘गठबंधन धर्म‘ से उपर राष्ट्र धर्म को समझा तो पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल का आशियाना आदिमत्थू राजा, सुरेश कलमाड़ी जैसे दिग्गजों के साथ तिहाड़ में बन सकता है। पटेल पर आरोप है कि उन्होने एविएशन मिनिस्टर रहते हुए अपने चाहने वालों को तबियत से फायदा पहुंचाया है। जांच में साफ हो जाएगा कि एवीएशन विभाग द्वारा किस तरह एयर इंडिया और इंडियन एयरलाईंस को दरकिनार कर निजी एयर लाईंस को बढ़ावा देने की गरज से मार्गों को खोला था। पटेल के कार्यकाल में 111 नए बोईंग विमान खरीदने का आदेश भी विवादों में ही है। चर्चा है कि जिस कंपनी से पटेल ने सौदा किया वह पटेल की ही कंपनी के नाम से जानी जाती है। इसके अलावा पटेल के अन्य सांसद या मंत्री मित्र भी वायूयानों में खासी दिलचस्पी रखते हैं।
गड़करी और मनमोहन में समानता
भाजपा के निजाम नितिन गड़करी और देश के वजीरे आजम में क्या समानता है? दोनों ही ने आज तक एक भी चुनाव नहीं जीता है। गड़करी ने 1985 में एकमात्र विधानसभा चुनाव नागपुर पश्चिम से लड़ा था और औंधे मुंह गिरे थे। भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी अगला लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर से लड़ने जा रहे हैं। उनके लिए नागपुर लोकसभा क्षेत्र को तैयार करवाया जा रहा है। वैसे उन्हें प्रफुल्ल पटेल के संसदीय क्षेत्र को सुझाव भी दिया गया है। राकांपा भले ही कांग्रेस के टूटकर अस्तित्व में आई हो और वह कांग्रेस की सहभागी हो पर भाजपाध्यक्ष के लिए प्रफुल्ल पटेल यह त्याग कर सकते हैं। कहा जाता है कि सियासी लड़ाई झगड़े जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए होते हैं। उपर के स्तर पर तो सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे होते हैं। यह गड़करी के जीवन का पहला लोकसभा चुनाव होगा।
मीडिया को साधने की जुगत में राहुल
घपलों, घोटालों और भ्रष्टाचार से आजिज आ चुके हैं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी। राहुल को अब इमेज बिल्डिंग की धुन सवार हो चुकी है। तीन प्रधानमंत्री के वंशज राहुल गांधी ने मसल और मनी पावर बेहद करीब से देखा होगा इस बात से इंकार नहीं कहा जा सकता है। उनके पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी और इंदिरा गांधी के पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू सालों साल देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के नेहरू गांधी से इतर प्रधानमंत्री रहे नरसिंहराव और मनमोहन ंिसंह ने कांग्रेस के ताबूत में खीलें ठोंकने का काम ही किया है। राहुल गांधी को डर है कि कहीं उन्होंने सत्ता संभाली तो उनकी छवि भी खराब न हो जाए। शायद इसीलिए राहुल ने पीआर कंपनियों के माध्यम से अपनी छवि का निर्माण आरंभ कर दिया है। कंपनियों ने उन्हें मशविरा दिया है कि इस दलदल में वे वर्तमान में न तो सत्ता का पद लें और ना ही संगठन का।
लालटेन युग में है कांग्रेस
इक्कीसवीं सदी के भारत के स्वप्नदृष्टा तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अर्धांग्नी एवं विश्व की ताकतवर महिलाओं में शुमार श्रीमति सोनिया गांधी के नेतृत्व में सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस का नेशनल हेडक्वार्टर आज भी बाबा आदम के जमाने में सांसे ले रहा है। तकनीकि मामलों में यह कार्यालय अन्य राजनैतिक पार्टियों के मुकाबले बेहद पिछड़ा ही है। कांग्रेस के पदाधिकारी निजी तौर पर तो अपने पास अत्याधुनिक तकनीकि उपकरण रखते हैं पर जब बात पार्टी मुख्यालय की आती है तब वे मौन साध लेते हैं। अनेक जिलों में यह आलम है कि वहां आज भी हस्त लिखित या मेन्युअल टाईपराईटर पर विज्ञप्तियां बनाई जा रही हैं। कांग्रेस के सांसद विधायकों द्वारा अपने लग्गू भग्गुओं के लिए जनसंपर्क निधि से रामायण मंडल या क्रिकेट क्लब के लिए राशि आवंटित कर दी जाती है, पर पार्टी के नाम पर राशि खर्च करने में वे पीछे हट जाते हैं। सूचना के अधिकार में अगर यह जानकारी निकाली जाए तो देश भर में रामायण मंडल या क्रिकेट क्लब की तादाद जानकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेगा।
फिर चला अण्णा को रायसीना हिल्स पहुंचाने का अभियान
मैं भी अण्णा, तू भी अण्णा। इस तरह के नारों ने देश को जगा दिया था। अण्णा के रामलीला मैदान के सफलतम अनशन के बाद लोग उनकी तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से करने लगे थे। इंटरनेट पर तो अण्णा हजारे के चित्र वाले नोट भी बनकर आ गए थे। 16 अगस्त की धूम देशवासियों के सर चढ़कर बोल रही थी। लोगों का जोश और जुनून देखते ही बन रहा था। अण्णा प्रकरण में सत्ताधारी कांग्रेस के प्रबंधकों के सारे दांव उल्टे पड़ने के बाद अब सियासी दलों के नेता अण्णा की चौखट चूमते नजर आ रहे हैं। अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में हर सियासी दल अण्णा को अपना केंडीडेट बनाने की जुगत लगा रहा है।
शिवराज धूमिल, गौर चमके, सूचना केंद्र का कारनामा
मध्य प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए पाबंद दिल्ली स्थित सूचना केंद्र ने अब सत्ता, मुख्यमंत्री और संगठन के बीच दूरियां बढ़ाने की कवायद आरंभ कर दी गई है। इस बात के संकेत तब मिले जब एमपी के नगरीय कल्याण मंत्री बाबू लाल गौर दिल्ली में शहरी विकास मंत्री कमल नाथ से मिले ओर दस सौ अस्सी करोड़ रूपए झटक लिए। एक तरफ तो शिवराज सिंह चौहान और भाजपा संगठन द्वारा चीख चीख कर केंद्र से आवंटन न देने और सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सूचना केंद्र द्वारा जारी विज्ञप्ति में एक ही दिन में एक हाजर करोड़ का अवंटन मिलना साबित करता है कि शिवराज सिंह चौहान और प्रभात झा के द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोप मिथ्या और राजनीति से प्रेरित हैं। इस मामले में सूचना केंद्र बधाई के पात्र हैं।
नोट फॉर वोट मामले में नपेंगे महाकौशल के सांसद
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज द्वारा मण्डला में आयोजित जनाक्रोश महारैली में सुषमा स्वराज ने अनेक गूढ़ अर्थों वाली बात कह डाली। सुषमा ने 22 जुलाई 2008 को संसद में नोटों की गड्डियां लहराने का जिकर करते हुए कहा कि अल्पमत में आ चुकी केंद्र सरकार बचाने के लिए 19 सांसदों की दरकार थी और इस हेतु सांसदों को करोड़ों रूपयों की रिश्वत दी गई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बहुमत जुटाने के लिए गरीब परिस्थिति के सांसदों और विशेषकर उन सांसदों को लक्ष्य बनाया गया जिनके संसदीय क्षेत्र या तो परिसीमन में विलुप्त हो रहे थे या फिर आरक्षित हो रहे थे। उल्लेखनीय है कि महाकौशल क्षेत्र का तीस साल पुराना सिवनी संसदीय क्षेत्र परिसीमन में विलुप्त हो गया है साथ ही साथ नोट फॉर वोट मामले में जेल में बंद फग्गन सिंह कुलस्ते भी महाकौशल के मण्डला संसदीय क्षेत्र के सांसद थे।
नए पुष्पक की सवारी गाठेंगे शिवराज
पांव पांव चलने वाले भईया के नाम से विख्यात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब हवा में उड़ रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान का उड़न खटोला राष्ट्री़़य राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सजा धजा तैयार खड़ा है। पुष्पक विमान का उल्लेख भगवान राम के काल में मिलता है, पर शिव राज में भी इसका उल्लेख मिल रहा है। मध्य प्रदेश जैसे गरीब राज्य में फ्रांस की यूरोकाप्टर कंपनी से ईसी 155बी चौपर सिर्फ 66 करोड़ रूपए में खरीदा गया है। शिवराज के विमान बेड़े में वर्तमान में एक सिंगल तो एक डबल एंजिन हेलीकाप्टर मौजूद है। ‘मैया मो तो चंद खिलोना लैंहूं‘ की तर्ज पर दो दो चौपर के होते हुए भी सुरक्षा कारणों का अचूक अस्त्र चलाकर शिवराज ने जनता के गाढ़े पसीने के 66 करोड़ रूपयों में आग लगा दी।
कैबनेट सचिवालय के पास नहीं मंत्रियों की विदेश यात्राओं की जानकारी
केंद्र सरकार के कैबनेट सचिवाल के पास केंद्रीय मंत्रियों की विदेश यात्रा में हुए खर्च का कोई ब्योरा नहीं है। सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी के जवाब में आनाकानी ही हाथ लगी आवेदक एस.सी.अग्रवाल को। अग्रवाल ने मजबूरी में एक एक मंत्रालय के दर पर धक्के खाए तब जाकर उन्हें कुछ जानकारी मिल पाई। अग्रवाल को मिली जानकारी में एक बात निकलकर सामने आई है कि कैबनेट मंत्रियों ने एक साल में 37.16 करोड़ तो राज्य मंत्रियों ने 4.76 करोड़ रूपए फूंक दिए। इसमें अनेक मंत्री शामिल नहीं हैं। आरोपित है कि मंत्री अपने निजी और व्यापारिक हित साधने विदेशों की यात्राएं करते हैं वह भी सरकारी खर्च पर। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को शायद भय है कि इसकी जानकारी सार्वजनिक होने पर विपक्ष को एक और मुद्दा मिल जाएगा।
पुच्छल तारा
सोनिया की बीमारी रहस्य बनी हुई है। राहुल गांधी आज भी घपले घोटालों पर खामोश हैं। अण्णा मामला हो या फिर रामदेव बाबा का, हर मामले में राहुल मौन हैं। राहुल को लेकर एक मेल सामने आया है। उत्तर प्रदेश के इलाहबाद से सुहासिनी नायर ने एक ईमेल भेजा है। सुहासिनी लिखती हैं एक एसएमएस इन दिनों घूम रहा है जिसकी इबारत इस प्रकार है:-
‘‘और करो आंदोलन,
देखा,
बोला था न,
मम्मी को आने दो, सब को दिखा दूंगा।
पहले ही दिन तीन रूपए बढ़ा दिया न पेट्रोल,
अब चीखो चिल्लाओ, आंदोलन करो. . .
-- आपका यूथ आईकान
राहुल गांधी!
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