रविवार, 29 सितंबर 2013

विधायकों को नहीं गुरूजियों की कमी से सरोकार

विधायकों को नहीं गुरूजियों की कमी से सरोकार

(गजेंद्र ठाकुर)

सिवनी (साई)। विकासखण्ड छपारा मे जहां शिक्षको की कमी के चलते अथिति शिक्षकों की भर्ती की जा रही है वहीं ग्राम कचनरा मे सहायक अध्यापक पद रहकर वेतन पाने वाले राजेश तिवारी जो सिवनी विधायक नीता पटैरिया के पीए वर्षो से बने है उनके तरफ किसी अधिकारी की नजर नही जाती जानकारी हो की जब नीता पटैरिया सिवनी सासंद थी तब भी राजेश तिवारी  मेडम के पीए रहकर सरकारी वेतन ले रहे थे जब मेडम सिवनी विधायक बनी तब भी यही हाल है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2003 मे तिवारी की नियुक्ति संविदा शाला शिक्षक सहायक अध्यापक पद पर ग्राम कचनरा के प्राथमिक शाला में हुई नियुक्ति दिनांक से ही तिवारी एक भी दिन स्कूल नही गये और स्कूल की उपस्थिति पंजी मे एक माह की हास्तछर कर स्कूल की औपचारिका पूरी की जाती है।
जबकि वर्ष 2010 से शिक्षा अधिकार अधिनियम मे यह स्पष्ट है कि कोई भी शिक्षक किसी राजनीति व नेता का पीए या अन्य सहयोगी नही रहेगा लेकिन सिवनी जिले मे यह कानून कहीं लागू नही होता विधायक की मेहरवानी के चलते शिक्षक तिवारी को कोई कुछ बिगाड भी नही सकता बताया जा रहा है, कि पीए साहब विधायक के साथ भोपाल भाजपा के महासम्मेलन मे घुमने गये थे जबकि यहां स्कूलों मे छात्रों के भविष्य के लिये नियुक्त तिवारी भाजपा की राजनीति करने के साथ विधायक के पर्सनल कामों के लिये अन्य विभागों के चक्कर काटते देखे जा सकते है। यहां का स्थानीय प्रशासन सब जानता है फिर भी चुपचाप वेतन का भुगतान कर रहा है।
नही है लिखित आदेश
जनपद व शिक्षा केन्द्र छपारा मे ऐसा कोई लिखित आदेश नही है कि राजेश तिवारी सहायक अध्यापक ग्राम कचनरा को विधायक नीता पटैरिया का पीऐ बनाया जाए  है लेकिन फिर भी राजनैतिक दबाब के चलते  वर्ष 2003 से वर्तमान समय तक  सब चल रहा है। जबकि 10 वर्षो तक पीए बन घूम रहे राजेश तिवारी मेडम पटैरिया के प्रशासनिक व राजनैतिक सभी काम करते देखे गये फिर भी स्कूली समस्याओं को ध्यान रखते हुए किसी अधिकारी ने कार्रवाही करने की जहमत नही उठाई।
नही जानते स्कूल के बच्चे
जब ग्राम कचनरा के प्राथमिक शाला के बच्चों से पूछा गया तो उन्होने बताया की साहब कौन है तिवारी सर हम नही जानते हमने कभी देखा भी नही है हम तो केवल धुर्वे सर को जानते है जानकारी हो कि प्राथमिक शाला कचनरा मे 29 बच्चे है जहां दो शिक्षक राजेश तिवारी और बक्के सिंग धुर्वे है लेकिन स्कूल वर्षो से एक शिक्षक के भरोषे चल रहा है।
कथन
राजेश तिवारी प्राथमिक शाला कचनरा मे वर्ष 2003 से पदस्थ है यह सही है कि वे विधायक के पीए है लेकिन विरोध कौन करेगा।
महेन्द्र चौकेसे मण्डल संयोजक छपारा

प्राथमिक शाला कचनरा मे राजेश तिवारी पदस्थ है लेकिन वे कभी स्कूल नही जाते दो चार माह मे एक बार उपस्थिति पंजी मे हास्तछर करने आते है वे मेडम पटैरिया के यहां काम करते है यह सभी अधिकारियों को मालूम है।
गोविन्द उईके जनशिक्षक गोरखपुर मडवा संकुल

मैं फरवरी 2012 से बीआरसी पद पर आया हुं तब से राजेश तिवारी पीऐ के पद पर विधायक पटैरिया का कार्य संभाल रहे है स्कूल में मैने कभी नही देखा। 
सहाबलाल दसरिये बीआसी छपारा

यह सही है कि राजेश तिवारी शिक्षक विधायक के पास पीए पद कार्यरत हेै हमारे पास ऐसा कोई लिखित आदेश नही है कि जिससे उन्हे शिक्षक पद से हटा कर विधायक के यहां भेजा जाये हालाकि कि हमने वरिष्ठ अधिकारियों को दो साल पहले पत्र लिख कर बता दिया है इस विषय में अधिक जानकारी बीआरसी व संकुल प्रभारी बता सकते है।

शफी मो कुरैशी सीईओ जनपद छपारा

घोषणाएं अधूरी, किस बात का आशीर्वाद ले रहे शिवराज: वर्मा

घोषणाएं अधूरी, किस बात का आशीर्वाद ले रहे शिवराज: वर्मा

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिले को घोषणाओं के अलावा कोई सौगात तो दी नहीं है लेकिन अब जब वे जन आर्शीवाद लेने जिले में आ रहें हैं तो कम से कम जवाब तो दे दें। मुख्यमंत्री की घोषणायें  पूरा होने का इंतजार कर रहीं है तो किये गये शिलान्यास एक ईंट लगने का इंतजार कर रहें हैं। और तो और पिछली जन आर्शीवाद यात्रा के दौरान शिवराज ने जो घोषणायें की थीं वे तो भी अधूरी ही हैं भले ही उन्हें जन आर्शीवाद फिर से मिल गया हो। उक्ताशय के विचार वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में व्यक्त किये हैं।
इंका नेता आशुतोष वर्मा ने आगे कहा हैं कि आगामी नवम्बर महीने में होने वाले विस चुनावों के लिये जनता का आर्शीवाद लेने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिले में आ रहें हैं। मुख्यमंत्री ने जिले में घोषणाओं का तो अंबार लगा दिया लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया। शिव की नगरी सिवनी पिछले दस सालों से किसी बड़ी सौगात का इंतजार करती रह गयी। अब शिवराज सौगात नहीं तो कम से कम यह जवाब तो जनता को दें दें कि आखिर किन कारणों से ये घोषणायें पूरी नहीं हो पायीं हैं। मुख्यमंत्री ने 2 फरवरी 2008 को सिवनी में घोषणा की थी कि कान्हीवाड़ा को उप तहसील तथा लखनादौन के अस्पताल का उन्नयन किया जायेगा। आज तक प्रदेश सरकार लखनादौन के सासै बिस्तर वाले अस्पताल के लिये जमीन नहीं दे पायी है।27 अप्रल 2008 को मुख्यमंत्री ने सिवनी के पॉलेटेक्निक कालेज में सिवनी में आकाशाणी केन्द्र खेलने की घोषणा की थी।  
इंका नेता वर्मा ने विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया है कि 2008 के चुनाव के पहले जब शिवराज जन आर्शीवाद लेने 12 जुलाई को जिले में आये थे तब भी उन्होंने घोषणाओं का अंबार ़लगा दिया था। आपने केवलारी में नगर पंचायत बनाने,पलारी में उप तहसील बनाने,कान्हीवाड़ा में अब सरकार बनने पर पूर्ण तहसील और विकास खंड़ बनाने की घोषणायें की थी। प्रदेश में जनता के आर्शीवाद से शिवराज की सरकार तो बन गयी लेकिन जिले के लोग ठगे से रह गये और एक भी सौगात उन्हें नहीं मिल। लेकिन इसे बेशर्मी नहीं तो और क्या कहा जाये कि पांच साल सरकार चलाने के बाद बिना एक भी घोषणा पूरी किये शिवराज फिर वहीं जनता का आर्शीवाद लेने पहुंच रहें हैं।
इंका नेता वर्मा ने आरोप लगाते हुये कहा है कि  इसके बाद भी मुख्यमंत्री ने 26 जुलाई 2008 को लखनादौन में आचार संहिता लागू होने की संभावना की बात करते हुये कहा था कि वे कोई घोषणा नहीं करेंगें लेकिन अगली सरकार हमारी बनेगी और प्रदेश देश में नंबंर वन और सिवनी प्रदेश में नंबंर वन का जिला बनेगा। यह संभव है कि सिवनी प्रदेश में नंबंर वन का वो जिला बन गया हो जहां सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री की घोषणायें पूरी ना हुयीं हों।

इंका नेता वर्मा ने विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया है कि मुख्यमंत्री ने 21 अक्टूबर 2009 को सुकतरा में यह गर्जना की थी कि फोर लेन सिवनी से ही जायेगी। लेकिन इसके बाद वे कई बार केन्द्र के वन एवं पर्यावरण मंत्री से प्रदेश की विभिन्न योजनाओं के लिये मिले लेकिन कभी फोर लेन की बात तक नहीं की थी। इसकें बाद 21 अक्टूबर 2009 को शिवराज ने सिवनी का सबसे सुन्दर शहर, दलसागर को मेहमानों को गर्व से बताने लायक स्थान बनाने,नरसिंह कॉलेज के लिये 6 करोड़ देने,प्रायवेट सेक्टर में मेडिकल कॉलेज खोलने के साथ ही यह भी कहा था कि सूरज चाहे पूरव के बजाय पश्चिम से गने लगे लेकिन फोर लेन सिवनी से गुजरने की सिंह गर्जना की थी। इसी दिन शिवराज ने थोक सब्जी मंड़ी का शिलान्यास भी किया था जिसमें आज तक एक ईंट भी नहीं लग पायश्ी है। इसके साथ ही संभाग मिलने का सपना भी अधूरा ही रह गया है। ऐसे हालात में जिले के लोगों को यह विचार करना चाहिये कि जिले के भोले भाले लोगों की भावनाओं से खेलने वाले ऐसे मुख्यमंत्री को फिर से आर्शीवाद दें या नहीं? शिवराज की कथनी और करनी में अंतर और जिले के भाजपा विधायकों को उनकी निष्क्रियता का सबक जिले के लोग आगामी चुनाव में देंगें।

मामा जी आप रोज रोज आएं, कम से कम शहर चमन तो रहेगा!

मामा जी आप रोज रोज आएं, कम से कम शहर चमन तो रहेगा!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सिवनी की सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे ऐसे पूर दिये गये जैसे यहां गड्ढे नाम की कोई चीज थी ही नहीं, वहीं जगह- जगह साफ- सफाई करते कर्मचारियों को देख लोगों ने राहत की सांस ली। लोगों को लगा कि अब नगर स्वच्छ और सुंदर बनने की तैयारी में है, लेकिन देखने वालों को यह समझने में जरा भी मौका नहीं लगा कि आखिर यह साफ-सफाई क्यों हो रही है।
असल में कल हमारे प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का आगमन हो रहा है और उनके आगमन को देखते हुए जगह-जगह बने गड्ढों को भर दिया गया ताकि मुखिया हिचकोले न ले पाएं। सर्किट हाऊस के आसपास बने गड्ढे पूर दिये गये और रोड इतनी सुंदर बना दी गई कि लोग उसमें अपना चेहरा तक देख लें, वहीं बस स्टैण्ड के आसपास भी साफ-सफाई का माकूल इंतेजाम भी किया गया। बताया जाता है कि यही स्थिति बरघाट, लखनादौन और केवलारी की भी है जहां प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को पहुंचना है।
वहीं सोशल मीडिया पर आज यह चर्चित रहा। उपरोक्त छाया चित्रों के साथ निम्न इबारत भी लोगों द्वारा सराही गई।
जनता से आशिर्वाद लेने निकले हैं प्रदेश के मुखिया। इस कड़ी के तहत कल उनका सिवनी नगर आगमन हो रहा है।
मामा जी के नगर आगमन से सबसे ज्यादा सक्रिय और प्रोत्साहित प्रशासनिक अमला नजर आ रहा है। निस्तेज से दिखने वाले सरकारी अधकारी और विभाग एक दम से तेजस्वी हो गए से लग रहे है। एकबारगी तो इनको देखकर घ्सा लगता ही नहीं की ये सरकारी विभागों से ताल्लुक रखते हैं। पूरे शहर को वैशाली की नगरबधु की तरह सजाया जा रहा है। जिन गलियों में चलने से आपके सफ़ेद बाल बिना डाई के ही धूल के कारन सफ़ेद पढ़ जाते थे, उन गलियों से धूल को इस तरह हटाया जा रहा है की उसका नामो निसान ही ना रहे। साथ ही मामा जी की कार किसी गड्डे में न फस जाये इसके लिए रातों रात सड़कों को सुधारा जा रहा है। इतना ही नहीं सारे महकमों में बाजी मारी बिजली विभाग ने। जिस विभाग को अभी तक सड़कों की खराब स्ट्रीट लाइट नजर नहीं आती थी, अचानक से अतिसक्रिय दिखाते हुए इस विभाग ने खराब स्ट्रीट लाइट्स को बदलने की मानों मुहीम छेड़ दी। इतना ही नहीं, मामा जी का स्वागत चोरी की बिजली से किया जा रहा है और ये सब कुछ हो रहा है थाने के सामने।

मामा जी की जन आशीर्वाद यात्रा के कारन ही सही शहर में हो रही साफ सफाई को देखते हुए अनायास ही जवान से निकल रहा है- श्रीमान! आप तो आते रहा करें...।

पेंशनर्स खून के आंसू रो रहे हैं ‘शिव‘ के ‘राज‘ में

पेंशनर्स खून के आंसू रो रहे हैं शिवके राजमें


(अखिलेश दुबे/ अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। पेंशन पाने वाला अपना सारा जीवन अर्थात जिस आयु में वह भाग दौड़ कर सकता है, सरकार को समर्पित कर देता है। पेंशन पाने वाले को आंग्ल भाषा में पेंशनर्स ही कहा जाता है। पेंशन पाने की आयु तक पहुंचते पहुंचते साठ की आयु को पा जाता है सरकारी कर्मचारी। इस आयु में वृद्धावस्था का आना स्वाभाविक ही है। वृद्धावस्था में रोग प्रतिशोधक क्षमता कम होना स्वाभाविक ही माना जाता है इस आयु में शरीर निरोगी रहे यह संभव नहीं है। इस आयु में सबसे ज्यादा जरूरत दवाओं और देखभाल की ही होती है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्वास्थ्य विभाग के तुगलकी रवैए के कारण यहां के पेंशनर्स खून के आंसू रोने पर मजबूर हैं। पेंशनर्स को सरकारी स्तर पर दवाएं नहीं मिल पा रही हैं, जो उनका मौलिक अधिकार है। चिकित्सालय में पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देशों को भी रद्दी की टोकरी में डाला जा रहा है।
अपर संचालक (औषधी प्रशासन) कार्यालय स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल के पत्र क्रमांक औप्र/2013/683 दिनांक 26 दिसंबर 2012 के द्वारा प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, समस्त सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षकों को यह आदेशित किया गया था कि दीनदयाल योजना के हितग्राहियों, पेंशनर्स, शासकीय कर्मचारियों को दवाएं उपलब्ध कराने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए थे। इस पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 2012 में 17 नवंबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल निशुल्क औधधि वितरण योजना आरंभ की गई है। सरकारी चिकित्सालय में आने वाले हर रोगी को निरंतर दवाएं उपलब्ध कराने की जवाबदेही सीएमओ और सिविल सर्जन की निर्धारित की गई है। इसके साथ ही साथ पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि संचालनालय को लगातार इस बात की शिकायतें मिल रही हैं कि जरूरत मंदों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं, इसलिए इस हेतु स्पष्ट गाईड लाईन जारी की गई हैं।

21 माह पूर्व जारी हुए दिशा निर्देश
26 दिसंबर को जारी इस पत्र की कंडिका क्रमांक एक में कहा गया है कि सामान्यतः नब्बे से पंचानवे फीसदी रोगियों का उपचार ईडीएल में उपलब्ध जेनेरिक दवाओं से किया जा सकता है। शेष रोगियों को इस प्रक्रियाम में छूट दिए जाने के मापदण्ड जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि ऐसी बीमारियों जिनमें रोगी लंबे समय से उपचार में कोई विशेष ब्रांडेड दवा ले रहा है उन्हें प्रिस्क्राईब की जा सकती है। ऐसी पेटेन्ट दवाएं जिनका जेनेरिक विकल्प बिल्कुल उपलब्ध न हो, उन्हें लिखा जा सकता है। इसके साथ ही साथ टरशरी केयर में उपचाररत अथवा फॉलोअप के रोगियों के लिए यदि विशेषज्ञ की राय है कि जेनेरिक विकल्प रोगियों के लिए उपयुक्त नहीं होंगे, ऐसी स्थिति में भी पेटेन्ट दवा प्रिस्क्राईब की जा सकती है। प्रथम कंडिका के अंत में यह निर्देश साफ तौर पर दिया गया है कि मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों को ब्रांडेड काम्बीनेशन्स लिखे जा सकते हैं। उक्त दवाएं मरीज को हर हाल में निशुल्क ही उपलब्ध कराई जाएं।

10 प्रतिशत रोगियों को मिलें ब्रांडेड दवाएं!
इस आदेश की कंडिका नंबर दो में साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया है कि रोगी का उपचार करने वाले चिकित्सक/विशेषज्ञ (सिर्फ विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं) को चिकित्सा संस्था प्रमुख से अनुमोदन (प्रतिहस्ताक्षरित) प्राप्त करने पर ही उपरोक्तानुसार दवा लिखने की छूट दस प्रतिशत से अधिक रोगियों के लिए नहीं दी जा सकेगी। इसके रिकार्ड के लिए एक रजिस्टर संधारित भी किया जाए।

किन्हें मिलेगी यह सुविधा!
इसकी कंडिका नंबर तीन में साफ तौर पर इस बात का उल्लेख है कि किन रोगियों को इसकी पात्रता है। इसमें गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले रोगियों को दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना के अंतर्गत उपरोक्त परिस्थिति में लाभ दिया जा सकेगा। इसके अलावा पेंशनर्स को उपरोक्तानुसार दवाईयां शासकीय व्यय पर उपलब्ध कराई जाएंगी। अपर संचालक ने साफ तौर पर न केवल इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करने को कहा है वरन् समय समय पर इसकी समीक्षा के निर्देश भी दिए हैं।

कचरे में डाल दिए गए निर्देश
सिवनी के स्वास्थ्य विभाग विशेषकर जिला चिकित्सालय में अपर संचालक के निर्देशों को कूड़े में डाल दिया गया। पिछले दो सालों से सिवनी जिले के पेंशनर्स दवाओं के लिए लगातार भटक रहे हैं। जब भी सिविल सर्जन से इस बारे में पेंशनर्स बात करने का प्रयास करते हैं, उनके द्वारा बजट न होने का बहाना बनाकर बात को टाल दिया जाता है।

छः माह बाद जारी किए निर्देश
वहीं दूसरी ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय द्वारा इस साल 12 जून को पत्र क्रमांक अप्रशा/2013/6259 में कहा गया है कि जिला पेंशन फोरम की 17 अप्रेल को आहूत बैठक के पालन प्रतिवेदन के रूप में यह पत्र जारी किया जा रहा है। इस पत्र में भी संचालनालय के 26 दिसंबर के पत्र का हवाला दिया गया है, एवं इबारत वही है जो संचालनालय के पत्र की है।

नौ माह बाद जागे डॉ.सोनी
लगभग तीन दशकों से सिवनी में पदस्थ निश्चेतक डॉ.सत्यनारायण सोनी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे बिना पैसा लिए शल्य क्रिया के पूर्व किसी को बेहोश करने हाथ नहीं लगाते हैं, इस समय सिविल सर्जन के पद पर पदस्थ हैं। डॉ.सत्यनारायण सोनी ने संभवतः निश्चेतना वाली दवा सूंघ ली और उसका असर बहुत लंबा रहा प्रतीत हो रहा है। इस 26 दिसंबर के आदेश के नौ माहों के उपरांत डॉ.सत्यनारायण सोनी वापस होश में आए और 23 सितंबर को उन्होंने समस्त चिकित्सा विशेषज्ञ अधिकारी के नाम से एक पत्र जारी कर कहा कि जिला चिकित्सालय में आने वाले पेंशनर्स को पात्रतानुसार औषधियां लिखी जाएं।

पांच चिकित्सकों को दिए अधिकार
जिला पेंशनर्स एसोसिएशन के सदस्य ने बताया कि सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी ने इस पत्र पर ही हाथ से डॉ.ए.के.तिवारी, डॉ.एस.के.नेमा, डॉ.टीकाराम बांद्रे, डॉ.दीपक अग्निहोत्री (जिनका नाम काटकर बाद में उनके स्थान पर डॉ.किरण कटरे का नाम लिखा गया है) एवं डॉ.वी.के.नावकर के नाम लिखकर यह बताया कि ये चिकित्सक ही पेंशनर्स को दवाएं लिखने के लिए अधिकृत किए गए हैं। गौरतलब है कि संचालनालय के पत्र में विशेषज्ञ के साथ ही साथ रोगी का उपचार करने वाले चिकित्सक के बारे में लिखा गया है।

विशेषज्ञ कक्ष रहता है सूना
जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ कक्ष में जाकर शायद ही कभी डॉ.सत्यनारायण सोनी ने झांककर देखा होगा कि वहां कोई चिकित्सक बैठा है अथवा नहीं। इन परिस्थितियों में पेंशनर्स कहां और किससे दवा लिखवाएं यह यक्ष प्रश्न आज भी अनुत्तरित है।

भाजपा के खिलाफ जहर बो रहे डॉ.सोनी

जिला चिकित्सालय में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी की कार्यप्रणाली से पेंशनर्स के दिलो दिमाग में प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति रोष और असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। पेंशनर्स यह मानते जा रहे हैं कि सरकार द्वारा सिवनी में जानबूझकर ऐसे अधिकारी की पदस्थापना की गई है जो कि पेंशनर्स को जानबूझकर परेशान कर रहा है। एक पेंशनर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि अगर डॉ.सत्यनारायण सोनी की तैनाती बरकरार रखी जाती है तो यह भी हो सकता है कि पेंशनर्स और उनके परिवार के लोग भाजपा से विमुख हो जाएं।