बुधवार, 26 मार्च 2014

प्रभारी प्राचार्य के भरोसे एकलव्य आदर्श विद्यालय


प्रभारी प्राचार्य के भरोसे एकलव्य आदर्श विद्यालय

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड मुख्यालय घंसौर में संचालित एकलव्य आदर्श विद्यालय लंबे समय से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे ही संचालित हो रहा है। इस विद्यालय में अनेक विसंगतियों के होने की खबर है। नियमानुसार यहां प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी स्तर के प्राचार्य की नियुक्ति की जानी चाहिए, किन्तु यहां जीव विज्ञान विषय के व्याख्याता मुस्तकीम बेग के पास प्राचार्य का प्रभार है।
विद्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि वर्ष 2007 में घंसौर के मॉडल स्कूल में डिंडौरी से स्थानांतरित होकर आए प्राचार्य मुस्तकीम बेग सहित अनेक शिक्षकों की सेवाएं एकलव्य आदर्श विद्यालय में ली जा रही हैं। वहीं, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के प्रदेश कार्यालय ने आयुक्त आदिवासी विकास विभाग कार्यालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि एकलव्य विद्यालयों के लिए नियुक्तियां प्रथक से की गई हैं।
सूत्रों ने बताया कि लगभग तीन साल पहले जीव विज्ञान विषय के लिए सुनीता पटेल नामक शिक्षिका का चयन यहां के लिए किया गया था। वे अपनी सेवाएं यहां दे रही हैं। इस लिहाज से अब जीव विज्ञान विषय के व्याख्याता मुस्तकीम बेग को यहां अतिशेष की श्रेणी में आना चाहिए, पर विडम्बना यह है कि उनके पास आज भी आहरण वितरण अधिकार दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार यहां अन्य विषयों के व्याख्याताओं के रिक्त पद के विरूद्ध प्रभारी प्राचार्य का वेतन आहरित किया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो एकलव्य आदर्श विद्यालय में प्राचार्य का पद अगर रिक्त है तो इस पद पर उत्कृष्ठ विद्यालय के प्राचार्य स्तर के अधिकारी की पदस्थापना की जानी चाहिए। इसके लिए बनी संस्था का अध्यक्ष जिला कलेक्टर और सचिव का दायित्व सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग को सौंपा गया है।
सूत्रों ने आगे बताया कि पिछले शैक्षणिक सत्र के दौरान लगभग आधा दर्जन भृत्यों की नियुक्ति भी बिना किसी विज्ञापन को जारी किए ही मनमाने ढंग से कलेक्टर रेट पर यहां की जा चुकी है, जिसकी जांच भी अत्यावश्यक है। लंबे समय से यहां इस तरह की विसंगतियां चल रही हैं पर जनप्रतिनिधियों ने इस दिशा में ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई है।

मॉडल रोड: खुद ही अनुमतियां देने में कतरा रही पालिका


मॉडल रोड: खुद ही अनुमतियां देने में कतरा रही पालिका

अब कौन करेगा सड़क निर्माण का सुपरविज़न!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। शहर को साफ सुथरा और सुंदर बनाने का दावा नगर पालिका के युवा एवं ऊर्जावान अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी द्वारा बारंबार किए जाने के बाद भी, उनके ही नेतृत्व में नगर पालिका प्रशासन पूरी तरह अपरिपक्वता का परिचय दे रहा है। नगर के अंदर बन रही 11 करोड़ 70 लाख रूपए की मॉडल रोड के वर्क ऑर्डर जारी करने के पहले, नगर पालिका प्रशासन द्वारा स्वयं ही दी जाने वाली अनुमतियों में विलंब किया गया है।
ज्ञातव्य है कि जबलपुर की ओर से नागपुर की ओर तक लगभग साढ़े चार किलोमीटर लंबी इस सड़क पर दोनों ओर सात मीटर चौड़ी सड़क बनना प्रस्तावित है। इस सड़क के मध्य में दो मीटर चौड़ा डिवाईडर भी प्रस्तावित है। इस सड़क की मोटाई में साढ़े सात एमएम का बीएम और 25 एमएम का एचडीडीसी डाला जाना है। इसका ठेका गुना की मेसर्स राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है। इस कार्य को नवंबर 2013 में आरंभ किया जाकर, इस साल अक्टूबर तक पूरा किया जाना है।
नगर पालिका प्रशासन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 11 करोड़ 70 लाख रूपए के कार्य में सड़क निर्माण, डिवाईडर निर्माण, नाली निर्माण, पोल शिफ्टिंग, झाड़ कटाई आदि का कार्य शामिल है। सूत्रों की मानें तो अब तक तो न ही इस सड़क पर से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही हुई है, न ही पोल हटाने की और न ही पेड़ कटाई ही हो पाई है।

मॉडल रोड में व्यवधान!
पालिका के सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि इस सड़क के निर्माण में आने वाली बाधाओं को नगर पालिका प्रशासन के द्वारा स्वयं ही हटाया जाना है। इसके लिए वृक्ष कटाई की अनुमति, नगर पालिका परिषद को ही देना है। (जानकारों का कहना है कि शहरी सीमा के अंदर कटाई की अनुमति पालिका द्वारा ही दी जाती है)
इसके अलावा बिजली के खंबे हटवाने का कार्य भी नगर पालिका को स्वयं ही करवाना है। विडम्बना ही कही जाएगी कि इसके लिए अब तक नगर पालिका परिषद द्वारा पोल शिफ्टिंग के लिए निविदा तक जारी नहीं की गई है। अब जबकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी है, तब यह मामला 16 मई तक स्वतः ही टल गया है।
रही बात इस सड़क के निर्माण हेतु अतिक्रमण हटवाने की, तो सर्वविदित है कि नगर पालिका क्षेत्र से अतिक्रमण हटवाने की जवाबदेही नगर पालिका प्रशासन के स्वयं के ऊपर ही आहूत होती है। नगर पालिका परिषद द्वारा कुछ समय के अंतराल में ही अतिक्रमण हटाने की मुंहदेखी मुहिम अवश्य ही छेड़ी जाती है।

कार्य नवंबर में आरंभ, राशि का पता नहीं!
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि इस सड़क के निर्माण हेतु हुडको से नगर पालिका को ऋण प्राप्त होना था। सूत्रों के अनुसार इसकी पहली किश्त ही पालिका को प्राप्त हो पाई है। इसकी बाकी किश्तें नहीं आ पाने से यह कार्य मंथर गति से चल रहा है।

प्रशासनिक विफलता!
लोगों का मानना है कि नगर पालिका प्रशासन अनुभवहीनता का प्रदर्शन कर रहा है। इसका कारण यह है कि मॉडल रोड के निर्माण का वर्क ऑर्डर जारी करने के पहले, न तो जरूरी अनुमतियां ही ली या दी गई हैं और न ही अतिक्रमण ही हटाया गया है। इन परिस्थितियों में कार्य में होने वाले विलंब का भोगमान भी नगर पालिका प्रशासन को ही भोगना होगा। कहा जा रहा है कि अगर कार्य निर्धारित समयावधि में पूरा नहीं हुआ तो ठेकेदार बाद में विलंब के लिए बाजार भाव बढ़ने आदि पर क्लेम मांगेगा और उस समय विलंब को जस्टिफाई करने में नगर पालिका प्रशासन को पसीना आ जाएगा।

कौन करेगा सुपरविज़न!
अब जबकि पालिका के दो उपयंत्रियों को निलंबित किया जा चुका है, तब यक्ष प्रश्न यही आन खड़ा हुआ है कि मॉडल रोड के निर्माण में गुणवत्ता का सुपरविज़न किया जाएगा तो किसके द्वारा। हो सकता है ठेकेदार को अघोषित तौर पर (कारण चाहे जो भी हो) निर्माण कार्य को बिना सुपरविज़न के संपादित करने की छूट प्रदान कर दी जाए और बाद में किसी उपयंत्री की तैनाती होने पर इस कार्य का सुपरविज़न, मेजरमेंट करवाकर देयकों का भुगतान करवा दिया जाए। जानकारों का मानना है कि सरकारी स्तर पर बिना स्नातक या स्नातकोत्तर इंजिनियर के, आखिर इस कार्य को कैसे कराया जा सकता है?

माहौल में गर्मी, चुनावी बिसात ठण्डी


माहौल में गर्मी, चुनावी बिसात ठण्डी

(लिमटी खरे)

परिसीमन में संसदीय क्षेत्र खोने की पीड़ा कहीं न कहीं दिखने लगी है। वर्ष 2009 में पहली बार सिवनी लोकसभा के अवसान के बाद लोकसभा चुनाव संपन्न हुए थे। उस समय घाव ताजा-ताजा था, लोग समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ है। इसके बाद पांच सालों में लोगों को बेहतर तरीके से इस बात का भान हो गया कि लोकसभा के अवसान के क्या परिणाम हो सकते हैं। आधा जिला मण्डला तो आधा बालाघाट संसदीय क्षेत्र का अंग बन गया है।
एक जिले को संसदीय क्षेत्र के हिसाब से दो भागों में बांटा गया है। चार में से लखनादौन और केवलारी को मण्डला संसदीय क्षेत्र का अंग बना दिया गया है, तो बरघाट और सिवनी को बालाघाट में शामिल कर दिया गया। पांच सालों में मण्डला संसदीय क्षेत्र के कांग्रेसी सांसद रहे बसोरी सिंह मसराम ने सिवनी आने की जहमत कम ही उठाई। रही बात लोकसभा में अपनी बात रखने की तो बताते हैं कि उन्होंने पांच सालों में एक दर्जन से भी कम प्रश्न पूछे। ये प्रश्न भी ऐसे थे जिनका सिवनी और मण्डला से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा के सांसद रहे के.डी.देशमुख अलबत्ता बीच-बीच में लंबे अंतराल के उपरांत अपनी उपस्थिति अवश्य ही दर्ज कराते रहे हैं। सिवनी के हितों के बारे में उनके द्वारा भी आवाज न उठाया जाना वाकई शर्मनाक ही माना जा सकता है। फोरलेन और ब्रॉडगेज को लेकर न जाने कितने आंदोलन हुए, पर सांसदों ने इस दिशा में पहल करने का जतन नहीं किया। यह अलहदा बात है कि इसके पहले की सांसद रहीं श्रीमति नीता पटेरिया, राम नरेश त्रिपाठी, प्रहलाद पटेल आदि ने भी इस तरह का कोई प्रयास नहीं किया है।
अब लगने लगा है कि सिवनी लोकसभा का अवसान वाकई सिवनी के लिए दुखद ही है। लोकसभा में मतदान 10 अप्रैल को होना है और सिवनी में चुनाव का माहौल तक नहीं दिख रहा है। अब लग रहा है मानों सिवनी के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। यह बात दावे के साथ हम इसलिए भी कह सकते हैं, क्योंकि मीडिया को सरकारी स्तर पर जानकारी देने के लिए पाबंद जिला जनसंपर्क कार्यालय (जो यदा कदा एमसीएमसी से बनी मेल आईडी से भी जनसंपर्क विभाग की खबरें भेज रहा है) एवं एमसीएमसी ने भी सिवनी के मीडिया को बालाघाट संसदीय क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों से अवगत नही कराया है।
बालाघाट और मण्डला में प्रथम चरण में चुनाव संपन्न होने हैं। इसके लिए 15 मार्च को अधिसूचना जारी हो चुकी है। नाम निर्देशन जमा करने की अंतिम तिथि 22 मार्च भी निकल चुकी है। नॉमीनेशन की छंटाई और परीक्षण की तिथि 24 मार्च भी निकल चुकी है। नाम वापिसी की अंतिम तिथि 26 अपै्रल है, एवं मतदान 10 अपै्रल को है। यह जानकारी पाठकों को मीडिया के माध्यम से पूर्व में मिल चुकी होगी। इसको दोहराने की आवश्यक्ता इसलिए पड़ रही है कि बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्र में कब कितने नामांकन पत्र जारी हुए? कब कितने जमा हुए? अंतिम दिन क्या स्थिति रही? नाम वापिसी के समय तक क्या स्थिति रही? छंटाई के बाद क्या स्थिति बनी? इस बारे में जिला जनसंपर्क कार्यालय मौन ही है।
हो सकता है जिला जनसंपर्क कार्यालय को भी इसकी जानकारी न हो। हमारी निजि राय में यह आपसी सामंजस्य के अभाव के कारण उत्पन्न स्थिति ही है। सिवनी जिले की दो विधानसभा मण्डला संसदीय क्षेत्र का अंग हैं तो दो बालाघाट संसदीय क्षेत्र में आती हैं। क्या नामांकन दाखिल करने वालों के नामों को जानने का हक सिर्फ मण्डला और बालाघाट जिलों के निवासियों को ही इसलिए है कि उनके जिलों के नाम से संसदीय क्षेत्र का नाम है? बालाघाट और मण्डला के जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा इसकी सूचना बाकायदा जिला मुख्यालय के मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचाई गई पर सिवनी में मीडिया को इस तरह की जानकारी से महरूम रखना क्या उचित है?
हमारी निजि राय में होना यह चाहिए था कि जनसंपर्क विभाग द्वारा बालाघाट और मण्डला के जनसंपर्क कार्यालयों से को-ऑर्डिनेशन बनाकर वहां से सिर्फ और सिर्फचुनाव के संबंध में जारी होने वाली विज्ञप्तियों को ही मेल से बुलवाकर सिवनी के मीडिया में वितरित करवा दिया जाना चाहिए था, वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं। इस आधार पर हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सिवनी संसदीय क्षेत्र के अवसान का खामियाजा मीडिया और जनता को इसलिए भुगतना पड़ा क्योंकि वे मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचने वाली इन महत्वपूर्ण खबरों से अनभिज्ञ रही।
हो सकता है कि इस टिप्पणी के प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन हरकत में आए और नाम वापिसी के उपरांत की चुनावी तस्वीर को मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया जाए। पर अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो सिवनी जिले की जनता को चुनाव परिणाम के लिए भी बालाघाट से प्रकाशित होने वाले अथवा जिनका प्रसार बालाघाट में हो, उन समाचार पत्रों पर ही निर्भर रहना पड़े।
बहरहाल, सिवनी शहर में तो चुनावी माहौल में अपेक्षाकृत तेजी नहीं ही प्रतीत हो रही है। न तो जगह-जगह पार्टियों के बैनर पोस्टर्स ही दिख रहे हैं और न ही अन्य बड़ी गतिविधियां ही दिखाई दे रही हैं, हां, इक्का-दुक्का तस्वीरें और खबरें अवश्य ही मीडिया में आ रही हैं। चुनाव को लेकर भाजपा की ओर से मनोज मर्दन त्रिवेदी की विज्ञप्तियां तेजी से आ रहीं हैं पर कांग्रेस की तोपें शांत हैं। आलम देखकर यह कहा जा सकता है कि मौसम का मिज़ाज तो गर्म दिख रहा है पर चुनावी बिसात में ठण्डक पसरी हुई है. . .।

500 ग्राम की ‘निर्भीक‘ रिवाल्वर लांच


500 ग्राम की निर्भीकरिवाल्वर लांच

(प्रतीक कुमार)

कानपुर (साई)। निर्भया‘ के नाम पर विशेष रुप से महिलाओं के लिये बनाई गयी हल्की रिवाल्वर निर्भीकको आज लांच किया गया और पहली तीन रिवाल्वर महिलाओं को दी गयी जबकि बाकी सात रिवाल्वर पुरुषों को दी गयी है. इस रिवाल्वर को सादे समारोह में आयुध निर्माणी बोर्ड के चेयरमैन एम सी बंसल ने सबसे पहली तीन निर्भीकरिवाल्वर महिलाओं को दी गयी जिनमें लखनऊ की गीता यादव, बाराबंकी की कल्पना पांडे और दिल्ली की गीता खरबंदा शामिल थी. शेष सात रिवाल्वर पुरुषों को दी गयी. फील्ड गन फैक्टरी के जनरल मैनेजर अब्दुल हमीद ने को बताया कि देश के साथ विदेशों से मिल रही सराहना से हम बहुत उत्साहित है. अभी तक देश से फैक्टरी को इस रिवाल्वर के तीन दर्जन से अधिक आर्डर मिल चुके है जिन्हें अब नियमित रुप से बुकिंग के आधार पर दिया जायेगा.
दिल्ली के निर्भया गैंग रेप कांड के बाद निर्भया को समर्पित यह रिवाल्वर मात्र 500 ग्राम की है. फैक्टरी ने आज इसे महिलाओं को एक खूबसूरत गहनों के डिब्बे में सजा कर महिलाओं को दिया. फील्ड गन फैक्टरी के जनरल मैनेजर अब्दुल हमीद ने बताया कि बहुत दिनों से हल्की रिवाल्वर बनाये जाने की मांग आ रही थी जिसे महिलायें अपने पर्स में आसानी से रख सकें. दिल्ली में गैंग रेप का शिकार निर्भया का मामला सामने आने के बाद हमारे तकनीकी विशेषज्ञों ने इस पर तेजी से काम करना शुरु कर दिया और इस विशेष रिवाल्वर का निर्माण किया. इससे प्रेरित होकर ही इस रिवाल्वर का नाम निर्भीक रखा गया है.
उन्होंने बताया कि आम तौर पर प्वाइंट 32 बोर की रिवाल्वर का वजन 750 ग्राम के आसपास होता है लेकिन यह रिवाल्वर मात्रा 500 ग्राम की रखी गयी है. निर्भीक रिवाल्वर टाइटेनियम एलाय से बनी है और देखने में काफी आकर्षक है. यह वजन ओैर साइज में इतनी छोटी है कि महिलायें इसे आसानी से अपने हैंड बैग में रख सकती है और किसी मुसीबत आने पर अपनी रक्षा के लिये तुरंत इसका इस्तेमाल कर सकती है. इस रिवाल्वर को पुरुषों को भी बेचा जायेगा लेकिन महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेंगी और महिलाओं को आज इसे एक विशेष आर्कषक डिब्बे में रख कर दिया गया.
उन्होंने बताया कि यह रिवाल्वर एक बार में छह फायर कर सकती है. अभी तक 30 लोगो ने इसको खरीदने के लिये तीन दर्जन से अधिक लोगों ने इसकी बुकिंग कराई थी जिसमें से आज 10 लोगों को यह रिवाल्वर दे दी गयी. उन्होंने बताया कि इस रिवाल्वर के बारे में जानकारी मांगी जा रही है जिसमें अधिकतर महिलाएं ही इस बारे में पूछताछ कर रही है. निर्भीक को जिन महिलाओं ने पहले बुकिंग कराई है उन्हें पहले दिया जायेगा.

आज जारी होगा कांग्रेस का घोषणापत्र


आज जारी होगा कांग्रेस का घोषणापत्र

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 10 साल तक आर्थिक उदारीकरण की नीति का अनुसरण करने के बाद इस चुनाव में राहुल गांधी के केन्द्रीय भूमिका में आने के बाद कांग्रेस द्वारा अब मध्य मार्गी राजनीति के तहत कल्याणकारी उपायों पर विशेष ध्यान देने की उम्मीद है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में घोषणा पत्र जारी करेंगी। स्वास्थ्य सेवा एवं रोजगार को कानूनी अधिकार के दायरे में लाना इस घोषणा पत्र के मुख्य बिन्दु होंगे।
भ्रष्टाचार से निपटने का दृढ संकल्प, गरीबी रेखा के नीचे और मध्य वर्ग के बीच आने वाली 70 करोड़ की आबादी के उन्नयन, महिलाओं को शक्तिसम्पन्न बनाने और राजनीति में उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का वादा इस घोषणा पत्र की अन्य विशेषतायें हो सकती हैं। उदारीकरण के बाद के समय में सरकारी नौकरियों में आ रही कमी को ध्यान में रखते हुए घोषणा पत्र में रोजगार सृजन पर विशेष जोर दिये जाने की उम्मीद है।
सूत्रों ने कहा कि विभिन्न पक्षों के साथ हुई व्यापक चर्चा और विचार विमर्श के बाद तैयार घोषणा पत्र के मसौदे को एके एंटनी की अध्यक्षता वाली समिति की 16 मार्च को हुई बैठक में लगभग अंतिम रूप दे दिया गया। इसके बाद इसमें कुछ मामूली अतिरिक्त जानकारियां और शामिल की गईं। एंटनी के अलावा घोषणा पत्र समिति में पी. चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे, आनंद शर्मा, सलमान खुर्शीद, संदीप दीक्षित, अजीत जोगी, रेणुका चौधरी, पीएल पूनिया, मोहन गोपाल, जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह शामिल हैं ।
कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में महंगाई के मुद्दे का उल्लेख रहने और कालाबाजारी एवं जमाखोरी को रोकने के लिए कड़े उपाय का जिक्र होने की संभावना है। समझा जाता है कि कांग्रेस के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ ने निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अनिवार्य आरक्षण के संबंध में एक कानून बनाने की जोरदार वकालत की है। इस प्रकोष्ठ के प्रमुख के राजू हैं जो राहुल गांधी के करीबी सहयोगी हैं।
मध्यम वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे के वर्ग के बीच की श्रेणी में आने वाले 70 करोड़ लोगों को न्यूनतम वित्तीय सुरक्षा दिए जाने के मुद्दे पर राहुल गांधी के विचारों को भी पार्टी के चुनावी दस्तावेज में कुछ ठोस स्थान मिल सकता है। ऐसे समय जब शहरी मध्यम वर्ग का झुकाव भाजपा की ओर प्रतीत हो रहा है, पार्टी में एक राय यह भी है कि कारीगरों और कम आय वाले पेशेवर समूहों, घरेलू और प्रवासी श्रमिकों वाली आबादी का समर्थन पार्टी को मिल सकता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के ग्रामीण निर्धनों तक पहुंचने के लिए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम होने के बीच इस बार कांग्रेस की योजना देश भर में आम आदमी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को कानूनी रूप देने की है। पार्टी सूत्रों ने यह संकेत दिया कि समाज के विभिन्न वर्गों के लिए पार्टी का उप-घोषणा पत्र भी जारी हो सकता हैं। घोषणा पत्र का एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार का मुकाबला करने और कानूनी एवं न्यायिक सुधार के बारे में होगा। इसमें रोजगार सृजन, कौशल विकास, स्वास्थ्य सुविधायें कृषि, किसानों का कल्याण, ग्रामीण विकास, आवास, कमजोर वर्गोंऔर महिलाओं का सशक्तिकरण, शहरी विकास, परिवहन और ई-गवर्नेंस जैसे विषयों पर खास तौर पर चर्चा होगी।

बॉलीवुड में नहीं, सेना में जाना चाहती थीं नंदा


बॉलीवुड में नहीं, सेना में जाना चाहती थीं नंदा

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। अपनी रूमानी अदाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली नंदा का 25 मार्च की सुबह निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थीं। नंदा ने अपने फिल्मी करियर में 70 के करीब फिल्मों में काम किया।
साल 1972 में आई मनोज कुमार की फिल्म शोरबतौर अभिनेत्री नंदा की अंतिम हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने मनोज कुमार की पत्नी की भूमिका निभाई, जो अपने बच्चे को ट्रेन से बचाने के क्रम में अपनी जान से हाथ धो बैठती है। इस फिल्म में अपनी छोटी सी भूमिका में नंदा ने सिने दर्शकों का मन मोह लिया था।
शोरफिल्म में काम करने के बाद अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए नंदा ने फिल्मों में काम करना कुछ कम कर दिया। इस दौरान उनकी परिणीता‘, ‘प्रायश्चित‘, ‘कौन कातिल‘, ‘असलियतऔर नया नशाजैसी फिल्में आईं, लेकिन ये सभी फिल्में टिकट खिड़की पर सफल नहीं हुईँ। लगातार फिल्मों की असफलता को देखते हुए नंदा ने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया।
साल 1981 में नंदा ने आहिस्ता आहिस्तासे बतौर चरित्र अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री में दोबारा वापसी की। इस फिल्म में काम करने के बाद, उन्होंने राजकपूर की फिल्म प्रेमरोगऔर मजदूरमें अभिनय किया। वैसे, इसमें दिलचस्प बात है कि इन तीनो फिल्मों मे नंदा ने फिल्म अभिनेत्री पदमिनी कोल्हापुरे की मां का किरदार निभाया था।
नंदा ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में कई फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन दुर्भाग्य से किसी भी फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर से सम्मानित नहीं की गईं। हालांकि, साल 1960 में आई आंचलके लिये बतौर सहायक अभिनेत्री उन्हें फिल्मफेयर का अवॉर्ड दिया गया था। वह फिल्म भाभी‘ (1957), ‘आहिस्ता आहिस्ता‘ (1981) और प्रेमरोग‘ (1982) के लिये सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री और इत्तेफाक1969 के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए नामांकित की गईं।
नंदा ने लगभग चार दशक तक लोगों को मंत्रमुग्ध किया, लेकिन यह बात कम लोगों को ही पता होगी कि वह फिल्म अभिनेत्री न बनकर सेना में काम करना चाहती थीं। मुंबई में 08 जनवरी 1939 को जन्मी नंदा के घर में फिल्मी माहौल था। उनके पिता मास्टर विनायक मराठी रंगमंच के जाने-माने हास्य कलाकार थे। इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण भी किया था। नंदा के पिता चाहते थे कि वह अभिनेत्री बनें, लेकिन इसके बावजूद नंदा की अभिनय में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी।
नंदा महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित थीं और उनकी ही तरह सेना से जुड़कर देश की सेवा करना चाहती थीं। एक दिन का वाकया है कि जब नंदा पढ़ाई में व्यस्त थीं, तब उनकी मां ने उनके पास आकर कहा, ‘तुम्हें अपने बाल कटवाने होंगे, क्योंकि तुम्हारे पापा चाहते हैं कि तुम उनकी फिल्म में लड़के का किरदार निभाओ
मां की इस बात को सुनकर नंदा को काफी गुस्सा आया। पहले तो उन्होंने बाल कटवाने से साफ तौर से मना कर दिया, लेकिन मां के समझाने पर वह इस बात के लिये तैयार हो गईं। फिल्म के निर्माण के दौरान नंदा के सिर से पिता का साया उठ गया, साथ ही फिल्म भी अधूरी रह गई। धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। उनके घर की स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें अपना बंगला और कार बेचने के लिये विवश होना पड़ा।

दिग्गी को उम्मीद नहीं थी एमपी में भाजपा के जीतने की


दिग्गी को उम्मीद नहीं थी एमपी में भाजपा के जीतने की

(संतोष पारदसानी)

भोपाल (साई)। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को भोपाल में कहा कि राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं घोटालों जैसे कई मुद्दों के मद्देनजर मध्यप्रदेश में पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी का तीसरी बार लगातार सत्ता में आना उम्मीदों के उलट था।
भोपाल के कलेक्ट्रेट में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘मुझे यह समझने में बड़ी मुश्किल हो रही है कि मध्यप्रदेश में कई समस्याएं होने के बावजूद भी बीजेपी कैसे और क्यों विधानसभा चुनावों को जीतने में कामयाब रही।सिंह कलेक्ट्रेट में भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी पी. सी. शर्मा के साथ नामांकन पत्र भरवाने के लिए गए थे।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बीजेपी के शासन में भ्रष्टाचार व्याप्त है, व्यावसायिक परीक्षा मंडल में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है, और समाज का हर तबका विभिन्न प्रकार के समस्याओं से जूझ रहा है। सिंह ने बताया कि विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद कांग्रेस जोश में है, और लोकसभा चुनावों में बीजेपी का मजबूती से मुकाबला करने के लिए तैयार है। मध्यप्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 230 सीटों में से 165 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस केवल 58 सीट ही जीत पाई थी।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस बार विदिशा संसदीय सीट से सुषमा हार जाएंगी, क्योंकि उन्होंने पिछले पांच सालों में वहां कुछ भी नहीं किया। जब इस बात का जिक्र किया गया कि पूर्व बीजेपी नेता जसवंत सिंह ने कहा है कि बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दोनों ने ही उन्हें (जसवंत) धोखा दिया है, इस पर सिंह ने कहा कि जसवंत केवल अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं। इस सवाल पर कि क्या वह वाराणसी से लोकसभा चुनाव लडेंगे या नहीं, उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के केवल एक सिपाही हैं और पार्टी नेतृत्व फैसला लेगी कि उसे कहां से चुनाव लड़ना है या नहीं लड़ना है।

वडोदरा में मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार ने छोड़ा मैदान


वडोदरा में मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार ने छोड़ा मैदान

(जलपन पटेल)

वड़ोदरा (साई)। बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में जहां अरविंद केजरीवाल ने चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकी है, वहीं वडोदरा में उनके कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी ने हाथ खड़े कर दिए हैं! वडोदरा से कांग्रेस उम्मीदवार नरेंद्र रावत ने मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। रावत से पार्टी से मोदी के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट खडा़ करने की मांग की है।
आखिरी समय में नरेंद्र रावत के मैदान छोड़कर भागने से कांग्रेस के लिए अजीब स्थिति पैदा हो गई है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने वडोदरा से मोदी का सामना करने के लिए इस बार अपने घ्जिलाध्यक्ष नरेंद्र रावत को मैदान में उतारा था। पार्टी को भरोसा था कि रावत क्षेत्र में अपने अच्छे काम की बदौलत मोदी को टक्कर देने में कामयाब रहेंगे, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने हाथ खड़े कर दिए।
नरेंद्र रावत ने चुनाव मैदान से हटने के फैसले की जानकारी देते हुए बताया, ‘मैंने हाई कमान से मोदी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारने की गुजारिश की है। मैंने वडोदरा संसदीय क्षेत्र से अपना नामांकन वापस ले लिया है। मैं हाईकमान के हर फैसले का सम्मान करूंगा।

...तो सचिन से ज्यादा रिकॉर्ड बनाएंगे कोहली: कपिल


...तो सचिन से ज्यादा रिकॉर्ड बनाएंगे कोहली: कपिल

(मोदस्सिर कादरी)

नई दिल्ली (साई)। पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा कि भारतीय बल्लेबाजी के मुख्य सिरमौर विराट कोहली विश्व क्रिकेट में किसी अन्य क्रिकेटर से ज्यादा रिकॉर्ड अपने नाम करेंगे.
कपिल का मानना है कि अगर कोहली चोटों से मुक्त रहता है तो दिल्ली के इस बल्लेबाज के पास सचमुच सचिन तेंदुलकर के करियर ग्राफ से भी बेहतर करने का मौका है.
कपिल ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि कोहली किसी अन्य खिलाड़ी से ज्यादा रिकॉर्ड बनाएंगे. मैं तुलना नहीं करता. जैसे दूसरा डॉन ब्रैडमैन नहीं हो सकता, उसी तरह दूसरा सचिन तेंदुलकर नहीं हो सकता. लेकिन हां, कोहली में अपार प्रतिभा है, यह 24 वर्ष उम्र के खिलाड़ी को देखते हुए शानदार है और शायद वह तेंदुलकर के रिकॉर्ड से बेहतर कर सकता है. अगली पीढ़ी को पिछली पीढ़ी से बेहतर होना ही चाहिए.
55 वर्षीय कपिल प्रतिष्ठित लॉरेंस विश्व खेल पुरस्कार के एंबेसडर हैं, जो शुक्रवार यहां दिये जायेंगे. उन्होंने कहा, ‘कोहली ने दिखा दिया है कि उसमें किसी अन्य से ज्यादा काबिलियत और प्रतिभा है. अगर वह 32 या 34 साल तक इसी फिटनेस के साथ और बिना चोटों के खेलता है, तो वह उस जगह पहुंच सकता है जहां, न तो विवियन रिचर्ड्स और न ही सचिन तेंदुलकर के नाम कोई रिकॉर्ड हैं.

बीजेपी को नहीं दिख रहे आडवाणी, जोशी, टंडन, जसवंत के आंसू


बीजेपी को नहीं दिख रहे आडवाणी, जोशी, टंडन, जसवंत के आंसू

(सोनाली खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी को पूरा भरोसा है कि वो इस बार हर हालत में सत्ता में आ जायेगी। जो साल 2009 में वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी नहीं कर पाये हैं वो इस बार गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी कर पायेंगे और शायद इसीलिए उसे अपने वरिष्ठ नेताओं के आंसू नहीं दिख रहे हैं।
टिकट बंटवारे को लेकर जिस तरह से पिछले दिनों भाजपा में तूफान आया हुआ है उसे देखकर तो यही लगता है कि पार्टी का दारोमदार जिन लोगों के हाथ में है उन्हें ना तो वरिष्ठ नेताओं की चिंता है और ना ही उन्हें बुजुर्ग नेताओं के आंसू दिख रहे हैं और ना ही उनका दर्द महसूस हो रहा है। जिससे एक बात साबित होती है कि भाजपा किसी भी तरह चुनावों में जीत हासिल करना चाहती है और इसलिए वो सीनयर लोगों को अनदेखा करने से भी नहीं चूक रही है। उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है कि बुजुर्ग नेता पार्टी में रहे या ना रहें।
और शायद यही वजह है कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता अपनी नाराजगी छिपा नहीं रहे हैं और खुलकर अपना गुस्सा दिखा रहे हैं। आडवाणी, जोशी के बाद नाराजगी का नया संस्करण पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के रूप में सामने आया है। जसवंत सिंह राजस्थान के बाड़मेर से टिकट चाहते थे, लेकिन पार्टी ने वहां से किसी और को प्रत्याशी बनाया है जिसके बाद जसवंत सिंह ने भावुक होकर भाजपा को छोड़ देने तक की बात की है। जिसकी वजह से वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज भी काफी आहत हुई हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने पिछले दो-तीन महीनों से जिस तरह से पार्टी का प्रबंधन किया जा रहा है उस पर सवाल उठाया है। जसवंत ने कहा है, ‘असली मुकाबला असली भाजपा और नकली भाजपा के बीच है। मैं इसका फैसला नहीं करूंगा, लोग करेंगे।

भाजपा की प्राथमिकता सत्ता है या मोदी?


भाजपा की प्राथमिकता सत्ता है या मोदी?

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू (साई)। नरेन्द्र मोदी जब से प्रधानमंत्री  की रेस में शामिल हुए है तब से हंगामा सा बरपा हुआ है। हैरानी की बात तो यह है कि यह हंगामा न केवल पार्टी के बाहर है बल्कि भाजपा के अंदर भी है। हालात कुछ इस कदर गरमाएँ हुए हैं कि अब तो शंका होने लगी है कि कहीं भाजपा जो कि कांग्रेस मुक्त भारत का मिशन चला रही है वो मोदी के कारण भाजपा मुक्त भारत में न तब्दील हो जाए।
अभी तक अटल, आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी त्रिमूर्ति की तरह भाजपा का प्रतिनिधित्व करते आए हैं पर मौजुदा हालात में जो भाजपा की छवि है वो ऐसी लगती है जैसे भाजपा मतलब नरेन्द्र मोदी. आज पार्टी के अदंर बड़़ा बदलाव देखने को मिल रहा है कुछ ऐसा जिसने त्रिमूर्ति की अहमियत को कम कर दिया है।
आखिर बीजेपी को क्यों नहीं दिख रहे हैं आडवाणी, जोशी, टंडन और जसवंत के आंसू? खैर अटल जी तो पहले ही इस चुनावी रेस से बाहर है पर आडवाणी जी, जोशी जी या फिर बात हम जसवंत जी की ही क्यों न करें इनकी अहमियत में कमी साफ दिख रही है। अगर ऐसा न होता तो जसवंत सिंह जो कि अटल जी के शासन काल में एक कुशाग्र राजनेता के रुप में उभरे, जिन्होंने वाजपेयी युग में विदेश नीति और अर्थशास्त्र की नसों को बखुबी नियंत्रित किया, जिन्होंने अपने आप को भाजपा को पूर्ण रुप से समर्पित किया आज स्थिति ऐसी है कि उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट के लिए रोना पड़ रहा है।

बीसीसीआई अध्यंक्ष के इस्तीफे की मांग


बीसीसीआई अध्यंक्ष के इस्तीफे की मांग

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ठब्ब्प् अध्यिक्ष एन श्रीनिवासन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है।
पूर्व क्रिकेटर और खेल प्रशासकों के बाद अब बोर्ड के तीन वाइस प्रेसीडेंट ने भी कहा कि श्रीनिवासन को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। पांच बोर्ड मेंबर्स में तीन- शिवलाल यादव, रवि सावंत औऱ चित्रक मित्रा ने श्रीनिवासन से पद छोड़ने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में पेश जस्टिस मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट पर दूसरी सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि बीसीसीआई अध्योक्ष एन श्रीनिवासन को तुरंत इस्तीहफा दे देना चाहिए। उनके इस्तीफे के बिना मामले की निष्पटक्ष जांच संभव नहीं है। न्याइयालय ने सख्तन रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर वे इस्तीटफा नहीं देते है तो कोर्ट को आदेश देना पड़ेगा। कोर्ट ने श्रीनिवासन का इस्ती्फा दिए जाने तक बीसीसीआई के वकील की दलील सुनने तक से इनकार कर दिया।
जस्टिस मुकुल मुद्गल की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने यह बात कही। रिपोर्ट में गुरुनाथ मयप्पन को दोषी बताया गया है और बोर्ड के वकील इस पर अपना पक्ष रखेंगे। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मुकुल मुद्गल ने सुप्रीम कोर्ट को आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग से जुड़ी अपनी रिपोर्ट 10 फरवरी को सौंपी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई प्रमुख एम. श्रीनिवासन को दो दिन के भीतर अध्यसक्ष पद छोड़ने के लिए कहा है। मामले से जुड़े एक वकील (तस्वीनर में) ने मीडिया को बताया कि जज ने काफी तल्खह टिप्पजणी की। जज ने कहा कि आप बाहर की गंदगी साफ करना चाहते हैं, जबकि आपके अंदर ही गंदगी भरी पड़ी है। बिना इसे साफ किए बाहर की गंदगी कैसे साफ होगी?

मोदी के खिलाफ ठोंकी केजरीवाल ने ताल


मोदी के खिलाफ ठोंकी केजरीवाल ने ताल

(एस.के.त्रिवेदी)

वाराणसी (साई)। जैसा तय था आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
केजरीवाल ने मंगलावर को बेनियाबाग में आप की रैली को संबोधित करते हुए नाटकीय अंदाज में इसका ऐलान किया। इसके साथ ही उन्होंने मोदी को वाराणसी के बेनियाबाग मैदान में खुली बहस की चुनौती भी दे डाली। केजरीवाल ने कहा कि अगर मोदी बहस करने के लिए नहीं आते हैं तो इसका मतलब है कि दाल में कुछ काला है।

दो सवाल और हो गई रायशुमारी
अरविंद केजरीवाल ने मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला वाराणसी की जनता पर छोड़ा था। केजरीवाल की यह रायशुमारी भी नाटकीय रही। वाराणसी रैली में नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी पर सीधे और तीखे वार करने के बाद उन्होंने रैली में मौजूद लोगों से दो बार पूछा कि क्या मुझे वाराणसी से नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए? रैली में समर्थकों की हां के साथ ही केजरीवाल ने मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की ताल ठोक दी।

मोदी जीते तो जमीन भी जाएगी, जान भी
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी अगर विकास पुरुष होते तो मैं उनके साथ खड़ा हो जाता, लेकिन जो मैंने गुजरात में देखा उससे उनका विरोध करना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा, ‘मोदी ने गुजरात के किसानों की जमीनें छीन-छीन कर 1 रुपये मीटर के हिसाब से अडानी को दी हैं, अडानी मोदी के चाचा तो हैं नहीं। अगर वाराणसी के किसानों ने मोदी को वोट दिया तो आपकी जमीनें नहीं बचने वालीं। पिछले 10 साल में गुजरात में 5 हजार से ज्यादा किसान खुदकुशी कर चुके हैं। मैं वाराणसी के किसानों को यह बताने आया हूं कि मोदी को वोट दिया तो जमीन भी जाएगी और जान भी।

ईसी की रोक के बावजूद गैस कीमतों पर बोले
चुनाव आयोग ने एक अप्रैल से बढ़ाई जाने वाली गैस की कीमत पर रोक लगाने के साथ ही केजरीवाल को प्रचार के दौरान गैस मसला नहीं उठाने को कहा था, लेकिन उन्होंने एक बार फिर गैस कीमतों को लेकर मोदी, कांग्रेस और अंबानी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘1 अप्रैल से गैस के दाम बढ़ने वाले थे, लेकिन ।।च् के संघर्ष के कारण चुनाव आयोग ने इस पर दो महीने के लिए रोक लगा दी है। मुकेश अंबानी से 1 डॉलर की गैस 4 डॉलर में खरीदी जा रही है। अप्रैल से इसे 8 डॉलर में खरीदने का फैसला कर लिया गया। गुजरात के एक सीनियर अधिकारी ने मुझे बताया कि मोदी ने तो चिट्ठी लिखी है कि इस गैस के दाम 16 डॉलर होने चाहिए। मैं गृहिणियों से कहना चाहता हूं कि मोदी को वोट दिया तो इतनी महंगाई हो जाएगी कि आप सोच नहीं सकतीं।

एक-एक महीने की छुट्टी लेकर जुट जाएं
मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद केजरीवाल ने कहा कि मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं है, मैं एक-एक रुपया इकट्ठा करके चुनाव लड़ूंगा। मैं आपके पास पैसा मांगने आऊंगा। केजरीवाल ने सभी लोगों से एक-एक महीने की छुट्टी लेकर क्रांति के लिए जुट जाने को कहा।

बीजेपी कुछ भी करने को तैयार
इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी देश का पीएम बनने के लिए बेताब हैं और बीजेपी मिशन 272 के लिए कुछ भी करने को तैयार है। इसके लिए उसने महाराष्ट्र में एमएनएस और बिहार में एलजेपी से गठबंधन किया। हालांकि, केजरीवाल इस दौरान गलतबयानी कर गए। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी का एमएनएस से गठबंधन नहीं है।

राहुल, मोदी को हराओ
केजरीवाल ने वाराणसी रैली में कांग्रेस और बीजेपी को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यूपीए और एनडीए को हराने से देश में नई क्रांति होगी। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को चुनाव नें हरा दिया तो यूपीए और एनडीए हार जाएगी। केजरीवाल ने कहा, ‘आप यूपीए के शंहशाह राहुल गांधी और एनडीए के शहंशाह नरेंद्र मोदी को हराएंगे तो नई क्रांति आएगी। इस बार लोकसभा चुनाव दो संसदीय क्षेत्रों वाराणसी और अमेठी में होगा।

शादी नहीं करना करप्शन का पैमाना नहीं
केजरावील ने कहा, ‘मोदी कहते हैं कि उनकी शादी नहीं हुई, तो वह करप्शन किसके लिए करेंगे। महिलाएं कभी पति को करप्शन के लिए मजबूर नहीं करती हैं। मेरे पत्नी और बच्चों ने कभी मुझे गलत काम करने के लिए प्रेरित नहीं किया।

स्थायी सरकार नहीं बनेगी
आप के संयोजक ने कहा कि इस चुनाव में देश को स्थायी सरकार नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘मेरा मन कहता है कि अगर आपने इन दोनों को हरा दिया तो एक साल बाद फिर चुनाव होंगे और फिर स्थायी सरकार बनेगी।उन्होंने स्थायी सरकार के तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जनता को चुनाव में बड़ा मजा आता है।

मीडिया ने देश से की बड़ी गद्दारी
वाराणसी रैली में केजरीवाल ने एक बार फिर मीडिया पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘कुछ मीडिया वाले नरेंद्र मोदी जी के विकास का झूठा प्रचार कर रहे हैं। गुजरात के 26 जिलों में हमारी टीमें गईं। वहां का सच मैं आपको बताने आया हूं। इस देश के मीडिया के कुछ लोगों ने देश के साथ बहुत बड़ी गद्दारी की है। मोदी के विकास का झूठा प्रचार किया गया।

...तो क्या शास्त्री भी भगोड़ा थे?
 केजरीवाल ने कहा, ‘मैं सांसद बनने के लिए वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूं। अगर मुझे सत्ता का लोभ होता तो मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी क्यों छोड़ता?‘ दिल्ली की सत्ता छोड़ कर जिम्मेदारी से भागने के आरोप पर उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की चले तो वह लालबहादुर शास्त्री, श्रीराम, भरत को भी भगोड़ा कह दे। बीजेपी वालों को क्या पता त्याग और उसूलों की राजनीति क्या होती है?

भाड़े के लोगों ने स्याही फेंकी
वाराणसी में स्याही फेंके जाने की घटना पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी के भाड़े के लोगों ने हम पर काली स्याही फेंकी। उन्होंने कहा कि गुजरात में भी मोदी के लोगों ने हमें काले झंडे दिखाए और पत्थर फेंके, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस वालों ने कभी एक-दूसरे को काले झंडे नहीं दिखाए। केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस, बीजेपी मिले हुए हैं और आम आदमी पार्टी ने उनका रायता फैला दिया है।

गुजरात में विपक्ष नहीं
केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के लोगों को या तो खरीद लिया या फिर डरा दिया है, इसलिए गुजरात में मोदी 3 बार से जीत रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआईआर पर एक हो गए। मैंने मोदी जी को अंबानी के स्विस बैंकों के अकाउंट नंबर भेजे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।