रविवार, 10 जुलाई 2011

मंत्रीमण्डल विस्तार सोमवार को!

मंत्रीमण्डल विस्तार सोमवार को!

भूरिया की छुट्टी तय, साधो पा सकती हैं लाल बत्ती

सिंधिया की हो सकती है पदोन्नति

कमल नाथ पर लटक रही तलवार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। बहुप्रतिक्षित केंद्रीय मंत्रीमण्डल विस्तार सोमवार को शाम पांच बजे होने की उम्मीद है। कांग्रेस के प्रबंधकों की सहयोगी दलों से मुलाकात और प्राधानमंत्री एवं सोनिया गांधी की मुलाकात से सियासी फिजा में गर्माहट आ गई है। इस विस्तार में मध्य प्रदेश के प्रभावित होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा कम ही चेहरों को पदोन्नति मिल सकती है। साथ ही दर्जन भर मंत्रियों पर तलवार भी लटक रही है।

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष कंेद्र 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी के सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नेजा थामने वाले कांति लाल भूरिया को इस बार ड्राप किया जा रहा है। भूरिया मालवांचल से हैं इसी को बैलेंस करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी द्वारा राज्य सभा सदस्य विजय लक्ष्मी साधो का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। सूत्रों ने संकेत दिए कि राहुल गांधी की युवाओं को आगे लाने की सोच के चलते ज्यातिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं शहरी विकास मंत्री कमल नाथ पर आलाकमान की नजरें तिरछी हो गई हैं।

गौरतलब होगा कि पृथ्वीराज चव्हाण के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने, ममता के पश्चिम बंगाल के निजाम बनने और दयानिधि मारन के त्यागपत्र से रिक्त हुए विभागों का कार्यभार अन्य मंत्रियांे का अतिरिक्त तौर पर सौंपा गया है। जिन मंत्रियों की बिदाई तय मानी जा रही है, उनमें कंपनी मामलों के मंत्री मुरली देवड़ा, खान मंत्री बी.के.हांडिक और आदिवासी मामलों के मंत्री कांति लाल भूरिया प्रमुख हैं। भूरिया की लाल बत्ती बरकरार रखने के लिए महासचिव राजा दिग्विजय सिंह प्रयासरत हैं।

जिन मंत्रियोें का कद बढ़ सकता है उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, पेट्रोलियम मंत्री जतिन प्रसाद के नाम प्रमुखता से उभर कर आए हैं। उधर छत्तीसगढ़ कोटे से इस बार चरण दास महंत की लाटरी लग सकती है। इसके अलावा जिन मंत्रियों पर तलवार लटक रही है उनमें शहरी विकास मंत्री कमल नाथ, कृषि मंत्री शरद पवार, एचआरडी और संचार मंत्री कपिल सिब्बल, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, भारी उद्योग प्रफुल्ल पटेल, एस.एम.कृष्णा, पवन बंसल, फारूख अब्दुल्ला और पवन बंसल प्रमुख हैं। सूत्रों ने विस्तार सोमवार को शाम पांच बजे होने के संकेत दिए हैं।

सत्ता में कांग्रेस का नया गठजोड़ बनकर उभरा है मनमोहन और प्रणव मुखर्जी का साथ। कहा जा रहा है कि प्रणव मुखर्जी को उनके पसंदीदा विभाग के साथ ही उप प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। साथ ही गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम से नाराज प्रणव मुखर्जी उन्हें रूखसत करने पर तुले हैं तो इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे कमल नाथ, कपिल सिब्बल और कृष्णा को राहुल गांधी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

भूरिया के बूते नहीं उबरने वाली कांग्रेस

भूरिया के बूते नहीं उबरने वाली कांग्रेस

उखड़ चुके हैं कांग्रेस के मध्य प्रदेश में पैर

ताबूत की आखिरी कील थी 2003 का विधानसभा चुनाव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। गुटांे में बटी मध्य प्रदेश की कांग्रेस का सदमे से उबरना अब मुश्किल ही प्रतीत हो रहा है। 2003 के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस का जो सूपड़ा साफ हुआ है उस सदमे से आठ सालों के बाद भी कांग्रेस उबर नहीं सकी है। मध्य प्रदेश कोटे से केंद्र में मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया और अरूण यादव ने भी प्रदेश में कांग्रेस को जिलाने का प्रयास नहीं किया है।

2003 में राजा दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए ताबूत की आखिरी कील साबित होता जा रहा है। कांग्रेस ने इसके बाद जो आत्मविश्वास खोया वह न तो सुभाष यादव के नेतृत्व में और न ही सुरेश पचौरी के नेतृत्व में कांग्रेस को वापस मिल पाया। कांग्रेस के वर्तमान निजाम कांतिलाल भूरिया के कदमों को देखकर लगने लगा है कि कांग्रेस का रसातल से उबरना मुश्किल ही है।

आलम यह है कि अब तो उपचुनावों में ही कांग्रेस अपनी परंपरागत समझी जाने वाली सीटों को ही खोती जा रही है। जमुना बुआ द्वारा सींची गई धार जिले की सीट कांग्रेस के हाथों से फिसल गई। इसके बाद 15 साल से कांग्रेस के कब्जे वाली सोनकच्छ विधानसभा से उसे हाथ धोना पड़ा। धीरे धीरे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा का इकबाल बुलंद होता गया और भाजपा ने हेट्रिक लगाते हुए 18 साल से कांग्रेस के कब्जे वाली दमोह जिले की जबेरा सीट हथिया ली।
आंकड़ों की बाजीगरी के पुरोधा समझे जाने वाले मध्य प्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रपों द्वारा बार बार कांग्रेस की पराजय के बाद भी आलाकमान के सामने वोट का परसेंटेज बढ़ने की बात कहकर भरमाया जा रहा है। जमीनी हालातों से अनजान कांग्रेस आलाकमान को भी इस बात से कुछ लेना देना नहीं है कि कांग्रेस की सीटों में तेजी से कमी दर्ज की जा रही है।

2004 के बाद केंद्र में सत्ता की मलाई चखने वाले कमल नाथ, सिंधिया, भूरिया और अरूण यादव ने समूचे मध्य प्रदेश के बजाए अपने अपने संसदीय क्षेत्रों का भी भ्रमण ठीक तरीके से नहीं किया है। कांग्रेस के रसातल में जाने की खबर इन नेताओं को भली भांति है। सत्ता के मद में चूर इन नेताओं को इस बात की परवाह भी नहीं रही कि इनके समर्थकों की तादाद में भी तेजी से कमी आई है। जब इन्हें अपने समर्थकों की परवाह नहीं तो फिर भला कांग्रेस के बारे में ये क्यों सोचने लगे?

शीर्ष स्तर पर सब कुछ सामान्य नहीं है कांग्रेस में

शीर्ष स्तर पर सब कुछ सामान्य नहीं है कांग्रेस में

प्रणव सोनिया के बीच अनबन हो रही सार्वजनिक

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस में वर्तमान में शीर्ष स्तर पर सब कुछ सामान्य सा नहीं दिख रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के ट्रबल शूटर प्रणव मुखर्जी अब सोनिया के बजाए मनमोहन के लिए ज्यादा पाबंद दिखाई दे रहे हैं। प्रणव मुखर्जी के कार्यालय की जासूसी के मामले से प्रणव और सोनिया के बीच की खाई बढ़ती जा रही है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुखर्जी को शक है कि उनके कार्यालय की जासूसी सोनिया के इशारे पर ही संभव हो सकी है। सूत्रों ने कहा कि प्रणव मुखर्जी ने पहले एक गुप्चर एजेंसी के माध्यम से पूरे मामले की तहकीकात करवाई और जब इस मामले की गंभीरता उनके सामने आई तब उन्होंने इसकी शिकायत प्रधान मंत्री से की।

अब भले ही प्रणव मुखर्जी यह कह रहे हों कि वे आईबी की जांच से संतुष्ट हैं किन्तु उनके मन में यह बात घर कर गई है कि उनकी जासूसी करवाने वाली ताकत कांग्रेस की प्रमुख रणनीतिकार दल में ही है। प्रणव को इस बात की चिंता भी सता रही है कि एक अगस्त से आहूत संसद के मानसून सत्र में अन्य मामलों के साथ जासूसी मुद्दा भी गरमाएगा।

प्रणव के बाद सोनिया की कोटरी में उनका स्थान लेने के लिए मची होड़ में अब कांग्रेस के आलंबरदार सोनिया और प्रणव के बीच की दूरी को बढ़़ाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस के अंदर खाते से आ रही खबरों के अनुसार जासूसी सहित अन्य मामलों से नाराज प्रणव मुखर्जी ने अब प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का पाला थाम लिया है, जिससे अब सत्ता और संगठन आमने सामने आ गए हैं।

मनरेगा में भ्रष्टतम है मध्य प्रदेश

मनरेगा में भ्रष्टतम है मध्य प्रदेश

पांच सालों से नहीं की विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की बैठक

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार की गूंज के बीच देश का हृदय प्रदेश इसका सरताज बनता जा रहा है। मध्य प्रदेश सहित बिहार, पंजाब, गुजरात, झारखण्ड, उत्तराखंड जैसे राज्यों मंे पिछले पांच सालों से मनरेगा के लिए सूबाई और जिला स्तर पर बनी विजलेंस मानीटरिंग सिमितियों की एक भी बैठक न होने से भ्रष्टाचार फलने फूलने के मार्ग प्रशस्त होते जा रहे हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने मनरेगा के अस्तित्व में आने के साथ ही इसके कार्यों की निगरानी के लिए एक विजलेंस मानीटरिंग कमेटी का गठन किया था। इसके गठन के पीछे यह उद्देश्य था कि जिला कलेक्टर्स द्वारा नियमित तौर पर मनरेगा के नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं से सरकार को आवगत करवाया जाए, ताकि इसमें वांछित सुधार किया जा सके। ग्रामीण विकास विभाग के सूत्रों का कहना है कि खराब प्रदर्शन करने वाले कलेक्टर्स को दंडित करने का प्रावधान भी किया गया है।

विभाग ने इस साल अप्रेल तक विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की बैठकों के बारे में पांच साल का पूरा ब्योरा प्रस्तुत किया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। इसके मुताबिक महाराष्ट्र ने महज 9, राजस्थान एवं यूपी ने 3 3, छत्तीसगढ़ ने दो ही बैठकों का आयोजन किया है। विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि पिछले पांच सालों में देश में कम से कम 330 बैठकों का आयोजन किया जाना था, जिनमें से महज 56 बैठकें ही आहूत हो सकी हैं।

गौरतलब होगा कि मनरेगा के नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य स्तर पर इसकी साल में कम से कम दो और जिला स्तर पर कम से कम चार बैठकें आयोजित करना अनिवार्य है। इसमें सांसदों और विधायकों को शरीक करवाने का दायित्व भी जिला कलेक्टर्स के कांधों पर ही डाला गया है। सूत्रों का कहना है कि विभाग का मानना है कि विजलेंस मानीटरिंग समिति की बैठक न होना ही इसमें भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण है।

विलासराव के घर की शान बनंेगी जेनेलिया

विलासराव के घर की शान बनंेगी जेनेलिया

जल्द हो सकत है रीतेश से डिसूजा का विवाह

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख के घर जल्द ही शहनाई बजने वाली है। वालीवुड में चल रही बयार के अनुसार उनके बेटे और सिने स्टार रीतेश देशमुख और सिने तारिका जेनेलिया डिसूजा परिणय सूत्र में आबद्ध होने वाले हैं। वैसे भी रीतेश और जेनेलिया के बीच रोमांस की खबरें वालीवुड में छाई हुई हैं। जेनेलिया ने अपना फिल्मी केरियर तुझे मेरी कसमसे आरंभ किया था। इसके बाद उन्हें जाने तू या जाने नलाईफ पार्टनर, मेरे बाप पहले आप से काफी शोहरत मिली।

‘हाय हाय‘ नहीं सरकारी दफ्तर मंे चलेगी कलम

हाय हायनहीं सरकारी दफ्तर मंे चलेगी कलम

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। खुशी के मौकों पर घरों में ताली बजाकर हाय हायकरने वाले किन्नरों को अब सरकारी कार्यालयों में नौकरी मिल सकती है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायायल ने एक फैसले में किन्नरों के सरकारी नौकर बनने के रास्ते साफ कर दिए हैं। न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया है कि पंजाब सरकार की तरह वह भी किन्नरों को नौकरी पर रखने पर विचार अवश्य करे।

पंजाब की किन्नर काजल द्वारा दायर परिवार पर फैसला सुनाते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश आदर्श कुमार गोयल और अजय कुमार मित्तल की खण्डपीठ ने कहा कि किन्नर सरकारी नौकरी के योग्य हैं। केंद्र ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए साफ किया था कि नपुंसकता को विकलांगता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। वहीं पंजाब सरकार का कहना था कि नौकरियों में पुरूष और महिला के साथ ही साथ ट्रांसजेंडर का कालम भी रखा जाएगा।