मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

भाजपा की नजरें हैं जनरल पर!
 
जनरल सिंह को सुषमा दे रहीं पुराने संबंधों की दुहाई

(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली (साई)। सेना के विवादित जनरल वी.के.सिंह पर भारतीय जनता पार्टी ने डोरे डालने आरंभ कर दिए हैं। जनरल की कथित साफगोई के कारण बढ़ी वी.के.सिंह की टीआरपी को भुनाने के लिए भाजपा आतुर ही दिख रही है। भाजपा ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को इसके लिए पाबंद किया है कि वे जनरल के साथ सामंजस्य स्थापित कर उन्हें भाजपा के हिसाब से ढालने का प्रयास करें।
लोस में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज के किचिन से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो जनरल की पुत्री और पत्नि ने कई बार सुषमा स्वराज से उनके निवास पर जाकर घंटों बिताए हैं। इस चर्चा का मसौदा क्या था यह तो सुषमा जाने या जनरल के परिजन पर दोनों के इस तरह एक दूसरे से मिलने पर सियासत गर्मा गई है।
सूत्रों ने आगे कहा कि जनरल वी.के.सिंह के ससुर जब हरियाणा विधान सभा में विधानसभा उपाध्यक्ष थे, उस वक्त सुषमा स्वराज देवी लाल सरकार में राज्य मंत्री की हैसियत से काम कर रही थीं। बताते हैं कि उस वक्त दोनों ही परिवारों के बीच गहरी छनती थी। उस दर्मयान सुषमा का जनरल के ससुर के घर खासा आना जाना था।
कहा जा रहा है कि जनरल वी.के.सिंह की ईमानदार छवि ही उनके लिए सबसे बड़ा अस्त्र साबित हो रही है। सरकार की किरकिरी करवाने के बाद भी कांग्रेस नीत संप्रग सरकार को जनरल सिंह के खिलाफ ना तो आय से अधिक संपत्ति का मामला मिल पाया और ना ही कोई अन्य मामला जिसमें सरकार द्वारा जनरल को घेरा जा सकता।
उधर, भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय 11, अशोक रोड़ में एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि भाजपा के निजाम नितिन गड़करी को जनरल वी.के.सिंह की लोकप्रियता में कुछ दिखाई दे रहा है। जनरल को सेवानिवृत्ति के उपरांत अगले आम चुनावों में भाजपा वी.के.सिंह को हरियाणा के भिवानी संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतार सकती है।

भारत ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने की कवायद

भारत ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने की कवायद 
(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारत और ब्रिटेन ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष-आईएमएफ में कोटा तय करने और प्रशासनिक सुधारों की वकालत की है। नयी दिल्ली में पांचवीं मंत्री स्तरीय भारत-ब्रिटेन आर्थिक वित्तीय वार्ता के दौरान ब्रिटेन के वित्त मंत्री जॉर्ज ऑसबॉर्न और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि आईएमएफ के कोष में पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए ताकि वह वैश्विक आर्थिक समस्याओं को कम करने में सार्थक भूमिका निभा सके।
वार्ता में दोनों पक्षों का यह मत था कि आपसी सहमति से तय समय सीमा के अन्दर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कोटा तय होना चाहिए और प्रशासनिक सुधार लागू किए जाने चाहिए। श्री मुखर्जी और श्री ऑसबॉर्न इस बात पर एकमत थे कि हाल के महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर होने के बावजूद विकास दर कम ही रहेगी और उसे कई खतरों का सामना करना पड़ेगा। वक्तव्य में कहा गया कि दोनों देश अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने, वित्तीय स्थिरता और विश्वास बहाली की दिशा में भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध हैं।
भारत और ब्रिटेन ने जी-२० देशों से स्वीकृत समय सारिणी के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तर्कसंगत और बिना भेदभाव के वित्तीय नियामक सुधार योजना पर अमल की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प भी व्यक्त किया। उन्होंने माना कि कर संबंधी मामलों में परस्पर प्रशासनिक सहायता के बारे में बहुपक्षीय समझौते पर अन्य देशों को हस्ताक्षर करने चाहिए और कर अदायगी में सुधार तथा कर चोरी रोकने के लिए कानूनी रूप से आवश्यक जानकारी का अपने-आप आदान-प्रदान होना चाहिए। दोनों देश अपने संकल्पों के पालन के लिए पूरे वर्ष एक साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए । भारत और ब्रिटेन के आपसी संबंधों के बारे में चर्चा करते हुए श्री मुखर्जी ने इस बैठक को उपयोगी बताया।
वित्त मंत्री ने कहा कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में चांस्लर ऑफ एक्सचेकर की व्यापक समझ के साथ ही भारत और ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत करने के हमारे प्रयासों के लिए उनके समर्थन की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत काफी लाभकारी और उपयोगी रही। इस अवसर पर श्री ऑस्बार्न ने दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार बढ़ाने की बात कही।

अवैध खनन पर सुको की रोक

अवैध खनन पर सुको की रोक 
(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा सरकार को राज्य के मेवात जिले के विभिन्न गांवों में सभी प्रकार की अवैध खनन गतिविधियां बंद करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और सी के प्रसाद की विशेष वन पीठ ने केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति-सीईसी की रिपोर्ट के आधार पर कल मेवात के कोटा, गनगनी, सराय मोहम्मदपुर और खड़ग जलालपुर गांवों में खनन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
इस रिपोर्ट में इन इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की बात कही गई है। उच्चतम न्यायालय ने खनन कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हुए माफिया द्वारा अवैध खनिजों के लाने ले जाने और उसका चूरा बनाने पर भी रोक लगा दी है। इसके अलावा खंडपीठ ने मेवात के जिला कलैक्टर, पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त समेत हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किये और उनसे सीईसी रिपोर्ट का जवाब देने को कहा।
उधर, सरकारी सूत्रों ने कहा कि केन्द्र ने महत्वाकांक्षी पेयजल योजना को और बढ़ावा देने के लिए आठ राज्यों को अतिरिक्त राशि आवंटित की है। ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने की योजना को सफलतापूर्वक लागू करने वाले ये राज्य हैं-तमिलनाडु, गुजरात, अरूणाचल प्रदेश, पंजाब, असम, मेघायल, त्रिपुरा और हरियाणा। इन राज्यों ने पिछले वर्ष दिसम्बर तक राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत साठ प्रतिशत से अधिक राशि का इस्तेमाल किया है। कल नई दिल्ली में इसकी घोषणा करते हुए पेयजल और स्वच्छता मंत्री जयराम रमेश ने आशा व्यक्त की कि राज्य सरकारें इस अतिरिक्त राशि का इस्तेमाल उन इलाकों में कार्यक्रम का दायरा बढ़ाने में करेंगी जहां पेयजल आपूर्ति की समस्या है।

नहीं होगी साईकल रिक्शा की संख्या सीमित

नहीं होगी साईकल रिक्शा की संख्या सीमित 
(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रही साइकिल रिक्शा की संख्या सीमित करने का अनुरोध नामंजूर कर दिया है। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने कल दिल्ली नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें न्यायालय से राजधानी की सड़कों पर ९९ हजार से अधिक रिक्शा न चलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। खण्डपीठ ने इस बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि इस पर किसी तरह की सीमा नहीं लगाई जा सकती क्योंकि यह रिक्शा चालकों की आजीविका के मौलिक अधिकार का हनन होगा।

ठेकेदार बाबा का निर्मल दरबार

ठेकेदार बाबा का निर्मल दरबार

(धीरज भारद्वाज)

नई दिल्ली (साई)। निर्मल दरबार लगा कर लोगों की हर समस्घ्या का आसान समाधान बताने वाले निर्मल बाबा को हर रोज चढ़ावे के तौर पर कितने पैसे मिलते हैं? हर दिन टीवी पर दिख कर दर्शकों और लोगों पर शक्तियों की कृपा बरपाने वाले बाबा जी को किसी ने अन्य बाबाओं की तरह चढ़ावा या पैसा लेकर पैर छूने के लिए मिलते नहीं देखा, लेकिन फिर भी उन्हें हर रोज़ करोड़ों रुपए मिल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बाबा जी की इस मोटी कमाई का एक बड़ा हिस्सा मीडिया को भी मिल रहा है।
हाल ही में अचानक निर्मल बाबा के भक्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अगर इंटरनेट पर ही बाबा जी की वेबसाइट की लोकप्रियता का आकलन किया जाए तो पता चलता है कि एक साल में इसे देखने वालों की संख्या में 400 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। टीवी चौनलों पर उनके कार्यक्रम के दर्शकों की संख्या में भी भारी इज़ाफा हुआ है। हालांकि उनके समागम का प्रसारण देश विदेश के 35 से भी अधिक चौनलों पर होता है जिन्हें खासी लोकप्रियता भी मिल रही है, लेकिन उनके बीच कोई ब्रेक या विज्ञापन नहीं होता। न्यूज़ 24 पर पिछले हफ्ते उनके कार्यक्रम की लोकप्रियता 52 प्रतिशत रही जो शायद चौनल के किसी भी बुलेटिन या शो को नहीं मिल पाई है।
चौनलों को इन प्रसारणों के लिए मोटी कीमत भी मिल रही है जिसका नतीजा है कि उन्होंने अपने सिद्धांतों और क़ायद-क़ानूनों को भी ताक पर रख दिया है। नेटवर्क 18 ने तो बाबा के समागम का प्रसारण अपने खबरिया चौनलों के साथ-साथ हिस्ट्री चौनल पर भी चलवा रखा है। खबर है कि इन सब के लिए नेटवर्क 18 की झोली में हर साल करोड़ रुपए से भी ज्यादा बाबा के ‘आशीर्वाद’ के तौर पर पहुंच रहे हैं। कमोवेश हरेक छोटे-बड़े चौनल को उसकी हैसियत और पहुंच के हिसाब से तकरीबन 25,000 से 2,50,000 रुपए के बीच प्रति एपिसोड तक।
अब जरा देखा जाए कि चढ़ावा नहीं लेने वाले निर्मल बाबा के पास इतनी बड़ी रकम आती कहां से है? महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू रहे निर्मल बाबा हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी ‘कृपा’ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस ‘निर्मल दरबार’ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की ‘गारंटी’ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत 2000 रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। अगर एक समागम मे 20 हजार लोग (अमूमन इससे ज्यादा लोग मौज़ूद होते हैं) भी आते हैं तो उनके द्वार जमा की गई राशि 4 करोड़ रुपये बैठती है।
ये समागम हर दूसरे दिन किसी इनडोर स्टेडियम में होता है और अगर महीने में 15 ऐसे समागम भी होते हों, तो बाबा जी को कम से कम 60 करोड़ रुपये का प्रवेश शुल्क मिल चुका होता है। बाबा जी को सिर्फ स्टेडियम का किराया, सुरक्षा इंतजाम और ऑडियो विजुअल सिस्टम पर खर्च करना पड़ता है जो कि महज़ कुछ हज़ार रुपय़े होते हैं। समागम कुछ ही घंटो का होता है जिसमें बाबा जी अपनी बात कहते कम और सुनते ज्यादा हैं। महज़ कुछ घंटे आने और कृपा बरसाने के लिए करोड़ों रुपये कमा लेने वाले बाबा जी अपना कार्यक्रम अधिकतर दिल्ली में ही रखते हैं जहां सारी सुविधाएं कम खर्चे में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
इस मोटी कमाई में एक छोटा, लेकिन अहम हिस्सा उस मीडिया को भी जाता है जिसने बाबा जी को इतनी शोहरत दी है। हालांकि अब कुछ अनचाहे हिस्सेदार भी मिलने लगे हैं। पिछले महीने निर्मल बाबा को एक ‘भक्त’ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस तक की मदद लेनी पड़ी। लुधियाना के रहने वाले इंद्रजीत आनंद ने अपने परिवार के साथ मिल कर जालसाज़ी से बाबा जी को भेजे जाने वाले पैसे में से 1.7 करोड़ रुपये अपने और अपने परिवार के खाते में डलवा लिए। पुलिस ने बताया कि निर्मल बाबा ने बैंक को शिकायत दी थी। बैंक ने जांच की, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया।
उनके भक्त अपनी समस्या सुलझाने के लिए सवाल तो करते ही हैं, उन पर पिछले दिनों बरसी कृपा का गुनगान भी करते है। टीवी चौनलों पर उनके भाव विह्वल होकर सुनाए गए अनुभवों का प्रसारण भी किया जाता है जिसमें उसके सभी कष्टों के निवारण का विवरण होता है। लोगों को कार्यक्रम का यही हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है दरबार में आने के लिए। निर्मल बाबा की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें चर्चा में ला दिया है। ट्विटर पर उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या करी 40 हजार हो चुकी है। रहे हैं। फेसबुक पर निर्मल बाबा के प्रशंसकों का पेज है, जिसे 3 लाख लोग पसंद करते हैं। इस पेज पर निर्मल बाबा के टीवी कार्यक्रमों का समय और उनकी तारीफ से जुड़ी टिप्पणियां हैं।
लेकिन सभी लोग निर्मल बाबा के प्रशंसक नहीं हैं। फेसबुक पर कई लोग उन पर और उनके दावों पर संदेह भी जता रहे हैं। किसी ने उन्हें ‘फ्रॉड’ बताया है तो कोई ‘पैसे हजम करने वाला’। एक शख्स ने तो लिखा है, ‘बाबा बहुत चालाक आदमी है३ आपको हाथ दिखाएगा तो आप पर ऊपर वाले की कृपा हो जाएगी३सिर्फ टीवी देखने से भी भला होता है?’ एक दूसरे व्यक्ति ने लिखा हैरू ‘महाठग जो बुद्धू लोगों को चूना लगा रहा है और लोग हंस रहे है..पता नहीं लोग कब समझेंगे भगवान और आदमी का फर्क..?’
निर्मल बाबा के जीवन या उनकी पृष्ठभूमि के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। उनकी आधिकारिक वेबसाइट निर्मलबाबा.कॉम पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस वेबसाइट पर उनके कार्यक्रमों, उनके समागम में हिस्सा लेने के तरीकों के बारे में बताया गया है और उनसे जुड़ी प्रचार प्रसार की सामग्री उपलब्ध है। झारखंड के एक अखबार के संपादक ने फेसबुक पर निर्मल बाबा की तस्वीर के साथ यह टिप्पणी की है, ‘ये निर्मल बाबा हैं। पहली बार टीवी पर उन्हें देखा। भक्तों की बात भी सुनी। पता चला..यह विज्ञापन है. आखिर बाबाओं को विज्ञापन देने की जरूरत क्यों पड़ती है? सुनने में आया है३ये बाबा पहले डाल्टनगंज (झारखंड) में ठेकेदारी करते थे?’
लेकिन एक दूसरी वेबसाइट निर्मलबाबा.नेट.इन उनके बारे में कई दावे किए गए हैं। वेबसाइट के मुताबिक निर्मल बाबा आध्यात्मिक गुरु हैं और भारत में वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इस वेबसाइट पर उन्हें दैवीय इंसान बताया गया है। उनकी शान में कसीदे गढ़ते हुए बताया गया है कि किसी भी इंसान का सबसे बड़ा गुण ‘देना’ होता है और निर्मल बाबा लंबे समय से लोगों को खुशियां दे रहे हैं। वेबसाइट का दावा है कि बाबा के पास छठी इंद्रिय (सिक्स्थ सेंस) भी है जिससे मनुष्य को भविष्य में होने वाली घटना के बारे में पहले से ही पता चल जाता है। ग़ौरतलब है कि उनके समागम का शीर्षक ही ‘थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा’ होता है।
हालांकि, निर्मलबाबा.कॉम में बताया गया है कि निर्मलबाबा.नेट.इन एक फर्जी वेबसाइट है, लेकिन इसमें बाबा की तारीफ़ ही छपी है। वेबसाइट के अनुसार, ‘बाबा नई दिल्ली में रहने वाले आध्यात्मिक गुरु हैं। वेबसाइट के मुताबिक वे 10 साल पहले साधारण व्यक्ति थे, लेकिन बाद में उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण से अपने भीतर अद्वितीय शक्तियों का विकास किया। ध्यान के बल पर वह ट्रांस (भौतिक संसार से परे किसी और दुनिया में) में चले जाते हैं। ऐसा करने पर वह ईश्वर से मार्गदर्शन ग्रहण करते हैं, जिससे उन्हें लोगों के दुख दूर करने में मदद मिलती है।
उनकी इस साईट के मुताबिक निर्मल बाबा के पास मुश्किलों का इलाज करने की शक्ति है। वे किसी भी मनुष्य के बारे में टेलीफोन पर बात करके पूरी जानकारी दे सकते हैं। यहां तक कि सिर्फ फोन पर बात करके वह किसी भी व्यक्ति की आलमारी में क्या रखा है, बता सकते हैं। उनकी रहस्मय शक्ति ने कई लोगों को कष्ट से मुक्ति दिलाई है।’ निर्मल बाबा के बारे में जानने के लिए उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो नंबर लगातार व्यस्त रहे।
निर्मल बाबा के दावों पर कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं। इंडीजॉब्स. हबपेजेस.कॉम वेबसाइट पर निर्मल बाबा की कार्यशैली और दावों पर कुछ सवाल उठाए गए थे, लेकिन बाद में डिलीट कर दिए गए। हबपेजेस.कॉम पर कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के आर्टिकल प्रकाशित कर सकता है। इस वेबसाइट पर दावा किया गया है कि ऐसे आर्टिकल प्रकाशित करने पर क्लिक के आधार पर वह पैसे भी कमा सकता है।
इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख ‘इज निर्मल बाबा अ फ्रॉड’ में कहा गया था कि उनके इतिहास के बारे में बेहद कम जानकारी उपलब्ध है। वेबसाइट के मुताबिक, ‘वे वर्तमान में समागम के अलावा क्या करते हैं और अपने भक्तों से मिलने वाली करोड़ों रुपये की राशि से वे क्या कर रहे हैं, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। अगर प्रकृति ने उन्हें दैवीय शक्ति दी है, तो वे लोगों से पैसे लेकर क्यों उनका भला कर रहे हैं? हालांकि अब ये पेज उपलब्ध नहीं है। लेख में लिखा था ‘अगर आपके पास पैसे नहीं हैं, तो निर्मल बाबा आपका चेहरा तक नहीं देखेंगे।’

(धीरज भारद्वाज मीडियादरबार.कॉम के संचालक हैं)

निरंकुश है मीडिया, नकारा है प्रेस परिषद

निरंकुश है मीडिया, नकारा है प्रेस परिषद 
(ब्यूरो)
 
नई दिल्ली (साई)। टीम अन्ना के एक सदस्य अरविन्द केजरीवाल अगर राजीतिक दलों पर निशाना साध रहे हैं तो दूसरे महत्वपूर्ण सदस्य वरिष्ठ अधिवक्त प्रशांत भूषण मीडिया को निशाना बना रहे हैं। इन दिनों वे जहां जा रहे हैं मीडिया पर निगाह रखने की बात उठा रहे हैं। एक दिन पहले केरल में उन्होंने जो बातें कही थी, एक दिन बाद दिल्ली में एक मीडिया कार्यशाला में बोलते हुए उन्होंने फिर दोहराई कि मीडिया पर निगाह रखने की जरूरत है और इसके लिए प्रेस परिषद जैसी संस्थाएं नकारा साबित हो गई हैं इसलिए नागरिकों की स्वतंत्र संस्था बननी चाहिए।
प्रशांत भूशण कहते हैं कि मीडिया सभी पर निगाह रखती है, लेकिन अब जरूरत है कि मीडिया पर निगाह रखने के लिए नागरिकों की स्वतंत्र संस्था बने, जो पूरी तरह से स्वतंत्र रहे। उन्होंने कहा कि प्रेस काउंसिल जैसी संस्थाएं पूरी तरह से नकारा साबित हो गई हैं। जरूरत है कि नागरिक समाज की तरफ से ऐसी संस्था बने जो मीडिया के कामकाज और उसकी खबरों पर नजर रख सके। इस संस्था को कड़े कदम उठाने के अधिकार भी होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन कई बार वहां छपने वाली खबरें पूरी तरह से गलत और मनगढंत होती हैं। आतंकवाद के मामले में ऐसा कई बार हुआ है जब पुलिस के वर्जन को ही खबर बनाकर पेश किया जाता है। मीडिया में आतंकवादी करार दिये जाने के बाद कई ऐसे मुस्लिम युवाओं को अदालतों ने निर्दाेष करार दिया जिन्हें मीडिया आतंकवादी घोषित कर चुका था। प्रशांत भूशण ने मीडिया में और मीडिया पर शोध की जरूरत बताई।
श्री भूषण नई दिल्ली के दयाल सिंह कालेज में मीडिया स्टडीज ग्रुप द्वारा प्रकाशित जन मीडिया और मास मीडिया के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। मासिक पत्रिका ‘जनपक्ष’ के संपादक चारू तिवारी ने उत्तराखंड के आंदोलनों का हवाला देते हुए कहा कि संस्करणों के प्रचलन से पहले उत्तराखंड में छोटे अखबार आंदोलनों की आवाज हुआ करते थे। पहाड़ों में चले शराबबंदी और पेड़ बचाओ आंदोलनों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उस समय अखबारों ने लोगों को जोड़ने का काम किया। चारू तिवारी ने  आज के अखबारों की चर्चा करते हुए कहा कि अबके अखबारों ने लोगों को बांटा है। अलग-अलग संस्करणों के होने से एक जगह की खबर दूसरे जगह नहीं पहुंच पाती। भारतीय जन संचार संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर आनंद प्रधान ने कहा कि अभी तक मीडिया में शोध का जो प्रचलन रहा है वो बाजार केंद्रीत रहा है। टैम और रीडरषिप सर्वे अखबारों के लिए बाजार पैदा करने की जरूरत के चलते होते हैं। उन्होंने गैस, परमाणु उर्जा के लिए मीडिया लॉबिंग का हवाला देते हुए कहा कि इन सब को उजागर करने के लिए मीडिया पर शोध की सख्त जरूरत है।
दैनिक भास्कर के समूह संपादक रहे श्रवण गर्ग ने मीडिया पर दलाली और बाजारू होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पत्रकारों के पास खबर की पुष्टि करने के लिए इतना समय नहीं होता। उन्होंने संस्करणों का बचाव करते हुए कहा कि अगर हर जगह की खबरों को एक ही अखबार में शामिल करेंगे तो 200 पेजों का अखबार निकालना होगा। उन्होंने कहा कि अखबार पूंजीपति या सरकार ही निकाल सकते हैं, सिविल सोसायटी अखबार नहीं चला सकती।
इससे पहले शोध जर्नल का परिचय कराते हुए इसके संपादक अनिल चमड़िया ने कहा कि हमने भारतीय भाषाओं में शोध को उभारने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि संस्करणों का समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है जिस पर गंभीर शोध की आवश्यकता है। परिचर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार जसपाल सिंह सिद्धू ने किया। इस परिचर्चा में कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्रों ने हिस्सा लिया।

(साभार विस्फोट डॉट काम)