पलनिअप्पम की नजरें
वित्त मंत्रालय पर!
(सुमित माहेश्वरी)
नई दिल्ली (साई)।
गृह मंत्रालय में एक के बाद एक असफलता के बाद अब गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम का
दिल गृह मंत्रालय से उबता दिख रहा है। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के
कारण उनके वित्त मंत्री की कुर्सी खाली हो गई है। कहा जा रहा है कि इस पद के लिए
पी चिदंबरम का दावा सबसे मजबूत है।
प्रधानमंत्री ने
स्पेक्ट्रम पर फैसला करने के लिए ईजीओएम का जिम्मा गृह मंत्री चिदंबरम को सौंपकर
संकेत दे दिया है कि वित्त मंत्रालय के लिए उनका दावा सबसे मजबूत है। कांग्रेस का
मानना है कि प्रणब के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम पर सरकार की निर्भरता काफी हद तक
बढ़ गई है।
विपक्ष की बेंच में
उन्हें लेकर भले ही विवाद हो लेकिन वे प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष दोनों के
लिए बहुत भरोसेमंद साथी हैं। वित्त मंत्री के चिदंबरम को प्रधानमंत्री की पहली
पसंद बताया जा रहा है। विपक्ष इस फैसले का स्वागत करेगा इस पर अभी कुहासा हट नहीं
सका है।
वित्त मंत्री के पद
की दौड़ के लिए सुशील कुमार शिंदे, कमलनाथ, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, कपिल सिब्बल, सी रंगराजन और
मोंटेक सिंह अहलूवालिया को बताया जा रहै है। प्रधानमंत्री द्वारा वित्त मंत्रालय का
कार्यभार संभालने के बाद से जिस तरह के सकारात्मक संदेश मिले हैं उससे सरकार और
कांग्रेस के रणनीतिकार उत्साहित हैं।
चिदंबरम के
विवागदों में धिरे रहने के सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने पार्टी का
पक्ष रखते हुए कहा कि आरोप किसी पर भी लगाए जा सकते हैं, इसका यह मतलब नहीं
है कि वह व्यक्ति दोषी है।
प्रणब की
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की व्यूहरचना में भी उन्होंने कांग्रेस की ओर से
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कांग्रेस की कोर टीम का वह हिस्सा हैं। वरिष्ठता क्रम
में वे शरद पवार और एंटनी से ही नीचे हैं। पवार राकांपा से हैं जबकि एंटनी परदे के
पीछे का रोल ज्यादा निभाते हैं।