गुरुवार, 5 जनवरी 2012

जानलेवा होता कुहासा!


जानलेवा होता कुहासा!



(लिमटी खरे)

दिसंबर की हाड गलाने वाली ठण्ड के आते ही आवागमन ठहर सा जाता है। पर इस बार तो दिसंबर ने ठण्ड का एहसास ज्यादा नहीं करवाया। नए साल का स्वागत बारिश, बर्फ, ओले मवाठे से हुआ। नए साल में ठण्ड और कोहरे ने देश को जकड़ ही लिया है। वैसे तो समूचे भारत में कोहरे की मार इन दिनों में जबर्दस्त होती है, किन्तु उत्तर भारत विशेषकर झांसी से उत्तर भारत की ओर के इलाकों में कोहरा शनैः शनैः बढता ही जाता है। कोहरे के कारण जन जीवन थम सा जाता है।
आंकडों के अनुसार सडक दुर्घटनाओं में साल दर साल मरने वालों की संख्या में बढोत्तरी के लिए कोहरा एक प्रमुख कारक के तौर पर सामने आया है। अमूमन नवंबर के अंतिम सप्ताह से फरवरी के पहले सप्ताह तक उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्र काहरे की चादर लपेटे हुए रहते हैं। कोहरे के चलते कहीं कहीं तो दृश्यता (विजीबिलटी) शून्य तक हो जाती है। रात हो या दिन वाहनों की तेज लाईट भी बहुत करीब आने पर चिमनी की तरह ही प्रतीत होती है। यही कारण है कि घने कोहरे के कारण सर्दी के मौसम में सडक दुर्घटनाओं में तेजी से इजाफा होता है।
कोहरे के बारे मंे प्रचलित तथ्यों के अनुसार सापेक्षिक आद्रता सौ फीसदी होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा एकदम स्थिर हो जाती है। इसमें अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने अथवा तापमान में और अधिक कमी होने से संघनन आरंभ हो जाता है। इस तरह जलवाष्प की संघनित सूक्ष्म सूक्ष्म पानी की बूंदें इकट्ठी होकर कोहरे के रूप में फैल जातीं हैं।
पानी की एक छोटी सी बूंद के सौंवे हिस्से को संघनन न्यूक्लियाई अथवा क्लाउड सीड भी कहा जाता है। धूल मिट्टी के साथ तमाम प्रदूषण फैलाने वाले तत्व क्क्लाउड सीड की सतह पर आकर एकत्र होते हैं, और इस तरह होता है कोहरे का निर्माण। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि वायूमण्डल में इन सूक्ष्म कणों की संख्या बहुत ज्यादा हो तो सापेक्षिक आद्रता शत प्रतिशत से कम होने के बावजूद भी जलवाष्प का संघनन आरंभ हो जाता है।
दरअसल बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल रूपी झुंड को कोहरे की संज्ञा दी गई है। कोहरा वायूमण्डल में भूमि की सतह से कुछ उपर उठकर फैला होता है। कोहरे में आसपास की चीजें बहुत ही कम दिखाई पडती हैं, कहीं कहीं तो विजिबिलटी शून्य तक हो जाती है।
देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में दिसंबर से फरवरी तक आवागमन के साधन निर्धारित समय से देरी से ही या तो आरंभ होते हैं अथवा पहुंचते हैं। इसका प्रमुख कारण कोहरा ही है। कोहरे के चलते सडक और रेल मार्ग से आवागमन बहुत धीमा हो जता है। रही बात हवाई मार्ग की तो एयरस्ट्रिप ही कोहरे के कारण नहीं दिखाई देगी तो भला पायलट अपना विमान कहां उतारेगा। अनेकों बार पुअर विजिबिलटी के चलते या तो हवाई जहाज या चौपर घंटों हवा में लटके रहते हैं या फिर आसपास के किसी अन्य एयरापोर्ट पर उतरने पर मजबूर होते हैं।
दरअसल प्रदूषण भी कोहरे के बढने के लिए उपजाउ माहौल पैदा कर रहा है। आंकडे बताते हैं कि 1980 के दशक में देश में घने कोहरे का औसत समय आधे घंटे था, जो बढकर 1995 में एक घंटा और फिर गुणोत्तर तरीके से बढते हुए 2 से 4 घंटे तक पहुंच गया है। जानकारों का मानना है कि साठ के दशक के उपरांत आज घने कोहरे का समय लगभग बीस गुना बढ चुका है।
पिछले साल के आंकडे काफी भयावह ही लगते हैं। दिसंबर 2008 से जनवरी 2009 के बीच दिल्ली में ही साढे सोलह सौ गाडियां विलंब से चलीं। इतना ही नहीं इन दो माहों में 71 उडाने रद्द करनी पडी, साढे सात सौ का समय और लगभग डेढ सौ उडानों का मार्ग बदलना पडा। अनेक बार तो उडान भरने के लिए धूप निकलने का इंतजार करना होता है। धूप में कोहरा धीरे धीरे छटना आरंभ हो जाता है।
कोहरे के कारण रेलगाडियों का विलंब से चलना कोई नई बात नहीं है। रेल चालक को सिग्नल अस्पष्ट दिखाई देने से दनादन चलने वाली रेल गाडियां भी चीटिंयों की तरह रेंगने को मजबूर हो जाती हैं। उत्तर भारत में कोहरे में रेल चालन के लिए पटरी पर पटाके बांधे जाते हैं, जो रेल के इंजन जितना भार पडने पर ही फटते हैं। इनमें पटाखों की संख्या रेल चालक के लिए संकेत का काम करती है।
उत्तर भारत में विशेषक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, बिहार, आदि में कोहरे का कहर सबसे अधिक होता है। दिल्ली जैसे शहर में एक ओर जहां प्रदूषण कोहरे को बढाने में सहायक होता है, वहीं दूसरी ओर खुले इलाकों में सर्दी के मौसम में खेतों में होने वाली सिचाई कोहरे को पनपने के मार्ग प्रशस्त करती है।
विडम्बना ही कही जाएगी कि इक्कीसवीं सदी में भी भारत ने कोहरे से निपटने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना अब नहीं बना सकी है। माना जाता है कि सरकार इस समस्या को साल भर में एक से डेढ माह की समस्या मानकर ही छोड देती है, जबकि वास्तविकता यह है कि कोहरे के चलते देश में हर साल आवागमन के दौरान होने वाली मौतों में से 4 फीसदी मौतें पुअर विजिबिलटी के कारण होती हैं।

(साई फीचर्स)

कार्यकारी अवस्था में किया ही नहीं गया वृक्षा रोपण!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 45

कार्यकारी अवस्था में किया ही नहीं गया वृक्षा रोपण!

कैसे रोकेगा जेपीएल अब प्रदूषण को?

प्रदूषण नियंत्रण मण्डल का मौन संदिग्ध



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूचि में शामिल देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में लगने वाले मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट के संयंत्र प्रबंधन द्वारा कार्यकारी अवस्था में अब तक वृक्षा रोपण का काम न किया जाकर भी पर्यावरण बचाने का अद्भुत और अकल्पनीय, हास्यास्पद दावा किया जा रहा है। वृक्षा रोपण न किए जाने पर भी जिला प्रशासन सहित मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा कोई कदम न उठाया जाना अनेक संदेहों को जन्म दे रहा है।
देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में भी इकबाल बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा दो चरणों में लगाए जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट के पहले चरण में संयंत्र प्रबंधन द्वारा जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में साफ तौर पर उल्लेखित किया गया था कि संयंत्र में कोयला ज्वलित बायलर वायु प्रदूषण का मुख्य कारक होगा।
इसके दूसरे चरण के लिए सरकार को संयंत्र प्रबंधन द्वारा भेजे गए कार्यकारी सारांश में कहा गया है कि निर्माण चरण के दौरान क्षेत्र में मुख्य प्रदूषक डस्ट अर्थात धूल मिट्टी ही होगी। संयंत्र प्रबंधन का दावा है कि परियोजना स्थल पर निर्माण प्रक्रिया एवं वाहनों की आवाजाही के कारण यह स्थिति निर्मित होगी। निर्माण चरण के दौरान उत्पादन प्रक्रिया द्वारा व्यर्थ जल को एसटीपी उपचारित करके वृक्षारोपण के लिए उपयोग किया जाएगा।
संयंत्र के सूत्रों का कहना है कि संयंत्र के निर्माण का काम दिसंबर 2009 से आरंभ हो चुका है। दो साल बीतने के बाद भी संयंत्र प्रबंधन द्वारा अब तक कोई वृक्षारोपण नहीं किया गया है। गौरतलब है कि 22 नवंबर 2011 को संयंत्र स्थल के करीब गोरखपुर में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा आहूत लोकसुनवाई में मण्डल और जिला प्रशासन के जिम्मेदार आला अफसरान की उपस्थिति में संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा ने इस बात को स्वीकार किया था कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा 22 नवंबर 2011 तक कोई वृक्षारोपण नहीं किया गया है।
यक्ष प्रश्न यह उठता है कि जब संयंत्र प्रबंधन द्वारा निर्माण स्थल के इर्दगिर्द वृक्षारोपण किया ही नहीं है तो देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में भी इकबाल बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा दो चरणों में लगाए जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट का प्रबंधन आखिर पर्यावरण के प्रदूषण को नियंत्रित करने का दावा किस आधार पर कर रहा है।
यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

लोकपाल बन सकता है मनमोहन की बिदाई का कारण


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 67

लोकपाल बन सकता है मनमोहन की बिदाई का कारण

टीम अण्णा का पुनर्गठन हो गया है जरूरी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। समाजसेवी अण्णा हजारे द्वारा उठाए गए लोकपाल के मुद्दे पर समूचा देश सालों बाद एकजुट नजर आया। लगने लगा था मानो अब बस क्रांति आने ही वाली है। टीम अण्णा के कुछ सदस्यों की गलत चालों के कारण अण्णा का आंदोलन और उनकी छवि प्रभावित हो रही है, वरना लोकपाल अकेला एसा मामला है जो वजीरे आजम मनमोहन सिंह की बिदाई का प्रमुख कारक बन सकता है।
समूचा देश केंद्र और राज्य सरकारों के हाकिमों के भ्रष्ट रवैए, घपले, घोटाले, अनाचार आदि से त्रस्त नजर आ रहा है। एसी पस्थिति में नेतृत्व के अभाव का फायदा उठाकर देश के ही लुटेरे अपने ही साथियों को तबियत से लूट रहे हैं। इस माहौल में जब लोगों को अण्णा हजारे जैसा बिना किसी स्वार्थ बिना किसी राजनैतिक लाभ के लिए लड़ने वाला बुजुर्ग किन्तु अनुभवी नेता मिला तो सबने अण्णा को एक ही सुर से कहा -‘‘अण्णा, वी मस्ट सेल्यूट यू।‘‘
गौरतलब है कि इससे पहले भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे पर इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने भी अनशन आरंभ किया। सरकार के प्रबंधकों को बाबा रामदेव के मन में हिलोरे मार रही राजनैतिक आकांक्षाओं का पता था इसलिए बाबा रामदेव को पार्श्व में ढकेलने में कांग्रेस के रणनीतिकारों को नौ दिन भी नहीं लगे।
वहीं दूसरी ओर अण्णा हजारे का चूंकि राजनैतिक लेना देना नहीं था अतः अण्णा को साईज में लाने में पूरे नौ महीने लग गए। लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार बुरी तरह घबराई हुई थी। टीम अण्णा की कोर कमेटी के कुछ सदस्यों पर निशाना साधा गया और बार बार उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से लोगों को दिखाया गया। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अब टीम अण्णा के उन चेहरों से जो बार बार सामने आ रहे हैं जनता आजिज आ चुकी है। यही कांग्रेस और सरकार की जीत है।
कांग्रेस के अंदरखाने में अण्णा का मुंबई आंदोलन असफल होने पर खुशियां मनाई जा रही है। प्रधानमंत्री बेहद खुश बताए जा रहे हैं। पीएमओ के सूत्रों की मानें तो अण्णा के मुंबई आंदोलन को असफल करने और फिर बीमारी के कारण अण्णा के घर बैठ जाने से टीम अण्णा का बैकफुट में आना प्रधानमंत्री के बचाव के लिए काफी मुफीद ही साबित हो रहा है।
वहीं, अब समाजसेवी अन्ना हजारे ने आगामी पांच राज्यों के चुनाव में प्रचार नहीं करने का एलान किया है। टीम अन्ना की अहम सदस्य किरन बेदी ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। कांग्रेस के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है क्योंकि टीम अन्ना के निशाने पर कांग्रेस ही थी. हालांकि जानकारों ने इसे टीम अन्ना के लिए भी राहत की खबर बताया है। जानकारों का कहना है कि मुंबई में आंदोलन के दौरान जिस तरह कम भीड़ जुटी, उससे चुनाव प्रचार में टीम अन्ना को जनता के समर्थन के लिए जूझना पड़ता। इस कदम से टीम अन्ना राहत महसूस करेगी।
किरन बेदी ने कहा, कि अन्ना की तंदुरुस्ती देश के लिए बहुत जरूरी है। अन्ना बीमार हैं और उनको टोटल केयर की जरूरत है। डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने के लिए कहा है, इसलिए वह आने वाले चुनावों में प्रचार करने नहीं जाएंगे। बेदी ने बताया कि शनिवार को कोर कमिटी की बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला किया जाएगा।

(क्रमशः जारी)

कोहरे ने ढाई कयामत!


कोहरे ने ढाई कयामत!



(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर भारत में ठंड बढ़ गई है। घने कोहरे से क्षेत्र में सड़क, रेल और हवाई यातायात बाधित है। दिल्ली में आज सुबह न्यूनतम तापमान लगभग आठ डिग्री सेल्सियस था और घना कोहरा छाया रहा। घने कोहरे के वजह से राजधानी में हवाई और ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं। इसकी वजह से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के अधिकारियों के अनुसार रनवे पर दृष्यता सीमा लगभग ५० मीटर रही और खराब दृष्यता की वजह से कुछ उड़ाने देर से शुरू हुई। कोहरे की वजह से दो दर्जन से ज्यादा रेलगाड़िया देर से चल रही है। उत्त्र रेलवे ने कोहरे को देखते हुए पहले ही २० गाड़ियों का परिचालन इस महीने के अंत तक रद्द कर दिया है।
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी कोहरे के कारण सामान्य जीवन पर असर पड़ा है। इन क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। रेलवे के सूत्रों ने बताया कि कोहरे के कारण पंजाब और हरियाणा से गुजरने वाली कई रेलगाड़ियां घंटों देरी से चल रही हैं। जम्मू-कश्मीर में कश्मीर घाटी में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और न्यूनतम तापमान शून्य से कई डिग्री सेल्शियस नीचे बना हुआ है।
कोहरे के चलते दिल्ली समेत समूचे एनसीआर क्षेत्र में वाहनों की रफ्तार थम गई है। वहीं कोहरे की वजह से बुधवार रात हुए एक सड़क हादसे में एक बाइक सवार की मौत हो गई। बुधवार रात करीब नौ बजे से ही दिल्ली पर कोहरे की चादर छाने लगी थी जो सुबह होने तक काफी मोटी हो गई। सुबह सात बजे तक सड़क पर लगभग पचास मीटर की दूरी तक ही दिखाई दे रहा था। इसके चलते वाहनों की रफ्तार में काफी कमी आई।
कोहरे का असर न सिर्फ सड़क मार्ग पर वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगने में दिखाई दिया बल्कि इसकी वजह से रेल और हवाई यातायात भी बाधित रहा। कई ट्रेन अपने तय समय से काफी पीछे चल रही हैं। वहीं ठंड और कोहरे के बीच रेलवे स्टेशनों पर यात्री बेहाल हैं। हवाई यात्रा करने वाले भी एयरलाइन के रद्द होने या फिर उसके देरी से आने से परेशान हो रहे हैं। सुबह करीब आठ बजे रनवे पर विजिबिलिटी कुछ सौ मीटर की थी। जिसके चलते कई हवाई जहाजों के मार्ग में परिवर्तन किया गया।
वहीं मौसम विभाग ने कोहरे समेत समूचे उत्तार भारत में ठंड और अधिक बढ़ने की चेतावनी दी है। मौसम विभाग के मुताबिक कुछ घंटों के भीतर दिल्ली समेत एनसीआर क्षेत्र में बारिश भी हो सकती है। ऐसे में लोगों की मुसीबतें बढ़ने के पूरे आसार हैं। उत्तर भारत में बुधवार को शीतलहर का कहर बढ़ने और घने कोहरे के कारण अधिकांश क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित रहा। हिमाचल प्रदेश में मनाली रोहतांग मार्ग पर भारी हिमपात के कारण 200 पर्यटक फंस गए।
हिमाचल प्रदेश के इस क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन की ओर से चलाए गए राहत एवं बचाव कार्य के बावजूद इलाके में 50 पर्यटक फंसे हुए हैं। सर्दी के कारण गुलमर्ग में प्रकृति की अनोखी छटा देखने को मिली। साथ ही इलाके में कई इलाकों में 15 दिन के अंतराल के बाद हिमपात हुआ। कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास सदना टॉप के पास पांच इंच तक बर्फ गिरी।
इसके अलावा बारामुला, कुपवाड़ा के अन्य इलाकों तथा दक्षिणी कश्मीर में अनंतनाग, पुलवामा, सोपियां और कुलगाम जिले में हिमपात हुआ। जवाहर सुरंग के आसपास भी हल्का हिमपात हुआ। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों में वर्षा और हिमपात का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
राष्ट्रीय राजधानी में आज सुबह धूप खिली लेकिन इसके बावजूद ठंड जारी रही। शहर का न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस अधिक है जबकि अधिकतम तापमान 20.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जो इस मौसम का सामान्य तापमान है। आज सुबह शहर के उपर कोहरे का आवरण था। मौसम विभाग के अनुसार आज सुबह शहर में दृश्यता का स्तर 500 मीटर था।
कश्मीर घाटी में भी शीत लहर का कहर जारी रहा। घाटी में न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से कई डिग्री नीचे बना रहा। मौसम विभाग ने बताया कि श्रीनगर का न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 3.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, कल यह शून्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस नीचे था।
दक्षिणी कश्मीर के रिसोर्ट पहलगाम में तापमान शून्य से 3.2 डिग्री नीचे जबकि उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 7.2 डिग्री नीचे सेल्सियस रहा। लद्दाख के सुदूरवर्ती लेह कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि कारगिल के पास रात का तापमान शून्य से नीचे 13.4 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के अनुमान से अगले तीन दिनों में बारिश और बर्फबारी से घाटी में एक माह से चल रहे शुष्क मौसम का अंत होने की संभावना है लेकिन क्षेत्र में शीतलहर का दौर जारी रहेगा।
मौसम विभाग ने बारिश और हिमपात की वजह से एहतियात के तौर पर भूस्खलन और पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवाई यातायात के बाधित होने की चेतावनी दी है। राजस्थान के कई हिस्सों में तापमान में मामूली बढ़ोतरी देखी गई। मौसम विभाग ने कहा कि सीकर का न्यूनतम तापमान 4.3 डिग्री सेल्सियस रहा जबकि चुरू और वनस्थली में रात का तापमान क्रमशरू 5.1 डिग्री और 5.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
बीकानेर में न्यूनतम तापमान 7.7 डिग्री सेल्सियस रहा। पंजाब और हरियाणा तथा चंडीगढ़ के कई हिस्सों में घना कोहरा छाने के कारण आज जनजीवन प्रभावित हुआ। इन जगहों पर कड़ाके की ठंड का असर जारी रहा। अमृतसर 3.4 डिग्री सेल्सियस के न्यूनतम तापमान के साथ दोनों राज्यों में सबसे ठंडा स्थान रहा। लुधियाना में रात का तापमान पांच डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कोलकाता में अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले में मनाली के निकट गुलाबा में भारी हिमपात के कारण फंसे सैंकड़ों पर्यटकों को कल रात निकाल लिया गया। हमारी शिमला संवाददाता ने खबर दी है कि सभी पर्यटकों को मनाली लाया गया है और अब वे   सुरक्षित हैं। इस बीच क्षेत्र में हिमपात जारी है। सरकारी प्रवक्ता ने पर्यटकों को दूरदराज के क्षेत्रों में नहीं जाने की सलाह दी है क्योंकि अगले तीन दिनों में भारी हिमपात होने की आशंका है।
जयपुर से साई ब्यूरो ने बताया कि प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की ठण्ड से जन जीवन प्रभावित हो रहा है। राज्य के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी के बावजूद लोगों को सर्दी से राहत नहीं मिल पा रही है। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज माउंट आबू में 2 दशमलव 6 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। सीकर से साई संवाददाता ने बताया कि तेज सर्दी के कारण जिले में जन-जीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। इसके अलावा चूरू में 5 दशमलव 1, वनस्थली और पिलानी 5 दशमलव 3, एरनपुरा रोड में 6 दशमलव 2, सवाईमाधोपुर में 7 डिग्री सैल्सियस न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड किया गया। राजधानी जयपुर में आज लोगों को सर्दी से थोड़ी राहत मिली और तीन दिनों बाद दिन में धूप खिली रही।
उधर लखनऊ स्थित साई ब्यूरो से रश्मि सिन्हा ने खबर दी है कि प्रदेश में चल रही कड़ाके की ठंड से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सुबह घना कोहरा छाये रहने से आवागमन बाधित रहा। लखनऊ में ठंड से बचने के लिए नगर निगम द्वारा जगह-जगह रैन बसेरा बनाया गया है। मुजफ्फरनगर स्थित साई ब्यूरो ने बताया कि जिले में ठंड के कारण आठवी तक के सभी स्कूल आगामी आठ जनवरी तक के लिए बन्द कर दिये गये हैं। यहॉ का विनिमम तापमान छः डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। 
उधर शिमला स्थित साई ब्यूरो का कहना है कि कुल्लू जिला के मनाली और आसपास के क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के चलते गुलाबा व मढी के पास फंसे लगभग एक सौ पर्यटकों को सुरक्षित निकाल दिया गया है। कुल्लू स्थित साई संवाददाता के अनुसार अचानक हुई तेज बर्फबारी में ये पर्यटक गुलाबा तथा मढी क्षेत्रों में फंसे हुए थे। कल शाम सूचना मिलते ही प्रशासन ने पर्यटकों को निकालने के लिए स्नो स्कूटरों का इंतजाम किया और देर रात तक सभी पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर लाया गया।
इस बीच प्रदेश में बीते रोज से मध्यम और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में रुक-रुक कर हो रही बर्फबारी तथा निचले क्षेत्रों में वर्षा से राज्य में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बीती रात राजधानी शिमला, चायल, कुफरी, मनाली और नारकंडा सहित कई अन्य स्थानों पर बर्फबारी हुई। इस बर्फबारी से शिमला-रामपुर सड़क पर नारकंडा और ठियोग-हाटकोटी सड़क पर खड़ा पत्थर के पास यातायात अवरुद्ध हो गया है।
इन दोनों स्थानों पर बीती रात लगभग आधा फुट हिमपात हुआ। कुफरी में भी बर्फबारी के बाद सड़क पर फिसलन की समस्या आने से यातायात में बाधा आ रही है। रामपुर और किन्नौर के लिये फिलहाल किंगल होकर यातायात चलाया जा रहा है। शिमला सहित राज्य के अधिकांश पर्यटक स्थलों पर बीती रात हुए हिमपात के बाद प्रदेश में पर्यटकों की आमद बढ़ने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने आगामी आठ जनवरी तक राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में हिमपात और वर्षा की सम्भावना जताई है। ये बर्फबारी फसलों और फलों के लिये भी काफी अच्छी मानी जा रही है।

अलका सिरोही ने यीपीएससी मेम्बर का प्रभार संभाला


अलका सिरोही ने यीपीएससी मेम्बर का प्रभार संभाला



(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। श्रीमती अलका सिरोही ने आज संा लोक सेवा आयोग की सदस्य के रूप में पदभार ग्रहण किया। श्रीमती सिरोही भारतीय प्रशासनिक सेवा के मध्यप्रदेश काडर के 1974 बैच की अधिकारी हैं। उन्होंने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधीन कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की सचिव और भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य और सार्वजनिक विभाग की सचिव के रूप में सेवा की।
इससे पहले वह उसी मंत्रालय में विशेष सचिव और अपर सचिव थीं तथा उन्होंने योजना आयोग की प्रधान सलाहकार के पद पर भी काम किया है। अपने राज्य के काडर में श्रीमती सिरोही ने कृषि सहकारिता, महिला और बाल विकास और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया। श्रीमती सिरोही पश्चिमी इतिहास विषय में स्नातकोत्तर हैं और प्रबंधन तथा धारणीय विकास के मुद्दे पर प्रशिक्षित हैं। 

बर्ड फ्लू का खतरा टला भारत से


बर्ड फ्लू का खतरा टला भारत से



(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। भारत ने अपने आप को बर्ड फ्लू (एच-5एन-1) से मुक्त देश घोषित किया है। यह घोषणा यहां 29 दिसंबर 2011 को की गई और ओआईई को अधिसूचित किया गया। तथापि, देशभर में, विशेष रूप से संक्रमित देशों की सीमा से लगने वाले अतिसंक्रमित क्षेत्रों और प्रवासी पक्षियों के आने वाले क्षेत्रों में चौकसी जारी रखी जाएगी।
कृषि मंत्रालय में पशु पालन, डेरी और मत्स्य विभाग ने राज्यों को इस बीमारी के प्रति सावधानी बरतने को कहा है। बर्ड फ्लू फैलने के बारे में असम के ढुबरी जिले में भामोनडोंगा गांव, अगोमनी ब्लॉक भाग-1 में आठ सितंबर 2011 को अधिसूचित किया गया था। इसके बाद पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के तहत ब्लॉक बेताई नानशाटोला और पुटिमरी क्रिस्टयानपारा में बीमारी के फैलने के बारे में बताया गया।
तदोपरांत और कहीं से इस बीमारी के फैलने की खबर नहीं मिली। इस रोग की रोकथाम के उपायों में प्रभावित क्षेत्रों में कुकटों की समूची आबादी को समाप्त करना था। इसमें उनके अंडों,खुराक और अन्य संक्रमित सामग्री को बीमारी फैलने के प्रत्येक क्षेत्र के तीन किलोमीटर घेरे में समाप्त करना शामिल है।
इसके अलावा प्रभावित क्षेत्रों से कुकटों, कुकट उत्पादों के लाने ले जाने पर रोक, प्रभावित परिसरों को संक्रमण के प्रभाव मुक्त करना आदि शामिल है। यह प्रक्रिया 29 सितंबर 2011को पूरी कर ली गयी। देश भर में चौकसी जारी रखी गयी। बीमारी फैलने के क्षेत्र और शेष देश में चौकसी बरते जाने के परिणाम स्वरूप बर्ड फ्लू (एच-5एन-1) के होने के कोई निशान नहीं मिले हैं।

सीबीआई ने यूपी को बनाया निशाना


सीबीआई ने यूपी को बनाया निशाना

(अभिषेक दुबे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में सीबीआई ने राज्य सरकार के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को गिरतार किया है। जिनमें परिवार कल्याण विभाग के दो पूर्व महानिदेशक और जल निगम का महाप्रबंधक शामिल हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले के संबंध में छापेमारी के बाद ये गिरतारियां हुई हैं।
सीबीआई ने इन अधिकारियों के आवासों से अनेक दस्तावेज और भारी मात्रा में नकदी बरामद की है। सीबीआई ने इसके संबंध में आठ एफआईआर दर्ज की है। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने इससे पहले कल लखनऊ, दिल्ली, कानपुर, बांदा, नोएडा, मुरादाबाद, अमेठी और गाजियाबाद सहित साठ स्थानों पर छापे मारे।
उधर, केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित नेता और प्रदेश के तत्कालीन परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के निकट सहयोगियों के आवासों और प्रतिष्ठानों पर छापे डाले हैं। जांच एजेंसी ने बहुजन समाज पार्टी के विधायक रामचन्द्र प्रधान, परिवार कल्याण विभाग के दो सेवा निवृत्त महानिदेशक डा० एस पी राम और आर आर भारती, उत्तर प्रदेश जल निगम के महाप्रबंधक पी के जैन और उत्तर प्रदेश उद्योगिक विकास निगम के प्रमुख अभय कुमार वाजपेयी के आवासों पर भी छापे डाले हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से जुड़े निजी प्रतिष्ठान भी सीबीआई के निशाने पर थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पिछले वर्ष नवम्बर में सीबीआई को इस मामले के जांच का अदेश दिया था।

ग्यारहवां ऑटो एक्सपो आज से


ग्यारहवां ऑटो एक्सपो आज से

(अमेय)

नई दिल्ली (साई)। नई दिल्ली में आज से ग्यारहवां ऑटो एक्सपो शुरू हो रहा है। बताया जाता है कि हर दो साल पर आयोजित इस ऑटो प्रदर्शनी में कई नई कारें पेश की जाएंगी। ऑटो एक्सपो के नवीनतम संस्करण में तकरीबन ५० अंतर्राष्ट्रीय वाहन निर्माता अपने आधुनिकतम वाहनों का प्रदर्शन करेंगे।
एक सप्ताह तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में २४ भारतीय और आठ अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियां हर उपभोक्ता की जेब के लिए नये-नये डिजाईनों की कारें दिखायेंगे। इसके अलावा आठ भारतीय कम्पनियां अपने दो पहिये वाहन भी दर्शकों के नज$रे इनायत के लिए पेश करेंगी। आम दर्शकों के लिए ये प्रदर्शनी शनिवार से बुधवार तक खुली रहेगी।

बडे काम की मेंहदी


हर्बल खजाना .... 3

बडे काम की मेंहदी



(डॉ दीपक आचार्य)

घरों में बाडे के रूप में लगायी जाने वाली मेंहदी न सिर्फ़ सौंदर्य कला में उपयोग में लायी जाती है बल्कि ये औषधिय गुणों से भी भरपूर है और जिसका उपयोग ग्रामीण अंचलों और आदिवासी बाहुल्य भागों में प्रचुरता से होता है। इसका वानस्पतिक नाम लासोनिया इनर्मिस है।
आधुनिक विज्ञान भी किटाणुओं और फ़फ़ूँदो के नाश के लिये मेंहदी की उपयोगिता साबित कर चुका हैं। मेंहदी शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है जिससे पैर के तालुओं की जलन, सरदर्द, बुखार और गुस्से पर काबू पाने में काफ़ी हद तक सफ़लता मिलती है।
यदि मेंहदी को नाखूनों पर लगाया जाए, नाखूनों की चमक बढ जाती है और यदि कोई बर्निन्ग फ़ीट सिन्ड्रोम से परेशान है, मेंहदी का लेप तालुओं मे लगातार लगाया जाए, कुछ ही दिनों में समस्या का अंत हो जाता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी इसकी पत्तियों को रात में पानी में डुबोकर रखते है और सुबह इसे छानकर पीलिया ग्रसित रोगी को देते है।
शहजीरा और मेंहदी के बीजों को साथ मिलाकर पीस लिया जाए और इसमें सिरका या पानी मिलाकर इसका लेप तैयार कर माथे पर २५ मिनट लगाया जाए तो सरदर्द और माईग्रेन में आराम मिलता है। मेंहदी बालों के लिये उत्तम है, ये बालों का झडना भी कम कर देती है।
पातालकोट के आदिवासी भुमकाओं का मानना है कि यदि कपडों और किताबों की अलमारी में इसकी सूखी पत्तियाँ रख दी जाए तो कीडे नही पडते। जानवरों को यदि बार बार मल के साथ खून आ रहा हो तो मेंहदी की पत्तियाँ खिलाने से आराम मिलता है।

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