0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 61
भट्टा परसौला न बन जाए घंसौर
जनसेवकों का मौन संदिग्ध
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। जिस तरह जमीन के मुआवजे को लेकर उत्तर प्रदेश के भट्टा परसौला में किसानों का आदोलन छेड़ा था, उसी तर्ज पर अब मध्य प्रदेश के सिवनी जिले का केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील जाते दिख रहा है। आदिवासियों की जमीनों पर जबरिया कब्जे के आरोप देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड पर लगने लगे हैं।
आदिवासियों के नाम पर सत्ता का सुख भोगने वाले राजनैतिक दलों के जनसेवकों द्वारा भी इस मामले में मौन साधे रहना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। चर्चा है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले के सांसद विधायकों को भी जमकर उपकृत किया गया है, संभवतः यही कारण है कि सांसद विधायकों द्वारा भी इस संबंध में मौन ही साधे रखा गया है। किसी ने भी इस मसले में लोकसभा या विधानसभा में प्रश्न पूछने की जहमत नहीं उठाई है।
बताया जाता है कि घंसौर क्षेत्र के आदिवासियों की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि बिचौलियों के हाथों जमीन बेचने के बाद अब आदिवासी रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हो रहे हैं। जमीन का अधिग्रहण करते वक्त मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा आदिवासियों को जो सब्ज बाग दिखाए गए थे, वे अब तार तार हो रहे हैं। आलम यह है कि भोजन पानी के जुगाड़ में आदिवासी अब यत्र तत्र मेहनत मजदूरी को विवश हैं।
आदिवासियों के वोट बैंक पर राजनीति करने वाली कांग्रेस और भाजपा की नकारात्मक दृष्टि का खामियाजा क्षेत्र के आदिवासी भुगत रहे हैं। क्षेत्र के आदिवासियों को उनकी जमीन का वाजिब हक और मूल्य न मिल पाने एवं मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट के डलने से उतपन्न होने वाले प्रदूषण से आदिवासी भयाक्रांत नजर आ रहे हैं। आदिवासियों में उपजे रोष और असंतोष को देखकर लगने लगा है कि कहीं आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील भी यूपी के भट्टा परसौला में तब्दील न हो जाए।
कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।
कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।
(क्रमशः जारी)