भाजपा जिलाध्यक्ष एवं नगरपालिका अध्यक्ष का द्वंद चरम सीमा पर
पार्टी हाईकमान से हस्तक्षेप की मांग की ओम दुबे ने
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। नगरपालिका परिषद द्वारा आहूत साधारण सम्मेलन जिसमें नगर
विकास के लिए अनेकों कार्याें को स्वीकृति दी जानी थी जिसमें भाजपा के 9 पार्षदों द्वारा बैठक का बहिष्कार करना एक दुर्भाग्यपूर्ण
घटना है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इन 9 पार्षदों द्वारा बैठक का बहिष्कार करने का नेतृत्व भाजपा के
जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर कर रहे थे जो किसी भी दृृष्टि से उचित नहीं है।
उक्त बात वरिष्ठ पत्रकार एवं भाजपा नेता ओम दुबे द्वारा जारी विज्ञप्ति
में कही गयी है। उन्होंने आगे कहा कि यदि नगरपालिका अध्यक्ष एवं भाजपा पार्षदों में
कोई मतभेद है या सामंजस्य की कमी दिखायी देती है तो भाजपा के जिलाध्यक्ष का
कर्त्तव्य था कि वे नगरपालिका अध्यक्ष और पार्षदों को बुलाकर मतभेद दूर कर
सामंजस्य बैठालने का काम करते, परंतु उन्होंने
ऐसा न करके भाजपा पार्षदों का मनोबल बढ़ाया साथ ही शहर में होने वाले विकास के
कार्याें में भी अंड़गा लगाया।
श्री दुबे ने आगे कहा कि सही तो यह होता कि यदि भाजपा के पार्षद, अध्यक्ष एवं नगरपालिका अधिकारियों की कार्यप्रणाली से संतुष्ट
नहीं थे या उनकी बातों को अनदेखा करते थे तो वे नगरपालिका की बैठक में जाकर वहां
अपनी बात मनवाने के लिए पुरजोर विरोध, आंदोलन, अनशन करते हुए अपनी बात को जनता के सामने और भी अच्छी तरह से
उजागर कर सकते थे।
उन्होंने कहा कि भाजपा पार्षदों की बैठक में अनुपस्थिति के बावजूद
कांग्रेस के पार्षदों के सहयोग से शहर विकास के अनेक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास कराए
गए। ऐसी स्थिति में भाजपा पार्षदों का विरोध का कोई मायना नहीं रह जाता। बल्कि
उन्होंने अपने-अपने वार्डाें में कराए जाने वाले कार्याें की बात बैठक में न रखकर
अपने वार्डाें को विकास कार्याें से वंचित भी कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकार ने यह भी कहा कि यदि भाजपा पार्षदों को नगरपालिका में
भ्रष्टाचार की बू आ रही थी तो उन्होंने नगरपालिका की बैठक में इस बात को उजागर
करना उचित क्यों नहीं समझा। यदि 9 पार्षद मिलकर
नगरपालिका की बैठक में किसी भी भ्रष्टाचार के मुद्दें को पुरजोर तरीके से उठाते तो
किसी की हिम्मत नहीं थी कि मामला को दबा दिया जाये। वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के
मुद्दों की बातें आमजनता तक भी सरल तरीके से पहंुच सकती थी।
श्री दुबे ने आगे कहा कि बैठक में भ्रष्टाचार की बात न उठाकर बैठक का
बहिष्कार करना फिर किसी हॉटल में भाजपा के जिलाध्यक्ष के साथ भोज करना। इसी दौरान
फोटो ले रहे एक पत्रकार के साथ अशोभनीय व्यवहार भी किसी दृष्टि से उचित नहीं है।
दूसरी ओर नगरपालिका के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी का भी कर्त्तव्य है कि वे शहर विकास
के लिए सभी पार्षदों को लेकर चलें तथा उनकी सलाह को अमलीजामा पहनाने का भी काम
करें। यदि सभी मिलजुलकर सामंजस्य से काम करेंगे तो आपसी मतभेद तो समाप्त होंगे ही, शहर का विकास भी तीव्र गति से होगा।
ओम दुबे ने कहा कि भाजपा के पार्षद बैठक का बहिष्कार कर जिला भाजपा के
अध्यक्ष नरेश दिवाकर के साथ शहर के एक हॉटल में भोजन कर रहे थे। इस दौरान एक
पत्रकार द्वारा फोटो लेने पर हुए विवाद की भी शहर में अच्छी प्रतिक्रिया नहीं हुयी
है। पार्षदों के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर की भोज के दौरान फोटो लेने
पर किस बात की आपत्ति थी। भोजन करना कोई चोरी का काम नहीं था, न ही कोई अनैतिक कार्य की फोटो ली जा रही थी। इससे यह कहावत
चरितार्थ होती है कि चोर की दाढ़ी में तिनका। सिवनी विधानसभा के चुनाव के बाद
नगरपालिका के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एवं भाजपा के पराजित प्रत्याशी व भाजपा के
जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर के बीच जो द्वंद लगातार चल रहा है वह कब समाप्त होगा, समझ के परे है।
श्री दुबे ने जारी विज्ञप्ति में कुछ तल्ख तेवरों के साथ कहा कि श्री
दिवाकर का आरोप है कि उनकी पराजय के पीछे नगरपालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी की अहम
भूमिका रही है जबकि पराजय के पीछे और भी अनेक कारण थे। जिसमें प्रमुख कारण यह था
कि श्री दिवाकर ने भाजपा के अनेक महत्वपूर्ण पदों पर अपना कब्जा जमाकर बैठे थे।
अनेक पदों में उनकी अकेले की नियुक्ति के कारण बाकी और भी वरिष्ठ कार्यकर्ता अपने
आप को उपेक्षित महसूस करने लगे थे। पार्टी के अनेक महत्वपूर्ण निर्णय भी श्री
दिवाकर अपनी मनमर्जी से करते थे। जिले से अपनी समस्याओं को लेकर आए हुए
कार्यकर्ताओं की कोई बात नहीं सुनी जाती थी और वे अपने आप को असहाय समझने लगे थे।
वरिष्ठ पत्रकार एवं भाजपा नेता ओम दुबे ने पार्टी हाईकमान को भेजे अपने
पत्र में कहा है कि सिवनी जिले में भारतीय जनता पार्टी को भारी नुकसान पहंुचने के
लिए नरेश दिवाकर प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। एक तो उन्होंने सभी पद अपने पास रखे
दूसरी ओर सिवनी जिले की अन्य विधानसभा क्षेत्रों में संगठन के मुखिया के नाते
उन्होंने न तो कोई दौरा कर पाया न ही कार्यकर्ता में व्याप्त आक्रोश को समाप्त
करने में सफल हो पाये।
श्री दुबे ने पत्र में उल्लेख किया है कि यदि कार्यकर्ताओं के बीच बैठक कर
उनकी समस्याओं का निराकरण और उनके आक्रोश को शांत किया जाता तो जिले के विधानसभा
चुनाव में भाजपा की इतनी खराब स्थिति नहीं होती। अभी जब श्री दिवाकर ने अपने पद से
स्तीफा दे दिया है तो उनका कर्त्तव्य था कि वे पार्टी हाईकमान से निवेदन करके जिले
में किसी भी अच्छे भाजपा के व्यक्ति को भाजपा जिलाध्यक्ष की बागडोर के लिए दबाव
बना सकते थे। जिससे उनकी छवि में भी निखार आता और संगठन का कार्य जिले में सुचारू
रूप से प्रारंभ हो जाता।
ओम दुबे ने अपने पत्र के अंत में कहा है कि स्तीफा देने के बावजूद श्री दिवाकर
अभी भी अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाले हुए हैं और ऐसे निर्णय ले रहे हैं जिससे
जिले में पार्टी को और आने वाले लोकसभा चुनाव में फिर से नुकसान होने की संभावना
प्रबल दिखायी दे रही है। अच्छा तो यह होगा कि श्री दिवाकर सभी पदों से मुक्त होकर
कुछ दिनों के लिए आत्म चिंतन एवं मनन करें और पार्टी को मजबूत बनाने में सहयोग
प्रदान करें। पार्टी हाईकमान को भी चाहिए कि इन दोनों नेताओं के द्वंद को समाप्त
करने के लिए कोई उपाय करे वरना लड़ाई का अंत, अंततः खराब ही
होता है।