सोमवार, 2 अप्रैल 2012

7, रेसकोर्स को आशियाना बनाने की चाहत में मराठा क्षत्रप


7, रेसकोर्स को आशियाना बनाने की चाहत में मराठा क्षत्रप

आम चुनावों के लिए मुलायम ममता चाह रहे पंवार


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश में जनाधार खोने के बाद अब कांग्रेस के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं। इन परिस्थितियों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पंवार ने क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट करने का अभियान आरंभ कर दिया है। अगर वे अपने इस प्रयोग में कामयाब रहे तो 2014 के आम चुनावों में देश के वज़ीरे आज़म पद पर मराठा क्षत्रप शरद पंवार की ताजपोशी कोई रोक नहीं सकता है।
सियासी हल्कों में चल रही सुगबुगाहट के मुताबिक समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा मुलायम सिंह यादव, त्रणमूल कांग्रेस की निजाम ममता बनर्जी और राकांपा के सुप्रीमो शरद पंवार इसी दिशा में काम कर रहे हैं। मुलायम और ममता इन दिनों कांग्रेस से ज्यादा शरद पंवार के करीब जाने को व्याकुल नजर आ रहे हैं।
राकांपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पंवार को भरोसा है कि वाम दलों के साथ भी पंवार का गठबंधन हो सकता है। पंवार और ए.बी.वर्धन की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। आपला मानुष के नाम पर शिवसेना को भी पंवार के पीछे खड़े होने में शायद ही कोई गुरेज हो। महाराष्ट्र में राकांपा ने अमरावती, यवतमाल, नागपुर, गढ़ चिरौली, चंद्रपुर जैसे जिलों में शिवसेना से हाथ मिलाया है।
चर्चा तो यहां तक है कि मराठा क्षत्रप ने यूपी चुनाव में मुलायम सिंह को तो पश्चिम बंगाल चुनाव में त्रणमूल कांग्रेस को वित्तीय मदद भी पहुंचाई है। उधर, पंवार की सांसद पुत्री सुप्रीया सुले भी अपने पिता को 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) पहुंचाने के लिए अतुर दिख रही हैं। पिछले दिनों सेंट्रल हाल में सुप्रीया और ममता बनर्जी के बीच हंसी ठठ्ठा लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच रहा था।
शरद पंवार वैसे तो खालिस कांग्रेसी हैं, किन्तु सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को हवा देकर उन्होंने कांग्रेस से किनारा किया था। आज भी कांग्रेस में शरद पंवार के अनेकानेक मित्र मौजूद हैं, जो पंवार के एक इशारे पर कांग्रेस से बगावत पर आमदा हो सकते हैं। इनके लिए पंवार ने काफी कुछ किया हुआ बताया जाता है।
पंवार के धुर विरोधी महाराष्ट्र के निजाम अशोक चव्हाण ने इन आशंकाओं कुशंकाओं के बारे में पिछले दिनों कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को आवगत कराया। कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि चव्हाण ने सोनिया को पंवार के कारनामों के बारे में सविस्तार नमक मिर्च लगाकर बताया।
सूत्रों ने बताया कि चव्हाण ने एक सूची भी कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी को सौंपी है जिसमें उन कांग्रेस के केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और कट्टर कांग्रेसियों के नाम शामिल हैं, जो पंवार के इशारे पर कांग्रेस से बगावत कर सकते हैं। चव्हाण ने सोनिया को यह भी बताया कि यह पंवार के लिए अंतिम मौका होगा, क्योंकि उमर दराज हो चुके पंवार की सेहत भी अब ठीक नहीं रहती है, इसलिए वे 7, रेसकोर्स को अपना आशियाना बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

बजट से अर्थव्यवस्था आएगी पटरी पर


बजट से अर्थव्यवस्था आएगी पटरी पर

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष के बजट से वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने, महंगाई कम करने और देश को स्थाई विकास की पटरी पर वापस लाने में मदद मिलेगी। कल कोलकाता में उद्योगपतियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले लगभग दो साल से विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यस्था ने कई तरह के उतार-चढ़ाव और दबावों से खुद को बचाने की पूरी कोशिश की है।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित वस्तु और सेवाकर-जीएसटी की प्रणाली लागू हो जाने से राज्यों के खजाने को काफी फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि वस्तु और सेवाकर का प्रमुख उद्देश्य करों की समान प्रणाली शुरू करना है और इसीलिए वर्ष २०१२-१३ के बजट में उत्पाद और सेवाकर को बराबरी पर लाया गया है।

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में है देश की अर्थ व्यवस्था!


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)



मुट्ठी भर लोगों के हाथों में है देश की अर्थ व्यवस्था!

सोने की चिड़िया था भारत, मुगल फिर ब्रितानी हमलों के बाद इसके परपुद्दे (पंख वगैरा) ही उड़ गए। आजादी के बाद ना जाने कितने स्वदेशी आक्रांताओं ने देश को लूटना आरंभ किया। राजनेता और पूंजीपतियों ने देश की गरीब जनता का तबियत से खून चूसा। गरीब गुरबों को मुख्य धारा में लाने सरकारों ने ना जाने कितनी योजनाएं बनाईं पर इनकी हकीकत तब सामने आई जब वित्त राज्य मंत्री नमोनारायण मीणा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आश्चर्यजनक तथ्यों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि भारत के 8200 लोगों के पास 945 अरब डालर करीब 47250 अरब रूपए हैं जो देश की अर्थव्यवस्था का सत्तर फीसदी हिस्सा है। उससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि यह सब देखने सुनने के बाद भी देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा, राज्य सभा) के पंच (संसद सदस्यों) ने खामोशी अख्तियार की हुई है। अर्थात लगभग एक सौ इक्कीस अरब लोग महज तीस फीसदी पूंजी में ही खेल रहे हैं।

महामहिम के परिवार की अगवानी में दो सौ करोड़ फुंके

देश की पहली महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भारत गणराज्य में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अव्वल तो वर्ष 2007 में देश के पहले नागरिक के पद पर महिला की ताजपोशी का रिकार्ड उनके नाम पर ही गया है। इसके बाद उनके पुत्र पर महामहिम के पद के दुरूपयोग के आरोप लगे। अब प्रतिभा पाटिल के नाम एक और रिकार्ड हो गया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में 12 बाद विदेश यात्राएं की हैं जिनमें 22 देशों का भ्रमण शामिल है। सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके कार्यकाल में वर्तमान में चार माह का समय शेष है तब उन्होंने एयर इंडिया के बोईंग 747 - 400 का उपयोग करते हुए गरीब गुरबों से एकत्र कर के 169 करोड़ रूपए व्यय कर दिए। उन्होनें विदेश यात्राओं के मामले में सभी पूर्व महामहिमों को पीछे छोड़ते हुए 205 करोड़ रूपयों का व्यय कर दिया। कहा जा रहा है कि इसमें सबसे मजेदार बात यह है कि उनके हर दौरे में उनके परिवार के सदस्य उनके साथ रहे हैं। इस तरह महामहिम के परिवार की विदेश यात्राओं में 205 करोड़ की अगवानी हुई कहा जा सकता है।

मंदिर विवाद सुलझने के आसार नहीं

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थापित शिरडी के फकीर साई बाबा के मंदिर को देश के सबसे अमीर मंदिरों की फेहरिस्त में शामिल हुए सालों बीत गए हैं, फिर भी शिरडी मंदिर को लेकर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद बैंच ने 13 मार्च को ट्रस्ट को भंग कर नए न्यासियों की नियुक्ति का आदेश दिया था। न्यास पर मनमानियों के आरोप लग रहे थे। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद यह माना जा रहा था कि न्यास में नए चेहरे सामने आएंगे। सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के निजाम अशोक चव्हाण ने फिर से पूर्व अध्यक्ष जयंत सासने को फिर से अध्यक्ष नियुक्त किया है। पूर्व विधायक सासने के अलावा राकापां के जिलाध्यक्ष घनश्याम शेलार को उपाध्यक्ष भी बनाया गया है। 15 सदस्यीय बोर्ड में अधिकांश कांग्रेस और राकांपा के सदस्य हैं। उधर, एक याचिका फिर लगाई गई है जिसमें कहा गया है कि मंदिर के न्यासियों में राजनैतिक दल के व्यक्तियों की नियुक्ति ना की जाए। देश भर में बाबा के नाम पर मंदिर बनाकर व्यवसाय करने की शिकायतें अब आम हो चुकी हैं।

रूपहले पर्दे पर मेहरबान हैं उदय वर्मा

भारतीय प्रशासनिक सेवा के एमपी काडर के अधिकारी उदय वर्मा इन दिनों चलचित्र के प्रमोशन में लगे हुए हैं। सूचना प्रसारण मंत्रालय में सचिव वर्मा ने सूचना प्रसारण और पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर फिल्म आयोगके गठन की बुनियाद रखी है। यह आयोग एकल खिडकी प्रणाली के द्वारा देशी विदेशी फिल्मकारों को शूटिंग के लिए अनुमति प्रदान करेगा। वर्तमान में अच्छी लोकेशन्स पर फिल्मांकन के लिए अनुमति लेने के लिए फिल्मकारों को पापड़ बेलने पड़ते हैं। माना जा रहा है कि संसद के अगले सत्र में आई एण्ड बी मिनिस्ट्री इस प्रस्ताव को संसद में पेश करेगी। इस आयोग के गठन के उपरांत देश और विदेश के फिल्मकार देश भर की बेहतरीन लोकेशन्स पर फिल्मांकन के लिए एकल खिड़की के माध्यम से ही अनुमति हासिल करने में कामयाब हो सकेंगे जिससे फिल्म उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया

ग्लोबल टोबेको सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि देश का हृदय प्रदेश सबसे ज्यादा जहरीला धुंआ उगल रहा है। जी हां, यह धुंआ है तंबाकू पीने से उत्सर्जित होने वाला धुंआ। सर्वे बताता है कि भारत गणराज्य में बीडी सिगरेट का चलन 26 फीसदी है, पर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की एमपी गर्वमेंट के राज में यह चलन 36 फीसदी है। यह खुलासा 2009 - 2010 के सर्वेक्षण का है। वैसे मध्य प्रदेश तीसरी पायदान पर है। पहले स्थान पर छत्तीसगढ़ और दूसरे स्थान पर उड़ीसा है। अगर एमपी का विभाजन नहीं हुआ होता तो संयुक्त एमपी ने धुंआ उड़ाने में बाजी मार ली होती। सरकार की कमजोर इच्छा शक्ति ओर तंबाखू लाबी के सामने घुटने टेकने का परिणाम सूबे की जनता को ही भुगतना पड़ रहा है। वैसे सरकार ने एक अप्रेल से प्रदेश में गुटखा का विक्रय पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। अब देखना यह है कि इस पर अमल कितना हो पाता है।

बिना चढ़ोत्री नहीं होते कोई काम

भारत गणराज्य में स्वच्छ, पारदर्शी, जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन स्थापित है। पिछले कुछ दशकों में यह व्यवस्था तार तार हो चुकी है। अब गरीब और गरीब एवं अमीर और अमीर होता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन और भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के अध्ययन में यह बात उभरकर सामने आई है। देश में रिश्वत का इतना बोलबाला है कि हमारे हुक्मरानों को इसकी जानकारी होते हुए भी नहीं है, पर विदेशों में इस पर अध्ययन हो रहे हैं। भारत देश में आधी से ज्यादा आबादी को 20 रूपए से कम कमाई प्रतिदिन होने का दावा किया जाता है, किन्तु वहीं दूसरी ओर सर्वेक्षण दर्शाता है कि पिछले साल भारतीयों ने 3,700 करोड़ रूपए की रिश्वत दी है। यह रिश्वत भारतीयों ने मूल भूत सुविधाओं को पाने के एवज में दी है। इसमें सबसे ज्यादा रिश्वत 64 फीसदी पुलिस को, 63 फीसदी जमीन खरीद फरोख्त में दी गई।

दिल्ली की सड़कों पर नाचती है मौत!

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली की सड़कों पर यमराज का कहर सबसे अधिक दिखाई देता है। इस पर अनेक चुटकुले भी बन चुके हैं कि मार्च का टागरेट पूरा करने यमराज दिसंबर से ही अभियान तेज कर देते हैं। गृह राज्यमंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने लोकसभा में बताया कि वर्ष 2009 से इस साल 15 मार्च तक दिल्ली में 23,426 सड़क दुर्घटनाएं घटी हैं, जिसमें 6,902 लोगों की जान गई है। 2009 में 7516 हादसों में 2153 लोग, 2010 में 7,260 में 2153 लोग तो 2011 में 7281 हादसों में 2065, इस साल 15 मार्च तक 1369 दुर्घटनाओं में 359 लोग कालकलवित हुए। देश में यातायात को व्यवस्थित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा दिल्ली में किया जाता है इसके बावजूद यह आलम है तो फिर सुदूर ग्रामीण अंचलों के बारे में सोचकर ही रूह कांप उठती है।

सावधान! सामंतशाही जारी है. . .

भारत गणराज्य की स्थापना के साथ ही देश में सामंती प्रथा के दिन लद गए थे। विडम्बना ही कही जाएगी कि आजादी के छः दशकों के बाद भी देश में सामंती प्रथा की तस्वीरें दिखाई पड़ ही जाती हैं। मध्य प्रदेश के बड़बोले और विवादित मंत्री गौरी शंकर बिसेन के द्वारा केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के साथ मंच पर एक दलित व्यक्ति से जूते के तस्मे बंधवाने की घटना प्रकाश में आई तो कांग्रेस ने हाय तौबा मचा दी। अब कांग्रेस बैकफुट पर खड़ी दिख रही है कारण है, सीधी जिले के बढौरा में निषाद जयंती समारोह। इस समारोह में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और विन्ध्य के ठाकुर क्षत्रप अजय सिंह उर्फ राहुल भैया ने अपने पांव पखरवाए (धुलवाए), फिर गमछे से पुंछवाए। अब चूंकि कांग्रेस और भाजपा का हिसाब बराबर हो चुका है इसलिए इस ममले में चीख पुकार बंद हो चुकी है। कुल मिलाकर जनसेवकों द्वारा एक दूसरे के स्वार्थों के हिसाब से ही कदम ताल किए जा रहे हैं, गरीब गुरबों से किसी को लेना देना नहीं रहा।

राहुल के लिए एमपी नहीं प्राथमिकता

कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम और युवराज राहुल गांधी के लिए मध्य प्रदेश प्राथमिकता पर नहीं है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश की ओर उनकी नजरें इनायत नहीं हो पा रही है। इसका सीधा सीधा प्रमाण मध्य प्रदेश के क्षत्रपों का अपने सूबे की ओर ध्यान नहीं देना है। एक अरसा हो गया है मध्य प्रदेश कोटे वाले केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांति लाल भूरिया, राज्य सभा सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव आदि ने एमपी की ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा है। कहा जा रहा है कि अगर यही हाल रहा तो उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात की तरह ही मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचेगा। कांग्रेस के क्षत्रप अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र में तो जीत दर्ज करा लेते हैं पर जो व्यक्ति अपने संभाग में ही कांग्रेस का परचम ना लहरा सके वह राष्ट्रीय नेता किस आधार पर कहला सकता है?

सोनिया के हनुमान मुश्किल में!

साफ सुथरी और ईमानदार छवि के रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी के दामन पर अब भ्रष्टाचार के छींटे लगने लगे हैं। सेना में 14 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद अब एंटोनी को भी शक के दायरे में रखा जाने लगा है। कांग्रेस की सुप्रीम पावर श्रीमति सोनिया गांधी के सबसे लाड़ले अंटोनी के मार्ग में यह भ्रष्टाचार का आरोप अनेक शूल बोकर चला गया है। सेना के एक बड़े अधिकारी को चौदह करोड़ रूपए की घूस की कथित तौर पर पेशकश किया जाना आश्चर्यजनक ही है। चर्चा है कि अगर वाकई सेना के अधिकारी को रिश्वत देने की पेशकश की गई थी तो उक्त अधिकारी को लगभग एक दशक पूर्व मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह के सबसे ताकतवर सचिव और आईएएस अमर सिंह को घूस देने की पेशकश पर की गई कार्यवाही के मानिंद ही घूस देने वाले अधिकारी को सलाखों के पीछे भिजवा देना था, वस्तुतः एसा हुआ नहीं। सेनाध्यक्ष के कार्यकाल में यह डील हो भी गई पर शिकायत दर्ज ना हो पाना आश्चर्यजनक ही है।

एंटोनी की आसनी पर है मुलायम की आंख!

उत्तर प्रदेश में करिश्माई तरीके से वापसी के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अब केंद्र में अपनी पुरजोर दखल के मार्ग तलाशने आरंभ कर दिए हैं। मुलायम के करीबी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव को यूपी का निजम बनवाने के बाद अब मुलायम चाहते हैं कि सेना में रिश्वत विवादों में फंसे ए.के.अंटोनी को हटाकर उन्हें देश का रक्षा मंत्री बना दिया जाए। इसके अलावा मुलायम अपने सांसदों के लिए तीन और कैबनेट मंत्री पद हथियाने के जुगाड़ में दिख रहे हैं। चूंकि अंटोनी कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के अत्याधिक दुलारे हैं इसलिए यह काम मुश्किल ही दिख रहा है। उधर, रेल किराए में बढोत्तरी वापस लेकर कांग्रेस ने ममता बनर्जी के साथ एक बार फिर ता थैया ता थैया करना आरंभ कर दिया है। अब मुलायम बिना भी कांग्रेस का काम चल सकता है। संभवतः यही कारण है कि मुलायम सिंह ने अपने आप को अभी फिलहाल बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है।

किसका पानी बेच रहे हैं शिवराज!

चाल, चरित्र और चेहरे के लिए जानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की गरज से नियम कायदों को धता बताते हुए काम किया जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदहारण, मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगने वाले कोल आधारित दो प्रस्तावित पावर प्लांट्स की स्थापना के साथ ही सामने आया है। इन पावर प्लांट्स के लिए बरगी बांध का पानी उपयोग में लाया जाएगा, वह भी भारती मात्रा में। जानकारों का कहना है कि रानी अवंती बाई सागर परियोजना के अंतर्गत बरगी बांध का पानी मूलतः तीन मदों के लिए आरक्षित है। जिसमें से पहली आवश्यक्ता सिंचाई की है जो किसानों के खाते में जाती है। इसके बाद पानी को मछली पालन के लिए आरक्षित किया गया है, और तीसरी मुख्य आवश्यक्ता नदी की है जिसके माध्यम से एक बार फिर नदी के रास्ते में पड़ने वाले आसपास के किसानों के लिए सिंचाई के लिए पानी आरक्षित किया गया है। अब यक्ष प्रश्न यही है कि आखिर किस मद का पानी शिवराज सिंह चौहान बेच रहे हैं।

पुच्छल तारा

भारत गणराज्य में प्रजातंत्र के नाम पर क्या क्या मजाक हो रहे हैं। कहीं कुछ अनिवार्य तो कहीं कुछ पर अगर अनिवार्यता की शर्तें लागू नहीं होती हैं तो राजनेताओं पर। इसी बात के मद्देनजर सूरत से सविता ने एक ईमेल भेजा है। सविता लिखती हैं कि इस देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि देश के गुजरात सूबे के सूरत शहर में आटो चलाने के लिए दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रधर्म से बड़ा गठबंधन धर्म मानने वाली निष्ठुर और संवेदनहीन कांग्रेस के राज में ममता बनर्जी की जिद पर अब इंटर यानी बारहवीं कक्षा पास मुकुल राय देश की रेल को हांकेंगे। जय हो, जय हो!!