सोमवार, 11 मार्च 2013

चुनाव पूर्व की प्रशासनिक सर्जरी


चुनाव पूर्व की प्रशासनिक सर्जरी

(लिमटी खरे)

चार सालों तक मध्य प्रदेश में सुशासन और राम राज्य आने का दावा करने वाले शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल की संभवतः अंतिम प्रशासनिक सर्जरी को अंजाम दिया है। रविवार को शिवराज सिंह चौहान ने अपने पत्ते फेंटे और मैदानी अफसरों में पंचानवे फीसदी अफसरों के सिर्फ जिले ही बदले हैं। देखा जाए तो इन अफसरों की कार्यप्रणाली से भाजपा के कार्यकर्ताओं में असंतोष भरा हुआ था। भाजपा का अंदरूनी ढांचा इन अफसरों की कार्यप्रणाली से टूट रहा है। मध्य प्रदेश के अतिसंवेदनशील जिलों में नए अधिकारियों की पहली बार तैनाती का ओचित्य समझ से परे ही है। देखा जाए तो अनुभवी अफसरों को ही अतिसंवेदनशील जिलों में पदस्थ किया जाना चाहिए वरना पिछले माह 7 फरवरी को अतिसंवेदनशील सिवनी जिले में लगे ओचित्यहीन कर्फ्यू जैसी स्थितियां निर्मित होंगी और लोगों के साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को इसका भोगमान भोगना पड़ सकता है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पीएम इन वेटिंग रहे भाजपा के वयोवृद्ध नेता एल.के.आड़वाणी ने मध्य प्रदेश में अपने हाल ही के दौरे के दौरान कहा है कि भाजपा की सरकारें जहां जहां हैं वहां स्वराज तो आ गया है पर सुशासन नहीं। मध्य प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है, अर्थात आड़वाणी की नजरों में या उनको दी गई जानकारी के अनुसार देश के हृदय प्रदेश में भी स्वराज तो आ गया है सुशासन नहीं।
स्वराज का शाब्दिक अर्थ अपना राज्य या अच्छा राज होता है। वहीं सुशासन का अर्थ सुंदर शासन या उत्तम राज्य प्रबंध होता है। आड़वाणी की कही बातों की गंभीरता को समझा जाए तो शिव के राज में एमपी ने अच्छा राज्य की स्थिति तो पा ली है पर उत्तम राज्य प्रबंध के मामले में अभी यह पीछे है। शिव का राज प्रदेश में आठ सालों से कायम है। आठ साल का समय कम नहीं होता है अपना प्रदर्शन दिखाने के लिए।
प्रदेश में स्वराज या सुशासन को लाने के लिए शिवराज के गण यानी जिलों में प्रभारी मंत्री और जिला कलेक्टर ही उनके हाथ पांव हैं। सुशासन की राह देखने का साफ मतलब है कि प्रदेश में मंत्रियों और जिला प्रशासन का परफार्मेंस उचित नहीं है। राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था दम तोड़ रही है।
शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहा जा रहा है कि वे कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी को रोेल माडल बनाकर काम कर रहे हैं। जिस तरह राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए किसी भी काम को करवाने के लिए ‘‘राजीव जी की एसी इच्छा है‘‘ कहा जाता था उसी तरह अब एमपी में सीएम साहब की एसी इच्छा है कहा जा रहा है। मुख्यमंत्री की इच्छाओं को मूर्तरूप देने में प्रदेश में पांच लोगों की मुख्य भूमिकाएं बताई जा रही हैं।
एक बार एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के वाक्ये का जिकर यहां लाजिमी होगा, उन्होंने अपना नाम गोपनीय रहने की शर्त पर शिवराज सिंह चौहान की कार्यप्रणाली को बखूबी वर्णित किया था। बकौल उक्त अधिकारी शिवराज सिंह चौहान के पांच सलाहकार मुख्य सचिव को बुलाकर मुख्यमंत्री जी की इच्छा से आवगत करा देते हैं। फिर मुख्य सचिव द्वारा संभागायुक्तों को बुलाकर उसे दुहरा दिया जाता है। अंत में संभागायुक्त अपने प्रभाव वाले जिलों में कलेक्टर्स को बुलाकर मुख्यमंत्री जी की इच्छा से आवगत करवा देते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कोई कलेक्टर इस मामले में यह पूछता है कि अगर सांसद या विधायक ने बीच में इससे उलट कोई काम करने की अनुशंसा की तो? इस पर संभागयुक्तों द्वारा एक ही बात कही जाती है कि मुख्यमंत्री जी की यही इच्छा है। कहने का तातपर्य यह कि सीएम की इच्छा के आगे सांसद विधायकों की भी ना सुनी जाए। प्रदेश में अनेक प्रकरण एसे भी सामने आए हैं जब जिला प्रशासन, सांसद विधायक और भाजपा की जिला इकाई के बीच टकराहट की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी हैं।
रविवार को शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी प्रशासनिक सर्जरी को अंजाम देते हुए प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 29 अफसरों को इधर से उधर किया है। कुछ जिला कलेक्टर्स को सीधे ही संभागायुक्त बना दिया है, तो अनेक जिलों में नए आईएएस तैनात किए हैं। कहा जाता है कि संवेदनशील जिलों में अनुभवी आईएएस जो कम से कम एक जिले का कलेक्टर रह चुका हो उसकी तैनाती की जानी चाहिए। वस्तुतः शिवराज सिंह चौहान ने अपनी प्रशासनिक सर्जरी में इन बातों का जरा भी ख्याल नहीं रखा है। शिवराज सिंह चौहान के सीएम बनने के उपरांत प्रदेश में अफसरशाही के बेलगाम घोड़े तेजी से दौड़ने लगे हैं।
इसी तरह इस प्रशासनिक सर्जरी में भारतीय पुलिस सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के थोकबंद तबादले हुए हैं। पुलिस विभाग में 54 अफसरों की तैनाती बदली गई है। इसमें सबसे आश्चर्य की बात राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को जिलों की कमान देने वाली है। इन मैदानी अफसरों की तैनाती करते समय एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान द्वारा वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया है। लगने लगा है कि मध्य प्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा के अफसरों की कमी हो गई है जिसके चलते राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को पुलिस अधीक्षक का दायित्व सौंपा गया है।
कुछ जिलों में तो एक साथ जिलाधिकारी और जिला पुलिस अधीक्षक को ही बदलकर शिवराज सिंह चौहान ने पता नहीं क्या साबित करना चाहा है। संवेदनशील सिवनी जिले के पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर बदल दिए गए हैं। इतना ही नहीं इसी के साथ इसके रेंज के आईजी जबलपुर को भी बदल दिया गया है। नए अफसर आकर कब इन जिलों की फिजाओं को समझेंगे, कब वे अपना काम आरंभ करेंगे यह विचारणीय प्रश्न ही है।
शिवराज सिंह चौहान ने भले ही प्रशासनिक सर्जरी को अंजाम देकर अपनी पीठ ठोंक ली हो पर इससे कार्यकर्ताओं के बीच के रोष और असंतोष का वे शायद ही शमन कर पाएं, क्योंकि जो अफसर एक जिले में राजनैतिक समीकरणों के हिसाब से सामंजस्य बिठाने में असफल रहे हों वे दूसरे जिले में किस आधार पर सामंजस्य बिठा पाएंगे। हालात देखकर लगने लगा है कि मैदानी अफसरों ने किसी अज्ञात व्यक्ति के इशारे पर सत्ता और संगठन के बीच खाई खोदने के काम को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है, जिसका लाभ निश्चित तौर पर कांग्रेस को ही मिलता दिख रहा है, क्योंकि कार्यकर्ताओं के विश्वास के बिना चुनाव जीतना संभव नहीं होगा भाजपा के लिए! (साई फीचर्स)

जानकारी देने से आनाकानी करते रहे जनसंपर्क अधिकारी!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 70

जानकारी देने से आनाकानी करते रहे जनसंपर्क अधिकारी!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। आधिकारिक तौर पर प्रशासनिक खबरें जारी करने के लिए अधिकृत जनसंपर्क विभाग का सिवनी कार्यालय अब शोभा की सुपारी बनता दिख रहा है। रविवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के स्थानांतरण की आंधी में सिवनी के कलेक्टर और एसपी भी बह गए। दोपहर में अफवाहों के दौर में जब जिला जनसंपर्क अधिकारी से इस बारे में मीडिया ने मालुमात करने की कोशिश की तो पीआरओ इस संबंध में मौन ही धारण किए रहे।
ज्ञातव्य है कि लंबे समय से प्रशसनिक बदलाव की खबरें आ रही थीं। बीच बीच में जिला कलेक्टर अजीत कुमार के स्थानांतरण की खबर भी उड़ जाती थी। रविवार को भी जिलाधिकारी अजीत कुमार और जिला पुलिस अधीक्षक राकेश जैन के स्थानांतरण की तगड़ी अफवाहें सिवनी की फिजां में तैर गईं थीं।
इन खबरों की पुष्टि के लिए जब मीडिया वालों ने जिला जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क किया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। इस आशय का समाचार भी आज जबलपुर से प्रकाशित एक बहुप्रसारित समाचार पत्र में प्रमुखता के साथ प्रकाशित हुआ है। मीडिया से जुड़े लोगों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि जब इस संबंध में पीआरओ आफिस से यह निवेदन किया गया कि वे भोपाल स्थित मुख्यालय से इस बारें मे ंदरयाफ्त कर इसकी पुष्टि करें तब भी पीआरओ आफिस ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया।
यहां उल्लेखनीय है कि मीडिया को शासन प्रशासन की खबरों के लिए जनसंपर्क विभाग अधिकृत है। इसके पहले भी जिला जनसंपर्क कार्यालय के ढुल मुल रवैए के कारण 7 फरवरी की रात्रि अचानक लगे सिवनी शहर में कर्फ्यू के उपरांत 8 फरवरी को मीडिया को सैंसर कर दिया गया था। 8 फरवरी को सुबह ना अखबार बटे और ना ही 3 बजे दिन तक मीडिया कर्मियों को घरों से बाहर आकर स्थिति का जायजा लेने की इजाजत ही दी गई।
गौरतलब है कि अनेक मीडिया कर्मियों ने जिला जनसंपर्क अधिकारी सिवनी से 7 फरवरी की रात्रि में ही निवेदन किया था कि 8 फरवरी को समाचार पत्र बटवाने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जाए, किन्तु कहा जाता है कि अपने कर्तव्यों के बजाए जिला प्रशासन के चंद अधिकारियों के आगे पीछे घूमकर अपना काम चलाने वाले जनसंपर्क विभाग ने मीडिया के अधिकारों पर हुए इस कुठाराघात पर एक शब्द बोलना भी उचित नहीं समझा।

थापर से जुड़ सकते हैं ताम्रकार के तार!


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 15

गौतम थापर से जुड़ सकते हैं ताम्रकार के तार!

(सुरेंद्र जायस्वाल)

जबलपुर (साई)। प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के विजय नगर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ सहायक अभियंता गिरीश ताम्रकार के तार देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर से जुड़ सकते हैं। उक्त सहायक अभियंता को 7 मार्च को लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते धर दबोचा था। लोकायुक्त द्वारा गिरीश ताम्रकार से गहन पूछताछ का निर्णय भी लिया गया है।
ज्ञातव्य है कि गिरीश ताम्रकार को सुभाष कोठारी की एनओसी नवीनीकरण के मामले में नौ हजार रूपए रिश्वत लेते पकड़ा गया था। लोकायुक्त पुलिस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गौतम ताम्रकार से जानकारियां एकत्र की जा रही हैं। उनसे गहरी पूछताछ भी की जाएगी, जिसमें एनओसी की नस्ती किस किसकी टेबिल से होकर गुजरती है इस बारे में भी पता लगाया जाएगा।
वहीं पीसीबी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट में भी प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को गिरवी रखा गया है। पीसीबी द्वारा नियमों को अपरोक्ष तौर पर शिथिल करते हुए संयंत्र प्रबंधन को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
पीसीबी के सूत्रों ने साई न्यूज के साथ चर्चा के दौरान यह आशंका भी व्यक्त की कि अगर पीसीबी के धरे गए सहायक अभियंता गिरीश ताम्रकार से गहरी पूछताछ की गई तो तार बड़े बड़े उद्योगपति यहां तक कि अवंथा समूह के स्वामी गौतम थापर भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
(क्रमशः जारी)

तीन साल पहले स्वीकृत हुआ थ छिंदवाड़ा नैनपुर रेलखण्ड


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 14

तीन साल पहले स्वीकृत हुआ थ छिंदवाड़ा नैनपुर रेलखण्ड

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। छिंदवाड़ा से सिवनी नैनपुर होकर मण्डला फोर्ट जाने वाले रेलखण्ड को वर्ष 2010 - 2011 के बजट में नए काम के रूप में शामिल किया गया था। 182.25 किलोमीटर लंबे इस खण्ड की अनुमानित लागत उस समय 564.54 करोड़ रूपए आंकी गई थी। उक्ताशय की बात भारतीय रेल्वे बोर्ड के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही है।
रेल्वे बोर्ड के सूत्रों ने आगे कहा कि अगर सिवनी संसदीय क्षेत्र के सांसदों द्वारा इस रेल खण्ड के अमान परिवर्तन हेतु सतत दबाव बनाया होता तो यह रेलखण्ड कभी का ब्राडगेज में तब्दील हो गया होता। सूत्रों ने कहा कि जब भी रेल्वे बोर्ड के पास इस रेल खण्ड के अमान परिवर्तन की बात लाई जाती रही है तब तब पूर्व के ऋणात्मक आंकलन को हाईलाईट कर इसे ड्राप करवा दिया जाता रहा है।
सूत्रों ने आगे बताया कि चूंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने नेरोगेज को ब्राडगेज में बदलने के लिए समय सीमा तय कर दी गई थी अतः इस रेलखण्ड के भाग्य खुले। इस रेल खण्ड के लिए वर्ष 2010 - 2011 में चार करोड़ रूपए की राशि तो आवंटित की गई थी किन्तु इसके पूरे होने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई थी।
(क्रमशः जारी)

विजेंद्र से पूछताछ करेगी पंजाब पुलिस


विजेंद्र से पूछताछ करेगी पंजाब पुलिस

(शंटी आनंद)

फतेहगढ़साहिब (साई)। कांस्य पदक विजेता विजेंद्र पर मुसीबतें बढ़ती ही दिख रही हैं। पंजाब पुलिस का कहना है कि एक सौ तीस करोड़ रुपये मूल्य के नशीले पदार्थ की बरामदगी के मामले में, ओलिम्पिक कांस्य पदक विजेता विजेन्द्र सिंह से पूछताछ की जाएगी।
फतेहगढ़ साहिब के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरदयाल सिंह मान ने बताया है कि फिलहाल, इस मामले से जुड़े अन्य लोगों को पकड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा ने कहा है कि विजेन्द्र के मामले में कानून अपना काम करेगा। पुलिस ने इस मामले के एक अन्य आरोपी सुनील कात्याल को लुधियाना से गिरफ्तार किया है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पंजाब पुलिस अर्जुन अवॉर्ड विजेता जगदीश भोला की तलाश में, राज्य व राज्य से बाहर छापेमारी कर रही है। रोकच बात यह है पुलिस से निकाले गए भोला को पकड़ने के लिए इस केस में संलिप्त पुलिस के ही हेड कांसटेबल राम सिंह की मदद ली जा रही है।
सूत्रों ने आगे बताया कि कनाडा निवासी अनूप सिंह कहलो जो पुलिस हिरासत में है, भोला के लिए काम करता था। इस दौरान पिछले एक सप्ताह में पुलिस ने एक सौ तीस करोड़ रुपये की २६ किलो हेरोइन के केस में सात व्यक्तियों को हिरासत में लिया है। चाहे मुक्केबाज रामसिंह को कल राष्ट्रीय खेल संस्थान पटियाला से निकाल दिया गया है, परन्तु पुलिस द्वारा उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

उत्‍तर प्रदेश : सरकार ने की हक हत्याकांड में सहयोग की अपील


सरकार ने की हक हत्याकांड में सहयोग की अपील

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तरप्रदेश के कुंडा में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो-सीबीआई के दस सदस्यीय दल ने ग्रामीणों से अपील है कि वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिया-उल-हक की हत्या की जांच के मामले में सहयोग करें और गवाही के लिए सामने आये। इस पुलिस अधिकारी की २ मार्च को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
समाचार पत्रों के लिए जारी विज्ञप्ति में लोगों को आश्वासन दिया गया है कि उन्हें कोई परेशान नहीं करेगा। सीबीआई ने प्रतापगढ़ में अपना अस्थायी शिविर बनाया है। सीबीआई का दल गांव प्रधान, उसके भाई और पुलिस उप-अधीक्षक जिया-उल-हक की हत्या की जांच कर रहा है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मारे गए पुलिस अधिकारी की सर्विस रिवॉल्वर और मोबाइल फोन को अभी तक बरामद नहीं किया जा सका है। सीबीआई ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से उन मामलों के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है जिनकी जांच मारे गए पुलिस उपाध्यक्ष जिया-उल-हक ने कुंडा में अपने तैनाती के दौरान की थी।
इनमें हथगवा इलाके में एक दलित युवती की बलात्कार के बाद हत्या और मानीपुर इलाके में अवैध बालू खनन के खिलाफ छापा शामिल है। मारे गए पुलिस उपाध्यक्षक की पत्नी ने जांच में दिल्ली के पुलिस अधिकारियों को लगाने और मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाने की मांग की है।

तिरूचिरापल्ली परमाणु बिजलीघर की सुरक्षा बढ़ी


परमाणु बिजलीघर की सुरक्षा बढ़ी

(आर.माधवन)

तिरूचिरापल्ली (साई)। तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। प्रदर्शनकारियों की आज से इसकी घेराबंदी की योजना है। तिरूनेलवेली के जिलाधीश ने कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के सात किलोमीटर के दायरे में महीने भर के लिए निषेधाज्ञा लगा दी है।
प्रशासनिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लोगों के प्रदर्शन को देखते हुए चार हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। ये प्रदर्शनकारी परमाणु बिजली परियोजना को बंद करने की मांग कर रहे हैं। कन्याकुमारी, थुत्ट्टुकुडी और तिरूनेलवेली जिले के मछुआरे, आंदोलनकारियों के समर्थन में आज अपने काम पर नहीं जा रहे हैं। कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र अपने अंतिम चरण में है और अगले महीने से बिजली उत्पादन शुरू होने की संभावना है।

खण्डवा पुनासा में अंत्योदय मेला सम्पन्न


पुनासा में अंत्योदय मेला सम्पन्न

(अजय दीक्षित)

खण्डवा (साई)। मध्यप्रदेष को अंधेरे से उजाले में लाने वाले मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान हैं। पहले मध्यप्रदेश की हालत यह थी कि 2900 मेंगावॉट बिजली का उत्पादन करता था और आज हम 10 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। आज के लगभग दस साल पहले मध्यप्रदेष का सालाना बजट 23000 करोड़ रूपए का था और आज षिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में 1 लाख 12 हजार करोड़ का बजट है। हमारे चेहरे पर जो मुस्कान है, उसके पीछे षिवराजसिंह चौहान की सोच है। बेटियों को बचाने के लिए षिवराज सिंह ने आगे रहकर बेटियों को बचाने का नारा दिया है। यह बात आज कालसन माता प्रांगण पुनासा में आयोजित अंत्योदय मेले में पूर्व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान ने कही। अंत्योदय मेले में 4 हजार से अधिक हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया। मेले में क्षेत्रीय विधायक लोकेन्द्र सिंह तोमर, जिला पंचायत अध्यक्ष राजपाल सिंह तोमर, भूमि विकास बैंक अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर, जनपद अध्यक्ष जषोदाबाई रामलाल चौहान, जनपद उपाध्यक्ष वल्लभसिंह पटेल, जिला पंचायत सदस्य रामसिंह पटेल, फून्दाबाई  ताराचंद पटेल, शांताबाई सखाराम यादव, देषपालसिंह तोमरतथा खंड स्तरीय अंत्योदय समिति अध्यक्ष सूरजपालसिंह सोलंकी , सी.ई.ओ. जिला पंचायत तरूण पिथौड़े, एसडीएम एच.एस.चौधरी तथा तहसीलदार जी.एस.गहरवार प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये क्षेत्रीय विधायक लोकेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि पहले जब प्रदेष में 25 लाख के भी काम होते थे, तो भोपाल से मंत्री उसका भूमि पूजन करने आते थे और आज करोड़ों के काम स्वीकृत हुए है, जिसके लिए विधायकों को समय निकालना मुष्किल हो गया हैं। उन्होंने प्रदेष सरकार की नितियों की प्रषंसा करते हुये कहा कि आज ग्रामीण अंचल की जनता  हर दृष्टि से खुषहाल हो रही है। मैने और पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने प्रदेष के मुखिया षिवराजसिंह चौहान के साथ मिलकर क्षेत्र का विकास किया है कोई अपराध नहीं किया है और न जनता पर कोई उपकार किया है। बल्कि एक सेवक के नाते हमने काम किया है। पुनासा में जल्दी ही एसडीएम कार्यालय खुल जाएगा। इसके लिए तहसील भवन के अतिरिक्त आवासीय भवन की राषि भी स्वीकृत हो गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष राजपालसिंह तोमर ने कहा क्षेत्रीय विधायक के 4 वर्ष के काम, पिछले 50 वर्षों पर भारी पड़ रहे हैं। कार्यक्रम को सीईओ जिला पंचायत खंडवा तरूण पिथोड़े ने भी संबोधित किया। उन्होंने अंत्योदय मेले में हितग्राही मूलक योजनाओं की जानकारी दी। यहां 4374 हितग्राहीयों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत 5,11,43,591 रूपये के चेक वितरित किये गए। मेले में आयोजित स्वास्थ्य षिविर में 1097 परिक्षण किये जिसमें विकलांग पंजीयन 84,  में 33 को प्रमाण पत्र, 19 श्रवण यंत्र, 2 हितग्राहियों को छड़ी, 7 को बैसाखी 18 केलिपर, एक को नकली पैर, एक बाल हदयरोगी व पेथोलॉजी जांच में 180 व लेप्रोसी जांच में एक हितग्राही लाभांवित हुए। कार्यक्रम की शुरूआत बेटी बचाओ अभियान पर रामलाल वर्मा ने एक गीत की प्रस्तुती देकर की। 

मुजफ्फरनगर यह धर्म युद्ध है और धर्म युद्ध में जीत धर्म की ही होती हैः एम.एन. कृष्णमणी


यह धर्म युद्ध है और धर्म युद्ध में जीत धर्म की ही होती हैः एम.एन. कृष्णमणी

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मेरठ कमीशनरी स्थित चौ. चरण सिंह पार्क में चल रहे धरने के 13वें दिन आज सुप्रीम कोर्ट बार अध्यक्ष एम.एन. कृष्णमणी ने आज किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरदार वीएम सिंह के नेतृत्व में आप लोग एक धर्म युद्ध लड रहे है। धर्म युद्ध में जीत धर्म की होती है ओर इसमें कोई शक नहीं है कि धर्म आज किसानों के साथ है। किसान भाई हमारे देश की रीड की हड्डी है। किसानों के बिना कोई भी जीव जन्तु या मनुष्य जीवित नहीं रह सकता। क्योंकि किसान उसे अन्न पैदा कर खाने को देता है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट से जीतने के बाद भी आपका अधिकार आपको नहीं मिल पा रहा है। आप लोग उत्तर प्रदेश सरकार के अदालती आदेश को तामिल ना कराने की स्थिति में सीधे ही आर्टिकल 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते है और निश्चित तौर पर इस मामले में आपका पलडा ही भारी रहेगा। उक्त बाते सुप्रीम कोर्ट बार अध्यक्ष ने धरने में आयी भारी भीड के सामने कही। श्री कृष्णमणी ने कहा कि जो राज्य सरकार उच्च अथवा उच्चतम न्यायालय के आदेशों को पालन कराने में सक्षम न हो ऐसे में केन्द्र सरकार का दायित्व है कि उस सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दें। उत्तर प्रदेश में भी यही देखने को मिल रहा है। पांच जजों की संवैधानिक बेंच के आदेशों के बावजूद भी किसानों को ब्याज नहीं दिलाया जा रहा। यह बहुत सोचनीय है और इस पर केन्द्र सरकार को भी सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीएम सिंह के नेतृत्व में जीत आप लोगों की ही होगी। वीएम सिंह न्याय की लडाई लड रहे है। उन्होंने कहा कि वीएम सिंह ने जब भी उनसे किसानों के लिए मदद मांगी वे हर समय मदद के लिए उपस्थित रहे और हर सम्भव सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि पहले भी वह किसानों के लिए हमेशा खडे रहे और आगे भी किसानांे की किसी भी लडाई में कानूनी हक दिलाने के लिए वह कोई पैसा नहीं लेंगे। ये उनका आज किसानों के बीच वायदा है। उन्होंने कहा कि वह अंग्रेजी में बोल रहे है और यहां कि किसान हिन्दी जानते है यह उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है और वह वायदा करते है कि निकट भविष्य में जब किसान अपनी यह जंग जीतेगा तो वह फिर किसानों के बीच में आयेंगे और हिन्दी में अपनी बात कहेंगे। उल्लेखनीय है कि एम.एन. कृष्णमणी ने पूरा भाषण  अंग्रेजी में दिया और उनका जितेन्द्र मोहन शर्मा अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय ने हिन्दी में अनुवादित किया।  एम.एन. कृष्णमणी के भाषण के दौरान किसान लगातार तालियां बजाते रहे और उनका जय जयकार से स्वागत किया।  इससे पूर्व जितेन्द्र प्रधान सिवाया ने सरदार वीएम सिंह, एन.एन. कृष्णमणी बुजुर्ग नेत्रहीन हुकुम सिंह हापुड आदि  व नेहा त्यागी, राजदुलारी सहित अन्य महिलाओं का शॉल ओढाकर स्वागत किया।

मुजफ्फरनगर किसान आंदोलन में कूदे धाकड छोरा फिल्म के मालीवुड हीरो उत्तर कुमार


किसान आंदोलन में कूदे धाकड छोरा फिल्म के मालीवुड हीरो उत्तर कुमार

(ब्यूरो कार्यालय)

मुजफ्फरनगर (साई)। फिल्मी कलाकार और धाकड छोरा फिल्म के हीरो रहे उत्तर कुमार भी आज मुम्बई से किसानों के धरने की बात सुन मेरठ कमीशनरी चौ. चरण सिंह पार्क पर चल रहे आंदोलन में कूद पडे। यहां उपस्थित किसानों को सम्बोधित करते हुए किसानों के चेहते धाकड छोरे ने धाकड अंदाज में ही बोलते हुए किसानों को आईना दिखाया और कहा कि जो लोग धरती का सीना चीरकर फसल उगाना जानते है वो अपने हक की बात आने पर चूडी पहनकर बैठ गये है। उन्होंने कहा कि किसान तब तक किसान रहता है जब तक उसके लूटने पीटने की बात हो। जब उसके सही में किसान होने का नम्बर आता है तब वह किसान नहीं रहता और वह धर्म जाति सम्प्रदाय में बंट जाता है। उत्तर कुमार ने कहा कि वोट के वक्त दारू और पैसे का लालच छोड अपने ही बीच के सीधे साधे किसान को चुनाव जीताओ। उत्तर कुमार ने कहा कि जब गर्दन पर हाथ डालकर खींचने का समय आता है तब किसान बंटा हुआ नजर आता है। उन्होंने कहा कि सेना को सरदार की जरूरत होती हेै और किसान को उसका सरदार वीएम सिंह के रूप में मिल गया है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों को वीएम सिंह लगातार लाभ पहुंचा रहे है और आगे पहुंचाने वाले है क्या वे उतने ही किसान है जो यहां आये है। उन्होंने कहा कि जो यहां नहीं आये फायदा उनके घरों में भी पहुंचने वाला है। इसलिए किसानों को अपनी ताकत दिखाने के लिए भारी संख्या में यहां आना चाहिए। उत्तर कुमार ने किसानों की कई महत्वपूर्ण बातों को उठाते हुए किसानों की कई दुखती नवज पर हाथ रखा। उत्तर कुमार ने अपनी फिल्म के कई डायलोगों को भी सुनाया। उपस्थित किसान तालियां बजाकर उत्तर कुमार का हौंसला बढाते रहे। वहां मौजूद गांव की महिलाओं ने भी अपने अपने मोबाइल में उत्तर कुमार के फोटो को कैद किया।  मेरठ में चल रहा किसानों का अब यह धरना अब व्यापक रूप लेने लगा है। जहां धरने के दसवें दिन प्रख्यात कवि हरिओम पंवार ने अपनी रचनाएं सुनाकर उपस्थिति दर्ज करायी थी वहीं गत दिवस एक शाम किसानों के नाम भव्य कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन हुआ। वहीं आज उत्तर कुमार ने उपस्थिति दर्ज करायी।
जहां सभी राजनैतिक दलों ने आदांेलन को समर्थन दिया है वहीं सामाजिक संगठन भी लगातार समर्थन की घोषणा कर रहे है। धरना स्थल पर बादाम का दूध, खीर, हलवा, चना, सब्जि पुरी, दाल कढी चालव, रोटियां, केले आदि का भी वितरण जोरों शोरों से हो रहा है। वहीं बाबूराम दहलौत (बालियान) ने भी चाय का आयोजन निशुल्क अपनी ओर से करा रखा है।  विकास बालियान ने आज वीएम सिंह के चित्र वाली कई टीशर्ल्ट का भी वितरण किया। 

साई भजन पर झूमे श्रृद्धालु


साई भजन पर झूमे श्रृद्धालु

(आनंद शर्मा)

जालंधर (साई)। श्री साई राम सेवा सत्संग मंडली की ओर से महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में 79वीं साप्ताहिक साई संध्या का आयोजन श्री गौरी शंकर मंदिर इस्लामगंज में किया गया। इसमें भजन सम्राट जतिन्द्र बंटी, धमेन्द्र प्रभाकर, संजीव, मनोज ग्रवोर, चीनू सहगल ने भजन गाकर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान संस्था के चेयरमैन सुधीर सूरी, पुष्पिन्द्र टोनी, अजय कोहली, पुनीष गुप्ता, संजू, अरुण शर्मा, हिमांशु उपस्थित थे। संस्था के सचिव पुष्पिन्द्र टोनी ने बताया कि मोहल्ला गोबिंदगढ़ में साई बाबा का एक मंदिर बनाने जा रहा है। साई संध्या में जो पैसे इकट्ठे होते हैं वे मंदिर निर्माण कार्य में लगाए जाएंगे।

केदारनाथ मंदिर के कपाट 14 मई को खुलेंगे


केदारनाथ मंदिर के कपाट 14 मई को खुलेंगे

(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। विश्व प्रसिद्ध हिमालयी तीर्थ केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिये इस वर्ष 14 मई को सुबह सात बजे खोल दिये जायेंगे। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सूत्रों ने यहां बताया कि मंदिर के कपाट खुलने का मुहूर्त आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ में स्थित भगवान केदारनाथ के शीतकालीन प्रवास में मंदिर के मुख्य पुजारी शिवशंकर सहित धार्मिक तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में निकाला गया। गौरतलब है कि भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल में छह माह तक बंद रहने के बाद हर वर्ष अप्रैल-मई में दोबारा श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये खोल दिये जाते हैं। गढवाल हिमालय में समुद्रतल से 3581 मीटर की उंचाई पर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम सर्दियों में भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है।

सोनिया के बाद प्रियंका को हुई रहस्यमय बीमारी!


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

सोनिया के बाद प्रियंका को हुई रहस्यमय बीमारी!
कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को रहस्यमय बीमारी हुई है, उसका इलाज अमरीका में चला है, न्यूयार्क में उनके इलाज के दौरान 18 लाख रूपए रोजाना के कमरे में उन्हें रखा गया था। उनके साथ गए एसपीजी के दस्ते और अन्य सरकारी नुमाईंदों का खर्च भी भारीभरकम रहा। इसका भोगमान किसने भोगा और सोनिया को क्या बीमारी हुई थी यह बात आज तक किसी को नहीं पता है। खबर है कि अब उनकी पुत्री प्रियंका वढ़ेरा को रहस्यमय बीमारी हो गई है। प्रियंका के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनकी बीमारी के बारे में मीडिया में आई खबरें सही नहीं हैं। उन्हें गॉल ब्लेडर की जिस बीमारी से पीडित बताया जा रहा है वास्तव में उनकी बीमारी उससे कहीं गंभीर है। भगवान करे वे जल्दी स्वस्थ्य हों और उनकी गंभीर रहस्यमय बीमारी की खबर गलत ही निकले, क्योंकि रायबरेली की अगली महारानी वे ही बनने जा रही हैं।

राजनाथ का हाथ तंग!
बनिया ब्राम्हणों की पार्टी मानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रही है। भाजपा में थैली संस्कृति का बोलबाला समझा जाता है। भाजपा की कमान जबसे राजनाथ सिंह ने संभाली है तबसे भाजपा की आर्थिक हालत बेहद पतली नजर आ रही है। दिल्ली में हुई कार्यकारिणी की बैठक में देश भर से आए प्रतिनिधियों को आलीशान होटल्स के बजाए पहाड़गंज और करोलबाग में ना केवल सस्ते होटलों में ठहराया गया है वरन् उनकी सेवा में इस बार टेक्सियां तक नहीं दिखीं। दिल्ली में रहने वाले पार्टी के कार्यकर्ताओं को कहा गया कि वे अपनी अपनी कार में इन प्रतिनिधियोें को लेकर तालकटोरा स्टेडियम पहुंचें। अब बड़े केंद्रीय स्तर के नेताओं को चाटर्ड प्लेन या चौपर की सवारी नसीब नहीं हो पा रही है। उन्हें लाने ले जाने के लिए भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों का दौरा दर्शाकर राज्यों के संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। राजनाथ का राज आते ही पार्टी में फंड और उत्साह की कमी साफ दिखाई पड़ने लगी है।

जेतली की नजरों में मनमोहन कपूत!
भारत गणराज्य के वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह सपूत हैं या कपूत इस बात के बारे में तो उनके परिजन ही बता सकते हैं पर राज्य सभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष अरूण जेतली की नजरों में वे कपूत ही हैं। जेतली का कहना है कि केंद्र सरकार का बर्ताव आश्चर्यजनक है। वह अपने माता पिता की हत्या करने के बाद लोगों से दया की उम्मीद इस बात को रेखांकित करके कर रही है कि वह अनाथ है। देश पर आठ सालों से काबिज यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम दावा कर रहे हैं कि आर्थिक हालत चुनौतिपूर्ण हैं। हालात क्या रातों रात बने हैं? इस तरह के हालात बनने के लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ही पूरी तरह जवाबदार है। अब अरूण जेतली को कौन समझाए कि आपकी नजर में मनमोहन सिंह और उनकी सरकार कपूत है तो विपक्ष में आप बैठे हैं, आप खुद तय करें कि आप सपूत हैं या कपूत? क्योंकि अगर सरकार 8 साल से गलत कर रही है तो आप सो रहे हैं क्या?

बोफोर्स के बाद अब चौपर का जिन्न
सदी के महानायक अमिताब बच्चन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बोफोर्स मामले में उन पर लगे आरोपों से उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली थी। अब उनके निज सचिव राजीव त्यागी के कारण वे उलझते नजर आ रहे हैं। हेलीकाप्टर घोटाले में जूली त्यागी और संदीप त्यागी का नाम आना बिग बी के लिए परेशानी का सबब बना है, क्योंकि राजीव उनके भाई हैं। राजीव के प्रभार में अमिताभ ने इलाहबाद से सांसद का चुनाव लडा और जीते। राजीव गांधी से बिग बी के रिश्तों के चलते राजीव काफी ताकतवर थे तो अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी के दमाद भट्टाचार्य से इनकी गहरी छनती थी। वहीं त्यागी को एनसीपी के नेता देवी प्रसाद त्रिपाठी का बेहद करीबी माना जाता है। कहा जाता है कि राजीव त्यागी के पास दिल्ली में अरबों की प्रापर्टी है। अब राजीव त्यागी कहीं एक बार फिर बिग बी की मुश्किलें ना बढ़ा दें।

इतिहास रचते मनमोहन!
भारत गणराज्य के नेहरू गांधी परिवार से इतर वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह 2014 में सेवानिवृत हो सकते हैं। भारत गणराज्य में वे इतिहास रचने जा रहे हैं। पहले तो उनके नाम यह बात हो गई है कि कांग्रेस में वे पहले एसे वजीरे आजम हैं जो नेहरू गांधी परिवार से ताल्लुक नहीं रखता और सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री के पद पर रहा हो। इसके साथ ही साथ दूसरा रिकार्ड भी उनके नाम ही होने जा रहा है जिसके अनुसार वे देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं जो अब तक एक भी चुनाव ना जीता हो और उसने लाल किले की प्राचीर से देश को सबसे ज्यादा बार संबोधित किया हो। डॉअर्थात पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से राजनीति करने वाले नेता के रूप में उनकी पहचान होने लगी है। मूलतः चंडीगढ़ से संबंध रखने वाले डॉ. मनमोहन सिंह को एक मर्तबा दिल्ली की जनता नकार चुकी है। इसके बाद वे इस कदर डर गए थे कि उन्होंने दुबारा चुनाव लड़ना ही उचित नहीं समझा।

नेताजी के दखल से परेशान हुए अखिलेश
उत्तर प्रदेश के युवा निजाम अखिलेश सिंह सीएम बनने के बाद से ही खासे परेशान नजर आ रहे हैं। इसका कारण उनका रबर स्टेंप सीएम होना है। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव यानी नेता जी का पूरा पूरा नियंत्रण है सरकार पर। वे जब चाहे तब अखिलेश की मुश्कें कसते रहते हैं। रही बात अखिलेश के मंत्रियों की तो अखिलेश अपने मंत्रियों की नकेल भी नहीं कस पाते हैं, क्योंकि बचपन से वे इन मंत्रियों को अपनी कोठी के इर्दगिर्द ही देखते आए हैं, इस लिहाज से सभी मंत्री अखिलेश के अंकल ही हुए। अब कोई भी कार्यकर्ता अगर किसी मंत्री की शिकायत लेकर अखिलेश के पास जाता है तो अखिलेश अपने आप को उस चाचा या अंकल मंत्री के खिलाफ कार्यवाही करने में अक्षम ही पाते हैं। इस तरह कार्यकर्ताओं में अखिलेश यादव की छवि खराब बनती जा रही है। इसकी शिकायत जब नेताजी से होती है तो नेताजी एक बार फिर अखिलेश के कान उमेठने में कोताही नहीं बरतते।

शिव के रडार पर हैं मोदी!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा कार्यकारिणी में गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी के जयकारे पसंद नहीं आए। उन्होंने अपने रडार पर मोदी को ले लिया है। भाजपा के एक नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि शिवराज चाह रहे हैं कि मोदी को चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बना दिया जाए, ताकि कर्नाटक में संभावित हार का ठीकरा उनके सर फूट जाए। उधर चतुर सुजान नरेंद्र मोदी अभी इस पद को धारित करने को तैयार नहीं हैं। इधर शिवराज सिंह चौहान और छत्तीगढ़ के रमन सिंह इस प्रयास में दिख रहे हैं कि मोदी यह पद अभी ले लें। चोहान और सिंह के दूत मोदी को यह कहकर मना रहे हैं कि कर्नाटक की हार के साथ ही साथ एमपी छग और दिल्ली की जीत का सेहरा भी तो उनके सर होगा। मोदी को आशंका है कि इस बार एमपी में कहीं कांग्रेस सरकार ना बना ले तो फिर कर्नाटक और एमपी की हार का ठीकरा उनके सर फूट सकता है।

हकीकत बयां कर रहीं या डरा रहीं शीला
कितने आश्चर्य की बात है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित बयान देती हैं कि उनकी बेटी भी दिल्ली में अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है और विपक्ष में बैठी भाजपा ताली पीटने लगती है। शीला दीक्षित ने यह बयान भावावेश में दिया या ताली पिटवाने को यह बात तो वे ही बेहतर जानती होंगीं पर शीला दी आप दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली की कानून और व्यवस्था पर नियंत्रण रखना आपकी जिम्मेवारी है। आप पंद्रह सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं। इन पंद्रह सालों में आपने दिल्ली को एक महफूज शहर नहीं बना सका है, तो क्या आप मुख्यमंत्री पद की हकदार हैं? यह प्रश्न देखा जाए तो भाजपा को पूछ लेना चाहिए, पर आम नागरिक की चिंता ही किसे है। अब तो दिल्ली में युवा कोमलांगी बालाएं पूछ रहीं है कि सीएम शीला दीक्षित दिल्ली की हकीकत बता रहीं हैं या फिर दरिंदों की तरफ खड़े होकर हमें डरा रही हैं?

शिव भी सेट हैं गौतम थापर से!
देश के मशहूर उद्योगपति और शराब कारोबारी कंपनियों के मालिक गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा एमपी में सिवनी के आदिवासी बाहुल्य घंसौर ब्लाक में डाले जा रहे पावर प्लांट में बिजली उत्पादन की समय सीमा इस माह समाप्त हो रही है और संयंत्र में अभी निर्माण कार्य आधा भी नहीं हो पाया है। 2009 से ही अपनी स्थापना के साथ ही यह संयंत्र विवाद और चर्चाओं में रहा है। आरंभ में जमीन के अधिग्रहण, मुआवजे, मजदूरों की मौत के साथ ही साथ प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की लोकसुनवाई के कारण यह चर्चा में रहा। कहते हैं उस समय तत्कालीन केंद्रीय उर्जा  मंत्री सुशील कुमार शिंदे थापर से सेट थे तो अब एमपी के निजाम शिवराज चौहान सैट हो गए हैं, नियत तिथि में उत्पादन आरंभ ना होने का भी उन्हें कोई मलाल नहीं।

एसी कैसी विज्ञापन नीति!
मध्य प्रदेश में सत्ता और मीडिया के बीच समन्वय बनने के साथ ही साथ शासन की जनकल्याणकारी नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा अब अपनी ही बनाई नीतियों की मुखालफत करता नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा बनाई गई विज्ञापन नीति की कंडिका 11 का उल्लंघन साफ तौर पर होता प्रतीत हो रहा है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क की आधिकारिक वेब साईट एमपीइन्फो डॉट ओआरजी पर डाली गई एडव्टाईजमेंट पालिसी की पीडीएफ फाईल में अनेक कंडिकाओं का उल्लेख किया गया है जिनके उल्लंघन करने पर संबंधित मीडिया संस्थान को जनसंपर्क विभाग द्वारा अपनी विज्ञापन सूची में शामिल ना किए जाने या शामिल होने पर उसे हटाने की बात कही गई है। अनेक अखबार या मीडिया संस्थान इसका खुला उल्लंघन कर रहे हैं पर वे शिवराज के प्रिय बने हुए हैं।

पुच्छल तारा
राजनेताओं को जो बयान देना होता है वे काफी सोच समझ कर दिए जाने चाहिए, वरना अर्थ का अनर्थ होते देर नहीं लगती। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बयान दिया कि वे शादी नहीं करेंगे क्योंकि बच्चे पैदा हो जाते हैं। और उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनना है। अब सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर राहुल को जमकर छीला जा रहा है। उनके शादी वाले बयान पर पंडित जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी और इंदिरा गांधी को परेशान दिखाया जा रहा है तो पीएम वाले बयान पर यह कहा जा रहा है जब पीएम नहीं बनना तो माता जी यानी सोनिया को ही अध्यक्ष रहने देना था एसी कौन सी आग लग गई थी जो खुद उपाध्यक्ष बन गए।