ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
सोनिया के बाद प्रियंका को हुई रहस्यमय
बीमारी!
कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया
गांधी को रहस्यमय बीमारी हुई है, उसका इलाज अमरीका में चला है, न्यूयार्क में उनके इलाज
के दौरान 18 लाख रूपए रोजाना के कमरे में उन्हें रखा गया था। उनके साथ गए एसपीजी के
दस्ते और अन्य सरकारी नुमाईंदों का खर्च भी भारीभरकम रहा। इसका भोगमान किसने भोगा और
सोनिया को क्या बीमारी हुई थी यह बात आज तक किसी को नहीं पता है। खबर है कि अब उनकी
पुत्री प्रियंका वढ़ेरा को रहस्यमय बीमारी हो गई है। प्रियंका के करीबी सूत्रों का कहना
है कि उनकी बीमारी के बारे में मीडिया में आई खबरें सही नहीं हैं। उन्हें गॉल ब्लेडर
की जिस बीमारी से पीडित बताया जा रहा है वास्तव में उनकी बीमारी उससे कहीं गंभीर है।
भगवान करे वे जल्दी स्वस्थ्य हों और उनकी गंभीर रहस्यमय बीमारी की खबर गलत ही निकले,
क्योंकि रायबरेली
की अगली महारानी वे ही बनने जा रही हैं।
राजनाथ का हाथ तंग!
बनिया ब्राम्हणों की पार्टी मानी
जाने वाली भारतीय जनता पार्टी इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रही है। भाजपा में थैली
संस्कृति का बोलबाला समझा जाता है। भाजपा की कमान जबसे राजनाथ सिंह ने संभाली है तबसे
भाजपा की आर्थिक हालत बेहद पतली नजर आ रही है। दिल्ली में हुई कार्यकारिणी की बैठक
में देश भर से आए प्रतिनिधियों को आलीशान होटल्स के बजाए पहाड़गंज और करोलबाग में ना
केवल सस्ते होटलों में ठहराया गया है वरन् उनकी सेवा में इस बार टेक्सियां तक नहीं
दिखीं। दिल्ली में रहने वाले पार्टी के कार्यकर्ताओं को कहा गया कि वे अपनी अपनी कार
में इन प्रतिनिधियोें को लेकर तालकटोरा स्टेडियम पहुंचें। अब बड़े केंद्रीय स्तर के
नेताओं को चाटर्ड प्लेन या चौपर की सवारी नसीब नहीं हो पा रही है। उन्हें लाने ले जाने
के लिए भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों का दौरा दर्शाकर राज्यों के संसाधनों का उपयोग
किया जा रहा है। राजनाथ का राज आते ही पार्टी में फंड और उत्साह की कमी साफ दिखाई पड़ने
लगी है।
जेतली की नजरों में मनमोहन कपूत!
भारत गणराज्य के वजीरे आजम डॉ.मनमोहन
सिंह सपूत हैं या कपूत इस बात के बारे में तो उनके परिजन ही बता सकते हैं पर राज्य
सभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष अरूण जेतली की नजरों में वे कपूत ही हैं। जेतली का
कहना है कि केंद्र सरकार का बर्ताव आश्चर्यजनक है। वह अपने माता पिता की हत्या करने
के बाद लोगों से दया की उम्मीद इस बात को रेखांकित करके कर रही है कि वह अनाथ है। देश
पर आठ सालों से काबिज यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम दावा कर रहे
हैं कि आर्थिक हालत चुनौतिपूर्ण हैं। हालात क्या रातों रात बने हैं? इस तरह के हालात बनने के
लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ही पूरी तरह जवाबदार है। अब अरूण जेतली को कौन
समझाए कि आपकी नजर में मनमोहन सिंह और उनकी सरकार कपूत है तो विपक्ष में आप बैठे हैं,
आप खुद तय करें
कि आप सपूत हैं या कपूत? क्योंकि अगर सरकार 8 साल से गलत कर रही है तो आप सो रहे हैं
क्या?
बोफोर्स के बाद अब चौपर का जिन्न
सदी के महानायक अमिताब बच्चन की मुश्किलें
बढ़ सकती हैं। बोफोर्स मामले में उन पर लगे आरोपों से उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली
थी। अब उनके निज सचिव राजीव त्यागी के कारण वे उलझते नजर आ रहे हैं। हेलीकाप्टर घोटाले
में जूली त्यागी और संदीप त्यागी का नाम आना बिग बी के लिए परेशानी का सबब बना है,
क्योंकि राजीव
उनके भाई हैं। राजीव के प्रभार में अमिताभ ने इलाहबाद से सांसद का चुनाव लडा और जीते।
राजीव गांधी से बिग बी के रिश्तों के चलते राजीव काफी ताकतवर थे तो अटल बिहारी बाजपेयी
के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी के दमाद भट्टाचार्य से इनकी गहरी छनती थी। वहीं त्यागी
को एनसीपी के नेता देवी प्रसाद त्रिपाठी का बेहद करीबी माना जाता है। कहा जाता है कि
राजीव त्यागी के पास दिल्ली में अरबों की प्रापर्टी है। अब राजीव त्यागी कहीं एक बार
फिर बिग बी की मुश्किलें ना बढ़ा दें।
इतिहास रचते मनमोहन!
भारत गणराज्य के नेहरू गांधी परिवार
से इतर वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह 2014 में सेवानिवृत हो सकते हैं। भारत गणराज्य में
वे इतिहास रचने जा रहे हैं। पहले तो उनके नाम यह बात हो गई है कि कांग्रेस में वे पहले
एसे वजीरे आजम हैं जो नेहरू गांधी परिवार से ताल्लुक नहीं रखता और सबसे ज्यादा समय
तक प्रधानमंत्री के पद पर रहा हो। इसके साथ ही साथ दूसरा रिकार्ड भी उनके नाम ही होने
जा रहा है जिसके अनुसार वे देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं जो अब तक
एक भी चुनाव ना जीता हो और उसने लाल किले की प्राचीर से देश को सबसे ज्यादा बार संबोधित
किया हो। डॉअर्थात पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से राजनीति करने वाले नेता के रूप में
उनकी पहचान होने लगी है। मूलतः चंडीगढ़ से संबंध रखने वाले डॉ. मनमोहन सिंह को एक मर्तबा
दिल्ली की जनता नकार चुकी है। इसके बाद वे इस कदर डर गए थे कि उन्होंने दुबारा चुनाव
लड़ना ही उचित नहीं समझा।
नेताजी के दखल से परेशान हुए अखिलेश
उत्तर प्रदेश के युवा निजाम अखिलेश
सिंह सीएम बनने के बाद से ही खासे परेशान नजर आ रहे हैं। इसका कारण उनका रबर स्टेंप
सीएम होना है। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव यानी नेता जी का पूरा पूरा नियंत्रण
है सरकार पर। वे जब चाहे तब अखिलेश की मुश्कें कसते रहते हैं। रही बात अखिलेश के मंत्रियों
की तो अखिलेश अपने मंत्रियों की नकेल भी नहीं कस पाते हैं, क्योंकि बचपन से वे इन मंत्रियों
को अपनी कोठी के इर्दगिर्द ही देखते आए हैं, इस लिहाज से सभी मंत्री अखिलेश के
अंकल ही हुए। अब कोई भी कार्यकर्ता अगर किसी मंत्री की शिकायत लेकर अखिलेश के पास जाता
है तो अखिलेश अपने आप को उस चाचा या अंकल मंत्री के खिलाफ कार्यवाही करने में अक्षम
ही पाते हैं। इस तरह कार्यकर्ताओं में अखिलेश यादव की छवि खराब बनती जा रही है। इसकी
शिकायत जब नेताजी से होती है तो नेताजी एक बार फिर अखिलेश के कान उमेठने में कोताही
नहीं बरतते।
शिव के रडार पर हैं मोदी!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज
सिंह चौहान को भाजपा कार्यकारिणी में गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी के जयकारे पसंद
नहीं आए। उन्होंने अपने रडार पर मोदी को ले लिया है। भाजपा के एक नेता ने नाम उजागर
ना करने की शर्त पर कहा कि शिवराज चाह रहे हैं कि मोदी को चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख
बना दिया जाए, ताकि कर्नाटक में संभावित हार का ठीकरा उनके सर फूट जाए। उधर चतुर सुजान नरेंद्र
मोदी अभी इस पद को धारित करने को तैयार नहीं हैं। इधर शिवराज सिंह चौहान और छत्तीगढ़
के रमन सिंह इस प्रयास में दिख रहे हैं कि मोदी यह पद अभी ले लें। चोहान और सिंह के
दूत मोदी को यह कहकर मना रहे हैं कि कर्नाटक की हार के साथ ही साथ एमपी छग और दिल्ली
की जीत का सेहरा भी तो उनके सर होगा। मोदी को आशंका है कि इस बार एमपी में कहीं कांग्रेस
सरकार ना बना ले तो फिर कर्नाटक और एमपी की हार का ठीकरा उनके सर फूट सकता है।
हकीकत बयां कर रहीं या डरा रहीं शीला
कितने आश्चर्य की बात है कि दिल्ली
की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित बयान देती हैं कि उनकी बेटी भी दिल्ली में अपने
आप को असुरक्षित महसूस करती है और विपक्ष में बैठी भाजपा ताली पीटने लगती है। शीला
दीक्षित ने यह बयान भावावेश में दिया या ताली पिटवाने को यह बात तो वे ही बेहतर जानती
होंगीं पर शीला दी आप दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली की कानून और व्यवस्था पर नियंत्रण
रखना आपकी जिम्मेवारी है। आप पंद्रह सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं। इन पंद्रह
सालों में आपने दिल्ली को एक महफूज शहर नहीं बना सका है, तो क्या आप मुख्यमंत्री पद
की हकदार हैं? यह प्रश्न देखा जाए तो भाजपा को पूछ लेना चाहिए, पर आम नागरिक की चिंता ही किसे है।
अब तो दिल्ली में युवा कोमलांगी बालाएं पूछ रहीं है कि सीएम शीला दीक्षित दिल्ली की
हकीकत बता रहीं हैं या फिर दरिंदों की तरफ खड़े होकर हमें डरा रही हैं?
शिव भी सेट हैं गौतम थापर से!
देश के मशहूर उद्योगपति और शराब कारोबारी
कंपनियों के मालिक गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स
झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा एमपी में सिवनी के आदिवासी बाहुल्य घंसौर ब्लाक में डाले
जा रहे पावर प्लांट में बिजली उत्पादन की समय सीमा इस माह समाप्त हो रही है और संयंत्र
में अभी निर्माण कार्य आधा भी नहीं हो पाया है। 2009 से ही अपनी स्थापना के साथ ही
यह संयंत्र विवाद और चर्चाओं में रहा है। आरंभ में जमीन के अधिग्रहण, मुआवजे, मजदूरों की मौत के साथ ही
साथ प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की लोकसुनवाई के कारण यह चर्चा में रहा। कहते हैं उस समय
तत्कालीन केंद्रीय उर्जा मंत्री सुशील कुमार
शिंदे थापर से सेट थे तो अब एमपी के निजाम शिवराज चौहान सैट हो गए हैं, नियत तिथि में उत्पादन आरंभ
ना होने का भी उन्हें कोई मलाल नहीं।
एसी कैसी विज्ञापन नीति!
मध्य प्रदेश में सत्ता और मीडिया
के बीच समन्वय बनने के साथ ही साथ शासन की जनकल्याणकारी नीतियों के प्रचार प्रसार के
लिए पाबंद मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा अब अपनी ही बनाई नीतियों की मुखालफत करता
नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा बनाई गई विज्ञापन नीति की कंडिका
11 का उल्लंघन साफ तौर पर होता प्रतीत हो रहा है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क की आधिकारिक
वेब साईट एमपीइन्फो डॉट ओआरजी पर डाली गई एडव्टाईजमेंट पालिसी की पीडीएफ फाईल में अनेक
कंडिकाओं का उल्लेख किया गया है जिनके उल्लंघन करने पर संबंधित मीडिया संस्थान को जनसंपर्क
विभाग द्वारा अपनी विज्ञापन सूची में शामिल ना किए जाने या शामिल होने पर उसे हटाने
की बात कही गई है। अनेक अखबार या मीडिया संस्थान इसका खुला उल्लंघन कर रहे हैं पर वे
शिवराज के प्रिय बने हुए हैं।
पुच्छल तारा
राजनेताओं को जो बयान देना होता है
वे काफी सोच समझ कर दिए जाने चाहिए, वरना अर्थ का अनर्थ होते देर नहीं
लगती। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बयान दिया कि वे शादी नहीं करेंगे क्योंकि
बच्चे पैदा हो जाते हैं। और उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनना है। अब सोशल नेटवर्किंग
वेब साईट पर राहुल को जमकर छीला जा रहा है। उनके शादी वाले बयान पर पंडित जवाहर लाल
नेहरू, राजीव गांधी और इंदिरा गांधी को परेशान दिखाया जा रहा है तो पीएम वाले बयान पर
यह कहा जा रहा है जब पीएम नहीं बनना तो माता जी यानी सोनिया को ही अध्यक्ष रहने देना
था एसी कौन सी आग लग गई थी जो खुद उपाध्यक्ष बन गए।
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