गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

पत्रकार वार्ता में आधी अधूरी जानकारी दी मीडिया को!

पेड न्यूज के दायरे में सोशल मीडिया. . .

पत्रकार वार्ता में आधी अधूरी जानकारी दी मीडिया को!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सोशल मीडिया को पेड न्यूज के दायरे में लाए जाने के निर्णय के उपरांत आज जिला कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में संपन्न हुई पत्रकार वार्ता में न तो पेड न्यूज पर से ही कुहासा हट सका और न ही पत्रकार वार्ता लेने वाले अधिकारी और बरघाट और केवलारी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव पर होने वाले व्यय पर नजर रखने आए पर्यवेक्षक ही कुछ बता पाए। पत्रकारों के सवालों पर जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमति प्रियंका दास ने कहा कि वे वीसी (वीडियो कांफ्रेंसिंग) में पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब उपरसे बुलवाकर देंगीं।
कलेक्टर सभाकक्ष में आज अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी जे.समीर लकरा की अध्य्ाक्षता में प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिय्ाा को विधानसभा चुनाव २0१३ के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर केन्द्रीय्ा जागरूकता प्रेक्षक अरविन्द सुदर्शन सीईओ जिला पंचाय्ात श्रीमती प्रिय्ांका दास, कोषालय्ा अधिकारी कु.नेहा कलचुरी, पेंशन अधिकारी समदेकर, सहाय्ाक संचालक जनसंपर्क श्रीमती बबीता मिश्रा सहित अन्य्ा अधिकारी उपस्थित थे।
अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी जे.समीर लकरा ने बताय्ाा कि पेड न्य्ाूज (एम.सी.एम.सी.) मीडिय्ाा सर्टिफिकेशन एवं मानिटरिंग सेल बनाई गई है, जो २४ घंटे पेड न्य्ाूज हेतु प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक की मानीटरिंग कर रहा है। पेड न्य्ाूज एवं प्री सर्टिफिकेशन संबंधित जानकारी एवं शिकाय्ात हेतु फोन नंबर २२६४५६ (जो अभी खराब है) पर कॉल कर सकते हैं।

सोशल मीडिया के संबंध में दिशानिर्देश जारी
जिला पंचाय्ात के मुख्य्ा कायर््ापालन अधिकारी श्रीमति प्रिय्ांका दास ने बताय्ाा कि सोशल मीडिय्ाा के संबंध में चुनाव आय्ाोग ने विस्तृत निर्देश जारी किय्ो हैं। सोशल मीडिय्ाा की परिभाषा में विकिपीडिय्ाा, ट्वीटर, य्ाू-ट्यूब, फेसबुक, एप्पस आदि उदाहरणों को शामिल करते हुए चुनाव आय्ाोग ने निर्देशित किय्ाा है कि चुनाव प्रचार संबंधी सभी कानूनी प्रावधान सोशल मीडिय्ाा पर भी उसी तरह लागू हैं, जिस तरह किसी भी अन्य्ा इलेक्ट्रॉनिक माध्य्ाम पर।
इन निर्देशों में आय्ाोग ने कहा है कि नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्य्ााशी फार्म २६ के साथ एफिडेविट दाखिल करेंगे, फार्म २६ के पैरा ३ में अभ्य्ार्थी को अपनी ई-मेल आई.डी. (य्ादि कोई है) से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। फार्म -२६ का पैरा (३) को भी भरना अति आवश्य्ाक है। कॉलम खाली होने की स्थिति में अभ्य्ार्थी नामांकन रिटर्निंग अधिकारी द्वारा निरस्त भी किय्ाा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर प्रत्याशी द्वारा एक आईडी बताकर अन्य छिपाई जाती है तो भी रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उसका नामांकन निरस्त किया जा सकता है। आय्ाोग ने पूर्व से ही निर्देशित करते हुए कहा है कि प्रत्य्ोक पंजीकृत राष्ट्रीय्ा एवं राज्य्ा स्तरीय्ा राजनैतिक दलों एवं प्रत्य्ोक अभ्य्ार्थी को इलेक्ट्रॉनिक मीडिय्ाा में प्रसारित करने से पूर्व राजनैतिक विज्ञापनों की अनुमति ली जाना अनिवायर््ा है। इसी में आगे संशोधन करते हुए आय्ाोग ने कहा है कि एम.सी.एम.सी. कमेटी को विभिन्न स्तरों पर इस तरह के विज्ञापनों के प्रीसर्टिफिकेशन एवं पेड न्य्ाूज पर मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है।

पोस्ट या विज्ञापन का जुड़ेगा व्यय?
जब पत्रकारों द्वारा इस संबंध में यह पूछा गया कि क्या वेब साईट के मेन पेज के विज्ञापन का व्यय जुड़ेगा या किसी पोस्ट में विज्ञापन डाला जाता है उसका व्यय जुड़ेगा? इस पर वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि इस संबंध में स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। अधिकारियों के अनुसार जब कोई बात पहली मर्तबा होती है तो उसको समझने में समय लग ही जाता है। उल्लेखनीय होगा कि वर्तमान में चुनाव को महज 26 दिन ही बचे हैं। इन परिस्थितियों में अगर समझते समझते ही समय निकल गया तो मतदान की तिथि ही आ जाएगी।
पत्रकार वार्ता के अंत में यही बात उभरकर सामने आई कि आधी अधूरी जानकारी के जरिए ही उपर से आए निर्देशों को ही मीडिया में बंटवाया गया है। जब श्रीमति प्रियंका दास से यह पूछा गया कि यह जानकारी मीडिया के लोगों के ही पल्ले नहीं पड़ रही है तो आम जनता तक क्या प्रसारित किया जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि वे उपरवीसी के जरिए बात कर स्थिति स्पष्ट करेंगी। मीडिया में इस बात की चर्चा रही कि पत्रकार वार्ता लेने वाले अधिकारियों को ही इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं थी।
बहरहाल, आय्ाोग ने इसे आवश्य्ाक माना है कि सोशल मीडिय्ाा एकाउंट के संबंध में जानकारी अभ्य्ार्थी द्वारा आय्ाोग के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिय्ो। चूंकि सोशल मीडिय्ाा को भी एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक मीडिय्ाा के रूप में ही परिभाषित किय्ाा गय्ाा है, अतः प्री-सर्टिफिकेशन एवं पेड न्य्ाूज संबंधी समस्त निर्देश इंटरनेट/वेबसाईट आधारित सोशल मीडिय्ाा पर भी उसी तरह से लागू होगी जिस तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिय्ाा पर।
किसी भी प्रकार का राजनैतिक विज्ञापन तथा प्रचार किसी भी मीडिय्ाा इंटरनेट अथवा सोशल मीडिय्ाा वेबसाइटों के माध्य्ाम से किय्ो जाने के पूर्व सक्षम अधिकारी से प्री- सर्टिफिकेशन अनिवायर््ा है। प्री- सर्टिफिकेशन के निय्ाम एवं शर्तें पूर्व से निर्धारित है। उसी प्रक्रिय्ाा को अपनाते हुए सोशल मीडिय्ाा का उपय्ाोग किय्ाा जाना होगा।
सोशल मीडिय्ाा के माध्य्ाम से अभ्य्ार्थी द्वारा अपने सोशल एकाउंट पर जारी किय्ो गय्ो विज्ञापनों आदि का व्य्ाय्ा भी अभ्य्ार्थी के खाते में जोडे़ जाने के निर्देश, आय्ाोग द्वारा दिय्ो गय्ो हैं। प्रत्य्ोक प्रत्य्ााशी का दाय्ाित्व है कि सोशल मीडिय्ाा के माध्य्ाम से किय्ो जा रहे चुनाव का प्रचार-प्रसार का रिकार्ड संधारित करें, एवं रिटर्निंग अधिकारी/व्य्ाय्ा प्रेक्षक द्वारा रिकार्ड मांगे जाने पर प्रस्तुत भी करना होगा।

सोशल मीडिय्ाा के व्य्ाय्ा में क्य्ाा क्य्ाा शामिल होगा
सोशल मीडिय्ाा के अंतर्गत इंटरनेट के माध्य्ाम से जो विज्ञापन जारी करने के लिय्ो व्य्ाय्ा आ रहा है इस प्रकार होगा पार्टी अथवा प्रत्य्ााशी द्वारा विज्ञापन हेतु वेब-स्पेस हेतु वेबसाइट कंपनी को किय्ाा गय्ाा भुगतान, पार्टी अथवा प्रत्य्ााशी द्वारा विज्ञापन हेतु विज्ञापन तैय्ाार करने वाले व्य्ाक्ति दल/कंपनी को दी जाने वाली राशि/पार्टी अथवा प्रत्य्ााशी द्वारा निय्ाुक्त किय्ो गय्ो ऑपरेटर/अन्य्ा सहय्ाोग जिनके माध्य्ाम से गतिविधिय्ाों का संचालन किय्ाा जा रहा है। उनका वेतन/मानदेय्ा पारिश्रमिक भी शामिल होगा।

आदर्श आचार संहिता में सोशल मीडिय्ाा को भी शामिल किय्ाा गय्ाा है। आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान जो निर्देश इलेक्ट्रॉनिक मीडिय्ाा/प्रिन्ट मीडिय्ाा पर प्रतिबंधित य्ाा वर्जित है। वह सोशल मीडिय्ाा पर भी लागू होगी। सोशल मीडिय्ाा में जो भी विज्ञापन अपलोड किय्ाा जाय्ोगा, उसमें किसी भी प्रकार से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिय्ो। सोशल मीडिय्ाा पर किसी प्रकार का आचार संहिता का उल्लंघन पाय्ो जाने पर सुसंगत धाराओं के अंतर्गत एवं साय्ाबर क्राइम मानते हुए प्रकरण पंजीबद्व किय्ाा जाय्ोगा।

मनमर्जी पर उतारू रिलायंस

मनमर्जी पर उतारू रिलायंस

(शरद खरे)

मोबाईल के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस इन दिनों मनमर्जी पर उतारू नजर आ रही है। रिलायंस कंपनी द्वारा सिवनी जिले का सीना छलनी किया जा रहा है। दरअसल, देश की मशहूर कंपनी रिलायंस द्वारा सिवनी जिले में टेलीफोन केबल के लिए खोदी जा रही नाली के कारण, आज बीएसएनएल की ऑप्टीकल फायबर कनेक्टिंग केबल (ओएफसी) कट जाने से सिवनी में बीएसएनएल की सेवाएं दिन भर प्रभावित रहीं। ज्ञातव्य है कि एक ओर जहां फोरलेन सड़क निर्माण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है, वहीं एक निजी सेवा प्रदाता टेलीफोन कंपनी द्वारा पता नहीं किसकी अनुमति से रक्षित वन क्षेत्र के उस हिस्से में वन विभाग के मुनारे के अंदर खुदाई की जा रही है।
यह सर्वविदित है कि सिवनी से जबलपुर रोड पर बंजारी और छपारा के बीच फोरलेन सड़क के निर्माण का काम इसलिए रूका हुआ है क्योंकि इसे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से क्लियरेंस नहीं मिल सका है। यह मामला वर्ष 2008 से मंत्रालय की सीढ़ियां चढ़-उतर रहा है। गत दिवस बंजारी से छपारा के बीच के जंगल में सड़क से लगे हिस्से में एक निजी सेवा प्रदाता टेलीफोन कंपनी के केबल संभवतः ओएफसी डालने के लिए, खुदाई युद्ध स्तर पर जारी है। इस संबंध में अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि जब सड़क निर्माण के लिए वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिल पाई है तो फिर निजी कंपनी को किस आधार पर खुदाई की अनुमति प्रदाय कर दी गई है, अथवा बिना किसी की अनुमति के इस कंपनी के कारिंदों द्वारा वन विभाग के मुनारे के अंदर ही खुदाई के काम को अंजाम दिया जा रहा है।
जब मामला समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने उछाला तो देश भर में अनेक समाचार वेब पोर्टल्स, अखबारों की सुर्खियों में सिवनी जिले का नाम रिलायंस के इस कृत्य के कारण आ गया। जब मामले ने तूल पकड़ना आरंभ किया तो वन विभाग की तंद्रा टूटी। वन विभाग द्वारा अपने अधिकारियों को जांच के लिए मौके पर भेजा गया। पत्रकार राजेश स्थापक के अनुसार संबंधित वनमण्डलाधिकारी ने यह स्वीकार किया है कि रिलायंस द्वारा की जा रही खुदाई, वन विभाग के क्षेत्र के अंदर नियम विरूद्ध की जा रही है। अगर यह बात सत्य है तो फिर वन विभाग द्वारा रिलायंस के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए किस मुहूर्त का इंतजार किया जा रहा है।
गत दिवस, दिन भर बीएसएनएल के मोबाईल और फिक्सड लाईन पूरी तरह प्रभावित ही रहीं। आलम यह था कि डब्लूएलएल का नेटवर्क तो सुबह से ही बंद रहा है। इस संबंध में शाम को जब बीएसएनएल के जिला अभियंता से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि रिलायंस कंपनी द्वारा केबल डालने के लिए जमीन की खुदाई की जा रही है। इसी खुदाई के चलते बीएसएनएल की ओएफसी केबल कट गई है जिससे बीएसएनएल का नेटवर्क प्रभावित हुआ है।
देखा जाए तो बीएसएनएल के ओएफसी केबल जहां जहां से गुजरा है वहां केबल डालते समय इस बात का ऐहतियात रखा जाता है कि भविष्य में अगर कोई खुदाई करे तो उसे यह भान हो जाए कि नीचे से बीएसएनएल का ओएफसी केबल गुजर रहा है। कई स्थानों पर तो बाकायदा बोर्ड तक लगे होते हैं। इतना सब होने के बाद भी रिलायंस के द्वारा आखिर किसकी शह पर खुलेआम वन क्षेत्र में नियम विरूद्ध खुदाई करवाई जा रही है। इतना ही नहीं बीएसएनएल का केबल भी काट दिया जाता है और पहले से ही लंगड़ाकर चलने वाले भारत संचार निगम लिमिटेड के आला अधिकारी अपनी चुप्पी भी इस मामले में बरकरार रखे हुए हैं। पता नहीं बीएसएनएल के अधिकारियों पर उपरया टेबिल के नीचेका कौन सा दबाव है जिसके चलते वे रिलायंस के खिलाफ कार्यवाही से कतरा ही रहे हैं।
अगर किसी आम आदमी के द्वारा सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़ की गई होती तो अब तक तो बीएसएनएल का पूरा का पूरा अमला ही कूदकर आम आदमी की हवा गरम कर देता, पर मामला जब रिलायंस जैसी नामचीन कंपनी का आया तो सरकारी महकमे को मानो सन्निपात (लकवा मार गया) हो गया हो।
वैसे भी रिलायंस सालों से निजी क्षेत्र में मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी है। रिलायंस के कारिंदों को यह भान अवश्य ही होगा कि ओएफसी आदि डालते समय किस बात की सावधानी बरतना आवश्यक है। अगर रिलायंस के कारिंदों ने लापरवाही के चलते केबल काटी है तो उन पर सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। मामला चूंकि भारत सरकार के साथ जुड़ा हुआ है, अतः इस मामले में सांसदों का भी दायित्व बनता है कि वे संज्ञान लेकर कार्यवाही करें।
इसके पहले भी पिछले साल एक निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा सिवनी शहर का सीना छलनी किया गया था। उस कंपनी द्वारा भी जगह जगह गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए थे। बारिश के मौसम में खोदे गए गड्ढों में अनेक राहगीर गिरकर चोटिल हुए तो वहीं दूसरी ओर अनेक वाहन गड्ढ़ों में फंसे जिससे उनमें टूट फूट हुई थी। इसकी शिकायत करने पर भी ठेकेदारों और कंपनी की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
अगर रिलायंस द्वारा केबल काटी गई है और बीएसएनएल के अधिकारियों के संज्ञान में यह बात आ चुकी है तो सेवा प्रदाता कंपनी बीएसएनएल द्वारा निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस पर भारी जुर्माना ठोका जाना चाहिए क्योंकि अगर बीएसएनएल के ग्राहकों ने बीएसएनएल पर, सेवा में कमी का मुकदमा दायर कर दिया तो विभाग के लेने के देने पड़ जाएंगे। बीएसएनएल का सीडीएमए इससे, सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। सूत्रों की मानें तो टीएम के प्रभावित होने के कारण अब रायपुर की ओर से शायद लाईन को क्लीयर कराकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
देखा जाए तो परोक्ष तौर पर वन विभाग द्वारा देश की मशहूर रिलायंस कंपनी को अपना काम समाप्त करने (चाहे वह नियम विरूद्ध क्योें न हो रहा हो) के लिए पर्याप्त समय दिया जाना ही प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रहा है। रिलायंस कंपनी द्वारा मशीनों द्वारा ताबड़तोड़ खुदाई की जा रही है।