रविवार, 13 अप्रैल 2014

दिया तले अंधेरा ही साबित हुआ स्वीप प्लान!

दिया तले अंधेरा ही साबित हुआ स्वीप प्लान!
(लिमटी खरे)
सिवनी जिले में मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने और मतदान के इस महापर्व में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्वीप प्लान चलाया गया। स्वीप प्लान के वाहन जिले भर में धूल उड़ाते घूमते रहे। कभी कवि सम्मेलन तो कभी स्वीप होली का आयोजन किया गया। लग रहा था मानो इस बार स्वीप प्लान के कारण सिवनी जिले में मतदाता अपने-अपने मताधिकार के प्रति जागेंगे और मतदान का प्रतिशत पिछली विधानसभा के मुकाबले कुछ हद तक बढ़ जाएगा।
स्वीप प्लान के तहत न जाने कितनी टी शर्ट जिस पर वोट देने के लिए प्रेरित करने के कोटेशन लिखे हुए थेपहनकर अधिकारी कर्मचारी और शहर के लोग घूमते दिखे। स्वीप होली में भी बड़ी तादाद में श्वेत धवल टी‘ शर्ट्स को रंग दिया गया। ये शर्ट्स सरकारी स्तर पर खरीदी गई होंगी। कुछ अधिकारी मन ही मन इस तरह की कथित बर्बादी को लेकर अंदर ही अंदर नाराज भी दिख रहे थे।
स्वीप में हुए खर्च की जानकारी मांगेंगे
जिला न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज शर्मा का कहना है कि वे स्वीप प्लान के तहत हुए इस आयोजन में कितना व्यय हुआ इस बात की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त करने का प्रयास अवश्य करेंगे ताकि वे इस बात का आंकलन कर सकें कि स्वीप प्लान में सरकारी स्तर पर हुए व्यय के क्या प्रतिसाद सामने आए हैं।
कर्मचारी ही वोट देने से रहे वंचित
अधिवक्ता पंकज शर्मा ने यह भी कहा कि उनको समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की खबरों के मार्फत इस बात की जानकारी मिली है कि जिले के हजारों कर्मचारियों को वोट देने ही नहीं मिला है। इसका कारण उन्हें ईडीसी (इलेक्शन ड्यिूटी प्रमाण पत्र) नहीं मिलना बताया जा रहा है। दरअसल अगर किसी सरकारी कर्मचारी को उसकी मतदाता सूची के बाहर वाले लोकसभा क्षेत्र में तैनात किया जाता है तो उसे निश्चित तौर पर पोस्टल वैलट दिया जाएगापर अगर वह अपने ही लोकसभा क्षेत्र में तैनात रहता है (भले ही विधानसभा बदल जाए) तो भी उसे तैनाती वाले मतदान केंद्र में ईडीसी के जरिए वोट देने दिया जाता है।
नहीं मिले ईडीसी
बताते हैं कि अनेक कर्मचारियों को ईडीसी ही प्राप्त नहीं हो सके हैं। पहले और दूसरे प्रशिक्षण में अनेकानेक प्रपत्र भरवाए जाने के बाद कर्मचारियों को कहा गया था कि उन्हें बाद में पॉलीटेक्निक कॉलेज से मतदान सामग्री के वितरण के समय प्रथक काउंटर बनवाकर ईडीसी दे दिया जाएगा। जब कर्मचारी सामग्री लेकर उस काउंटर पर पहुंचे तो वहां उन्हें ईडीसी नहीं मिला। बाद में यह कहा गया कि उन्हें ईडीसी सेक्टर मजिस्ट्रेट के माध्यम से मतदान केंद्र में ही सीधे भिजवा दिया जाएगा। विडम्बना ही कही जाएगी कि कर्मचारियों को ईडीसी न मिल पाने के कारण वे मतदान से वंचित ही रह गए।
जोर शोर से चला स्वीप प्लान
जिले भर में स्वीप प्लान को जोर शोर से सरकारी स्तर पर चलाया गया था। प्रशासनिक अधिकारियों का यह प्रयास था कि स्वीप प्लान के जरिए वे जिले भर में लोगों को मतदान के लिए जागरूक करें। लोगों को मतदान के फायदे भी बताए गए। इसके लिए कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। इतना ही नहीं मिशन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में स्वीप होली का आयोजन भी किया गयाजिसमें शहर के अनेकानेक लोगों ने शिरकत भी की। स्वीप प्लान जिस स्तर पर चलाया जा रहा था उससे लग रहा था कि इस बार विधानसभा चुनावों से ज्यादा मतदान हो सकता है।
विधानसभा से कम हुआ मतदान!
पर यह क्याजब मतदान के बाद शाम छः बजे का आंकड़ा जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी किया गया तो उसमें मतदान का प्रतिशत विधानसभा चुनावों से कमतर ही रहा। यह अलहदा बात है कि जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में मतदान के प्रतिशत को वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों से ज्यादा दर्शाया गया। वस्तुतः यह आंकड़ों की बाजीगरी से ज्यादा कुछ नहीं माना जा सकता है। वर्ष 2009 की तुलना में इस बार मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। इस लिहाज से मतदान का प्रतिशत बढ़ना ही थापर हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो यह आंकड़ा उससे कम ही आया है।
यह है आंकड़ा!
पिछले साल नवंबर में संपन्न विधानसभा चुनावों में 114 बरघाट विधानसभा में 80.50 प्रतिशत पुरूष, 80.95 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल 80.72 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके जवाब में महज पांच माह बाद संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में बरघाट विधानसभा में 72.85 प्रतिशत पुरूष, 72.59 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल 72.72 प्रतिशत मतदान हुआ था। क्या पांच माह के बाद स्वीप प्लान के प्रयासों के बाद मतदान का प्रतिशत बढ़ पाया! जाहिर है आंकड़ों के अनुसार आठ फीसदी मतदान में कमी ही आई है।
सिवनी विधानसभा पर नजर डाली जाए तो 115 सिवनी विधानसभा में विधानसभा चुनावों में 77.45 प्रतिशत पुरूष, 77.45 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल मतदान 76.97 प्रतिशत हुआ था। वहींइस बार लोकसभा चुनावों में 67.70 प्रतिशत पुरूष, 62.61 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल मतदान 65.22 प्रतिशत हुआ है। इस तरह सिवनी विधानसभा में लोकसभा चुनावों में विधानसभा चुनावों की तुलना में निश्चित रूप से 11.75 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
वहीं 116 केवलारी विधानसभा में विधानसभा चुनावों के दौरान 82 प्रतिशत पुरूष, 82.12 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। केवलारी विधानसभा में मतदान का कुल प्रतिशत 82.06 रहा था। इस बार लोकसभा चुनावों में यह प्रतिशत घट गया। इस बार 70.20 प्रतिशत पुरूषों एवं 66.46 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल 65.22 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस तरह देखा जाए तो केवलारी विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनावों में चलाए गए स्वीप प्लान के बाद भी 13.68 प्रतिशत कम मतदान हुआ है।
इसी तरह 117 लखनादौन विधानसभा में विधानसभा चुनावों के दौरान 77.54 प्रतिशत पुरूषों और 78.68 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल 76.33 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार लोकसभा चुनावों में 67.47 प्रतिशत पुरूषों और 69.02 प्रतिशत महिलाओं के साथ कुल 65.85 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। इस तरह यहां भी स्वीप प्लान के अभियान के बाद भी 10.48 प्रतिशत कम ही मतदान हुआ है।
गिरा है मतदान का प्रतिशत
विधानसभा चुनावों में जहां 76.4 प्रतिशत मतदान हुआ था वहींलोकसभा चुनावों में मतदान का प्रतिशत गिरकर 68.04 हो गया है। इस तरह स्वीप प्लान के झंके-मंके के बाद भी जिले में विधानसभा चुनाव की तुलना में मतदान का प्रतिशत 8.36 गिरा है। क्या इसे स्वीप प्लान की सफलता माना जा सकता है?
आंकड़े बाजी का खेल
हमारी नितांत निजी राय में जिस तरह के आंकड़े जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किए गए हैं वह महज आंकड़ों के खेल से कम नहीं है। 2009 में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद मतदाताओं की तादाद में इजाफा हुआ होगा। चुनाव वही है चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा कामतदाता कमोबेश वही हैं। स्वीप प्लान पूरे शवाब पर थाफिर क्या कारण था कि विधानसभा के मुकाबले मतदान का प्रतिशत गिरता चला गया। अमूमन इस तरह की आंकड़े बाजी सियासी दलों में देखने को मिलती है। जब भी किसी प्रदेश में कोई सियासी दल की हार होती है तो उसके प्रदेश स्तरीय क्षत्रपों द्वारा वोट के प्रतिशत आदि के आंकड़े आलाकमान के समक्ष रखकर उन्हें भरमाने का प्रयास किया जाता है कि हम फलां प्रदेश में कम सीटें जीते हैं तो क्या हुआ हमारा वोट प्रतिशत तो बढ़ा हैइस तरह आलाकमान या शीर्ष नेता उनकी दलील सुनकर संतुष्ट हो जाते हैं। वहां कोई यह सवाल नहीं करता कि वोट परसेंटेज का क्या करेंगे भईहम प्रदेश में सरकार तो नहीं बना पाए न!
पता नहीं किसके खाते के रहे होंगे वोट!
सरकारी कर्मचारियों में जिन कर्मचारियों को मतदान करने का अवसर नहीं मिला उन्हें अब शायद ही यह मौका मिल पाए। जानकारों का कहना है कि मतदान के पूर्व तक पोस्टल वेलेट जारी किए जा सकते हैं। मतदान के उपरांत पोस्टल वेलेट शायद जारी नहीं किए जा सकते हैं। हांमतगणना के पूर्व पोस्टल वेलेट स्वीकार अवश्य ही किए जा सकते हैं। अब समस्या यह है कि मतदान से वंचित कर्मचारियों को वोट डालने का अवसर मिल पाएगा या नहींसाथ ही साथ मतदान से वंचित इन कर्मचारियों के वोट किसके खाते में जाने वाले थे यह भी रहस्य ही बना हुआ है।
दिया तले अंधेरा
कितने आश्चर्य की बात है कि सरकारी स्तर पर स्वीप प्लान चलाया जा रहा था वह भी वोट परसेंटेज को बढ़ाने के लिए। पर यह क्या सिवनी में विधानसभा के मुकाबले 10.48 प्रतिशत कम मतदान हुआ। क्या इसे तर्क संगत ठहराया जा सकता है कि जो सरकारी कर्मचारी मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी एक कर रहे हों उन्हें ही मतदान से वंचित रहना पड़ जाएजाहिर है नहीं। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी और जिला कलेक्टर को संज्ञान लेना होगा। जिन कर्मचारियों को ईडीसी नहीं मिला है उनको यह न मिल पाने के लिए जवाबदेह कौन हैंइन सारे जवाबदेहों को ढूंढकर उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हो सकता है कि आने वाले चुनावों में कामचोर कर्मचारियों के हौसले बुलंदी पर आ जाएं और अराजकता फैलने लगेइसलिए जिला कलेक्टर भरत यादव को कठोर कदम उठाकर एक नजीर पेश करना आवश्यक हैताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों को रोका जा सके।

अगर एजेंट ने बातों में उलझाकर पॉलिसी बेची है, तो घबराएं नहीं!

अगर एजेंट ने बातों में उलझाकर पॉलिसी बेची हैतो घबराएं नहीं!
(राजेश शर्मा)
भोपाल (साई)। बीमा पॉलिसी के दस्तावेज में ग्राहक के हस्ताक्षरों का यह मतलब नहीं है कि वह सभी नियम और शर्तों से पूरी तरह अवगत है।
इस आधार पर उसे कोई भी अव्यवहारिक बीमा उत्पाद नहीं बेचा जा सकता। बीमा पॉलिसी लेने वाले की आय और उसकी प्रीमियम चुकाने की क्षमता का भी ध्यान रखना चाहिए। बीमा लोकपाल आरके श्रीवास्तव ने इस आधार पर निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी बजाज एलियांज को निर्देश दिए हैं कि वह सात साल पहले 15 लोगों को बेची गई पॉलिसी रद्द करके उनसे लिया गया फर्स्ट प्रीमियम लौटा दे।
भ्रम में रखकर बेची 50 हजार प्रीमियम वाली लाइफ कवर पॉलिसी..
बीमा कंपनी के एजेंट ने इन 15 लोगों को फिक्स डिपॉजिट प्रॉडक्ट की जगह सालाना 35-50 हजार रुपए प्रीमियम वाला लाइफ कवर प्रॉडक्ट बेच दियाजबकि इनकी कोई नियमित आय ही नहीं थी। नियमानुसार व्यक्ति कि आय की तुलना में उसकी सभी मदों में दी जाने वाली किश्त 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसमें घरकार और कृषि ऋण में दी जाने वाली किश्त को भी प्रीमियम में जोड़ा जाता है। इतना ही नहीं इन्हें पॉलिसियां व्यक्ति विशेष के नाम से रजिस्टर्ड डाक के बजाय कूरियर से भेजी गई थी। नतीजतन इन्हें पॉलिसी 15 दिन का फ्री लुक पीरियड बीत जाने के बाद मिली।
उल्लेखनीय है कि बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की गाइडलाइन के तहत पॉलिसी जारी होने के 15 दिन के भीतर अगर ग्राहक को लगता है कि उन्हें गलत पॉलिसी दी हैतो वह उसे बदला सकते हैं। बीमा लोकपाल ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर कंपनी से तत्काल फर्स्ट प्रीमियम राशि लौटाने को कहा था। अब कंपनी भी लिए गए प्रीमियम को लौटाने को तैयार हो गई है। बीमा एजेंट की बातों में आकर कई लोगों ने एक ही नाम पर 4-5 पॉलिसी ले ली थी। जिनका सालाना प्रीमियम 2 से तीन लाख रुपए तक था।
बीमा लोकपाल को शिकायत करें,अगर...
बीमा कंपनी पूर्ण या आंशिक क्लेम देने से मना कर दे।
पॉलिसी के नियम और शर्तों के आधार पर बीमा प्रीमियम को लेकर विवाद हो।
पॉलिसी में क्लेम के नियम और कानून को लेकर विवाद हो।
क्लेम के भुगतान में विलंब हो।
प्रीमियम मिलने के बाद भी पॉलिसी।
कहां करें शिकायत
राजकुमार श्रीवास्तव
बीमा लोकपाल (मप्र और छग)
जनक विहार कांप्लेक्स
द्वितीय तल6 मालवीय नगर
भोपाल- 462011
फोन: 0755-2769200/201/202
हमने घर बेचकर खरीदी थी पॉलिसी
 हमारी नाममात्र की खेती है। 2007 में एक बीमा एजेंट हमारे गांव आया। उसने हमसे कहा कि आप 50 हजार रुपए की एफडी करा लो। यह पैसा बैंक में रहेगा। तीन साल में दोगुना हो जाएगा। पैसे देने के एक साल बाद हमें पता चला कि यह एक बीमा पॉलिसी थी। इसमें हर साल पैसा जमा कराना था। अब हमें जल्द ही पैसे मिलने की उम्मीद है।
मुन्नी बाई यादवलखनादौनजिला सिवनी

दो नक्सली हमले में 15 लोगों की मौत

दो नक्सली हमले में 15 लोगों की मौत

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। छत्तीसगढ़ के बीजापुर व बस्तर जिले में हुए नक्सली हमले में छह जवान शहीद हो गए व सात मतदान कर्मियों सहित एम्बुलेंस के चालक और चिकित्सा सहायक की मौत हो गई। इस तरह इस घटना में अब तक कुल 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस हमले में तीन जवानों सहित करीब पांच कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
मतदान कर्मियों की मौत की पुष्टि खुद प्रदेश के सीईओ सुनील कुजूर ने की हैं। वहीं जवानों, चालक और सहायक के मौत की पुष्टि एडीजी आर.के. विज ने की है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि पहला हमला बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर कुटरू के पास केतुलनार में मतदान दल को लेकर लौट रही राजस्थान ट्रेवल्स की बस को नक्सलियों ने विस्फोट कर उड़ा दिया। बस में सवार सात लोगों की मौत हो गई। इस हमले में आधा दर्जन लोग घायल हो गए। ये सभी मतदान कर्मी बताए जा रहे हैं।
घायलों को लेने बीजापुर से संजीवनी रवाना की गई है। इसी तरह एक अन्य घटना में बस्तर जिले के दरभा से जगदलपुर मार्ग पर तीन किलोमीटर दूर नक्सलियों ने संजीवनी 108 वाहन को उड़ा दिया। इस घटना में सीआरपीएफ के छह जवान शहीद हो गए। जानकारी के अनुसार वाहन दरभा से मरीज लेने जा रही थी जिसे खाली देख रोड ओपनिंग पार्टी के रूप में तैनात सीआरपीएफ 80 बटालियन के नौ जवान सवार हो गए।
दरभा-बागलाफड़ा मोड़ के पास जैसे ही एंबुलेंस पुलिया के पास पहुंची नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर दिया। छह जवान व संजीवनी एंबुलेंस चालक वासु सेठिया और चिकित्सा सहायक श्रवण नेताम घटनास्थल पर ही शहीद हो गए। तीन घायल जवानों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। जहां उनका इलाज चल रहा है।

विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि वाहन के परखच्चे उड़ गए। इंजन लगभग 20 मीटर दूर तक उड़ गया। घटना के बाद से सूबे के प्रशासनिक हलके में हड़कम्प मचा हुआ है। मुख्यमंत्री ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे नक्सलियों की कायराना करतूत बताया है।

एएसआई की पहली मेरिट लिस्ट निरस्त, नई जारी


(संतोष पारदसानी)
भोपाल (साई)। पुलिस मुख्यालय ने असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर से सब इंस्पेक्टर के लिए तीन मार्च 2014 को जारी की गई मेरिट लिस्ट को निरस्त करते हुए नई लिस्ट जारी की है। चुनाव आयोग से अनुमति लेकर 61 असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर को प्रमोशन दे दिया गया है।
आदेश के मुताबिक अनारक्षित वर्ग के जिन सहायक उप निरीक्षकों को उप निरीक्षक बनाया है, उनमें- भोपाल के राजबहादुर सिंह बघेल, महेंद्र कुमार बड़ौला व नागेंद्र प्रसाद शुक्ला, भोपाल जीआरपी के मोहनलाल पटेल व श्रीपति दुबे, रायसेन के रघुनाथ सिंह, देवेंद्र पाल सिंह व रामानुज सिंह, सीहोर के प्रदीप गुर्जर, होशंगाबाद के नरेंद्र सिंह राणा, विदिशा के रुद्रपाल सिंह कुशवाह व शेख जमील कुरैशी, बैतूल के वीरेंद्र सिंह तोमर, देवास के रईसुद्दीन मंसूरी, खरगोन के रत्नेश त्रिपाठी, छिंदवाड़ा के रामबौद्ध मिश्रा, पन्ना के शशि शेखर पांडे व ग्यासीप्रसाद विश्वकर्मा, अनूपपुर के जमुनाप्रसाद पांडे, मंडला के लिखनलाल पटले, शिवपुरी के कामता प्रसाद शर्मा (चौधरी), रिपूदमन सिंह, शिवनारायण श्रीवास्तव व दीनदयाल शर्मा, मुरैना के शशिकांत उपाध्याय, टीकमगढ़ के रामबाबू तिवारी, भिंड के महेंद्र देव सिंह सेंगर, राघवेंद्र सिंह तोमर व शिवप्रताप सिंह राजावत (कुशवाह), जबलपुर के जगदीश कुमार यादव, छतरपुर के विश्वनाथ सिंह सेंगर व उमाशंकर शुक्ला, जबलपुर जीआरपी के आरआर सिंह, बालाघाट के अरुण नेबारे, नरसिंहपुर के ओमप्रकाश शर्मा, दमोह के गणेशदत्त तिवारी, झाबुआ के शंकर्षण प्रसाद तिवारी, रतलाम के उमेश बाजपेयी, धार के चंद्रशेखर व्यास, मंदसौर के ललित जंगशाही, शाजापुर के मोहम्मद शफीक कुरैशी हैं। इसमें केवल नेबारे को प्रमोशन के बाद बालाघाट से मंडला स्थानांतरित किया गया है, शेष सभी को वहीं की वहीं प्रमोशन दिया है।
अनुसूचित जाति वर्ग के प्रमोशन पाने वाले सहायक उप निरीक्षकों में भोपाल के नंदराम चौधरी, राजगढ़ के आशाराम जाटव, बैतूल के नंदकिशोर पहाड़े, खंडवा के रामलाल चौहान, बुरहानपुर के श्रवण कुमार बलोने, जबलपुर के कंछेदीलाल, उज्जैन के देवीलाल मालवीय (परमार) और शिवपुरी के अशोक कुमार परिहार शामिल हैं जिन्हें प्रमोशन के बाद उन्हीं स्थानों पर पदस्थापना दी गई है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग में प्रमोशन पाने वाले सहायक उप निरीक्षक जिन्हें उप निरीक्षक बनाया है उनमें- खंडवा के बद्रीप्रसाद मोरे, रतलाम के परमानंद गिरवाल, सीहोर के नेमनाथ मरावी, बड़वानी के कैलाश मंडलोई, जीआरपी इंदौर के बृजलाल मवासे, सीधी के मोतीलाल रावत, जबलपुर के खेलन सिंह गौड़ व सखाराम गौड़, खरगोन के युगल किशोर व गोवर्धन मावी, सागर के मनप्यारे सौर, जीआरपी जबलपुर के मकंद सिंह सोलंकी के नाम हैं। इन्हें भी प्रमोशन के वहीं पुरानी पदस्थापना वाले स्थानों पर ही रखा गया है।

माँ का बेटे से प्यार

माँ का बेटे से प्यार
(वरीयता श्रीवास्तव.)
हर माँ की ऑँख का तारा होता है
हर माँ की खुशी का कारण होता है
उसके दर्द से माँ की ऑँखें नम हो जाती है
उसकी जिद पे माँ का हृदय पिघल जाता है
यही होता है माँ का बेटे से प्यार
माँ एक दोस्त की तरह हमेशा साथ रहती है
माँ एक कवच की तरह हमेशा रक्षा करती है
माँ की खुशी का कारण होता है
माँ के दिल की धड़कन होता है
यही होता है माँ का बेटे से प्यार
माँ से जब होता है दूर तू
खो जाता है अपनी दुनियॉँ में तू
भूल जाता है माँ के प्यार को तू
तब भी तेरी एक आवाज पर
दौड़ी चली आती है
यही होता है माँ का बेटे से प्यार
तेरी हर गलती को माफ कर देती है
तेरी हरी खुशी को हस्ते-हस्ते स्वीकार करती है
यही होता है माँ का बेटे से प्यार
तुझे चोट न आए
तेरे ऊपर ऑँच न आए
तेरे ऊपर ऑँच न आए
तेरी ऑँखों में आंसू न आए
तुम्हें ऊपर उठाती है
तुम्हारा कवच बनी रहती है
तुम्हारे लिए ही उसका हृदय धड़कता है
यही होता है, माँ का बेटे से प्यार
यही होता है, माँ का बेटे से प्यार

जी.ए.डी.कालोनी,

सिवनी