सोमवार, 17 जून 2013

किसानों को टिकाया जा रहा घटिया खाद बीज

किसानों को टिकाया जा रहा घटिया खाद बीज

बीज विकास निगम कर रहा किसानों के साथ जमकर छलावा

(गजेंद्र ठाकुर)

छपारा (साई)। बीज विकास निगम द्वारा छपारा क्षेत्र में किसानों के साथ जमकर छल किया जा रहा है। किसानों को गुणवत्ता विहीन खाद बीज, बिना टेग लगी खाद की बोरियां, एफ वन के स्थान पर एफ टू क्वालिटी का बीज देने की अनेक शिकायतें प्रकाश में आई हैं।
क्षेत्र मे वर्षो से संचालित कृषि फार्म बीज निगम जहां किसानों का उच्च गुणवत्ता का उत्पादित अनाज खरीदा जाता है जिसकी ग्रेडिंग के पश्चात बीज को उच्चकोटी का बनाकर व उसकी अंकुरण क्षमता का परीक्षण करवा कर किसानों को बेचा जाता है लेकिन छपारा के बीज निगम मे लगे अधिकारी कर्मचारी किसानों के साथ खिलवाड कर रहे है। निगम के अधिकारी घटिया किस्म के बीज को आधार प्रमाड़ित बीज बता कर अधिक मुल्य पर बेच रहे है।
अधिवक्ता किसान ने पकड़ी चोरी
अधिवक्ता किसान अजय बाबा पाण्डे ने बीते दिवस छपारा में अधिकारियों को गुणवत्ता विहीन खाद बीज देते हुए पकड़ा। जब बाबा पाण्डे स्वयं खाद बीज लेने पहुंचे तो वहां किसानों ने उनसे शिकायत की कि उन्हें बिना टेग लगी खाद की बोरी दी जा रही है। इस पर उन्होंने वहां उपस्थित अधिकारी श्री मांझी से इसकी शिकायत की तो श्री मांझी ने उन्हे बताया कि किसानों के खाद के बैग से टेग लिखापढ़ी पूरी करने के लिए निकाल लिया जाता है।
श्री पाण्डे द्वारा मौके पर श्री मांझी के पास महज 12 टेग पाए गए, जबकि 44 टेग गायब थे। श्री पाण्डे ने इनका हिसाब मांगा। श्री मांझी ने कहा कि वे किसानों के पास हो सकते हैं। तब श्री पाण्डे ने कहा कि अगर 44 टेग किसानों के पास हैं तो श्री मांझी ने अपने पास महज 12 टेग लिखा पढ़ी के लिए क्यों रखे हैं। इसका जवाब श्री मांझी के पास नहीं था।
किसान ने की शिकायत
शनिवार को कृषक संतोष सिसोदिया खरीफ सीजन के लिये सोयाबीन बीज को खरीदने के लिये बीज निगम गया जहां  उसने 8 बोरी बारह हजार छःसौ छियत्तर रूपये में खरीदा। जब किसान ने बीज के बैग को बीज निगम से उठा लाया तब उसने बैग मे देखा तो उसमे प्रमाणित सफेद टेग नही लगा था और ना ही मैटल सील लगी थी। जब खरीदे गये कैस मेमो को देखा गया तो उसमे भी बीज का लाट नम्बर नही डाला गया था। जो यह साबित करता है कि बीज निगम मे अधिकारी वर्ग घटिया बीज बेच कर किसानों को बर्बाद करने मे तुले है।
वर्षो से चल रहा था खेल
छपारा तहसील क्षे़त्र के किसान वर्षों से बीज निगम से बीज खरीद रहे हैं। लेकिन किसानो ने कभी गंभीरता से इन सब बातों को नही देखा क्योंकि बीज निगम मे ग्रेडिंग मशीन से बीज को साफ कर बनाया जाता है और यहां ही बीज के बैग तैयार होते हैं। जिसमें अधिकारी कितनी मात्रा मे सैकंेड का बीज किसानों को बेच रहे है यह तो वे ही जानते है बेचारा किसाना शासन की ईकाई होने से बीज निगम पर भरोसा कर बीज खरीद लेता है और खेत मे बीज अंकुरित नही हुआ या कम हुआ तो किसान भगवान व प्रकृति को दोष देता है कि अधिक पानी गिर जाने से या अंकुर के समय तेज धूप निकल जाने से बीज अंकुरित नही हुआ। जबकि असल बात घटिया बीज की होती है जिसे प्रमाणित नही किया जा सकता इस लिये किसानो को जागरूक होने की जरूरत है।
बनाया गया पंचनामा
जब इस मामले कि शिकायत विभाग के बडे अधिकारियों को की गयी तो अधिकारियों ने एसडीओ एस.एल.नाईक लखनादौन एंव वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी बीएल परते को को मामले की जांच करने के निर्देश दिये। जिसके आधार पर अधिकारियों ने मौके पर खरीदे गये बीज का निरीक्षण किया जांच मे बीज के बेगो पर सफेद रंग का टेग लगा होना चाहिए जो नही लगा था। और धातु की कोई सील पैकिंग धागा मे नही लगी पायी गयी।
साथ ही कैश मेमों क्र0 0440 दिनांक 15 जून मे लाट नम्बर भी अंिकंत नही था जिससे साफ जाहिर होता है कि बीज निगम के कर्मचारी फैल लाट जो बीज निगम मे रखा है उसको ही बीज बनाकर बेच रहे है इस तरह जांच अधिकारियों ने बीज निगम की गोदाम मे जाकर निरीक्षण भी किया जिसमे निगम के प्रभारी अधिकारी ने उक्त बीज के लाट के बारे मे जानकारी नही दिया। इस तरह पंचानाम मे निगम को निर्देशित किया गया कि उक्त संबंध मे जानकारी उपलब्ध करायी जाये।

मैने भी 10 बोरी सोयाबीन बीज निगम से खरीदा है लेकिन उसमे सफेद कागज और धातु की कोई सील नही लगी है कागज मे क्या लिखा है देख कर बता पाउंगा।
रगंलाल धुर्वे जनपद अध्यक्ष एंव कृषक

मैने बीज निगम से 8 बैग खरीदा है बैग मे तो आधार प्रमाणित हाथ की सियाही से लिखा है, लेकिन सफेद टेग व धातु सील नही लगी है। साथ ही बीज को निकाल कर देखा गया तो वह घटिया किस्म का पाया गया है। निगम के अधिकारी लाभ कमाने के लिये ऐसा कर रहे है।
संतोष सिसोदिया कृषक

मेरे पास शिकायत आई थी, जिस पर मैने एसडीओ व स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारी को निर्देश कर जांच करवाया है। जांच रिर्पोट मेरे पास नही आयी है, जैसे ही जांच रिर्पोट आती है निगम को नोटिस देकर पुछा जायेगा नही तो आवश्यक कार्यवाही की जावेगी।
एस.आर.धुर्वे उपसंचालक कृषि विभाग सिवनी

शिकायत के आधार पर मौका निरीक्षण कर पंचनामा बनाया गया है आगामी कार्यवाही वरिष्ठ अधिकारी करंेगे।

बी.एल.परते वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी छपारा

शराब विरोध अण्णा का स्वागत होगा शराब के पैसों से!

शराब विरोध अण्णा का स्वागत होगा शराब के पैसों से!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। गांधी वादी समाज सेवी अण्ण हजारे ने भले ही महाराष्ट्र के अपने गृह ग्राम रालेगण सिद्धि में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया हो पर सिवनी में उनके स्वागत की तैयारियों में शराब के पैसों के इस्तेमाल की चर्चाएं आरंभ हो गई हैं।
शहर में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार 8 जुलाई को अण्णा हजारे का सिवनी आने का कार्यक्रम तय किया गया है। इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने अण्णा के समर्थकों की फौज सिवनी में सक्रिय हो चुकी है।
चर्चा है कि अण्णा की इस सभा के लिए एक बड़बोले नेता जो शराब व्यवसाय में लिप्त हैं ने अचानक ही अपनी सक्रियता दिखाना आरंभ कर दिया है। एक ओर तो अण्णा हजारे शराब के कारोबार को समाप्त करने पर आमदा हैं, इसका उदहारण उनके गृह ग्राम की शराब वेदी से मिल जाता है।

वहीं, दूसरी ओर शराब के पैसों से अण्णा हजारे के स्वागत की तैयारियों की चर्चाएं भी शहर में तेज हो गई हैं, जिसकी प्रतिक्रियाएं बहुत अच्छी नहीं कही जा रही हैं।

गौर का फूंका पुतला: आज रखेंगे प्रतिष्ठान बंद

गौर का फूंका पुतला: आज रखेंगे प्रतिष्ठान बंद

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। मप्र शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर द्वारा सिंधी समाज के द्वारा दिये गये आपत्तिजनक बयान को लेकर पूरे प्रदेश के सिंधी समाज में आक्रोश व्याप्त है, जिसके चलते आज नगरपालिका के सामने सिवनी के सिंधी समाज के लोगों ने भी विरोध प्रदर्शन करते हुए बाबूलाल पुतला दहन किया।
स्थानीय सिंधी समाज द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में उक्ताशय की बात कहते हुए कहा गया है कि प्रदेश के स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर की मति भ्रष्ट हो गई है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि सिंधी समाज के सदस्य सोमवार 17 जून को नगर में अपने अपने प्रतिष्ठान विरोध स्वरूप एक बजे तक बंद रखेंगे।
इसके अलावा सोमवार 17 जून को अपरान्ह बारह बजे पूज्य सिंधी पंचायत की अगुआई में सिंधी समाज द्वारा महामहिम राज्यपाल राम नरेश यादव एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा जाकर बाबू लाल गौर को प्रदेश कैबनेट से हटाने की मांग की जाएगी।
पूज्य सिंधी पंचायत द्वारा सिंधी समाज के समस्त सामाजिक व्यवसाईयों के साथ ही साथ अन्य व्यापारी बंधुओं से भी सहयोग की अपील की है।
पुतला दहन करने वालों में प्रमुख रूप से संतोष पंजवानी, हीरा आसवानी, मनोज गुरूनानी, हरीश रावलानी, राजकुमार पंजवानी, विनोद रावलानी, अशोक आहूजा, आनंद पंजवानी, सुशील आडवानी, बलराम गनवानी, भारत चेनानी, मुकेश आहूजा, अनिल बच्छानी, जीतू काछेलानी, दिलीप सच्चानी सहित बड़ी संख्या में सिंधी समाज के लोग मौजूद थे।
सिंधी समाज के लोगों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार जबसे केंद्र में लाल कृष्ण आड़वाणी कमजोर हुए हैं तबसे भाजपा के आला नेताओं के निशाने पर सिंधी समाज के लोग आने लगे हैं। चर्चा तो यहां तक है कि भाजपा के आला नेता अब सिंधि समाज के प्रतिनिधि ईश्वर दास रोहाणी पर भी बयानों के तीर चलने लगें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

कुरई घाट का बस हादसा!

कुरई घाट का बस हादसा!

(शरद खरे)

सिवनी जिले की कुरई घाटी सालों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है। दशकों पहले यहां शेरों की दहाड़ सुनाई देती थी। उसके बाद इक्कीसवीं सदी के आगाज के साथ ही कुरई घाट में सड़क निर्माण को अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ने स्थान दिया। इसके उपरांत पहले दशक की समाप्ति के दौरान ही फोरलेन पर लगे फच्चर के कारण यह घाट चर्चित हुआ। सड़क ना बन पाने के कारण हुए हादसों ने सभी को हिला दिया और अंततः 14 जून को यादव ट्रेवल्स की यात्री बस खाई में गिर गई।
बताते हैं कि पचास के दशक के आसपास कुरई के घाट में शेरों की तादाद बहुत अधिक हुआ करती थी। इसके बाद शिकारियों ने इस घाट को शेरों की दहाड़ से वंचित ही कर दिया। एक समय था जब कुरई घाट के विहंगम दृश्य को देखने बाहर से इस मार्ग से होकर गुजरने वाले बरबस ही रूक जाया करते थे। लोक कर्म विभाग द्वारा कुरई घाट के एक स्थान को चौड़ा कर वहां विहंगम दृश्य देखने की बाकायदा व्यवस्था भी की है।
इक्कीसवीं सदी के आरंभ में युवा एवं उर्जावान तथा प्रदेश के उत्कृष्ठ सर गोविंदराम सक्सेरिया इंजीनियरिंग कालेज इंदौर के प्रोडक्ट इंजीनियर प्रसन्न चंद मालू द्वारा उस समय बनाए गए कुरई घाट का जिकर एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका द्वारा किया गया था। उस समय इस सड़क के घुमावदार रास्ते पर गुणवत्ता के साथ काम करने के लिए अपने आलेख में उक्त पत्रिका ने इंजीनियर प्रसन्न मालू के नाम का भी उल्लेख किया था।
दिसंबर 2008 में सिवनी के लिए मनहूस थी 18 दिसंबर की तारीख। इस काले दिन तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि द्वारा सीईसी के निवेदन पर एक आदेश जारी कर फोर लेन का काम मोहगांव से खवासा तक रूकवा दिया। इस आदेश में स्पष्ट निर्देश था कि उसके बाद वन और गैर वन भूमि पर सड़क के निर्माण का काम नहीं हो सकेगा।
बस यहीं से एक बार फिर कुरई घाट में स्याह सन्नाटा पसर गया। इस मार्ग का रखरखाव भी 2008 के उपरांत 2013 तक निर्माण में लगी सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा नहीं किया गया। ना ही इस काम को करवाने के लिए जिम्मेदार एनएचएआई के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ही इस काम को करवाने की जुर्रत की गई।
इसका नतीजा यह हुआ कि मोहगांव से खवासा तक का मार्ग जिसमें कुरई घाट शामिल है बुरी तरह जर्जर हो गया। इस मार्ग पर भारी ओव्हर लोडेड वाहन इस कदर झूलते चलते थे कि लगता था अब गिरे तब गिरे। इनके पास से निकलने वाले दो और चार पहिया वाहनों के चालक इनकी हाथी जैसी मदमस्त चाल को देखकर सहम ही जाया करते थे। सड़क के इस भाग में हुई दुर्घटनाओं में मरने वालों की भी खासी तादाद है।
सिवनी में सड़क के इस भाग के निर्माण के लिए अनेक गैर राजनैतिक संगठन भी लोगों को लामबंद करते रहे पर सड़क के रखरखाव के लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई जो आश्चर्य का विषय ही बनी रही। इस सड़क का रखरखाव ना करके सिवनी के जिम्मेदार लोगों द्वारा प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर सद्भाव कंपनी के करोड़ों रूपए बचवा दिए बताए जाते हैं।
ऐसा नहीं कि अगर जिला प्रशासन, सांसद विधायक एवं सड़क के लिए लड़ने वाले संगठन चाहते तो इस सड़क के रखरखाव का काम आरंभ से ही पूरा होता रहता और सड़क पर हादसों में इस कदर लोग ना तो मारे जाते और ना ही घायल होते। वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं। कहा जा रहा है कि इन सभी ने परोक्ष तौर पर सद्भाव कंपनी का ही साथ दिया है। सच्चाई क्या है यह तो निर्माण कंपनी जाने या बाकी सब, पर यह सच है कि हादसों में लोग काल कलवित हुए हैं।
इस साल के आरंभ में पता नहीं ऐसा क्या हो गया कि एनएचएआई ने इस सड़क को मोटरेबल बनवा दिया। कहा जाता है कि एक वरिष्ठ अधिकारी जबलपुर में पदस्थ थे, और उन्हें हर सप्ताह नागपुर जाना आना पड़ता था। दो तीन बार जब उन्हें तकलीफ हुई उन्होंने मामला बुलवाया अध्ययन किया और फिर एनएचएआई सहित सभी को जमकर लताड़ा। बन गई सड़क रातों रात।
अगर यह सड़क 2013 में बन सकती है तो 2008 के बाद क्यों नहीं बन सकती? क्या इसका जवाब कांग्रेस, भाजपा या अन्य विरोध करने वाले राजनैतिक और गैर राजनैतिक संगठनों के पास है? मतलब साफ है कि मामले को अज्ञानता या जानते बूझते गलत दिशा में ले जाया गया था।
बहरहाल, 14 जून के अंक में दैनिक हिन्द गजट ने कुरई घाट में सड़क में गड्ढ़े होने और किनारे की मिट्टी खिसलने की खबर प्रकाशित की थी। इसी दिन यादव ट्रेवल्स की एक बस खाई में गिर गई। यह हादसा हुआ और एनएचएआई अभी भी कुंभकर्णीय निद्रा में है। कुरई घाट बेहद घुमावदार और खतरनाक है।
बस वैध रूप से संचालित थी या अवैध रूप से बिना परमिट वाली थी, इस बारे में भी तहकीकात करना पुलिस का ही काम है। अगर अवैध रूप से चल रही थी तो उस पर एवं रास्ते में पड़ने वाले पुलिस थानों और यातायात प्रभारी पर भी कार्यवाही करना चाहिए। साथ ही साथ आरटीओ को भी शंका के दायरे में लाया जाएगा।

शासन प्रशासन से अपेक्षा है कि कुरई घाट जैसे घुमावदार और दुर्गम मार्ग पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एनएचएआई के अधिकारियों की लगाम कसें, और समय सीमा में उन्हें इस सड़क के दुरूस्तीकरण के लिए आदेशित करें, ताकि लगातार घट रही दुर्घटनाओं को रोका जा सके।