आखिर क्या हैं बजट
के मायने
(लिमटी खरे)
देखा जाए तो बजट का
शाब्दिक आय व्यय का लेखा जोखा ही माना जाता है। बजट क्या है केंद्र या राज्यों की
सरकार के बजट के मायने क्या हैं। हर घर का बजट निर्धारित किया जाता है खुद के
द्वारा। बजट शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई। दरअसल, यह 1733 से प्रचलन में आया
है जब ब्रितानी प्रधाानमंत्री अपने वित्त मंत्री के साथ देश के माली हालातों का
लेखा जोखा प्रस्तुत करने संबंधी दस्तावेज एक चमड़े के बैग में रखकर लाए थे। इसी
चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में बुजेट बीओयूजीईटीटीई कहते हैं। कालांतर में यही
बुजेट का अपभ्रंश बजट के रूप में सामने आया है।
देश का आम बजट आने
को है। इस माह या मार्च माह में राज्य सरकारें भी अपना अपना बजट पेश करेंगीं। देश
के जनप्रतिनिधियों में कम ही जानते होंगे कि आखिर ‘बजट‘‘ का नामकरण कैसे हुआ? बजट के मायने क्या
हैं? बजट पेश
किया जाता है या खोला जाता है? आदि न जाने कितनी तरह की भ्रांतियां आज भी
अनुत्तरित हैं।
दरअसल ब्रितानी
संसद को लगभग सभी देशों की संसद और संसदीय परंपराओं की जननी माना जाता है। इस
लिहाज से बजट शब्द का अर्थ खोजने के लिए इंग्लेंड की ओर नज़रें करना अतिश्योक्ति
नहीं होगा। सन 1733 मंे जब
ब्रिटिश प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ एक्सचेकर) रॉबर्ट वॉलपोल
ब्रितानी संसद में देश मी माली हालत का लेखा जोखा पेश करने पहुंचे तब वे अपना भाषण
और उससे संबंधित दस्तावेज एक चमड़े के बैग में रखकर पहुंचे थे।
चमड़े के बैग को
फ्रेंच भाषा में बुजेट बीओयूजीईटीटीई कहते है। बस यहीं से देश या प्रदेश के आर्थिक
ढांचे का लेखा जोखा पेश करने की प्रक्रिया को बुजेट और कालांतर मंे इसे बजट कहा
जाने लगा। यद्यपि इसका कोई प्रमाणिक सबूत मौजूद नहीं है, पर यह तर्क काफी हद
तक सही लगता है।
उस काल में जब भी
वित्त मंत्री चमड़े के बैग में सालाना लेखा जोखा पेश करने संसद पहुंचते तो सांसदों
द्वारा उनसे आग्रह किया जाता कि अपना बजट (बेग) खोलिए देखें इस चमड़े के बैग में
क्या है? अथवा अब
वित्त मंत्री जी अपना बजट खोलें। साल दर साल बुजेट से बजट का नामांकरण पुख्ता होता
गया।
रॉबर्ट वॉलपोल को
इस बुजेट के कारण सांसदों के सामने उपहास का पात्र भी बनना पड़ा था। उस दौरान नमक
पर लगाए गए कर के प्रस्ताव के चलते सांसदों ने उनकी आलोचना करते हुए यह तक कह डाला
था कि - ‘‘वॉलपोल देश
की अर्थव्यवस्था का इलाज एक वित्त मंत्री की तरह नहीं वरन् झोलाछाप डाक्टर की तरह
कर रहे हैं।‘‘
उस दौर में भले ही
वॉलपोल को अपने बुजेट अर्थात चमड़े के बैग के कारण आलोचना का शिकार बनना पड़ा हो पर
उसी बैग ने संसदीय परंपरा डाली और नामकरण किया जिसको बदलने के बारे मंे आज शायद ही
कोई सोचता हो। अंग्रेजी शब्दकोषों में भी बजट का शाब्दिक अर्थ आय व्यय का लेखा
जोखा ही दर्शाया गया है। इसे शब्दकोष में कब शामिल किया गया इसके बारे में भी कोई
प्रमाण मौजूद नहीं है।
उसी दरम्यान एक
पुस्तिका का प्रकाशन भी किया गया था। जिसका शीर्षक था बजट खुल गया है। चूंकि
ब्रितानी हुकूमत के बारे में कहा जाता है कि उसका सूरज कभी डूबता नहीं था। अर्थात
गोरे ब्रितानियों ने इतने देशों पर अपना कब्जा और शासन कायम रखा था कि कहीं ना
कहीं सूरज अवश्य ही दिखाई देता था। यही कारण है कि बजट शब्द का प्रचलन ब्रितानी
हुकूमत वाले देशों में भी हो गया।
ब्रितानी संसद में
बुजेट अर्थात चमड़े के बैग का भी अपना मजेदार इतिहास मौजूद है। सन 1860 तक वित्त मंत्री
द्वारा चमड़े के बैग में ही बजट पेश किया जाता रहा है। 1860 में वित्त मंत्री
चांसलर ग्लैडस्टोन ने एक लकड़ी का बक्सा बनवाकर उस पर लाल चमड़ा मढ़वाया। इस बक्से पर
महारानी विक्टोरिया का मोनोग्राम भी अंकित था। इसके बाद से वित्त मंत्रियों द्वारा
सदन में उसी बैग का इस्तेमाल बजट के लिए किया जाने लगा।
कालांतर में वित्त
मंत्री जेम्स कलाहन को यह लाल बक्सा छोटा लगा तो उन्होंने नया बक्सा बनवाकर उस पर
कत्थई चमड़ा लगवा दिया। इस पर महारानी विक्टोरिया के मोनोग्राम का स्थान मौजूदा
महारानी एलिजाबेथ के मोनोग्राम ने ले ली। कलाहन के इस कृत्य का उस दौरान घोर विरोध
किया गया।
अपने अतीत और
परंपराओं से अगाध प्रेम रखने वाले ब्रितानियों ने कलाहन के चांसलर पद से हटते ही
पुराना लाल बाक्स संग्रहालय से बुलवा नए ब्राउन बक्से को संग्रहालय भेज दिया।
कलाहन के उत्तराधिकारी बने रॉय जेनकिंस जब बजट पेश करने संसद पहुंचे तो उनके हाथों
में वही लाल बक्सा चमचमा रहा था। इसे वित्त मंत्री गलैडस्टोन ने बनवाया था, अतः इसे ग्लैडस्टोन
बाक्स भी कहा जाता है।
भारत में भी बजट का
आगमन अंग्रेजों के शासनकाल में ही हुआ है। देश में 1857 में स्वतंत्रता
संग्राम को पूरी तरह दबाने के उपरांत ब्रिटिश प्रतिनिधि वायसराय लार्ड केनिंग ने
अपने सहयोग के लिए उस समय के जाने माने वित्त विशेषज्ञ जेम्स विल्सन को भी स्थान
दिया था। इतिहास में इस बात का उल्लेख मिलता है कि विल्सन ने पहली बाद भारत में 18 फरवरी 1960 को बजट पेश किया
था।
विल्सन के द्वारा
बजट पेश करने के उपरांत यहां हर साल बजट पेश किया जाने लगा किन्तु ब्रितानी हुकूमत
होने के कारण यहां भारतीयों को इसमें बहस का अधिकार नहीं दिया गया था। इतिहास
खंगालने पर पता चलता है कि देश में 1920 तक एक ही बजट पेश किया जाता रहा है। 1921 से भारत में दो
बजट अस्तित्व में आए एक आम बजट और दूसरा रेल बजट। तब से अब तक रेल बजट अलग से ही
पेश किया जाता है। (साई फीचर्स)