0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर
प्लांट . . . 08
महाराज को कलंक का
टीका ना लगा दें थापर!
(एस.के.खरे)
सिवनी (साई)। मध्य
प्रदेश में दस साल बाद सत्ता में वापसी का सपना देखने वाली कांग्रेस ने भले ही अब
युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया पर दांव लगाया हो पर अवंथा समूह के मालिक मशहूर
उद्योगपति गौतम थापर कहीं जाने अनजाने ज्योतिरादित्य सिंधिया के माथे पर चुनावों
के पहले कलंक का टीका ना लगा दें। दरअसल, मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के
प्रभाव वाले महाकौशल के सिवनी जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट में हो रही
अनियमितताएं ही सिंधिया की परेशानी का सबब बनने वाली हैं।
ज्ञातव्य है
कि देश के नामी गिरामी उद्योगपति गौतम
थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर
लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित मध्य प्रदेश के सिवनी
जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में लगाए जाने वाले कोल आधारित पावर
प्लांट में नियम कायदों का सरेआम माखौल उड़ाया जा रहा है। सामाजिक जिम्मेदारी और
सामाजिक पहलुओं की जमकर उपेक्षा संयंत्र प्रबंधन द्वारा की जा रही है।
यह मामला सीधे सीधे
केंद्रीय बिजली मंत्रालय के अधीन आता है। उर्जा मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पूर्व में बिजली मंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे और
गौतम थापर के बीच का याराना किसी से छिपा नहीं था। उस वक्त शिंदे की जमानत पर
मेसर्स झाबुआ पावर के निर्माणाधीन पावर प्लांट की सारी की सारी बाधाएं दूर की जाती
रही हैं। इस दौरान शिंदे हर बार थापर के लिए ट्रबल शूटर बनकर खड़े दिखाई भी दिए
बताए जाते हैं।
अब जबकि मध्य
प्रदेश में कांग्रेस ने युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को अगले चुनावों के लिए
आगे किया है, तब
समीकरणों के बदलते ही भाजपा और संघ अपने दांव पेंच बदल सकते हैं। ज्योतिरादित्य
सिंधिया की अगुआई वाले उर्जा मंत्रालय के अधीन सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य
तहसील घंसौर में डलने वाला यह पावर प्लांट सिंधिया के लिए चुनावी दौर मे अनेक
मुसीबतें खड़ी कर सकता है, क्योंकि संयंत्र प्रबंधन पर आदिवासियों की अनदेखी के आरोप 2009 से लगातार लगते आ
रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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