रविवार, 27 नवंबर 2011

भाजपा में स्थापित हो चुके हैं गड़करी


भाजपा में स्थापित हो चुके हैं गड़करी

महात्वाकांक्षा उजागर न कर सबको साध लिया है गड़करी ने

रिसाए नेता फिर लौटे घर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की संस्कारधानी और सूबाई राजनीति से एकाएक उठकर भाजपाध्यक्ष बनकर राष्ट्रीय परिदृश्य में उभरने वाले नितिन गड़करी को कम ही आंका जा रहा था। माना जा रहा था कि वे पार्टी में अपने समकक्ष नेताओं के सामने बौने ही साबित होंगे। महात्वाकांक्षाओं को पिंजरें में बंद कर गड़करी ने वो चाल चली कि सारे पूर्वानुमान और आंकलन ही ध्वस्त हो गए। गड़करी अब भाजपा की राजनीति में पूरी तरह स्थापित ही नजर आ रहे हैं।

गड़करी के अध्यक्ष बनने के वक्त लोगों का आश्चर्य जायज था कि आखिर महाराष्ट्र जैसे सूबे का नेतृत्व भी न करने वाले व्यक्ति को कैसे देश का अध्यक्ष बना दिया गया। दरअसल गड़करी की जडें संघ में काफी गहराई तक गई हुईं हैं। अध्यक्ष बनने के बाद गड़करी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा और अपनी व्यक्गित महात्वाकांक्षांओं को अपने उद्देश्य के उपर हावी नहीं होने दिया।

गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि भाजपा में गुटीय राजनीति समाप्त करने के लिए उन्होंने पार्टी से विमुख होकर गए रिसाए अर्थात नाराज नेताओं की घर वापसी का अभियान चलाया। गड़करी दरअसल पार्टी में व्याप्त गुटबाजी से बुरी तरह आहत थे। जैसे ही उन्होंने संजय जोशी के पुर्नवास और उमा भारती की घर वापसी का कदम उठाया वैसे ही उनका विरोध होना आरंभ हुआ।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते थे कि उमा भारती की घर वापसी ना हो पर पिछड़े वोट बटोरने के लिए उमा की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही थी। उधर गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी थे संजय जोशी के पुर्नवास में सबसे बड़ी बाधा। गड़करी ने दोनों ही अप्रिय फैसले लिए और आज पार्टी में सब कुछ सामान्य ही नजर आ रहा है।

मीरा भी बो रहीं हैं मन की राह में शूल


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 37

मीरा भी बो रहीं हैं मन की राह में शूल

लोस अध्यक्ष की नजरें हैं पीएम की कुर्सी पर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह की चला चली की अटकलों के बीच अब उनके स्थान पर प्रणव मुखर्जी, पलनिअप्पम चिदंबरम, राजा दिग्विजय सिंह के साथ ही साथ अब लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम भी सामने आ रहा है। कांग्रेस का एक धड़ा दलित और महिला कार्ड में मीरा कुमार को मुफीद मान रहा है। सोनिया गांधी को भी इस बारे में विस्तार से बता दिया गया है कि अगर मनमोहन सिंह को पदच्युत कर मीरा कुमार को प्रधानमंत्री बना दिया जाता है तो इसके सकारात्मक परिणाम उत्तर प्रदेश चुनावों में सामने आने की उम्मीद है।

पिछले महीने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृह मंत्री चिदम्बरम के बीच चल रहे युद्ध के विराम के लिए सोनिया को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसी बीच मीरा कुमार ने भी सोनिया से भेंट कर उनसे लगभग एक घंटे चर्चा की थी। कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों ने उक्ताशय की बात बताते हुए कहा कि सोनिया और मीरा कुमार की चर्चा का लब्बो लुआब यह था कि सोनिया ने मीरा को इशारों ही इशारों में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने की बात कह दी थी।

सूत्रों ने कहा कि हालिया राजनैतिक माहौल में यह तो यह हो गया है कि अब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2014 में तो कांग्रेस चुनाव लड़ने से रही। कांग्रेस तो बजट सत्र के पहले ही मनमोहन की मन से बिदाई चाह रही है। मीरा कुमार वैसे भी स्व.जगजीवन राम की सुपुत्री हैं, जिन्हें कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के बतौर स्वीकार करने से मना कर दिया था।

(क्रमशः जारी)