मुद्राकोष को भारत
देगा दस अरब डॉलर
(टी. विश्वनाथन)
लोस काबोस (साई)।
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने घोषणा की है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष
को दस अरब डॉलर और देगा जिससे ऋण देने वालों के पास धन पर्याप्त मात्रा में रहे और
आर्थिक संकट न बढ़े। लोस काबोस में जी-२० शिखर सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन में डॉक्टर
सिंह ने कहा कि यूरो जोन में स्थिरता लाने में मुद्राकोष की महत्वपूर्ण भूमिका है
और सभी सदस्य देशों को इस भूमिका को निभाने में उसकी मदद करनी चाहिए।
दुनिया की आर्थिक
स्थिति को बहुत अधिक चिंताजनक बताते हुए डॉक्टर सिंह ने कहा कि यूरो जोन का ऋण और
बैंकिंग संकट पूरी विश्व अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा असर डाल रहा है। वैश्विक संकट
के कारण कम विकसित और विकासशील देशों की गंभीर समस्याओं का जिक्र करते हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकासशील देशों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में निवेश
से लम्बी अवधि में तेजी से वृद्धि की बुनियाद पड़ेगी और उनकी अर्थव्यवस्थाओं में
तत्काल जान आयेगी।
डॉक्टर सिंह ने कहा
कि जी-२० को बहुपक्षीय विकास बैंकों के संसाधनों में बहुत अधिक मात्रा बढ़ानी चाहिए
ताकि उनके पास विकासशील देशों के विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद देने के लिए
पर्याप्त संसाधन हों। भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का जिक्र करते हुए
डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक मंदी और घरेलू कठिनाईयों के कारण वृद्धि पर
असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि घरेलू समस्याओं से निपटने के लिए उचित कदम उठाये
जा रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी अंगों की
मजबूती पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को विश्वास है कि आठ से नौ
प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर फिर हासिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार निवेशकों का
विश्वास फिर जगाने के उपाय कर रही है।
निवेशकों के लिए
संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ऐसी पारदर्शी, और स्थिर नीतियां
अपनायेगी जिससे घरेलू और विदेशी निवेशकों को बराबर अवसर मिले। भारत में बढ़ते
राजकोषीय घाटे के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि २००८ के बाद अर्थव्यवस्था को
प्रोत्साहित करने के लिए राजकोषीय घाटा बढ़ने दिया गया और अब सरकार उसे रोकने पर
ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सबसिडी पर नियंत्रण सहित कड़े फैसले लेगी।
उधर, ब्रिक्स देशों के
नेता ऋणदाता देशों का बोझ बांटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में अपना योगदान
बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। ये फैसला लोस काबोस में भारत, ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण
अफ्रीका की बैठक में लिया गया। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की मेजबानी में
हुई इस बैठक में शर्त रखी गई कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इन अतिरिक्त संसाधनों का
इस्तेमाल तभी करेगा जब कर्ज के नए समझौतों सहित पहले से उपलब्ध धन का काफी बड़ा
हिस्सा इस्तेमाल हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने इस बैठक में कहा कि सभी प्रमुख
अर्थव्यवस्थाओं को एकजुट होकर विश्व अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए एक समग्र
समाधान ढूंढना होगा।
प्रधानमंत्री
डॉ.मनमोहन सिंह ने कहा है कि यूरोजन संकट और दुनिया में अर्थव्यवस्था की सुधरती
स्थिति के लड़खड़ाने से बाजार के भरोसे और हमारी अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर पर
बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस शिखर सम्मेलन के ज$रिये हमें ऐसा ठोस
संदेश देना चाहिए जिससे इन समस्याओं से निपटने का सामूहिक संकल्प झलकता हो। सबसे
पहला काम यूरोज$ोन की
स्थिरता सुनिश्चित करना है जो कि व्यवस्था में पैदा हुए असंतुलन के कारण खतरे में
है।