भारत ने ठुकराया
फिच का प्रस्ताव
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)।
सरकार ने रेंिटंग एजेंसी फिच की तरफ से भारत के ऋण लेने की साख घटाकर नकारात्मक
करने की घोषणा को ठुकराते हुए कहा है कि उसने यह फैसला पुराने आंकड़ों के आधार पर
किया है और भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल में हुए अनुकूल परिवर्तनों की अनदेखी की
है। वित्त मंत्री ने कल एक बयान में कहा कि बाजारों को पहले से अनुमान था कि फिच
रेटिंग में संशोधन करेगा और इस घोषणा से कोई हैरानी नहीं हुई है।
उन्होंने कहा है कि
फिच ने सरकार के ताजा प्रयासों पर ध्यान नहीं दिया है जिनमें उर्वरक सबसिडी
व्यवस्था में सुधार,
सबसिडी को सकल घरेलू उत्पाद के एक निश्चित हिस्से तक सीमित
रखने और नई विर्निर्माण तथा दूर संचार नीतियों जैसे उपाय शामिल हैं।मुख्य आर्थिक
सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि भारत की कर्ज लेने की साख गिराने की फिच की घोषणा
दूसरों की देखा देखी की गई लगती है और इसका पहले से अनुमान था।
उन्होंने कहा कि
रेटिंग एजेंसियों के बीच भी एक-दूसरे की देखादेखी काम करने की प्रवृति है और एस
एंड पी के वक्तव्य को देखते हुए पूरी उम्मीद थी कि फिच भी ऐसा ही कुछ करेगा। मुझे
नहीं लगता कि इसमें आश्चर्य की कोई बात है। अगर आप फिच के बयान को देखें तो इसमें
बहुत सी अनुकूल बातें हैं। यह सही है कि उन्होंने रेटिंग कम कर दी है लेकिन इसमें
यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत आधार को देखते हुए उसकी स्थिति
बदलने की बहुत संभावना है। अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की साख को
घटाते हुए कहा था कि इसकी वजह भ्रष्टाचार, अपर्याप्त सुधार, ऊंची मुद्रास्फीति
और मंद वृद्धि है। एजेंसी का कहना है कि भारत के सामने मंद वृद्धि और बढ़ती
मुद्रास्फीति की कठिन चुनौती है।
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