मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

शिव के राज में माता के वाहन पर संकट!


शिव के राज में माता के वाहन पर संकट!

(लिमटी खरे)

भगवान शिव बेहद भोले हैं वे थोड़ी सी ही भक्ति में प्रसन्न हो जाते हैं। मध्य प्रदेश में शिव का ही राज है। ये हैं पांव पांव वाले भईया शिवराज सिंह चौहान। शिव के गणों में वनों की देखभाल का जिम्मा है सरताज सिंह के कांधों पर। सरताज तो सरताज हैं उनकी देखरेख में एक के बाद एक जंगली जानवरों का आखेट में दम लिया जा रहा है। भेडिया बालक मोगली की कर्मस्थली पेंच नेशनल पार्क इन दिनों शिकारियों के लिए साफ्ट टारगेट बनकर रह गया है।  एक के बाद एक बाघ कालकलवित होते जा रहे हैं और वनाधिकारी अपनी मटरगश्ती में ही मशगूल नजर आ रहे हैं। सिवनी के विधायक और सांसदों को सालों साल में यह भी आभास नहीं हुआ कि लगभग पांच हजार स्कव्यर किलोमीटर में फैले चंदन बगीचे जिसमें बेशकीमती चंदन हुआ करता था आज बंजर जमीन में कैसे तब्दील हो गया है। निश्चित तौर पर जनसेवक और लोकसेवक की गठजोड़ से वनसंपदा और वन्य प्राणी संकट में हैं।

देश के हृदय प्रदेश में पिछले कुछ सालों से शिवराज सिंह चौहान का राज कायम है। शिवराज सिंह चौहान के राज में सूबे के सिवनी जिले में मां दुर्गा के वाहन शेर का अस्तित्व समाप्ति की ओर है। भारी भरकम वन महकमे की फौज, विशेष सशस्त्र बल और पुलिस के जवानों के होने के बावजूद भी शिकारी सरेआम जंगल महकमे के अफसरान की खुली आंख से काजल चुराकर भागने में सफल हो रहे हैं। विश्व भर में अपनी पहचान बना चुके भेडिया बालक ‘‘मोगली‘‘ की कर्मस्थली सिवनी जिले के पेंच नेशनल पार्क के इर्दगिर्द तो क्या समूचे सिवनी जिले में वन्य जीव विशेषकर बाघ बुरी तरह संकट में हैं।

पेंच नेशलन पार्क वैसे भी देश में पिछले सालों में काफी हद तक चर्चा का विषय बना हुआ है, इसका कारण तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ और तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के बीच पेंच नेशनल पार्क को लेकर खिची तलवारें हैं। गौरतलब होगा कि स्वर्णिम चतुर्भुज के अंर्तगत उत्तर दक्षिण गलियारे का निर्माण पेंच नेशनल पार्क के करीब से हो रहा है। कहते हैं जयराम रमेश को यह बताया गया है कि उक्त सडक कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र से होकर जा रही है, (जो कि सर्वथा गलत है) जिसके चलते रमेश के वन एवं पर्यावरण विभाग ने इस मार्ग के निर्माण में अनेक पेंच और फच्चर फसा दिए हैं।

इसके साथ ही साथ पेंच नेशनल पार्क कथित तौर पर जंगल में पले बढे भेडिया बालक मोगली की कर्मस्थली माना जाता है सो इसकी पहचान न केवल हिन्दुस्तान वरन् विश्व के अनेक देशों में बन चुकी है। यहां व्यवसायिक उपयोग के लिए आदिवासियों की जमीनों को धनपतियों और यहां पदस्थ रहे अधिकारियों ने कोडियों के भाव खरीदक उन पर मंहगे आलीशान स्टार होटल का निर्माण करवा दिया। पूर्व में यहां पदस्थ रहे एक अनुविभागीय दण्डाधिकारी, ने नेशनल पार्क से सटे इलाके में जमीन खरीदी थी। इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व के एक अनुविभगीय अधिकारी के लिए यह काम कितना मुश्किल होगा! इसी तरह एक अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी ने भी सिवनी से नागपुर मार्ग पर अपने परिजन के नाम से बहुत बडा सा फार्म हाउस खरीद लिया है। चर्चा है कि सिवनी से खवासा का निर्माण करा रही सदभाव कंपनी ने इस फार्म हाउस को पूरी तरह विकसित कर कुआ आदि खोदा गया है जिसमें लगभग एक करोड रूपए की राशि खर्च की गई है। ‘‘जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का‘‘ की तर्ज पर अधिकारियों द्वारा पेंच नेशनल पार्क के आसपास और जिले की जमीनों पर कब्जा जमा लिया है।

जहां तक रही वन्य जीवों के शिकार की बात तो इस मामले में इतिहास के चंद पन्ने पलटने आवश्यक होंगे। नब्बे के दशक के आरंभ में जिले की वन संपदा इतनी जबर्दस्त थी कि लोग यहां सागौन के साथ ही साथ चंदन बगीचा घूमने देखने आया करते थे। बताते हैं कि कुरई के सकाटा का जंगल इतना सघन हुआ करता था कि लोगों के आकर्षण का केंद्र था यह। इसके उपरांत जब दिग्विजय ंिसह की सरकार सत्ता में आई उसके बाद के वनमंत्रियों की अर्थलिप्सा और निहित स्वार्थ तथा कर्तव्यों के प्रति अनदेखी के चलते सिवनी जिले के जंगल बुरी तरह साफ हो गए। जिले का इतना विशाल चंदन बगीचा आज किन हालातों में हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस के शासनकाल में दुर्दशा का शिकार हुआ चंदन बगीचा और उजडी वन्य संपदा को विपक्ष में बैठी भाजपा और उसके विधायक, सांसदों ने चुपचाप उजडने दिया। इस तरह देखा जाए तो जिले की वन्य संपदा के उजडने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बराबरी के दोषी हैं। यहां एक बात उल्लेखनीय होगी कि कांग्रेस के शासनकाल में हरवंश सिंह ठाकुर तो भाजपा की सरकार में डॉ.ढाल सिंह बिसेन सूबे के वन मंत्री रहे हैं।

याद पडता है कि जब प्रहलाद सिंह पटेल संसद सदस्य थे, उस दौरान 1995 में तीन शेरों का शिकार कर बेकार अंगो को सडक के किनारे फेंक दिया गया था। उस समय प्रहलाद सिंह पटेल ने इस मामले को संसद में गुंजाया था। केंद्रीय दल इसकी जांच के लिए आया, किन्तु वन्य जीवों के तस्कर और लकडी माफिया इतना ताकतवर था कि केंद्रीय दल ने इसे दुर्घटना में मौत बताकर मामले को रफा दफा कर दिया था। वन्य जीवों के तस्करों का साहस तो देखिए। पेंच नेशनल पार्क में सेलालियों के आकर्षण का केंद्र रही एक शेरनी को परधियों ने 1999 में जिंदा ही उठा लिया गया था। दरअसल यह शेरनी इतनी सीधी थी कि पर्यटक इसे नजदीक जाकर छू भी लिया करते थे।

पिछले साल ही एक शेर की संदेहास्पद मौत हुई थी। वन्य महकमे ने अपनी खाल बचाने के लिए इसे स्वाभाविक मौत ही बता दिया था। इतना ही नहीं इसके चंद माह बाद एक बाघ की जहर से मौत हो गई थी। साफ साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मौत पानी में जहर मिले होने के कारण हुई थी। वन विभाग इसे भी स्वाभाविक मोत ही बताने पर आमदा था। बाद में फोरंेसिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो सकी कि उसकी मौत जहर देने से हुई थी। हाल ही में पेंच पधारे प्रदेश के वन मंत्री से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी गोल मोल जवाब देकर वन महकमे की खाल बचाने का ही उपक्रम किया है।

इसके उपरांत एक के बाद एक मामले प्रकाश में आते रहे जो नागरिकों के होश उड़ाने के लिए पर्याप्त माने जा सकते हैं पर अधिकारियों और सांसद विधायकों को जगाने के लिए पर्याप्त नहीं माने जा सकते हैं। एक अन्य मामले ने तो होश ही उडा दिए हैं। पेंच नेशनल पार्क से गायब एक शावक का शव एक माह बाद वन विभाग को दिखाई देना अपने आप मंे ही अनेक प्रश्नों को अनुत्तरित ही छोड गया है। कहा जा रहा है कि इस शावक को तंत्र मंत्र के लिए मौत के घाट उतार दिया गया। इस शावक के दो पंजे एक तांत्रिक के पास ले जाते समय छिंदवाडा के वन महकमे द्वारा जप्त किए गए। आश्चर्य की बात तो यह है कि पंेच के रखरखाव के लिए राज्य शासन द्वारा भारी भरकम अलमा पदस्थ किया है जो जनता के द्वारा दिए जा रहे कर से भारी भरकम वेतन पा रहा है फिर एसी लापरवाही कैसे! क्या शिवराज सिंह चौहान स्वयं इस मामले में संज्ञान लेकर वन विभाग में शिख से लेकर नख तक माता दुर्गा के वाहन के साथ किए इस वीभत्स काम के लिए दण्ड देने का साहस कर पाएंगे?

कहा जा रहा है कि 9 मई 2010 को उक्त शावक को पंेच नेशनल पार्क के उप संचालक ने स्वयं ही कमजोर हालत में देखा था, इसके बाद से वह कथित तौर पर ‘‘लापता‘‘ था। एसा नहीं कि जिस स्थान पर उसका शव मिला है, वहां पर से उडन दस्ता न गुजरा हो। अगर नहीं गुजरा तो उडन दस्ते को वेतन और उडन दस्ते का डीजल कौन पी जाता है। जब बागड ही खेत को चरने लगे तो फिर खेत को कोई ताकत नहीं बचा सकती है। जब वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी ही अपने कर्तव्यों में बेशकीमती इमारती लकडी और वन्य जीवों का दोहन करने का मानस बना लें तो फिर इनकी रखवाली भगवान ही आकर कर सकता है।

सिवनी जिले में काले हिरण भी बहुतायत में पाए जाते हैं। जिला मुख्यालय सिवनी से बमुश्किल पांच सात किलोमीटर के दायरे में ही काले हिरणों के झुण्ड दिखाई पड जाते हैं। इन काले हिरणों का शिकार बडे पैमाने पर किया जा रहा है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। हमने अपने पूर्व के आलेख में इन काले हिरणों के लिए एक सेंचुरी बनाने की बात कही थी, पर न तो मध्य प्रदेश सरकार के कानों में ही जूं रेंगी और न ही केंद्र की सरकार को इससे कोई सरोकार दिख रहा है। वन्य जीवों के शिकार और इमारती लकडी की दनादन कटाई को लेकर प्रहलाद सिंह पटेल के अलावा किसी और ने बात किसी मंच पर उठाई हो इसका उदहारण अभी तक तो नहीं मिल सका है। क्या कांग्रेस के जिले के इकलौते विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह सहित सत्तारूढ भाजपा के विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, श्रीमति शशि ठाकुर सहित केंद्र में सत्ता और विपक्ष में बैठे जिले के दोनों सांसद बसोरी सिंह मसराम और के.डी.देशमुख इस मामले को उठाने का मद्दा रखते हैं।

इस तरह के शिकार को दुर्घटना में मौत बताकर एनएचएआई के उत्तर दक्षिण गलियारे के गुजरने में अडंगे कसे जा रहे हैं। एक बार चर्चा के दौरान जिले के एक वरिष्ठतम अधिकारी ने एनएचएआई के सडक निर्माण में फसे पेंच कारीडोर के फच्चर के बारे में अनोपचारिक तौर पर कहा गया था कि शिकारियों द्वारा किए गए शिकार को सडक दुर्घटना बताने से इस सडक का निर्माण और दुष्कर होता जा रहा है। सवाल यह उठता है कि केंद्र में बैठे वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जो वनों और पर्यावरण के बारे में अपनी चिंता का स्वांग रचते हैं वे क्या पेंच का दौरा कर इन सारे अनसुलझे सवालों पर गौर फरमाएंगे। अगर वे एसा करते हैं तो यह न केवल वन और पर्यावरण के मामले में उनका स्वागतयोग्य और अनुकरणीय प्रयास समझा जाएगा, वरन् सिवनी वासियों के साथ पूरा न्याय भी माना जाएगा।

रेल संघर्ष समिति ने संभाला मोर्चा


0 सिवनी से चलेगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 10

रामटेक गोटेगांव नई रेल लाईन के लिए रेल संघर्ष समिति ने संभाला था मोर्चा

अगस्त तक 25 हजार हस्ताक्षर का रखा था 2005 में लक्ष्य

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। रामटेक से गोटेगांव के बीच नई रेल लाईन के लिए मध्य प्रदेश सरकार के कद्दावर कांग्रेसी नेता हरवंश सिंह ठाकुर के संरक्षण और पूर्व विधायक श्रीमति नेहा सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय रेल संघर्ष समिति का गठन किया जाकर इस मुहिम को तेज कर दिया गया था। इस रेल संघर्ष समिति में कांग्रेस भाजपा के अलावा सभी दलों के प्रतिनिधियों को स्थान दिया गया था।

रेल संघर्ष समिति की अध्यक्ष श्रीमति नेहा सिंह ने छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मण्डला और नरसिंहपुर जिलों के विकास की दृष्टि से रामटेक गोटेगांव नए रेल खण्ड की महत्ता प्रतिपादित करते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखा। रेल संघर्ष समिति द्वारा इस आशय के पत्र तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह, वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमल नाथ, कृषि उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री कांतिलाल भूरिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरूण यादव सहित अनेक मंत्रियों को लिखे थे।

इन पत्रों पर किसी और नेता ने नहीं वरन् सिर्फ और सिर्फ कांतिलाल भूरिया ने ही संज्ञान लिया। मध्य प्रदेश कोटे से अन्य मंत्रियों ने संघर्ष समिति की इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि सिवनी में मध्य प्रदेश के तत्कालीन क्षत्रपों स्व.कुंवर अर्जुन सिंह, कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव, सुरेश पचौरी आदि का झंडा उठाने और नभ को चीरने वाली जय जयकार करने वालों की न तब कमी थी और ना ही अब है। विडम्बना ही कही जाएगी कि छिंदवाड़ा से नैनपुर के महज 139 किलोमीटर लंबे रेल खण्ड के लिए कोई भी अपने आका को सिद्ध नहीं कर सका।

बहरहाल कांतिलाल भूरिया ने 29 अप्रेल 2005 को तत्कालीन केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नाराण भाई राठवा को पत्र लिखकर नेहा सिंह के पत्र पर स्वीकृति देने का अनुरोध किया था। इसके जवाब में नारण भाई जे.राठवा ने अपने 17 मई 2005 के पत्र में कांतिलाल भूरिया को उत्तर दिया कि वे इस मामले की जांच करवा रहे हैं। इसके उपरांत 26 सितम्बर 2006 के पत्र में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री श्री राठवा ने दुबारा कांतिलाल भूरिया को सूचित किया कि मध्य प्रदेश के गोटेगांव से महाराष्ट्र के रामटेक तक के बरास्ता धूमा, सिवनी, खवासा के नए रेल खण्ड का सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष 2001 - 2002 में संपन्न कराया गया था।

इस सर्वे में 275.5 किलोमीटर लंबे रेल खण्ड के निर्माण की लागत वित्तीय वर्ष 2000 - 2001 के अनुसार 528.22 करोड़ रूपए आंकी गई थी जिसके प्रतिफल की दर 11.15 ऋणात्मक आने की बात कही गई थी। श्री राठवा ने साफ कहा था कि इस नए रेल खण्ड के अलाभप्रद स्वरूप, संसाधनों की कमी आदि के कारण इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सका।

श्री राठवा ने आगे कहा था कि वित्तीय वर्ष 2004 - 2005 में कराए गए सर्वे के अनुसार उस वक्त इसकी लागत बढ़कर 775.29 करोड़ रूपए हो गई थी। प्रतिफल की दृष्टि से इस समय यह 11 से घटकर 3 फीसदी ऋणात्मक पर आ गया था। इस दौरान भी रामटेक गोटेगांव के नए रेल खण्ड का काम आरंभ कराना व्यवहारिक नहीं पाया गया था। इन पत्रों की प्रति कांतिलाल भूरिया ने रेल संघर्ष समिति की अध्यक्ष श्रीमति नेहा सिंह को उसी वक्त सूचना देने के लिए भेजी थीं।
इस रेल संघर्ष समिति के संरक्षण हरवंश सिंह ठाकुर, अध्यक्ष पूर्व विधायक श्रीमति नेहा सिंह, संयोजक महेश रामानी, मीडिया प्रभारी एड.जकी अनवर खान, के अलावा कांग्रेस के अध्यक्ष यादोराव राहंगडाले, राकापा के ददुआ पटेल, सपा के जफर पटेल, जदयू के कलीम खान, राजद के एड.याहया आरिफ कुरैशी, भाकपा के हजारीलाल हेडाउ, बीएसपी के रामसिंह राय, आरपीआई के डॉ.राजकुमार बागरे, अजेय भारत पार्टी के अरूण सिंघानिया, शिवसेना के गोविंद बोरकर, नागरिक मोर्चा से नरेंद्र अग्रवाल, गोंगपा के मेहतराम बरकड़े के अलावा चेम्बर ऑफ कामर्स, इंटक, युवा संधि, उपभोक्ता कांग्रेस, बसंतोत्सव समिति, बैनगंगा साहित्य समिति, सिवनी केरल समाज और अंजनी किशोर व्यायाम शाला जैसी संस्थाओं को भी जोड़ा गया था।
(क्रमशः)

निज़ाम नहीं वज़ीरे आज़म बनना चाह रहे हैं मोदी


निज़ाम नहीं वज़ीरे आज़म बनना चाह रहे हैं मोदी

संघ की पेशकश ठुकराई नरेंद्र मोदी ने

मोदी का इंकार दिला सकता है गड़करी को एक्सटेंशन

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के कद को देखकर भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उन्हें भाजपाध्यक्ष की कुर्सी की पेशकश की जो मोदी ने बहुत सम्मान के साथ अस्वीकार कर दी। दरअसल मोदी भाजपा के निजाम बनने के बजाए देश के वजीरे आजम बनने में ज्यादा दिलचस्पी रख रहे हैं। मोदी के इंकार से वर्तमान भाजपा निजाम नितिन गड़करी को एक और कार्यकाल मिलने से कोई नहीं रोक सकता है। मोदी के मन में 7 रेसकोर्स रोड (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) को अपना आशियाना बनाने की आकांक्षाएं बलवती हो रही हैं।

दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि नितिन गड़करी का कार्यकाल 2012 में समाप्त हो रहा है। इसके दो साल बाद आम चुनाव हैं। संघ चाहता है कि आम चुनावों में मोदी की छवि और उनके अनुभवों का इस्तेमाल वह पार्टी के लिए करे। यही कारण है कि संघ के आला नेताओं ने मोदी को भाजपा की कमान संभालने के लिए न्योता दे दिया।

सूत्रों की मानें तो मोदी ने मिशन 2014 के चलते संघ के आला नेताओं को यह कहकर शांत कर दिया कि मुख्यमंत्री रहते हुए उनके पास असीमित संवैधानिक अधिकार हैं, जिनके चलते कांग्रेस चाह कर भी उनका बाल बांका नहीं कर पा रही है। अगर उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ा तो कांग्रेस उन्हें चील कौओं के मानिंद नोच खाएगी। उनका आधे से ज्यादा समय कोर्ट कचहरियों में बीतेगा।

बताया जाता है कि मोदी ने अपने पिछले राजनैतिक रिकार्ड और इस दौरान उनके विरोधियों के बिना आवाज शमन के साथ ही साथ विपक्षी पार्टियों के आक्रमक के बजाए रक्षात्मक रवैए का भी हवाला खुलकर दिया। मोदी ने संघ को दो टूक कह दिया है कि संघ को अगर उनके लिए (मोदी के लिए) कुछ करना है तो वे उनके लिए सीएम से पीएम तक का मार्ग प्रशस्त कर दें।

अब खरबूजे पर खतरे के बादल


अब खरबूजे पर खतरे के बादल

अमेरिका में खरबूजे से 13 मरे

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। दुनिया का चौधरी जो न करे सो कम है। पश्चिमी देशों ने भारत गणराज्य को प्रयोगशाला ही बना रखा है। कभी स्वाईन फलू तो कभी बर्ड फलू के नाम पर अरबों रूपयों की दवाएं खरीदने पर मजबूर कर देते हैं पश्चिमी देश हिन्दुस्तान को। दिल के दर्द की सस्ती दवा डिस्प्रिन को बाजार से बाहर करवा दिया था पश्चिमी देशों ने क्योंकि यह सस्ता इलाज और कारगर था।

नई बीमारियों के बारे में बताकर दुनिया को डराने में अमेरिका का कोई सानी नहीं है। हाल ही में खरबूजे में पाए जाने वाले जीवाणु लिस्टेरिया से खतरा बता रहा है अमरिका। अमरिका का दावा है कि इस जीवाणू से उपजी बीमारी से अब तक तेरह लोग काल कलवित हो चुके हैं वहीं सात दर्जन से ज्यादा इसकी चपेट में हैं।

अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन के अनुसार कोलोराडो में एक फार्म में उगे खरबूजे में यह जीवाणु पाया गया है। प्रशासन ने खरबूजे का उपयोग न करने की अपील की है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी रोग नियंत्रण और बचाव केंद्र की वेब साईट बयां कर रही है कि गर्भवती महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि मेक्सिको में चार, कोलोराडो और टेक्सास में दो दो तथा कंसास, मैरीलेण्ड, नेब्रस्का, ओकलहोमा और मिसॉरी में एक एक व्यक्ति की मौत हुई है। गौरतलब है कि हिन्दुस्तान में लोग खरबूजे का सेवन बड़े ही चाव के साथ करते हैं। इस तरह की बातों के बाद भारत में खरबूजे की खेती पर संकट के बादल मंडराना लाजिमी है।

शिव के हिसाब न देने से खफा हैं मनमोहन


शिव के हिसाब न देने से खफा हैं मनमोहन

केंद्र पोषित योजनाओं का ब्योरा न मिलने से नाराज है केंद्र

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। एक तरफ तो शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेसनीत केंद्र सरकार पर सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाए जाते हैं वहीं केंद्र द्वारा दी जाने वाली इमदाद के बारे में राज्य सरकार पूरी तरह खामोश हो जाती है। केंद्र को अपनी राशि के खर्च का ब्योरा न मिल पाने से हिसाब मिलाना ही मुश्किल हो रहा है। केंद्र सरकार ने अब कड़े कदम उठाते हुए आवंटन की किश्तों को रोकने का फैसला ले लिया है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विभाग ने मध्य प्रदेश को नेशनल सरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (एनआरडीपीडब्लू) के तहत दी जाने वाली राशि पर रोक लगा दी है। मंत्रालय का आरोप है कि शिवराज सरकार ने इस योजना के अंतर्गत केंद्र द्वारा दी गई इमदाद का व्यय प्रतिवेदन केंद्र सरकार को प्रेषित नहीं किया है। सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को एनआरडीपीडब्लू की राशि रोकने का कारण भी राज्य को बता दिया है।

कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार अपनी इमदाद की पाई पाई की रिपोर्ट चाह रही है। केंद्र सरकार को यह भी बताया जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र से प्राप्त सहायता को मूल मद में व्यय करने के बजाए उसका उपयोग अन्य मदों में किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फिजूल खर्ची और नई योजनाओं के लिए फंड जुटाने में अपने आप को असहज महसूस किया जा रहा है। यही कारण है कि सरकार को केंद्र से मिलने वाली राशि का उपयोग वह अन्य मदों में धडल्ले से कर रही है।

रेल्वे ने फैलाए वित्त के सामने हाथ


रेल्वे ने फैलाए वित्त के सामने हाथ

दो हजार करोड़ की मांगी इमदाद

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली। निजामों के मनमाने रवैए से पटरी पर से उतर चुकी भारतीय रेल को अब सुव्यवस्थित होने के लिए दो सौ करोड़ रूपयों की दरकार है। आर्थिक कंगाली के मुहाने पर खड़े रेल मंत्रालय ने मदद के लिए वित्त मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है। उसने फिलहाल वित्त मंत्रालय से 2000 करोड़ रुपये का कर्ज मांगा है। अपनी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए कुछ अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है।

रेलवे के पास महज 75 लाख की ही नगदी बची है। उसका परिचालन व्यय 73,650 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि 2007-08 में यह 41,033 करोड़ रुपये था। पेंशन खर्च 7,953 करोड़ रुपये से बढ़कर 16000 करोड़ रुपये हो गया है। रेलवे बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय को एक हफ्ता पहले पत्र भेजकर 2000 करोड़ रुपये ब्रिजलोन के रूप में मांगे गए हैं। पैसा न होने से परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

रेलवे की ओर से वित्त मंत्रालय को करीब एक पखवाड़ा पहले पत्र भेजा गया है। सूत्रों के मुताबिक, रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने इस बारे में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से बात भी की है। तककरीबन 9 साल से रेलवे का किराया नहीं बढ़ा है। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी भी किराया बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। वित्तीय हालात खराब होते देख रेलवे कर्मचारियों की यूनियनें यात्री किराया बढ़ाने का दबाव बना रही हैं।

कैसे हो गया रेल्वे खस्ताहाल!

भारतीय रेल के पटरी पर से उतरने के अनेकों कारण हैं। इसका पहला कारण है छठा वेतन आयोग। इसके चलते रेलवे को अपने कर्मचारियों के वेतन और पूर्व कर्मचारियों की पेंशन पर बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है। इसके अलावा माल ढुलाई में बाधा, नक्सली आंदोलन के कारण ट्रेनों और मालगाड़ियों के आवागमन पर विपरीत असर, ईंधन के बढ़ते दाम, हर साल बड़े पैमाने पर नई ट्रेनों का ऐलान ऐसे कारण हैं, जिन्होंने रेलवे की तिजोरी पर डाका डाला है। रेल मंत्रालय यह भी चाहता है कि केंद्र उसे एकमुश्त सहायता दे। यह संभव न हो तो कम से कम हर साल ब्याज के रूप में वसूले जाने वाले 6 हजार करोड़ रुपये की वसूली ही स्थगित कर दे।

स्वामी फंसे लेख लिखकर


स्वामी फंसे लेख लिखकर

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली। कांग्रेस की नाक का बाल बनकर रोजना ही खुलासों से यूपीए सरकार की नाक में दम करने वाले जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी एक अखबार में लिखे अपने लेख को लेकर फंस गए हैं। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को स्वामी के खिलाफ समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया।

स्वामी के खिलाफ यह केस उनकी इस उस टिप्पणी के लिए दर्ज किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों से मतदान का अधिकार छीन लेना चाहिए। एक वरिष्ठ पुलिस ऑफिसर ने बताया कि क्राइम ब्रांच ने स्वामी के खिलाफ इस साल जुलाई में एक अखबार में लेख लिखकर समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने को लेकर आईपीसी की धारा 153 ए के तहत केस दर्ज किया है।

वरिष्ठ वकील आर. के. आनंद ने इस संबंध में स्वामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने अगस्त में लेख में स्वामी की ओर से की गई टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज करने का फैसला किया था। हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने वाले स्वामी ने अखबार में लिखे अपने लेख में कहा था कि हिंदुओं को सामूहिक रूप से आतंकवादी वारदातों का जवाब देना चाहिए।

गृह मंत्रालय ने कसा आईपीएस पर शिकंजा


गृह मंत्रालय ने कसा आईपीएस पर शिकंजा

संपत्ति का ब्योरा जमा करें 10 तक

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली। अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा देने से बच रहे भारतीय पुलिस सेवा के अफसरों को गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी है। सूत्रों के मुताबिक, अफसरों से कहा गया है कि अगर उन्होंने 2010 का अपना ब्यौरा 10 अक्टूबर तक दाखिल नहीं किया, तो न केवल भविष्य में दूसरी जगह तैनाती के लिए उन्हें सतर्कता मंजूरी नहीं दी जाएगी, बल्कि उनके नाम भी सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।

मंत्रालय ने अफसरों से यह भी कहा है कि अपने ब्यौरे में अपनी संपत्ति की स्पष्ट और विस्तृत जानकारी दें। काम चलाऊ भाषा का इस्तेमाल न करें। मंत्रालय के परिपत्र के मुताबिक, जिन अफसरों ने 10 अक्टूबर तक 2010 के लए अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया, उनके नाम मंत्रालय की वेबसाइट पर डाल दिए जाएंगे।

एमटीएनएल की आकर्षक योजना: 21 रू.में साठ मिनिट


एमटीएनएल की आकर्षक योजना: 21 रू.में साठ मिनिट

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली। मोबाइल फोन ग्राहकों को लुभाने के लिए सरकारी दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल अपने प्री-पेड ग्राहकों के लिए एक शानदार योजना लेकर आई है। दिल्ली-मुंबई के प्री-पेड ग्राहकों को एमटीएनएल सिर्फ 21 रुपये में 60 मिनट के एसटीडी कॉल करने की सुविधा दे रही है। एसटीडी के साथ ही कंपनी की तरफ से 11 रुपये में 60 मिनट के लोकल कॉल करने की भी सुविधा दी गई है। कंपनी के इन दोनों लुभावने वॉउचर के साथ सिर्फ एक दिन की ही समय सीमा दी जा रही है।