बुधवार, 4 अप्रैल 2012

कमल नाथ, सत्यव्रत के आगे बौने हुए भूरिया


कमल नाथ, सत्यव्रत के आगे बौने हुए भूरिया

साल भर में नहीं हुई छिंदवाड़ा, छतरपुर अध्यक्षों की घोषणा


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भले ही कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के भरोसे देश के हृदय प्रदेश में दस सालों के बाद राज वापस लाने के दिवा स्वप्न देख रहा हो किन्तु जमीनी हकीकत इससे उलट ही है। कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के रबर स्टेंप का ठप्पा लगे भूरिया का साहस इतना भी नहीं है कि वे केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र वाले छिंदवाड़ा और राज्य सभा सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी के प्रभाव वाले टीकम गढ़ और छतरपुर के अध्यक्षों के नामों की घोषणा एक वर्ष के बाद भी कर सकें।
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया को पिछले साल 6 अप्रेल को सुरेश पचौरी के स्थान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष मनोनीत किया गया था। भूरिया ने अपना कार्यभार 15 अप्रेल को भोपाल में ग्रहण किया था। इसके बाद से भूरिया ने मध्य प्रदेश का सघन दौरा एक साल बीतने के बाद भी नहीं किया है। जिससे प्रदेश में व्याप्त जबर्दस्त गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेशनल हेडक्वार्टर में चल रही चर्चाओं के अनुसार कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में दस सालों से अधिक समय से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर गंगा प्रसाद तिवारी काबिज हैं। कहा जाता है कि कमल नाथ के लिए तिवारी भस्मासुर बन चुके हैं। कहा जा रहा है कि अगर कमल नाथ ने गंगा तिवारी को पदच्युत किया तो संगठन में उन्हें जिला स्तर पर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिसका सीधा असर उनके लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।
यही कारण है कि मजबूरी में कमल नाथ द्वारा गंगा प्रसाद तिवारी को तीसरी बार अध्यक्ष बनाने दबाव बनाया जा रहा है। उधर, पार्टी की गाईड लाईन स्पष्ट है कि किसी भी कांग्रेस के नेता को तीसरी बार पार्टी जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता है। कमल नाथ के कद और प्रभाव के आगे बौने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया साल भर से छिंदवाड़ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को लेकर असमंजस में ही हैं। यही कारण है कि उनके कार्यभार ग्रहण करने के लिए लगभग एक साल बाद भी छिंदवाड़ा जिला कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की घोषणा लंबित ही है।
कमल नाथ के प्रभाव वाले सिवनी जिले में भी जिला कांग्रेस कमेटी की घोषणा के साथ ही विद्रोह के बिगुल बज गए हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा अनुमोदित सूची में जिला कांग्रेस के अधिकृत प्रवक्ता के बतौर ओम प्रकाश तिवारी का नाम था, जबकि जिला कांग्रेस कमेटी ने ओ.पी.तिवारी के अलावा जे.पी.एस.तिवारी और रामदास ठाकुर के नामों की घोषणा कर दी थी। डीसीसी द्वारा अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की बात भी फिजां में तैर रही है।
बताया जाता है कि हाल ही में नगर कांग्रेस कमेटी सिवनी के संगठन मंत्री मुकेश सक्सेना और जिला कांग्रेस कमेटी के संगठन मंत्री रंजीत यादव को प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा महामंत्री बना दिया गया है। इसके अलावा राजा बघेल को विशेष आमंत्रित बनाने की खबर भी है। इस बात की खबर जिला कांग्रेस कमेटी को भी नहीं है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि जिला कांग्रेस कमेटी इस मामले में जानबूझकर अनजान बन रही है।
इसके साथ ही साथ हाल ही में मध्य प्रदेश कोटे से राज्य सभा पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने प्रभाव वाले टीकमगढ़ और छतरपुर में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए एडी चोटी एक कर रहे हैं। छतरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर चतुर्वेदी अपने पुत्र नितिन की ताजपोशी चाह रहे हैं। वहीं संगठन इसके खिलाफ है और वह वर्तमान अध्यक्ष जगदीश शुक्ला की बिदाई नहीं चाह रहा है। कहा जा रहा है कि शुक्ला का लट्टू पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी की बैटरी से चमचमा रहा है।
सत्यव्रत चतुर्वेदी एक बार फिर राज्य सभा से संसदीय सौध में पहुंच गए हैं जिससे उनके कद में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। यही कारण है कि टीकमगढ़ और छतरपुर के सियासी समीकरण भी बदल चुके हैं। माना जा रहा है कि छतरपुर का फैसला सत्यव्रत चुतुर्वेदी के पक्ष में ही होगा। रही बात शुक्ला की तो उन्हें प्रदेश में कहीं एडजस्ट कर मना लिया जा सकता है।
टीकमगढ़ में सत्यव्रत चतुर्वेदी की सियासी चौपड़ में सबसे बड़ा अडंगा बनकर खड़े हैं विधायक यादवेंद्र सिंह। टीकमगढ़ वैसे तो यादवेंद्र सिंह की कर्मस्थली है किन्तु राष्ट्रीय स्तर पर यादवेंद्र सिंह ने अपनी पहचान नहीं बना सकी है। यही कारण है कि उन्हें मजबूरी में सत्यव्रत चतुर्वेदी के झंडे तले ही काम करने को मजबूर होना पड़ता है, यह बात शायद सिंह को नागवार गुजरती है। यही कारण है कि चतुर्वेदी के सुझाए नाम पर यादवेंद्र सिंह का वीटो आ जाता है।
एआईसीसी हेडक्वार्टर में एमपी कांग्रेस कमेटी के प्रेजीडेंट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को कमल नाथ और सत्यव्रत चतुर्वेदी के सामने बच्चा ही माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस ने 2013 का विधानसभा चुनाव कांति लाल भूरिया के नेतृत्व में लड़ा तो एमपी में भी कांग्रेस के हालात गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश की तरह होने में देर नहीं लगने वाली। लगातार दस साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लगातार एमपी कोटे के केंद्रीय मंत्रियों से उपेक्षा का दंश भोगना पड़ रहा है जिससे उनका मनोबल पूरी तरह से टूट ही चुका है।

सदमे से उबर नहीं पा रहे दिग्गज नेता


सदमे से उबर नहीं पा रहे दिग्गज नेता

विधायक बनकर संतुष्ट नहीं हैं उमा भारती


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। पिता (मुलायम सिंह यादव) और पुत्र (अखिलेश) की जोड़ी ने उत्तर प्रदेश में इस कदर धूम मचाई कि बड़ी बड़ी बात करने वाले सियासी दिग्गजों की बोलती ही बंद हो गई है। यूपी चुनाव के पहले रोज अजब गजब दावे करने वाले बड़बोले नेताओं को मानो सांप सूंघ गया है और अब कुछ समय के लिए वे मीडिया से दूर अज्ञातवास में ही चले गए प्रतीत हो रहे हैं।
जब तक उत्तर प्रदेश के चुनावों का परिणाम नहीं आया था तब तक राजनैतिक बियावान में शोर मचाने वाले नेताओं को मुलायम और अखिलेश के डंडे के कारण सियासी नेपथ्य में जाने पर मजबूर होना पड़ा है। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का तो अता पता ही नहीं है। कोई कह रहा है कि वे अपने गुरू पेजावर स्वामी की शरण में हैं।
उमा के करीबी रहे लोगों का कहना है कि विधायक बनकर उमा भारती संतुष्ट नहीं हैं। वे मामूली विधायक रहकर अपने आप को असहज ही महसूस कर रहीं हैं। उमा के करीबी सूत्रों का कहना है कि उमा भारती ने भाजपा के निजाम नितिन गड़करी से कई दफे गुजारिश की थी कि उन्हें (उमा भारती को) उत्तर प्रदेश के पचड़े में ना डालकर सीधे सीधे मध्य प्रदेश से राज्य सभा में भेज दिया जाए।
कल्याण सिंह की भी बोलती बंद हो गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की लोकप्रियता का उसी सूबे में आलम यह है कि वे अपने बेटे और बहू को भी नहीं जिता पाए। मुलायम से टूटकर अलग हुए अमर सिंह अपनी नाक नहीं बचा पाए और उन्होंने उत्तर प्रदेश के बजाए दिल्ली की राह पकड़ना ही मुनासिब समझा है।
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम और महासचिव राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में औंधे मुंह गिरे हैं। अब उनकी कमर सीधी होने में लंबा वक्त लगने वाला है। यूपी चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन से आहत युवराज राहुल गांधी परिणामों की घोषणा के दो दिनों बाद ही विदेश उड़ लिए थे। देश की गरीब जनता को भले ही दो वक्त की रोटी नसीब नही हो पर युवराज राहुल गांधी फिलीपिंस में जाकर छुट्टियां मनाकर देश वापस आ गए हैं।

कोल अवंटन में दस अरब का चूना: कैग


कोल अवंटन में दस अरब का चूना: कैग

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक-केग ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की कंपनी को कोयला क्षेत्रों का दोषपूर्ण आवंटन किये जाने से सरकारी खजाने को दस अरब रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान व्यक्त किया है। यह जानकारी कैग की वर्ष २०१०-११ की रिपोर्ट में दी गई है।
यह रिपोर्ट कल छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष २००८ में कंपनी को कोयला क्षेत्र का आवंटन ३२ साल के सबसे कम मूल्य पर करके छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम ने दस अरब से ज्यादा का नुकसान किया। सीएजी की रिपोर्ट में राज्य में चलाई जा रही राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, जे एन एन यू आर एम, आयुष और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण जैसी केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लक्ष्य हासिल करने में विसंगतियों की ओर संकेत किया है।

एनआरएचएम घोटाले में आरोप पत्र दाखिल


एनआरएचएम घोटाले में आरोप पत्र दाखिल

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने करोड़ों रुपये के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले के सिलसिले में आरोप पत्र दाखिल किया है। कल गाजियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र में उत्तर प्रदेश जल निगम के पांच वरिष्ठ अधिकारियों सहित सात लोगों के नाम शामिल हैं।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने अपने पहले आरोप-पत्र में जेल में बंद तत्कालीन बहुजन समाज पार्टी सरकार के मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और बहुजन समाज पार्टी विधायक राम प्रसाद जयसवाल को शामिल नहीं किया है। सीबीआई ने कहा है कि तत्कालीन मंत्रियों और संदेह के घेरे में आए अन्य लोगों के खिलाफ जांच जारी है।
यह मामला राज्य के विभिन्न जिलों में एक सौ ३४ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के उच्ची करण से जुड़ा है, जिसके लिए योजना के तहत १३ करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि आबंटित की गई थी। जांच एजेंसी का दावा है कि जल निगम के अधिकारियों ने निजी क्षेत्र के लोगों से साठ गांठ कर इस धर राशि का दुरूपयोग किया जिससे लगभग आठ करोड़ रुपये की सार्वजनिक धन का नुकसान हुआ है।

हाउसिंग घोटाले में धरपकड़


हाउसिंग घोटाले में धरपकड़

(यशवंत श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। सीबीआई ने महाराष्ट्र में मुंबई के आदर्श हाउसिंग घोटाले के सिलसिले में दो वरिष्ठ नौकरशाहों को गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी जयराम पाठक और महाराष्ट्र के पूर्व सूचना आयुक्त रामानन्द तिवारी को आज अदालत में पेश किया जाएगा।
सीबीआई द्वारा पिछले साल जनवरी में दर्ज की एफआईआर के मुताबिक जयराम पाठक पर साल २०१० में बृहन मुम्बई म्युनिसीपल कमिशनर के पद पर रहते हुए आदर्श सोसाइटी की इमारत की ऊंचाई सौ मीटर से ज्यादा बढ़ाने की मंजूरी देने का आरोप है। कथित तौर पर इमारत की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पाठक ने हाई राइट्स कमिटी की स्वीकृति भी नहीं ली थी।
राज्य के शहरी विकास विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव रामानंद तिवारी पर वेस्ट जमीन को आदर्श बिल्डिंग के एसोसाई बढ़ाने के लिए ट्रांसफर करने का आरोप है। इस बीच कल सीबीआई के एक विशेष अदालत द्वारा आदर्श मामले में पहले से गिरफ्तार सात आरोपियों की न्यायिक हिरासत १७ अप्रैल तक बढ़ दी गई है। इनकी बेल की अवधि पर अदालत आज अपना फैसला सुनायेगी।