बुधवार, 24 अप्रैल 2013

भूतप्रेत कल्पना बनकर रह गई ब्राडगेज!


भूतप्रेत कल्पना बनकर रह गई ब्राडगेज!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी में ब्राडगेज एक दिवा स्वप्न नहीं भूत प्रेत की काल्पनिक कथा बनकर रह गई है। तिस पर से करेला और नीमचढ़ा की कहावत को चरितार्थ करते हुए नैनपुर से बरास्ता सिवनी होकर छिंदवाड़ा जाने वाली सिवनी की छुकछुक गाड़ी इन दिनों बढ़ी यात्रियों की संख्या के दबाव में चरमराती दिख रही है।
छोटी लाईन पर यात्रियों की संख्या के दबाव से जहां रेल का परिसंचालन गड़बड़ा गया है, वहीं यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि उपरी राजनैतिक दबाव के चलते सिवनी में नेरोगेज के अमान परिवर्तन का मार्ग रूक गया है।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में ग्रीष्मकालीन अवकाश का मौका है। शादी ब्याह मेले ठेले के चलते छोटी रेल में यात्रियों की तादाद में जमकर इजाफा दर्ज किया जा रहा है। आलम यह है कि यात्री इनके डब्बों में मवेशियों के मानिंद ही भरे हुए हैं। इसके साथ ही साथ इस रेल में एमएसटी यानी रोजाना आने जाने वाले यात्रियों का दबाव अलग से है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेल के इस नेरोगेज पर चलने वाली विभिन्न रेल ट्रेन्स को सीएन नाम दिया गया है। नैनपुर से ंिछंदवाड़ा जाने वाले मार्ग पर सिवनी एक प्रमुख और मध्य में पड़ने वाला स्टेशन है, जहां से प्रतिदिन छिंदवाड़ा और नैनपुर की ओर जाने वाले यात्रियों की खासी तादाद देखी जाती है।
इस रेल खण्ड का उपयोग ग्रामीण इसलिए भी करना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें यात्रा करना अपेक्षाकृत सस्ता है। नैनपुर से आगे जबलपुर और छिंदवाड़ा के आगे भोपाल जाने के लिए लोग इन्ही रेल गाड़ियों का प्रयोग करते हैं। छिंदवाड़ा से पेंचव्हेली और नई दिल्ली जाने वाली पातालकोट एक्सप्रेस का लुत्फ भी यात्री उठाते हैं।
छोटी लाईन में यात्रियों की रेलमपेल इस कदर होती है कि यात्री छतों पर भी सवारी करने से गुरेज नहीं करते हैं। एसा नहीं है कि रेल प्रशासन और सुरक्षा के लिए तैनात जीआरपी इससे अनजान है, किन्तु आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि रेल प्रशासन इस मामले में नागपुर के जोनल कार्यालय के एक तुगलकी फरमान का हवाला देकर अपने हाथ खड़े कर लेता है।
रेल्वे विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जोनल मुख्यालय नागपुर के आदेश के तहत रेल के डब्बों की संख्या कम कर दी गई है, जो पहले से ही अपर्याप्त मानी जाती थी, लिहाजा यात्री जो पहले से ही ठसाठस भरकर यात्रा करने पर मजबूर थे, वे अब घास भूसे के मानिंद यात्रा पर मजबूर हैं।

शर्म से झुक गया सिवनी वासियों का सर


शर्म से झुक गया सिवनी वासियों का सर

(एस.के.खरे)

मध्य प्रदेश में सिवनी को भगवान शिव की नगरी के नाम से पहचाना जाता है। सिवनी वैसे तो कई बार राष्ट्रीय फलक पर छाया है पर इस बार सिवनी का नाम बुरे अर्थ में सामने आया है। देश भर में सिवनी के इस कृत्य की थू थू हो रही है। सिवनी के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में जो हुआ वह वाकई मानवता को शर्मसार करने के लिए काफी है। प्रशासन भले ही इसे स्वीकार ना करे पर इस संबंध में प्रशासनिक विफलता सामने आई है।
सिवनी जिले में वर्ष 2008 में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा कोल आधारित एक पावर प्लांट की संस्थापना का काम जारी है। यह संयंत्र आरंभ से ही विवादों में रहा है। यहां महाकौशल के राजनैतिक पहुंच संपन्न नेता नुमा ठेकेदारों की बपौती चलती है इस बारे में कई बार खबरें प्रकाश में आईं। सिवनी के मजदूर भले ही मनरेगा के बावजूद भी यहां से जीवीकोपार्जन के लिए बाहर जाते हों पर, यहां बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा आदि प्रांत से मजदूर काम करने के लिए लाए गए हैं। इस संयंत्र में अब तक लगभग दो दर्जन मजदूरों की संयंत्र की चिमनी के निर्माण के दौरान काल कलवित होने की खबरें भी हैं।
यक्ष प्रश्न तो यह है कि आखिर अब तक प्रशासन ने इसकी सुध क्यों नहीं ली। क्यों लोगों की चीत्कार प्रशासन के कानों में नक्कारखाने की तूती ही साबित हुई है। संयंत्र प्रबंधन द्वारा इसके पहले कर्मचारियों के साथ जो व्यवहार किया गया है वह किसी से छिपा नहीं है। मजदूरों की मांग थी कि संयंत्र प्रबंधन उन्हें परिचय पत्र जारी करे पर संयंत्र प्रबंधन ने तुगलकी रवैया अख्तियार करते हुए यह काम सुरक्षा के लिए तैनात एजेंसी के हवाले कर दिया।
आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि सिवनी जिले के घंसौर में बनने वाले इस पावर प्लांट का एक भी कार्यालय जिला मुख्यालय सिवनी में नहीं है। जबलपुर में इसने अपना पत्राचार का कार्यालय खोला हुआ है। प्रशासन के साथ ही साथ जिले के जिम्मेदार कांग्रेस के सांसद बसोरी सिंह मसराम, विधायक हरवंश सिंह, भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख, विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, श्रीमति शशि ठाकुर और कमल मस्कोले ने भी जिले के हितों की चिंता नहीं की है।
कुछ बिन्दु ऐसे हैं जो आज भी अनुत्तरित हैं। सुरक्षा के मानकों के बारे में ही अगर विचार किया जाए तो घंसौर पुलिस ने अब तक यहां बाहर से आने वाले मजदूरों की मुसाफिरी दर्ज क्यों नहीं की? देखा जाए तो मुसाफिरी दर्ज कराने का काम आजादी के पहले से होता आया है। इस संयंत्र के अंदर होने वाली दुर्घटनाओं के बारे में पुलिस का रवैया लचीला ही बताया जाता है, इसका कारण क्या है?
दिल्ली में पांच साल की बच्ची के साथ हुए हादसे के बाद दिल्ली पुलिस ने एक एसीपी जो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी होते हैं और एसएचओ को निलंबित किया है। सिवनी में एसा कुछ भी नहीं हुआ। अगर बाहर से आने वाले मजदूरों की मुसाफिरी दर्ज होती तो निश्चित तौर पर आरोपी फिरोज अब तक पुलिस की गिरफ्त में होता। अगर वह संयंत्र प्रबंधन का कर्मचारी है तो यह संयंत्र प्रबंधन की जवाबदेही बनती है कि वह पुलिस को उसके पास काम करने वाले ठेकेदारों और कर्मचारियों की जानकारी दे और अगर वह ठेकेदार का आदमी था तो पुलिस ने अब तक ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्यवाही की?
इस पूरे मामले का एक और पहलू सामने आ रहा है वह है जिला जनसंपर्क कार्यालय का अजीव रवैया। 20 अप्रेल को जिला जनसंपर्क अधिकारी द्वारा पत्रकारों को एक एसएमएस और प्रेस नोट के जरिए यह बताया कि योनाचार की शिकार बच्ची के इलाज का पूरा खर्च मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा उठाया जाएगा। 22 अप्रेल को जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि उस बच्ची के इलाज का पूरा खर्च मध्य प्रदेश सरकार उठाएगी। सवाल यह है कि पीआरओ जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अफसर आखिर अति उत्साह में पहले झाबुआ पावर फिर प्रदेश सरकार के सर पर इस बच्ची के इलाज का भोगमान डाल रहे हैं, को उचित माना जाएगा?
शिवराज सिंह चौहान की छवि प्रदेश में बच्चों के मामा की बनी नहीं बनाई गई है। शिव के राज में बच्चियां महफूज नहीं हैं। विडम्बना देखिए कि मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में उस बच्ची को इलाज के लिए भर्ती कराया गया जो नाकाफी ही साबित हुआ। बाद में उसे महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर भेजा गया। जहां चिकित्सकों ने इसके प्राथमिक इलाज में लापरवाही बरतने के संकेत दिए हैं। क्या शिवराज सिंह चौहान और भाजपा द्वारा सवा नौ सालों के राज में प्रदेश में माकूल चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने में अपने आप को अक्षम पा रही है जो वह नागपुर के निजी चिकित्साल की ओर ताक रही है?
बहरहाल, जिला एवं पुलिस प्रशासन को चाहिए कि अतिसंवेदनशील सिवनी में बाहर से आने वालों की मुसाफिरी दर्ज कराने और मकानमालिक के कंधों पर किराएदारों की पहचान सुनिश्चित कर उनके दस्तावेजी प्रमाण संबंधित थाने में जमा कराने की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से की जाए, साथ ही साथ मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के महाप्रबंधक को लापरवाही के लिए दण्डित करने की कार्यवाही करने के साथ इस काम में लापरवाही बरतने वाले घंसौर के नगर निरीक्षक, लखनादौन अनुविभाग के एसडीओपी पर उचित कार्यवाही करे, ताकि शांति के टापू सिवनी में बच्चियां और महिलाए और आम नागरिकं चैन की सांस ले सकें।

जिले के योजनाबद्ध विकास को कृतसंकल्पित हैं भरत यादव


जिले के योजनाबद्ध विकास को कृतसंकल्पित हैं भरत यादव

सिवनी (साई)। सिवनी जिले के नावगत जिला कलेक्टर भरत यादव युवा एवं उर्जावान हैं। बतौर कलेक्टर यह उनकी पहली तैनाती है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने हर सवाल का बेबाकी के साथ जवाब दिया। हर पहलू पर उन्होंने गंभीरता के साथ योजनाबद्ध विकास और कार्ययोजनाओं का क्रियान्वयन करने की बात कही है। शहर को सुंदर बनाने के लिए उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं तय कर रखीं हैं। मीडिया के संबंध में भी यादव ने अपनी बात खुलकर रखी। उन्होंने मीडिया को संयम बरते की सलाह भी दी। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो कार्यालय से एस.के.खरे, संजीव प्रताप सिंह और महेश रावलानी द्वारा जिला कलेक्टर भरत यादव से की गई चर्चा के मुख्य अंश:
साई न्यूज: कानून और व्यवस्था की स्थिति और आने वाले समय में जिला प्रशासन की क्या योजनाएं हैं?
श्री यादव: सिवनी वैसे तो शांतिप्रिय जिला है किन्तु कुछ तत्वों द्वारा यहां अशांति फैलाने की कोशिश की गई है। यह हमारा और एसपी साहब का पहला जिला है। एसपी साहब बहुत अनुभवी हैं, वे जबलपुर जैसे जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ रहे हैं। जिला प्रशासन में हर स्तर के अधिकारी चाहे वह दण्डाधिकारी हो, पुलिस का हो या राजस्व का अथवा किसी अन्य विभाग का सभी के बीच बेहतर समन्वय बनाने का प्रयास किया जाएगा। सभी मिलकर सिवनी के नागरिकों से सलाह मशविरा कर सिवनी के विकास के मार्ग प्रशस्त करेंगे।
साई न्यूज: सिवनी में पिछले दिनों जो अप्रिय घटनाएं हुईं उसे क्या आप इंटेलीजेंस फेल्युअर के बतौर देखते हैं?
श्री यादव: नहीं! एसा नहीं है, सिवनी में पिछले दिनों जो घटनाएं हुईं, कर्फयू लगा, बमों की बरामदगी हुई, हथियार मिले वह इंटेलीजेंस विभाग के कारण ही मिला है। सिवनी में जो कुछ हुआ वह एसटीएफ जबलपुर द्वारा की गई कार्यवाही हो सकती है पर इसमें जिला विशेष शाखा का इनपुट भी रहा है। अभी हाल ही में सनसनीखेज अपराधों की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि ढाई किलो के सोने की लूट का मामला भी पकड़ा गया था। रही बात धूमा के दोहरे हत्याकांड की तो एक पखवाड़े के अंदर इस मामले में सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है। प्रंद्रह दिन के अंदर पुलिस हत्यारों तक पहुंच जाएगी।
साई न्यूज: सिवनी में बम मिलने की घटना के बाद प्रशासन की ओर से मीडिया को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई!
श्री यादव: अगर, एसा हुआ है तो गलत है। कोई भी घटना के घटने के उपरांत उसकी जानकारी मीडिया को अवश्य ही देना चाहिए। हमने जनसंपर्क अधिकारी से कहा है कि वे इस तरह के मामले में तत्काल मीडिया को सूचना अवश्य दें। कर्फयू के दरम्यान मीडिया की शिकायतें भी आईं। कर्फयू के दरम्यान कुछ अखबारों ने संयम नहीं बरता। कुछ आपत्तिजनक बातें भी प्रकाशित हुईं जिससे तनाव फैला। मीडिया को समाज को देखते हुए संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए। अफवाहें ना फैलें इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही साथ प्रशासन को भी पारदर्शिता बरतनी चाहिए। हमने पीआरओ को कहा है कि वे मीडिया से सहयोग लें, मीडिया को सहयोग दें। हमने पीआरओ को निर्देश दिए हैं कि मीडिया से जुड़े लोगों की सूची 25 अप्रेल तक अद्यतन कर लें।
साई न्यूज: खवासा बार्डर पर सदा ही जाम लगा रहता है. . .।
श्री यादव: हां, इसकी जानकारी हमें है, हमने इसकी भी कार्ययोजना तैयार की है। वहां अनावश्यक जाम लगा रहता है। हम जल्द ही खवासा में छापे मारने की तैयारी कर रहे हैं। खवासा में विभिन्न विभागों की जांच चौकियां हैं। खवासा में जांच चौकियों में शासन के अनेक विभागों द्वारा जांच कर राजस्व वसूला जाता है। जांच के दौरान सरकारी अमला अपना काम करे, पर जनता को इससे परेशानी ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए।
साई न्यूज: शहर की बिगड़ेल यातायात व्यवस्था के बारे में. . .।
श्री यादव: हम जल्द ही यातायात को लेकर बैठक करने वाले हैं। उस बैठक में यातायात की समस्या को लेकर चर्चा की जाएगी फिर जो भी उपाय सामने आएंगे उन्हें लागू किया जाएगा। इसी तरह अतिक्रमण के संबंध में भी प्लानिंग कर कार्यवाही की जाना प्रस्तावित है।
साई न्यूज: दलसागर तालाब के सौंदर्यीकरण के संबंध में. . .।
श्री यादव: दलसागर के बारे में प्रयास जारी हैं। इसके लिए महाराष्ट्र के नागपुर से आर्कीटेक्ट को बुलवाकर मशविरा किया गया है। इसका प्रजेंटेशन बन चुका है, हमने देख लिया है। इसके सौंदर्यीकरण के लिए अब जनप्रतिनिधियों से उनकी निधि का सहयोग, प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं से राशि लाने का प्रयास और जनभागीदारी से इसका कायाकल्प किया जाएगा। इसमें अगर सिल्ट रह गई है, सिल्ट के टापू बन गए हैं तो उन्हें हटाया जाएगा। साथ ही साथ जरूरत पड़ी तो इसे गर्मी में खाली भी करवाया जाएगा।
साई न्यूज: जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं के संबंध में आपका क्या मत है?
श्री यादव: स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास की संयुक्त बैठक 23 तारीख को रखी गई है। इसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा कर जो हल निकलेगा उसे लागू करने का प्रयास होगा।
साई न्यूज: शहर की पेयजल व्यवस्था के संबंध में कार्ययोजना. . .।
श्री यादव: शहर की पेयजल की व्यवस्था मूलतः नगर पलिका के हाथों में है। इस बारे में समय समय पर हम सीएमओ और नगर पालिका अध्यक्ष से चर्चा करते रहते हैं। (साई न्यूज: पर 22 किलोमीटर दूर से फिल्टर किया पानी लाया जा रहा है. . .) हां हमे पता है। इस संबंध में 35 करोड़ रूपए की लागत की योजना बनाई गई है, जिसे स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जाएगा।
साई न्यूज: घंसौर में लग रहे मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का प्लांट रक्षित वन में संस्थापित किया जा रहा है।
श्री यादव: देखिए, शासन ने इसके लिए जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी है, इसका मतलब है कि वह सही है। अगर उसमें कुछ अनियमितताएं हैं तो उसकी जांच होगी।
साई न्यूज: फोरलेन के संबंध में कोई प्रगति!
श्री यादव: यह केंद्र सरकार का मसला है। इसमें टाईगर सेल से अनुमति मिल चुकी है, अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति की दरकार है। फिर मामला केंद्र की अनुमति के बाद आरंभ हो पाएगा।

जोगी ने रमन से मांगी आर्थिक मदद


जोगी ने रमन से मांगी आर्थिक मदद

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। अजीत जोगी ने अपने रोबोटिक पैरों पर आ रहे 80 से 90 लाख रुपए का खर्च राज्य सरकार से उठाने का आग्रह किया है। उन्होंने राज्य सरकार को इसके लिए पत्र भी लिखा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि जब उनकी दुर्घटना हुई थी तब मुख्यमंत्री ने मेरे इलाज का पूरा खर्च उठाने का वादा किया था।
उन्होंने कहा कि उस समय मैंने राज्य सरकार से किसी भी तरह की सहायता नहीं ली थी। अब रोबोटिक पैरों का खर्चा ज्यादा है ऐसे में इसका भुगतान राज्य सरकार को करना चाहिए। जोगी का यह भी कहना है कि एक विधायक होने के नाते मेरे इस इलाज का खर्च सरकार को देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मैंने इसके लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है पर अभी तक उसका जवाब नहीं आया है।
गौरतलब है कि रोबोटिक पैरों के लिए लगने वाली सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और एंट्री टैक्स केंद्र सरकार ने माफ किया है। अजीत ने बताया कि वे न्यूजीलैंड के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में रोबोटिक पैरों से चलने का प्रयास कर रहे हैं। वे रोबोटिक पैरों से चलकर 29 अप्रैल को जन्मदिन का केक काटेंगे।

देश में बढ़ रही है बाघों की संख्या


देश में बढ़ रही है बाघों की संख्या

(अमित कौशल)

नई दिल्ली (साई)। देश में बाघ बढ़ रहे हैं। सरकार ने मंगलवार को बताया कि देश में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं। पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने राज्य सभा को बताया कि संशोधित पद्धति का उपयोग कर हर चार साल के अंतराल में एक बार किए गए आकलन में देश में बाघों की संख्या बढ़ने के संकेत मिले हैं।
उन्होंने बताया कि हालिया अखिल भारतीय अनुमान 2010 के अनुसार बाघों की संख्या बढ़कर 1706 तक हो सकती है, जबकि 2006 के अनुमान के अनुसार यह संख्या करीब 1411 थी। उन्होंने बताया कि 2013 में 34 बाघों की मौत हुई। इनमें से पांच बाघ शिकार के चलते मारे गए और तीन बाघों की मौत प्राकृतिक एवं अन्य कारणों से हुई। 26 बाघों की मौत के कारणों की जांच की जा रही है।
जयंती ने बीरेंद्र प्रसाद वैश्य के सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि असम में अपने मूल स्थानों को छोड़कर अन्य जगहों पर आये बाघों के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री ने विजय जवाहरलाल दर्डा के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 2012-13 के दौरान विभिन्न राज्यों में रेल दुर्घटनाओं के कारण 16 हाथियों की मौत हुई जबकि वर्ष 2011-12 में यह आंकड़ा 13 था। जयंती ने बताया कि असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और उसके बाहर पिछले तीन वर्ष और चालू वर्ष के दौरान 18 गैंडे शिकार में मारे गए।
उन्होंने बताया कि कार्बेट बाघ रिजर्व के दक्षिणी भाग में 24 घंटे इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जा रही है और इसके लिए लंबी रेंज वाले इंटेलिजेंट थर्मल तथा इन्फ्रारेड कैमरों का प्रयोग किया जा रहा है।

उपभोक्ताओं के लिये अहम जानकारियां


उपभोक्ताओं के लिये अहम जानकारियां

(डी.बी.नायर)

बाजार में नित नये उत्पाद आ रहे है जिनसे आकर्षित होकर गा्रहक उन्हे क्रय कर रहे हैं ग्राहकों की मांग बढने से बाजार में नकली सामग्रियों का बोलबाला अधिक हो गया है उपभोक्ता असावधानी बर्ती तो निश्चित ही वे ठगा जाता है विशेष कर महिलाओं हेतु बाजार में आनेवाले कास्मेटिक सामग्री अथार्त फेस पाउडर, बाडीलोशन, विविध प्रकार की क्रीम आदि अनेकों सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों का नकली चलन अधिक बढ गया है। भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहें। इन सामग्रियों को क्रय करते समय उपभोक्ताओं को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देवें।
1.          क्रय किये जाने वाली समस्त वस्तुओं का कैश मेमो अवश्य प्राप्त करें। रु. 100/- से अधिक के बेचे जाने वाली सामग्रियेां को केश विक्रेताअेंा को अनिवार्य रुप से देना है।
2.         उपभोक्ताओं को सामग्री पर मोलभाव करने का अधिकार है वस्तु खदीदते समय खुदरा मूल्य से अधिक राशि का भुगतान न करें।
3.         सामग्री क्रय करते समय उस पर लिखे विवरण निर्देशों एवं उपयोग के तरीकों को ध्यान से पढें।
4.         सामग्री के साथ वारंटी/गांरटी कंपनी द्वारा दी गई है तो विक्रेता से उसको भरवाकर उसकी सील सहित प्राप्त करें।
5.         जहां तक संभव हो महंगी सामग्री अधिकृत विक्रेताओं से ही क्रय करें।
6.         वस्तु क्रय करते समय उन पर आई.एस.आई/एगमार्क चिन्ह का अवलोकन अवश्य करें।
7.         सेवा प्राप्त करते समय या लेते समय सेवा प्रदाता द्वारा दी जा रही जानकारी को अच्छी तरह समझें।
8.         वस्तु और सेवा में कमी पाने पर अपनी शिकायत अवश्य दर्ज करावें।
9.         सामग्री क्रय करते समय पैंकिग तिथी, एक्सपायरी तिथी आदि अवश्य देखें।
10.        सामग्री क्रय करते समय निर्माता कंपनी के हेल्प लाईन/टोलफ्री नंबर अवश्य देखें जिन कंपनियों की सामग्री में हेल्प लाईन/टोलफ्री नंबर अंकित नही है वह सामग्री नकली होने की संभवना बढाता है।
11.        स्वर्ण आभूषण क्रय करते समय भारतीय मानक ब्यूरो के हालमार्क चिन्ह देखकर खरीदें।
12.        डाक्टर की पर्ची पर अंकित दवाईयां ही खरीदें अंकित औषधी न होने पर डाक्टर से संपर्क करें। दवाई का बिल अवश्य प्राप्त करें।