अपराध प्रदेश बना हृदय प्रदेश!
(लिमटी खरे)
भारतवर्ष का हृदय प्रदेश कहा जाने वाला मध्य प्रदेश अब अपराधियों के लिए सुरक्षित आरामगाह और वारदातों को अंजाम देने के लिए मुफीद माहौल तैयार करता जा रहा है। पिछले एक साल के ही ग्राफ पर अगर नजर डाली जाए तो लोग दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाएंगे कि प्रदेश में इस तरह का माहौल बना हुआ है कि यहां रहने वालों के लिए अब यह सूबा सुरक्षित किसी भी दृष्टिकोण से नहीं कहा जा सकता है।
धार जिले के धरमपुरी के विधायक पांची लाल मेड़ा द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में उठाए गए प्रश्न के जवाब में मध्य प्रदेश सरकार ने स्वयं ही स्वीकार किया है कि मध्य प्रदेश सूबे में हर 4 घंटों में एक हत्या ओर 3 घंटे में एक बलात्कार और बलवा, हर छ: घंटे में एक अपहरण का प्रकरण सामने आता है।
01 जुलाई 2008 से 15 जून 2009 तक की समयावधि में सूबे में 2194 हत्याएं, 2836 बलात्कार, 941 अपरहण, 2758 बलवा सहित एक लाख 97 हजार 867 संगीन अपराध घटित हुए हैं। मध्य प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी समझी जाने वाले इंदौर शहर में अपराधों की तादाद में विस्फोटक वृद्धि दर्ज की गई है। इंदौर में इस समयावधि में 130 हत्याएं, तो केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में 136 मामले बलात्कार के दर्ज किए गए।
मध्य प्रदेश को वैसे तो शांत प्रदेश के तौर पर जाना जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से राजनैतिक दूरंदेशी और वोट के गणित ने इस प्रदेश के सारे समीकरण गड़बड़ा कर रख दिए हैं। सत्ता में चाहे भाजपा काबिज हो या कांग्रेस सभी ने प्रदेश की सुरक्षा और अमन चैन के साथ समझोता कर ही सरकार को चलाया है।
नक्सलवाद की समस्या इस सूबे के बालाघाट, मण्डला और डिंडोरी जिले के लिए सरदर्द बनी हुई है। वहीं संसाधनों के अभाव के चलते उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र आदि सूबे के अपराधिक चरित्र वाले लोगों के लिए यह प्रदेश सुरक्षित आशियाना बनकर रह गया है।
कितने आश्चर्य की बात है कि लगभग तीन साल पहले तक मध्य प्रदेश में बंग्लादेशी नागरिकों की संख्या महज 11 हुआ करती थी। वस्तुत: इनकी तादाद अगर कुल आबादी की 11 फीसदी कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगा। मध्य प्रदेश में सिमी के गुर्गे आतंक बरपाने से नहीं चूक रहे हैं।
पड़ोसी राज्यों की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में संदिग्ध चरित्र वाले लोगों की बेरोकटोक आवाजाही से प्रदेश का सोहाद्र बिगड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। वैसे भी भोपाल, उज्जैन, इंदौर, जबलुपर, सिवनी, छिंदवाड़ा खण्डवा, बुरहानपुर आदि जिले अतिसंवेदनशील की श्रेणी में आते हैं।
पिछले दिनों जब सिमी का नेटवर्क तेजी से फैला तब गुप्तचर एजेंसियों ने मध्य प्रदेश के पांच जिलों को संवेदनशील घोषित किया था। विडम्बना ही कही जाएगी कि शिवराज के नेतृत्व वाली सरकार ने इन जिलों की चौकसी के लिए एहतियातन कदम भी नहीं उठाए। आज अगर इन जिलों में दहशतगर्दों ने अपनी मजबूत जमीन तैयार कर ली हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि प्रदेश की सीमाओं पर बने जांच नाके (चाहे वे परिवहन विभाग के हों या पुलिस के अथवा किसी और विभाग के) महज चौथ वसूली का अड्डा बनकर रह गए हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र प्रदेश से लगे मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में बिहार की एक कुख्यात गेंग द्वारा मुंबई के एक टेक्सी चालक का गला घोंटकर उसे मौत के घाट उतार दिया था, बाद में उन्होंने ओने पोने दामों में किराए के वाहन को भी बेच दिया।
मध्य प्रदेश पुलिस का आलम समूचे प्रदेश में यह है कि हाईवे पेट्रोलिंग, गश्त आदि के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराए वाहनों में साहब बहादुरों के परिवारजन घूमते नजर आते हैं। पुलिस अधिकारियों की सेवा टहल में ही विभाग का एक बड़ा अमला काम करता नजर आता है, फिर इन परिस्थितियों में आम आदमी के जान माल की सुरक्षा की बात कैसे सोची जाए?
माना जाता है कि जब भी मुंबई पुलिस अंडरवल्र्ड पर शिकंजा कसती है, तब अपराधिक छवि वाले लोग इंदौर या भोपाल को अपनी शरण स्थली बना लेते हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में दाउद, अबू सलेम जैसे लोगों के रिश्ते गहरे रहे हैं। इतना ही नहीं इन दहशतगर्दों ने भोपाल में अपनी मिल्कियत भी बना ली है।
मध्य प्रदेश की सरकारी मशीनरी के हाल अबू सलेम और मोनिका बेदी का पासपोर्ट कहता है। अपने जमाने में चर्चित सिने अभिनेत्री रहीं मोनिका बेदी का पासपोर्ट बनाते वक्त जरूरी दस्तावेजों में मोनिका बेदी के फोटो को देखकर भी किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, होता भी कैसे, जब सरकारी तंत्र को भ्रष्टाचार का घुन जो लगा हो।
मध्य प्रदेश में विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी अंर्तकलह से इस कदर जूझ रही है कि उसे भी आम जनता से जुड़े इस तरह के संवेदनशील मुद्दे दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। कांग्रेस की चुप्पी से जनता को लगने लगा है कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। जनता जान चुकी है कि राजनेतिक दलों के सामने प्रलाप करने से कोई हल निकलने वाला नहीं।
मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि अमन का टापू कहलाने वाला देश का हृदय प्रदेश जो कि अपराधियों के लिए चारागाह साबित हो रहा है, पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करवाकर उसे अमली जामा पहनाएं वरना कहीं देर न हो जाए और बिहार की श्रेणी में मध्य प्रदेश स्थान न पा ले।
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घर के लड़का गोही चूंसे, मामा खाएं अमावट
0 मध्य प्रदेश में अंधेरा कर रोशन हो रही है दिल्ली
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में भले ही ग्रामीण अंचलों में 18 घंटे बिजली की कटौती हो रही हो, पर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली को निबाZध रूप से बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
दिल्ली सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कुशल प्रशासक और अपने दमखम पर तीसरी बार सत्तारूढ हुईं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की फटकार और क्लोज मानिटरिंग का असर अब साफ तौर पर दिखाई पड़ने लगा है। बारिश के न होने से उपजी गर्मी की समस्या से दिल्लीवासियों को निजात दिलाने के लिए बिजली कंपनियां मंहगी दरों पर बिजली खरीदकर दिल्लीवासियों को प्रदाय कर रहीं हैं।
सूत्र बताते हैं कि बीते बुधवार और गुरूवार को दिल्ली में बिजली संकट से निजात दिलाने के लिए कंपनियों ने मध्य प्रदेश और राजस्थान से बिजली खरीदी वह भी मंहगी दरों पर। मानसून की बेरूखी के चलते दिल्ली सरकार बिजली संकट की जद में खड़ा हो गया है।
उधर मध्य प्रदेश में जहां जिला मुख्यालयों में पांच घंटे बिजली कटोती जारी है, द्वारा दिल्ली सरकार को बिजली बेचने का कारण समझ से परे है। बुंदेलखण्ड की मशहूर कहावत ``घर (मध्य प्रदेश) के लड़का गोंही (आम की गुठली) चूसें, मामा (दिल्ली वाले) खाएं अमावट (आम के गूदे से बनने वाला एक खाद्य पदार्थ) को मध्य प्रदेश की शिव सरकार चरितार्थ करने पर तुली हुई है।
उधर विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी भाजपा के इस कदम में मौन स्वीकृति प्रदान किए हुए है। लगता है कि अगले विधान सभा में अभी साढ़े चार साल बाकी हैं इसलिए कांग्रेस चुप्पी साधे बैठी है, किन्तु कांग्रेस यह भूल रही है कि स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव इसी साल के अंत और अगले साल होने हैं। कांग्रेस की यह चुप्पी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
शुक्रवार, 10 जुलाई 2009
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