बुधवार, 5 मई 2010

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम में छत्तीसगढ़ की बकाया 345 करोड़ रूपये प्रदान करे - डॉ. रमन सिंह

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम में छत्तीसगढ़ की बकाया
345 करोड़ रूपये प्रदान करे - डॉ. रमन सिंह
 
राज्य के लंबित मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री की
केन्द्रीय उर्जा मंत्री श्री षिन्दे के साथ बैठक

नई दिल्ली 5 मई छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने केन्द्रीय उर्जा मंत्री श्री सुषील कुमार षिंदे से मिलकर ग्रामीण विद्युतीकरण निगम में लंबे समय से राज्य की बकाया 345 करोड़ रूपये की राषि षीघ्र जारी करने की मांग की है । उन्होंने कहा कि ग्रामीण विद्युतीकरण निगम ने यह राषि बिना किसी उचित कारण के भुगतान करने से रोक रखी है । उन्होंने उर्जा मंत्रालय से इस संबंध में आर.ई.सी. को तत्काल राषि जारी करने के निर्देष देने का आग्रह किया । मुख्यमंत्री ने यह मांग आज नई दिल्ली में उर्जा मंत्रालय में बैठक के दौरान की । केन्द्रीय मंत्री ने इस संबंध में मध्यप्रदेष और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों की बैठक बुलाकर दो माह की अवधि में राज्य सरकार को यह भुगतान सुनिष्चित करने का निर्देष दिया ।
    बैठक में मुख्यमंत्री ने केन्द्र द्वारा राज्य को अनावंटित कोटे की 186 मेगावाट बिजली  को कम करके षून्य करने का विषय उठाया । उन्होंने कहा कि इससे राज्य की जनता को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रह है । उन्होंने इसे पुनः बहाल करने की मांग की । बैठक में उन्होंने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत राज्य के कोरिया और जषपुर जिले के लिए प्रस्तुत विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन की स्वीकृति में विलंब के संबंध में केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया । उन्होंने कहा कि इन दोनो जिलों की अधिकांष आबादी आदिवासी बाहुल्य और अविद्युतीकृत है इसलिए इन्हें प्राथमिकता के साथ इसका लाभ दिलाया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि इन दोनो जिलों के लिए सैद्धान्तिक सहमति जारी की जाये । इन कार्यो को राज्य के संसाधनों से 11वीं पंचवर्षीय योजना में ही प्रारंभ  कर दिया जाये तथा केन्द्र द्वारा राज्य द्वारा किये गये व्यय की प्रतिपूर्ति योजना की स्वीकृति  उपरांत कर  दी जाये । बैठक में उन्होंने राज्य में आगामी वर्षो में होने वाले विद्युत उत्पादन के मद्देनजर एक राष्ट्रीय स्तर के पॉवर ट्रेनिंग इन्स्ट्टियूट की स्थापना की मांग की । इस इन्स्ट्टियूट में पॉवर से संबंधित षोध और प्रषिक्षण  का कार्य किया जायेगा जिससे देष को काफी लाभ होगा । चर्चा के दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित ताप विद्युत परियोजनाओं के लिए आवंटित केप्टिव कोल ब्लॉक के विकास में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के स्तर पर विलंब का मामला उठाते हुए इस संबंध में आवष्यक पहल करने की मांग की ।
    बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में प्रस्तावित 1000 मेगावाट क्षमता की मड़वा परियोजना को मेगापॉवर प्रोजेक्ट की मान्यता देने का भी आग्रह किया । इसके अतिरिक्त उन्होंने भारत सरकार की आर.ए.पी.डी.आर.पी. योजना के तहत जनसंख्या का मापदण्ड 30 हजार के स्थान पर 20 हजार करने का आग्रह किया । उन्होंने कहा कि ऐसा करने से छत्तीसगढ़ के अधिकांष षहरों में विद्युत तंत्र के सुधार में मदद मिलेगी । केन्द्रीय उर्जा मंत्री ने मुख्यमंत्री द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों के षीघ्र निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देषित किया । बैठक में उर्जा सचिव श्री अमन कुमार सिंह , आवासीय आयुक्त श्रीमती रिचा षर्मा और विषेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी श्री विक्रम सिसोदिया भी उपस्थित थे ।

क्या कसाब का गला नाप पाएगा जल्लाद

क्या कसाब का गला नाप पाएगा जल्लाद

सजा के बाद 308 की फांसी को नहीं पहनाया जा सका अमली जामा

2004 के बाद खाली बैठे हैं देश के जल्लाद

(लिमटी खरे)

आज अजमल आमिर कसाब को सजा सुनाई जाएगी। तीन दिन से समाचार चेनल और अखबार यही चीख चीख कर कह रहे हैं, पर सजा की तारीख पर तारीख बढती ही जा रही है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए अब तक के सबसे बडे आतंकी हमले के एकमात्र जिंदा गवाह कसाब की सजा का इंतजार समूचा देश कर रहा है। सभी की निगाहें मुंबई उच्च न्यायलय पर ही टिकी हुईं हैं। अनुमान तो यही लगाया जा रहा है कि कसाब को ‘‘हेंग टिल डेथ‘‘ की सजा सुनाई जाएगी।

बार बार अपने बयान बदलने, अदालत को गुमराह करने, जेल में लजील बिरयानी तो कभी पाकिस्तान से वकील बुलाने की मांग करने वाला शातिर अपराधी कसाब सोलह माहों से भारत गणराज्य की सरकार का सरकारी मेहमान है। कसाब को जिस जेल में बंद रखा गया है, वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। 21 फरवरी 2009 को कसाब ने अदालत के सामने स्वीकार किया था कि उसे लश्कर द्वारा आतंकी गतिविधयों के लिए बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया था और भारत पर हमला करने के लिए भेजा गया था। इसके बाद 06 मई 2009 को कसाब अपने ही बयान से पलट गया था। 20 जुलाई 2009 को कसाब ने फिर अपना जुर्म स्वीकार किया और सजा की मांग की। इसके बाद 18 दिसंबर को कसाब ने एक बार फिर यू टर्न लेते हुए कहा कि उसे हमले के 20 दिन पहले पुलिस ने जुहू से पकडा था, वह भारत के सुनहले पर्दे से आकर्षित होकर समझौता एक्सप्रेस से भारत आया था। 20 दिसंबर 2009 की तारीख में भी वह अपने आरोपों से मुकरा। 18 जनवरी 2010 को कसाब ने नया पैंतरा फेंकते हुए कहा कि ताज होटल पर हमला करने वाले चार आतंकी भारत के ही थे।

सोलह माह पहले कसाब ने अपने साथियों के साथ आतंक का जो नंगा नाच नाचा था, उसके बाद उसने भारतीय न्याय व्यवस्था पर एतबार न होने की बात भी कही और किसी अंतराष्ट्रीय अदालत में इसे चलाने की मांग की। कसाब के उपर हो रहे करोडों रूपयों के खर्च को लोगों ने गलत करार देते हुए उसे तत्काल फांसी पर चढाने की मांग की। हम यह बताना चाहते हैं कि कसाब पर भारत सरकार द्वारा जो खर्च किया जा रहा है, वह अकारत नहीं जाएगा। कसाब को जिंदा रखने में भारत को जितना कूटनीतिक फायदा हुआ है, वह अरबों खरबों रूपए खर्च कर भी नहीं पाया जा सकता है। दूसरी ओर इससे पाकिस्तान को जो नुकसान हो रहा है, वह भी अनमोल ही है।

भारत की न्याय व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाए कम होगा। एक तरफ दुनिया के चौधरी अमेरिका ने 9/11 के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा आरंभ ही नहीं किया गया है, वहीं दूसरी ओर मुंबई आतंकी हमले की सुनवाई लगभग समाप्ति की ओर है। यकीनन इस प्रक्रिया से भारत की न्याय व्यवस्था का सर गर्व से उंचा ही हुआ है। इस मामले ने दूध का दूध और पानी का पानी की कहावत को चरितार्थ कर दिया है। अब समय आ गया है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समस्त देशों को पाकिस्तान की सरजमीं पर चल रहे आतंकी शिविरों और संगठनों के खिलाफ एकजुट होकर कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करने दवाब बनाया जाना चाहिए।

मुंबई हमलों पर बन रही फिल्म ‘‘अशोक चक्र‘‘ 28 मई को देश के सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए तैयार है। इसमें कसाब की भूमिका 22 वर्षीय राजन वर्मा ने निभाई है। फिल्म की तस्वीरें अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई हैं, इन्हें 09 मई को जनता के लिए दिखाने की व्यवस्था है। इस सिनेमा का नाम पहले टोटल टेन रखा गया था, बाद में इसे बदलकर अशोक चक्र कर दियाग गया था। इस फिल्म में कसाब को फांसी पर चढते भी दिखाया गया है।

यक्ष प्रश्न तो यह खडा हुआ है कि अगर कसाब को मुंबई उच्च न्यायलय फांसी की सजा सुना भी देता है तो फांसी देने वाला जल्लाद (जेल में फांसी देने वाला) क्या उसकी गर्दन नाप पाएगा? आंकडों पर अगर गौर फरमाया जाए तो आज देश में 06 महिलाओं सहित 308 अपराधी फांसी की सजा पाने के बाद भी इंतजार में ही हैं कि कब उनकी गर्दन जल्लाद के हाथों में होगी। इन 308 में से अस्सी बिहार में, उत्तर प्रदेश में 70, महाराष्ट्र में 38, मध्य प्रदेश में 16, तमिलनाडू और उडीसा में 14 - 14, पश्चिम बंगाल में 13 और दिल्ली में 09 आरापी हैं, जो फांसी के इंतजार में हैं।

देश में अंतिम बार फांसी 2004 में धनंजय नाम के आरोपी को दी गई थी, जिस पर नाबालिग बालिका के साथ बालात्कार कर उसकी हत्या करने का आरोप था। कसाब के सामने अभी सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का रास्ता बचता है। इसके बाद भी अगर वह चाहे तो महामहिम राष्ट्रपति से दया की भीख (मर्सी पिटीशन) मांग सकता है। संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू सहित 29 लोगों की इस तरह की याचिकाएं अभी लंबित ही हैं। अगर कसाब को कुछ दिन और जिंदा रखा जाता है तो निश्चित तौर पर यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए काफी सुकून की बात होगी और इससे आतंक की फेक्ट्री चलाने वाले पाकिस्तान की परेशानियों में जरूर इजाफा होगा।

कांग्रेस का गरीबों को तोहफा

कांग्रेस का गरीबों को तोहफा

सेंट्रल स्कूल में बढेंगी एक लाख सीट

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 05 मई। केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी योजना ‘‘शिक्षा का अधिकार‘‘ के लागू हो जाने के बाद अब सरकार ने घर से ही इसे अमली जामा पहनाना आरंभ कर दिया है। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के अधीन संचालित होने वाले केंद्रीय विद्यालयों में इस साल एक लाख सीट बढाने की योजना है। वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या दल लाख तेंतीत हजार है, इस लिहाज से इसमें लगभग दो लाख साठ हजार सीट बढना था, पर इसके प्रथम चरण में दस लाख सीट बढाने पर विचार चल रहा है।

केंद्रीय विद्यालय संगठन के सूत्रों का कहना है कि इस कार्ययोजना का मसौदा तैयार कर लिया गया है, इसी माह संगठन की गर्वनिंग बाडी की बैठक में इसे पेश किए जाने की पूरी तैयारी है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद अब केंद्रीय विद्यालयों में भी पच्चीस फीसदी सीट गरीबों के बच्चों के लिए आरक्षित की जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार पहले वर्तमान संख्या में से ही इसे समाहित करने का प्रस्ताव आया था, जिसका विरोध होने पर उसे वापस लेकर सीट बढाने की बात पर सहमति बना ली गई।

सूत्रों ने बताया कि आने वाले तीन सालों में पच्चीस फीसदी सीट का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। बढी हुई विद्यार्थियों की तादाद के बारे में सूत्रों का कहना है कि वर्तमान व्यवस्था के तहत पांचवी स्तर तक प्रतिकक्षा 35 तो पांचवीं से आठवीं तक 40 तो आठवीं के उपरांत इनकी संख्या 45 निर्धारित है। नई व्यवस्था में इसमें एकरूपता लाई जा सकती है, जिसके अनुसार प्रति कक्षा विद्यार्थियों की तादाद 45 कर दी जाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में केंद्रीय विद्यालयों की कक्षाओं में पर्याप्त स्थान है, जिसमें 45 बच्चे बैठ सकते हैं। नई व्यवस्था इसी शैक्षणिक सत्र से लागू होने की उम्मीद जताई जा रही है।

वैसे मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने केंद्रीय विद्यालयों से सांसदों का कोटा खत्म कर एक बहुत बडा कदम उठाया था। इससे सांसदों की नाराजगी भी उन्हें झेलनी पडी थी, पर सिब्बल अपनी जिद पर अडे रहे। 1200 सीटों का कोटा समाप्त हो जाने पर अब केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला आसान तो होगा किन्तु इसमें गैर नौकरीपेशा लोग जो केटेगरी सात में आते हैं वे आज भी अपने बच्चों को केंद्रीय विद्यालय में नहीं पढा पाएंगे।

कोला मामले में सख्त हुआ कोर्ट का रूख

कोला मामले में सख्त हुआ कोर्ट का रूख

सरकार पर बरसा न्यायालय: कहा क्या तब तक जनता जहर पीती रहेगी

शक के दायरे में है सरकार की नीयत

(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 05 मई। कोला मामला सरकार के गले की फांस ही बनता जा रहा है। कोला मामले में केंद्र सरकार द्वारा नोटिफिकेशन करने में बहुत विलंब किया जा रहा है, जो न्यायालय को रास नहीं आ रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को फटकारते हुए इसमें विलंब के कारण जानने चाहे, जब सरकार की ओर से तीन चार माह के वक्त की दरकार की गई तो कोर्ट का कहना था कि क्या तब तक जनता जहर ही पीती रहेगी। सर्वोच्च न्यायालय में वर्ष 2004 में सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन (सीपीआईएल) द्वारा एक याचिका दायर की थी, जिसमें एक जनहित याचिका के माध्यम से कोला में सेहत के लिए हानिकारक पदार्थों की मिलावट का शक जाहिर किया गया था, साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक की गुणवत्ता पर नजर रखने की मांग की थी।

गौरतलब है कि भारत गणराज्य की सरकार को एक नोटिफिकेशन जारी करना था, जिसके उपरांत कोला और पेप्सी के निर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों में मिलाए जाने वाले असली तत्वों की मात्रा के बारे में बोतल पर जानकारी देना जरूरी हो जाएगां गत दिवस सर्वोच्च न्यायालय में सीपीआईएल द्वारा दायर इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करने में अपनी असमर्थता जताते हुए 90 दिनों का समय मांगा। फूड सेफ्टी एण्ड स्टेंडर्ड अथॉरिटी के द्वारा बार बार विलंब करना न्यायालय को कतई रास नहीं आया। जैसे ही अर्थारिटी के वकील द्वारा समय की मांग की गई वैसे ही विद्वान न्यायधीश जस्टिस सुधा मिश्रा ने उक्त वकील को फटकारते हुए कहा कि क्या तब तक जनता को जहर पीना होगा।

जस्टिस सुधा मिश्रा और जस्टिस दलवीर की युगल बैंच ने सरकार को इस बात के लिए भी आडे हाथों लिया कि उत्पाद की गुणवत्ता की जांच के लिए बनाए गए साईंटिक पेनल में सरकार द्वारा इन उत्पादक कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों शामिल किया है। जस्टिस मिश्रा ने सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अतिरिक्त सालीसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह से यह भी पूछा है कि उन लोगों को पेनल का सदस्य कैसे बनाया जा सकता है, जिनके खिलाफ ही प्रकरण हो। कोई भी व्यक्ति अपने ही केस में जज की भूमिका में कैसे हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि आम जनता को सरकार के जांच पेनल पर भरोसा होना चाहिए। निजी हितों वाले लोगों को इसका हिस्सा कतई नहीं बनाया जा सकता है।

हरिभूमि 05 मई 2010