शनिवार, 10 दिसंबर 2011


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 7

राकेश सिंह ने परोक्ष तौर पर किया महाकौशल प्रांत का इशारा

तारामण्डल और विज्ञान केंद्र की उठाई मांग



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भविष्य में यदि महाकौशल प्रांत का सपना आकार लेता है तो निश्चित तौर पर उसकी राजधानी हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर को ही बनाया जाएगा। यहां से वर्तमान में भाजपा के संसद सदस्य राकेश सिंह ने लोकसभा में जबलपुर के विकास के आयामों को गढ़ने की तो कोशिश की गई है किन्तु महाकौशल को प्रथक प्रांत बनाने के लिए वे अब भी मौन ही धारण किए हुए हैं। अगर महाकौशल प्रांत अस्तित्व में आता है तो राकेश सिंह इस प्रांत की राजधानी के संसद सदस्य होने का गौरव पा सकते हैं।

संसद में जबलपुर के सांसद राकेश सिंह ने मांग रखी कि जबलपुर वर्तमान युग में युवा पीढ़ी को विज्ञान की दृष्टि से जागरूक एवं सक्षम बनाने के लिये जबलपुर में विज्ञान केन्द्र (साइंस सेंटर) एवं इसके साथ ही तारामंडल (प्लेनेटेरियम) स्थापित किया जाये। लोकसभा में उन्होंने कहा कि जबलपुर प्राचीन काल से ही शिक्षा के बड़े केन्द्र के रूप में विख्यात रहा है, यहां पर विज्ञान केन्द्र और तारामंडल की स्थापना से विद्यार्थियों के साथ ही युवा वर्ग को काफी लाभ होगा।

श्री सिंह ने कहा कि जबलपुर पूर्वी मध्यप्रदेश का प्रमुख केन्द्र है। यहां पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, पशु चिकित्सा विश्व विद्यालय एवं आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ ही साथ ट्रिपल आईटी जैसे शैक्षणिक संस्थान हैं। वन विभाग का उष्ण कटिबंधीय अनुसंधान संस्थान एवं राष्ट्रीय खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जैसे शोध संस्थान हैं। इसके साथ ही रक्षा उत्पादन की पांच बड़ी इकाइयां जीसीएफ, जीआईएफ, व्हीएफजे, 506 आर्मी वर्कशॉप के साथ-साथ सेना का सप्लाई डिपो, एमईएस, सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर, आर्मी आयुध कोर (कॉलेज ऑफ मेटेरियल मैनेजमेंट), जे एंड के तथा जीआरसी के ट्रेनिंग सेंटर भी स्थित है।

इसके साथ ही यह एक बड़े पर्यटन केन्द्र के रूप में उभर रहा है। इसके अलावा यह संभागीय मुख्यालय भी है। बावजूद इसके बच्चों और युवा पीढ़ी को बौद्धिक व व्यावहारिक रूप से विज्ञान के प्रति जागरूक बनाने के लिये कोई विश्व स्तरीय संस्थान नहीं है। जिसकी वर्तमान समय में महती आवश्यकता है। सांसद श्री सिंह ने कहा कि नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम द्वारा देश के विभिन्न भागों में साइंस सेंटरों की स्थापना का कार्य किया जाता है। इस केन्द्र की स्थापना के लिये जबलपुर एक उपयुक्त स्थान है और इस केन्द्र के साथ यदि तारामंडल भी स्थापित होगा तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जायेगी।
सांसद राकेश सिंह निश्चित तौर पर साधुवाद के पात्र माने जा सकते हैं कि उन्होंने महाकौशल के मुख्यालय जबलपुर को और अधिक समृद्ध करने के प्रयास किए हैं। महाकौशल के समस्त राजनैतिक दलों के अन्य क्षत्रपों, सांसद और विधायकों से अब उम्मीद बेमानी ही होगी। महाकौशल से केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, के.डी.देशमुख, बसोरी सिंह मसराम, उदय प्रताप सिंह, गोविंद प्रसाद मिश्रा, राकेश सिंह, जितेंद्र सिंह बुंदेला, श्रीमति राजेश नंदनी सिंह, देवराज सिंह पटेल सांसद हैं, पर किसी ने इस बारे में आवाज नहीं उठाई है, इसलिए सांसद राकेश सिंह से ही अपेक्षा है कि वे प्रथक महाकौशल प्रांत का आंदोलन छेड़ें और महाकौशल के निवासियों को उनका वाजिब हक दिलवाएं।

(क्रमशः जारी)

कितने मेगावाट की इकाई लगा रहा है झाबुआ पावर!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 28

कितने मेगावाट की इकाई लगा रहा है झाबुआ पावर!

विज्ञापन में 660 तो कागजों पर 600 मेगावाट का है जिकर



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के मशहूर औद्योगिक घराने आवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शमिल आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले पावर प्लांट के बारे में धीरे धीरे रहस्यों पर से पर्दा उठता जा रहा है। आवंथा समूह के मालिक गौतम थापर और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के बीच की जुगलबंदी भी सामने आती जा रही है।



सिवनी जिले की घंसौर तहसील में 22 अगस्त 2009 और 22 नवंबर 2011 को आहूत लोकसुनवाई में मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट का कार्यकारी सारांश देखने पर यह बात उभरकर सामने आती है कि 18 हजार 400 करोड़ रूपयों की मिल्कियत के स्वामी गौतम थापर के स्वामित्व वाले आवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शामिल आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में दो चरणों में छः छः सौ मेगवाट के कोल आधारित पावर प्लांट की स्थापना की जा रही है।



जब इसके संबंध में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर द्वारा सीधे सीधे चुनिंदा समाचार पत्रों को विज्ञापन जारी किया जाता है तो यह बात उभरकर सामने आती है कि जनसुनवाई छः सौ मेगावाट के बजाए 660 मेगावाट की है। कंपनी 600 मेगावाट के पावर प्लांट डालने का दावा करती है तो लोकसुनवाई 660 मेगावाट की होती है। लोकसुनवाई स्थल पर भी जिस डायस पर मण्डल के अफसरान के साथ जिला प्रशासन के प्रतिनिधि बैठे थे उसके पीछे के बोर्ड पर भी 660 मेगावाट का ही उल्लेख किया गया था। यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर प्रदूषण नियंत्रण मण्डल जबलपुर द्वारा इस अतिरिक्त 60 मेगावाट का उल्लेख करने का क्या ओचित्य है। यह साठ मेगावाट का लाभ वह आखिर गौतम थापर को पहुंचाने पर आमदा क्यों है? क्या एमओयू 600 मेगावाट का हुआ है और कर बचाने के लिए 660 मेगावाट की जनसुनवाई करवा दी गई है!

वैसे देखा जाए तो मण्डल को यह विज्ञापन अपने चुनिंदा समाचार पत्रों को सीधे जारी करने के बजाए मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग अथवा केंद्र सरकार के विज्ञापन दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) के माध्यम से जारी किया जाना चाहिए था। चूंकि यह विज्ञापन सीधे ही चुनिंदा समाचार पत्र (इनमें संयंत्र की स्थापना वाले सिवनी जिले का एक भी समाचार पत्र शामिल नहीं है, जबकि सिवनी से प्रकाशित होने वाले अनेक समाचार पत्र मध्य प्रदेश के जनसंपर्क संचालनालय और डीएवीपी के विज्ञापन पेनल में हैं) में जारी करने के पीछे षणयंत्र की ही बू आ रही है।

मण्डल के जबलपुर कार्यालय द्वारा 660 मेगावाट के लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा परियोजना को जारी टी.टो.आर. पत्र दिनांक 8 दिसंबर 2010 एवं 6 सितम्बर 2011 में लोक सुनवाई के निर्देश का हवाला दिया गया है। इस विज्ञापन में साफ उल्लेख है कि इसे बोर्ड की आधिकारिक वेबसाईट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट एमपीपीसीबी डॉट एनआईसी डॉट इन पर भी देखा जा सकता है।

मजे की बात यह है कि पूर्व में 22 अगस्त 2009 की जनसुनवाई के बारेे में शोर शराबा होने पर मण्डल ने इसे पांच दिन पूर्व 17 अगस्त को अपलोड किया था, वहीं दूसरी ओर 22 नवंबर 2011 की जनसुनवाई के बारे में मण्डल ने इसकी जनसुनवाई की तारीख भी एक दिन के उपरांत 23 नवंबर को अपलोड किया। इस तरह यह साफ जाहिर हो रहा है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल निहित स्वार्थों के चलते गौतम थापर की देहरी पर जाकर मुजरा कर रहा है।

(क्रमशः जारी)

ईमानदार नहीं सत्ता के लिए समझौता कर रहे हैं मनमोहन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 50

ईमानदार नहीं सत्ता के लिए समझौता कर रहे हैं मनमोहन

सहयोगियों को लूट की दी खुली छूट



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारत गणराज्य की स्थापना के उपरांत अब तक के सबसे कमजोर और लाचार प्रधानमंत्री के बतौर उभरे कथित तौर पर ईमानदार छवि के धनी डॉ.मनमोहन सिंह ने सत्ता की मलाई चखते रहने के लिए समझौतावादी रवैया अपनाया हुआ है। अपने संगी साथियों को देश को लूटने की खुली इजाजत देकर उन्होंने देश के नागरिकों के साथ बहुत ही बड़ा धोखा किया है। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के मंत्रियों द्वारा मचाई गई लूट को चुपचाप देखकर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी और विपक्ष में बैठी भाजपा ने भी परोक्ष तौर पर मनमोहन सिंह का पूरा पूरा साथ दिया है।

संप्रग के दूसरे कार्यकाल में एक के बाद एक घपले घोटाले सामने आते रहे और विपक्ष सहित सोनिया, राहुल और खुद मनमोहन खामोश बैठे रहे। मामला चाहे कामन वेल्थ गेम्स घोटाले का हो, टूजी, एयर इंडिया, रिलायंस गैस माईन्स, आदर्श सोसाईटी, एस बेण्ड या कोई और बड़ा घोटाला हर मामले में देश को प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर चलाने वाले खामोश बैठे रहे।

अपने असफल बचाव में वजीरे आजम ने चुनिंदा संपादकों की टोली के सामने खुद को मजबूर जतला दिया। उन्होंने साफ कह दिया कि गठबंधन की कुछ मजबूरियां होती हैं। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी सहित विपक्ष की महान मूर्तियों ने साबित कर दिया कि जनादेश प्राप्त और पिछले दरवाजे से संसद की राजनीति करने वालों के लिए राष्ट्र धर्म से बढ़कर गठबंधन धर्म है। इन परिस्थितियों में भला मनमोहन सिंह को आखिर ईमानदार कैसे कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री को भले ही उनके चंपू ईमानदार जतलाने का जतन कर रहे हों पर सच्चाई यह है कि मनमोहन सिंह अघोषित तौर पर भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक के बतौर स्थापित हो चुके हैं।

(क्रमशः जारी)

सर्द हवाओं का रूख मध्य भारत की ओर


सर्द हवाओं का रूख मध्य भारत की ओर

बढ़ सकती है एकाध दिन में ठंड



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर की पर्वतश्रंखलाओं में भारी बर्फबारी के चलते पहाड़ बर्फ की सफेद धवल चादर ओढ़ चुके हैं। हिमालय की ओर से आने वाली हवाओं का रूख अब मैदानी इलाकों की ओर होने लगा है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि शनिवार दोपहर तक मध्य प्रदेश में पारा गिर सकता है।

जम्मू ओर कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में हुए हिमपात का असर राजधानी दिल्ली पर पड़ा है और इस मौसम में पहली बार लोगों को सर्दी का अहसास हुआ। शुक्रवार सुबह से ही दिल्ली कोहरे की चादर में लिपटी रही। दिन चढ़ने पर भी कोहरा का असर ज्यादा कम नहीं हुआ और शाम को एक बार फिर कोहरा बढ़ गया। रात होते ही कोहरे ने दिल्ली के लगभग सभी इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया।

शुक्रवार को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 16.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अब तक ठंड से राहत पा रहे दिल्लीवाले अब ठंड झेलने के लिए तैयार रहें। शनिवार से राजधानी में ठंड और बढ़ेगी और अगले तीन दिन में न्यूनतम तापमान नौ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। ठंड के साथ साथ कोहरे का भी असर राजधानी पर दिखेगा। जम्मू कश्मीर में सक्रिय हुए पश्चिमी विक्षोभ से शुक्रवार को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और आसपास के इलाकों में ठंड बढ़ गई है। राजधानी के कुछ इलाकों में बृहस्पतिवार की रात और शुक्रवार की सुबह बारिश भी हुई।

रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित

कोहरे के असर से शुक्रवार को 40 ट्रेनें आंशिक व पूर्ण रूप से रद रहीं, जबकि 116 ट्रेनों का परिचालन घंटों की देरी से हुआ। कई गाड़ियां 20 घंटे की देरी से गंतव्य तक पहुंचीं। पुरी से नई दिल्ली आने वाले पुरी, नई दिल्ली एक्सप्रेस का परिचालन 15 घंटे, फरक्का का 13 घंटे, महाबोधि एक्सप्रेस का 11 घंटे तथा डिब्रूगढ़ एवं हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस साढ़े सात घंटे लेट रही।

हवाई सेवाएं बाधित

कोहरे से विमान सेवा भी  बुरी तरह से प्रभावित रहीं। आधी रात तीन बजे से सुबह नौ बजे के बीच इंदिरा गांधी विमानतल से लखनऊ जाने वाली गो एयरलाइंस व भोपाल जाने वाली जेट लाइट की फ्लाइट रद रही। लखनऊ व भोपाल से दिल्ली आने वाली गो एयर व जेट लाइट फ्लाइट का भी संचालन नहीं हो सका। जबकि दूसरे शहरों से यहां आने वाली नौ फ्लाइट रद कर दी गई। यही नहीं दो दर्जन से ज्यादा विमान 45 मिनट से ज्यादा की देरी से उड़े।

थ्री के मामले में आईडिया ने बाजी मारी


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  36

थ्री के मामले में आईडिया ने बाजी मारी

कागजों पर ही है थ्री जी की कनेक्टिविटी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी आइडिया सेल्युलर ने पिछले दिनों जम्मू एवं कश्मीर में अपनी 3जी सेवा पेश की। सुरक्षा की दृष्टि से जम्मू काश्मीर में प्री पेड मोबाईल सेवा प्रतिबंधित रखी गई है। आईडिया ने यह साफ नहीं किया है कि थ्री जी इंटरनेट सुविधा पोस्टपेड होगी या प्री पेड। अब तक इस पर कुहासा न हट पाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार निजी क्षेत्र की मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आदित्य बिड़ला समूह की आईडिया सेल्यूलर कम्पनी आरंभ में जम्मू काश्मीर की घाटी क्षेत्र के श्रीनगर में और जम्मू क्षेत्र के उधमपुर में 3जी सेवा शुरू करेगी। बाद में इसका दूसरे स्थानों में भी विस्तार का प्रस्ताव है। इस सेवा के तहत उपभोक्ताओं को तेज गति इंटरनेट, विडियो कानफ्रेंसिंग, मोबाइल टीवी और आइडियामॉल एप्लीकेशन स्टोर सेवा का लाभ उठाने का दावा किया जा रहा है।

आरोपित है कि देश भर में जिन स्थानों पर आईडिया ने थ्री जी सेवा लॉच की है, वहां नेटवर्क की समस्या से दो चार होने के कारण उपभोक्ताओं को धीमी गति का इंटरनेट या बार बार नेट डिस्कनेक्ट होने की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। अनेक उपभोक्ताओं ने आईडिया के मंहगे नेट सेटर लेने के बाद इसकी घटिया सेवाओं से आज़िज आकर अपना कनेक्शन ही बदल दिया है। आईडिया नेट सेटर जीपीआरएस बेस्ड भी है किन्तु इसकी सबसे बड़ी खामी यह है कि उपभोक्ता इस नेट सेटर में आईडिया की सिम के अलावा और किसी की सिम का उपयोग नहीं कर सकता है, क्योंकि यह डिवाईस लाक होती है। आईडिया के जम्मू काश्मीर में थ्री जी सुविधा की इस अभिनव पेशकश के साथ आइडिया की 3जी सेवा देश के 20 सर्किलों में 1,600 शहरों तक पहुंच गई।

(क्रमशः जारी)

शिवराज पर होगा नस्तियां निपटाने का भार


शिवराज पर होगा नस्तियां निपटाने का भार

सीएम मंत्री नहीं रोक पाएंगें फाईलें



(नंद किशोर)

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार नस्तियों के चलन को भी लोकसेवा प्रदाय गारंटी कानून के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। ऐसा होने पर मुख्यमंत्री व मंत्री से लेकर अफसर तक सभी के लिए समय सीमा के भीतर फाइलों को निपटाना कानूनन जरूरी हो जाएगा। ऐसा हुआ तो दफ्तरों में फाइलों के ढेर नहीं दिखेंगे। आने वाले समय में यह व्यवस्था लागू होते ही मुख्यमंत्री पर काम का बोझ इस कदर बढ़ जाएगा कि उन्हें समय सीमा में नस्तियों का निराकरण हर हाल में करना अनिवार्य हो जाएगा।

लोक सेवाओं के बेहतर क्रियान्वयन और जवाबदेही विषय पर राज्य सरकार और यूएनडीपी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वर्कशॉप में इस बात का संकेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तय किया जाएगा कि कौन-सी फाइल किसके पास कितने समय तक रहनी चाहिए। अगर किसी फाइल पर मुख्यमंत्री कोई फैसला नहीं लेते हैं तो इसका नुकसान अंततः राज्य को उठाना पड़ता है।

बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि लोक सेवाओं के बदले लोगों से एक टोकन शुल्क लिया जाना चाहिए, ताकि इसे लेकर आम जनता गंभीर रहे और उसे अपनी भी जिम्मेदारियों का एहसास होता रहे। इस तरह के कई सुझाव लोकसेवा प्रदान करने की समूची प्रक्रिया को मजबूत करने और इसमें जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।

माडल स्कूल में निर्धारित नहीं है पाठ्यक्रम!


माडल स्कूल में निर्धारित नहीं है पाठ्यक्रम!

सीबीएसई या एमपी बोर्ड संशय बरकार



(अंशुल गुप्ता)

भोपाल। मध्य प्रदेश में विकास खण्ड स्तर पर आरंभ किए गए माडल स्कूल में पाठ्यक्रम को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है। प्रदेश के 160 माडल स्कूल में हजारों की तादाद में विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, आश्चर्य की बात है कि इसमें कोर्स अभी तक तय नहीं किया जा सका है। इसमें मध्य प्रदेश बोर्ड या सीबीएसई को फालो किया जाए इस पर से कुहासा नहीं हट सका है।

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ब्लॉक स्तर पर पिछले सत्र में शुरू किए गए मॉडल स्कूलों में कौन सा कोर्स पढ़ाया जाए, अभी तक तय नहीं हो सका है। हालांकि मौजूदा सत्र में बच्चों को माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) का कोर्स पढ़ाया जा रहा है। इसी कोर्स को आगे भी जारी रखने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने कैबिनेट की मंजूरी लेने की कवायद शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि भोपाल में 160 और पूरे प्रदेश में करीब 15 हजार बच्चे मॉडल स्कूलों में पढ़ रहे हैं। पिछले शैक्षणिक सत्र के दौरान प्रदेश के 201 ब्लॉकों में मॉडल स्कूल शुरू किए गए थे। इस दौरान ज्यादातर अभिभावकों ने ये सोचकर मॉडल स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला करवाया था कि यहां सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) का कोर्स पढ़ाया जाएगा। लेकिन यहां कौन सा कोर्स पढ़ाया जाए, विभाग द्वारा इसकी आधिकारिक मंजूरी अभी तक नहीं दी गई है।

शिक्षा के समवर्ती सूची में आने के बाद प्रदेश सरकार केंद्र से 75 फीसदी अनुदान लेने के बाद ही अपने यहां का कोर्स स्कूलों में संचालित कर सकती है। राज्य सरकार मॉडल स्कूलों में माशिमं कोर्स संचालित करने की मंजूरी मंत्रिमंडल के माध्यम से दिलवाना चाहती है। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि मॉडल स्कूलों में कौन सा कोर्स पढ़ाया जाए, इस विषय पर अभी निर्णय होना है। देरी से मिले बजट के कारण मॉडल स्कूलों में अभी माध्यमिक शिक्षा मंडल का कोर्स पढ़ाया जा रहा है।

शिव के उड़न खटोले के पास नहीं है पायलट


शिव के उड़न खटोले के पास नहीं है पायलट

निजी कंपनी से लिए चालक उधार



(इमरान)

भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 65 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर तो खरीद लिया है किन्तु उसके पास इस उड़न खटोले को हवा में उड़ाने के लिए पायलट ही नहीं है। सरकार ने एक निजी कम्पनी से दो पायलट लिए हैं, ताकि अपने पायलटों को प्रशिक्षित कर सके।

विमानन विभाग के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि सरकार ने 65 करोड़ 67 लाख 64 हजार 500 रुपये में फ्रांस की मैसर्स यूरोकॉप्टर कम्पनी से विमान खरीदा। लेकिन सरकार के पास दो पायलट हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षित नहीं हैं। इसलिए उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए किंगफिशर से दो पायलट लिए गए हैं।

सूत्रों ने आगे कहा कि हेलीकॉप्टर वही पायलट उड़ा सकता है, जिसे 75 घंटे के प्रशिक्षण उड़ान का अनुभव हो। इस वक्त सरकार के पास जो पायलट हैं, उन्हें अब तक सिर्फ 10 घंटे का प्रशिक्षण दिया गया है। सरकार पर यह आरोप भी है कि बाजार में बड़ी कम्पनियों के हेलीकॉप्टर 36 करोड़ रुपये में मिल रहे हैं, लेकिन सरकार ने दोगुनी कीमत पर फ्रांस से हेलीकॉप्टर खरीदा।

गंदा पानी पीने मजबूर सिवनी वासी


गंदा पानी पीने मजबूर सिवनी वासी

सात किलोमीटर दूर है फिल्टर प्लांट



(शिवेश नामदेव)

सिवनी। जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर श्रीवनी फिल्टर प्लांट से आने वाले दूषित पानी को पीकर सिवनी के नागरिक बुरी तरह बीमार पड़ रहे हैं। संजय सरोवर परियोजना के तहत बनाए गए एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के भीमगढ़ बांध से आने वाला पानी श्रीवनी में साफ किया जाता है फिर पाईप के द्वारा सिवनी की पानी की टंकियों में पहुंचाया जाता है। मार्ग जगह जगह बने चेंबर्स में ग्रामीणों द्वारा पाईप लाईन फोड दिए जाने से यह पानी पूरी तरह प्रदूषित हो जाता है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इन चेंबर्स में ग्रामीणों, राहगीरों, वाहन चालकों द्वारा लघु दीर्घ शंका समाधान, कपड़ों की धुलाई, स्नान ध्यान आदि किया जाता है। इन चेंबर्स में ग्रामीणों द्वारा पाईप फोड़ दिए जाने से पानी का प्रेशर भी काफी कम हो जाता है। साथ ही साथ पानी को श्रीवनी में फिल्टर किए जाने का ओचित्य ही समाप्त हो जाता है। गौरतबल है कि कांग्रेस के शासनकाल में जब तत्कालीन पालक मंत्री गनपत सिंह उईके को श्रीवनी प्लांट का निरीक्षण के लिए ले जाया गया था तो पेशे से शिक्षक श्री उईके ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि इतनी दूर तक फिल्टर किया हुआ पानी साफ कैसे पहुंच पाएगा?

सिवनी में पानी के प्रदाय हेतु पुरानी व्यवस्था के तौर पर लखनवाड़ा में बैन गंगा नदी पर स्टाप डेम बनाया गया था जो तोड़ दिया गया है। इसके अलावा शहर के उत्तर में स्थित बबरिया तालाब भी महज एक वार्ड को ही पानी उपलब्ध करा रहा है। मांग की जा रही थी कि भीमगढ़ से पानी लाकर बबरिया में डाला जाए और बबरिया में ही जल शोधन संयंत्र लगवाकर यहां से शहर को पानी प्रदाय करवाया जाए।

शहर में लोगों के नलों से गंदा और बदबूदार पानी उगला जा रहा है और संबंधित विभाग मौन साधे हुए हैं। न तो नगर पालिका प्रशासन और न ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को इससे कुछ लेना देना है। संपन्न लोग तो मंहगे फिल्टर आदि लगाकर अपना स्वास्थ्य बचा ले रहे हैं पर गरीब गुरबे तो यही पानी पीकर स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने पर मजबूर हैं।

हाजी मकसूद अहमद ने कार्यभार ग्रहण किया


हाजी मकसूद अहमद ने कार्यभार ग्रहण किया

(श्याम एन रंगा)

बीकानेर। नगर विकास न्यास के नवनियुक्त अध्यक्ष हाजी मकसूद अहमद ने आज दोपहर में नगर विकास न्यास बीकानेर के अध्यक्ष का पदभार एक समारोहपूर्वक आयोजित किये गये कार्यक्रम में ग्रहण किया। इस समारोह में बीकानेर के जिला कलक्टर डॉ पृथ्वीराज ने मकसूद अहमद को पद की शपथ दिलाई।

इससे पूर्व हाजी मकसूद अहमद अपने समर्थकों के साथ एक जूलूस के रूप में मौहल्ला व्यापारियान से नगर विकास न्यास के कार्यालय तक पहुॅंचे। इस दौरान रास्ते में जगह जगह पर कईं संगठनों द्वारा नवनियुक्त अध्यक्ष का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। नगर विकास न्यास के आहते में आयोजित किये गए इस समारोह में बीकानेर के मेयर भवानी शंकर शर्मा, जिला प्रमुख रामेष्वर लाल डूडी, शहर कॉंग्रेस अध्यक्ष जनार्दन कल्ला, देहात कॉंग्रेस अध्यक्ष लक्ष्मण कड़वासरा, जिला कलक्टर पृथ्वीराज व नगर विकास न्यास के सचिव सुदर्षन भयाना सहित जिला व देहात कॉंग्रेस के प्रतिनिधियों व पदाधिकारियों, महिला कॉंग्रेस के सदस्यों, यूथ कॉंग्रेस के सदस्यों, सेवादल के कार्यकर्ताओं व कॉग्रेस से जुड़े अग्रिम संगठनों व यूआईटी के कर्मचारियों ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।

इस समारोह को संबोधित करते हुए शहर कॉंग्रेस अध्यक्ष जनार्दन कल्ला ने कहा कि मकसूद अहमद को जो कार्य सौंपा गया है उसे वो जिम्मेदारी के साथ पूरा करेंगे ऐसा विष्वास है। मुख्यमंत्री अषोक गहलोत व सोनिया गॉंधी का आभार प्रकट करते हुए कल्ला ने कहा कि बीकानेर में विकास के कार्य काफी बकाया है जिसे हाजी मकसूद अहमद के नेतृत्व में पूरा किया जाएगा। समारोह में बोलते हुए जिला प्रमुख रामेष्वर डूडी ने कहा कि मकसूद अहमद एक निष्ठावान व समर्पित पार्टी कार्यकर्ता है जिसका उन्हें ईनाम मिला है और डूडी ने उम्मीद जताई कि ये सभी नेताओं व पार्टी कार्यकर्ताओं को साथ में लेकर जनभावना के अनुरूप बीकानेर का विकास करेंगे।

समारोह में बोलते हुए नगर निगम बीकानेर के मेयर भवानी शंकर शर्मा ने कहा कि नगर निगम व नगर विकास न्यास मिलकर शहर के विकास का काम करेंगे और पार्टी ने जो विष्वास मकसूद अहमद में जताया है उस पर व बीकानेर की जनता के विष्वास पर खरा उतरेंगें। समारोह में भाषण देते हुए जिला कलक्टर डॉ पृथ्वीराज ने नगर विकास न्यास द्वारा अब तक किए गए कार्यों का विवरण बताया और बाकी रहे कामों के बारे में जानकारी दी। जिला कलक्टर ने कहा कि स्वर्ण जयंती वर्ष में बीकानेर के विकास के लिए करोंड़ों के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं और अब नव नियुक्त अध्यक्ष उन कामों को पूरा करवाएंगे।

नगर विकास न्यास के सचिव सुदर्षन भयाना ने सभी आगुंतकों का स्वागत किया और आभार प्रकट किया। इस अवसर पर बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार के चेयरमेन सुरेन्द्र व्यास, भण्डार के निदेषक जुगल किषोर आचार्य, शहर काजी मुष्ताक अहमद, अंतर्राष्ट्रीय पहलवान नृसिंह दास किराड़ू पहलवान शौकत, समाजसेवी नृसिंह दास आचार्य, यूथ कॉंग्रेस के अध्यक्ष नवनीत आचार्य, संजय आचार्य, एडवोकेट व पार्षद गोपाल पुरोहित, शहर कॉंग्रेस प्रवक्ता बिट्ठल बिस्सा, ब्लॉक अध्यक्ष श्रीलाल व्यास, वरिष्ठ कॉंग्रेसी नेता कन्हैयालाल कल्ला, राजीव यूथ क्लब के अनिल कल्ला, अनिल सारड़ा, समाजसेवी मूलचंद रंगा, नगर निगम के पार्षद जनप्रतिनिधियों सहित बीकानेर शहर के वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाष रंगा ने किया।