मंगलवार, 30 जुलाई 2013

आयुष विभाग का वेतन रूका!

आयुष विभाग का वेतन रूका!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। आयुष विभाग के कर्मचारियों का माह जून का वेतन एक बार फिर रूक गया है। जिला कोषालय द्वारा वेतन देयकों में अनावश्यक कांट छांट कर सफेदा लगाने से वेतन पत्रक को पुनः आयुष विभाग को लौटा दिए हैं।
जिला कोषालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आयुष विभाग के माह जून के वेतन देयक जिला कोषालय में प्रस्तुत किए गए थे। इन वेतन देयकों में जबर्दस्त तरीके से छेड़छाड़ कर सफेदा लगाकर करेक्शन किए गए थे। इन करेक्शन से वेतन देयक संदिग्ध प्रतीत हो रहे थे।
उधर, आयुष विभाग के सूत्रों का कहना है कि जिला आयुष अधिकारी सतीश चंद्र गर्ग द्वारा कुछ कर्मचारियों के वेतन रोकने की मंशा से उनके वेतन पत्रक में अनावश्यक कांट छांट की गई थी। इस तरह कांट छांट कर उसमें सफेदा लगाकर ओवर राईटिंग की गई थी।

इधर, आयुष्ज्ञ विभाग के कर्मचारियों को त्योहारों के मौसम में जून माह का वेतन ना मिल पाने से छोटे कर्मचारियों के घर काफी हद तक तकलीफों की बाढ़ आ गई है। जिला प्रशासन से उचित कार्यवाही की अपेक्षा है।

अगले 48 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी

अगले 48 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी

(ब्यूरो कार्यालय)


सिवनी (साई)। जबलपुर संभाग में अगले चौबीस घंटे और बारिश का कहर बना रह सकता है। हिन्द गजट ने सोमवार 29 जुलाई के अंक में सावन की झड़ी ने रूलाया सभी कोशीर्षक से प्रकाशित समाचार में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो सोनल सूर्यवंशी द्वारा मौसम विभाग के सूत्रों के हवाले से यह खबर प्रकाशित की थी कि अगले 48 घंटों में जबलपुर सहित अनेक संभागों में भारी बारिश होने की संभावना है।
वहीं, प्रभारी कलेक्टर एवं सीईओ. जिला पंचाय्ात श्रीमती प्रिय्ांका दास की अध्य्ाक्षता में आज कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में जिले के सभी विभाग प्रमुखों की साप्ताहिक विभागीय्ा समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक में सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्रीमती दास ने मौसम विभाग भोपाल द्वारा जबलपुर संभाग में अगले ४८ घंटों में भारी बारिश होने की चेतावनी/अलर्ट जारी करने की जानकारी देते हुए जिले के सभी तहसीलदारों को निर्देशित किय्ाा है कि वे अतिवृष्टि की आशंका के चलते सचेत रहें, सदैव सतर्क रहें।
उन्होंने कहा कि बाढ से हुई नुकसानी का सर्वे करा लें और पात्र्ाों को मुआवजे का भुगतान करें। प्रभारी कलेक्टर ने कहा कि सभी एस.डी.एम. अपने-अपने क्षेत्र्ाों में मध्य्ाान्ह भोजन पर विशेष निगरानी रखकर स्कूलों में हैंडवाश य्ाूनिट स्थापित कराय्ों। उन्होंने कहा कि सभी एस.डी.एम. अपने क्षेत्र्ाों में पेय्ाजल स्त्र्ाोतों की साफ-सफाई कराय्ों, क्लोरीनेशन कराय्ों, गांवों मेंसाफ-सफाई की समुचित व्य्ावस्था के अधीनस्थ अमले को ताकीद करें और इस कायर््ा की सतत् रूप से मानीटरिंग भी करें।
इसके साथ ही साथ सभी एस.डी.एम. अभिय्ाान चलाकर फल, सब्जी विक्रेताओं, मिठाई प्रतिष्ठानों और मेडीकल स्टोर्स आदि की औचक रूप से जांच करें। उन्होंने कहा कि जिले के सभी आश्रम, छात्र्ाावासों और आवासीय्ा विद्यालय्ाों में वर्षाकाल को देखते हुए शुद्ध पेय्ाजल, परिसर की साफ-सफाई एवं मौसमी संक्रामक बीमारिय्ाों की रोकथाम के लिय्ो सभी उपाय्ा किय्ो जाय्ांे। साथ ही इन संस्थाओं में जिले के सभी वरिष्ठ अधिकारिय्ाों के फोन नम्बर्स भी लिखवाय्ों जाय्ों।
दीपक खाण्डेकर तीन को करेंगे निरीक्षण
बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्रीमती दास ने जानकारी दी कि कमिश्नर जबलपुर संभाग दीपक खांडेकर ३ अगस्त को जिले के प्रवास पर आय्ोंगे। कमिश्नर श्री खांडेकर केवलारी के बाढ़ प्रभावित गांवों मोहगांवमाल, खैरापलारी एवं चिरचिरा का भ्रमण करते हुए घंसौर और धनौरा विकासखंड क्षेत्र्ा के गांवों का भी दौरा करेंगे। इस संबंध में प्रभारी कलेक्टर ने एस.डी.एम. केवलारी, एस.डी.एम. घंसौर, सी.एम.एच.ओ., महिला एवं बाल विकास विभाग, उपसंचालक कृषि, मत्स्य्ाोद्योग, पशु चिकित्सा को निर्देशित किय्ाा कि वे कमिश्नर के दौरे को लेकर समस्त व्य्ावस्थाय्ों/रूट चार्ट तैय्ाार कर लें।

भीमगढ़ का पानी, पूर्व सूचना के बाद छोड़ें

बैठक में प्रभारी कलेक्टर ने कायर््ापालन य्ांत्र्ाी तिलवारा बाय्ाी तट नहर संभाग को निर्देशित किय्ाा कि भीमगढ बांध से जब भी पानी छोड़ा जाय्ो, तो उसकी सूचना सर्व संबंधितों को पूर्व में ही दी जाय्ो। प्रभारी अधिकारी राहत संबंधित बालाघाट, गोंदिय्ाा, भंडारा जिले के प्रभारी अधिकारी राहत य्ाा अपर कलेक्टर को इसकी सूचना दूरभाष पर दें।

होटलों में धड़ल्ले से हो रहा घरेलू गैस का प्रयोग!

होटलों में धड़ल्ले से हो रहा घरेलू गैस का प्रयोग!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिले भर में होटल, ढाबों, चाय की दुकानों में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है, पर इसकी रोकथाम के लिए निर्धारित खाद्य विभाग हाथ पर हाथ रखे ही बैठा है। दिखाने को दो एक माह में खाद्य विभाग द्वारा एकाध बार कार्यवाही कर विज्ञप्ति जारी करवाकर वाहवाही लूट ली जाती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है।
ज्ञातव्य है कि कुछ दिन पूर्व खाद्य विभाग द्वारा मारे गए छापे में नौ गैस के सिलेन्डर, रेग्यूलेटर, गैस चूल्हा अनेक प्रतिष्ठानों से जप्त किए गए थे। इसके पहले और इसके बाद खाद्य विभाग एक बार फिर सुसुप्तावस्था में चला गया है। जब खाद्य विभाग द्वारा यह छापा मारा गया तो उसके उपरांत विभाग द्वारा बड़े ही गर्व के साथ बताया गया था कि जिला कलेक्टर भरत यादव के निर्देशानुसार उक्त कार्यवाही की गई है।
बताया जाता है कि जिले भर में विशेषकर जिला मुख्यालय में संचालित होटल, ढ़ाबे, चाय की दुकानों में सरेराह घरेलू गैस के सिलेन्डर के माध्यम से व्यवसाय किया जा रहा है, जबकि व्यवसायिक उपयोग के लिए कमर्शियल सिलेन्डर लेने का प्रावधान है। यक्ष प्रश्न तो यह है कि जब आम उपभोक्ता गैस एजेंसी जाकर घरेलू गैस के उपयोग के लिए सिलेंडर की मांग करता है तब उसे एक सौ एक नियम कायदे बताकर हैरान परेशान किया जाता है और दूसरी ओर व्यवसायिक उपयोग के लिए हाथों हाथ सिलेंडर किस तरह मिल रहे हैं!
बताया जाता है कि शादी ब्याह, मेले ठेले, पार्टी आयोजनों में भी एकाध कमर्शियल सिलेंडर दिखाने के लिए रख दिया जाता है बाकी का सारा काम घरेलू सब्सिडाईज्ड गैस सिलेंडर के माध्यम से ही किया जाता है। छोटे बड़े दुकानदारों का साहस इतना बढ़ गया है कि वे सड़कोें पर ही लाल रंग के सब्सिडाईज्ड सिलेंडर ही रखकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि खाद्य विभाग के जिम्मेदार कारिंदे इन चाय की गुमटियों पर लाल रंग का सिलेंडर देखने के बाद भी वहां चाय की चुस्कियां बड़े स्वाद के साथ लेते नजर आते हैं।

जिले भर में ना जाने पेट्रोल से चलने वाले ऐसे कितने वाहन हैं जिनमें गैस की किट लगी हुई है। गैस से चलने वाले अधिकांश वाहन घरेलू उपयोग की रसाई गैस से ही संचालित हो रहे हैं। शहर भर में अनेक स्थानों पर टंकी पलटानेअर्थात घरेलू उपयोग की रसोई गैस को वाहन की गैस टंकी में भरने का खतरनाक काम किया जा रहा है। यह सब धड़ल्ले से हो रहा है और खाद्य विभाग ध्रतराष्ट्र बनकर बैठा हुआ है।

मुखालफत करने वालों से चुन चुन कर लिया जा रहा है बदला!

मुखालफत करने वालों से चुन चुन कर लिया जा रहा है बदला!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। नगर पालिका परिषद का काम वैसे तो नगर के लोगों के अमन चैन, साफ सफाई, प्रकाश, बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने का होता है पर सिवनी की नगर पालिका परिषद में उलट बंसी ही बजती दिख रही है। नगर पालिका में उन वार्ड में काम नहीं करवाए जा रहे हैं जिन वार्ड के पार्षद नगर पालिका के नेतृत्व के खिलाफ हैं या जिन वार्ड से नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को जनादेश नहीं मिल पाया है।
बताया जाता है कि जबसे नगर पालिका परिषद की कमान युवा नेता राजेश त्रिवेदी के हाथों में आई है नगर पालिका परिषद में अराजकता पसर गई है। अनेक वार्डों में जहां गर्मी के मौसम में नल एक बूंद भी पानी नहीं उगलते थे, वहां अब चौबीसों घंटे नलों से पानी आ रहा है। जाहिर है यह पानी नगर पालिका की पानी की टंकी से तो नहीं ही आ रहा है। यह भूमिगत पाईप लाईन के माध्यम से गटर और नाली का गंदा पानी ही आ रहा है जिसे पीकर लोग डायरिया, आंत्रशोध, पीलिया जैसी गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं।
वहीं, बबरिया के निवासियों का कहना है कि वार्ड में बारिश के मौसम में व्याप्त गंदगी, नालियां ओवर फ्लो होकर पानी घरों में घुसने आदि की शिकायत लेकर जब वे नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के पास गए तो राजेश त्रिवेदी ने दो टूक शब्दों में यह कह दिया कि उस वार्ड से उन्हें (राजेश त्रिवेदी को) वोट ही नहीं मिले तो वे उस वार्ड के लिए काम क्यों करें?
पालीटेक्निक कालेज के पीछे बबरिया टोला में गंदगी का आलम यह है कि यहां लोग मलेरिया, हैजा, आंत्रशोध, पीलिया, उल्टी दस्त जैसी बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं। वार्ड में अनेक स्थानों पर गर्मी के मौसम में नल ना आने की शिकायत आम होती थी, पर अब तो चौबीसों घंटे नलों सें पानी का धल्ला बह रहा है। लोगों के अनुसार नल इस पानी में केंचुए, कचरा, मिट्टी, सांप के बच्चे, झींगुर, बाल आदि उगल रहे हैं। यह पानी निश्चित तौर पर नालियों का गंदा या गटर का ही पानी है जिसका उपभोग यहां तक कि पीने के लिए भी करने के लिए नगर वासी मजबूर हैं।
यहां उल्लेखनीय होगा कि परिसीमन के पहले बबरिया टोला ग्राम पंचायत बबरिया की हिस्सा था। इस ग्राम पंचायत में लंबे समय तक वार्ड पार्षद श्रीमति सीमा चौरसिया के पति संजय चौरसिया सरपंच रहे हैं। उनके कार्यकाल में ग्राम पंचायत बवरिया ने प्रगति के नए आयाम स्थापित किए थे।
उधर, वार्ड पार्षद श्रीमति सीमा चौरसिया ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि उनका पुत्र बीमार था, जिसे लेकर वे नागपुर गईं थीं। नागपुर में उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो वे दिल्ली गईं और लगभग एक पखवाड़े तक अपने पुत्र का इलाज करवाकर वे कल ही वापस लौटीं हैं।
श्रीमति सीमा चौरसिया ने कहा कि दरअसल, षणयंत्र के तहत वार्ड के जमादार संतोष डागोरिया का यहां से स्थानांतरण कर दिया गया है, जिससे सफाई व्यवस्था लड़खड़ा गई है। इसके साथ ही साथ उन्होंने बताया कि उनके वार्ड में पहले ट्रेक्टर ट्राली से कचरा उठवाया जाता था, उसे भी नगर पालिका परिषद द्वारा हटा लिया गया है। अब उनके वार्ड में हाथ से धकेलने वाली ट्राली से कचरा उठवाया जा रहा है जिसके चलते यह समस्या उत्पन्न हुई है।

शहर में चल रही चर्चाओं के अनुसार लोगों को राहत देने के बजाए, अपने विरोधियों या गलत बातों को इंगित करने वालों के खिलाफ माहौल बनवाने की बात तर्कसंगत प्रतीत नहीं होती है। सियासत में मित्र शत्रु होना जुदा बात है, वर्चस्व की जंग अपने आप में सही है पर इसका असर अगर नगर की रियाया पर पड़ने लगे तो सियासत करने वाले को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है।

झाबुआ पावर, विकास और रासलीला!

झाबुआ पावर, विकास और रासलीला!

(शरद खरे)

सिवनी जिले में नेतृत्व का अभाव नब्बे के दशक से साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। जब तक पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा सक्रिय राजनीति में थीं तब तक सिवनी के विकास के जो सौपान तय किए गए उसे आज प्रौढ़ और उमरदराज हो रही पीढ़ी भली भांति जानती है। विध्न संतोषियों ने सुश्री विमला वर्मा को कथित तौर पर षणयंत्र के तहत सक्रिय राजनीति से किनारे होने पर मजबूर कर दिया। इसके उपरांत सिवनी में पूरी तरह गैर मूल्य आधारित निहित स्वार्थ वाली राजनीति का आगाज हो गया।
सिवनी के विकास पर इसी के उपरांत ग्रहण लगना आरंभ हुआ। सिवनी में सियासी हल्कों में हल्कापन तेजी से पसर गया और फिर विकास का रथ अवरूद्ध होता चला गया। इसके बाद विकास के मायने ही बदल गए। सिवनी में एक एक करके पुराने उद्योग धंधे बंद होते चले गए पर ना किसी सांसद ना विधायक ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा। सिवनी की शराब डिस्टलरी भी बंद हो गई।
सिवनी में एनटीपीसी का पावर ग्रिड स्थापित हुआ। शहरी सीमा से महज चार किलोमीटर दूर जबलपुर रोड़ पर एनटीपीसी ने अपने वितरण केंद्र की संस्थापना करवाई हैै। करोड़ों रूपयों की लागत वाले इस वितरण केंद्र के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन एनटीपीसी को दी गई है। यहां वितरण केंद्र के अंदर कर्मचारियों को रहने की व्यवस्था भी है। यह वितरण केंद्र सिवनी के लिए शोभा की सुपारी से कम नहीं है। इस वितरण केंद्र से सिवनी को क्या फायदा है, यह बात सिवनी के विकास का ठेका लेने वाले अगर बता दें तो मेहरबानी से कम नहीं होगा।
जब घोषित और अघोषित बिजली कटौती होती रही है तब भी इस वितरण केंद्र के अंदर सोडियम लेंप जगमगाते रहे हैं। क्या सिवनी को इससे विद्युत आपूर्ति हो रही है? क्या यहां रहने वालों से नगर पालिका या किसी ग्राम पंचायत को कर के रूप में कुछ आवक हो रही है? क्या इसका कोई लाभ सिवनी को मिल रहा है? जाहिर है तमाम प्रश्नों के उत्तर नकारात्मक ही होंगे। फिर क्या वजह है कि सिवनी जिले की भूमि इसके लिए दे दी गई। निश्चित तौर पर यह राष्ट्रीय विकास का मसला है पर इसमें सिवनी की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए थी, वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं।
अब घंसौर में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह जो शराब निर्माण से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी गहरी पैठ रखता है के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा एक पावर प्लांट लगाया जा रहा है। यह पावर लगभग सात हजार करोड़ रूपयों की लागत से लगने वाले इस पावर प्लांट के लिए घंसौर के नेता नुमा ठेकेदारों ने अपना कब्जा जमा लिया है। संयंत्र प्रबंधन इनके इशारों पर कत्थक कर रहा है। सिवनी के कथित मीडिया मुगलों को ये नेता नुमा ठेकेदार पैसों के बल पर अपनी देहरी पर कत्थक करवा रहे हैं। मीडिया के गुणधर्म, एथिक्स को भूलकर मीडिया को दुकान समझने वाले ये कथित मीडिया मुगल इनकी देहरी पर कत्थक करने को अपनी शान समझ रहे हैं।
वर्ष 2009 से सिवनी में गौतम थापर के इस पावर प्लांट की संस्थापना की नींव रखी गई है। आरंभ से ही यह पावर प्लांट विवादों में घिरा रहा है। सिवनी का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि सिवनी जिले में लगने वाले इस पावर प्लांट का एक भी कार्यालय जिला मुख्यालय सिवनी में नहीं है। अगर किसी को कोई सूचना का आदन प्रदान करना हो तो उसे सिवनी से लगभग सौ किलोमीटर का सफर तय कर घंसौर के बरेला जाना होता है। जिला प्रशासन ने भी इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की है कि सिवनी में लगने वाले पावर प्लांट का कार्यालय सिवनी के बजाए जबलपुर में क्यों?
पावर प्लांट के एक कर्ताधार्ता अधिकारी मेंहदीरत्ता जी से अगर उनके मोबाईल (जो आसानी से उपलब्ध नहीं है, सिवनी में चुनिंदा बिचौलियों के पास ही है, हमें भी बमुश्किल ही मिल पाया है) 9977802499 पर संपर्क कर पूछा जाए तो वे यही कहते पाए जाएंगे कि जबलपुर संयंत्र स्थल से पास है अतः वहां कार्यालय है। अगर ऐसा ही था तो पावर प्लांट जबलपुर जिले में ही लगवा लिया जाता उसके लिए सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील का सीना क्यों छलनी किया जा रहा है?
इस संयंत्र में कितने लोग कहां कहां से आकर काम कर रहे हैं यह बात संयंत्र प्रबंधन ही जानता है। पिछले दिनों घंसौर में चार साल की मासूम गुड़िया के साथ इसी पावर प्लांट के एक वेल्डर ने दुराचार किया। अंत में गुड़िया की इहलीला समाप्त हो गई। यह सब होने के बाद ना प्रशासन चेता ना पुलिस। संयंत्र प्रबंधन तो बस किसी तरह काम निकल जाए की तर्ज पर काम कर ही रहा है। हाल ही में संयंत्र में कार्यरत एक सुरक्षा कर्मी ने महज तेरह साल की कोमलांगी बाला के सामने अपने कपड़े उतार दिए। अब तक ना जाने कितने लोग इस संयंत्र में निर्माण के दौरान दम तोड़ चुके हैं। इसकी जानकारी घंसौर पुलिस को नहीं है ऐसा नहीं है पर माता लक्ष्मी में बहुत दम होती है इस बात का साक्षात उदहारण देखने को मिल रहा है घंसौर में।

आखिर हो क्या रहा है इस संयंत्र में! आखिर देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर अपने गुर्गों से क्या करवाना चाह रहे हैं सिवनी में? आखिर पुलिस ने अब तक दर्ज मामलों में गौतम थापर के खिलाफ मामला पंजीबद्ध क्यों नहीं किया? आखिर गौतम थापर इस कंपनी के सीधे सीधे मालिक हैं, यह जवाबदेही गौतम थापर की बनती है कि वे अपने संस्थान में अच्छे और चरित्रवान कर्मचारी रखें। इधर पुलिस की जवाबदेही है कि अगर गौतम थापर ऐसा नहीं कर रहे हैं तो उन्हें कटघरे में खड़ा करें। गौतम थापर खरबपति हैं तो क्या हुआ? क्या भारत गणराज्य का कानून अमीर गरीब में भेद करता है? घंसौर पुलिस को चाहिए कि वह गौतम थापर के खिलाफ भी कार्यवाही करते हुए उनकी हाजिरी घंसौर थाने में लगवाए तभी गौतम थापर अपने संयंत्र की जमीनी हकीकत से रूबरू हो पाएंगे और सिवनी की बालाएं गौतम थापर के छोड़े गए इन नरपिशाचों से बच पाएंगी!