होटलों में धड़ल्ले से हो रहा घरेलू गैस का प्रयोग!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिले भर में होटल, ढाबों, चाय की दुकानों में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग धड़ल्ले से किया
जा रहा है,
पर इसकी रोकथाम के लिए निर्धारित खाद्य
विभाग हाथ पर हाथ रखे ही बैठा है। दिखाने को दो एक माह में खाद्य विभाग द्वारा
एकाध बार कार्यवाही कर विज्ञप्ति जारी करवाकर वाहवाही लूट ली जाती है पर जमीनी
हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है।
ज्ञातव्य है कि कुछ दिन पूर्व खाद्य विभाग द्वारा मारे गए छापे में नौ गैस
के सिलेन्डर, रेग्यूलेटर, गैस चूल्हा अनेक प्रतिष्ठानों से जप्त किए गए थे। इसके पहले
और इसके बाद खाद्य विभाग एक बार फिर सुसुप्तावस्था में चला गया है। जब खाद्य विभाग
द्वारा यह छापा मारा गया तो उसके उपरांत विभाग द्वारा बड़े ही गर्व के साथ बताया
गया था कि जिला कलेक्टर भरत यादव के निर्देशानुसार उक्त कार्यवाही की गई है।
बताया जाता है कि जिले भर में विशेषकर जिला मुख्यालय में संचालित होटल, ढ़ाबे, चाय की दुकानों
में सरेराह घरेलू गैस के सिलेन्डर के माध्यम से व्यवसाय किया जा रहा है, जबकि व्यवसायिक उपयोग के लिए कमर्शियल सिलेन्डर लेने का
प्रावधान है। यक्ष प्रश्न तो यह है कि जब आम उपभोक्ता गैस एजेंसी जाकर घरेलू गैस
के उपयोग के लिए सिलेंडर की मांग करता है तब उसे एक सौ एक नियम कायदे बताकर हैरान
परेशान किया जाता है और दूसरी ओर व्यवसायिक उपयोग के लिए हाथों हाथ सिलेंडर किस
तरह मिल रहे हैं!
बताया जाता है कि शादी ब्याह, मेले ठेले, पार्टी आयोजनों में भी एकाध कमर्शियल सिलेंडर दिखाने के लिए
रख दिया जाता है बाकी का सारा काम घरेलू सब्सिडाईज्ड गैस सिलेंडर के माध्यम से ही
किया जाता है। छोटे बड़े दुकानदारों का साहस इतना बढ़ गया है कि वे सड़कोें पर ही लाल
रंग के सब्सिडाईज्ड सिलेंडर ही रखकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। मजे की बात तो यह है
कि खाद्य विभाग के जिम्मेदार कारिंदे इन चाय की गुमटियों पर लाल रंग का सिलेंडर
देखने के बाद भी वहां चाय की चुस्कियां बड़े स्वाद के साथ लेते नजर आते हैं।
जिले भर में ना जाने पेट्रोल से चलने वाले ऐसे कितने वाहन हैं जिनमें गैस
की किट लगी हुई है। गैस से चलने वाले अधिकांश वाहन घरेलू उपयोग की रसाई गैस से ही
संचालित हो रहे हैं। शहर भर में अनेक स्थानों पर ‘टंकी पलटाने‘ अर्थात घरेलू
उपयोग की रसोई गैस को वाहन की गैस टंकी में भरने का खतरनाक काम किया जा रहा है। यह
सब धड़ल्ले से हो रहा है और खाद्य विभाग ध्रतराष्ट्र बनकर बैठा हुआ है।
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