मंगलवार, 17 सितंबर 2013

किसानों को आहत कर गया मुनमुन का कार्यक्रम: राजेश मिश्र

किसानों को आहत कर गया मुनमुन का कार्यक्रम: राजेश मिश्र

सिवनी (साई)। लखनादौन में फिल्मी सिमारों का रंगारंग कार्यक्रम दुःखी किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम है। अतिवृष्टि से बर्बाद खरीफ फसलों के कारण चिंतित किसानों को सहयोग देने के बजाय मुनमुन भैया किसानों को फिल्मी फूहड़ डांस दिखाकर धन एश्वर्य की चकाचौंध दिखा रहे हैं।
किसान खेत मजदूर कांग्रेस जिला प्रवक्ता राजेश मिश्रा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि आदिवासी किसान मजदूरों के इस संकट और गिरानी के समय में आदिवासी तहसील मुख्यालय लखनादौन में नगर परिषद् अध्यक्ष के नाम विगत दिवस पर आयोजित फिल्मी सितारों नृत्यांगनाओं का भौंडा प्रदर्शन धन और एश्वर्य प्रदर्शन की दंभोली के साथ ही निराश किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम है।
देवी फिरे विपत की मारी पड़ा कहे मोहे कला दिखा की लोकोक्ति को चरित्रार्थ करते हुए किसानों के दुःख दर्द के प्रति संवेदना शून्य तथा कथित समाज सेवक, स्वयंभू निर्दलीय नेता दिनेश राय मुनमुन द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम, लाखों रूपयों को पानी की तरह बहा कर आयोजित किया गया। यह रंगारंग कार्यक्रम जनता का मनोरंजन करने के बजाय दुःखी किसानों को गहरे तक आहत कर गया है।
राजेश मिश्रा ने कहा कि सर्वविदित तथ्य है कि दिनेश राय मुनमुन लखनादौन नगर परिषद् की वर्तमान अध्यक्ष के सुपुत्र हैं। वे पूर्व में स्वयं नगर परिषद् अध्यक्ष रह चुके हैं। आरक्षण में यह सीट महिला कोटे में चले जाने पर उन्होंने अपनी माताजी के नाम पर परोक्ष रूप से स्वयं यह चुनाव जीता है। जीत का आधार धन, बल और बाहुबल ही रहा है। यह किसी के लिए छुपा हुआ तथ्य नहीं है।
इसी आधार पर दिनेश राय मुनमुन ने पिछले विधानसभा चुनाव में सिवनी से विधान सभा का चुनाव लड़ा था, किंतु क्षेत्र के जागरूक मतदाताओं ने वास्तविकता को समझ कर उन्हें नहीं जिताया अब पुनः आने वाले चुनाव में वे विधानसभा के प्रत्याशी बनने का अपना मंसूबा पाल बैठे हैं, और इसी उद्देश्य से अर्जित अकूत धन संपदा की चकाचौंध गरीबों को दिखाकर वोट खरीदने, पानी की तरह पैसा दोनों हाथों से लुटा रहे हैं।
यह ज्यादा अच्छा होता कि मुनमुन राय किसान मजदूरों के गिरानी के इस दौर में भौंडा नाच दिखाने की बजाय किसानों के हित में कोई रचनात्मक सहयोग के काम में धन का सदुपयोग करते किंतु टहेलुए को टहलन सोहे बहेलिये को बहलन सोहे की कहावत के अनुरूप मुनमुन अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं। क्षेत्र की जनता चुनाव की पूर्व बेला में अपने होनहार धनाड्य नेता के एक काम को विवेक और तर्क की कसौटी पर परख रही है।

किसान कांग्रेस प्रवक्ता राजेश मिश्रा ने कहा कि राजनीति जनसेवा का क्षेत्र है। धनबल के आधार पर वोट खरीदने वाले ही यदि सफल होते तो बिना जनसेवा और जनाधार के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद पर बैठे दिखते।

लाईसेंस चेकिंग के नाम पर मारपीट

लाईसेंस चेकिंग के नाम पर मारपीट

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। शहर में नवागत पुलिस अधीक्षक बी.पी.चंद्रवंशी के निर्देश पर वाहनों की चेकिंग का काम किया जा रहा है। आज शाम कोतवाली के पास ही यातायात पुलिस के कारिंदों ने एक वाहन चालक के पास कागज मौजूद ना होने पर उसके सााथ न केवल अभद्र व्यवहार किया वरन् उसके साथ मारपीट भी की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिका के सामने वाले काम्पलेक्स में कांटे का व्यवसाय करने वाले नितेश नेमा जब अपनी दुकान बंद करके घर जा रहे थे, तभी यातायात पुलिस के कर्मचारियों ने उन्हें रोका और कागजात की मांग की। उनके पास तत्काल में कागजात नहीं थे। इस पर उन्होंने घर से कागजात लाकर दिखाने की बात कही।

बताया जाता है कि यातायात पुलिस के कर्मचारियों ने उक्त युवक का वाहन अपने कब्जे में ले लिया और उसे थाने के पास ले जाया गया। थाने के अंदर उक्त व्यक्ति के साथ यातायात पुलिस के कर्मचारियों ने न केवल अभद्र व्यवहार किया गया, वरन् उसके साथ मारपीट कर उसे थाने के अंदर बिठा दिया गया। बाद में कुछ मीडिया कर्मियों को इसकी भनक लगी तो वे थाने पहुंचे तब जाकर कोतवाली से उक्त युवक को छोड़ा गया।

तीन करोड़ी हो जाएगा ऐतिहासिक दलसागर

तीन करोड़ी हो जाएगा ऐतिहासिक दलसागर!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। शहर की शान समझा जाने वाला दलसागर तालाब जल्द ही तीन करोड़ी होने जा रहा है। दलसागर तालाब के सौंदर्यीकरण की मद में अभी एक करोड़ नौ लाख रूपए की राशि की बंदरबांट समाप्त नहीं हुई है और अब केंद्रीय मद से एक करोड़ छियत्तर लाख रूपए का आवंटन और पालिका की झोली में आन गिरा है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में एक करोड़ नौ लाख का आवंटन प्राप्त हुआ था। इस आवंटन में से 79 लाख रूपए तालाब की पिचिंग आदि में खर्च किए गए थे। इसके अलावा जनसहयोग से लाखों रूपए की राशि भी एकत्र की गई थी। पता नहीं कैसे दलसागर तालाब के सौंदर्यीकरण में करोड़ों रूपए पानी के अंदर बहा दिए गए।
नगर पालिका उपाध्यक्ष राजिक अकील ने बताया कि इसके अलावा नगर पालिका परिषद् ने अपनी स्वयं की मद में लगभग 25 लाख रूपए पाथ वे बनाने में खर्च कर दिए। इसके अलावा विसर्जन घाट पर टाईल्स आदि लगवाने में भी कम से कम 15 लाख रूपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा दलसागर तालाब को चिन्हित किया गया है सौंदर्यीकरण के लिए। राजिक अकील ने बताया कि अब केंद्रीय मद से आने वाले एक करोड़ 76 लाख रूपए की राशि से सौंदर्यीकृत दलसागर का पुनः सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
यक्ष प्रश्न तो यह बना हुआ है कि आखिर एक बार लगभग सवा करोड़ की लागत से सुंदर बनाए गए दलसागर (वस्तुतः आज भी दलसागर सौंदर्यीकरण की मांग कर रहा है) का सौंदर्यीकरण पौने दो करोड़ की लागत से आखिर अब कैसे किया जाएगा। साथ ही साथ अब पौने दो करोड़ रूपए की लागत से क्या काम किया जाकर राशि को हजम किया जाएगा।

बहरहाल, 17 सितम्बर को सांसद के.डी.देशमुख के मुख्य आतिथ्य, मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष डॉ.मोहन यादव की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा पर्यटक सुविधाओं के विस्तार की श्रृंखला में दलसागर तालाब सिवनी के सौंदर्यीकरण कार्याें का भूमिपूजन अपरान्ह बारह बजे किया जा रहा है।

कांग्रेस भाजपा ने दिया राय परिवार को अपना समर्थन!

कांग्रेस भाजपा ने दिया राय परिवार को अपना समर्थन!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। 15 सितम्बर को लखनादौन में आयोजित जनता की अदालत कार्यक्रम में हजारों की तादाद में ग्रामीण अंचल (लखन कुंवर की नगरी के मतदाता नहीं) की उपस्थिति में नगर परिषद् लखनादौन की अघ्यक्ष श्रीमती सुधा हरिशंकर राय द्वारा जनता का भरोसा कथित तौर पर जीता गया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस और भाजपा का मौन इस बात की ओर इंगित करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है कि सालों से चली आ रही इस परंपरा में उनका भी मौन समर्थन है।

सालों से चली आ रही परंपरा
पूर्व में जब सुधा राय के पुत्र दिनेश हरिशंकर राय नगर पंचायत लखनादौन के अध्यक्ष हुआ करते थे, उस वक्त हर साल उनके द्वारा जनता की अदालत में जाकर जनमत हासिल करने का स्वांग रचा जाता रहा है। हर साल रूपहले पर्दे के महंगे अदाकार लखन कुंवर की नगरी आते, और लोगों का मनोरंजन कर लौट जाते। इन कलाकारों के आने जाने और पारिश्रमिक में कितना खर्च हुआ इसकी सुध ना तो कांग्रेस और ना ही भाजपा द्वारा कभी ली गई। न ही इस बारे में कभी कांग्रेस भाजपा द्वारा आयकर अधिकारी को शिकायत ही की गई कि ये लोग एक एक क्षण के पैसे वसूलते हैं उनका अपना चौबीस घंटे से ज्यादा का समय कितना कीमती रहा होगा।

दिनेश की मुरीद है भाजपा कांग्रेस
सिवनी जिले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के जिला स्तर के संगठन दिनेश हरिशंकर राय के मुरीद हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। दरअसल, सालों से कांग्रेस और भाजपा ने लखनादौन में लगने वाली जनता की अदालत में कभी अपना विरोध प्रदर्शित नहीं किया है, इससे साबित हो जाता है कि कांग्रेस और भाजपा का जिला स्तर का संगठन दिनेश हरिशंकर राय का मुरीद है।

हरवंश सिंह के डर से देते थे साथ
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जिले में कांग्रेस के क्षत्रप हरवंश सिंह ने दो दशकों से जिले को अपने तरीके से हांका है। हरवंश सिंह के डर के चलते कांग्रेस यहां तक कि भाजपा का जिला स्तर का संगठन भी राय परिवार का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाता था। यही कारण है कि कल तक मिलन स्वीट्स के बाजू में एक साधारण फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाला शख्स आज अरबों खरबों की मिल्कियत का स्वामी है।

भाजपा मण्डल अध्यक्ष को दी हुल!
गत दिवस नगर पालिका परिषद् कार्यालय में नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दिनेश हरिशंकर राय ने भारतीय जनता पार्टी के मण्डल अध्यक्ष नरेश सेन को जमकर धमकाया। किसी की शिकायत पर नरेश सेन को लखनादौन थाने में दो घंटे जबरन बिठाए रखा गया। बाद में नरेश सेन की पार्षद पत्नि की शिकायत पर दिनेश हरिशंकर राय को बयान के लिए नहीं बुलाया गया। भाजपा के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार दिनेश जीकार्यक्रम में व्यस्त थे, उनसे पूछताछ बाद में भी हो सकती है। भाजपा संगठन द्वारा इसकी लिखित शिकायत एसडीएम और कोतवाली में करा दी गई है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद रात दस बजे के बाद लखन कुंवर की नगरी में बजते रहे डीजे, होता रहा धमाल।

कांग्रेस भाजपा का रहा मौन समर्थन

15 सितम्बर को लखनादौन में हुए जनता की अदालत के कार्यक्रम में कांग्रेस और भाजपा ने खामोशी अख्तियार कर ली। कांग्रेस और भाजपा संगठन के अंदर चल रही बयार के अनुसार दोनों ही संगठनों के पार्षदों ने भी अपना विरोध न दर्शाकर साफ कर दिया है कि उनका भी मौन समर्थन सुधा हरिशंकर राय के साथ है। दिखाने को कांग्रेस भाजपा द्वारा राय परिवार का विरोध किया जाता हो पर अंदर से ये सब राय परिवार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।

बाधित बीएसएनएल, परेशान उपभोक्ता

बाधित बीएसएनएल, परेशान उपभोक्ता

(शरद खरे)

सिवनी जिले में भारत संचार निगम लिमिटेड की सेवाएं बुरी तरह लड़खड़ा चुकी हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। बीएसएनएल उपभोक्ताओं के टेलीफोन के डिब्बे शोभा की सुपारी बनते जा रहे हैं पर इनकी ओर ध्यान देने की किसी को फुर्सत नहीं है। बीएसएनएल सरकारी उपक्रम है इस लिहाज से लोगों का भरोसा इस पर कायम है, पर अब भरोसा तेजी से उठता जा रहा है। वह तो फिक्स लाईन वायर्ड सेवाओं में निजी कंपनी सिवनी में उतरी नहीं है, वरना बीएसएनएल का कार्यालय भी तेंदूपत्ते के गोदाम में तब्दील हो जाता।
मूलतः फिक्स लाईन, डब्लूएलएल, ब्रॉडबेंड, फिक्स लाईन और मोबाईल पर सेवाएं प्रदान कर रहा है बीएसएनएल। बीएसएनएल के उपभोक्ताओं से पूछिए उनके दिलों पर क्या बीत रही है। आज मजबूरी में सिवनी के निवासी बीएसएनएल की सेवाएं ले रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के इस युग में लोगों को उम्मीद थी कि फिक्स लाईन में भी निजी कंपनियां दिलचस्पी दिखाएंगी और सिवनी में उन्हें बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में इस तरह का कुछ होता भी दिखा। बीएसएनएल के आलावा निजी सेवा प्रदाताओं ने सिवनी में दिलचस्पी दिखाई। 2007 के उपरांत एकाएक वोडा फोन, डोकोमो, आईडिया आदि जैसे निजी सेवा प्रदाताओं ने सिवनी में धड़ाधड़ मोबाईल टॉवर खड़े करना आरंभ कर दिया। सिवनी वासी बहुत अचरज भरी खुशी में थे, कि आखिर सिवनी जैसे अविकसित जिले में इन निजी सेवा प्रदाताओं को कितना बिजनिस मिल पाएगा जो एक के बाद एक मोबाईल टॉवर खड़े करती जा रही हैं, एक के बाद एक सिवनी में पदार्पण करने वाली निजी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियां!
कम ही लोग जानते होंगे कि सिवनी का यह सौभाग्य था, कि सिवनी को अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल के स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण कॉरीडोर के नक्शे से अनेक षणयंत्रों के बाद हटाया नहीं जा सका था। बड़ी और निजी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों की मजबूरी थी कि उन्हें स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर दक्षिण तथा पूर्व पश्चिम सड़क कॉरीडोर में अपने उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से मोबाईल कनेक्टविटी देना था।
संभवतः यही कारण था कि सिवनी में एक के बाद एक मोबाईल टॉवर धड़ाधड़ खड़े कर दिए गए। इसके बाद 2008 में अचानक ही फोरलेन पर सियासी षणयंत्र का ग्रहण लगा और फोरलेन का काम बाधित हो गया। मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा। महाकौशल के एक शक्तिशाली क्षत्रप को इसके लिए पुरानी फिल्मों का शत्रुध्न सिन्हाऔर प्रेम चौपड़ाजैसा विलेन बना दिया गया। निजी कंपनियों को लगने लगा था कि यह षणयंत्र इतनी जल्दी और आसानी से निपटने वाला नहीं। कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी सिवनी में एकाएक कम कर दी। उसके बाद निजी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों ने सिवनी से अपना बोरिया बिस्तर उठा ही लिया। अब निजी तौर पर सेवा प्रदाता कंपनियों का नेटवर्क भी घिसट घिसट कर ही चल रहा है।
सिवनी में बीएसएनएल का भी यही आलम है। केंद्र सरकार का छटवां वेतनमान लेने वाले सरकारी नुमाईंदों को इस बात की परवाह नहीं रह गई है कि जिस राजस्व से वे वेतन पा रहे हैं वह राजस्व इन्हीं उपभोक्ताओं से ही वसूला जा रहा है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि दस से पांच (कार्यालयीन समय सुबह दस से शाम पांच बजे तक) की नौकरी करने वाले बीएसएनएल के कर्मचारियों अधिकारियों को उपभोक्ताओं की परेशानी से कुछ लेना देना नहीं रह गया है।
आज भी शहर में अनेक स्थान ऐसे हैं जहां बीएसएनएल का नेटवर्क ही नहीं मिलता है। फिक्स लाईन अगर खराब हो गई तो उसे सुधरवाने में आपकी चप्पलें घिस जाएंगी। अगर आप प्रभावशाली हैं तो आपका काम एकाध दिन में हो जाएगा, शेष हैरान परेशान ही घूमते नजर आते हैं। ऐसा नहीं कि सिवनी में बीएसएनएल में पदस्थ सारे कर्मचारी अधिकारी मक्कार हैं। इनमें कुछ कर्मचारी और अधिकारी ऐसे भी हैं जो शॉक एब्जार्वर का काम करते हैं। अगर इस तरह के कुशल कर्मचारी न हों तो बीएसएनएल में रोजाना ही जूते चप्पल चलते नजर आएंगे।
दरअसल, बीएसएनएल में लाईनमेन की जबर्दस्त कमी है। जो लाईनमेन सेवानिवृत हो चुके हैं उनके स्थान पर नई भर्ती नहीं की जा रही है। यही कारण है कि व्यवस्था पूरी तरह गड़बड़ा चुकी है। किसी का काम कोई और कर रहा है। बीएसएनएल के एसडीओ कार्यालय में खराब बिगड़े पड़े डब्बों का अंबार लगा हुआ है, पर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। अधिकारी चाहें तो डब्बों की मरम्मत का काम आउट सोर्स करवा सकते हैं पर वे भी अपनी कुर्सियों पर पैर पसारे, आंखें मूंदे, आराम फरमा रहे हैं।

यह केेंद्र सरकार का मामला है। सिवनी के सियासी षणयंत्रकारियों के कारण अब इसके पास एक के बजाए दो-दो सांसद हैं। दोनों सांसद भी कुंभकर्णीय निंद्रा में ही हैं। दोनों को इस बात की परवाह नहीं है कि उन्हें सिवनी की जनता ने भी जनादेश देकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचाया है। उनका भी कम से कम इतना फर्ज तो बनता है कि वे जनता के जनादेश का कुछ तो सम्मान करें। विडम्बना ही है कि जनादेश लेकर एक बार दिल्ली गए सांसदों ने सिवनी की ओर मुड़कर देखना मुनासिब नहीं समझा। अब सिवनी के निवासियों की पीड़ा को समझे तो समझे कौन. . .।