(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में एक महिला मरीज का चिकित्सकीय परीक्षण के नाम पर उसके कपड़े उतरवाकर दुर्व्यवहार करने का संगीन मामला प्रकाश में आया है। उक्त महिला के साथ छेड़छाड़ करने वाले दो युवक हैं और दोनों ही चिकित्सालय की सुरक्षा में लगे जय अंबे सिक्यूरिटी सर्विस से जुड़े बताए जा रहे हैं।
बताया जाता है कि 16 फरवरी को शाम सात बजे के लगभग जिला चिकित्सालय में प्रथम तल पर स्थित महिला वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज, वार्ड में प्रथक से बने कक्ष में अकेली थी। उक्त महिला को अकेला पाकर दो युवक जो शराब के नशे में धुत्त थे बताए जाते हैं वहां पहुंचे और महिला का चिकित्सकीय परीक्षण करने लगे।
पीड़ित महिला ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उन दोनों युवकों ने उक्त महिला से उसकी बीमारी पूछी, फिर उसके कपड़े उतरवाए और उसके गुप्तांगों में हाथ लगाने लगे। महिला द्वारा आपत्ति किए जाने पर उन्होंने कहा कि वे वहां तैनात नर्स से कहकर उसे प्रथक बने कक्ष से अंदर वाले कक्ष में शिफ्ट कराने की बात कहेंगे, क्योंकि वहां वह अकेली है।
उक्त महिला ने बताया कि उस वक्त उसका पुत्र और अन्य परिजन भी वहां मौजूद थे। बताया जाता है कि इसके पहले कि वह बीमार महिला कुछ समझ पाती वे वहां से भाग खड़े हुए। उक्त महिला द्वारा एक आवेदन देकर अपने साथ घटी घटना के बारे में पुलिस को इत्तला भी दे दी गई है।
सिवनी (साई)। इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में एक महिला मरीज का चिकित्सकीय परीक्षण के नाम पर उसके कपड़े उतरवाकर दुर्व्यवहार करने का संगीन मामला प्रकाश में आया है। उक्त महिला के साथ छेड़छाड़ करने वाले दो युवक हैं और दोनों ही चिकित्सालय की सुरक्षा में लगे जय अंबे सिक्यूरिटी सर्विस से जुड़े बताए जा रहे हैं।
बताया जाता है कि 16 फरवरी को शाम सात बजे के लगभग जिला चिकित्सालय में प्रथम तल पर स्थित महिला वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज, वार्ड में प्रथक से बने कक्ष में अकेली थी। उक्त महिला को अकेला पाकर दो युवक जो शराब के नशे में धुत्त थे बताए जाते हैं वहां पहुंचे और महिला का चिकित्सकीय परीक्षण करने लगे।
पीड़ित महिला ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उन दोनों युवकों ने उक्त महिला से उसकी बीमारी पूछी, फिर उसके कपड़े उतरवाए और उसके गुप्तांगों में हाथ लगाने लगे। महिला द्वारा आपत्ति किए जाने पर उन्होंने कहा कि वे वहां तैनात नर्स से कहकर उसे प्रथक बने कक्ष से अंदर वाले कक्ष में शिफ्ट कराने की बात कहेंगे, क्योंकि वहां वह अकेली है।
उक्त महिला ने बताया कि उस वक्त उसका पुत्र और अन्य परिजन भी वहां मौजूद थे। बताया जाता है कि इसके पहले कि वह बीमार महिला कुछ समझ पाती वे वहां से भाग खड़े हुए। उक्त महिला द्वारा एक आवेदन देकर अपने साथ घटी घटना के बारे में पुलिस को इत्तला भी दे दी गई है।
मामला सिविल सर्जन के पास
इस संबंध में आज जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में तैनात नर्स ने बताया कि महिला के आवेदन को मूलतः सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी के पास सुबह ही भेज दिया गया है। इस पर आगे क्या कार्यवाही हुई, वे बता नहीं पाईं। वहीं, दूसरी ओर सिविल सर्जन कार्यालय में शाम को कोई उपलब्ध नहीं होने से इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई, पता नहीं चल सका है।
इस संबंध में आज जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में तैनात नर्स ने बताया कि महिला के आवेदन को मूलतः सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी के पास सुबह ही भेज दिया गया है। इस पर आगे क्या कार्यवाही हुई, वे बता नहीं पाईं। वहीं, दूसरी ओर सिविल सर्जन कार्यालय में शाम को कोई उपलब्ध नहीं होने से इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई, पता नहीं चल सका है।
नहीं मिली कोई शिकायत: दाणी
वहीं, दूसरी ओर इस संबंध में जब नगर कोतवाल अमित विलास दाणी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में इस तरह का कोई मामला नहीं आया है। अगर इस तरह का कोई मामला आएगा तो उसकी प्राथमिकी अवश्य दर्ज कर, जांच करवाई जाएगी।
वहीं, दूसरी ओर इस संबंध में जब नगर कोतवाल अमित विलास दाणी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में इस तरह का कोई मामला नहीं आया है। अगर इस तरह का कोई मामला आएगा तो उसकी प्राथमिकी अवश्य दर्ज कर, जांच करवाई जाएगी।
संगीन है मामला
जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में एक महिला मरीज के साथ अगर शाम ढलते ही इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जाता है तो निश्चित तौर पर जिला चिकित्सालय प्रशासन पर यह एक बहुत बड़ा सवालिया निशान है। जिला चिकित्सालय में पहले भी महिला कर्मचारियों और मरीजों के साथ छेड़छाड़ के मामले प्रकाश में आते रहे हैं।
जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में एक महिला मरीज के साथ अगर शाम ढलते ही इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जाता है तो निश्चित तौर पर जिला चिकित्सालय प्रशासन पर यह एक बहुत बड़ा सवालिया निशान है। जिला चिकित्सालय में पहले भी महिला कर्मचारियों और मरीजों के साथ छेड़छाड़ के मामले प्रकाश में आते रहे हैं।
लग रहे सीसीटीवी कैमरे
यहां उल्लेखनीय होगा कि जिला चिकित्सालय परिसर के अंदर सुरक्षा को मद्देनजर रखकर क्लोज सर्किट कैमरे लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। जहां-जहां कैमरे लग चुके हैं, वे चालू हैं अथवा शोभा की सुपारी बने हुए हैं, यह बात तो अस्पताल प्रशासन ही बेहतर जानता होगा किन्तु एक महिला मरीज के कपड़े उतरवाने के मामले से यह स्पष्ट होने लगा है कि जिला चिकित्सालय का प्रशासन पूरी तरह से नाकारा हो चुका है।
यहां उल्लेखनीय होगा कि जिला चिकित्सालय परिसर के अंदर सुरक्षा को मद्देनजर रखकर क्लोज सर्किट कैमरे लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। जहां-जहां कैमरे लग चुके हैं, वे चालू हैं अथवा शोभा की सुपारी बने हुए हैं, यह बात तो अस्पताल प्रशासन ही बेहतर जानता होगा किन्तु एक महिला मरीज के कपड़े उतरवाने के मामले से यह स्पष्ट होने लगा है कि जिला चिकित्सालय का प्रशासन पूरी तरह से नाकारा हो चुका है।
जय अंबे सिक्यूरिटी पर लगे प्रश्न चिन्ह!
इस मामले में जय अंबे सिक्योरिटी के कारिंदों के द्वारा इस तरह की अश्लील हरकत किया जाना बताया जाता है। इस हरकत से जय अंबे सिक्योरिटी पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की भर्ती के पहले उनका चरित्र सत्यापन कराया जाना चाहिए। अगर वे वाकई जय अंबे सिक्योरिटी के कर्मचारी हैं तो उनका चरित्र सत्यापन अवश्य ही कराया गया होगा। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि जिला चिकित्सालय में सुरक्षा का काम निजी तौर पर आउट सोर्स कराया जाकर जय अंबे सिक्योरिटी को दिया गया है।
इस मामले में जय अंबे सिक्योरिटी के कारिंदों के द्वारा इस तरह की अश्लील हरकत किया जाना बताया जाता है। इस हरकत से जय अंबे सिक्योरिटी पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की भर्ती के पहले उनका चरित्र सत्यापन कराया जाना चाहिए। अगर वे वाकई जय अंबे सिक्योरिटी के कर्मचारी हैं तो उनका चरित्र सत्यापन अवश्य ही कराया गया होगा। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि जिला चिकित्सालय में सुरक्षा का काम निजी तौर पर आउट सोर्स कराया जाकर जय अंबे सिक्योरिटी को दिया गया है।
पूर्व में हुई थी पहल
गौरतलब है कि पूर्व में सिवनी में पदस्थ रहे जिला पुलिस अधीक्षक डॉ.रमन सिंह सिकरवार के कार्यकाल में निजी तौर पर संचालित होने वाली सुरक्षा एजेंसियों का पंजीयन, उनकी जानकारी संबंधित थाने में दिए जाने, और कर्मचारियों के चरित्र सत्यापन के लिए प्रयास किए गए थे। विडम्बना ही कही जाएगी कि उसके बाद से यह कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पुलिस सूत्रों का कहना है िकि पुलिस द्वारा इस दिशा में प्रयास ही बंद कर दिए गए हैं, कि किसी के चरित्र सत्यापन के काम को अंजाम दिया जाए।
गौरतलब है कि पूर्व में सिवनी में पदस्थ रहे जिला पुलिस अधीक्षक डॉ.रमन सिंह सिकरवार के कार्यकाल में निजी तौर पर संचालित होने वाली सुरक्षा एजेंसियों का पंजीयन, उनकी जानकारी संबंधित थाने में दिए जाने, और कर्मचारियों के चरित्र सत्यापन के लिए प्रयास किए गए थे। विडम्बना ही कही जाएगी कि उसके बाद से यह कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पुलिस सूत्रों का कहना है िकि पुलिस द्वारा इस दिशा में प्रयास ही बंद कर दिए गए हैं, कि किसी के चरित्र सत्यापन के काम को अंजाम दिया जाए।